इश्क़ का अंजाम Part 7
हेलो दोस्तो कैसे है आप, मैं आशा करता हूं आप सब अच्छे होंगे। आपका हमारी अपनी वेबसाइट atozlove पर स्वागत है। दोस्तो आपने हमारी पिछली स्टोरी डायरी-a cute love story को बहुत ही प्यार दिया उसके लिए आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद। अब आप पढ़ रहे है हमारी दूसरी कहानी इश्क़ का अंजाम….. अभी तक आपने इश्क़ का अंजाम part 6 कि सार्थक इस घटना से सहम जाता और उसे हर समय मंजिल को खो देने का डर लगा रहता है…उधर मंजिल भी पिछले दो दिनों से बहुत सहमी सहमी सी रहती है अब आगे….
सार्थक के लिए मंजिल को देखे बिना अपना दिन गुजरना बहुत ही भारी सा लगता था उसने जैसे-तैसे वो दो-तीन दिन मंजिल की पिछली यादों और डेटिंग साइट्स और लव कोचेस से डेटिंग टिप्स देखते हुए गुजरे लेकिन इससे ज्यादा वो खुद को मंजिल के पास जाने से रोक ही नहीं पा रहा था ।
किसी भी काम को वो ठीक ढंग से कर ही नहीं पा रहा था , शूटिंग करते-करते डायलॉन्ग्स भूल जाता , कट बोलने के बाद भी बोलता ही जाता या एक्शन बोलने पर भी खोया ही रहता, पोज देते-देते कहीं दूसरी दुनिया में ही चला जाता । एक तो उसके इस अजीब से बेहेवियर ने उसपर से उसके हाथों में लगी चोट ने डायरेक्टर्स और को-एक्टर्स की परेशनी बढ़ा दी थी । शक्ति इन सब के लिए सबसे एक ही बहाना बना रहा था की पिछले कुछ दिनों से तबियत सही नहीं थी और अभी कुछ दिन और डॉक्टर्स की निगरानी में ही है लगता है पूरी तरह से ठीक होने में अभी कुछ और दिन लगेंगे ।
इन सब से बेपरवाह उसे मंजिल की ही फ़िक्र लगी रही कहीं अगर वो कुछ कर लेती तो ? या कुछ करने की ही सोच रही हो तो ? आगे से वो कभी भी मंजिल से सख्ती से नहीं पेश आएगा, उसे कभी बेवजह परेशान नहीं करेगा , उसकी हर बात मानेगा , उसे खुश रखेगा । उसके ऊपर सारे डेटिंग टिप्स को ट्राई करेगा ।
आज सार्थक ने खुद को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन चाह कर भी खुद को नहीं रोक पाया और आख़िरकार मंजिल के कमरे में दाखिल हो ही गया । उस वक्त मंजिल खिड़की की तरफ बैठ कर कोई किताब पढ़ रही थी। ऐसा नहीं है की उसे सार्थक के आने की आहट न मिली हो लेकिन वो जानबूझ कर उसे अनदेखा करना चाहती थी , उसे लग रहा था कि सार्थक उसे सिर्फ देखने आया है और देखकर चला जाएगा । लेकिन सार्थक ने ऐसा बिल्कुल नहीं किया ।
थोड़ी देर उसकी कुर्सी के पीछे खड़ा रहने के बाद उसने आहिस्ते से पूछा –
कैसी हो अब ? मंजिल उसके इस सवाल का पहले तो कोई जवाब ही नहीं देना चाहती थी दूसरे अगर उसे जवाब देना ही पड़े तो इतना तगड़ा देना चाहती थी कि वो बिल्कुल तिलमिला जाए।
“कैसी होगी अपने माँ-बाप से दूर बच्ची अपने किडनैपर के साथ ? ” लेकिन मंजिल ये सिर्फ अपने मन में ही कहकर रह गयी बोली कुछ नहीं ।
गुस्सा हो क्या अभी भी ? मंजिल को न बोलता देख उसने उसके आगे जाकर दोबारा से बात करने की कोशिश की।
मैं क्यों गुस्सा होउंगी तुमसे तुम भला लगते क्या हो मेरे ? मंजिल ने आग फेंकती नजरों को उठाकर सार्थक को जवाब तो दिया लेकिन उसके हाथ पर पट्टी देख उन्हीं आँखों में थोड़ी नरमी भी उतर आयी।
