Crime partner To life partner Cute Romantic love story 1

              Crime partner To life partner। Cute Romantic love story

तुम दोनों सोच लो भाई , अगर कुछ हो तो अमरीश को मना कर दूँ मैं । वैसे लड़का अच्छा है उसके पिताजी का बिजनेस है और खुद सॉफ्टवेयर इंजीनियर … उसके बाजवूद अगर तुम लोग का कुछ चल….
अरे अंकल निपटाओ इसको जल्दी से मैं तो कहता हूँ इंजीनियर ना भी हो आतंकवादी हो तो भी जल्दी से घर से निकालो इस बला को ।

बला… और तु बताइयो क्या है चमगादड़ की औलाद कोई आम आदमी देखे तो हार्ट अटैक से मर जाये बेचारा। जंगली कहीं का तुझे मैं पसंद करुँगी …मैं ? तुझे कोई बकरी ही पसंद कर ले वही बहुत…

इसीलिए कहते है कि दोस्ती बराबर वालों में करनी चाहिए वरना गँवार अपनी हैसियत भूल जातें हैं। जरा सा दया क्या दिखा दी खुद को महारानी ही समझ बैठी लोमड़ी….
मैं लोमड़ी …? तु खुद लोमड़ा …! वो सोफे पर तकिया फेकते हुए खड़ी हो गयी।
तु भूतनी है डायन , चुड़ैल….। वो भी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ ।

तु खुद पिशाच , नरभक्षी ड्राकुला कहीं का । दोनों योद्धा मैदान में आ चुके थें और अस्त्र रूपी हाथ एक दूसरे के बालों को जड़ से उखाड़ फेंकने को आतुर हो चुके थें। इससे पहले ये महासमर होता बड़ों ने हस्तक्षेप कर दिया ।

ये क्या तुम दोनों ने फिर से कुत्ते-बिल्लियों की तरह लड़ना शुरु कर दिया । जो पूछा जाये उसका जवाब नहीं दिया जाना बस झगड़ा करवा लो इनसे ।
झगड़ा हमेशा यही शुरु करती है पता नहीं किसने इसका नाम शांतिप्रिया रखा था इसका नाम अशांतिकिया होना चाहिए था ।
तू मेरे नाम की क्यों टेंशन लेता है पहले अपने नाम का करेक्शन करवा के आ पता नहीं किसने दानव की जगह राघव लिखवा दिया ।

अरे भाई चुप करो दोनों ! यहाँ दोनों की फैमिली बैठ के ये डिसाइड करने की कोशिश कर रही थीं कि क्या तुम दोनों का साथ में कुछ फ्यूचर हो सकता है लेकिन तुम दोनों की हरकतो से लगता है कि जितना जल्दी दोनों को अलग कर दिया जाये उतना अच्छा वरना पूरे मोहल्ले को पागलखाना बना दोगे। प्रिया के पिताजी ने गहरी सांस लेते हुए कहा ।

मैं आखिरी बार पूछ रही हूँ अगर एकदूसरे को पसंद करते हो तो अभी बता दो बाद में कुछ निकल के आया तो सोच लेना । प्रिया की माँ ने हिदायती लहजे में कहा ।
नहीं…! दोनों एकसाथ बोले ।
देखो पिछले 25 सालों से साथ है तुम दोनों का पैदा होने से लेकर पढ़ाई , नौकरी सब साथ ही कर रहें हो इसीलिए आगे भी इसी तरह का साथ बना रहता तो हमें कोई ऐतराज नहीं है । राघव की मम्मी के लहज़े से लगा कि वो शांतिप्रिया के पैदा होते ही उसे अपनी बहू माने बैठी है ।

Crime partner To life partner
Crime partner To life partner

 

लम्बे-चौड़े बहस के बातचीत भी कोई हल नहीं निकला दोनों एकदूसरे को खून उतर आयी आँखों से देखते और दांत पीसते रहे । जब किसी भी कीमत पर दोनों शादी को राजी न हुए तो अच्छे पड़ोसी होने के नाते राघव के माँ-बाप शांतिप्रिया की अमरीश के संग शादी में होने वाली हर संभव मदद करने का आश्वासन दे विदा हो गये।

