Doctor patient romantic love story part 1
मैं इतना लापरवाह कैसे हो सकता हूँ यार..! बिल्कुल unprofessional …. शेखर ने जल्दबाजी में कार पार्किंग एरिया के बजाय मेन गेट पर ही खड़ी कर दी और भागता हुआ हॉस्पिटल के अंदर जाने लगा ।”गाड़ी पार्क कर देना करीम काका । ” उसने भागते हुए अपने कार की चाभी चौकीदार की तरफ उछाल दी।
वो इतना जल्दी में कॉरिडोर में चल रहा है कि उसे सामने से आ रही तमन्ना नजर नहीं आई और दोनों की एक जोरदार टक्कर हो गई। टक्कर इतनी जोर थी कि वो एक राउंड घूम गई और गिरते-गिरते बची क्योंकि शेखर ने उसका एक हाथ पकड़ लिया था। तमन्ना के हाथ में पानी से भरा जग था जिससे सारा पानी छलक कर उन दोनों के ऊपर जा गिरा। तमन्ना सफेद रंग के शर्ट और लॉन्ग स्कर्ट में थी। ऊपर सफेद कपड़ा होने से पानी गिरते ही तमन्ना की बॉडी ट्रांसपेरेंट हो गई। साफ नजर आ रहा था कि उसने शर्ट के अंदर क्या पहना है।
Look! I am sorry ! मैं जल्दी में हूँ जरा। शेखर ने अपनी सफाई पेश की।
“कमीने, लुच्चे! तुम जैसे लड़कों की वजह से लड़कियाँ कहीं सुरक्षित नहीं!” तमन्ना ने गुस्से में खुद को ढकते हुए चिल्लाया। उसकी आँखों में गुस्सा ऐसा था कि अगर वो खुद को न संभालती, तो शेखर को दो-तीन थप्पड़ पड़ चुके होते। उसने गालियों की बौछार कर दी—अंधा, गंवार, उल्लू का पट्ठा, कुत्ता, भगोड़ा—लेकिन शेखर बहस में वक्त गंवाए बिना कॉरिडोर से भाग गया।
दादी कैसे आती हो तुम इस हॉस्पिटल में? यहाँ के पेशेंट्स में मैनर्स नहीं है और डॉक्टर्स लापरवाह है । तमन्ना अपना गुस्सा अपनी दादी के ऊपर निकालने लगी।अरे ये क्या हुआ तनु ..? भीग कैसे गई?
दादी बस तुम अब यहां से चलो हम और वेट नहीं करेंगे डॉक्टर का। उसने अपने बैग से स्टॉल निकाल कर गले में डाल लिया।ऐसे कैसे चले पुत्तर दिखा तो ले डॉक्टर को ।डॉक्टर रात को आयेगा तो रात तक बैठी रहेंगी। रात को क्यों आयेगा? बेचारा हमेशा टाइम से पहले ही आकर देख जाता है मुझे । चाहे मैं आऊं जब सबसे पहला नंबर मेरा ही लगा देता है। रविन्द्र के साथ तो जब- जब आई हूँ मुझे डॉक्टर तुरंत मिल गया है । पता नहीं तेरे साथ आतें ही ये क्यों हो रहा है।
So basically आप मुझे clumsy बोल रही है ?
