इश्क़ का अंजाम पार्ट-18 love story in Hindi

                                 इश्क़ का अंजाम पार्ट-18 love story in Hindi 

अभी तक आपने इश्क़ का अंजाम पार्ट-17 में पढ़ा कि सार्थक मंजिल के भागने की नाकाम सी कोशिश से सार्थक को बहुत गुस्सा आ रहा था और वो उसे सबक सिखाने के इरादे से उसके साथ जबरदस्ती कर रहा था। लेकिन वैसा न कर पाने पर उसने मंजिल को उसे सर बुलाने और नौकर की तरह रहने की सजा दी । अब इश्क़ का अंजाम पार्ट-18  में आगे पढ़ें –

अगले दिन सार्थक बिल्कुल सुबह ही शूटिंग पर निकल गया। रात में इतनी देर जागने के बावजूद उसे जरा भी नींद नहीं महसूस हो रही थी । बस गुस्सा ही था मंजिल के लिए जो उसके अंदर से बाहर तक भरा हुआ था । उसे मालूम था कि सुबह उठते ही अगर उसे मंजिल दिख गयी तो उसका गुस्सा भड़क ही जाना है और उसके बाद पता नहीं वो क्या कर बैठे मंजिल के साथ । इसीलिए वो सुबह उठते ही शूटिंग पे निकल गया था।

मंजिल सारी रात आधी नींद में सोती रही और रोती रही । नींद में उसे बहुत बुरे-बुरे सपने आ रहे थें । सुबह जब वो पूरी तरह जगी तो उसका सर भारी और आँखें सूजी हुई थीं। वो जग तो गयी थी लेकिन उसे ऐसा लग यहा था कि वो अभी भी बुरे सपनों की दुनिया में ही भटक रही है , जहाँ सब बेगाने है और उसे बचाने वाला कोई नहीं ।

उसने एक बार लेटे-लेटे ही पूरे कमरे पर नजर डाली , उसे ऐसा लगा कि वो पहली बार आयी है इस कमरे में। इससे पहले न वो इस कमरे को जानती थी , न इस घर को और न ही उस शख्स को जो कल उससे जबरदस्ती कर रहा था । लेकिन आज जानती है वो इन सारी चीजों को ये कमरा उसके रहने का एकमात्र ठिकाना है , ये घर उसकी कैद है और वो आदमी कोई और नहीं उसका मालिक है और वो है सिर्फ एक नौकर ।

नौकर …… ! मंजिल ने खुद से ही कहा और मुस्कुरा दी लेकिन उसकी आँखे छलछला गयी थीं।

इश्क़ का अंजाम
                इश्क़ का अंजाम

 

मंजिल ने खुद को बिस्तर से लगभग धक्का देते हुए उठाया और बाथरूम की तरफ चल दी ।

कल्पना मंजिल के कमरे के बाहर बेचैन सी टहल रही थी। रोज तो उसका काम होता है मंजिल के लिए नाश्ता तैयार करना , उसे खिलाना उसका दिल बहलाना , खाने में उन दोनों के लिए कुछ अच्छा सा तैयार करना /

लेकिन जैसा कि कल रात सार्थक ने उसे हिदायत दी है और अभी सुबह जैसे समझा के गया है उसके बाद वो चाहकर भी मंजिल के लिए कुछ नहीं कर सकती थी। लेकिन उसके दिमाग़ में ये जरूर था कि मंजिल को किचन में ले जाकर खड़ा कर देगी और उसका आधे से ज्यादा काम खुद कर डालेगी इससे सार्थक को शक भी नहीं होगा और मंजिल थकेगी भी नहीं ।

मंजिल के किचन में जाने के पीछे कल्पना भी वहाँ गयी लेकिन मंजिल ने उसे काम कराने से मना कर दिया । अपने घर में वो पूरा काम करती ही थी घर की बड़ी बेटी होकर तो यहाँ करने में उसे क्या दिक्कत जब वो खरीद के लाई ही इस लिए गयी है । सार्थक का घाटा नहीं होना चाहिए उसकी वजह से अपने काम से पूरे पैसे तो अदा कर दे कम से कम ।

सार्थक अक्सर दोपहर में लंच के लिए घर आता था लेकिन आज कल्पना के बुलाने पर भी वो घर नहीं आया ।

