इश्क़ का अंजाम Part-25 Love story in Hindi

                                            इश्क़ का अंजाम Part-25 Love story in Hindi

“विपुल , मेरे पास इतना समय नहीं है कि मैं अपनी पूरी महगाथा तुम्हें सुना पाऊं । बस जरूरी जरूरी बात लिख रही हूँ । मुझे पता है तुम बहुत परेशान होगे मुझे ढूंढते हुए मैं भी यहाँ बहुत परेशान हूँ तुम्हें याद कर कर के । मैं यहाँ सार्थक के विला में हूँ, वही सार्थक जिसके बारे में मैंने तुम्हें बताया था । वैसे तो मैंने मामा को भी लिखा है लेकिन वो मुझे यहाँ लेने नहीं आ पाएंगे पापा के दबाव में , लेकिन तुम तो आ सकते हो न ! मैं अड्रेस और फोन नंबर लिख रही हूँ तुम्हें जल्द से जल्द मुझ तक पहुँचना होगा।
अपने साथ शादी का समान भी लेकर आना ताकि हम कोर्ट में शादी करके सिक्योरिटी मांग सके वरना सार्थक ऐसे हमें मुंबई से बाहर नही निकलने देगा । please जल्दी आना तुम्हारा इंतजार करूंगी।
                                                                                                                                                       तुम्हारी मंजू… “
तुम्हारी मंजू……!! सार्थक के गुस्से , जलन , दर्द और प्यार पर भारी हो गया एक शब्द। पहले से ही लाल चेहरा गुस्से से और भी ज्यादा लाल हो गया था । आँखों से आँसू आने लगे थें जिसकी वजह से चेहरे में और भी ज्यादा जलन हो गयी थी। उसने सोचा था कि यहाँ से निकल कर वो डॉक्टर के पास जायेगा लेकिन अब उसके दिल में आ रहा था की इसी जलन और दर्द में ही वो तड़प कर मर जाएँ कम से कम मंजिल को तो राहत मिल जाएगी।
सार्थक गुस्से और बेबसी में स्टेअरिंग पर सर रख के रोने लगा। शायद भगवान को उसका रोना देखा नहीं जा रहा था इसीलिए फिर से शक्ति की कॉल आ गयी। सार्थक ने फोन गुस्से में रिसीव कर लिया उसने सोचा था कि शक्ति को सुना देगा ।
तुम्हें एक बार में समझ नहीं आती… जब मैं फोन नहीं उठा रहा तो क्यों बार बार…..
सर जहाँ भी हो तुरंत घर चले आइये मंजिल मैडम की तबियत खराब है। सार्थक की बात सुने बिना ही शक्ति ने अपनी बात कही और तुरंत फोन रख दिया।
मंजिल की खराब तबियत का सुनकर सार्थक के होश ही उड़ गएँ। कहीं उसने मेरे जाते ही कुछ खा तो नहीं लिया ? ये ख्याल आते ही सार्थक ने चिठ्ठी विट्ठी सब भूल कर घर की तरफ कार भगा दी । रास्ते भर उसके दिमाग़ में बहुत अजीब अजीब ख्याल आतें रहें । उसे अकेला छोड़ के आना ही नहीं चाहिए था , कल्पना को भी इसी मनहूस दिन पर छुट्टी देनी थी मुझे ? भगवान् प्लीज उसे ठीक रखना , उसे कुछ होने मत देना वरना मर जाऊंगा मैं ।
कार में AC on था फिर भी सार्थक पसीने से तरबतर होता जा रहा था। उसकी खुद की तबियत भी बिगड़ती जा रही है लेकिन उसे अपना होश है ही नहीं जरा भी। रास्ते में कितने स्पीड ब्रेकर्स , कितने ट्रैफिक सिग्नलस उसने क्रॉस कर दियें उसे कुछ भी पता नहीं चल रहा था। उसकी आँखों के सामने मंजिल का चेहरा घूम रहा था ।
इधर शक्ति डॉक्टर को कार तक छोड़ के आने के बाद वापस से मंजिल के पास बैठ गया था । अभी बुखार तो नहीं था मंजिल को लेकिन तकलीफ , दर्द और डर सबकुछ उसके सोते हुए चेहरे पर दिख रहा था।
शक्ति ने धीमे से हाथ बढ़ा कर मंजिल की उँगलियों को छूना चाहा लेकिन उसके भीतर से एक आवाज आयी – “ये गलत है ।” अपनी उस आवाज से डर कर शक्ति ने वापस से अपने हाथ खींच लिए। ” कुछ भी गलत नहीं है । अभी उसे अपनी गोद में उठाकर यहाँ तक लाएं, उसे लिटाया , उसके चेहरे को छुआ तब गलत नहीं था तो अब कैसे गलत है।” शक्ति के दिमाग़ ने उसे तर्क दिया।
लेकिन सार्थक सर प्यार करतें है उनसे !