उनके पैरेंट्स ने जैसा देखा था और उनके दोस्तों से जैसा सुना था उससे तो लगता था कि दोनों एकदूसरे को पसंद करतें हैं। लेकिन उनका बर्ताव और अलगाव देख कर तो लगता था कि पीढ़ियों से इनमें खानदानी दुश्मनी चली आ रही हो ।

भले ही एक साथ पढ़ने जातें हों, खेलने जातें हो पार्टी या फैमिली के साथ में वेकेशंस पर जातें हो , एक ही कॉलेज में साथ पढ़ने और मल्टीनेशनल कम्पनी में साथ में सेलेक्ट होने पर भी दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग थें। हमेशा झगड़ा , मार-पिटाई , गुस्सा, कट्टी यही सब रहता था दोनों में । पूरी कॉलोनी में इनके झगड़े फेमस थें हो भी क्यों न स्कूल हो पार्क हो , मेला हो , पार्टी हो , ग्राउंड हो , दूसरे का घर हो या रिश्तेदारी दोनों जहाँ भी थोड़ी देर शांति से रहते वहीं पर 20 मिनट में झगड़ा शुरु कर देतें थें ।

लेकिन एक जगह पर दोनों हमेशा साथ आ जातें थें अगर किसी बाहरी से दो-चार होना हो , पिल्ले (Puppies ) चुराना हो , फूल तोड़ना हो , किसी से गुस्सा होने पर उसके घर पत्थर फेंक आना हो , घर की बात इधर-उधर लीक करनी हो , किसी के खिड़की का ग्लास तोड़ आना हो या फिर हफ्ते के हफ्ते स्कूल में एक दूसरे के दादा-दादी, नाना-नानी और बुआ को मरना हो , वहाँ पर गजब की एकता का प्रदर्शन किया जाता था दोनों प्रतिद्वंदियों द्वारा। बेसिकली दोनों Crime partner थें।

अगर इनके कारनामों की लिस्ट बनाई जाए तो कागज कम पड़ जायेगा लेकिन इनकी करतूतें नहीं। बचपन में जब तिवारी जी ने अपने बगीचे से राघव को अमरुद तोड़ने पर बहुत सुनाया था तब खोह से डिब्बे में दीमक भर के उनके बगीचे में पेड़ के नीचे छोड़ आएं थें दोनों।

एक बार शांतिप्रिया स्कूल के रास्ते में पड़ोसी के घर के दरवाजे पर लटके तोता-मैना के पिंजरे के पास चली गयी तो उन्होंने उसे तुरंत डांटते हुए भगा दिया था , पीछे से आते राघव ने ये देख लिया और उसने पिंजरे का दरवाजा ही खोल दिया । जब तक वो दौड़ के आते तब तक तोता-मैना और राघव तीनों रफ्फूचक्कर हो गएँ थें।

दोनों के घर वाले लोगों से माफ़ी मांग-मांग कर और इन दोनों को सजा दे-देकर बाज आ चुके थें लेकिन ये दोनों बाज नहीं आएं। दोनों के ही परिवार में बड़ी दूर की रिश्तेदारी थी जो यहाँ शिफ्ट होने के बाद पता चली थी इसीलिए उनमें घनिष्ठता ज्यादा थी और शायद इसीलिए इन दोनों में अलगाव ज्यादा था ,लेकिन Crime partnership गजब थी ।

Crime partner To life partner
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इनके बढ़ते झगड़ो के चलते और अमेरिका शिफ्ट होने का बढ़िया मौका मिलते ही शांतिप्रिया ने डैड ने अपने एक दोस्त की मदद से वीजा हासिल कर लिया था और वहाँ रहने का इंतजाम भी हो गया था । लेकिन शांतिप्रिया वहाँ नहीं जाना चाहती थी पर बच्चों की सुनता कौन है ! पैकिंग वगैरह सब होने के बाद जाने से एक दिन पहले पता चला कि उसके पापा का पासपोर्ट-वीजा गायब है। सारा शक शांतिप्रिया पर गया तरह-तरह के प्रलोभनों और फटकारों के बाद भी वो यही कहती रही कि उसने कुछ नहीं किया हैं।