वही तो ! अभी तो मैं कुछ लगता ही नहीं न तुम्हारा तभी से तो मुझ से जानवरों जैसा सुलूक किया जा रहा है । कोई और टाइम होता तो न जाने मंजिल सार्थक को क्या-क्या न सुना डालती लेकिन इस वक्त तो उसके दिल में थोड़ी सी दया आ बैठी थी सार्थक के लिए । औरतें ऐसी ही होती हैं उनके दिल में अपने लिए करुणा उत्पन्न करना इतना बहुत आसान होता है लेकिन तभी तक ही सब तक आपने उनके स्वाभिमान को चोट न पहुँचाई हो , उनकी इज्जत को तमाशा न बनाया हो या उसके किसी सबसे खास को तकलीफ न दी हो ।
सार्थक ने अभी तक इनमें से कुछ नहीं किया था कौन जानता है सार्थक ये सब आगे करें ही लेकिन अभी तो नहीं किया है , तो भला मंजिल के दिल में उसके लिए दया क्यों न जगती।
हाथ में ज्यादा गहरी चोट हो गयी है क्या ? उसके लहज़े में नर्मी आ गयी थी।
सार्थक को लगा नहीं था की मंजिल उसकी चोट पर ध्यान भी देगी या उससे पूछेगी भी। मंजिल को अपनी फ़िक्र करता देख उसके दिल में खुशी का एक बुलबुला उठ गया जिसे उसने चेहरे पर नहीं आने दिया। उसे उम्मीद सी जगी की उसके इश्क का अंजाम सुहावना होने वाला है ।
उसने कहा – हाँ लगी तो काफी गहरी है इन्फेक्शन का खतरा भी है । सोचो मैं अच्छा खासा हीरो और मेरा एक हाथ ही काट देना पड़े तो ! ऐसी ज्यादा दिक्कत भी नहीं थी सार्थक को जितनी उसने मंजिल की सिम्पैथी पाने के लिए बताई थी ।
उसकी ये ट्रिक काम भी कर गयी । वैसे तो मंजिल का उससे कोई लेना-देना नहीं था लेकिन सार्थक कोई मामूली आदमी नहीं है वो एक सुपरस्टार है । उसके लिए उसकी कमाई का जरिया ही उसका शरीर है । लाखों लड़किया उसके इसी शरीर पर मरती है , इसी शरीर को मेन्टेन रखने के लिए वो साल के 365 दिन जिम में पसीना बहाता है । अगर उसी शरीर में कोई दिक्कत आ गयी वो भी मंजिल!उसकी वजह हो ? नहीं… नहीं …. मंजिल अंदर से डर सी गयी ।
ऐसे थोड़े हो सकता है तुम किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाओ न । इंडिया के सबसे बड़े डॉक्टर से इलाज करा रहा हूँ अब इससे ज्यादा क्या करूँ ?
अगर उनसे कुछ नहीं हो रहा हो… तो … तो ….तुम बाहर के किसी डॉक्टर को दिखाओ। हाँ अमेरिका में मेरे दूर के मामा है वो डॉक्टर है इन्ही सब चीजों के, बोलो तो मैं उनसे बात करूँ ।
मंजिल की आवाज में घबराहट थी और चेहरे पर भोलापन । जिसे देखकर सार्थक के दिल में अजीब सी हलचल मच गयी उसके मन में न जाने कैसे खयाल आने लगे। उसे लगा की उसने अभी खुद को न संभाला तो वो मंजिल को खींच कर सीने से ही लगा लेगा ।
नहीं यही ठीक हो जाऊंगा तुम परेशान न हो ।
नहीं मैं परेशान नहीं मैं क्यों परेशान होऊंगी तुम्हारे लिए । मैंने बस इंसानियत के नाते कहा फिर चोट भी मेरी ही वजह से लगी थी ।
मंजिल के ऐसा कहने से सार्थक के जज्बातों को धक्का तो लगा लेकिन फिर भी वो खुश था की आज मंजिल ने उससे आराम से बात की है थोड़ी देर ही सही । कोई दिन ऐसा भी आएगा जब वो मंजिल को अपनी बाहों में लेकर उससे सारी रात ऐसे ही आराम से बात करेगा । अब सार्थक जल्द से जल्द अपने इश्क़ का अंजाम मुकम्मल करना चाहता था ।
Wait for the next part of ‘इश्क़ का अंजाम ‘ story .
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मुझे आशा है कि आप सब को इश्क़ का अंजाम एक जुनूनी आशिक की लव स्टोरी पसंद आ रही होंगी। अगर आपके पास भी कोई ऐसी लव स्टोरी हो तो आप अपने इस परिवार के साथ शेयर कर सकते है आपकी प्राइवेसी का पूरा सम्मान किया जायेगा। आप अपनी कहानी हमें मेल कर सकते है…
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