इश्क़ का अंजाम part- 23 Love story in Hindi
सर उठिए. ..! सार्थक को ऐसा लग रहा था कि कोई उसके कंधे को बार-बार हिला रहा है लेकिन एक तो थकान और दूसरा उसका खूबसूरत सा सपना । जो सार्थक को नींद से बाहर आने ही नहीं दे रहें थें।
सर सुबह हो गयी है । फिर से किसी ने उसे झकझोरा । इस बार सार्थक की नींद हलकी हो गयी थी।
सर उठ जाइये वरना मैम ने आपको ऐसे देख लिया तो पता नहीं क्या ही कर लें ।
उन्ह…! सार्थक ने धीरे से अपनी आँखें खोली तो पाया की वो मंजिल के कमरे में ही सो गया था। उसका एक हाथ मंजिल के हाथ को थामे था और उसी पर अपना सर रखे हुए वो सो गया था ।
उसने आँखें खोलते ही सबसे पहले मंजिल का चेहरा देखा । उसके मासूम से चेहरे उलझें बिखरे बाल पड़े थें । चेहरे पर कोई भाव नहीं पूरी तरह शांति से भरा हुआ चेहरा लग रहा था उसका।
सार्थक के चेहरे पर मुस्कान आ गयी । उसने अपना सर उठाया और अपने एक हाथ से उसके चेहरे के बालों को कान के पीछे कर दिया ।
बहुत गलत किया आपने जगाकर । उसने मंजिल के हाथ को चूम कर वापस से बिस्तर पर रख दिया।
अब चलिए , क्या फायदा यहाँ खड़े रहने का । सार्थक कमरे के बाहर निकलने लगा पीछे पीछे कल्पना भी निकल आयी।
आप नाराज हो गये क्या ? मुझे लगा मैम फिर से न आपको कुछ मार दे।
मार दो देती वो लेकिन जिस तरफ का लम्हा मैं जी रहा था उसके लिए थोड़ी बहुत मारपीट भी झेल ही सकता था। लेकिन चलो अब कोई नहीं कभी आगे मौका मिलेगा ।
सार्थक नाश्ता करते हुए बार-बार Blush कर रहा था । ऐसा क्या चल रहा था उसके दिमाग़ में जो उसके चेहरे को गुलाबी बनाये जा रहा था ? यहीं जानने की कोशिश कल्पना ने कि –
सर, खुशियां बाँटने से बढ़ती ही है अगर आप भी अपनी थोड़ी सी खुशी मेरे साथ बाँटना चाहे तो…
अरे मैं तो बस कुछ सोच रहा था बाकी खुशी वगैरह की बात नहीं है।
अच्छा नहीं बताने का मन तो मत बताइएं । कल्पना ने एक कटोरे में दलिया निकाल कर सजाने के बाद सार्थक के आगे रख दी।
वैसे क्या सच में सुबह के सपने सच होते है ?
