तुम देवी हो। Husband wife Heartwarming love story
कल पार्लर में 15 हजार इस लिए नही खर्च किए हैं कि तुम फिर गँवार बन के बाहर जाओ और ये क्या चादर की तरह साड़ी लपेट के रखी है ! मैने कहा न सर को ऐसी चीजें बिल्कुल नहीं पसंद मयंक ने अपना माथा पीटते हुए कहा।
गुस्सा क्यों होतें हैं जी मैं अभी बदल लेती हूँ जाकर जैसी फोटो मुझे दिखाई थी बिल्कुल वैसे ही बस गुस्सा न करिये । वो क्या है न कि मुझे बहुत खराब लगता है अगर मेरा शरीर कहीं से भी दिखता है तो । आप जो ब्लाउज लाएँ है न वो बहुत गहरे गले का है पीछे तो कपड़ा ही नहीं है सिर्फ डोरी …..
यार सर तुमको देखके मुझे जज करेंगें सोचेंगे कि जो अपनी बीवी को बाबा आदम के जमाने का बना के रखता है वो भला क्या मेरे प्रोजेक्ट को आगे ले जा पायेगा । समझो बस गया मेरे हाथ से प्रोजेक्ट ।
नहीं नहीं ऐसा नहीं होगा मैं अच्छे से कपड़े भी पहन लूँगी और आपके साहब से अच्छे से बात भी कर लूँगी, आप परेशान न हो बस । राधिका वापस से कमरे के भीतर चली गयी ।
थोड़ी देर बाद राधिका बिल्कुल उसी बॉलीवुड एक्ट्रेस की फोटो के जैसे तैयार होकर आयी जैसी मयंक ने उसे दिखाई थी । सिल्क की सफ़ेद साड़ी Perfect ten के हिसाब से बंधी थी , खुले बालों में मैचिंग Hair jewellery , Minimal makeup लेकिन Red lipstic , कानों में लम्बे इयरिंग्स…. । शादी के इस एक साल में राधिका कभी इतनी अच्छे से तैयार नहीं हुई थी।

जब भी मयंक को राधिका को किसी कलीग की पार्टी में ले जाना पड़ता तो सबसे ज्यादा मेहनत उसे राधिका को तैयार करने में लग जाती थी फिर भी अपने दोस्तों की बीवियों को देखकर उसे अपने ऊपर शर्मिंदगी महसूस होती थी । जब भी उसे किसी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता तो उसे अपने पिता पर बहुत गुस्सा आती और खुद पर भी कि आखिर क्यों इस टके से घर और कार के लिए उसने अपने पिता के मरे हुए दोस्त की बेटी से शादी के लिए हाँ कर दी थी ।
वो तो बच गएँ शहर के बिचोबीच आलीशान घर में अपनी दूसरी बीवी और एक बच्चे के साथ रहतें है। समाज के तानों से बचने के लिए अपना आखिरी फर्ज़ भी निभा लिया और सारा रिश्ता ख़त्म करके आराम से है। लेकिन मयंक इस 8 वीं पास यतीम लड़की के संग बंधा रह गया ।
बेहतर लग रही हो पहले से , ठीक है सब । बस जरा बालों में एक सफेद गुलाब का फूल भी लगा लो। मयंक ने पॉट में लगे फूल को तोड़कर राधिका के बालों में लगा दिया।
परफेक्ट! बहुत खूबसूरत लग रही हो तुम आज । इतने लम्बे समय में ये पहली तारीफ थी जो पूरे दिल से की थी मयंक ने लेकिन उसमें कुछ भारीपन आ गया था ।
आपने मुझे तो तैयार कर दिया लेकिन ये तो बताया ही नहीं कि मुझे उनसे क्या बात करनी है ? क्या करना है उनके लिए ? मुझे तो आपकी तरफ अंगरेजी बोलना भी नहीं आता और कम्प्यूटर पर खटर पटर भी नहीं जानती । तब भला कैसे…..
तुम कुछ मत कहना बस सर जो कहे वो सब चुपचाप करती जाना बिना कोई सवाल किये । उनके सामने शर्माना नहीं । इस तरह दिखाना कि तुम भी मेरे बाकी दोस्तों की बीवियों की तरह बिल्कुल मॉर्डन हो , समझी !