Basically क्या तू तो technically, naturally, totally Clumsy है ही । इतना कहकर दादी खिलखिला कर हँस पड़ी। उनकी इस सफेद मुस्कुराहट ने आसपास बैठे दूसरे लोगों के चेहरे पर भी हँसी की थोड़ी सी रेखा खींच दी । बस तमन्ना ही खिसियाई से सबको देखती रही।
सुबह 10 बजे के आएँ तमन्ना और दादी को डॉक्टर ने एक बजे केबिन में बुलाया । दादी पहले गईं और पीछे- पीछे तमन्ना। So sorry माता जी ! एक इमरजेंसी केस था तो वहीं OT में लगा हुआ था तबसे। उनके कुर्सी पर बैठते ही डॉक्टर अपनी सफाई देने लगा। तमन्ना तब तक ट्रीटमेंट के सारे डॉक्यूमेंट संभाले हुए अंदर आ चुकी थी।
तुम…? उसके हाथ से डॉक्यूमेंट छूट के नीचे गिर गएं।
आप..? डॉक्टर शेखर भी कुछ कम हैरान न हुए ।
तमन्ना बिना कुछ कहे सारे डॉक्यूमेंट इक्कठा करने लगी। डॉक्टर शेखर अपनी चेयर छोड़कर उसकी मदद के लिए आगे आएं। लाइए मैं help कर दूं आपकी…। जैसे ही उन्होंने कागजों को हाथ लगाया । तमन्ना ने तुरंत कागज छीन लिए। कोई जरूरत नहीं मैं खुद कर सकती हूँ। Ok! वो वापस से अपनी चेयर पर जाकर बैठ गया।
तो माता जी कैसी तबियत है अभी आपकी ? घुटनों में दर्द अभी भी है कि चला गया।
पहले से तो ठीक है बेटा बस कभी-कभी होने लगता है ।
अच्छा ! कोई दिक्कत नहीं अबकी बार से आपको वो दर्द भी बंद हो जाएगा। डॉक्टर शेखर सफेद कागज पर कुछ दवाइयां लिखने लगें।
आप अपनी पिछली वाली रिपोर्ट्स दिखाएं जरा।
अब तक तमन्ना भी दादी के बगल वाली कुर्सी पर बैठ चुकी थी। इसीलिए उसने तुरंत रिपोर्ट डॉक्टर की तरफ सरका दी। शेखर ने उन रिपोर्ट्स को उलट-पलट देखा और फिर बोला – माता जी की कुछ नई रिपोर्ट्स निकलवानी पड़ेगीं, X-ray भी होगा दोनों घुटनों का । दिक्कत तो कोई भी बाकी नहीं है बस तसल्ली के लिए ।
कब करानी हैं सभी जांचें? तमन्ना के लहजे में गुस्सा भले था लेकिन थोड़ी इज्जत झलक रही थी उसमें।
जी अगली बार जब आइएगा तो करवा लिजिएगा। डॉक्टर शेखर ने एक बार नजर उठाकर तमन्ना की तरफ देखा और फिर से कागज पर कुछ लिखने लगे।
मुझे तो लगा था बेटा की आज तो बिना दिखाए ही जाना पड़ेगा।
ऐसे कैसे बिना दिखाएं जाने देते आपको बस जरा इमरजेंसी न होती तो सबसे पहले आप को ही फ्री करता मैं। रविंद्र नहीं आया तो क्या आपका दूसरा पोता तो अभी यहाँ बैठा ही है। हाँ मेरी जगह कभी कोई और आ गया तो नहीं पता लेकिन जब तक मैं यहां हूँ ये आपका हॉस्पिटल है समझी आप। शेखर ने एक प्यारी लेकिन छोटी सी हँसी अपने चेहरे पर आने दी।
ऐसे क्यों बोलते हो बेटा , भगवान करें तुम हमेशा इसी हॉस्पिटल में बड़े से बड़े पद प्राप्त करो।
आदमी को कहीं जाने के लिए कहीं से निकलना पड़ता है माता जी लेकिन अपनों का आशीर्वाद हो तो हर नई जगह भी आसान रहती है।मेरा आशीर्वाद तो हमेशा ही मेरे बच्चों के साथ रहता है। दादी अपनी कुर्सी से उठ गई थीं क्योंकि अब अगले patient का नंबर आने वाला था। तमन्ना भी सारी रिपोर्ट्स फाइल में वापस रखने लगी। दादी निकल गई थीं केबिन से वो भी जाने के लिए खड़ी हुई लेकिन डॉक्टर ने उसे रोक लिया।
सुनिए..! मैं ऐसा नहीं हूँ जैसा आप समझ रहीं हैं , मैं वाकई जल्दी में था इसी बीच मेरी आपसे टक्कर हो गई। हो सकता है कि थोड़ी बहुत गलती आपकी भी रही हो..
Excuse me..? क्या कहा अपने ?