लेकिन वो तो नहीं करती ना!
हाँ लेकिन….
क्या लेकिन… ? शक्ति अभी खुद में ही उलझा हुआ था वो चाहता था कि एक बार प्यार से मंजिल के हाथों को छू ले उसके , बालों को संवार दे , उसे बिल्कुल करीब से देखे। लेकिन उसका मन इस बात की गवाही नहीं दे रहा था । इतने में अभी तक सीधे लेटी हुई मंजिल ने करवट लेकर अपना चेहरा सार्थक की तरफ कर दिया। उसके बाल कानों के पास से गिरकर चेहरे पर आ गएँ थें ।
बाल तो संवार ही सकता हूँ न ! शक्ति उसकी तरफ झुककर उसके बालों को वापस से कानों के पीछे करना चाहता था लेकिन उसे सीढ़ियों पर किसी से भारी पैरों की आवाज सुनाई दी। शक्ति तुरंत बेड से दूर हट कर सोफे पर जाकर बैठ गया।
वो खुद को ही कोसने लगा क्यों इतनी बार फोन किया ? दो बार करना चाहिए था नहीं उठाते तो उनकी किस्मत । क्या करूँ? मुझे ही शौक है अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का । लेकिन क्या पता था कि इतने गुस्से में भी फोन उठा ही लेंगे ?
खट से दरवाजा खुलने की आवाज आयी तो शक्ति खड़ा हो गया। लेकिन बिना शक्ति की ओर देखे सार्थक मंजिल के बेड की ओर बढ़ गया। सार्थक के सारे कपड़े गीले थें जिससे साफ पता चल रहा था कि गेट से लेकर कमरे तक सार्थक दौड़ते हुए ही आया है।
क्या हुआ इन्हें? ठीक है न अब ? सार्थक मंजिल के चेहरे को अपने हाथों में भरकर उसे देखने लगा।
सोफे के पास खड़े शक्ति ने दूसरी तरफ मुँह करके जवाब दिया – हाँ ठीक हैं अभी तो , मैं यहाँ आपसे मिलने आया था जब हॉल में आया तो देखा सोफे के पास ये बेहोश पड़ी हुई है तुरंत आपको कॉल की आपने उठाया नहीं तो मैंने खुद ही डॉक्टर को बुला लिया।
कुछ खाया तो नहीं था इसने?
खाया..? नहीं..!नहीं..! कमजोरी है इन्हें और एकदम से बुखार भी चढ़ा होगा। रोना धोना तो इनका वैसे भी लगा ही रहता है आज थोड़ा ज्यादा ही रो ली होंगी…!
Thank God. …!
