इश्क़ का अंजाम Part-27 Love story

                                          इश्क़ का अंजाम Part-27 Love story

इश्क़ का अंजाम पार्ट-26 में आपने पढ़ा की सार्थक को मंजिल और उसके बॉयफ्रेंड विपुल के बारे में पता चल जाता है। जिससे उसे इतनी गुस्सा आती है कि रात के समय वो मंजिल के बिस्तर पर जाकर लेट जाता है और उससे पूछने लगता है कि वो बेहतर है या विपुल । लेकिन मंजिल विपुल को ही अपना सब कुछ मानती है । अगली सुबह जब मंजिल नीचे आती है तो सामने विपुल को बैठा पाती है लेकिन उसके चारों तरफ गार्ड्स खड़े थें।

मंजिल के करीब आते ही विपुल उसे सीने से लगा लेता है जिसके बाद सार्थक विपुल की पिटाई कर देता है। वो गन से उसे मारने वाले होता है की शक्ति वहाँ आ जाता है और विपुल को बचाकर बाहर ले जाता है। इधर सार्थक मंजिल से जबरदस्ती करने लगता है जिससे उसके सर पर चोट लग जाती है और वो बेहोश हो जाती है । अब आगे –

विपुल का क्या करना है ? मंजिल के कमरे के बाहर खड़े शक्ति ने सार्थक से पूछा।
उस साले को तब तक तो जिंदा ही रखना है जब तक इस तोते की जान उसमें बसी है। सार्थक की आवाज मे बेबसी के साथ गुस्सा भी था।
क्या मतलब आप उसे जान से मार देना चाहते है?
मार तो अभी देता अगर तुम बीच में न आएं होते ।

और इससे आपको मंजिल मिल जाती ? आपको दिखाई क्यों नहीं दे रहा इतने महीनों से अगर ये जिंदा हैं तो सिर्फ विपुल के लिए । अगर ये उम्मीद न होती तो ये कब का मर गयी होती ।
तभी तो उसका जिंदा रहना जरूरी है। शक्ति यार कोई ऐसी तरकीब नहीं लगा सकतें जिससे ये दोनो खुद ही अलग हो जाएँ।

फिलहाल तो मारपीट से इनके भीतर प्यार और गुस्सा दोनों ही बढ़ेगा । आप इन लोगों को समझा कर या विपुल को पैसों का लालच देकर देख सकते हैं ।
चलो ये भी करके देखते है । अच्छा सुनो आज रात मेरे घर पर रुक जाना।
सर मैं ?
हाँ । मुझे मम्मी पापा से मिलने जाना पड़ेगा।
Ok sir!

मंजिल का ध्यान रखना और विपुल को मेरे फॉर्महाउस पर रोक देना। हो सकेगा तो मैं रात को ही उन्हें सब सच बता कर वापस आ जाऊँगा ।
डॉक्टर के चले जाने के बाद सार्थक भी एयरपोर्ट के लिए निकल गया ।
आज आप समय पर नहीं आते तो अनर्थ हो जाता छोटे साहब। कल्पना शक्ति के लिए चाय बना के लाई थी।

अनर्थ होने से आज बचा है लेकिन आगे नहीं बचेगा। आज मैंने रोक लिया लेकिन हर बार मैं नहीं रोक पाऊंगा। शक्ति किसी सोच में डूबा हुआ है।
आगे कैसे इन चीजों से साहब को बचाएंगे ?
उन्हें कोई नहीं बचा सकता । जब तक तीनो emotional होने के बजाय प्रैक्टिकल होकर नहीं सोचेंगे। तब तक ये स्थिति ऐसी ही बनी रहेगी।
काफी देर तक दोनों इस समस्या का हल ढूढ़ते रहें। फिर थक हार कर अपने-अपने कामों मे लग गयें।

रात को सोने जाने से पहले शक्ति मंजिल को देखने गया था। दवा खाने के बावजूद भी उसे नींद नहीं आ रही थीं । शक्ति को देखते ही वो उठने की कोशिश करने लगी ।
लेटी रहिये । मैं बस आपकी तबियत देखने और ये बताने आया था ।सर नहीं है , अगर किसी चीज की जरूरत लगे तो मुझे बुला लेना ।
सार्थक नहीं है।