हाँ ।
ठीक है अब मुस्कुराते हुए जाओ उनका ड्राइवर बाहर गाड़ी लेकर आ गया है ।
आपके बिना कहीं जाना अच्छा नहीं लगता है, अगर आप भी चलते तो …!
क्या चाहती हो, मेरा बॉस ये समझे कि मैं बीवी पर कंट्रोल रखता हूँ, उसकी निगरानी करता हूँ उस पर भरोसा. …..
नहीं नहीं , ऐसा मत कहिये मैं अकेले ही चली जाउंगी। उसने लपक के मयंक के होठो पर अपना हाथ रख दिया था ।
Thank you मेरी परिस्थिति समझने के लिए ।
Thank you कैसा ! आपके हर सुख दुख में आपके काम आना ही तो मेरा सौभाग्य है । उसने जाते समय झुक कर मयंक के पैर छुए। मयंक ने अपने पैर पीछे खींच लिए ।
ये क्या कर रही हो ? मैं इस लायक नहीं हूँ ।
कैसा बोलते है आप भी ! भगवान भी भला आरती के लायक नहीं होते ?
अपने पल्लू को समेटते हुए राधिका कार में जाकर बैठ गयी । एक बार को मयंक के मन में आया तो कि जाकर रोक ले उसे लेकिन पता नहीं वो कर नहीं पाया ऐसा , बस कार को उसे ले जाते हुए देखता रहा ।
राधिका एक बड़े महल जैसे बँगले के सामने उतरी तो हैरानी से उसकी आँखें खुली ही रह गयी। उसने कभी भी इतना बड़ा घर नहीं देखा था । ग्राउंड के बिचोबीच एक फव्वारा चल रहा था उस फव्वारे को देखकर एक बार तो राधिका का दिल किया कि पानी में पैर करके बैठ जाएँ लेकिन उसे की बात याद थी कि कुछ भी गँवारों वाला मत करना । शहर वाले थोड़े ऐसा करते होंगे? राधिका सोच में डूबी हुई इधर-उधर देख रही थी कि सामने से एक औरत आती दिखाई दी ।
सर आपको बुला रहें है ।
जी चलिए , उन्हीं से तो मिलने ही आयी हूँ ।
राधिका एक बड़े और शानदार कमरे में पहुंच चुकी थी , लेकिन वहाँ पर उसके अलावा कोई नहीं था । वो जैसे ही बैठी उसे बाथरूम से कोई निकलता हुआ दिखाई दिया। वो तुरंत खड़ी हो गयी।
अपने हाथों को रुमाल से साफ करते हुए मयंक के बॉस कमरे में आ चुके थे। हलके सफ़ेद बाल , क्लीव सेव , उम्र 50 से नीचे तो नहीं लग रही थी लेकिन शरीर काफी कसा और स्लिम था ।

राधिका को सर से लेकर पैर तक देखने के बाद उन्होंने कहा – आदित्य ने सही ही कहा था , मयंक ने काफी बड़ा तीर मारा है। हुस्न की मलिका को अपने घर की दासी बनाके रखा है उसने। उन्होंने अपना हाथ आगे बढ़ा के राधिका से हाथ मिलाना चाहा तो अपने संस्कारो के मुताबिक उसने झुक कर उनके पैर छू लिए।
ये क्या कर रही हो ? उन्होंने दो कदम पीछे हटते हुए कहा – मैंने पैर छूने के लिए नहीं बुलाया तुम्हें ।
जी , जानती हूँ । उनकी तेज आवाज़ से राधिका सहम गयी।
राधिका के जाने के बाद मयंक का दिल कुछ भारी सा हो गया था । लेकिन वो खुश भी था कहीं न कहीं । पाँच लाख तो उसे मिल ही चुके है अपने बॉस से अब अगर वो प्रोजेक्ट भी मिल जाये तो इसी शहर में अपने पिता से भी बड़ी कोठी खड़ी करेगा वो ।
11 बजने वाला था और उसे भूख लग रही थी । राधिका को तैयार करने के चक्कर में उसने सुबह से पानी तक नहीं पिया था इसीलिए वो सीधा किचन में चला गया। किचन के दरवाजे पर ही एक पर्ची चिपकी थी । मयंक ने उसे पढ़ा-