जी भगवान का शुक्रिया तो…. अभी शक्ति अपनी बात कह ही रहा था कि धम्म की आवाज से चौंक पड़ा ।
Oh my God. ..! सर …! सार्थक बेहोश होकर फर्श पर गिर चुका था। उसका चेहरा देख कर शक्ति बहुत डर गया पूरा चेहरा लाल हो चुका था और जगह जगह बड़े-बड़े दाने निकल आएं थें। सिर्फ चेहरा ही नहीं हाथ भी जगह-जगह से लाल थें । शक्ति ने तुरंत एम्बुलेंस को कॉल की । लेकिन मुंबई की सड़को के ट्रैफिक से वो अच्छी तरफ वाकिफ था । उसने सार्थक को अपने कंधे पर रखा और कार से ही उसे हॉस्पिटल ले जाने लगा। जिस स्पीड से अभी सार्थक घर आया था उसी स्पीड से शक्ति हॉस्पिटल जा रहा था ।
रास्ते में उसने सिर्फ एक बार कार Slow की कल्पना को कॉल करते वक्त बस।
कहीं किसी ने कुछ खिला तो नहीं दिया ? गुस्से में गर्म पानी तो नहीं गिराया खुद पर ? नहीं ..नहीं ! अपने चेहरे की कीमत उन्हें अच्छे से पता है। एक एक्टर के लिए उसका चेहरा ही सबकुछ होता है । कितने भी गुस्से में हो अपने चेहरे को तो नुकसान नहीं ही पहुचायेंगे। कहीं मंजिल ने ही तो कुछ… हाँ वो कर भी सकतीं हैं ऐसा ! अंदर डॉक्टर्स सार्थक का इलाज कर रहें थें और बाहर शक्ति इसके पीछे का कारण ढूंढ रहा था ।
डॉक्टर के बाहर आते ही शक्ति तुरंत उनके पास पहुंच गया ।
देखिए अभी तो सबकुछ कंट्रोल में है। बस स्किन की ऊपर वाली लेयर डैमेज हो गयी है।
कोई खतरा तो नहीं है चेहरे को ?
नहीं , नहीं ! क्यों डरते है शक्ति बाबू । हम लोग बैठे तो है यहाँ ।
और पीठ हाथ पैर सब….!
हाथ पैर तो ठीक ही थें चेहरे पर और पीठ में ज्यादा दिक्कत हुई थी वो भी कवर कर लेंगे 4-5 दिन में ।
कैसे हुआ है ये सब…? कुछ बता सकते है आप ।
शरीर पर तो धूल मिली है थोड़ी सी तो मेरा डॉउट वही है लेकिन हो सकता है किसी ने कुछ खिलाया हो इन्हें, जिससे इनको ऐलर्जी हो।
शक्ति के नंबर पर कल्पना की कॉल आ रही थी इसीलिए वो डॉक्टर को Thank you कहकर वहाँ से हट गया। कल्पना ने उसे बताया कि मंजिल ठीक है और होश में आ चुकी है। उनसे बात करने के बाद वो सार्थक को देखने उसके प्राइवेट वार्ड में गया।
इश्क़ इंसान को क्या से क्या बना देता है ! अच्छा खासा एक्टर किसी जोकर की शक्ल में उसके सामने लेटा हुआ है। हमेशा बेफिक्र रहने वाला बंदा यही सोचता रहता है कि कहीं उसकी मोहब्बत भाग न जाएँ। हर दो महीने पर विदेशों में वोकेशंस पर जाने वाला इंसान चार महीने से अपने शहर से बाहर ही नहीं निकला ! क्यों कर बैठते है लोग मोहब्बत ऐसे इंसान से जो उन्हें नफरत के सिवा कुछ देना ही नहीं जानते ?
कैसी लड़की हो यार तुम मंजिल…? लोगों को उनके रास्ते तक से हटा देती हो तुम्हारे सिवा वो दूसरी कोई मंजिल क्या खाक याद रखेंगे। शक्ति ने एक गहरी सांस लेकर खुद से ही कहा और वार्ड के बाहर आ गया।
सार्थक को कब तक होश आएगा कहाँ नहीं जा सकता । वैसे भी दवा के नशे में है तो सुबह से पहले क्या ही आँख खुलेगी । क्या करे? एक राउंड मार आएँ कल्पना के पास भी ? जरा पता तो चले मंजिल ने खिलाया या पिलाया क्या है ? सार्थक के वार्ड के बाहर सिक्योरिटी गार्ड्स को खड़ा करके शक्ति वहाँ से निकल आया।
आते ही वो सीधा मंजिल के कमरे में पहुँचा वहाँ कल्पना भी बैठी हुई थी ।
अब सर ठीक है न ? कोई ज्यादा दिक्कत की बात तो नहीं साहब को । कल्पना उसे देखते ही सवाल करने लगी। मंजिल भी उसे देखकर बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी थी।
नहीं कोई दिक्कत की बात नहीं है अब । उसने मंजिल को देखते हुए जवाब दिया।
डॉक्टर ने कुछ बताया क्या हुआ? कैसे हुआ,..? मंजिल ने पूछा।
वो तो आप ही बता दीजिए ।
मैं ?
