इश्क़ का अंजाम Part 16 love story in hindi
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अब आप पढ़ रहे है हमारी दूसरी कहानी इश्क़ का अंजाम….. अभी तक आपने इश्क़ का अंजाम part-15 में आपने पढ़ा कि मंजिल बालकनी से साड़ियों सहारे नीचे उतर जाती और सार्थक के घर से भाग जाती है अब आगे…..
कल्पना भागती हुई सार्थक के पास पहुंची ।
साहेब….!
क्या हुआ आप इतना घबरायी हुई क्यों है ? सार्थक मंजिल के लिए सलाद कट कर रहा था ।
वो मेमसाहब नहीं है कमरे में!
नहीं है का क्या मतलब , अभी तो मैं उसे लिटा कर आया था ।
वो भाग गयी हैं ।
क्या बकवास है ये हटिये आप मैं खुद जाकर देखता हूँ ।
सार्थक जब बालकनी में पहुँचा तो उनकी नजर उस पीली साड़ी पर गयी जिसे अभी मंजिल पहने हुई थी। रेलिंग के सहारे बंधी साड़ी के साथ एक एक करके पाँच साड़िया बंधी हुई थी। इनकी मदद से फर्स्ट फ्लोर तक आसानी से पहुँचा जा सकता था ।
ये साड़िया उसे आपने दी थीं । सार्थक कल्पना की तरफ पलटा।
हाँ लेकिन उन्होंने सिर्फ पहनने के लिए बोला था मुझे नहीं मालूम था कि उनके मन में क्या चल रहा है । अम्मा कसम साहेब मैंने उनके भागने में कोई मदद नहीं की आप ही बताइये मैं ऐसा कैसे………
आप क्यों डर रहीं हैं मुझे मालूम है उसने उसी तरह आपका यूज किया है जैसे मेरा ये बालकनी खोलने के लिए किया था । हम दोनों ही बेवकूफ थें जो उनकी बातों में आ गएँ।
तो अब क्या होगा साहेब , अगर वो पुलिस के पास पहुँच गयी तो।
आप डरिये मत सुबह से पहले वो यहाँ इसी कमरे में मेरे साथ होगी और अबकी बार भागने के खयाल से ही उसकी रूह कापेगी । उसने बहुत बुरा किया अपने साथ , वो गुस्सा जो आज तक उसे दिखाया नहीं वही उसने मुझे दिखाने पर मजबूर किया है । उसे लगता है कि वो मेरे घर से भाग गयी तो मुझसे आजाद हो गयी , उसे नहीं मालूम कि पूरा मुंबई मेरा ही घर है और अभी भी वो अपनी ससुराल में ही है ।
सार्थक ने अपना फोन निकाल कर सबसे पहले बात की , उसके बाद अपनी 3 गाड़ियों का काफिला लेकर निकल पड़ा।
सार्थक जानता था कि इतनी रात में मंजिल ज्यादा दूर कहीं जा ही नहीं सकती , इसीलिए उसने अपनी सिक्योरिटी और शक्ति को अपने घर की आसपास की सड़को को कवर करने के लिए कहा था ।
मुंबई की सड़को की जगमग रौशनी के बीच दौड़ रहे ट्रैफिक में मंजिल को ढूंढना एक मुश्किल काम था लेकिन सार्थक को खुद पर भरोसा था कि जल्द से जल्द वो मंजिल को ढूढ़ ही निकलेगा। उसने तो ये भी सोच लिया था कि मंजिल के मिलने के बाद वो उसके साथ क्या-क्या करेगा ।
सार्थक का फोन ऑन था अभी तक न तो शक्ति को और न ही उसके सिक्योरिटी गॉर्ड्स को ही मंजिल नजर आयी थी। खुद वो भी चारों तरफ नजर दौड़ा रहा था लेकिन नीली-पीली रोशनी और नशे में झूम रहे युवक-युवतियों के कुछ और नहीं दिख रहा था उसे ।
सार्थक डर रहा था अंदर से कि कहीं मंजिल गलत हाथों में न पड़ गयी हो , जरा भी तो समझ नहीं है उसमें इंसानों की । अपने इस डर को वो बार-बार सिगरेट के धुएँ में उड़ा रहा था ।
इतनी देर में सार्थक समझ चुका था कि अगर वो पैदल भागी होती तो इन सड़को पर कहीं न कहीं जरूर दिख जाती, जरूर उसने कोई ऑटो या टैक्सी ली है।