डॉक्टर ने कहीं पढ़ा था कि जब औरतें एक बात सुनने के बाद दोबारा से उसे पूछ रहीं हो इसका मतलब होता है कि वो आपको अपनी गलती सुधारने का मौका दे रहीं हैं।
मैंने कहा I’m so so so sorry. It was my fault. अब आप जा सकतीं हैं आराम से।
तमन्ना ने बाहर आकर सबसे पहला काम दवाओं को चेक करने का किया । उसे लग रहा था कि डॉक्टर ने कहीं उसके गुस्से का बदला उसकी दादी से न ले लिया हो। वैसे भी कह ही रहा था गलती मेरी भी है । अरे गलती करे मेरी जूती…।
डॉक्टर को आदत है महिलाओं को इज्जत देने के लिए वो बूढ़ी महिलाओं के लिए माताजी और हमउम्र महिलाओं के लिए बहन जी और टीनएज लड़कियों के लिए बेटा जी जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया करता था।
रविंद्र और डॉक्टर शेखर Neet की कोचिंग में मिले थें। शेखर का पहले ही प्रयास में Neet clear हो गया था लेकिन रविंद्र के तो सही से नंबर भी नहीं आएं थें। वजह? क्योंकि उसे डॉक्टरी नहीं बिजनेस में जाना था। अगले प्रयास में असफल होने के बाद उसने घर में साफ-साफ बोल दिया कि वो सिर्फ बिजनेस ही करेगा इसके अलावा कुछ भी नहीं । और उसके बाद आज का दिन है रविंद्र कश्यप एक अच्छा खासा बिजनेसमैन है और डॉक्टर शेखर धर एक सफल Orthopedic .
दोनों आज भी जब कहीं बाहर मिलते है तो रविंद्र शेखर को भी बिजनेस में इन्वेस्ट करने के लिए जरूर कहता है । आज तक तो शेखर ने बिजनेस में इन्वेस्ट करने का नहीं सोचा लेकिन आगे पता नहीं शायद मूड ही बन जाए।
तमन्ना अपनी पत्रकारीता की पढ़ाई खत्म करके जॉब के लिए मेहनत कर रही है । उसकी फैमिली सुखी संपन्न है। भाई-भाभी और मम्मा तो बिजनेस में ही इन्वॉल्व रहते हैं अक्सर और पापा को सोशल वर्क से ही फुर्सत नहीं मिलती । ऐसे में दादी अक्सर घर पर अकेली रह जाती है लेकिन जब से तमन्ना हॉस्टल से घर आई है उनको एक कंपनी मिल गई है और घरवाले भी दादी की फिक्र छोड़ कर अपने अपने कामों पर फोकस कर रहें हैं।
दादी के घुटनों में अक्सर दर्द रहता है । एक बार बिस्तर से गिर जाने के बाद तो हालत और भी खराब हो गई थी तब उन्हें डॉक्टर शेखर के पास ले जाया गया था जोकि दिल्ली के ही एक बड़े हॉस्पिटल में सर्जन हैं। 7 महीने इलाज कराने के बाद अब उसके घुटने ठीक हो चुके है। शेखर बस उन्हें फॉलो अप के लिए बुलाता है।
डॉक्टर शेखर ने 10 दिन के बाद उन्हें बुलाया था। उनके आने के एक दिन पहले ही डॉक्टर ने रविंद्र से कॉल पर पूछ लिया कि कल माता जी के साथ कौन आयेगा? पता नहीं उसे हँसना चाहिए था या नहीं लेकिन ये जानकार की कल भी रविंद्र कल भी नहीं आ पाएगा उसके चेहरे पर रौनक आ गई जोकि शायद उसने भी नोटिस नहीं की।
10 बजे से पहले ही डॉक्टर शेखर अपने केबिन में आ चुके थे । पिछली बार उन लोगों को डॉक्टर का इंतजार करना पड़ा था लेकिन अबकी बार Docter को अपने patient का इंतजार करना पड़ा। दादी और तमन्ना डेढ़ घंटे बाद केबिन में आईं तब तक डॉक्टर अपने बाकी के मरीजों को देख रहा था।
तमन्ना और दादी के आते ही डॉक्टर ने मुस्कुरा कर उनका स्वागत किया और सीट पर बैठने के लिए बोला ।
बैठिए माता जी, अब कैसे हालचाल हैं? सब बढ़िया ? हाँ अब तो सब ठीक है छत पर भी चढ़ जाती हूँ तब भी दर्द नहीं होता घुटनों में ।
देखा कहा था मैंने कि आपको बुलेट एक्सप्रेस बना दूंगा। अब खूब दौड़िए – भागिए कोई दिक्कत ही नहीं होगी।
अब क्या दौड़भाग होगी बेटा उमर तो निकल गई।
लीजिए 75 की हो कर आप ऐसी बातें कर रहीं हैं अभी तो 25 साल और जीना है आपको । 75 साल की जवान होकर 95 साल की बुढ़िया की तरफ से बात कर रहीं हैं आप ।
तुमसे बातें करवा लो बस । दादी शर्माते हुए हँस पड़ी , डॉक्टर भी मुस्कुरा के उन्हें देखते रहें।
अच्छा ये दाग किस चीज का लग गया है आपकी साड़ी पर कहीं हॉस्पिटल में कोई असुविधा तो नहीं हुई?