हाँ क्योंकि जो किया होगा आपने ही किया होगा । डॉक्टर भी बोले है कि कुछ ऐसा खिलाया गया है जिससे उन्हें एलर्जी है।
लेकिन मैंने तो कुछ भी नहीं खिलाया है इनफैक्ट उन्होंने कुछ खाया ही नहीं घर पर । कहकर गएँ थें कि शूटिंग के बाद वही पर कुछ खा…
लेकिन आज के शूट्स तो कल ही कैंसिल कर दिये थें उन्होंने ।
लेकिन मुझसे तो यही कहा…
घबराइए नहीं हम लोग वैसे भी आपका कुछ कर नहीं पाएंगे चाहे तो कुछ खिलाइये या जान से मार डालिए । लेकिन अगली बार कुछ करना तो याद रखना वो आपसे बहुत ज्यादा प्यार करतें है और अपने माँ बाप की ऐकलौती औलाद भी है। इतना कहकर शक्ति उसके कमरे से बाहर निकल आया।
आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था नफरत अपनी जगह है और अहसान अपनी जगह। कल्पना भी मंजिल को ही सुनाकर कमरे के बाहर निकल आयी थी।
क्या किया जाएँ ? सर के पैरेंट्स को बुलाना पड़ेगा । इनके साथ यहाँ ऐसे उनका रहना safe नहीं है अब । रेलिंग पर अपने दोनों हाथ टिका कर शक्ति कल्पना से पूछता है की आगे क्या किया जाएँ।
मुझे मालूम होता कि ये सब होगा तो सर चाहे कुछ भी कहते मैं जाती ही नहीं ।
हम यहाँ होकर भी तो कुछ भी नहीं रोक सकते ।
सही कहते है छोटे साहब आप भी । बस भगवान से दुआ कर सकते है कि सर को ठीक कर दे ।
एक कप चाय बना देंगी ? बहुत थका हुआ हूँ । शक्ति कल्पना से चाय बनाने के लिए कह ही पाता है कि हॉस्पिटल से फोन आ जाता है । फोन कट करते ही कल्पना सार्थक की तबियत के बारे में पूछने लगती है।
सर तो ठीक है लेकिन मीडिया वाले उनके पेरेंट्स को ठीक नहीं रहने देंगे । पता नहीं कहाँ से खबर मिल गयी सब हॉस्पिटल के बाहर गेट पर खड़े है । अब मैं जाता हूँ देखता हूँ उन्हें आप मैडम का ख्याल रखिए।
लेकिन चाय. ..?
एक सुकून भरी चाय नसीब में ही नहीं है आज मेरे । शक्ति जल्दी-जल्दी सीढ़िया उतर कर निकल जाता है वहाँ से।
सार्थक की जब से आँख खुली है तबसे एक ही बात की रट लगाए है कि घर जाना है। शक्ति एक के बाद एक बहाने बनाते उसे समझाते हुए थक चुका है लेकिन वो मानने को ही तैयार नहीं हो रहा।
सारी रात वार्ड के बाहर बैठे-बैठे उसने खुद को नुचवाया और होश में आते ही सार्थक मंजिल-मंजिल कर रहा था। उसे थोड़ा गुस्सा आया और फिर तरस। उसने बात बदलते हुए कहा।
आपके मम्मी-पापा का फोन आ रहा था बार-बार तो मैंने बोला है मेकअप की वजह से कुछ एलर्जी हुई है बाकी आप बिल्कुल ठीक है। आप बात कर लीजिये उनसे।
मैं घर जाकर बात कर लूँगा ।
फिर वही घर बोला न आपको की डॉक्टर ने 4 दिन हॉस्पिटल में रुकने को कहा है ।
मेरी बात करा दो डॉक्टर से ।
अच्छा तो अब डॉक्टर पर भी अपनी मर्जी चलाएंगे। अगर घर पर कोई दिक्कत हो गयी आपको तो दोबारा अपने कंधे पे उठा के नहीं लाऊंगा। पहले ही लगभग टूट सा गया है हाथ मेरा।
मर्जी नहीं यार मजबूरी है घर चलने की । डॉक्टर से बोल दो अपनी एक टीम भेज दे घर पे और हाँ कह देना उसमें कोई male स्टाफ न हो।
मेल स्टाफ न हो मतलब?