मेरी आई तो कहती थीं कि सच होते है बाकी अच्छे से तो वही बता सकता है जिसके सुबह के सपने सच हुए हो ।
आपके कभी सुबह वाले सपने सच नहीं हुए ।
मैंने कभी देखें ही नहीं सुबह में । बस एक बार देखा था पता नहीं या रात में कि मेरे घर परी आ रही है। उसके अगले ही दिन बिटिया हुई थी मुझे ।
मतलब सच होते है।
राम जाने ! पर आपने ऐसा क्या सपना देख लिया जो सच करना चाहते है।
मैंने देखा कि मैं और मंजिल दोनों एक बड़े से थिएटर में Horror movie देख रहें होते है । पूरे थिएटर में मुश्किल से 15 लोगों के अलावा कोई नहीं था । वो काफी डर रही थी लेकिन चेहरे पर नहीं आने दे रही थी । लेकिन ज्यादा देर वो अपने डर को छुपा न सकी और उछल कर मेरी बाहों में समा गयी । मैंने भी उसे कसके अपने सीने से लगा लिया और उसके बाद फिर….. सार्थक बोलते-बोलते रुक गया ।
उसके बाद फिर..? कल्पना ने उत्सुकता से पूछा।
उसके बाद फिर क्या आपने आकर जगा दिया । सार्थक ने मुँह बनाते हुए कहा ।
झूठ बोल रहें है आप उसके बाद जो हुआ आप वो बताना नहीं चाह रहें है या फिर बताने में शर्म आ रही है आपको लेकिन कोई बात नहीं । कल्पना टेबल से बर्तन समेटने लगी।
सार्थक ने उसकी बात का कोई जवाब तो नहीं दिया लेकिन मुँह साफ करने के बहाने रुमाल को मुँह पर रख के वहाँ से हट गया।
सार्थक अपने सपने को लेकर काफी उत्साहित था उसका दिल हो रहा था कि वो रास्ते में हर आने-जाने वाले को बता दे कि आज उसने अपनी जिंदगी का सबसे खूबसूरत सपना देखा । एक सुपरस्टार होने के नाते वैसे उसे Oscar award मिलने वाले सपने पे इतना खुश होना चाहिए था लेकिन मंजिल उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी ट्रॉफी है ।

दोपहर में अपनी वैनिटी वैन में शक्ति के साथ अपना शेड्यूल डिस्कस करते हुए उसने शक्ति को भी अपना सपना बताने की कोशिश की क्योंकि जो बातें वो कल्पना से नहीं कह पाया था शक्ति से आराम से कह सकता था।
अच्छा, ये बताओ तुम ये मानते हो कि सुबह के सपने सच होते है ?
नहीं मैं ये सब नहीं मानता । शक्ति ने अपनी डायरी बंद करते हुए कहा।
मतलब की तुम सपनों को कोई तवज्जो नहीं देते ? सार्थक थोड़ा हैरान हुआ।
मैं सिर्फ उन्हीं सपनों को सच मानता हूँ जो हम खुली आँखों से देखते है और जिनके लिए मेहनत करते है बाकी सब तो दिन भर की थकान , फ्रस्ट्रेशन और प्रेशर होता है। वैसे आप क्यों सपनों में इतनी दिलचस्पी दिखा रहें हैं?
नहीं , बस ऐसे ही। शक्ति का रुख देख कर उसे अपना सपना कहना बेवकूफी लगी।
शक्ति ने भले ही प्रैक्टिकल बात की हो लेकिन सार्थक ने उस पर जरा भी ध्यान न देते हुए उस सपने को हकीकत बनाने की सोची क्योंकि अधिकतर इश्क़ में पड़ने वाले लोगों का Logic से connection कुछ कट सा जाता है ।
सार्थक मंजिल को Movie Date पर ले जाना चाहता था लेकिन मुश्किल है कि मंजिल भी इस बात के लिए हाँ करे। लेकिन एक कोशिश करने में क्या जाता है ।
सार्थक ने सोचा था की घर जाने पर वो मंजिल से इस बारे में बात करेगा । अभी वो बहुत ज्यादा दुखी भी होगी तो शायद हाँ ही कर दे। लेकिन सार्थक अपने Ad की शूटिंग ख़त्म करके घर पहुँचा तब तक रात के दो बज चुके थें और वो शूट से काफी थक कर वापस लौटा था इसीलिए घर आते ही अपने कमरे में सोने चला गया।
अगली सुबह सार्थक ने मंजिल को सांत्वना देने की सोची और लगे हाथों मूवी देखने की बात कहने की कोशिश की थी पर मंजिल चेहरे से उदास लग नहीं रही थी बल्कि कुछ गुनगुनाते हुए किचन में कल्पना का हाथ बंटा रही थी ।
मंजिल उसे नाश्ता देने भी आयी तब भी बेफिक्र ही थी। इसीलिए सार्थक के पास भूमिका बनाने के लिए कुछ बचा ही नहीं था। उसने पूरी बेशर्मी करते हुए सीधा ही मंजिल से मूवी देखने साथ में चलने के लिए पूछ लिया। मंजिल ने पहले तो उसे मुस्कुराते हुए देखा फिर बड़े प्यार से न बोल कर वापस किचन में चली गयी।
सार्थक भी सोचता ही रह गया कि इंकार का ये कैसा तरीका बनाया है मैडम ने !
