इश्क़ का अंजाम Part 12 love story in hindi
इश्क़ का अंजाम , कहानी के पिछले भाग में अपने पढ़ा कि मंजिल शक्ति की बातों से प्रभावित होकर सार्थक के साथ कुछ भी ऐसा नहीं करती जिससे उसे इस वक्त बुरा लगे या उसका कुछ नुकसान हो। वो सार्थक के ठीक होने तक उससे प्यार से ही पेश आने का सोचती है इसीलिए वो सार्थक की किसी भी बात पर चाहे जितना गुस्सा आएं उसे जहर के घूंट की तरह पी गयी । पर उसकी इस खामोशी को सार्थक अपने लिए पनप रहा प्यार समझ लेता है और खुशी में डूब कर उसके साथ अपनी मैरिड लाइफ इमेजिन करने लगता है । अब आगे –
सार्थक मंजिल को अपनी चोट का मरहम बनाना चाहता था, मंजिल उसकी चोट के लिए खुद को दर्द बनाना चाहती थी। इस परिदृश्य से दूर खड़े कल्पना और शक्ति सिर्फ दोनों का भला चाहते थें। दोंनों को मालूम था कि सार्थक ने मंजिल को उठा कर गलत किया है और मंजिल ने बार-बार उसे नकार कर गलत किया है । लेकिन कर दोनों ही कुछ नहीं सकते थें एक तरह से बेचारे ईमानदारी, दोस्ती और नौकरी तीनों ने ही उन दोनों का मुँह बंद रखा था ।
कल्पना ने सार्थक के माँ-बाप से कुछ नहीं बताया मंजिल के बारे में और शक्ति ने पुलिस या किसी और को कुछ नहीं बताया। जहाँ कल्पना को सार्थक से ज्यादा हमदर्दी थी वहीं शक्ति को मंजिल से ज्यादा लगाव महसूस हो रहा था ।
सार्थक ने मंजिल से जैसी बातें की थी उन बातों से उसके अंदर गुस्से का अलाव सा उबल रहा था लेकिन वो अपना गुस्सा सिर्फ इसलिए दबाए थी कि एक बार सार्थक सही से अपने पैरों पर खड़ा तो हो जाए। फिर उसे एक बार बहुत प्यार से समझाने की कोशिश करेगी तब मान गया तो ठीक वरना वो आर-पार कर देगी सारी बात या तो अपने घर जाकर ही रहेगी या सार्थक को ही कहीं का नही छोड़ेगी।
यही सब मंसूबे बनाते हुए वो अगले दो दिन भी सार्थक के कमरे में उसका हाल चाल जानने के लिए गयी , नर्म लहज़े में उससे बात भी की और दो बार उसे दवाई भी खिलाई । लेकिन इतना जरूर है एक मिनट भी वो वहाँ अकेली नहीं गयी । कल्पना के पीछे-पीछे ही जाती और उसी के साथ वापस आ जाती । अगर कल्पना किसी काम का बहाना बनाकर जाने की कोशिश भी करती तो मंजिल उसे बिठा कर खुद वो काम करने चली जाती थी इसी चक्कर में इन दो दिनों में उसने दो बार मंजिल के हाथ की कॉफी पी थी ।
सार्थक ने जितना सोचा था उतना तो मंजिल ने नहीं किया लेकिन जितना भी उसके साथ किया वो उसी के साथ संतुष्ट हो गया था । पहले उसने मन बनाया था कि वो दो-तीन दिन में ही शूटिंग पर लौट जायेगा लेकिन अब उसका मन इसके लिए तैयार नहीं था । शूटिंग से फोन आते रहते , शुभचिंतकों के फोन आते रहते लेकिन वो ऐसे पड़ा रहता कि उसे कुछ खास फर्क ही नहीं पड़ता ।
उसकी रिलीज होने वाली फिल्म के प्रमोशन के लिए जरूर उसने प्रेस कॉन्फ्रेंस अटेंड करने का मन बनाया था जोकि जरूरी भी था। इसके लिए उसे मंजिल को ये दिखाना पड़ा कि वो चोट से कवर हो रहा है ताकि उसे ये न लगे कि जो आदमी बिस्तर पर सहारा लिए पड़ा रहता है वो कुर्सी पर एक दो घंटे कैसे बैठ सकता है ?
ये बीमार होने की एक्टिंग अब तक के उसके करियर में सबसे मुश्किल एक्टिंग थी जिसे उसे पूरी ईमानदारी से निभाना था।
चौथे दिन बिस्तर पर आराम से बैठे हुए वो अपनी चाय का इंतजार कर रहा था क्योंकि जब कल्पना चाय लेकर आती है तब उसके पीछे-पीछे मंजिल भी आती है तो एक हिसाब से देखा जाएँ तो वो सिर्फ मंजिल का ही इंतजार कर रहा था । उसकी चाय तो आज आ गयी लेकिन मंजिल नहीं |
मंजिल नहीं आयी ?
