इश्क़ का अंजाम Part-26 Love story in Hindi
Media और Social media पर सार्थक अपनी खराब तबियत की वजह से तो ट्रेंड कर ही रहा था लेकिन साथ ही साथ इंडस्ट्री से बाहर उसके अनप्रोफेशनल रवैय्ये की खबरें भी निकलने लगी है । कुछ प्रोड्यूसर-डायरेक्टर तो दबी जुबान में उसके उसके शूटिंग पर लेट पहुंचने या फिर अचानक से शूटिंग ही कैंसिल करने की वजह से हुए नुकसान की बात भी करने लगे है ।
कुछ क्रिटिक्स मानते है कि इतने कम समय में इतनी ज्यादा सफलता हासिल कर लेने की गर्मी उसके दिमाग़ में चढ़ चुकी है । लेकिन सार्थक को नहीं भूलना चाहिए कि मुंबई मयानगरी क्यों कहीं जाती है । यहाँ लोग एक ही फिल्म से सुपरस्टार बन सकते है और एक ही फिल्म से गायब हो जातें हैं ।
शक्ति क्या करें कितनी खबरें दबवाएं? ऑफिस में बैठकर वो अभी भी सिने मैगजीन के चीफ एडिटर को नॉनवेज खिला रहा है और अपने लैपटॉप से नेशनल लेवल के अखबारों के लिए बॉलीवुड गॉसीप लिखने वाली एक दूसरी राइटर से उनके फेवरेट Fashion brand का नाम पूछ रहा है।
लेकिन इन खबरों को जरा भी तवज्जो न देने वाले सार्थक के दिमाग़ में तो कुछ और ही चल रहा है …. तुम्हारी मंजू….! चेहरे पर तो उसके हलके दाग ही बचे है लेकिन उसके दिल में कोई बड़ा घाव हुआ पड़ा है । इन चार दिनों में हर चीज कम हो गयी। उसकी एलर्जी भी , उसका वजन भी, गेट पर आने वाले फैंस के फूल भी और मंजिल से बातचीत भी लेकिन एक चीज है जो लगातार बढ़ी है … तुम्हारी मंजू की आवाज … जो पहले सिर्फ कानों में ही बजती थी लेकिन अब तो उसे उसके भीतर से भी वही अवाज आने लगी है ।
उसी आवाज का ही नतीजा है कि रात को एक बजे भी सार्थक बिस्तर पर करवटे ही बदल रहा है नींद आँखों से कोसो दूर है । क्या उसके नसीब में इस तरह जगना ही लिखा है ? जिस तरह किसी और से कहा के लिए भी तो तुम्हारी मंजू कहा जा सकता है ? नहीं वो सिर्फ मेरी मंजिल है किसी और की नहीं…। सार्थक अपना बिस्तर छोड़ के कमरे से निकल गया।
मंजिल गहरी नींद में सोई हुई थी लेकिन उसे अपने चेहरे के पास गर्म साँसे महसूस हो रही है ऐसा लग रहा है की कोई बार-बार उसके गालों को सहला रहा है, उसे लगातार देखे जा रहा है…। कल्पन…! मंजिल की आँख खुल जाती है तो वो चीख कर उठने की कोशिश करती है लेकिन सार्थक उसके मुँह पर अपना हाथ रख देता है ।
शी.. चीखो मत! मैं कुछ करने नहीं आया। मुझे नींद नहीं आ रही थी बस । उसने अपना हाथ हटा लिया। मंजिल अभी भी घबराई हुई सी लेटी है और सार्थक अभी भी उसके चेहरे पर झुका हुआ है।
नींद नहीं आ रही तो दवा खाओ जाकर मेरे पास क्यों आएँ । मंजिल ने गर्दन दूसरी तरफ घुमा ली।
तुम्हारे पास..! हूँ…! सार्थक उसके बगल में ही लेट गया और उसके हाथ को अपने हाथ में पकड़ लिया।