“आप परेशान न होना , बस आज थोड़ा सा भरोसा रखना मुझपर। मैं आपके लिए वो प्रोजेक्ट जरूर लाऊंगी जिसके लिए आप कई रातों से सोए नहीं हैं ।” मयंक ने बड़ी मुश्किल से अपना दिमाग़ राधिका से हटाया था लेकिन ये नोट पढ़कर वो फिर से उसके लिए सोचने पर मजबूर हो गया। तुम्हारे सपने बहुत बड़े है जो सिर्फ राधिका तक सिमट के नहीं रह सकते , फिर जवाब भी तो देना है न अपने बाप को । जब राधिका उनके लिए मोहरा हो सकती है उनकी आजादी का तो राधिका तुम्हारी भी आजादी का मोहरा बनेगी। मयंक ने अपनी भावनाओं को काबू में किया और नाश्ते में क्या बनाएगा ये सोचने लगा ।
बर्नर के पास पहुँचा तो देखा वहाँ पर पहले से ही तीन बाउल बंद करके रखे हुए है । ये क्या है ? किसने बनाया ? …. तो क्या राधिका बिल्कुल सुबह ही उठ गयी थी ? लेकिन रात दो बजे तक तो वो मेरा ही सर दबाती रही थी। यही सब सोचते हुए मयंक ने बाउल ढक्कन हटाया , उसमें आलू के पराठे थे और साथ में नोट भी।
“आप हमेशा इस बात को लेकर गुस्से में मत रहा कीजिये कि जैसा सोचा था वैसा कुछ नहीं मिला जिंदगी में, क्योंकि सोचा हुआ होता ही नहीं है किसी के साथ भी । अब देखिये न आप तो बड़े-बड़े सपने देखते है , लेकिन मैंने तो छोटा ही सोचा था कि अपने पति को हमेशा खुश रखूंगी , मेरी वजह से कभी कोई तकलीफ तक नहीं होने दूंगी। लेकिन यहाँ तो मैं ही आपकी तकलीफ और शर्मिंदगी का कारण बनी बैठी हूँ ।”
मयंक ने नोट पढ़ा तो उसकी आँखें हलकी नम हो गयी । अब वो कैसे बताएं राधिका को कि उसकी दिक्कत राधिका नहीं उसका अतीत है , उसकी अति महत्वाकांक्षा है , उसका पिता है ये समाज है। मयंक ने दूसरा बाउल खोला उसमे दलिया और ब्रेड रखे हुए थे , उसमें भी एक नोट था ।
“प्रोजेक्ट आपको ही मिलेगा चाहे जैसे मिले । आपके साहब जो कहेंगे वो सब करुँगी । जरूरत पड़ी तो उनके जूतों में सर भी रख दूंगी । मुझे बचपन से ही कोई भी चीज बहुत मांगने पर ही मिली है , इसीलिए मुझे अपने मांगने के तरीके पर पूरा भरोसा है , वो मुझे मना नहीं कर पाएंगे । ” ऐसी मासूम लड़की मुझ जैसे स्वार्थी आदमी को देते तुझे दया नहीं आयी भगवान ! मयंक ने अपनी आँखें बंद कर ली तो दो आँसू लुढ़क कर उसके गालों पर गिर गएँ। उसकी सारी भूख ख़त्म हो चुकी थी फिर भी उसने तीसरा बाउल खोला उसमें कटे हुए फल और सूखे मेवे रखे थें यहाँ भी एक नोट रखा हुआ था ।
” मुझे जो काम वहाँ बताये जाएंगे मैं वो सब बहुत अच्छे से करूंगी लेकिन अगर कोई गलती हो जाएँ और आपके साहब आपको फोन करें तो उनके सामने गुस्सा मत करना मुझपर। मैं घर पर आ जाऊं तो जो मन करे कर लीजियेगा लेकिन सबके सामने कुछ नहीं कहना । मुझे बहुत खराब लगता है और मैं अकेले में फिर बहुत रोती हूँ ।”
मयंक बिल्कुल ठंडा पड़ गया ये नोट पढ़कर । कैसे रह रही है सालभर से वो उसके साथ ? सारे दोस्त कहते है वो खुद भी जानता है कि राधिका जितनी खूबसूरत बीवी शायद ही पूरे ऑफिस में किसी दूसरे की हो। सिर्फ खूबसूरती ही नहीं उसका व्यवहार , उसकी बातें उसका समर्पण …. कहाँ मिलेगा ये सब आजकल के जमाने में ।