इतने प्यार से मना करने की वजह से उसमें दोबारा से भी वही बात पूछने की हिम्मत सी आ गयी थी। उसने उस दिन के बाद भी लगातार तीन दिनों तक वही सवाल पूछा मंजिल से। लेकिन पहले दिन के बाद से उसके रिएक्शन में बदलाव आ गएँ थें। चुलबुलेपन , खुश, शांत और अब दर्द जैसे लहजे में उसका न सुनने को मिला था सार्थक को ।
सिर्फ रिएक्शन ही नहीं व्यवहार भी बदल गया था उसका इन चार् दिनों में कल्पना के नंबर पर आने वाले हर कॉल पर वो भाग के आती थी। कभी-कभी आधे दिन तक फोन अपने हाथ में ही पकड़े रहती । किसी का फोन तो नहीं आया? ये सवाल दिन में कई बार वो कल्पना से पूछा करती थी ।
ये सब बातें सार्थक ने नोटिस भी की थी और कल्पना ने भी सबकुछ सार्थक से कह दिया था । पर सार्थक अभी अपने सपने को सच करने की कोशिश में लगा था इसीलिए ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
आखिरकार मंजिल ने हफ्ते के आखिर में सार्थक को हाँ बोल ही दिया। सार्थक बिल्कुल पागल सा हो गया था ये सुन कर। क्या? कैसे? अगर-मगर कुछ भी बिना सोचे , शाम की शूट्स कैंसिल करके घर आ गया था ।
मंजिल please भरोसा करके तुम्हें वहाँ लेकर जा रहा हूँ । मैं बस इतना चाहता हूँ कि जिस तरह बन संवर के मेरे साथ चल रही हो वैसे ही आओ भी । तो ऐसा कुछ भी मत करना जिससे तुम्हारा makeup खराब हो। अगर तुमने ऐसा वैसा कुछ भी किया तो उसका खामियाजा भुगतने को तैयार रहना। सार्थक कार की पिछली सीट पर मंजिल के साथ बैठा हुआ था । मंजिल के चेहरे पर कोई खास खुशी न देख कर उसके दिल में एक डर जगा जो उसने मंजिल से कह दिया।
मैं भरोसे लायक कहाँ से लगती हूँ तुमको ? पता नहीं फिर भी तुम मेरे ही पीछे क्यों पड़े हुए हो ।
सबकी अपनी अपनी पसंद होती है । और कम्बख्त इश्क़ चीज भी ऐसी है कि अच्छे खासे इंसान को आशिक के पीछे घूमने वाला कुत्ता बना के छोड़ देती है फिर चले मालिक कितना भी जालिम क्यों न हो अपुन को वफ़ादारी करनी है तो करनी है।
चलो तुमने माना तो कि तुम एक कुत्ते हो । मंजिल ने उसकी तरफ देखते हुए कहा।
हाँ तुम्हारे लिए क्योंकि तुम्हें कुत्ते पसंद है । जिस दिन अपनी पसंद पर आयी तो शेर बनकर तुम्हें खा न गया तो बेकार है। सार्थक मंजिल की तरफ झुका तो उसने बीच में ही अपना हाथ लगा दिया ।
सपने देखो सिर्फ सपने ।मंजिल ने उसे हलका सा पुश करते हुए कहा।
सर थिएटर आ गया । ड्राइवर ने कार रोक दी।
सिनेमा हॉल में कुछ 12-15 लोग ही बैठे हुए थें अलग-अलग सीटों पर बाकी का पूरा हॉल खाली पड़ा हुआ था ।
सार्थक मंजिल के साथ फ्रंट रो में बैठा जहाँ आसपास कोई और नहीं था।
