इश्क़ का अंजाम Part 10
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अब आप पढ़ रहे है हमारी दूसरी कहानी इश्क़ का अंजाम….. अभी तक आपने इश्क़ का अंजाम part 9 में पढ़ा कि सार्थक ने जब मंजिल को अपने लिए परेशान देखा तब उसने मंजिल की और ज्यादा सिम्पथी हासिल करने के लिए खुद का एक्सीडेंट करा लिया। शक्ति उसे हॉस्पिटल से घर लेकर गया जहाँ उसने पहली बार मंजिल को देखा और उसे देखता ही रह गया। जब मंजिल ने उसे सार्थक को अपने ऊपर से हटवाने में मदद मांगी तब भी वो मंजिल को ही देखने में व्यस्त था और उसकी बात नहीं सुन पाया। अब आगे –
भाई जी ….! उसने जरा तेज आवाज़ में शक्ति को पुकारा।
हाँ… हाँ. .. मैं देखता हूँ । अपनी चोरी छुपाने के लिए हड़बड़ाहट में शक्ति झुका और तुरंत ही सार्थक को एक झटके में मंजिल से अलग कर दिया। सार्थक अंदर से बहुत गुस्से से भर गया अगर वो बीमार होने की एक्टिंग ना कर रहा था तो अभी तुरंत शक्ति को इस बात का मजा चखा देता। लेकिन बेचारा कुछ न कर सका ।
सर चलिए आइये आपको आपके कमरे में लिटा दूँ चलके।
शक्ति ने एक तरफ से सहारा देते हुए सार्थक को सोफे से उठाया और दूसरी तरफ सहारा देने के लिए मंजिल की ओर देखा। मंजिल समझ तो गयी लेकिन उसने कल्पना से कहा कि वो एक तरफ आ जाये।
शक्ति तुरंत बोल पड़ा,” अगर ये इन्हें ऊपर ले जाने में मदद करेंगी तो सर के लिए पानी कौन गर्म करेगा , बाहर कार में मेडिसिन रखी है वो भी तो लाकर सर को खिलानी है और X – ray , बाकी पर्चियां भी संभाल के रखनी है और सबसे जरूरी तो जल्दी से जाकर सर का बिस्तर भी तैयार करना है ताकि वहाँ उन्हें खड़ा न रहना पड़े।
X- ray करना पड़ा क्या सर में काफी चोट लगी है । मंजिल ने सार्थक की एक बांह को अपने कंधे पर रखते हुए कहा। हाँ लगी तो काफी चोट है डॉक्टर तो डर ही गये थे कि कहीं कोमा में न चले जाएँ लेकिन सर है बहुत हिम्मती मौत को धोखा देकर चले आएं। सार्थक ने सिर्फ आँखें बंद की थी कान नहीं उसे शक्ति जो बोल रहा था वो ज्यादा लग रहा था । इसीलिए उसने शक्ति के पैरों को अपने पैर से दबा दिया । संगत की रंगत जरूर होती है ये आज उसे शक्ति को देख कर समझ आ रहा था जो इस तरह एक्टिंग कर रहा था जैसे कोई मंझा हुआ कलाकार हो।
जब इतनी दिक्कत है तो इन्हें हॉस्पिटल में ही क्यों न रहने दिया वहाँ डॉक्टर थे सब संभाल लेते।
मंजिल के इस सवाल का जवाब न तो सार्थक ने ही सोच रखा था एक्टिंग करने से पहले और न शक्ति ही सोच पाया कि क्या जवाब दे।
अरे आप को क्या मालूम मेम साहब। साहब लोगों के चाहने वाले कितने पागल होतें है जबरदस्ती तो डॉक्टर के कमरे में घुस जातें हैं ऑटोग्राफ लेने के लिए। पूछो तो छोटे साहब से जितनी देर साहब अस्पताल में रहें कितने लोग जोर- जबरदस्ती से मिलने की कोशिश किये होंगे बिना ये देखे कि साहब का इलाज चल रहा है । सोफे को ठीक कर रही कल्पना के काम सीढ़ियों तक पहुंच मंजिल और शक्ति की बातों पर ही टिके थें और उसकी ये एकाग्रता काम भी आ गयी ।
शक्ति को समझते देर न लगी कि बाकी नौकरों को छुट्टी देकर आखिर सार्थक ने कल्पना को ही क्यों यहाँ अपने पास रहने दिया।