मयंक शायद इतनी देर में पहली बार पछता रहा है । लेकिन अब पछताने से कोई फायदा है ? नहीं ! चारों पर्चियों को हाथ में दबाएं वो इधर-उधर टहलने लगा किचन में । क्या इतना हिंट देने के बाद भी वो नहीं समझी कि मैं उसे वहाँ क्यों भेज रहा हूँ? क्या उसे मुझपर इतना भरोसा है कि एक बार भी शक तक नहीं किया गया उसे मुझपर ? उसने कुछ और भी नोट्स रखे होंगे जरूर । मयंक ने रसोई में चारो तरफ नजर दौड़ाई । नाश्ता करने के लिए राधिका ने एक प्लेट बर्तनों से अलग निकाल कर रखी थी । मयंक ने लपक कर उस प्लेट को उठा लिया । उसके नीचे भी एक पर्ची थी ।
“मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है आपके अलावा इसीलिए मैं आप पर अपना सबकुछ कुर्बान करने को तैयार रहती हूँ । मैं आपसे उतना ही प्यार करती हूँ जितना आप अपने काम को करते है। मैं आपसे ज्यादा नहीं मांगती लेकिन अगर मैं आपका काम करवा दूँ तो क्या आप थोड़ा सा प्यार मुझे भी कर सकते है ? और हाँ मुझे अकेले भेज कर टेंशन न करना , मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता , गले में आपके नाम का मंगलसूत्र जो पहना है । ”
मयंक अपने घुटनों पर आ चुका था । अभी तक जो आँसू उसके सीने में फसे थें वो तेजी से आँखों से निकल के बहने लगे और गर्दन में अटकी आवाज़ भी चीख बन गयी । मयंक रसोई की फर्श पर नन्हे बच्चे की तरह बिलख कर रो रहा था , अपने हाथ पैर पटक रहा था और खुद को कोसता जा रहा था ।
क्यों ? क्यों किया मैंने उसके साथ ऐसा ? उसे कितना भरोसा है मुझपर और मैं ही उसका सौदा कर आया ! कितना कितना ज्यादा गिर गया तू मयंक …! अब तक तो वो लूट चुका होगा तेरी राधा को । शाम को जब वो टूटी हुई सामने आएगी तेरे तब ? क्या जवाब होगा उसके प्यार का , भरोसे का, और मंगलसूत्र का ! कोई जवाब होगा भी तेरे पास? नहीं होगा , नहीं होगा , नहीं होगा । मयंक चीखते हुए अपना सर पटकने लगा ।

एक अनाथ को सहारा देकर फिर से अनाथ बना दिया छी: थू है मयंक तुझपर । दूसरे को नीचा गिराने के चक्कर में तुम खुद ही गिर गये। अब चाहे जितनी भी दौलत क्यो न मिल जाएँ दोबारा ऊपर नहीं उठ पाओगे तुम ।
मैंने ये क्या कर दिया ! भगवान प्लीज मुझे कोई प्रोजेक्ट नहीं चाहिए, मुझे किसी को अपनी ताकत नहीं दिखानी , मुझे मेरी राधिका लौटा दो बस । पूरी दुनिया में वही ऐकलौती है जो मुझे इतना प्यार करती है , इतना सम्मान करती है । मैं उसे खोना नहीं चाहता , उसे सही सलामत मेरे पास भेज दो प्लीज्। मयंक ने अपने दोनो हाथ अपनी टांगो के बीच में दबा लिए और सिसकते हुए प्रार्थना करने लगा।
उसके माथे से खून बह रहा था और आँखों से आँसू । वो लड़खड़ाता हुआ उठा और बाहर की तरफ भागा। उसका फोन सामने ही टेबल पर रखा हुआ था उसने तुरंत अपने बॉस को कॉल किया लेकिन 5 बार लगातार बेल जाने पर भी उन्होंने फोन नहीं उठाया तो उसने आदित्य को कॉल की ।
यार भाई , सर से कहो मेरी बीवी को कुछ न करें , बहुत भोली है वो । मुझे पैसा प्रोजेक्ट कुछ नहीं चाहिए भाई बल्कि मेरे पास जो भी है वो सब भी ले ……
