इश्क़ का अंजाम Part 4 love story in hindi
हेलो दोस्तो कैसे है आप, मैं आशा करता हूं आप सब अच्छे होंगे। आपका हमारी अपनी वेबसाइट atozlove पर स्वागत है। दोस्तो आपने हमारी पिछली स्टोरी डायरी-a cute love story को बहुत ही प्यार दिया उसके लिए आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद। अब आप पढ़ रहे है हमारी दूसरी कहानी इश्क़ का अंजाम….. अभी तक आपने इश्क़ का अंजाम पार्ट 3 में पढ़ा की मंजिल शॉपिंग मॉल से भागना चाहती थी लेकिन बाहर निकलने का कोई भी एग्जिट डोर उसे नही मिल रहा था वह इतना परेशान हो गई की एंट्री गेट से सामने ही बेहोश हो गई और सार्थक ने उसको अपनी बाहों में उठा लिए अब आगे ….
सार्थक दोनों हाथ बांधे बेड के पास खड़ा था उसके चेहरे पर डर और घबराहट साफ झलक रही थी। अब तक तो वो भी समझ चुका था कि मंजिल की तबियत ज्यादा सही नहीं हैं तभी तो डॉक्टर उसे हॉस्पिटल में एडमिट कराने को बोल रहें हैं । लेकिन सार्थक इस कदर मजबूर था कि हॉस्पिटल में उसे रख ही नहीं सकता था। हाँ चलो ठीक हैं वो रूम प्राइवेट होगा लेकिन क्या होगा अगर वहाँ किसी को पता चल गया तो?उसकी तो सारी इमेज खराब हो जाएगी न ! अगर कहीं से पुलिस उसे ढूंढ रही होगी और किसी ने इनफार्मेशन दे दी मंजिल की तब तो एक लड़की को जबरदस्ती अगवा करने के इल्जाम में उसे जेल की हवा खानी पड़ सकती है । मंजिल को हॉस्पिटल न ले जाने की सबसे बड़ी वजह तो ये थी कि मंजिल वहां से भाग सकती थी। सार्थक जेल जा सकता था , उसके लिए अपनी इमेज खराब कर सकता था लेकिन उसे एक पल भी दूर नहीं जाने दे सकता था। कल्पना भी रूम के दरवाजे पर खड़ी हो डॉक्टर के कुछ बोलने का वेट कर रही थी।
जब आप किसी मेहमान का खयाल रखने के लिए टाइम नहीं निकाल पाते है तो उन्हें बुलातें ही क्यों हैं? भले ही आप शूटिंग में बिजी रहतें हैं लेकिन एक फोन कॉल करके खाने का तो याद दिला सकतें हैं । डॉक्टर ने अपने इंजेक्शंस और दवाई वापस अपने बैग में रखते हुए कहा।
प्लीज डॉक्टर साफ-साफ बताइये की दिक्कत क्या हुई है ? सार्थक तुरंत डॉक्टर के पास जाकर खड़ा जो गया उसकी आवाज़ बहुत घबराई हुई थी।
इनके पेट में थोड़ा भी खाना नहीं है , वीकनेस हो गयी है इनको इसीलिए बुखार आ गया है इन्हें तभी ये बेहोश भी हो गयी है। मुझे तो समझ नहीं आ रहा कि किसी को ऐसी क्या दिक्कत परेशानी हो सकती है जो वो दो-दो ,तीन-तीन खाना ही न खाएं सही से।
इनके मम्मी-पापा में थोड़ा झगड़ा हो गया था इसीलिए ये यहाँ चली आयीं थीं कुछ दिन के लिए तभी से थोड़ा अपसेट थी और शायद इसीलिए कुछ नहीं खाया-पिया लेकिन अब से मैं खुद ही इनके खाने का खयाल रखूँगा। सार्थक पूरे कॉन्फिडेंट से झूठ बोल रहा था उसे जरा भी झिझक नहीं महसूस हो रही थी आखिरकार वो इतना बड़ा एक्टर ऐसे ही थोड़े बन गया था । आजकल के बच्चे भी न, छोटी-छोटी बातों को समझने की बजाय बस अपसेट हो जातें हैं, खाना खाना छोड़ देते है खैर ! मैंने कुछ दवाईयाँ लिखी है ले आइयेगा। अगर कोई दिक्कत हो तो मैं नर्स को यहीं भेज दूँगा ।