वैसे तो लोग अपने प्यार के साथ romantic movie देखने जाते है लेकिन सार्थक को romantic से ज्यादा horror movie से उम्मीद नजर आ रही थी।
मूवी देखते-देखते उसने धीमे से अपना हाथ मंजिल के हाथ पर रखा। मंजिल ने तुरंत अपना हाथ पीछे खींचते हुए उसे गुस्से से देखा।
सिर्फ मूवी देखने की ही बात हुई थी समझे।

मुझे लगा तुम डर रही होगी इसीलिए। सार्थक ने भी अपना हाथ खींच लिया।
तुम्हें सुबह शाम देखती हूँ तब डर नहीं लगता तो एक मामूली सी पिक्चर से क्यों लगेगा।
ये भी सही है । सार्थक ने अपने इमोशन को छुपाते हुए कहा। उसे काफी खराब लगा था लेकिन वो जता भी नहीं सकता था । उसने अपने एक पैर के ऊपर दूसरा पैर रखा और आगे झुक कर मूवी देखने लगा । मंजिल के बराबर बैठने पर उसे डर था कि कहीं वो फिर से न बहक जाए ।
इसके थोड़ी देर बात मंजिल अपनी सीट से उठ गयी। सार्थक ने तुरंत उसकी तरफ देखा।
क्या हुआ?
वाशरूम जा रही हूँ ।
थोड़ी देर रुक जाती इंटरवल होने ही वाला है ।
अगर रुक सकती तो रुक जाती लेकिन अर्जेंट जाना है तो मैं जा रही हूँ please मुझे follow करते हुए मत आ जाना ।
Ok मैं अगले दस मिनट तक अपनी सीट से नहीं उठूंगा लेकिन याद रखना मुझे ग्यारहवें मिनट में उठना भी न पड़े वरना फिर तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा इसीलिए कोई चालाकी मत करना।
एक काम करो वॉशरूम के अंदर तक मेरे साथ चलो क्या पता भाग ही जाऊँ ?
मैं तुम्हारी इस बात को मजाक की तरह ले रहा हूँ उम्मीद है इसे सीरियस होने भी नहीं दोगी तुम । अब जाओ । सार्थक वापस से movie पर फोकस करने लगा।
कहते है की पिंजड़े में सालों से कैद पक्षी को अगर एक सेकंड भी दरवाजा खुला मिलता है तो वो भागने की कोशिश जरूर करता है। यही चीज मंजिल के साथ भी हुई।
अपने प्लान के मुताबिक वो वॉशरूम तक तो गयी लेकिन जैसे ही देखा कि आसपास कोई नहीं है उसपर नजर रखने वाला वैसे ही वो दिवार का सहारा लेकर अंधेरे का फायदा उठाते हुए वहाँ से भाग निकली ।
उसे मालूम था कि इस बार अगर वो सार्थक की पकड़ में आ गयी तो वो जानवरों से बुरा सलूक करेगा उसके साथ । लेकिन फिर भी अपनी आजादी का ख्वाब लिए वो बेतहाशा भागी। सड़क पर खड़ी हो कर उसने दो ऑटो को हाथ दिया लेकिन उनमें से एक भी नहीं रुका। वो बार-बार पीछे पलट के देखती रही अब तक तो सार्थक उसे ढूंढने लगा होगा। क्या अबकी बार भी पैदल भागना पड़ेगा ? लेकिन कितनी ही दूर जा सकूंगी भाग कर ऐसे ? क्या करूँ ? चिल्ला कर भीड़ इकट्ठा कर लूँ क्या?
यही सब सोचते हुए तीसरा ऑटो भी आता दिखाई दिया वो जा कर उसके आगे ही खड़ी हो गयी।
अरे क्या कर रही हो मैडम ?
