इश्क़ का अंजाम Part 5
हेलो दोस्तो कैसे है आप, मैं आशा करता हूं आप सब अच्छे होंगे। आपका हमारी अपनी वेबसाइट atozlove पर स्वागत है। दोस्तो आपने हमारी पिछली स्टोरी डायरी-a cute love story को बहुत ही प्यार दिया उसके लिए आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद। अब आप पढ़ रहे है हमारी दूसरी कहानी इश्क़ का अंजाम….. अभी तक आपने इश्क़ का अंजाम part 4 में पढ़ा कि मंजिल अभी भी सही से खाना नही खा रही थी तो सार्थक ने एक ऐसा तरीका अपनाया जो की मंजिल को एकदम भी पसंद नहीं था।अब आगे………….
सार्थक अपने कमरे में बैठकर मंजिल के बारे सोचने लगा। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि उसे मंजिल को खाना खिलाने के लिए जो तरीका use किया वो गलत लगा हो इसीलिए वो अकेले में बैठकर अफ़सोस कर रहा हो बल्कि मंजिल को इतनी जल्दी-जल्दी खाना खाते देख उसे वो पल याद आ गया था जब पहली बार उसने मंजिल को देखा था।
एक फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में वो मंजिल के छोटे से कॉलेज में गया था। उस वक्त कॉलेज की लगभग हर लड़की उसे स्टेज पर चारों तरफ से घेरे हुए खड़ी थी, काफी ज्यादा भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी उसके आसपास स्टूडेंट्स और टीचर्स की। स्टेज पर बैठे-बैठे ही सार्थक सबको अपनी आने वाली मूवी “दिल हारे हम तो” के बारे में बता रहा था और बीच-बीच में स्टूडेंट्स के सवाल का जवाब भी देने में व्यस्त हो जाता था। लेकिन इन सबसे भी ज्यादा उसका ध्यान ग्राउंड पर एक पेड़ के नीचे बैठी एक लड़की, अपनी दोस्त जोकि शायद यहाँ उसका ऑटोग्राफ के लिए आयी थी और सबसे पहली वाली लाइन में खड़ी थी, के टिफिन से जल्दी-जल्दी खाना निगलने में व्यस्त थी। हाँ निगल ही तो रही थी वो ताकि उसकी दोस्त पहुँचे उससे पहले ही टिफ़िन वापस उसके बैग में रख दे । जबसे सार्थक ने इस कॉलेज में एंट्री ली थी तभी से उसकी नजर उस लड़की पर टिक गयी थी, ऐसा इसलिए क्योंकि इन सब के बीच वो एक एलियन लग रही थी। सब फोन में व्यस्त थे वो किताबों में खोयी थी सब अलग-अलग कपड़ों में नजर आ रहें थें वो कॉलेज की ड्रेस में ही थी , जहाँ लड़कियाँ मेकअप के सिवा चेहरे पर टिका ,रोली या बिंदी को ओल्ड फैशन बोलती है वहाँ उसके माथे पर छोटी दी बिंदी चमक रही थी जैसे सूरज को चुनौती दे रही हो। उसके आसपास भी दो लड़कियां बैठी थी जिनकी उम्र उससे ज्यादा लग रही थी या यूँ कहें की उस लड़की की उम्र ही उन दोनो से कम लग रही थी शायद 16-17 की रही होगी कोई ! सार्थक उसे देखते हुए ही स्टेज तक चला गया और वहाँ से भी बार-बार उसका ध्यान हर तरफ से हटकर बस उसी की तरफ जा रहा था, कैसे उसकी दोस्त उसका हाथ खींचकर खड़ा कर रही थी, कब उसने मना किया, उसने कैसे अपनी दोस्त का बैग पकड़ा, कितनी देर तक उसके स्टेज पर आ जाने का इंतजार करती रही और जब उसे कन्फर्म हो जाया की उसकी दोस्त उसे गच्चा देकर वापस नहीं लौटेगी तो उसने जल्दी से उसके बैग से टिफिन निकाल कर खाना शुरु कर दिया। सार्थक को ये देखकर काफी हँसी आयी थी, मतलब कि उसके लिए खाना एक सुपरस्टार से मिलने से भी ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है।