ऐसे क्यों रो रहा है जैसे कोई मर गया हो । दो घंटे होने ही वाले है । अपनी कीमत वसूल ली होगी सर ने, भाभी जी पहुंचने ही वाली होंगी घर पर । चल फोन रख अब । Hello , सुन तो लो भाई….. मयंक बोलता ही रह गया और उधर से फोन कट गया। उसने टेबल के सहारे खुद को संभालने की कोशिश की लेकिन धम् से नीचे गिर ही गया और गिरते ही फिर से दहाड़े मार कर रोने लगा ।
मुझे नहीं माननी चाहिए थी आदित्य की बात । क्यों मान लिया था कि बॉस को राधिका पसंद आ गयी है मर्जी से दूँ या जबरदस्ती ? क्या इतना कमजोर हूँ कि अपनी बीवी की हिफाजत नहीं कर पाता मैं ! मेरे लालच ने मुझे ये सब समझने का मौका ही कहाँ दिया। मयंक रोता जा रहा था और खुद को हाथ पैरों पर चोट पहुँचता जा रहा था । वो इसी तरह पड़े पड़े तब तक सिसकता रहा जब तक बेसुध होकर शांत नहीं हो गया ।
उसे होश तब आया जब शाम को डोर बेल की आवाज सुनी। दरवाजे पर बहुत देर से कोई दस्तक दे रहा था।
राधा ……! खुद को संभालते हुए मयंक उठा और दरवाजे तक गिरते पड़ते जल्दी से पहुँचा ।
मुझे माफ़ कर दो। दरवाजा खोलते ही वो फिर से रोते हुए घुटनों के बल बैठ गया ।
हे भगवान ! ये क्या किया आपने? राधिका ने तुरंत अपने साड़ी के पल्लू से उसका चेहरा पोछा। चेहरे पर जगह- जगह खून लगा हुआ था माथे का खून तो बिल्कुल ही सुख चुका था । आँखें भी इतनी ज्यादा लाल थी कि लग रहा था उनमें भी खून भर गया हो।
कैसे हुआ ये सब । कहाँ से क्या मार लिया खुद को ? राधिका की आवाज भर आयी थी। लेकिन रोने धोने से कुछ नहीं होने वाला। उसने मयंक को सहारा दे कर उठाने की कोशिश की । पर मयंक उसके घबराएं हुए चेहरे को ही देखता रहा , जहाँ न कोई शिकायत है , न गुस्सा और न धिक्कार । है भी तो क्या ? फ़िक्र , मोहब्बत और चिंता । ऐसा लग रहा है जैसे कुछ हुआ ही नहीं सब कुछ पहले जैसा ही है ।
तुम देवी हो राधा । उसने अपने हाथों से उसके पैर पकड़ लिए ।
ये क्या कर रहें है , जरा तो सम्भालिए खुद को । अपने पैरों को दूरकर राधिका ने उसकी बाहों को संभाल लिया।
मैं बहुत बुरा हूँ. ….।
आपको क्या हो गया है अचानक से । आप ऐसा क्यों कर रहें हैं? कार में आपके साहब बैठे है वो देखते होंगे तो क्या सोचेंगे आपके बारे में?
सर आएं हैं तुम्हें छोड़ने ?
हाँ, मैनें तो बहुत मना किया लेकिन वो खुद ही नहीं माने ।
तुम अंदर जाओ और पहले कपड़े बदलो जाकर ऐसे कपड़े दोबारा कभी किसी के सामने मत पहनना । उसने अपने जख्मी हाथों में उसके गालों को भरते हुए कहा।
हाँ ठीक है पर अभी आप चलिए आपके कपड़े बदल दूँ और पट्टी कर……..
नहीं पहले मैं सर से मिलूंगा।
इस हाल में..!
हाँ , तुम अंदर जाओ कमरे में अभी ।
ठीक है । राधिका के जाते ही उसके सर उसके सामने आकर खड़े हो गएँ।
अंदर आ जाऊँ? मयंक ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया बस दरवाजे से साइड होकर खड़ा हो गया ।
क्या कर रहें थें ? सोने की कीमत में कोहिनूर देने चले थें ! इसकी कीमत तो मेरे हिसाब से …..