जिन दोस्त की मदद से पासपोर्ट बनवाया गया था वो भी असमय राम को प्यारे हो गएँ और शांतिप्रिया की फैमिली इंडिया में ही रह गयी । लेकिन कुछ दिनों बाद उनके डॉक्यूमेंट मिल गएँ थें मगर कुतरे हुए अलमारी के पीछे , शायद चूहें खींच ले गएँ थें लेकिन सिर्फ उसके डैड के ही डॉक्यूमेंट …..! शायद उन्हें नाम पसंद आया हो उनका ।

शांतिप्रिया के लिए अमरीश का रिश्ता फाइनल हो गया और उसने कोई ऐतराज भी नहीं किया क्योंकि राघव की वजह से उसका कोई बॉयफ्रेंड ही नहीं बना। सबको यही लगता था कि वो दोनों कपल हैं और सेम यही राघव के साथ भी हुआ था। हालांकि दोनों के घर वालों ने एक बार फिर बात की थी दोनों से लेकिन नतीजा वही रहा ।

उसकी शादी की रस्मों के शुरु होते ही दोनों घरों में खुशी बिखर गयी । शांतिप्रिया का कोई भाई नहीं था इसीलिए राघव पर ज्यादा प्रेशर पड़ रहा था । उसकी बहन और मम्मी घर में शांतिप्रिया और उसकी माँ की मदद करती बाहर दौड़भाग वाले सारे काम जैसे लोगों को कार्ड बाँटना , केटरिंग वाले से बात , तम्बू-शामियाना आदि सब राघव देख रहा था क्योंकि प्रिया के पापा एक हार्ट पेशेंट हैं इसीलिए अपने पापा के कहने पर वो बाहरी काम सम्भाल रहा था।

उसके पापा प्रिया के पापा के आसपास ही रह कर मदद करते और घर आ रहें रिश्तेदारों को मैनेज करतें रहें।

राघव को इन सब में बहुत उलझन हो रही थी । क्यों हो रही थी उसे नहीं पता लेकिन उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था , एकदम से बेचैनी शुरु हो जाती, वो कुछ ढूंढने लगता, पता नहीं क्या-क्या याद आने लगता, सारा दिन दौड़ने के बाद भी उसे भूख नहीं लगती और रात में नींद भी सही से नहीं आती। अगर सोता भी तो कोई अजीब से सपना देख तुरंत उठकर बैठ जाता है ।

शांतिप्रिया की हल्दी रस्म में जब उसने हल्दी लगायी थी उसके चेहरे पर तब नोटिस किया था कि वो भी रूखी-रुखी सी लग रही थी आँखों के नीचे काले घेरे थें ,चेहरा उतना खिला नहीं था जितना की दुल्हनों का होना चाहिए । उसके बाद तो राघव की तबियत और खराब हो गयी उसे एकदम से पसीना आता, उसे अपने दिल से कोई आवाज आती सुनाई देती है जैसे ही बिस्तर पर लेटता है कुछ काट खाता है उसे और वो उठकर बैठ जाता है।

Crime partner To life partner
        Crime partner To life partner

 

उसने गूगल पर हार्ट अटैक के सारे लक्षण सर्च किये थें उसे लग रहा था कि उसे अटैक पड़ने वाला है। अब शादी वाले माहौल में ये बात कैसे किसी को बोल दे ! उसने सोचा कि शादी के बाद वो सीधा हॉस्पिटल में एडमिट हो जायेगा जाकर ।
लेकिन उसने एक बात तो जरूर नोटिस की थी कि जब भी वो शांतिप्रिया की कोई तस्वीर देखता कोई वीडियो या उसकी कोई बात, उसके साथ किये घालमेल , छोटे-छोटे Crime याद करता तो उसके चेहरे पर हँसी आ जाती और सारा दर्द गायब हो जाता है ।

मेहंदी वाले दिन जब प्रिया के बार-बार मना करने के बावजूद औरतों ने जबरदस्ती उसके होने वाले पति अमरीश का नाम उसकी हथेली पर लिखा था तब भी पता नहीं राघव को क्या हुआ वो तुरंत वहां से जाकर सजावट के लिए आएं फूलों में मुँह छुपा कर बैठ गया ।