मंजिल ने उठने की कोशिश की लेकिन सार्थक ने साफ बोल दिया – उठकर भागना है तो भागो मगर याद रखना ज्यादा दूर नहीं भाग पाओगी। पकड़ में आ गयी तो जो मर्जी आएगी करूँगा । अगर इसी तरफ लेटी रही तो चुपचाप मैं भी लेटा रहूँगा । मंजिल उसकी बात सुनकर बिना कुछ कहे चुपचाप लेट गयी। उसने चादर को सीने के ऊपर तक खींच लिया था लेकिन उसकी बढ़ी हुई साँसे बता रही थी कि चादर किसी काम का नहीं है। सार्थक ने एक बार उसके सीने की तरफ देखा ” तुम लड़किया भी न , जहाँ ध्यान न जाता हो वहाँ भी लेकर चली जाती हो।” सार्थक मुस्कुराते हुए छत को देखने लगता है।
मंजिल ने कोई जवाब नहीं दिया सार्थक भी खामोश हो गया। दोनों एकटक छत को देख रहें हैं । सार्थक तो मंजिल का हाथ भी अपने हाथ के नीचे दबाएं हुए मन ही मन मुस्कुरा रहा है। कितनी खूबसूरत रात है न ! वो है , मंजिल है और तन्हाई । बस कोई और नहीं । …कोई और नहीं ? तुरंत उसके अंदर से ..तुम्हारी मंजू ! की आवाज आती है। कोई और भी तो है।
विपुल…! ये नाम सुनते ही मंजिल ने चौक कर उसके चेहरे की तरफ देखा। उसे अपनी तरफ देखता हुआ महसूस कर सार्थक ने भी उसकी आँखों में आँखें डाल दी।
बहुत प्यारा नाम है न ? बिल्कुल कोमल , एकदम नया , मासूम सा !
तुम्हें कैसे मालूम…? मंजिल के माथे पर पसीना है ।
नहीं अच्छा तुम्हीं बताओ विपुल-मंजिल और सार्थक-मंजिल , इनमें से किसमें करीबी रिश्ता लग रहा है ? जाहिर है विपुल नाम ही इक्विशन में फिट नहीं बैठता तो आदमी कहाँ से फिट हो जायेगा। रही बात सार्थक की तो देखो न सार्थक मतलब अपना हर काम सफल करने, अपना हर goal अचीव करने वाला और तुम तो खुद ही aim , target , goal हो । तो बताओ किस नाम का कॉम्बिनेशन सही रहेगा। सार्थक के चेहरे पर मुस्कान है ।
मंजिल के चेहरे पर हैरानी , गुस्सा , घृणा या डर क्या है ,वो समझ नहीं आ रहा है ।
तुमने उसके बारे में कैसे पता किया सार्थक…?
उम्म… एक मिनट… कहाँ गयी , कहाँ गयी? ये रही .. सार्थक अपने पाजामे की जेब से वही खत निकाल लेता है । ये रहा आपका प्रेम पत्र , आपकी चिट्ठी … । वो उसे दिखता है तो मंजिल झपट कर छीनने की कोशिश करती है। सार्थक हाथ पीछे कर लेता है।
इतनी जल्दबाजी ठीक नहीं मेरी जान वरना फट भी सकती है।
तुम्हें कहाँ से मिली ?
दरअसल तुम्हारी बूढ़ी दादी ने तुम्हारे मामा की चिट्ठी तुम्हारे विपुल को दे दी तो ये दूसरी चिठ्ठी भी तो पढ़नी चाहिए न किसी को। इसीलिए मैंने सोचा कि तुमने इतनी मेहनत से लिखा है तो मैं ही पढ़ लेता हूँ । वहाँ पे गया और बस तुम्हारी अमर कहानी मेरे सामने आ गयी।
सार्थक वापस कर दो। मंजिल रुआंसी हो गयी और उठकर दोबारा से लेटर छीनने की कोशिश करने लगी। सार्थक ने मंजिल को बीच में ही रोक लिया और उसकी बाँह पकड़कर अपने ऊपर गिरा लिया।
एक बात बताओगी सच-सच? उसमें ऐसा क्या है जो मुझमे नहीं है । रंग-रुप? पैसा? शोहरत? इज्जत ? या फिर तुमसे मोहब्बत..? सार्थक इमोशनल हो गया । मुझे नहीं लगता कि मुझसे भी ज्यादा कुछ है उसके पास, एक मिडल क्लास लड़का दो बहनें है, माँ है और बाप का कहीं अता-पता नहीं । फिर भी तुम्हें वो इतना अच्छा क्यों लगता है ? हू? बोलो !