अनमोल है वो किसी के हिसाब से उसकी कोई कीमत नहीं हैं। मैं उसे दो घंटे तो क्या दो मिनट भी किसी को नहीं दूँगा । मुझे आपका प्रोजेक्ट नहीं चाहिए मुझे और पैसे भी नहीं चाहिए, जो दिये है वो भी कल लौटा दूँगा । प्लीज हम दोनो को हमारे इसी हाल पर छोड़कर चले जाइए । अपने बॉस की बात पूरी होने से पहले ही ने अपनी बात कहनी शुरु कर दी थी।
हूँ. … वैसे तो मैं ये देखने आया था कि कितने बड़े बेवकूफ हो तुम ! लेकिन जब उसके कदमों में बैठे देखा तुम्हें तो समझ गया कि मेरी तरह तुम्हें भी आज ही समझ आया है कि एक औरत शरीर के अलावा भी बहुत कुछ है ।

मयंक ने अपने हाथ जोड़ लिए और सोफे के सहारे बैठ कर फिर से रोने लगा। मेरे लिए इतना ही काफी है कि मैं उसकी नजरों से गिरा नहीं वो सही सलामत वापस आयी है । इतना ही चाहिए था ऊपर वाले से अब कभी उसे दुख देने वाला को काम नहीं करूँगा ।
तुम बहुत अमीर हो मयंक । तुम्हारे इस खजाने की एक पेनी आज मुझे भी मिल गयी तो मेरा घर भी आबाद हो गया। श्वेता लौट आयी मेरी जिंदगी में यार । मयंक के सामने फर्श पर ही उसके बॉस भी बैठ गयी।
सुनना चाहोगे कैसे ?
हाँ ।
मैं बहुत अपसेट हो गया था उसके पैर छूने पर इसीलिए उसे ड्रिंक्स बनाने के लिए बोला था मैंने ।
आप सुबह में भी शराब पीते है ? उसने ड्रिंक बनाते हुए पूछा।
हाँ । मेरा जब मन करता है तब पीता हूँ ।
आपकी बेटी आपको डांटती नहीं हैं ?
बेटी? ये काम तो बीवियों का होता है।
नहीं एक उम्र के बाद अपने पिता पर बेटियों का हक़ बीवियों से ज्यादा हो जाता है।
अच्छा ! भारी मन से उन्होंने कहा।
अच्छा क्या मैं अपने पल्लू से खुद को ढक सकती हूँ? हमारे यहाँ औरतें बड़े बुजुर्ग लोगों से ऐसे नहीं मिलती , पर मयंक जी ने कहा तो मुझे ऐसे ही आना पड़ा। उसने टेबल पर ड्रिंक रखते हुए परमिशन मांगी।
तुमको पता है न कि तुम यहाँ किसलिए आयी हो ? उसके इस तरह के बर्ताव पर उन्होंने सवाल किया।
हाँ रोटी के लिए ।
मतलब ? वो थोड़ा हैरान हुए।
आपको नहीं पता होगा लेकिन मैं अनाथ हूँ , जिस दिन चाची खाना नहीं देती थीं उस दिन जहाँ भी खाना मिलने की उम्मीद होती थी चली जाती थी लेने। जगह नजदीक हो या दूर पेट की आग तो शांत करनी थी न । आज भी जब भगवान मुझे भूखा रखने की तैयारी में है तो आपके पास आयी हूँ रोटी मांगने। अपने पति की नौकरी उनका प्रोजेक्ट , क्योंकि जब तक उनका काम चलता रहेगा मेरा पेट भरता रहेगा।
और ये प्रोजेक्ट तुम्हारे पति को मिलेगा कैसे ?
आपकी सारी बातें मान कर । बड़ी मासूमियत से उसने जवाब दिया।
अच्छा तो मेरा कोट उतारो आकर।
जी…. जी जरूर ! आप लोग बड़े आदमी है आपके कपड़े उतरने के लिए हम जैसे नौकर लगे होतें है पर जानतें हम गरीब लोग के कपड़े कौन उतरता है ये दुनिया और ये समाज। इसीलिए बहुत सोच समझ के कपड़े पहनने पड़ते है। अब बताइये वो तो मुझे बाहरी कपड़े पहन के आने के लिए बोल रहें थें । अब मैं जानती हूँ कि मैं आपसे बात करने आयी हूँ दुनिया नहीं जानती ।
ये किस तरह की बातें कर रही हो तुम मुझसे ? इसलिए तो नहीं बुलाया था तुम्हें ।
माफ कर दीजिये। मुझे बड़े लोगों से बात करने का ज्यादा तजुर्बा नहीं है अभी इसीलिए उन्होंने कहा भी था कि कुछ भी बोलना मत बस चुपचाप सुनना लेकिन मैं भूल गयी। आप उन्हें ये बात मत बताइयेगा वरना गुस्सा करेंगे।
वो गुस्सा करता है तुम पर ? हाथ भी उठाता है ?