उसे नहीं पता कि दिन-ब-दिन उसके साथ ये क्या होता जा रहा है ! सिर्फ इतना ही कि उसे अब प्रिया पर गुस्सा नहीं आता , प्रिया के दूर जाने का डर लगता है , वो अब इतनी बुरी नहीं लगती , शादी के बाद उसका आधा सामान पाने की ललक उसमें नहीं रहीं , बस इतना ही तो ! या कुछ और…? वो वहाँ से उठकर भी भाग गया जहाँ उसे थोड़ा सुकून मिले उस जगह की तलाश में ।

बारात को सही से ठहराने और दुल्हन को मेकअप के लिए पार्लर ले जाने की जिम्मेदारी राघव पर ही थी । उसने दोपहर से पहले ही प्रिया को पार्लर छोड़ दिया था और तुरंत ही वापसी ले ली थी। वो प्रिया से कुछ बात करना चाहता था लेकिन गाड़ी में उसके अलावा भी कुछ दो लड़कियां और उसका चचेरा भाई था ।

बारात 8 बजे आनी थी और 7 बजे तक भी किसी को दुल्हन का होश नहीं आया । राघव की बहन ने जब उसे ये याद दिलाया सारे काम-काज छोड़ वो शांतिप्रिया के चचेरे भाई को लेकर रवाना हो गया। उसे लगा था की प्रिया गुस्सा करेगी , चिल्लाएगी देर होने की वजह से लेकिन उसने कुछ भी नहीं किया चुपचाप आकर गाड़ी में बैठ गयी। ऐसा लगा कि वो चाहती ही नहीं थी कि कोई उसे लेने आएँ ।

भारी गुलाबी लहंगे और बड़े से हार , झुमके, नथनी माँगटिका… उसकी खड़ूस दोस्त उसकी Crime partner किसी हुस्नपरी सी लग रही थी। दुल्हन नहीं किसी रियासत की महारानी नजर आयी राघव को । उसके गुलाबी होंठ , काली बड़ी आँखें , नाजुक गाल, बेदाग शीशे सा चमकता चेहरा ! आज से पहले क्या ये राघव को नजर नहीं आया था। वो गर्दन पीछे किये अपनी चूड़ियों के सेट को सही करती शांतिप्रिया को ही देखता रहा। Crime partner नहीं आज उसमें life partner नजर आ रही थी उसमें।

Crime partner To life partner
Crime partner To life partner

 

दूल्हा मंडप में बैठ जाएगा तब गाड़ी स्टार्ट करेंगे आप ? उसके बगल से प्रिया का कजिन बोला तो उसकी ध्यानमुद्रा टूटी और तब कहीं गाड़ी स्टार्ट हुई ।
वो लोग तो टाइम पर पहुंच गएँ लेकिन बारात नहीं पहुँच पायी क्योंकि रास्ते में बहुत बारिश होने लगी थी ।

औरतें आयीं और शांतिप्रिया को उसके कमरे में लेकर चलीं गयीं और राघव भी बाकी काम देखने चला गया ।
बहुत खूबसूरत लग रही हो..। जब सभी औरतें बारात के इंतजार में दरवाजे की तरफ चली गयीं थीं तब कहीं से भीगा हुआ राघव कमरे के अंदर आ गया था ।
तुम भी अच्छे लग रहे हो ।

मैं..? राघव ने खुद को देखा जो ऊपर से नीचे तक भीगा हुआ था ब्लैक पैंट, वाइट शर्ट और हाथ में किसी और का कोट। वैसे तो उसने शेरवानी पहनने का सोचा था लेकिन उसे अभी तैयार होने का समय ही नहीं मिला था ।
पहले कभी नहीं लगा अच्छा ?
तुम्हें भी तो मैं पहले अच्छी नहीं लगी ।

पता नहीं क्यों तुम्हारे दूर जाने से दिल घबरा रहा है। मैं भूल गया था कि तुम एक लड़की हो और तुम्हें कभी जाना भी पड़ सकता है ।कैसे रहूँगा तुम्हारे बिना ?
कैसे क्या मजे से जैसे मैं मजे से रहूँगी ।
तुम मजे से रहोगी ? जरा गौर करो तुमने लहंगा भी मेरी पसंद का पहना है ।