सार्थक .. सार्थक … प्लीज । मंजिल ने अपनी बाँह छुड़ानी चाही लेकिन सार्थक के थोड़ा खींचते ही फिर से उसके सीने पर गिर गयी।
बताओ क्या मैं इतना ज्यादा बुरा हूँ कि शादी करना तो दूर तुम मुझसे बात करना तक पसंद नहीं करती ! इतनी चिढ़ तो मेरी क्लॉस टीचर ने भी नहीं की मुझसे जिन्हें मैं गालियां तक बक देता था लेकिन तुमसे तो मैने ऊँची आवाज में बात तक नही की कभी। फिर मुझसे इतनी नफरत क्यों ?
मुझे तुमसे नफरत नहीं है सार्थक लेकिन बस मोहब्बत नहीं है। सार्थक के सीने में ही सिर रखकर वो रोने लगी।
बात तो एक ही हुई न ! सार्थक की आँखों के कोरों से भी दो आँसू लुढ़क गये। सच में विपुल इतना अच्छा है कि उसके आगे तुम्हें मैं कुछ भी नहीं लगता ? अच्छा ऐसा क्या है उसमें जो मुझमे नहीं । सार्थक उसके बालों में अपना हाथ फेरने लगता है।
मुझे वो पसंद है , प्यार करती हूँ उससे बस मुझे इतना ही पता है।
तो तुम्हें नहीं पता मैं बताऊँ? उसके पास दौलत नहीं हैं , मेरे जितना बिजी नही रहता वो। सिंपल साधारण सी जिंदगी है उसके पास जो मेरे पास नहीं है । लेकिन मैं वादा करता हूँ एक बार, बस एक बार मेरे लिए हाँ कर दो मंजिल मैं आज से ही ये आलीशान जिंदगी छोड़ दूँगा । सारी स्क्रिप्ट रिजेक्ट कर दूँगा, ये सारी प्रॉपर्टी चैरिटी में दे दूँगा। कुछ भी बाकी नहीं रखूँगा अपने पास सिवा तुम्हारे । सार्थक मंजिल के दोनो कंधों को पकड़ कर उसे बिस्तर पर लिटा कर उसका चेहरा देखने लगा। कि शायद कहीं कोई हाँ की रेखा उसके चेहरे से झलक जाएँ।
सार्थक यार , प्लीज समझो इतना सब कुछ करने के बाद भी मैं तुम्हें कभी स्वीकार नहीं पाऊँगी क्योंकि मोहब्बत सिर्फ एक ही बार होती है , एक ही शख्स से होती है। मंजिल उसकी हर बात को अस्वीकार करते हुए अपनी सिचुएशन , अपना प्यार समझाने की कोशिश करती है।
और अगर वो एक शख्स ही न रहें तो ? सार्थक की आवाज, हाव भाव सब एकदम से बदल गया । उसकी भौहें तन गयी और आँखों में नफरत नजर आने लगी।
What. ..! सार्थक तुम…?