लो डॉक्टर बताओ यहाँ क्यों असुविधा होगी मेरी असुविधा तो मेरे साथ ही चलती है ।
मतलब ?
दादी तमन्ना की ओर इशारा करती हुई बोली – ये है न कुछ न कुछ गिराती-तोड़ती रहती है , कभी खुद को नुकसान पहुंचाती है कभी दूसरों को। सारे हवन- पूजन बेकार गएं बेटा। आज मुझपर अभी हॉस्पिटल में चाय गिरा दी ,कल पूसी के बच्चे को दूध के कटोरे में डूबो दिया।
उस दिन मुझपर भी पानी गिरा था अब पता नहीं गलती इनकी थी कि मेरी ….!
क्या सच में ? तब तो इसी की होगी।
जी ।
ये ऐसी ही है इसका कोई इलाज नहीं हो सकता क्या बेटा।
इनका इलाज करने वाला Doctor भी patient बन जाएगा माता जी। दोनों ठहाका लगा के हँस पड़े।
आपने कुछ रिपोर्ट्स लिखी थी पिछली बार वो करवा लाई हूँ देख लीजिए। उन दोनों की बातचीत से गुस्सा होती तमन्ना ने बात बदलने के लिए रिपोर्ट डॉक्टर की तरफ बढ़ा दीं।
डॉक्टर शेखर ने उन रिपोर्ट्स को बहुत ही बारीकी से देखा । अपना चश्मा पहनकर वो रिपोर्ट्स को लाइट्स के आगे ले जाकर देखने लगा ।
All good! माता जी आपने कर दिखाया। वो वापस टेबल पर आकर बैठ गया ।
That’s mean अब दादी के घुटने पूरी तरह से ठीक हैं?
जी अब वो ठीक हैं ।
तो मतलब इन्हें follow up के लिए लाने की भी कोई जरूरत नहीं है ।
जी नहीं, जरूरत तो कोई नहीं है फिर भी जब भी जरूरत लगे तो आप बेझिझक आ जा सकतीं हैं।
जहन्नम से पीछा छूटने के बाद वहाँ आने का मन शैतान का नहीं होता मैं तो फिर भी इंसान हूँ। अच्छा ही हुआ जो इस हॉस्पिटल से नाता टूटा । 7 महीने से बस लूटे ही जा रहें थें सब ।
Excuse me ? डॉक्टर शेखर थोड़ा disappoint हुए। उन्होंने दादी की रिपोर्ट्स को वापस लेना चाहा ताकि वो तमन्ना की है गलतफहमी दूर कर सके। जिस रिपोर्ट को डॉक्टर ने लेना चाहा था उसी पर अचानक तमन्ना ने भी हाथ रख दिया और उसके हाथ के ऊपर डॉक्टर का हाथ रख गया हालांकि डॉक्टर ने तुरंत अपना हाथ वापस ले लिया था पर तब तक बात बिगड़ चुकी थी । तमन्ना ने उसे नोंच डालने वाली आंखों से देखा तो डॉक्टर खुद ही शर्मिंदा हो गएं।
चलिए दादी । सारी रिपोर्ट्स फाइल में रख के तमन्ना खड़ी हो गई।
इसकी बातों का बुरा न मानना बेटा, हम आते- जाते रहेंगे।
हाँ जरूर आपकी ससुराल ही है न ये हॉस्पिटल । जाते हुए वो अपनी दादी पर गुस्सा निकालती जा रही थी। शेखर उसे पीछे से देखता ही रहा, उसने आज भी लॉन्ग स्कर्ट और शर्ट पहनी हुई थी बस उसका कलर चेंज था पिछले वाले से । पता नहीं एक गलतफहमी दूर करने के चक्कर में इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई उससे। ये सब सोचते हुए उन्होंने सर झुका लिया और सफेद कागज पर कुछ पेनडाउन करने लगा।