तुम्हारी पसंद का नहीं मेरी पसंद का है समझे ।
अच्छा तो सुनूँ वाइट किसकी पसंद का कलर है फिर ?
वो आपने पहन रखा है …। पीछे से थाल लिए राघव की बहन आयी Accept your feelings guys ! अभी नहीं तो कब ? वो थाल रख के चली गयी ।
शायद मुझे तुम पसंद हो। राघव बोला ।

हाँ इसीलिए क्योंकि आज सजी-धजी हूँ तो तुम्हें अचानक से अच्छी लगने लगी ! ये मैं नहीं मेरा शरीर है जो तुम्हें पसंद है।
मत भूलो मैनें तुम्हें नाक में ऊँगली डाले भी देखा है , हफ्ते-हफ्ते भर सर में कंघी नहीं करती थी तुम , तुम्हारी रेड स्पॉटेड वाइट स्कर्ट से लेकर फटे-नुचे कपड़ों में लड़को से लड़ाई करते , हर वक्त हर तरह से देखा है तुम्हें।

तो आज से पहले पसंदगी भरी नजरों से नहीं देखा क्यों?
क्यों का मुझे नहीं पता मैं तुम्हें पसंद करता हूँ, पसंद करता हूँ और बस पसंद करता हूँ अब से नहीं बचपन से लेकिन साला भैन**द समझ में ये आज आ रहा है ।
बचपन से मतलब…?

वो तुम्हारे पापा का पासपोर्ट मैंने ही चूहे के गड्ढे में घुसाया था ताकि तुम जा न सको एक तो तुम्हारी भी मर्जी नहीं थी दूसरा मैं भी चाहता नहीं था तुमसे दूर होना ।
तो तुमने पासपोर्ट गायब किया था ! अपने 20 किलो के भारी लहंगे को उठाकर प्रिया ने अपनी सैंडल उतार ली ।

Crime partner To life partner
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जानते हो पिछले 15 सालों से मैं विलेन बनकर जी रही हूँ इस घर में, मेरे पेरेंट्स अमेरिका की बात आते ही मुझे कोसने लगते है वो आज भी पूछते है मुझसे कि बेटा बताओ पापा का पासपोर्ट कैसे निकाला था आपने ….! इतने भारी लहंगे में वो दौड़ नहीं सकती थी इसीलिए अपने बचाव में राघव कमरे में इधर से उधर होने लगा। वो उससे रुकने के लिए कहती रही लेकिन वो नहीं रुका।

देखो ये सब तो हम बाद में भी कर लेंगे पहले हम एक-दूसरे को अपनी फीलिंग्स बता दें। मेरी फीलिंग्स क्या है कितनी ज्यादा है कैसी है ये अभी सुन लो तो ठीक है वरना कितना बेकार लगेगा जब एक तरफ मंत्र हो रहें हो और हम दोनों एक-दूसरे को अपनी फीलिंग्स बता रहें हो और जब तक किसी कंक्लूशन पर पहुँचे तब तक तुम बत्तमीज की पत्नी बन चुकी हो … मेरी सिर्फ Crime partner ही बन कर रह जाओ ।

बत्तमीज नही, अमरीश… नाम है उसका ।
हाँ वही , देखो पहले तुम सैंडल नीचे रखो वरना इसकी हील बहुत नुकीली है अगर मुझे लग गयी तो जख्मी हो जाऊंगा यार। राघव सोफे के पीछे खड़ा था अबकी ।

तुम्हें क्या लगता है मैं आज तुम्हें जिंदा छोड़ दूंगी ये जो कमीनापन अपनी कुत्ते जैसी हरकतों से किया है तुमने 15 सालों से उसे मैं झेल रहीं हूँ। प्रिया लहंगा सम्भाले एक साथ से निशाना साध रही थी राघव पर लेकिन उसके झुकने से निशाना चुक गया और उसे अपनी दूसरी सैंडिल भी उतारनी पड़ी।
देखो तुम जैसी कमिनी से मार खाने के लिए जिंदगी भर तैयार रहूँगा पहले बता दो पसंद करती हो कि नहीं मुझे बस ।