इमरजेंसी काम से बाहर जाना पड़ा।
आप यहाँ आएंगे ? शक्ति झिझकते हुए मंजिल के बेड के पास पहुँचा ।
विपुल को बचा लीजिये प्लीज ! सार्थक मार देगा उसे । उसके सिवा मेरा और कोई नहीं है दुनिया में । शक्ति के पास आते ही मंजिल ने उसके हाथ को अपने दोनों हाथों से मजबूती से पकड़ लिया था।

देखिये जैसा आप सोच रहीं हैं वैसा कुछ नहीं होगा। आप मेरा हाथ छोड़िए ।
मेरी कसम खा के कहो कि ऐसा कुछ नहीं होगा ? शक्ति का दूसरा हाथ पकड़ कर मंजिल ने अपने सर पर रख लिया। शक्ति मंजिल के बिल्कुल ऊपर झुक गया । खुद को मंजिल के ऊपर गिरने से बचाने के लिए उसे अपने पैरों पर जोर देते हुए बैलेंस बनाना पड़ा। उसकी गहरी , डरी हुई आँखों में देखते ही शक्ति ने अपनी गर्दन दूसरी तरफ घुमा ली।

मेरे रहते विपुल को वो कुछ भी नहीं कर सकतें हैं और तुम्हें भी उनसे बचाने की पूरी कोशिश करूँगा । इतने महीनों मे पहली बार मंजिल के लिए उसके मुँह से “आप” की जगह “तुम” निकला था।
Thank you! मंजिल ने उसके हाथों को ढीला कर दिया। उसकी आँखों से बहते आँसू बता रहें थें कि उसे ये सुनकर कितनी राहत मिली है।

तुम भी अपनी तरफ से सार्थक का गुस्सा शांत करने की कोशिश करो। वैसे तो दिल के बहुत अच्छे इंसान है लेकिन गुस्से में आने के बाद किसी जंगली जानवर से कम नहीं लगते है। जो बातें मान सकती हो मानो और जो नहीं मान सकती उन्हें उनके मुँह पर कहने से बचो। इसी में तुम्हारी और विपुल की भलाई है।
ठीक है ।

अब सो जाइए, 12 बजने वाले हैं । Good night !
मंजिल से दूर जाते ही शक्ति फिर शक्ति बन गया था । कमरे की लाइट ऑफ करके वो कमरे से बाहर निकल आया ।

इश्क़ का अंजाम Part-27
इश्क़ का अंजाम Part-27

 

सुबह सार्थक का चेहरा देखते ही शक्ति समझ गया की बात सार्थक के हक़ मे नहीं गयी फिर भी उसने सार्थक से पूछ ही लिया –
क्या हुआ सर ? अंकल आंटी नहीं माने ?
शक्ति याद रखना अगर मंजिल मेरी नहीं हुई तो उस हरामखोर विपुल की भी नहीं होने दूँगा । पापा को क्या लगता है उनके रिश्ता ख़त्म करने की धमकी से मैं महीने भर के अंदर मंजिल की शादी विपुल से करवा दूँगा । कभी नहीं ।

सर अगर आप ठंडे दिमाग़ से काम नहीं लेंगे तो भले आप उन्हें विपुल की न होने दे लेकिन वो आपकी भी नहीं होंगी। बेहतर होगा थोड़ा समझदारी से डील करें उनसे। अपनी बात ख़त्म करके शक्ति ने टेबल से अपनी कार की चाभी उठा ली और घर के लिए निकल गय| /

सार्थक गुस्से से तमतामाते हुए अपने कमरे में चला गया। थोड़ी देर बाद उसके कमरे से तेज आवाजें आने लगी । 10 मिनट के बाद जब थोड़ी शांति हुई तो कल्पना ने सहमते हुए उनके कमरे का दरवाजा खोला। सामने देखा तो पूरा कमरा तहस नहस हो चुका था। सारे कांच , पर्दे, tv सबकुछ बिखर चुका था।

एक्वेरीयम के टूटने से उसकी खूबसूरत रंगीन मछलियाँ फर्श पर पड़ी तड़प रहीं थीं, बाकी Good luck की चीजें भी टूटी हुई हैं, गमले पौधों सहित कुचले जा चुके थें, और इन सब के बीच सार्थक बेसबाल बैट पकड़े बुरी तरफ हाँफ रहा था । कुछ काँच उसके कपड़ो, बालों और हाथों में भी चिपके हुए थें लेकिन अपने पागलपन की हद तक पहुँच चुके सार्थक ने इस पर गौर नहीं किया।