मंजिल ने सुबह कल्पना के लिए नाश्ता तैयार करने के बाद पूरे घर की साफ-सफाई की और सार्थक के लिए लंच तैयार किया , लेकिन सार्थक के न आने पर सार्थक के लिए बनाया गया सारा खाना बर्बाद गया। कल्पना को मंजिल के लिए बहुत बुरा लग रहा था लेकिन वो सिवाय मंजिल के आगे-पीछे घूमने के कुछ और नहीं कर सकती थी। एक तो सार्थक की हिदायत दूसरे खुद मंजिल का जिद्दीपन। मंजिल इस घर की मालकिन होकर एक ही रात में नौकरानी बन गयी थी और कल्पना एक ही रात में नौकरानी से मालकिन ।

शाम को भी मंजिल को ही खाना बनाना था और उसने बनाया भी देर रात तक सार्थक का इंतजार भी किया कल्पना के साथ मिलकर लेकिन रात में भी सार्थक नही आया । मंजिल ने कल्पना को खाना परोस कर बाकी बचा खाना डस्टबिन में डाल दिया ।
कल्पना के समझाने,डांटने और जिद करने पर भी न मंजिल ने सुबह ही खाना खाया था और न रात ही को ही ।कल्पना ने भी कुछ भी सही से नहीं खाया था ।

रात को सार्थक ने कल्पना को अपने कमरे में जाकर सोने की हिदायत दी और मंजिल के लिए कहा वो उसके आने तक दरवाजे पर खड़ी होकर उसका इंतजार करें ।
कल्पना को सार्थक पर बहुत गुस्सा आ रहा था और मंजिल पर तरस लेकिन वो कर भी क्या सकती थी इसके सिवा। हो सकता है शायद इसी तरह ही मंजिल उसके सर को पसंद करने लगे । कल्पना 11 बजे ही अपने कमरे में चली गयी और एक बड़े से बंगले में वो अकेले सीढियों पर खड़ी रह गयी थी ।

12 बजे फिर 1 बजे लेकिन सार्थक नहीं आया मंजिल की आँखों में आँसू के साथ साथ नींद भी थी शायद ही कभी वो 12 बजे के बाद जगी हो ! लेकिन अब यहाँ कभी की बात हो ही नहीं सकती अब तो सबकुछ अभी में है और अभी की हकीकत ये है कि 2 बजने वाले है और वो अपने मालिक जो कल तक उसका आशिक था , का इंतजार कर रही है ।

इश्क़ का अंजाम
            इश्क़ का अंजाम

 

उसकी जरा सी आँख लगी ही थी कि सार्थक के जूतों की आवाज सुनाई दी वो तुरंत चौकन्नी होकर खड़ी हो गयी । सार्थक सीढ़िया चढ़ता हुआ आगे बढ़ गया बिना उसकी तरफ देखे वो भी पीछे-पीछे चल दी ।

सर पानी…!
ऊ… हाँ । सार्थक ने ग्लास ले लिया और पानी खिड़की के बाहर फेंक दिया और उसे ग्लास वापस करते हुए कहा ” थैंक्स…. कल सुबह का शेड्यूल है मेरा 5 बजे का मेरे लिए तब तक नाश्ता तैयार कर देना । अब तुम जा सकती हो और हाँ जाते वक्त लाइट बंद कर देना । सार्थक अपने कपड़े उतारने लगा था इसीलिए मंजिल जल्दी से लाइट बंद करके कमरे से निकल गयी ।

जैसा कि सार्थक ने कहा था कि उसे जल्दी निकलना है इसीलिए मंजिल मुश्किल से दो घंटे ही सो सकी थी और अलार्म बजते ही तुरंत किचन की तरफ भागी थी । ऐसा नहीं है कि उसे सार्थक से डर लगता था या उसने अपनी इस स्थिति को स्वीकार कर लिया था ।

बल्कि उसका मकसद सिर्फ उस बोझ को हलका करना था जो उसके खुद के बाप ने लाद दिया था उसपर । वो सार्थक का बताया घटिया से घटिया काम भी करने को तैयार कर चुकी थी खुद को बस उसके साथ सोने के अलावा । अपने शरीर की पवित्रता को वो सार्थक के हाथों गन्दा नहीं होने देना चाहती थी फिर जिस चीज पर किसी और का हक़ हो उसे वो सार्थक को क्यों सौपें !