सार्थक अपना ज्यादा वजन मंजिल पर नहीं डालना चाहता था वो तो बस उसे हलके हाथों से छूना चाहता था इसीलिए सार्थक ने अपना सारा वजन शक्ति की साइड ही रखा था।
बेड के पास पहुँचते ही शक्ति ने सार्थक के बदन को ढीला कर दिया और सारा वजन मंजिल पर चला गया खुद को न संभाल पाने की वजह से सार्थक के साथ-साथ वो भी बिस्तर पर जा गिरी। मंजिल ने संभल कर अपने पैर उसकी पीठ के नीचे से निकाले तो सार्थक ने थोड़ा खिसक कर अपना सर उसकी गोद में समा जाने दिया।
मंजिल को बार-बार सार्थक के यूँ चिपक जाने वाली हरकतों से घिन आ रही थी। उसने तुरंत मदद के लिए शक्ति की तरफ देखा लेकिन उसने पाया शक्ति कुछ और ही देख रहा है उसने भी उसी दिशा में नजर दौड़ाई तो उसकी तस्वीर लगी थी। मंजिल इस कमरे में पहली बार आयी थी और पहली ही बार में उसे झटका लगा। उसकी एक या दो नहीं लगभग 15 तस्वीरें सार्थक के उस कमरें में लगी थी जिसमें उसकी पेंटिग उसका स्केच वगैरह भी शामिल थें।
शक्ति पिछले दस दिनों से चल रहें सार्थक के बहानों की वजह समझ गया था उसे समझ आ गया था कि जो ज्वेलरी ली थी वो किसलिए , ये एक्टिंग किस लिए और जानबूझ के कराया गया एक्सीडेंट किसलिए । लेकिन बस एक चीज समझ नहीं आयी उसे कि जिसके लिए सार्थक ये सब करता है उसे कोई फर्क क्यों नहीं पड़ रहा ज्यादा सार्थक के एक्सीडेंट से ।
मंजिल ने झटके से खुद को सार्थक की पकड़ से छुड़ा लिया और तुरंत बिस्तर से उतरकर कमरे से अपनी तस्वीरें कलेक्ट करने लगी जहाँ जितनी भी उसे अपना हाथ ले जाने पर मिली उसने वो सभी उठा ली, लगभग 7-8 तस्वीरें उसने ले ली थी वहां से। शक्ति ने इस दौरान ध्यान से उसका चेहरे देखने की कोशिश की तो उसपर सिवा गुस्से के कोई दूसरा इमोशन नहीं दिखा उसे।
अब तक शक्ति समझ चुका था कि आखिर क्यों ये सार्थक को करना पड़ रहा है ? क्यों मंजिल को ज्यादा फर्क भी नहीं पड़ा। शायद एक तरफा प्यार या उनकी तरफ से ब्रेकअप ! शक्ति ने अपने माथे पर अंगूठा चलाते हुए सोचा।
रहने दीजिये न सर ने इतने मन से लगाया है तो ! उसने एक बार उन तस्वीरों को बचाने की । मंजिल ने उसे जलती आँखों से देखा तो वो शांत खड़ा हो गया ।
नहीं आपकी तस्वीरें हैं जो मन हो कीजिये । बेड के पास ही खड़े खड़े उसने कहा ।
थैंक यू भाई साहब । मंजिल तस्वीरें लेकर बाहर जाने लगी।
शक्ति , नाम है मेरा । उसने पीछे से कहा ।
ओके । इतना कहकर वो कमरे के बाहर निकल गयी ।
सार्थक उतनी देर से ये बातें सुन रहा था लेकिन बोल नहीं सकता था कुछ भी। अपनी लगायी तस्वीरों का ले जाया जाना उसे बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था लेकिन उसने सोचा एक दो दिन में वो उन तस्वीरों को उसके कमरे से वापस ले आएगा । सार्थक मंजिल के वहाँ से बाहर जाने का इंतजार कर रहा था ताकि वो शक्ति को अपने और मंजिल के रिश्ते के बारे में समझा सके। जब उसे इत्मीनान हो गया की मंजिल चली गयी है तो उसने आँखें खोली लेकिन देखा तो शक्ति भी वहाँ से जा चुका था।
दीदी ये लड़की कौन है , इसका क्या चल रहा है सार्थक सर के साथ? वो सीधा किचन में कल्पना के पास पहुँच गया।
मैं क्या बताऊँ साहब ने तो आपको बताया ही होगा !