बहुत-बहुत शुक्रिया डॉक्टर साहब अगर कोई दिक्कत हुई मैं जरूर आपको इन्फॉर्म करूंगा और रही बात नर्स की तो यहाँ हम दोनों तो हैं ही इन्हें संभालने के लिए। उसने कल्पना की ओर देखते हुए कहा ।
डॉक्टर ने उसे अजीब सी नजरों से देखा न हॉस्पिटल ले जा रहा है और न ही नर्स को बुला रहा है ।
“Are you sure mr. Malhotra?” डॉक्टर ने एक बार कन्फर्म करने के लिए पूछा। यस डॉक्टर ।
ठीक है मरीज का अच्छे से खयाल रखियेगा एक तो शरीर दुबला-पतला है दूसरा उम्र भी 16-17 की होगी ऐसे में स्पेशल केयर करनी पड़ती है टीनएजर्स की। इतना कहकर डॉक्टर चल दिया। वैसे तो एथिक्स के हिसाब से सार्थक को भी उनके साथ जाना चाहिए था। लेकिन डॉक्टर की आखिरी बात सुनकर सार्थक का सर एकदम से घूम गया था। 16-17? उसने मंजिल के चेहरे की तरफ देखा जो थकान और भूख से पिला हो चुका था। क्या सच में ये इतनी छोटी है ? 20 साल की लड़की को कोई 16 साल की कैसे कह सकता है ? चेहरे से बच्ची दिखती है लेकिन क्या इतनी ज्यादा ? सार्थक धीरे-धीरे चलता हुआ मंजिल के सिरहाने पहुँच गया और वही खड़ा उसे देखता रहा। थोड़ी देर ऐसे ही खड़ा रहने के बाद उसने पास की एक चेयर खींच ली और उसपर बैठ गया। इसी तरफ बैठे बैठे उसने देखते रहने के बात पता नहीं अचानक से सार्थक को क्या सूझी उसने अपना फोन निकाला और उसका कैमरा ऑन कर दिया। उसने बड़ी सावधानी से मंजिल की कुछ फोटोज क्लिक की उसके बाद खुद भी उसके चेहरे के पास अपना चेहरा ले जाकर कुछ सेल्फीज लेने लगा।
ऐसा नहीं हैं कि सार्थक के पास मंजिल की फोटोज नहीं हैं इनफैक्ट जिस तरह उसके सारे फैंस के कमरे में उसकी फोटोज लगी रहतीं हैं उसी तरह सार्थक के घर में भी एक ऐसा कमरा था जिसमें सिर्फ और सिर्फ मंजिल की तस्वीरें सजी हुई थीं। लेकिन ये बात जरूर है कि वो तस्वीरें छुप कर या दूर से ली गयीं थीं इतने पास से नहीं जितने पास आज सार्थक तस्वीरें ले रहा था ।
चारों तरफ अंधेरा हो चुका था इसीलिए कल्पना ने डॉक्टर को बाहर तक छोड़ने के बाद घर की सारी लाइट्स ऑन की और उसके बाद सार्थक और मंजिल के लिए खाना तैयार करने लगी। खाना टेबल पर रखने के बाद जब वो ऊपर कमरे में गयी तो सार्थक को बिस्तर पर सर टिकाए मंजिल के चेहरे की तरफ देखता पाया। पहले तो उसका मन हुआ की आवाज दे ले लेकिन उसे लगा कि शायद इस लम्हें में सर को डिस्टर्ब करना बिल्कुल सही नहीं होगा। इसीलिए वो दबे पाँव वापस नीचे आ गयी।