भैय्या प्लीज मुझे आगे तक छोड़ दो । उसने ड्राइवर से कहा।दिखाई नहीं दे रहा बुक है ये ।
एक ही लोग तो है प्लीज बस आगे तक।
बिठा लीजिये न देखिये कितनी परेशान दिख रही हैं शायद कोई इमरजेंसी होगी।
बैठ जाइए ।
Thank you Sister! मंजिल ने ऑटो में बैठते हुए संग बैठी महिला से कहा।
नहीं जरूरत नहीं इसकी मुझे। बल्कि अच्छा हुआ की तुम मिल गयी क्योंकि रात में अकेले ट्रैवल करते हुए डर लगता है।
वो तो बात है । मंजिल ने ऑटो से झाँककर देखा पीछे सार्थक की कार आती हुई नहीं दिखाई दे रही थी।
अब तुम मुझे जिंदगी में कभी नहीं पा सकोगे । उसने अपनी स्कर्ट में हाथ डालकर टटोला । हाँ रखा है ! उसने राहत की सांस ली। अबकी बार मंजिल ने पूरा इरादा बना लिया था कि अगर सार्थक कहीं से उसे ढूंढ भी लेता है तो जिंदा नहीं पकड़ पाएगा । उसने किचन में रखे Rat killer के 5-7 पैकेट कल्पना की नजर बचाते हुए चुरा लिए थें।
घर में कोई प्रॉब्लम हो गयी है क्या? महिला ने पूछा।
जी? जी जी। उसने खुद को संभालते हुए कहा।
भगवान करे सब अच्छा हो आपके साथ।
Thank you .
लीजिये पसीना बहुत आ रहा है आपको। उसने अपना रुमाल मंजिल की तरफ बढ़ाया।
नहीं इसकी कोई जरूरत नहीं है आप परेशान न हो मेरे लिए। मंजिल ने मना कर दिया।
ठीक है कोई बात नहीं । उसने रुमाल रख कर पानी की छोटी सी बोतल निकाली और एक घूंट पानी पी लिया। मंजिल ने जब पानी देखा तो उसे अपना गला सूखता हुआ मालूम पड़ा। इतनी भागदौड़ के बाद उसका शरीर एक ग्लास ठंडा पानी माँग रहा था।
मंजिल को पानी की तरफ देखते हुए पाकर महिला ने बोतल उसकी तरफ बढ़ा दी। मंजिल ने पानी दोनों हाथों से लपक लिया और एक ही सांस में पूरी बोतल खाली कर दी। महिला ने बोतल वापस ले ली और ऑटो से बाहर कुछ देखने ।
मंजिल को लगा कि थिएटर से वो काफी दूर आ चुकी है अब इस ऑटो से उतर सकती है । लेकिन उसके शरीर में आलस और सुस्ती छा गयी थी। वो उतरना तो चाहती थी लेकिन उसे अपने पैरो में जरा भी दम नहीं मालूम हो रही थी । उसे एकदम से बहुत ज्यादा नींद महसूस होने लगी वो खुद को जगाये रखने के लिए बार-बार आँखें मसलने लगी। अपना पूरा शरीर उसे पत्ते से भी हलका महसूस हुआ और वो सीट पर ही निढाल हो गयी।

महिला ने मुँह में भरा हुआ पानी बाहर थूक दिया। तुरंत ही अपनी पर्स से फोन निकाला और एक नंबर पर कॉल लगाया जिस पर लिख कर आ रहा था – शक्ति सर !
ड्राइवर ने महिला की बताई डायरेक्शन में ऑटो मोड़ दिया।
क्या वाकई मंजिल सार्थक से दूर निकल गयी है ? पता नहीं अभी तो उसका सिर महिला की गोद में है और महिला अपने सर के कनेक्शन में ।
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Wait for the next part of “इश्क़ का अंजाम ।”
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