इतनी सुबह-सुबह किचन में खट-पट की आवाज आने से कल्पना की नींद टूट चुकी थी जब वो किचन में आयी तब उसे मंजिल से पता चला की सार्थक को जल्दी शूट के लिए निकलना है ।

कल्पना ने मदद करने की कोशिश की लेकिन मंजिल की जिद और गुस्से से हारकर एक साइड खड़ी हो गयी ।
5 बजे की बात कहकर सार्थक 9 बजे कमरे के बाहर निकला , मंजिल इतनी देर में गुस्से का घूंट पी कर जब्त खड़ी थी । उसके आते ही अपने गुस्से को काबू करते हुए नाश्ता टेबल पर लगाने लगी तो सार्थक ने उसे तुरंत रोक दिया ।

मैं रखा हुआ नाश्ता नहीं करता मेरे लिए दूसरा बनाकर लाओ। मंजिल के हाथ वहीं के वहीं रुक गएँ उसके जी में आया की पूरा का पूरा कटोरा वो सार्थक के सर पर पलट दे , कॉफी से उसको नहला दे , टोस्ट उसके मुँह में ठूस दें, सॉस उसकी आँखों में भर दे और पराठा उसके …. खैर छोड़ो ! मंजिल चुपचाप किचन में वापस चली गयी ।

साहब आप ये क्या कर रहें हैं , हो गयी एक बार गलती मेमसाहब से अब जाने दीजिये। कल से सबकुछ चुपचाप देख रही कल्पना को आज बोलना ही पड़ा ।
जाने ही तो नहीं दे सकता । उसने मेरी फीलिंग्स को हर्ट किया है ,मजाक बनाया है मेरा , धोखा दिया है मुझे , खेला है मेरे साथ।
पर हैं तो अभी नादान ही और उनकी इस नादानी के लिए इतनी बड़ी सजा देना …..

मैने जो सोच के रखा था उसके मुकाबले ये सजा तुम्हारी मेमसाहब के लिए बहुत आसान है ।
मुझे तो कहीं से भी सही नहीं लगता कि आप उन्हें इस तरह परेशान करें इससे अच्छा तो आप उन्हें वहीं सजा दे दें जो सोची है ।
तो क्या आप भी चाहतीं हैं कि मैं उसका रेप करूँ?

इश्क़ का अंजाम
                इश्क़ का अंजाम

 

क्या…??? हे देवा …! कल्पना ने अपने हाथों से दोनों कानों को बंद कर लिया , उसकी आँखें फैल गयी थीं और मुँह खुला ही रह गया था ।
मंजिल टेबल पर दूसरी बार नाश्ता ला चुकी थी । उसके चेहरे पर थकान से ज्यादा गुस्सा नजर आ रहा था । कल्पना साड़ी के पल्लू को मुँह पर रखे वहाँ से चली गयी । उसे यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि ये उसके वही सर हैं जो किसी महिला के खड़े होने पर खुद भी नहीं बैठते चाहे वो कितनी मामूली औरत ही क्यों न हो ।

मुझे लेट हो रहा है । कहकर सार्थक बिना नाश्ता किये ही चला गया । मंजिल गुस्से से फटते अपने सर को दोनों हाथों से दबा कर कुर्सी पर बैठ गयी ।
थोड़ी देर बाद उठी और टेबल पर रखे नाश्ते को पूरी टेबल पर फैला दिया ऑमलेट को नोंच-नोंच कर इधर-उधर फर्श पर फेंक दिया और कॉफी का कप भी पटक के तोड़ दिया । शोर सुनकर जबतक कल्पना दौड़ते हुए आयी तब तक मंजिल पूरी तबाही मचा चुकी थी ।

कल्पना ने पीछे से उसे संभालने के लिए कंधे पर हाथ रखा तो मंजिल ने उसे तेजी से झटक दिया ।

मग से एक ग्लास पानी पीने के साथ-साथ मंजिल ने अपना गुस्सा भी पिया और आँसू भी । उसके बाद वो अपनी मचा चुकी तबाही को समेटने लगी । काश वो ऐसा अपनी जिंदगी के साथ भी कर सकती तो सबसे पहले अपनी जिंदगी का वो हिस्सा साफ करती जब सार्थक ने उसे पहली बार देखा था और दूसरा हिस्सा वो साफ करती जब उसके बाप ने उसे किसी बेकार सामान की तरह बेच दिया था ।

“जो चीज दिल से न हासिल कर सका वो दौलत से कर ली सच ही है दौलत ही सबकुछ है आजकल……” खाने के एक-एक टुकड़े को समेटते हुए मंजिल बड़बड़ाती जा रही थी ।

                                                       To be continued…….
                                        Please wait for इश्क़ का अंजाम पार्ट-19
                                                    Thanks for Reading 🙏🙏

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