सुबह के 6 बज चुके थें लेकिन सार्थक अभी भी बिस्तर पर सर टिकाए सो रहा था। तभी उसका फोन बजने लगा। उसने हड़बड़ी में अपना फोन उठाने की कोशिश की ताकि मंजिल की नींद ना टूट जाये इस चक्कर में टेबल पर ही रखी उसकी रिस्ट वॉच नीचे गिरकर टूट गयी जिसकी कीमत 4 करोड़ के आसपास थी। सार्थक फोन उठाकर तुरंत बालकनी में गया और फोन रिसीव करते ही बरसने लगा ,” तुम्हारे पास दिमाग़ नाम की चीज है या नहीं ? ये कोई टाइम है कॉल करने !कोई सो रहा है , कोई नहा रहा हो कोई….कोई , मतलब कि तुम्हें फुर्सत है तो सामने वाले को भी फुर्सत होगी ! पूरा मूड खराब कर दिया सुबह-सुबह, तुम्हारी वजह से इतनी महंगी घड़ी गिरकर टूट गयी, पता नहीं आज का दिन कैसा गुजरेगा अब…? ओह गॉड कुछ बोलो अब कि बस मुझे डिस्टर्ब करने के लिए ही कॉल किया था । सार्थक ने अपनी सारी भड़ास शक्ति पर निकाल दी थी ।
अच्छा तो हो गया आपका ? मुझे लगा आज सारा दिन आप मुझ बेकसूर पर किसी और की वजह से ऐसे ही बरसते रहेंगे। शक्ति की आवाज में कोई नाराजगी नहीं नजर आ रही थी बल्कि एक दोस्त वाली समझदारी झलक रही थी । वैसे भी शक्ति स्ट्रगलिंग फेज से उसका मैनेजर रहा है उसके अप्स एन्ड डाउन्स को उसने बहुत करीब से देखा है । इसीलिए उसके हर तरह के बर्ताव को वो अच्छे से जानता है ,उसे कैसे हैंडल करना है ये भी सिर्फ उसी को मालूम है। बीच में 4 साल पहले जब शक्ति का इन सब चीजों से मन हट गया था तो वो अपने मामा के पास कुछ समय के लिए कंट्री से बाहर चला गया था। तब सार्थक ने 6 महीने में 4 मैनेजर बदले थें एक को उसने निकाला था दो उसे छोड़कर भाग गएँ थें और एक दूसरे एक्टर के साथ जुड़ गया था। उसकी इन्हीं हरकतों को देखकर शक्ति समझ गया था कि उसके अलावा किसी में इतनी हिम्मत नहीं है जो उसे झेल सके इसीलिए उसे वापस आना पड़ा था।
तुम प्लीज काम बोलोगे क्या है ? सार्थक की आवाज में गुस्से की मात्र थोड़ी भी कम नहीं हुई थी।
मैं सिर्फ आपको याद दिलाना चाहता था की कल आप शूट पर नहीं आएं थें इसीलिए आज आपको कुछ ज्यादा ही शूट्स करने पड़ेंगे। अभी 12 बजे तक इधर मूवी को टाइम दे दीजिये शाम का टाइम कमल जी की मूवी को दे दीजियेगा ,शूट्स भी ऐसे ही अरेंज करवाएं हैं मैंने ताकि आपको कोई प्रॉब्लम न ….. मुझसे एक भी बार पूछा था तुमने शूट्स अरेंज कराने से पहले ? मैं आ पाऊंगा या नहीं ये तो कन्फर्म कर ही लेना चाहिए था। सर प्लीज अब ये मत कहना कि आप आज नहीं आ पाएंगे ! शक्ति ने दिल की धड़कनो को दबाते हुए कहा।
हाँ मैं आज भी नहीं आ पाऊंगा ।
सर प्लीज ,ऐसा मत कीजिये । मीशा जी ने दूसरी फिल्म्स को भी डेट्स दे रखीं हैं अगर आप नहीं आएंगे तो उनके सीन तो ऑलरेडी डीले ही हो जाएंगे न फिर दूसरी फिल्म के साथ उनकी डेट्स क्लैश हो जाएंगी सर । अभी शूट्स ही कितना बचा है भला मोटा-मोटा मान लीजिये क्लाइमेक्स ही रह गया है…..