सार्थक ने इवेंट ख़त्म होने के बाद सबके साथ ग्रुप सेल्फी ली थी और कुछ लोगों को ऑटोग्राफ भी दिये थे। लेकिन जब उस लड़की की दोस्त ने ऑटोग्राफ के लिए हाथ बढ़ाया तो न सिर्फ उसे ऑटोग्राफ दिया बल्कि उसे साथ में सेल्फी क्लिक करने का ऑफर भी दिया। 5 मिनट की स्पेशल बातचीत में उसने उन दोनों का नाम जान लिया था तूबा और मंजिल। बातचीत के दौरान ही सार्थक ने उसके कान के पास मुँह ले जाते हुए कहा था ,” आपकी फ्रेंड ने आपका सारा टिफिन खा लिया है।” और चलते हुए उसके हाथ में अपना एक कार्ड उसकी तरफ बढ़ाते हुए बोला था कोई जरूरत हो तो कॉल कर सकती हो। इसके बाद वो निकल गया था।
उसके बाद कुछ दिनों तक न्यूजपेपर्स में मिस्ट्री गर्ल और कॉलेज में तूबा की ही चर्चा चलती रही। सबको यही लगता था कि सुपरस्टार सार्थक मल्होत्रा को कॉलेज गोइंग गर्ल पर क्रश हो गया है और दोनों टाइम मिलते ही डेट पर भी जाते है। तूबा तो पूरे एटीट्यूट में आ गयी थी नम्बर कार्ड को ही लव लेटर मानने लगी थी। इतनी लड़कियों ने उससे नम्बर मांगे किसी को न दिया उलटे उन्हें अपनी सौतन तक मानने लगी थी। लेकिन उसका ये खूबसूरत सपना ज्यादा दिन टिका नहीं दूसरी ही बार में फोन पर बात करते वक्त सार्थक ने अपनी इंटेंशन और अपना टारगेट उसे बता दिया था और उससे हेल्प करने की भी रिक्वेस्ट की थी।
सार्थक का फोन बजा तब जाकर वो अपनी खयालों की दुनिया से बाहर आया , शक्ति ने कॉल किया था उसे राशि के शो में जाने की याद दिलाने के लिए। वैसे तो सार्थक का बिल्कुल भी जाने का मन नही था लेकिन यहाँ रुककर बगल के कमरे में लेटी मंजिल के बारे में भी सोचने का कोई फायदा नहीं था, ऐसा करने से उन दोनों के बीच की दूरियां नहीं घटने वाली उसे कुछ और करना होगा इसके लिए।
शाम को लौटते वक्त सार्थक ने कार एक ज्वेलरी शोरूम के आगे रुकवा दी। शक्ति इस बात से जरा भी नहीं चौंका बल्कि वो समझ गया कि अबकी पाँचवी बार सार्थक की जिंदगी में कोई गर्लफ्रेंड आ चुकी है। इसीलिए बिना कोई सवाल जवाब पूछे वो सार्थक के पीछे-पीछे शोरूम के अंदर तक चला गया। सार्थक ने वहाँ एक से बढ़कर एक और महंगे से महंगे सेट देखने शुरु कर दिये। इस बात पर शक्ति को थोड़ी हैरानी जरूर हुई क्योंकि आजतक उसने अपनी किसी भी गर्लफ्रेंड के लिए सस्ती से सस्ती ज्वेलरी ही खरीद थी कोई सस्ती सी डायमंड रिंग या एयरिंग पीस या सोने की चेन, ब्रैसलेट वगैरह किसी के लिए कभी भी महंगा सा सेट नहीं खरीदा था। शक्ति ने जब इसकी वजह पूछी थी तो उसने कहा था” temporary लोगों के लिए permanent चीजें नहीं खरीदी जाती।” पर आज इतनी महँगी चीज क्यों खरीद रहें हैं? इस सवाल को शक्ति ने इग्नोर करना बेहतर समझा।
सार्थक ने एक ब्लू कट डायमंड का एक नेकलेस पसंद किया जिसपर मैचिंग इयरिंग भी थें और साथ में एक रिंग भी। देखने में इतना ज्यादा खूबसूरत की लग रहा था किसी बड़े देश की राजकुमारी के लिए बनाया गया होगा, हीरे के किनारे इतनी करीबी से काटकर नेकलेस में फिट किये गएँ थें जैसे शुरुआत से ही हिरा इसी में फिट था, जरा सा भी हिलने पर चमक इतनी तेज बिखेरता कि सामने वाला आँखें तक न खुली रख पाये। सार्थक इसके लिए मुहमंगी कीमत देने को तैयार हो गया था और शक्ति का मुँह खुला का खुला रह गया था। सार्थक ने 25 करोड़ का चेक मैनेजर को थमाते हुए मैनेजर से बोल रिक्वेस्ट करतें हुए कहा कि अब ऐसा सेट दोबारा तैयार न किया जाये। शक्ति को लगा कि आज उसके सामने शाहजहाँ खड़ा है जो अपने मजदूरों को हिदायत दे रहा है कि इसके जैसा ताजमहल अब दोबारा नहीं बनना चाहिए।
शक्ति ने खुद को रोकने की पूरी कोशिश की लेकिन गाड़ी में बैठते ही उसने आखिर ये सवाल पूछ ही लिया ।
सर क्या आपने ये सेट अपनी मम्मी के लिए खरीदा है ?