नहीं मुझे कुछ भी नहीं पता इन मोहतरमा के बारे में । शक्ति ने टोकरी से एक सेब निकलते हुए कहा।
नहीं ऐसे नहीं खाइये मैं धो देती हूँ । कल्पना सेब लेने के लिए आगे बढ़ी।
नहीं रहने दीजिये मैं कर लूँगा , आप तो मुझे बस इन देवी जी का इंट्रो दीजिये।
बता तो देती लेकिन अगर साहेब को पता. ….
डोंट वॉरी मैं उन्हें कुछ भी पता नहीं चलने दूँगा। शक्ति ने सेब खाते हुए कहा।
पहले आप वादा कीजिये छोटे साहब की न तो आप उन्हें पता लगने देंगे और सब जानने के बाद उनकी मदद भी करेंगे।
मदद ? उन्हें मदद की जरूरत भी पड़ेगी !
पड़ेगी नहीं , बल्कि है ही उन्हें तो सबसे ज्यादा मदद चाहिए वो भी हम ही लोगों से बेचारे सारे दिन सिर्फ प्यार के दो शब्द सुनने के लिए क्या-क्या नहीं करतें लेकिन मिलता क्या है गुस्सा और गालियाँ । कल्पना अपना गुस्सा सब्जियों पर उतारते हुए उन्हें तेजी से काटने लगी ।
गालियां? सर को ? शक्ति का मुँह खुल रह गया और आँखें फैली।
और नहीं तो क्या , मुझे तो समझ नहीं आता की आदमी प्यार में पड़ते ही कैसा बेवकूफपना दिखाने लगता है। सामने वाले का गुस्सा , बुराई , कमियां सब जायज और सब सही अपना स्वाभिमान , सम्म्मान कुछ भी नहीं । आज इनको देख ले तो कोई यकीन करेगा कि ये वही इंसान है जिसने सिर्फ पिक्चरों में ही लड़कियों की ऊँची आवाज सुनी है आज तक सही में कोई उनसे ऐसे नहीं बोल पाया था।
अरे आप खुल के बताइये तो मैं सर की मदद पूरी करूंगी हाँ बशर्ते सर उसे डिजर्व करतें हो।
साहेब क्या वो लड़की खुद नहीं डिजर्व करती सर को ।
ये तो तब पता चलेगा न जब आप मुझे बताएंगी ।
अच्छा ठीक है मैं बता रही हूँ आपको ,जितना मुझे मालूम है ।
ओके।
Wait for the next part of ‘ इश्क़ का अंजाम ‘ story.
Thanks for reading 🙏🙏
इश्क़ का अंजाम एक जुनूनी आशिक की लव स्टोरी
मुझे आशा है कि आप सब को इश्क़ का अंजाम एक जुनूनी आशिक की लव स्टोरी पसंद आ रही होंगी। अगर आपके पास भी कोई ऐसी लव स्टोरी हो तो आप अपने इस परिवार के साथ शेयर कर सकते है आपकी प्राइवेसी का पूरा सम्मान किया जायेगा। आप अपनी कहानी हमें मेल कर सकते है…
इश्क़ का अंजाम एक जुनूनी आशिक की लव स्टोरी
इश्क़ का अंजाम all parts
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