सार्थक तुरंत उससे दूर हो गया और बिस्तर से उतरने लगा पीछे से मंजिल ने बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया । सार्थक ने उसका हाथ झटक दिया।
मैं प्यार करती हूँ उससे प्लीज उसे कुछ मत करना , मैं जी नहीं पाउंगी उसके बिना । मंजिल फिर से तेजी से रोने लगी।
मैं भी तो नहीं जी पा रहा हूँ तुम्हारे बिना ये दिख नहीं रहा तुम्हें ? एक बार ऐसे ही प्यार न सही दया करके बात कर लो मुझसे। दिल नहीं पसीजता मेरे लिए जरा भी तुम्हारा ? सार्थक गुस्से में कमरे के बाहर निकल गया। पीछे से मंजिल सिर्फ उसे पुकारती रह गयी ।
मंजिल रात भर बेचैनी में करवटें बदलती रही । नींद तो उसकी आँखों से कोसो दूर चली गयी थी । अगर हलकी फुलकी आँख लगी भी तो किसी भयानक सपने ने दस्तक देकर उसे और परेशान कर डाला। कुछ भी हो वो सुबह ही सार्थक से बात करेगी । किसी भी कीमत पर वो विपुल को नहीं खो सकती , सब कुछ ले दे कर एक ही तो रिश्ता बचा है उसके पास , अगर वो भी … नहीं , नहीं । सार्थक के पैरों में गिर जाउंगी तब भला कैसे नहीं मानेंगे।
रात भर रोते हुए जगने के बाद भी मंजिल सार्थक के सामने मुस्कुराते हुए जाना चाहती है। इसीलिए सुबह अच्छे से शॉवर लेने के बाद उसने सार्थक के पसंद के रंगों में से एक मैरून रंग की डीप नेक फ्रॉक निकाल के पहनी । उसी की मैचिंग का मेकअप करने के बाद वो नीचे ब्रेकफास्ट के लिए आने लगी।
साम, दाम , दंड , भेद की नीति को मंजिल आज आजमा के देखना चाहती है क्योंकि जिस गुस्से में रात को सार्थक निकला था उससे साफ पता चल रहा था कि वो विपुल को कोई न कोई नुकसान जरूर पहुँचाएगा। मंजिल सीढ़ियां उतरते-उतरते एकदम से ढिढक गयी ।
घर में एक जानी-पहचानी सी महक है उसकी अपनी सी । उसने दो कदम और बढ़ाये और कीचन की तरफ देखा। साइड की टेबल पर दो लोग बैठे थें एक तो सार्थक था और दूसरे की सिर्फ उसे पीठ दिखाई दी। लेकिन फिर भी उसकी धड़कन अचानक से काफी तेज हो गयी। “नहीं ये नहीं हो सकता !” उसने खुद से कहा। टेबल के आसपास सार्थक के चार बॉडी गार्ड्स भी मौजूद है आज।
Good Morning sweetheart! सार्थक अपनी कुर्सी से उठ कर उसकी तरफ आने लगा। Look, मुझे मालूम है कि रात में मैंने तुम्हें कुछ ज्यादा ही परेशान किया है इसीलिए भरपाई के लिए आज नाश्ते में सबकुछ तुम्हारी पसंद का बनाया है वो भी अपने हाथों से। उम्मीद है तुम मुझे माफ़ कर दोगी। सार्थक ने आते ही उसके दोनों हाथो को अपने हाथ में पकड़ कर चूमा।
I promise अब से तुम्हारे मना करते ही रुक जाऊँगा My dear Wifey! उसका ये शब्द सुनकर टेबल पर बैठे हुए इंसान ने पीछे पलट कर देखा। मंजिल तो कब से उसे ही देख रही थी । उसके पलटते ही मंजिल का शरीर एकदम ढीला हो गया और वो लड़खड़ा गयी।
विपुल….! सार्थक ने तुरंत उसे संभाल लिया और एक खुफिया हँसी हँसते हुए विपुल को देखा।