शक्ति प्लीज समझो मेरी तबियत सच में खराब हैं इसीलिए मैं ज्यादा वर्कलोड नहीं लेना चाहता । हाँ दोपहर को मैं राशि के शो में जा सकता हूँ , नयी स्क्रिप्ट भी कोई हो तो भेज देना और रात का कोई हलका सा प्रोग्राम हो तो बताना वहां भी चला जाऊँगा लेकिन ज्यादा देर रुकूंगा नहीं । इतना कह कर उसने फोन काट दिया और कमरे के अंदर आ गया।
मंजिल अभी भी गहरी नींद में सो रही थी। उसके उलझे-उलझे बाल उसके पूरे चेहरे पर बिखरे पड़े थें , उसकी लम्बी-लम्बी काली पलकें उसकी भवों की तरफ मुड़ी हुई थी , गुलाबी-गुलाबी पतले से होंठ आधखुले थे। सार्थक उसे बहुत ही बेचारगी से देख रहा था। उसकी हालत उस लोमड़ी की तरह हो गयी थी जिसके सामने अंगूर तो पड़े थें लेकिन वो उसे खा नहीं सकती थी। सार्थक एक लम्बी सी सांस लेकर दीवार के सहारे सिर टिका कर खड़ा हो गया। उसका दिल कर रहा था की वो मंजिल के बालों में उंगलियां फेरे, उसके गालों से खेले और उसके होठों को अपने होंठों से…….
सर क्या आप जग गएँ हैं? अचानक दरवाजे पर नॉक करने की आवाज से सार्थक ने तुरंत खुद को संभाला और दरवाजे की तरफ कदम बढ़ाते हुए बोला “हाँ मैं जग रहा हूँ। ” वो नहीं चाहता था की मंजिल की नींद टूटे इसीलिए उसने आहिस्ते से दरवाजा खोला और रूम से बाहर आ गया ।
सार्थक लिविंग रूम में बैठकर स्क्रिप्ट पढ़ रहा था। वैसे तो शुरूआती सालों को छोड़कर उसने कभी भी खुद स्क्रिप्ट नहीं पड़ी थी , स्क्रिप्ट राइटर या डायरेक्टर वगैरह उसे फिल्म की स्टोरी सुनाने आतें थें लेकिन इस वक्त वो किसी को घर अपने घर नहीं आने देना चाह रहा था इसीलिए उसने उन फिल्मों की स्क्रिप्ट शक्ति से कहकर घर मंगवा ली थी। अभी सार्थक आधी कहानी ही पढ़ पाया था कि कल्पना ने उसे आकर बताया कि मंजिल आज भी खाना नहीं खा रही है वो अपने घर जाने की जिद कर रही है बस। कल्पना की ये बात सुनकर सार्थक को बहुत गुस्सा आया ,”आखिर चाहती क्या है ये लड़की?” लेकिन तुरंत ही उसे एक आइडिया भी आ गया। वो कल्पना से बोला ,” कल्पना आप उसका खाना कमरे में रख दो जाकर उसे खिलाने की जिम्मेदारी मेरी और हाँ जब तक उसे मैं खाना नहीं खिला देता आप कमरे के आसपास भी नहीं आएँगी।”
और अगर कुछ चाहिए होगा तो?