कल ही मुझे अहसास हुआ कि मिस मंजिल से प्यार करने के लिए बात करनी जरूरी नहीं है उन्हें देखना भर ही लोगों को दीवाना कर के रख देता है। पता नहीं क्यों आज तक तुम्हें उसको लेकर कुछ feel क्यों नहीं हुआ है ! ….. कि हुआ है शक्ति? सार्थक ने शक भरी निगाह शक्ति के चेहरे पर डाली।
मैं बात करके आता हूँ डॉक्टर से । शक्ति तुरंत सार्थक की नजरों से दूर हट गया।
आखिर किया सार्थक ने वही जो उसके मन में था । डॉक्टर के मना करने के बावजूद वो घर के लिए निकल ही पड़ा साथ में एक नर्स और शक्ति भी थें। बाहर मीडिया से किसी तरह बचा कर शक्ति ने सार्थक को कार में बिठाया क्योंकि सार्थक नहीं चाहता था कि उसके इस चेहरे के साथ कोई भी फोटो छपे। आगे 3 कारें और पीछे 2 , बीच में सार्थक की कार थी।
इश्क़ का अंजाम पार्ट-25
इश्क़ का अंजाम पार्ट-25
कल्पना ने सार्थक के कमरे का कोना-कोना एकदम साफ कर दिया था । एक चींटी भी कमरे में नहीं छोड़ी थी उसने । बिस्तर से लेकर दिवार तक हर एक चीज धुल कर , पोछ कर एकदम नयी जैसी कर दी थी और तो और कमरे का आधा सामान भी गायब कर दिया था ताकि सार्थक को कोई दिक्कत न हो।
आपने तो मेरे कमरे का नक्शा ही बदल दिया । सार्थक बिस्तर पर लेटते हुए बोला।
ज्यादा बात मत करिये मुँह को आराम दीजिए और दूसरे के कानों को भी। शक्ति ने उसे टोकते हुए कहा।
सबके आने का शोर सुनकर मंजिल भी धीरे-धीरे अपने कमरे से निकल कर सार्थक के कमरे में आयी। उसे सामने देखते ही सार्थक के कानों में एक आवाज गूंज गयी … तुम्हारी मंजू…! उसने अपनी नजर हटा कर हाथ में लगायी जा रही ड्रिप पर फोकस किया ।
ये चेहरे को क्या कर लिया तुमने हमसे गुस्सा कर गएँ थें तो हमी पर गुस्सा निकालते । मंजिल उसके बेड पर आकर खड़ी हो गयी।
तुमने भी अपना गुस्सा मुझ पर नहीं निकाला खुद ही को नुकसान् पहुंचाया फिर मैं क्यों…
मैं तो जरा भी गुस्सा नहीं थी तुमसे । मुझे तो एकदम से बुखार आ गया था ।
मुझे भी कोई गुस्सा नहीं है तुमसे बस एकदम से मेरे चेहरे में जलन हुई और मैं यहाँ ।
जलन से याद आया ये हुआ कैसे आपको ? कुछ खिलाया था इन्होने । शक्ति मंजिल की ओर इशारा करते हुए बीच में बोल पड़ा।
इसपर शक मत करो यार इसको पता है कि मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ किस चीज से होगी इसीलिए ये ऐसी छोटी मोटी हरकतें करके अपना टाइम नहीं बर्बाद करेगी। सार्थक ने मंजिल को मुस्कुराते हुए देखा।
मतलब ? मंजिल थोड़ी हैरान हुई।
आप क्या कह रहे है कि एलर्जी आपको कैसे हुई इनको नहीं पता है ? शक्ति फिर बीच में बोला।
नहीं।
तो आपको तो पता होगा ।
हाँ ।
तो बता क्यों नहीं रहें आप ?