मंजिल ने तुरंत खुद को छुड़ाने की कोशिश की । उसके मन में आ रहा था कि किसी भी तरह सार्थक की कसी हुई बांहो से छूट कर विपुल की गोदी में छुप जाएँ। जैसे हर बड़ी मुसीबत से बचने के लिए वो आज तक करती आयी थी। विपुल यहाँ से उसे बचाकर ले जाएँ जैसे हर मुसीबत से उबरता आया है उसे।
Stay calm baby! उसने मंजिल को खुद से सटा लिया। विपुल ये सब देख रहा था इसीलिए उसने उठने की कोशिश की पर दो बॉडी गार्ड्स ने उसके कंधों पर हाथ रख दिया और उसे ब्रेकफास्ट पर फोकस करने के लिए कहने लगे।
अब मेरी बात ध्यान से सुनो। सार्थक मंजिल के कान के पास अपना मुँह ले गया। मैंने तुम्हारी एक बात मान ली और तुमसे अभी शादी के लिए मना किया अब बदले में तुम भी मेरी एक बात मानो।
सार्थक जाने दो प्लीज ।
मतलब तुम्हें मेरी wife बनना ही है ।
नहीं , नहीं करनी मुझे तुमसे कोई शादी । मंजिल ने सहमते हुए जवाब दिया।
तो जाओ और जाकर विपुल को एक थप्पड़ मार के उसे घर से बाहर जाने को बोलो।
पागल हो तुम। मंजिल की आवाज में गुस्सा उभर आया और उसने फिर से छूटने की कोशिश की।
तुम्हें पता है मेरी एक गर्लफ्रेंड थी , बहुत ही अजीब फैंटसिज थी उसकी। उसी से मिलने के बाद मैंने जाना कि डाइनिंग टेबल का इस्तेमाल खाने के अलावा भी बहुत सारी चीजों के लिए किया जा सकता है। तो क्या तुम चाहती हो कि इस टेबल को मैं विपुल के सामने ही किसी और तरीके से इस्तेमाल करूँ? सार्थक के चेहरे पर अब भी मुस्कान थी और मंजिल उसे बिल्कुल एक पागल ही समझ चुकी थी ।
उसे अपनी तरफ घूरता देखकर सार्थक की मुस्कान और गाढ़ी हो गयी। बोलो ! नहीं चाहती न ? तो वही करो जो मैंने कहा Like a good girl समझी। जो चाहती हो कि तुम भी safe रहो और विपुल भी बचा रहे तो। सार्थक ने मंजिल को छोड़ दिया।
By the way मंजिल देखो आज एक मेहमान आएँ है। हफ्ते भर से हमारे घर के चक्कर लगा रहें थें , मुझे तो इनके बारे में आज ही पता चला। इनसे मिलकर पता चला की ये तुम्हें जानते है तो मैं इन्हें तुमसे मिलाने ले आया। सार्थक वापस से अपनी कुर्सी पर बैठ कर नाश्ता करने लगा।
मंजिल आँखों में आँसू लिए धीरे-धीरे विपुल की तरफ बढ़ रही थी। वो कैसे हाथ उठा सकती है विपुल पर । जिसने हमेशा उसके कदमों में झुक कर सजदा किया है उसपर हाथ उठाना…! लेकिन कोई और राश्ता भी तो नहीं है। विपुल से शायद इसी तरह यहाँ से निकाला जा सकता है वरना वो भी यहाँ फंस गया तो कभी निकल ही नहीं पाएगा । हाथ में बंदूक लिए खड़े गार्ड्स उसे किसी मृत्युदूत की तरह दिखाई दे रहें थें।
विपुल इस सब बातों को अनदेखा कर बस मंजिल के डरे हुए चेहरे को देखे जा रहा है। 5 महीने की लम्बी अमावस्या के बाद आज चांद खुद उस तक चलकर आ रहा था । विपुल अपनी कुर्सी से उठ कर खड़ा हो गया। मंजिल भी उसके सामने आकर रुक गयी।