नहीं ! सार्थक के चेहरे पर मुस्कान थी और उसकी नजरें फोन की स्क्रीन पर। शायद वो किसी की तस्वीरें देखकर मुस्कुरा रहा था। शक्ति ने ये जानने के लिए कि किसकी तस्वीर हो सकती है मिरर को इधर-उधर किया लेकिन पिछली सीट पर बैठे सार्थक के फोन में उसे कुछ भी नजर नहीं आया।
तो किसके लिए खरीदा है ? शक्ति ने उसकी मुस्कुराहट के पीछे की वजह जाननी चाही।
None of your business mr Shakti shridhar. इतना कहकर उसने फोन अपनी जेब में रख लिया और खिड़की के बाहर देखने लगा।
सार्थक ने रात में मंजिल के कमरे में जाकर चुपचाप वो डायमंड सेट बेड के पास रखी टेबल पर रख दिया था ताकि जैसे ही उसकी नींद खुले उसे सबसे पहले वही नजर आये। इसके बाद वो आराम से रूम के बाहर आ गया था।
सारी रात सार्थक की नींद में वो नकलेस सेट और मंजिल के चेहरे की खुशी नजर आती रही। कभी सपने में देखता मंजिल ने उस सेट को देखने के बाद मारे खुशी के उसे गले से लगा लिया है कभी देखता मंजिल वो सेट पहने अपने कमरे में नाच रही है और सार्थक उसे निहार रहा है , तो कभी उसे नजर आता कि मंजिल उस सेट को सीने से लगाए बहुत तेज रो रही है और उससे कह रही है ,” मेरी मम्मी के जाने के बाद किसी ने मुझे कभी भी कोई तोहफा नहीं दिया तुम वो पहले शख्स हो जिसने मेरे लिए ये सब किया है । जब तुम मुझे इतने महंगे तोहफ़े दे सकते हो तो सारी जिंदगी तुम मुझे अपनी रानी बना कर रखोगे। सार्थक जो इतने सालों में नहीं कहा वो आज कह रही हूँ, I Love You …..। सार्थक की नींद एकदम से खुल गयी उसे ऐसा लगा कि मंजिल सच में ऐसा बोल रही थी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। फिर भी सार्थक बहुत खुश था कि शायद वो आज अपने दिल की बात कह दे। वो देखना चाहता था कि मंजिल उस सेट को देखकर कैसा रिएक्ट करती है कितनी ज्यादा खुश होती है। उसे तुरंत मंजिल के कमरे में जाना चाहिए ऑफ्टरआल अगर एकदम से खुश होकर उसे गले लगाने का मन हुआ सार्थक को तो ये बंदा वहाँ मौजूद होना भी तो जरूरी है। वो तुरंत मंजिल के कमरे में पहुँचा उस वक्त सुबह के 4 बजे थे। सार्थक जानता था कि मंजिल 5 बजे उठती है लेकिन फिर भी उसे कमरे से जाना मंजूर नहीं था वो चुपचाप एक परदे के पीछे छुपकर खड़ा हो गया ताकि मंजिल उसे उस डायमंड सेट से पहले न देख ले। सार्थक एक-एक मिनट में घड़ी देखता जा रहा था उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि आज 5 बजने में इतना वक्त क्यों लग रहा है? अब उसे कौन समझाये 5 तो अपने ही समय पर बजेगा वही बार बार अपनी घड़ी देख रहा है। अब तो सार्थक के पैर भी दर्द होने लगे थें। आज उसे अपने उन फैंस का दर्द समझ आया जो उसकी एक झलक देखने के लिए घंटो लाइन में खड़े रहतें हैं। कभी-कभी तो इतनी भीड़ देखकर सार्थक रास्ता ही बदल देता था। लेकिन आज से उसने सोच लिया था कि वो कभी भी ऐसा नहीं करेगा।