धूल से ।
धूल से? लेकिन धूल आयी कहाँ से ।
मत जानो ।
क्यों नहीं जान सकते आखिर पता तो चले…
शक्ति बाप मत बनो मेरे प्लीज । सार्थक आँख बंद करके लेट गया।
नर्स को छोड़कर बाकी सब कमरे से बाहर निकल आएँ ।
इतनी ज्यादा धूल तो गाँव गलियों में ही होती है । कल्पना ने बाहर आते ही कहा।
हाँ सही कहा लेकिन वो गाँव गलियों में जाएंगे ही क्यों? शक्ति ने सवाल किया।
उन दोनो की बातें सुनकर मंजिल का मन उलझ गया था । भगवान वो जो सोच रही हो वो सच न हो । अपनी दोनों हाथो की उँगलियों का क्रॉस बनाकर मंजिल अपने कमरे में चली गयी।
अगले दिन तक सार्थक की हालत में काफी ज्यादा सुधार आ चुका था । इसीलिए उसने कमरे में खाना खाने के बजाय सबके साथ डाइनिंग रूम में अपना खाना लगवाया।
कल्पना आप अपना फोन देंगी हमें । सार्थक खाने से ज्यादा मंजिल की तरफ देख रहा था जो सर झुका के खाना खाने में बिजी थी। पता नहीं कैसे भूल गयी की किसी को फोन नंबर भी दे कर आयी है ।
मेरे फोन का क्या करेंगे आप? कल्पना हैरान हुई।
सर कोई काम है तो आप मेरा फोन यूज कर सकते है। शक्ति बोला।
नहीं , बस देखना है किसी का कोई नंबर तो नहीं आया।
हाँ आया था एक । मंजिल का सारा ध्यान कल्पना की बातों पर शिफ्ट हो गया।
किसका था ?
पता नहीं मैंने तो दो तीन बार Hello बोला उधर से कोई बोला wrong number बस।
बोला या बोली।
शायद लड़का ही था।
आवाज कैसी थी ? मंजिल ने घबराते हुए पूछा। इस बार सार्थक ही नहीं शक्ति भी उसे देखने लगा।
आप फोन लेकर आईये। खाना हम खुद ही निकाल के ले लेंगे।
कल्पना के फोन लाते ही मंजिल उठकर खड़ी हो गयी और उससे फोन मांगने लगी। सार्थक ने तुरंत फोन अपने हाथ में लेते हुए कहा – “तुम तो ऐसे परेशान हो रही हो जैसे तुम्हारे बॉयफ्रेंड का ही कॉल आया हो। “
मंजिल वापस से अपना दम साधे बैठ गयी।
शक्ति इस नंबर की डिटेल्स और लोकेशन निकलवा के भेजो मुझे , और थोड़ा सिक्योरिटी भी बढ़ावा दो घर के बाहर ।
Ok Is everything alright sir ? शक्ति मंजिल की ओर देखते हुए सार्थक से बोला। अब तक उसे समझ आ चुका था कि दाल में कुछ तो काला है ।
हाँ सब ठीक है यार । थोड़ा शादी वगैरह का सोच रहा हूँ तो इंतजाम तो देखना पड़ेगा न ।
शादी…? एक साथ तीनों हैरान हुए।
इस तरह परेशान न हो मिस मंजिल , chill करो क्योंकि दुल्हन तो तुम ही बनोगी ।
ये क्या मजाक है। मंजिल गुस्से में खड़ी हो गयी।
मजाक नहीं है हकीकत है ये। हमारी शादी आज से ठीक दस दिन बाद होगी समझी।
मुझे तुमसे कोई शादी नहीं करनी है ।
तो किससे करनी है?
मुझे किसी से भी कोई भी शादी नहीं करनी है प्लीज मत पड़ो मेरे पीछे।
ठीक है चलो तुम्हें शादी नहीं करनी मत करो मैं मान लेता हूँ तुम्हारी ये बात लेकिन फिर तुम्हें भी तो इंसानियत के नाते बदले में मेरी बात माननी चाहिए।
कौन सी बात माननी होगी मुझे ?
सोच लो , बाद में मुकर नहीं सकती हो ।
मैंने सोच लिया जिसमें मेरे शरीर को कोई तकलीफ न हो ऐसी सारी बात मानूंगी मैं तुम्हारी।
सार्थक समझ गया था की indirect मंजिल ने उसे दूर रहने को कहा है ।
ok deal done! तुम्हारे शरीर को मुझे तकलीफ देनी भी नहीं है। अब मैं तुम्हारी एक बात मान रहा हूँ और तुम मेरी एक बात मानोगी। सार्थक खाने की टेबल से उठ गया /

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