दोनों ने भरपूर नजर से एक दूसरे को देखा । लेकिन अगले ही पल चम्मच गिरने की आवाज से मंजिल अंदर तक हिल गयी जैसे कोई बम फटा हो । उसने तुरंत सार्थक की तरफ देखा , सार्थक गुस्से में उसे ही घूर रहा था। मंजिल को भी बहुत तेज गुस्सा आ गया उसी गुस्से में या फिर विपुल को सार्थक समझते हुए उसने एक जोरदार थप्पड़ विपुल को जड़ दिया।
चले जाओ यहाँ से अभी और इसी वक्त। मैं नहीं चाहती कि इस घर में तुम थोड़ी भी देर और रुको । मंजिल रोते हुए चीख रही थी।
विपुल ने थोड़ी देर तो उसे गौर से देखा फिर उसे अपनी तरफ खींच कर सीने से लगा लिया। मंजिल का डर, गुस्सा , दर्द सबकुछ मोम बनकर उसकी बांहों में पिघल गया।
मुझे भी साथ ले चलो विपुल मुझे…भी… मर जाऊं..गी तुम..! मंजिल की हिचकी बंध गयी थी। सार्थक ने गुस्से में खड़े होकर टेबल से एक जोरदार हाथ मारा। बॉडीगार्ड्स ने उन दोनों को तुरंत अलग कर दिया । सार्थक की आँखें आग बरसाती नजर आ रही हैं। मंजिल तो डर गयी लेकिन अब विपुल मुस्कुरा रहा था।
बहुत शौक हैं न तुझे आशिक़ी करने का मेरी बीवी के साथ। सार्थक ने जाते ही विपुल का मुँह पकड़ लिया।
सार्थक … सार्थ… नहीं प्लीज … प्लीज. .प्लीज..।मंजिल बॉडीगार्ड्स के हाथों से छूटने के लिए छटपटा उठी।
हाँ तो मिस्टर सुपरस्टार क्या कहा तुमने… तुम्हारी बीवी? अरे ध्यान से देख उसे वो आज भी मेरी ही है। विपुल हँसने लगा। विपुल की इस हँसी ने सार्थक के सारे अभिमान को बिखेर दिया, उसने गुस्से में एक जोरदार पंच विपुल के मुँह पर जड़ दिया।
मंजिल चीख उठी। कीचन से कल्पना भी ये सब देख और सुन रही थी लेकिन क्या ही कर सकती थी वो। बस चुपचाप टेबल की सारी नाइफ और बाकी सब वहाँ से हटा दिया था । इसके सिवा कुछ भी उसके हाथ में नहीं था।
उसे ढूढ़ते हुए मैं वैसे भी इतनी ठोकरें, इतनी चोटें खा चुका हूँ की तुम्हारे एक मामूली पंच से कुछ नहीं होने वाला । कुछ तो बड़ा करो अपने लेवल का । लड़की उठाना , जबरदस्ती करना या मुझ अकेले को पीटना ये सब तो लफंगे करतें हैं । तुममें अगर वाकई में हिम्मत है तो तुम मुझे मार ही दो । मैं भी देखूँ कितने बड़े मर्द हो तुम। विपुल के मुँह से खून निकल आया था जिसे उसने ठीक सार्थक के सामने थूकते हुए उसे चैलेंज किया।
विपुल नहीं ये सब मत बोलो। सार्थक.. प्लीज उसका वो मतलब नहीं है जो उसने कहा। देखो … प्लीज मेरी बात सुन लो…!
ठीक है तुम्हें मरने का शौक है तो मुझे भी तुम्हें मारने का शौक है। अभी तक तो मंजिल की वजह से तुम्हें छोड़ रखा था लेकिन अब तुमने सामने से मुझे दावत दी है। सार्थक ने अपने बॉडीगार्ड की बेल्ट से लगी हुई गन निकाल दी।
नहीं.. नहीं सार्थक मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ, पैर पड़ती हूँ कुछ मत करो उसे। मंजिल फर्श पर गिर चुकी थी फिर भी खुद को लगातार छुड़ाने के लिए संघर्ष कर रही है।
डरती क्यों हो तुम पागल। पहली बात तो ये मारेगा नहीं अगर अगर मार भी दिया तो मैं बस तुम्हें आजाद कराने आया हूँ वो हो जाओगी तुम। और ये इंसान गिर जाएगा अपने माँ बाप की नजरों में ही। जिन्हें ये अपनी जान से भी बढ़कर प्यार करता है।