आप क्यों इस तरह पूछ रहें हैं जैसे मेरे पिता हो ! इतनी फ़िक्र की आदत नहीं मुझे क्योंकि कभी किसी ने की ही नहीं ।
मैं बस इंसानियत के नाते पूछ रहा था मुझसे कोई रिश्ता जोड़ने की कोशिश मत करो क्योंकि तुम यहाँ….
मैं तो सबसे रिश्ता जोड़ने की कोशिश ही करती हूँ क्योंकि सच्चे रिश्ते इंसान को बेहतर मुकाम तक ले जाते है। आप भी जो यहाँ तक पहुँचे है उनके पीछे भी तो कुछ खास लोगों का हाथ होगा ?
नहीं । मैंने ये सब अपनी मेहनत और सपोर्ट से हासिल किया है।
अच्छा तो पीछे जो फोटो लगी है वो किस की है , उन्हें यहाँ रखने की क्या जरूरत है ।
देखो मेरी पर्सनल लाइफ में मत घुसो और अब जैसा मैं कहता हूँ वैसा ही करो समझी।
मैं आपकी जिंदगी में घुस कर भी क्या करूंगी जब आप खुद अपनी जिंदगी में नहीं घुसे हुए है । प्यार ही नहीं करतें अपनी जिंदगी से।
तुम्हें किसने कह दिया कि मैं अपनी जिंदगी से प्यार नहीं करता हूँ ।
इतने बड़े घर में आपके अकेलेपन ने , जहाँ आपका साथ देने के लिए कोई है ही नहीं। वो तस्वीर आपने बिस्तर के पास रखी है उसने भी यही बात बताई मुझे कि रोज रात को आप उसे सीने से लगा के सोते है।
तुम्हें इतनी बातें आती कहाँ से है ? इतना प्यारा कैसे बोल लेती हो ! उन्होंने एक गहरी सांस ली और पीछे मुड़कर देखा फिर राधिका की तरफ पलटते हुए बोले – मेरी बीवी और बेटी की तस्वीर है वो ।
अब कहाँ हैं वो आपकी पत्नी?
मुझे छोड़कर अमेरिका सेटल हो गयी है बेटी के साथ ।
क्यों ?
क्योंकि उसे लगा मैं बहुत Greedy हो चुका हूँ, मुझमें ego आ गयी है मुझे उन लोगों की परवाह नहीं है बस इसीलिए 4 साल पहले चली गयी श्वेता मुझे छोड़कर ।
आपने रोका नहीं उन्हें ?
काफी रोका , बहुत समझाया लेकिन वो बोली जिस दिन सच में लगे कि हमारी जरूरत है उस दिन बुलाना चले आएंगे।
तो आपने उन्हें अभी तक बुलाया क्यों नहीं ?
इतना तो रोका तब नहीं रुकी तो एक बार बुलाने से क्या खाक आ जाएंगे। खुद भी तो एक कॉल कर सकते थें लेकिन नहीं , जब उनकी न है तो मैं क्यों पहल करु।
गलती चाहे जिसकी हो लेकिन पहल करने वाला समझदार होता है । एक बार फोन करने में वैसे भी आपका कुछ नहीं जाएगा ।
मैंने न उन्हें फोन किया है और न करूँगा ।
एक आप लोग है जिनके पास रिश्ते तो है लेकिन कदर नहीं और एक मैं हूँ सर पर एक हाथ को तरसती हूँ तो कोई बात करने वाला तक नहीं।
मुझे सहानुभूति है तुमसे ।
नहीं मुझसे ज्यादा आपको इसकी जरूरत है । मेरा जब कोई है ही नहीं तो बात करने की जरुरत ही नहीं महसूस होती आपका तो पूरा परिवार है फिर भी उनसे बात करने की हिम्मत नहीं है आपके पास।
बात हिम्मत की नहीं हैं वो लोग मुझसे बात करना पसंद ही नहीं करेंगे।
आपको कैसे पता जब आपने उनसे बात नहीं की तो ?