आखिर सार्थक के इंतजार की खड़ी समाप्त हुई क्योंकि मंजिल ने अपनी आँखे खोल कर बिस्तर पर एक अलसाई हुई अंगड़ाई ले ली थी। थोड़ी देर ऐसे ही बिस्तर पर बैठे रहने के बाद मंजिल ने चादर हटाकर अपने पैर बिस्तर के नीचे रखे ही थे कि उसे पास में चमचमाता हुआ सेट नजर आया, जिसे सार्थक ने रात में ही खोलकर रख दिया था। मंजिल ने करीब जाकर उस सेट को गौर से देखा। सार्थक ने अपनी सांसे रोक ली जैसे मंजिल उस सेट को नहीं परख रही हो बल्कि उसका टेस्ट ले रही हो। मंजिल ने सेट पर रखे नोट को उठा लिया जिस पर लिखा था ,” दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की के लिए दुनिया का सबसे खूबसूरत तोहफा।” मंजिल ने जैसे ही ये नोट पड़ा जैसे उसके खून में उबाल आ गया उसने वो पूरा सेट उठाकर पूरी ताकत से फर्श पर पटक दिया , वो सेट इधर-उधर जाकर बिखर गया। सार्थक ने तुरंत अपने सीने पर हाथ रख लिया जैसे मंजिल ने उसके दिल को चूर-चूर कर दिया हो। मंजिल ने जब वो नोट भी टुकड़े-टुकड़े कर दिये तो सार्थक से बर्दाश्त नहीं हो पाया उसका गुस्सा उसके काबू में नहीं रहा और वो परदे से निकल कर एकदम से चीख पड़ा ,” बस बहुत हो गया बहुत जता लिया तुमसे प्यार अब मैं सिर्फ तुमसे गुस्से में ही बात करूंगा तुम उसी लायक ही हो।” सार्थक की आवाज सुनकर पहले तो मंजिल डर गयी लेकिन तुरंत ही खुद पर काबू पाते हुए बोली ,” मुझे पता था तुम यही होगे ये देखने के लिए कि तुमने मेरी कीमत सही लगायी है या थोड़ी और लगानी पड़ेगी।” तुम पर जितनी कीमत लगानी थी लगा चुका अब तो बस तुमसे वसूली करनी है उस कीमत की। कहते हुए सार्थक मंजिल की तरफ बढ़ने लगा।
क्या मतलब है तुम्हारा ? तुम करना क्या चाहते हो मेरे साथ? आगे मत बढ़ो मैं सच बोल रही हूँ तुमसे। देखो बहुत बुरा हो जायेगा आज….! मंजिल बहुत डर गयी थी और अपने कदम पीछे खींचते हुए सार्थक को धमकी भी दे रही थी। लेकिन सार्थक नहीं रुका बल्कि मंजिल के बिल्कुल करीब पहुँच गया , मंजिल तुरंत वॉशरूम की तरफ भागी लेकिन सार्थक ने उसे दौड़ के अपनी बाहों में खींच लिया।
सार्थक छोड़ो मुझे। वो लगभग चीखते हुए बोली।
ओके बस थोड़ी देर बाद छोड़ता हूँ न , अभी इतनी जल्दी भी क्या है। कहते हुए सार्थक मंजिल को किस करने की कोशिश करने लगा। मंजिल अपनी पूरी ताकत से उसे रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन सार्थक ने उसके दोनों हाथ पकड़ के पीछे की तरफ कर दिये।
सार्थक नहीं प्लीज नहीं , देखो मैं तुम्हारी मेहमान हूँ और मेहमान के साथ ऐसा कौन करता है। मंजिल की आँखों में आँसू थे और आवाज़ में डर । सार्थक का मन भी एक बार उसे छोड़ने का हो गया था लेकिन जब उसने मेहमान शब्द कहा तो सार्थक का गुस्सा भड़क उठा।
अब तो और जरूरी हो गया है मेरी जान ये सब करना ताकि तुम्हारी ये गलतफहमी दूर हो सके कि तुम मेरी मेहनाम हो। इतना कहकर सार्थक ने दीवार से उसकी पीठ लगा दी और अपना एक हाथ उसकी कमर पर रख कर उसकी गर्दन पर किस करने लगा। मंजिल की हिम्मत बहुत कमजोर पड़ चुकी थी इतना विरोध करने के बाद उसकी सांसे भी उसके मनमुताबिक नहीं चल रही थी। वो बस खामोशी से खड़ी होकर सार्थक को सबकुछ करने देने का ही सोच रही थी लेकिन उसकी नजर सामने ग्लास टेबल पर रखी सेब की टोकरी पर चली गयी जिसमें धारदार नोंक की एक लम्बी सी चाकू रखी थी। उसे देखते ही मंजिल के शरीर में न जाने कहा से इतनी हिम्मत आ गयी कि उसने पूरी ताकत से सार्थक को पीछे की तरफ धक्का दे दिया और उस टोकरी की तरफ भागी। सार्थक जब तक खुद को संभाल कर उसकी तरफ भागता उससे पहले ही चाकू मंजिल के हाथ में थी।