कल्पना ने एक शब्द भी नहीं बोला बस चुपचाप सभी टूटी चीजों को फिर से व्यवस्थित करने की कोशिश करने लगी। सार्थक बैट नीचे पटक कर बाथरूम में घुस गया।

दोपहर तक खुद को सामान्य करने के बाद सार्थक मंजिल के कमरे में गया। सार्थक को देखते ही मंजिल सहम कर बिस्तर से उतर गयी और एक कोने में खड़ी हो गयी। उसके सर पर पट्टी बंधी थी फिर भी सार्थक ने न उसका हाल पूछा और न चोट के लिए Sorry ही बोला। बस उसे घूरता हुआ एक कुर्सी पर जाकर बैठ गया।

मंजिल का पूरा शरीर डर से कांप रहा था लेकिन उसने हिम्मत करके सार्थक की तरफ कदम बढ़ाए । उसके करीब पहुँचते ही मंजिल सार्थक के कदमों में गिर कर रोने लगी।

Please विपुल को छोड़ दो। उससे गलती हो गयी है उसके बदले मुझे सजा दे दो लेकिन उसे जाने दो। उसके पूरे घर की जिम्मेदारी है उसके कंधो पर । अभी दोनों बहनों की शादी भी उसी को करनी है please न ।
मेरा पैर छोड़ो । सार्थक ने अपने पैर उसके हाथों से छुड़ा कर टेबल पर रख दिए।

आज तक तुमने अपनी जान के लिए मेरे कदमों में सर नहीं रखा है लेकिन विपुल के लिए तुमने वो भी कर दिया। इतना ही काफी है ये बताने के लिए कि तुम उससे कितना प्यार करती हो। अब इतने गहरे प्यार को मैं तो क्या भगवान भी नहीं कम कर सकते है । सार्थक ने अपनी हथेली में मंजिल का रोता हुआ चेहरा रख लिया।

सार्थक मैं जिंदगी भर गुलाम की तरह काम करूंगी तुम्हारे बस विपुल को कुछ मत करना वरना उसकी फैमिली मर …
कुछ नहीं होगा उसकी फैमिली को। सबको मेरे पेरेंट्स की निगरानी में रख के आया हैं तुम्हारा विपुल । कल घर ही गया था सबसे मिलने। सबकी बातें सुनने के बाद लगा कि मैं गलत कर रहा था तुम लोगों के साथ। ऊपर से पापा ने बोल दिया कि या तो मैं विपुल से तुम्हारी शादी कराऊँ या उनसे रिश्ता ख़त्म कर लूँ। अब तुम्हारे लिए अपनी फैमिली तो नहीं छोड़ सकता इसीलिए तुम दोनों की शादी का फैसला किया है मैंने ।

क्या तुम सच कह रहें हो ? मंजिल हैरानी के समंदर में डूब गयी , उसकी आँखें फैल कर चौड़ी हो गयी और साँसे जाम हो गयीं।
हाँ । तुम्हें मेरी बात पर यकीन नहीं हो रहा ? होगा भी कैसे इतना तो झूठ बोलता हूँ मैं कि. …
नहीं नहीं तुम झूठ नहीं बोलते । तुमने कहा है तो सच ही कहा है। मंजिल के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी और उसकी आँखों से आंसू धारा बनकर बहने लगे।

मम्मी पापा ने बोला है की कुछ समय तक विपुल की निगरानी करने के बाद अगर वो ठीक लगा तो उससे तुम्हारी शादी जल्द ही कर दी जाएगी।
निगरानी ? मंजिल थोड़ा हैरान हुई।
दरअसल मेरे पेरेंट्स तुमको अपनी बेटी मानने लगे है वो चाहते है कि शादी से पहले देख लें कि विपुल कभी तुम्हें धोखा तो नहीं देगा।
नहीं वो कभी ऐसा नहीं करेगा । आप तो ये बात जानते है फिर क्यों नहीं बताया उनको ?