तूने मेरे पेरेंट्स का नाम क्यों लिया ? सार्थक ने एक और तमाचा लगा दिया विपुल को। लेकिन विपुल फिर भी बस हँसा ही।
साले हाथ ही क्यों उठा रहा है , मर्दानगी क्यों नहीं दिखा रहा अपनी मुझे, मेरी मंजिल को और … और… विपुल फिर से हँसा अपने पेरेंट्स को भी? सार्थक ने गॉर्ड्स को इशारा किया । उन्होंने तुरंत विपुल की चेकिंग करनी शुरु कर दी। विपुल के जूतों में से एक माइक्रोफोन मिला।
मैंने कहा था तुम्हारे पेरेंट्स से कि उनका बेटा psycho है लेकिन उन्हें सबूत चाहिए था। बोल रहें थें कि अगर सुबूत मिल गया तो वो खुद तुम पर केस करेंगे और आज मैंने वो सुबूत उन्हें दे दिया। अब तुम मुझे मार भी दोगे तो क्या मेरी मंजिल तो आजाद हो जाएगी।
सार्थक ने माइक्रोफोन नीचे पटक दिया और लपक के विपुल की गर्दन पकड़ ली। गॉर्ड्स ने विपुल को पहले ही छोड़ दिया था लेकिन उसने सार्थक के इस एक्शन पर कोई रिएक्शन न दिया।इसकी वजह चाहे दो दिन की भूख प्यास हो या इस बात का डर कि कहीं उसके कुछ भी करने का बदला मंजिल को न चुकाना पड़े।
सार्थक अगर तुमने मुझे कभी जरा भी प्यार किया होगा तो उसे कुछ नहीं करोगे मेरी खातिर प्लीज। सार्थक ने गन विपुल के माथे पर सटा दी थी अब उसे किसी भी चीज का होश नहीं था। लेकिन मंजिल की इस बात ने एक घड़ी तो उसे जरूर ही होश में ला दिया था। सार्थक जैसे ही मंजिल को देखने लगा। विपुल ने उसे धक्का देकर वो गन छीन ली और सार्थक पर तान दी। देखो मेरी तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है पर मंजिल को यहाँ से जाने दो अगर तुम लोगों ने ऐसा नहीं किया तो मैं तुम्हें मार दूँगा।
विपुल ये बेवकूफी है , मेरी फ़िक्र छोड़ो तुम भाग जाओ यहाँ से ।
नहीं मैं अकेले नहीं जाऊंगा तुम जाओ आगे मैं पीछे निकलूंगा। सार्थक अपने गार्ड्स से कहो की छोड़े उसे वरना मैं..।
कितने बेवकूफ हो वाकई में ! एक एक्शन हीरो के सामने स्टंट्स दिखा रहें हो। सार्थक गार्ड्स की तरफ मुड़ा और विपुल का गन वाला हाथ अपने कंधे से पकड़ कर विपुल को आगे की तरफ पटक दिया। अब गन सार्थक के हाथ में आ चुकी थी। सार्थक ने तुरंत ही निशाना साधा और…. फायर. ….! मंजिल ने चीख कर आँखें बंद कर ली।
ये सब क्या हो रहा है , होश में तो वो आप। शक्ति ने सार्थक का हाथ पकड़ लिया था जिससे फायर मिस होकर दिवार पर जाकर लगी।
शक्ति प्लीज विपुल को बचा लीजिये , उन्हें यहाँ से बाहर निकाल दीजिए । उन दोनों के पागलपन को देखने के बाद उसे सिर्फ शक्ति से ही कुछ उम्मीद बची थी।
शक्ति इस मामले में मत बोलो तुम…!
कैसे न बोलूं मैं? मीडिया , पब्लिक , इंडस्ट्री , कार्पोरेट …! हर जगह जाकर जवाब दूँगा मैं और आप कह रहे है बोलूं नहीं। अगर आपको मंजिल जी से कोई दिक्कत है तो उन तक ही सीमित रखिए आप उनके भाई को क्यों…..