वो चाकू मुझे दो, तुम्हें उससे चोट भी लग सकती है। सार्थक ने आगे बढ़ते हुए कहा।
आगे मत बढ़ना तुम वरना आज मैं तुम्हें मार डालूंगी। मंजिल ने चाकू सार्थक की तरफ लहराते हुए कहा।
पागल मत बनो मंजिल चाकू बहुत तेज है एक भी कट लगा तो समझ लो बहुत ज्यादा ब्लड लॉस होगा। वो वैसे ही चाकू लेने के लिए आगे बढ़ता रहा।
मैंने कहा न मैं तुम्हें सच में मार दूंगी । मंजिल अब भी अपने कदम पीछे ही खींचती रही।
मैंने कहा चाकू नीचे रखो मंजिल । उसकी आवाज़ काफी तेज थी और वो मंजिल के बिल्कुल करीब था। ये देखकर मंजिल ने वो चाकू तुरंत अपनी तरफ घुमा ली ।
मैं खुद को ख़त्म कर लूंगी सार्थक जो तुमने मुझे हाथ भी लगाने की कोशिश की तो। सार्थक एकदम से वहीं खड़ा हो गया। देखो मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा बस तुम ये चाकू नीचे रख दो, मैं वायदा करता हूँ मैं यहाँ से चला जाऊँगा । सार्थक ने अपने दोनो हाथ ऊपर उठाते हुए कहा।
मैं कैसे मान लूँ ले ?
देखो मैं सच में चला जाऊंगा वैसे भी मैं तुम्हारे साथ ज्यादा कुछ नहीं करना चाहता था बस तुम्हें थोड़ा डराना चाहता था तुम्हें खुद को महसूस कराना चाहता था बस। इससे आगे वाकईं मैं कुछ भी नहीं करता। प्लीज चाकू फेंक दो।
ठीक है तुम बाहर निकलो कमरे के मैं चाकू रख दूंगी । ओके, सार्थक ने अपने कदम पीछे खींचते हुए कहा। जाने के लिए अपना मुँह तो दरवाजे की तरफ घुमा दिया लेकिन उसके दिमाग़ मे एक अनजाना सा डर चलने लगा, अगर उसके जाने के बाद मंजिल ने खुद को चाकू मार ली तो ….? सार्थक ने आहिस्ते से अपनी गर्दन मंजिल की तरफ घुमाई जो इस वक्त चाकी की नोक को ध्यान से देख रही थी । सार्थक एकदम से पलटा और फुर्ती के साथ चलकर मंजिल के हाथ से चाकू छीनने की कोशिश की लेकिन उससे पहले ही मंजिल ने वो चाकू अपने पेट में पूरी ताकत के साथ मार ली थी। मंजिल को जब जरा भी दर्द नहीं महसूस हुआ तो उसने अपनी आँखें अपने पेट की तरफ घुमाई देखा तो सार्थक की हथेली से खून बहकर उसके कपड़ों पर गिर रहा था क्योंकि उसने अपने हाथ से उस चाकू के धारदार हिस्से को पकड़ रखा था। मंजिल ने पूरी ताकत से फिर से चाकू अपने पेट में मारने की कोशिश की लेकिन सार्थक ने भी अपने उस जख्मी हाथ की कोई भी परवाह न करते हुए चाकू को पकड़े रखा। मंजिल जितना प्रेशर चाकू पर देती सार्थक के हाथ से उतनी ही तेज खून बहता और वो दर्द से कराह उठता । मंजिल ने जब फिर से अपने पेट की तरफ देखा तो अपने सारे शरीर पर खून ही खून पाया। इतना सारा खून देखकर मंजिल एकदम से चीख पड़ी और वहीं बेहोश होकर गिर गई।
To be Continued. ….
मुझे आशा है कि आप सब को इश्क़ का अंजाम एक जुनूनी आशिक की लव स्टोरी पसंद आ रही होंगी। इश्क़ का महीना है तो अगर आपके पास भी कोई ऐसी लव स्टोरी हो तो आप अपने इस परिवार के साथ शेयर कर सकते है आपकी प्राइवेसी का पूरा सम्मान किया जायेगा। आप अपनी कहानी हमें मेल कर सकते है…