पसंद… प्यार करती हूँ तुमसे…! लेकिन ये बात मैं तुम्हें नहीं तुम्हारी लाश को बताऊँगी और जेल में बैठ कर जिंदगी भर तुमको याद करुँगी । इतना कहते-कहते शांतिप्रिया ने अपना 20 किलो वजन कम कर लिया और लहंगे का हुक खोलते हुए उसे बड़ी मुश्किल से सही लेकिन उतार दिया उसका मेन मकसद बस राघव पर सैंडिलों की बरसात करना था ।

वो शॉर्ट्स के ऊपर ब्लाउज और चुनरी को वैसे ही कैरी किये थे सब कुछ वैसे ही था बस भागदौड़ की वजह से उसे पसीना आ रहा था और उसने अपना लहंगा बस अभी-अभी उतार कर साइड में रखा था । अब उसे न सिर्फ चलने में बल्कि दौड़ने में भी आसानी थी ।

तुम एक सड़ियल , कीड़े वाले, पागल कुत्ते हो जिसका मर जाना ही बेहतर है । वो राघव की तरफ झपटी लेकिन राघव ने उसका सैंडिल वाला हाथ पकड़ लिया था ।

तुम भी एक अड़ियल घोड़ी , चालाक लोमड़ी और चिड़चिड़ी बंदरिया हो उसके बावजूद मैं तुमसे प्यार करता हूँ तो तुम क्यों नहीं कर सकती हो । तुम खुद ठंडे दिमाग़ से सोचो कि जब हम Crime partnership इतने अच्छे रहें हैं तो life partner कितने अच्छे रहेंगे। राघव उसके दोनों हाथ पीछे कर उसे संभालने की कोशिश कर रहा था इस चक्कर में उसके सर से चुनरी भी गिर गयी थी और बाल भी बिखर चुके थें , मेकअप का तो खैर राम ही मालिक था ।

टन…टना बारात आ गयी और दुल्हन की सासू माँ खुद उसे….. कमरे में राघव और शांतिप्रिया की फैमिली सहित दूल्हे की माँ और बहन का प्रवेश हो चुका था और एकदम से सन्नाटा…!
प्रिया एक तरीके से राघव की बाहों में थी उसका सैंडिल राघव के हाथ में था और एक दो चूड़िया टूट कर फर्श पर थी और बदन पर लहंगा और चुनरी तो थें ही नहीं ।

दूल्हे की माँ को चक्कर आ गएँ और प्रिया के बाप ने तुरंत अपने सीने पर हाथ रख के दबा लिया । राघव की बहन मन ही में सोचती रह गयी “क्या इतनी ज्यादा फीलिंग्स भरी थी दोनों के अंदर, इस तरह तो एक्सेप्ट करने को नहीं कहा था कि बाकी न एक्सेप्ट कर सकें।”
शांतिप्रिया और राघव उसी पोजीशन में जाम हो चुके थें प्रिया की गर्दन पीछे की तरफ झुकी हुई मुड़ी थी और राघव की गर्दन सीधा उन सबको देख रही थी ।

छी: च्छी…! एक दो महिलाएँ वहाँ से ये कहती हुई निकल गयी।
पापा ऐसा बिल्कुल नहीं हैं जैसा आपने देखा । उसने राघव को धक्का दिया तो तो भी कुछ सम्भला ।
आप लोग गलत समझ रहें है ।

पापा इसने आपका पासपोर्ट गायब करके चूहों को खिलाया था।
अंकल मैंने सबकुछ इसके कहने पर किया था ।
मैने नहीं कहा था समझे वरना यहीं मार दूंगी तुम्हें ।
जब सच की बात आती है तो लाश भी गवाही देतीं हैं समझी।