शक्ति मैं चौराहे के बीच में गाड़ी रोक कर अपना फेस अनकवर करने जा रहा हूँ, इससे लोग मुझे देखेंगे ऑटोग्राफ और सेल्फी लेने के लिए रुकेंगे तो ट्रैफिक लग जायेगा तब तुम लोग जितने भी ऑटो या टैक्सी नजर आएं उन्हें चेक करोगे ।
सर ये सेफ नहीं हैं आपके पास पूरी सिक्योरिटी भी मौजूद नहीं हैं भीड़ बेकाबू हो सकती है प्लीज सर। हम 12 लोग मौजूद है सड़को पर और आपके पास सिर्फ दो गॉर्ड्स बचे है । अगर ऐसे में हम उन्हें ढूंढ भी लेंगे तो फिर आपको वहाँ से निकालने में दिक्कत हो जाएगी इसीलिए समझने की कोशिश कीजिये सर।
मैने जिस दिन से उस लड़की से प्यार किया है कुछ भी सोचने समझने की ताकत खो दी है। तुम पास की किसी भी पुलिस चौकी की मदद मेरे पास भेजो । मैं कार के बोनट पर चढ़ने जा रहा हूँ । अगर कुछ सजा भी होगी तो सिर्फ शांतिभंग का चलान ही काट सकते हैं मेरा।
बीचोंबीच सडक पर अपने बीच पसंदीदा सुपरस्टार को पाकर क्रेजी फैंस सार्थक को घेरने लगे । ट्रैफिक पुलिस सार्थक को गाड़ी ले जाने के लिए कहने आयी थी लेकिन उसके लिए सार्थक के चारो तरफ मौजूद भीड़ को हटाना जरूरी था इसीलिए ट्रैफिक पुलिस और सार्थक के बॉडीगार्ड भीड़ को उनसे दूर करने की कोशिश कर रहें थें।
उधर ट्रैफिक रुकने के बाद शक्ति और सार्थक के बाकी आदमी एक एक ऑटो- टैक्सी को चेक कर रहें थें। इन्हीं बीच शक्ति की नजर एक ऑटो पर गयी जिसका ड्राइवर एक लड़की से पैसे के लिए बहस कर रहा था तो उसने उसके हाथ में कुछ चमकता हुआ पकड़ाया और गाड़ियों को चीरते हुए सडक के साइड में जाने लगी। शक्ति ने सार्थक को कॉल किया और गाड़ियों के बीच दौड़ते हुए उस ऑटो वाले के पास पहुंचा ।
दिखा क्या दिया उसने । उसने ऑटो के अंदर घुसते हुए ड्राइवर से कहा।
कुछ नहीं साहब ।
देता है कि यही पर मारू तुझे ।
लीजिये साहब , मैने तो उनसे पैसे मांगे थे उन्होंने ये पकड़ा दी। उसने एक घड़ी शक्ति के हाथों में दी जोकि सार्थक की थी। पक्का ये वहीं हैं उसने ब्लूटूथ में बोला , उसके बाद शक्ति ने ड्राइवर को 300 रुपये दिये और वहाँ से कार की तरफ चल दिया।
ट्रैफिक चलते ही शक्ति की गाडी हाइवे से कच्ची सडक की तरफ मुड़ गयी जिधऱ मंजिल भागी थी ।
इससे पहले मंजिल दूसरे हाइवे तक पहुँचती सामने से अचानक एक कार रूकती है उसमें शक्ति बैठा था।
ओह सिट! मंजिल दूसरी तरफ मुड़ने भागती इससे पहले उधर भी एक कार रुकी , फिर तीसरी और चौथी तरफ भी वो गाड़ियों से घिर गयी ।
पांचवी गाड़ी जो रुकी वो किसी और की नहीं सार्थक की थी। दो हाइवे के बीच के समतल में रात के एक बजे एक लड़की 15 लड़को से घिरी खड़ी थी। मंजिल की सफ़ेद ड्रेस धूल की वजह से भूरी हो चुकी थी। सार्थक के कार से उतरते ही बाकी लोग भी मंजिल को घेर कर खड़े हो गये।
क्या कहा था कि मुझे गुस्सा मत दिलाना वही सबसे खराब चीज है मेरी । सार्थक को करीब आता देख मंजिल परेशानी से चारों तरफ देख रही थी लेकिन उसे कही से मदद की उम्मीद नहीं थी।
सार्थक प्लीज मुझे जाने दो , मैं हाथ जोड़ती हूँ तुम्हारे। मंजिल की आँखों में आंसू और चेहरे पर बेबसी साफ झलक रही थी।
तुम्हें क्या लगता है अभी जो तुम मेरे इमोशन्स के साथ मेरे प्यार और विश्वास के साथ खेल के आयी हो उसके बदले में तुम्हें छोड़ा जा सकता है ?