तो मैं आपको आवाज दे दूँगा या नीचे कॉल कर दूंगा । इतना कहकर सार्थक स्क्रिप्ट को वहीं रख के वहाँ से निकल गया।
तुम्हें मुझसे नफरत हैं ना कि खाने से इसीलिए अपना गुस्सा मुझपर उतरो खाने पर नहीं। उसने खाने को टेबल के उधर बैठी मंजिल की तरफ सरका दिया। आज मंजिल ने पूरे 3 दिन बाद नहा कर अपने कपड़े बदले थे। कले रंग की स्लीवलेश फ्रॉक पर लाल गुलाब छपे हुए थे, उसने अपने बालों को भी सही किया था। लेकिन 3 दिन बाद भी वो खाना खाने को नहीं तैयार थी। मंजिल ने कोई जवाब नहीं दिया बस कुर्सी पर घुटने मोड़े अपने नाखूनों को ही देखती रही।
तो तुम खाना नहीं खाओगी?
मैं तुम्हारे यहाँ कि एक चीज भी नहीं खाऊंगी मुझे अभी और इसी वक्त मेरे घर छोड़कर आओ जो चाहते हो कि मैं ठीक रहूं तो।
ओके तो ये भी बात रही फिर अगर तुमने आज खाना नहीं खाया तो मैं यहाँ से कहीं नहीं जाऊंगा ।
जाओ या न जाओ मेरी बला से। कहते हुए मंजिल विंडो के पास जाकर खड़ी हो गयी। वो बालकनी में जाना चाहती थी लेकिन कल्पना ने उसे बंद करके ताला लगा दिया था।
ओके । इतना कहकर सार्थक उठा और सोफे पर जाकर बैठ गया। उसने अपने हाथ में रिमोट लिया और tv ऑन कर दिया कुछ देर एक दो song play किए उसके बाद कोई मूवी लगा दी। मंजिल अभी भी विंडो से कमरे के बाहर की तरफ देख रही थी। लेकिन अचानक से उसे लगा कि उसने कानों ने कुछ ऐसा सुन लिया है जो उसे बिल्कुल भी नहीं सुनना चाहिए था। थोड़ी देर तो वो ऐसे ही सन्न खड़ी रही फिर उसने एक नजर tv की तरफ घुमाई वो अपना शक यकीन में बदलना चाहती थी। हाँ वाकई tv पर ए-सर्टिफिकेट मूवी चल रही थी, उसी के डबल मीनिंग डायलॉग्स ने उसके कानों की सिटी बजा दी थी। उसने आँखें फाड़कर सार्थक की तरफ देखा तो पाया सार्थक उसे ही देखकर मुस्कुरा रहा था, उसे लगा कि उसकी साँस ही गले में अटक गयी है। उसने तुरंत अपनी नजर tv की तरफ घूमाई लेकिन एक ऐसा सीन उसे दिखा जो उसने आज तक कभी इमेजिन ही नहीं किया था,उसे सिर्फ एक किसिंग सीन नहीं कहा जा सकता उससे भी कहीं ज्यादा था उसे फुल रोमांस कहा जा सकता था लेकिन मंजिल की नजर में ये वहशियत थी। उसने “हाय राम” कहते हुए तुरंत अपनी आँखें बंद कर ली और कानों पर हाथ रख कर दीवार की तरफ खड़ी हो गयी। सार्थक को उसकी इस बेवकूफी पर बहुत हँसी आ रही थी, उसे परेशान करने के लिए उसने TV का वैल्यूम और तेज कर दिया। मंजिल का दिल काफी जोरों से धड़क रहा था वो चाहकर भी उन गंदी आवाजों को अनसुना नहीं कर पा रही थी। उसे अब समझ आया की कल्पना ने बालकनी पर ताला किसके कहने पर और क्यों लगाया था। कमरे के अंदर से भी दरवाजा सिर्फ सार्थक के फेस से ही खुलता था।