बॉयफ्रेंड है उनके । कल्पना टेबल के पास आकर खड़ी थी।
शक्ति ने एक बार मंजिल की तरफ देखा और अपनी बात जारी रखी” कोई भी हो है तो इंसान ही।” शक्ति ने उससे गन छीन ली।
शक्ति इसे..इसे अभी यहाँ से ले जाओ वरना मैं यही मार दूँगा इसे।
तुम्हें क्या लगता है की तुम मुझे यहाँ से निकाल दोगे तो मैं अपनी मंजिल को लेने दोबारा नहीं आऊँगा ।
इसकी तो मैं…! वो विपुल को मारने आगे बढ़ा शक्ति ने तुरंत सार्थक को पकड़ लिया। गॉर्ड्स…. इन्हें बाहर ले चलिए। गॉर्ड्स ने मंजिल को छोड़ दिया और विपुल को पकड़ कर बाहर ले जाने लगे। शक्ति भी उनके साथ गया।
खुद को संभालने के बाद मंजिल जैसे तैसे उठी और बस एक बार उसके गले मिलने के लिए उसके पीछे भागी। मगर सार्थक ने उसका हाथ पकड़ कर उसे वापस खींच लिया। उसकी दोनों कलाइयाँ अपने हाथों में पकड़ते हुए सार्थक बोला –
क्या कहा था मैंने कि उसे यहाँ से निकाल दो लेकिन तुम्हें उसके साथ रोमांस करना ज्यादा सही लगा । चलो अब हम भी रोमांस करते है तुम बताना कि ज्यादा अच्छे से किसने किया। उसने मंजिल को पीछे की तरफ पुश किया।

सार्थक मैंने … मैनें. .. मारा था उसे ,तुम…ने देखा… भी तो था फिर क्यों? मंजिल अपने कदम पीछे करती हुई बार पीछे कल्पना को देखती है तो एक बार सामने दरवाजे पर शक्ति को। शक्ति जल्दी आ जाये तो वो बचा लेगा उसे। मंजिल इतना पीछे आ चुकी थी की कुर्सी से टकरा गयी। पीछे पलट के देखा तो डाइनिंग टेबल के करीब खड़ी थी वो।
सार्थक बिल्कुल उसके सामने है वो उसे धक्का देकर ऊपर भागने की कोशिश करती है। लेकिन एक शेर के आगे मेमना कितनी दूर भाग सकता है ! सार्थक ने उसे पूरी ताकत के साथ पकड़ के डाइनिंग टेबल पर पटक दिया तो हलकी सी आह भरकर वो चुप हो गयी।
कल्पना आप किचन में जाएँ। कल्पना को अंदर जाने का कहकर सार्थक ने अपनी टीशर्ट उतार के फेंक दी। उसके पैरों को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा । इससे पहले उसकी फ्रॉक उतरता तब तक शक्ति आ चुका था
Sir ये क्या वहशियत सवार हो गयी है आपको? एक्सेप्ट क्यों नहीं कर लेते कि वो आपसे प्यार नहीं करती… उसके सार्थक को रोकने की कोशिश की लेकिन सार्थक ने उसे एक जोरदार धक्का दे दिया।
Stay away from my personal matter! शक्ति का सर पिलर से टकरा गया। वो खुद को संभालने की कोशिश करने लगा।
इधर सार्थक ने मंजिल को अपनी गोद में उठाने की कोशिश की ताकि उसे कमरे में ले जा सके। उसके सर के नीचे हाथ जाते ही वो एकदम से चौंक गया।
मंजिल…! उसने आवाज लगायी । उसकी आँखे बंद ही रहीं। सार्थक ने अपना हाथ उसके सर के नीचे से निकाला देखा तो खून लगा हुआ था। सार्थक जैसे हजारों कोसो की यात्रा करते हुए एक झटके में ही घर के अंदर आ गया हो ।
मंजिल ….! आवाज़ में बहुत ज्यादा घबराहट आ चुकी है उसकी।
क्या हुआ…। शक्ति तुरंत सार्थक की बगल में खड़ा हो गया। देखा तो मंजिल के सर के पीछे से खून निकल रहा था।
Oh तो आपने इन्हें पटका था ? सच बताऊँ अब आपको फिल्मों में हीरो का रोल छोड़कर विलेन का रोल करना चाहिए।
अपनी बकवास बंद करो और डॉक्टर को फोन करों जल्दी।सार्थक ने उसे गोद में उठा लिया। कल्पना को भेजो जल्दी पानी लेकर।
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इश्क़ का अंजाम पार्ट-24
इश्क़ का अंजाम part- 23
इश्क़ का अंजाम पार्ट-22 Love story
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इश्क़ का अंजाम पार्ट-27 ABHI TAK NAHI AAYA 2.5 MONTHS HO GAYE HAI PLEASE IE SEREAS KO COMPLETE KRE ASAP
ok jaldi hi aayega
tab tak dusari stories ka anand le