मेरे जानने से क्या होता है । वो लोग खुद ही विपुल और उनकी फैमिली को अपनी तरफ से समझना चाहते है ताकि आगे चलकर मेरी दोस्त और उनकी बेटी को कोई दिक्कत न हो। क्यों भरोसा हैं न अपने विपुल पर?सार्थक ने प्यार से मंजिल के बालों को सहलाते हुए पूछा ।
खुद से भी ज्यादा । मंजिल ने पूरे आत्मविश्वास से जवाब दिया।

तो ठीक है फिर मैं यही बताने आया था । अब जा रहा हूँ शॉपिंग करने , तुम्हारे लिए कुछ लाना है ?
नहीं ।
सार्थक जाने लगा तो मंजिल ने उसे पीछे से पुकारा ।

अच्छा सुनो अब और कितने दिन यहाँ रहना पड़ेगा ?
क्यों ? मेरा घर कैदखाना लगता है तुमको ?
नहीं ऐसी बात नहीं है।

तो फिर यहाँ से निकलने की इतनी जल्दी क्यों ? यहाँ दुल्हन बनाकर ला नहीं सका तुम्हें लेकिन यहाँ से दुल्हन बनकर जाते हुए तो देख लूँ । मंजिल के मासूम से चेहरे पर एक शर्म भरी मुस्कान आ गयी। सार्थक ने उस मुस्कान को गौर से देखा और अंदर उमड़ते हुए गुस्से के ज्वार को दबाकर कमरे से बाहर निकल आया। बाहर आते ही सामने के पिलर ओर पूरी ताकत के साथ घूसा मारा और दूसरे हाथ को मुँह पर रख कर अपनी चीख दबा ली।

शाम को शॉपिंग के बाद सार्थक अपने विला आने की बजाय फॉर्महाउस के लिए निकल गया।
विपुल को किचन में अपने लिए चाय बनाता हुआ देखकर सार्थक ने उसे टोक दिया।
इतने नौकर हैं तो यहाँ तुम्हारी सेवा के लिए खुद क्यों किचन में चले आएं ?
मुझे अपना काम खुद से ही करना अच्छा लगता है।

हाँ बढ़िया आदत है यार । वैसे भी तुम्हें देख के लग ही रहा है कि तुम इसे अपना ही घर मान बैठे हो तो भला अपने घर में , अपने लिए काम करने में कैसी झिझक।
जी नहीं । मेरी आदत नहीं हैं दूसरे की चीज को जबरदस्ती अपना मान लेना ।
विपुल के इस तीखे तंज पर सार्थक तिलमिलाया तो बहुत लेकिन फिर भी मुस्कुराता रहा।

एक कप मेरे लिए भी लिए आना फिर डाइनिंग एरिया में बैठ कर बातें करेंगे।
हाँ चलो बस आया।
विपुल जब चाय लेकर पहुँचा तो देखा टेबल पर तीन डायमंड सेट खुले हुए रखे थें मैचिंग रिस्ट वॉचेस भी साथ में ही थीं । सार्थक ने उठकर उसके हाथ से चाय ले ली ।

आओ देखो तुमको ये कैसे लग रहें हैं । जानते हो इनकी कीमत क्या है ! पूरे 54 करोड़ …
तुम्हारी हैसियत को सूट करतें हैं । विपुल ने एक बार उन सब पर नजर डाली और बैठ कर चाय पीने लगा।
मेरी हैसियत मतलब ?

मतलब तुम्हारी हैसियत के अंदर और मेरी औकात से बाहर ।
ओह हाँ! सार्थक मुस्कुरा कर बोला – तुम्हारी फैमिली के लिए छोटा सा गिफ्ट है ये ।
मेरी फैमिली को आदत नहीं है इतने महँगे गिफ्ट्स की । इन्हें तुम अपनी फैमिली को पहनाओ ।

मेरी फैमिली मतलब की मंजिल को पहनाऊं ये सब !
भूल जाइए ऐसा कभी नहीं हो सकता ।
क्यों नहीं हो सकता ।

क्योंकि उसका प्यार मेरी हैसियत के अंदर है और तुम्हारी औकात के बाहर ।
सार्थक का खून सौ डिग्री से भी तेज तापमान पर खौला लेकिन सर झुका के वो फिर भी मुस्कुराने की एक्टिंग करता रहा।
अच्छा मेरा फॉर्महाउस कैसा लगा तुम्हें ? अगर चाहो तो मुंबई में sea फेसिंग बंगलो भी दिला सकता हूँ ।
किस लिए ? मेरे पास रहने के लिए जब मेरा घर है तो मैं इधर-उधर क्यों भटकूँ । फिर तुम क्यों दिलाओगे जब मुझे जरूरत होगी तो मैं खुद ही ले लूँगा ।

अगर तुम्हें ये चाहिए नहीं तो अभी तक यहाँ से जाने के लिए क्यों नहीं बोला?
अगर मेरे बोलने से तुम मुझे जाने देते, तो कल ही छोड़ दिया होता।
सही है ! मतलब तुम्हें मुझसे कुछ भी नहीं चाहिए ?
हाँ चाहिए क्यों नहीं ! मेरी मंजिल को लौटा दो बस ।