मंजिल की हालत को समझते हुए सार्थक ने उसे कंडीशन देते हुए कहा ,” तुम ये खाना जितनी जल्दी ख़त्म करती हो मैं उतनी जल्दी ये मूवी बंद करके बाहर चला जाऊँगा ।उसकी ये बात मंजिल ने सुनी तो जरूर लेकिन कुछ रिस्पॉन्स नहीं किया । थोड़ी देर तक वेट करने के बाद सार्थक ही बोल पड़ा ,” वैसे शायद तुमने सुना हो कि मार्केट में इससे भी अच्छी फिल्म आती है जिन्हें तुम ब्लू फिल्म या पोर्न मूवीज भी बोल सकती हो। उसकी ये बात सुनते है मंजिल को जैसे कोई बहुत बड़ा सा झटका लगा,” यकीन नहीं होता सामने से ठीक-ठाक नजर आने वाला अंदर से इतना कुंठित भी हो सकता है!” वो सार्थक की बात का पूरा मतलब समझ चुकी थी। ,” तो क्या सार्थक उसके साथ ब्लू फिल्म देखना चाहता है? जरा भी तमीज है इसमें या नहीं।”
तुम्हारे जैसे घटिया इंसान मैंने आज तक नहीं देखा है। मंजिल जलती आँखों से सार्थक की तरफ पलटी।
और न कभी देख पाओगी जो ये खाना जल्दी से जल्दी ख़त्म न किया। सार्थक की आँखों में अब भी शरारत ही नजर आ रही थी, मंजिल के अनकम्फर्ट होने पर उसे अजीब सी गुदगुदी का अहसास हो रहा था। उसका ये जवाब सुनकर मंजिल समझ चुकी थी कि सार्थक आज गैंडे की खाल पहन कर आया है इसीलिए उसे कोई बात चुभ नहीं रही है। इसीलिए उसने अपना गुस्सा दबाते हुए दो चार लम्बी-लम्बी सांसे लेने लगी। तो फिर मैं ये मूवी बदल कर तुम्हारी फेवोरिट मूवी लगाऊँ! मंजिल का ये सुनना था कि उसके होश हवा हो गये वो खाने के पास दौड़ पड़ी। एक तो वो लगभग 3 दिन से कुछ भी सही से नहीं खाया था उसपर से उल्टी-सीधी मूवी देखने के डर से वो काफी तेजी से खाना खा रही थी। मंजिल चाहती थी कि कुछ भी करके वो जल्दी से जल्दी खाना फिनिश कर ले ताकि उसे गंदी आवाजें या खराब सीन न देखना पड़े। सार्थक उसे ऐसा खाते देख मुस्कुराये बिना नहीं रह सका और उसे ही एकटक निहारने लगा।
मंजिल के सारा खाना ख़त्म करते ही सार्थक ने टीवी बंद कर अपना फोन डिसकनेक्ट कर दिया। कमरे से बाहर निकलते हुए सार्थक ने रुक कर उसे देखते हुए कहा ,” Sorry, मुझे पता है कि तुम बहुत embarrassed feel कर रही हो लेकिन तुमसे ज्यादा मैं embarrasse feel कर रहा हूँ। पर गलती इसमें तुम्हारी ही है तुमने मेरे पास इसके अलावा कोई भी ऑप्शन नहीं छोड़ा था। करने को तो मैं जबरदस्ती भी कुछ करके तुम्हें खिला ही देता लेकिन मुझे अभी ये बिल्कुल भी ठीक नहीं लगा। हाँ बात सही है कि मैं तुम्हें दो-तीन सालों से जानता हूँ लेकिन तुम तो मेरे साथ अजनबी बनकर ही पेश आती हो। प्लीज कोशिश करना की आगे से मुझे ऐसा कुछ न करना पड़े, क्योंकि ये न मुझे अच्छा लगेगा न तुम्हें। इतना कहकर सार्थक कमरे के बाहर चला गया और दरवाजा आप ही बंद हो गया।
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मुझे आशा है कि आप सब को इश्क़ का अंजाम एक जुनूनी आशिक की लव स्टोरी पसंद आ रही होंगी। इश्क़ का महीना साल रहा है तो अगर आपके पास भी कोई ऐसी लव स्टोरी हो तो आप अपने इस परिवार के साथ शेयर कर सकते है आपकी प्राइवेसी का पूरा सम्मान किया जायेगा। आप अपनी कहानी हमें मेल कर सकते है…