क्योंकि मैं उन्हें जानता हूँ ।
वो भी तो आपको अच्छे से जानती होंगी न ।
ओफ्फो तुम तो जिद कर रही हो।
मै तो बस बात करने के लिए कह रही हूँ । आप कॉल मिलाइये बात कीजिये बस ।
और उन्होंने बात नहीं की तो ?
आप बस ये फोन खोल दीजिये । राधिका ने उसका फोन उठाकर उसके हाथ पर रख दिया तो उन्हें पासवर्ड खोलना पड़ा। राधिका ने फोन में एक नंबर डायल किया । काफी देर बेल जाने के बाद किसी ने फोन उठाया तो राधिका ने फोन स्पीकर पर कर दिया।
Hello! Hello. …… सतीश ? उधर से कोई औरत बोल रही थी लेकिन जवाब में एक लम्बी चुप्पी ही थी बस। राधिका ने पीछे जाकर उनके पर हाथ रख दिया – बात तो करिये , उसने कहा।
He…llo ! काम्पती आवाज़ में बस इतना ही निकला उनके मुँह से।
चार साल लगते है अपनी गलती की माफ़ी मांगने के लिए ? अपने बीवी बच्चों को बुलाने और अपने पास रखने के लिए? इतना ज्यादा ego बढ़ गया है तुम्हारा कि. .. उधर फोन पर औरत के रोने की आवाज सुनाई दी तो इधर ये भी रोते हुए बाथरूम में चले गएँ।
आधे घंटे के बाद जब वो बाथरूम से निकले तो आँखों में नमी और चेहरे पर अलग ही तरह चमक थी।
तुम जब यहाँ आयी थी तो तुमने मेरे पैर छुए थे अब आशीर्वाद में तुम्हें वो प्रोजेक्ट देता हूँ जो तुम्हारे पति को चाहिए।
सच में! राधिका खुश होकर फिर से उनके पैर छूने के लिए झुकी तो उन्होंनें बीच में ही थाम लिया – बेटी को झुकाया नहीं जाता सीने से लगाया जाता है । आज से मेरी दो बेटियां हो गयी।
बहुत अहसान रहेगा सर आपका मुझपर । मयंक ने अपने आँसू पोछते हुए कहा।
अहसान तो मैं तुम्हारा मानता हूँ और इस अहसान के बदले तुम्हें वड़ोदरा वाली ब्रांच गिफ्ट कर रहा हूँ ।
नहीं सर आपने मेरी बीवी को इतना सम्मान दिया इतना ही काफी है ।
वो ब्रांच तुम्हारे नहीं मेरी बेटी राधिका के भविष्य के लिए है लेकिन तुमको भी कुछ चाहिए तो बोल तो क्योंकि अब तुम मेरे दामाद जो ठहरे।
सच में जो मांगू वो देंगे।
हाँ ।
सर आदित्य को जॉब से निकाल दीजिये।
वो मैं पहले ही कर चुका हूँ ।
आप दोनों वहाँ नीचे बैठकर क्या कर रहें हैं सोफे पर बैठिये उठकर। राधिका की आवाज में आदेश था जिसका दोनो ने पालन किया। राधिका अपने कपड़े बदल चुकी थी और उन दोनों के लिए चाय और स्नैक्स लेकर आयी थी।
आप लोग चाय ख़त्म करिये मैं खाना बनाती हूँ आप लोगों के लिए।
नहीं बेटा खाऊंगा कुछ नहीं सुबह ही मुझे फ्लाइट लेनी है अमेरिका के लिए तो पैकिंग करूंगा जाकर।
अपने बॉस के जाते ही मयंक ने राधिका को गले लगा लिया।
ये सब छोड़िये ये बताइये ये क्या किया है आपने? राधिका ने उसे दूर करने की कोशिश की।
कुछ नहीं तुमसे प्यार किया है बस । मयंक ने उसे फिर से सीने से लगा लिया। इस बार राधिका भी मुस्कुराते हुए उसके सीने से लिपटी रही।
The End
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