सार्थक के करीब पहुंचते ही मंजिल ने उसे धक्का दे दिया – दूर रहो मुझसे , नहीं पसंद मुझे तुम्हारा छूना । मंजिल ने गुस्से में कहा।
लेकिन मुझे तो पसंद है और जो चीज मुझे पसंद होती है वो मैं करता जरूर हूँ । सार्थक ने मंजिल का हाथ पकड़ लिया और जैसे ही उसे अपनी तरफ खींचने की कोशिश की ती वो घुटनो पर बैठ कर रोने लगी।
सार्थक जाने दो मुझे तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ पैर पड़ती हूँ तुम्हारे जाने दो मुझे । आखिर मेरे पीछे पड़ कर मिल क्या जायेगा तुम्हें । इतनी बड़ी-बड़ी हीरोइन मरती है तुम पर फिर तुम मेरे ही पीछे क्यों ……. मैं तो पसंद भी नहीं करती तुम्हें । मंजिल फफक
रही थी ।
तभी तो तुम्हें अपने साथ रखना पड़ रहा है ताकि तुम मुझे पसंद भी कर लो और प्यार भी कर लो । सार्थक ने उसके दोनों कंधो को पकड़ कर उठाते हुए कहा । मंजिल समझ चुकी थी कि सार्थक उसे किसी भी कीमत पर जाने नहीं देगा इसीलिए दया की उम्मीद रखना बेकार है। उसने एक आखिरी बार खुद को बचाने के लिए सार्थक के हाथों को झटका दिया और पीछे मुड़कर एक सिक्योरिटी गॉर्ड की कमर से पिस्टल निकाल कर सार्थक की तरफ तान दी। ये सब कुछ सेकंड के अंदर ही हो गया था इसीलिए किसी को सम्भलने का मौका ही नही मिला था ।
तुम मुझ पर गोली चलाओगी ! सार्थक हँसा और मंजिल की तरफ बढ़ा। नहीं तुम पर नहीं खुद पर तो चला ही सकती हूँ । मंजिल ने पिस्तौल अपनी तरफ कर दी । शक्ति के साथ साथ बाकी के लोग भी डर गये। सार्थक को भी वही घटना याद आ गयी जब मंजिल ने खुद को चाकू मारने की कोशिश की थी ।
ओके मार लो । सार्थक ने एक हुए सिगरेट सुलगाते हुए कहा।
तुम्हें क्या लगता है कि मैं ये नहीं कर सकती हूँ । मंजिल की उँगलिया ट्रिगर पर कस रही थीं ।
कर सकती हो तो कर लो मैं अपने 20 करोड़ तुम्हारे पिता जी से वसूल लूँगा । सार्थक मंजिल के सामने खड़ा हो गया।
20 करोड़ ?
हाँ तुम्हें बेचने की एवज में उन्होंने 20 करोड़ मांगे थे और मैंने दिए थें।
क्या कहा तुमने ? मंजिल के हाथ से गन गिर गयी।
तुम्हारे पिता ने तुम्हें 20 करोड़ में मुझे बेचा ……
सार्थक की बात पूरी होती इससे पहले ही मंजिल ने भरपूर थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया। शक्ति और बाकी सिक्योरिटी अपना मुँह दूसरी तरफ करके खड़े हो गएँ।
सार्थक ने उसके दोनों हाथ पीछे करते हुए उसे कार के बोनट पर तेजी से सटा दिया और खुद उसके ऊपर झुकते हुए बोला –
सुनो मेरी जान , अब तुम्हें जितना तमाशा करना है घर पर करना ,यहाँ पर मूड नहीं हैं मेरा तुम्हारे साथ कुछ भी करने का। सार्थक ने उसे घसीटते हुए अपनी कार में डाला।
उसकी कार के साथ बाकी गाड़ियां भी स्टार्ट हो गयीं ।
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Wait for next part of इश्क़ का अंजाम story.
मुझे आशा है कि आप सब को इश्क़ का अंजाम एक जुनूनी आशिक की लव स्टोरी पसंद आ रही होंगी। अगर आपके पास भी कोई ऐसी लव स्टोरी हो तो आप अपने इस परिवार के साथ शेयर कर सकते है आपकी प्राइवेसी का पूरा सम्मान किया जायेगा। आप अपनी कहानी हमें मेल कर सकते है…
इश्क़ का अंजाम एक जुनूनी आशिक की लव स्टोरी
इश्क़ का अंजाम all parts
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