पता नहीं रोज तो रसोई में ही आ जाती थीं, आज शायद उनकी नींद ही न खुली हो।
अच्छा ।
आपने आज पैर पर पट्टी नहीं की है क्या अभी तक ? कल्पना ने चाय टेबल पर रखते हुए पूछा।
क्यों क्या चादर से मेरे पैर साफ नजर आ रहें हैं ? सार्थक ने घबराते हुए पूछा।
नहीं आज आपने पैर चादर के अंदर कर रखे है न , रोज बाहर रखते थें।
हाँ वो तो इसलिए की मंजिल बस थोड़ी देर के लिए ही कमरे में आती और उसके लिए क्या पट्टी करना अभी प्रमोशन के लिए जाना है उसके लिए सर की पट्टी ही काफी है। शाम को आऊँगा कर लूँगा आराम से। सार्थक ने चादर से बाहर पैर निकालते हुए कहा।
कल्पना के जाने के बाद सार्थक ने चाय उठा ली लेकिन पीने का मन नहीं हो पाया । उसका दिल कह रहा था कि बस एक बार जाके सोती हुई मंजिल का चेहरा देख आए और अपने इस शुभ दिन की शुरुआत करें । उसे मालूम तक नहीं था कि ये शुभ दिन उसके लिए कितना अशुभ होने वाला है ।
सार्थक ने सोचा था कि दरवाजे के होल से वो मंजिल को देख कर वापस चला आएगा। लेकिन उसने जो देखा वो काफी डर गया उसने तुरंत सोचा की वो अभी उसके पास जाकर देखे कि क्या हुआ है लेकिन ये सोच कर रुक गया कि उसके जाने से कहीं वो और गुस्सा न करने लगे जिससे उसकी तबियत और खराब न हो जाए उसपर से वो अपनी कोई भी बात सार्थक को बताना बिल्कुल पसंद नहीं करती।
सार्थक के बुलाने पर कल्पना तुरंत आयी।
अंदर जाकर देखिये न मंजिल को क्या हो गया है वो रो रही है इधर- उधर करवट बदलती है फिर हाथ-पाँव इधर-उधर. ….. सार्थक जल्दी- जल्दी बोल रहा था उसके चेहरे से गिरती पसीनें की बूंदें बता रहीं थीं कि वो कितना परेशान और डरा हुआ है।
आप परेशान न हो मैं देखती हूँ ।
कल्पना ने फर्श पर फेकी पिलो को उठाकर मंजिल के सर के नीचे रखा और उसके पैर सीधे करने लगी। लेकिन मंजिल ने अगली ही करवट में फिर से तकिया को नीचे फेंक दिया और कराहने लगी। पसीने के कारण मंजिल के बाल उसके चेहरे पर चिपक गएँ थें वो बार-बार अपने हाथ पेट पर या बालों में ले जा रही थी।
क्या दिक्कत हो गयी आपको। कल्पना ने उसके चेहरे से बाल हटाकर साड़ी से उसका मुँह साफ करते हुए पूछा। मंजिल ने तुरंत अपना सर कल्पना के गोद में रखते हुए कहा – मुझे पापा के पास जाना है ….. पापा ! उसके थोड़ी ही देर बाद उसने तुरंत उसकी गोद से सर हटा कर अपने घुटनों में छुपा लिया।
सार्थक बाहर से खड़ा ये सब देख कर कांप रहा था।
शायद आपको पीरियड …….
आह….! पापा के पास भेज दो दी । मंजिल ने रोते हुए कहा।
रुको मैं अभी रसोई से पाँच मिनट में आती हूँ । कल्पना उठी ही थी की मंजिल ने उसका हाथ पकड़ लिया । ये देख सार्थक बिना कुछ सोचे अंदर चला आया।
किचन में क्या काम है आप मुझे बताइये ।
आपको काम ….?
तो क्या मैं यहाँ रहूँ ?
नहीं ! एक कराह के साथ मंजिल चीखी।
आप पानी गर्म करके ला देंगे बस बाकी मैं देख लूँगी ।
सार्थक बहुत तेजी से कमरे के बाहर निकला । उसके आने और उसके जाने की तेजी देख मंजिल समझ गयी कि और चाहे कुछ भी हो लेकिन सार्थक के पैर में चोट नहीं हो सकती है। लेकिन अभी वो खुद को देखे या सार्थक को ।
कल्पना ने फिर से उसे सीधा लिटाया और उसके बालों का जूड़ा बना दिया उसके बाद मंजिल के पैरों की मालिश करने लगी। गर्म पानी आने के बाद कल्पना ने मंजिल के पेट की सिकाई की फिर भी उससे खास फायदा न होते देख कल्पना ने सार्थक को डॉक्टर बुलाने के लिए कह ही दिया क्योंकि सार्थक बड़ी देर से डॉक्टर- डॉक्टर की ही रट लगाए था ।
आप लोगों की लापरवाही , स्ट्रेस और कमजोरी की वजह से इन्हें इतना ज्यादा दर्द हो रहा है । पिछली बार भी कह कर गया था कि अच्छे से ध्यान रखिए लेकिन आप बिजी लोग…… मैंने इंजेक्शन लगा दिया है दर्द से आराम हो जाएगी थोड़ी देर में । बाकी इन्हें किसी अच्छे स्त्री रोग विषेशज्ञ की जरूरत है मेरी नहीं। इनकी दिक्कत काफी पुरानी लग रही है इसीलिए जितना जल्दी किसी अच्छे से डॉक्टर से मिले उतना ही बढ़िया।
Thanks for reading.
Wait for the next part of इश्क़ का अंजाम story .
इश्क़ का अंजाम एक जुनूनी आशिक की लव स्टोरी
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इश्क़ का अंजाम all parts
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