बड़े सत्यवादी बने फिरते हो न , अंकल इसकी नीयत बचपन से मेरे पे गंदी थी इसीलिए मुझे अमेरिका नहीं जाने दिया। उसने राघव के पापा से कहा । तब तक लोगों की भीड़ जमा होने लगी थी । इसीलिए जितने लोग अंदर थे उन्हें रहने दिया गया बाकी दरवाजा बंद कर दिया राघव की मम्मी ने ।
जाने नहीं दिया हाथ-पैर पटक के फर्श पे लोट-लोट के रोई थी याद नहीं तुम्हें भिखारी जैसी शक्ल बना ली थी क्या करता मैं फिर …

अच्छा मैं भिखारी ….! उसने तेजी से राघव के बाल पकड़ लिए।
हाँ हो तुम भिखारी भी , पागल भी और बिलौटी भी । उसने भी उसकी चोटी खींची।

आंटी जी आपकी होने वाली बहू पागल है तीन साल से इलाज चल रहा है इसका कभी किसी को चाकू से मार देती है तो किसी को काट लेती है। अभी सैंडिल उतार कर आपके बेटे को खिड़की से मारने जा रही थी । ऐन वक्त पर मैं आ गया रोकने लगा तो बोली कि इसकी वजह से मुझे इतने भारी कपड़े पहनने पड़ रहें हैं इसीलिए इसे मरूंगी। अगर मैं हाथ नहीं पकड़ता तो मोहल्ले में इतने लोगों को मार चुकी है की इसका निशाना बिल्कुल परफेक्ट हो गया है सर पर लगती आपके बेटे के । दोनों अब भी गुथ्थमगूत्थी थे।

आपने तो कहा था कि आपकी बेटी ठीक है अच्छी है ।
हाँ बस कभी कभी थोड़ा बहुत ऐसा हो जाता है वरना नॉर्मल ही है । शांतिप्रिया की माँ बोलीं।
बेटी चल , पागल लड़की से शादी करवा रहें थें आज ये लड़का न बचाने आता तो पता नहीं क्या-क्या तमशा देखना पड़ता। वो दरवाजा खोल के धड़धड़ाती हुई नीचे चली गयी।

बस करोगे तुम दोनों । राघव की माँ चिल्लाई।
शुरुआत इसने की थी मम्मी। दोनों का एक-एक हाथ एक-दूसरे को जकड़े था ।
लहंगा किसने उतारा है ? शांतिप्रिया की माँ बोली ।

कमाल करती हैं आंटी जी मैं उतारता तो अपनी पैंट उतारता लहंगा हैं तो ये जाने…!
ये क्या बत्तमीजी है रघु। उसके पापा बोले ।
मैंने आज तक सिर्फ इसके कपड़े सही करने का काम किया है इसकी स्कर्ट तक को कभी नीचे नहीं खिंचा और आप लोग लहंगा उतारने का आरोप लगा रहें हैं ।

मैं इसे मारना चाहती थी बहुत ज्यादा, क्योकि ये बहुत ही बेकार आदमी है और लहंगे में मुझे चलने में दिक्कत हो रही थी इसीलिए उतार दिया था ।
चलो ठीक है पहले एक दूसरे को छोड़ो । शांतिप्रिया के पापा थोड़े सम्भल गएँ थें।
जब दोनों ने एक दूसरे को छोड़ दिया तब राघव की मम्मी बोली,” एक आखिरी बार पूछ रहीं हूँ शादी करोगे की नहीं दोनो लोग?”

दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा ।
ये इतनी भी बुरी नहीं हैं वैसे ।
ये भी ठीक ही ठाक है ।
करोगे या नहीं ।

दोनों थोड़ी देर खामोश रहें फिर आहिस्ते से हाँ में सर हिला दिया।

धीरे-धीरे बड़े होते बच्चे तो समझ गएँ कि ये लड़ाई-झगड़ा ये बिल्ली चमगादड़ नॉर्मल है दोनो के लाइफ में या प्यार जताने का एक तरीका लेकिन पड़ोसियों के लिए शांतिप्रिया आज भी सनकी ही है। उसकी इज्जत बचाने के चक्कर में राघव ने उसे दिमागी मरीज तो बना दिया था लेकिन पापा के पासपोर्ट का मसला पुराना होने के बाद दोनों अब इस पर झगड़ा किया करतें थें शादी के 15 साल बाद भी /

                                                                     THANKS FOR READING 

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