सार्थक ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि चाय का कप नीचे पटक दिया और उठ कर जाने लगा ।
अपने ये हीरें जवाहरात तो उठा के ले जाइए मिस्टर सुपरस्टार। विपुल शायद मुस्कुरा रहा था लेकिन सार्थक ने पलट कर नहीं देखा बस चलते हुए एक बार क्लैप किया और बाहर निकल गया। एक गार्ड ने बढ़कर उन बॉक्स को बंद करके पैक कर दिया।

कार के चलते ही सार्थक ने शक्ति को कॉल लगाया ।
डॉक्टर उषा राव की अपॉइंटमेंट लो कल की ।
उनकी ? लेकिन वो तो गायनोलॉजिस्ट… कहीं मैम को कोई दिक्कत…

जितना कहा उतना करो समझे ।
ok sir! मगर मैं कह रहा था कि कल अगर आप अपने कुछ शूट्स कम्प्लीट कर लेते क्योंकि प्रोडयूसर्स , डायरेक्टर्स के फोन आने लगे है।
शक्ति मैं इस समय सच में बहुत परेशान हूँ please कल के लिए और मैनेज कर लो । इतना कहकर सार्थक ने फोन काट दिया।

इश्क़ का अंजाम Part-27
इश्क़ का अंजाम Part-27

 

मंदिर मस्जिद हर जगह मंजिल को माँग कर थक चुकने के बाद सार्थक मुंबई के फेमस मैटरनिटी सेंटर में पहुँच चुका था। एक गायनी को मेल पेशेंट देख के अजीब लगा लेकिन सामने वाले के रुतबे के सामने उन्होंने सामान्य दिखने की कोशिश की। एक आदमी के रूप में स्त्री रोग विशेषज्ञ के कक्ष में बैठना सार्थक के लिए और भी मुश्किल था लेकिन मंजिल को पाने के लिए जो जानकारी चाहिए थी वो यहीं से मिलती। इसीलिए दोनों अपनी-अपनी कुर्सी पर सामान्य नजर आने की कोशिश करते रहें।

सेंटर से निकलने के बाद सार्थक के चेहरे पर एक शातिराना मुस्कान खेल रही थी।
शाम को एक सीन की शूटिंग करने के बाद सार्थक घर के लिए निकल गया। वैसे तो वो अपने कमरे में ही कॉफी मंगा लेता था लेकिन आज खुद किचन में चला गया।

मंजिल को काफी कमजोरी है , बात बात पे बेहोश हो जाती है।
डॉक्टर ने कहा तो था आपसे इन्हें किसी लेडीज वाली डॉक्टर को दिखाने के लिए। कल्पना अपने काम में ही व्यस्त थी।
हाँ आज पता किया था मैंने । डॉक्टर ने बोला है कि जबसे इनको पीरियड्स शुरु होंगे तब से ही वो इनका इलाज करेंगीं । अब मुझे तो औरतों की इन बातों के बारे में कुछ नहीं पता लेकिन आप तो जानती ही होंगी कि उन्हें कब डॉक्टर के पास ले जाया जा सकता है !

शायद तीन चार दिन के अंदर ही… लेकिन छोटे साहब बोले थें कि तब तो आप आउटडोर शूटिंग पर जाएंगे तो इन्हें कौन लेकर जाएगा डॉक्टर के पास ?
इतनी जल्दी ! लेकिन चलो जितना जल्दी हो उतना ही अच्छा। मेरे शूट्स की फ़िक्र न करो। बस जिस दिन भी इन्हें पीरियड्स शुरु हो मैं चाहे घर पर हूँ या शहर से बाहर आप तुरंत मुझे बता देना बस।
ठीक है ।

बाकी मैं कुछ मेडिसिन मैं आपको कल लाकर दे दूँगा, आप इन्हें समय से देती रहना ।
किचन से बाहर आते वक्त भी सार्थक के चेहरे पर सुबह वाली शातिर मुस्कान थी । उसके दिमाग़ में क्या शैतानी आइडिया चल रहा था ये न मंजिल को पता है और न शक्ति , कल्पना को । लेकिन कुछ तो सार्थक के दिमाग़ में है वो भी बहुत खतरनाक।

                                                                                                                                          To be Continue…..

 

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