अभी मुश्किल से ही उन्होंने एक patient को देखने के लिए बुलाया ही था कि करीम काका भागते हुए केबिन में आ गएं।
डॉक्टर बाबू जो दादी आतीं हैं आपके पास वो बुला रहीं हैं आपको जल्दी चलिए बाहर सीढ़ियों पर …. चोट लगी है ज्यादा… खून बह रहा है …।
कहाँ? कैसे ? दादी अभी तो ठीक ही निकली थी । डॉक्टर शेखर मरीज को छोड़कर भागे।
ग्राउंड फ्लोर पर पहुंचते ही दादी के रोने की आवाज साफ सुनाई देने लगी। आसपास कुछ लोगों की भीड़ लगी थी । सब कह रहें थें उठाओ..उठाओ… स्ट्रेचर लाओ लेकिन कर कोई कुछ नहीं रहा था ।
हटें .. पीछे हटिए आप लोग। डॉक्टर और करीम काका भीड़ को चीरते हुए सीढ़ियों पर आ गएं थें। सबसे पहले शेखर की नजर दादी के ऊपर ही गई।
माता जी तो ठीक… दूसरी नजर उनकी गोद में पड़ी तमन्ना पर पड़ी । जिसके सर के पीछे से खून निकल रहा था , उसके एक पैर का स्लीपर भी पैर से निकल गया था ।
वार्ड बॉय स्ट्रेचर लेकर आओ जल्दी। उसने तेज आवाज में कहा । दादी की गोद से सिर उठा कर अपने हाथों में सम्भाल लिया।
बेटा देखो न क्या हो गया? अच्छा-खासा निकले थें अभी कि अचानक सीढ़ियों से इसका पैर फिसल गया… हाय हाय.. बेटा बचा लो इसे। क्या जवाब दूंगी मैं इसके बाप को …. हाय राम…।
माता जी इन्हें कुछ नहीं होगा आप यकीन रखिए। नीचे एक भी स्ट्रेचर खाली नहीं था और ऊपर से स्ट्रेचर लाने में टाइम लग रहा था इसीलिए डॉक्टर शेखर ने तमन्ना को अपनी बाहों में ही उठा लिया बिना अपने सफेद कोट की परवाह किए और उसे इमरजेंसी वार्ड की तरफ लेकर भागे। पीछे-पीछे दादी भी उसका स्टॉल , पर्स और बाकी सामान लेकर बदहवास दौड़ी।
एक तो तमन्ना का टाइम भी अच्छा था और डॉक्टर शेखर का व्यवहार और पॉवर भी मजबूत , इसीलिए उस समय हॉस्पिटल में मौजूद Neurosurgeon, Neurologist खुद डॉक्टर शेखर और दो जूनियर, एक नर्स और एक वार्डबॉय के साथ मिलकर तुरंत एक टीम बन गई तमन्ना के इलाज के लिए।
जितना सोचा गया था उतना कुछ भी नुकसान नहीं हुआ था। Head injury की आशंका थी लेकिन CT SCAN और MRI में ऐसा कुछ भी नहीं निकला। चोट बस सर के ऊपरी परत पर ही आई थी। हाँ लेकिन उसके दाहिने पैर की एड़ी लगभग मुड़ चुकी थी , हट्टी में फ्रैक्चर नजर आ रहा था रिपोर्ट्स में ।
माता जी कहा था आपसे की कोई दिक्कत नहीं हैं आपने बेवजह से रो-रो कर अपनी तबियत खराब कर ली। एक लंबी राहत की साँस लेकर वो दादी के बगल में आकर बैठ गया। ऐसा लग रहा था कि वो खुद भी कुछ डरा हुआ था रिपोर्ट्स देखने के पहले तक।
उनके बगल में बैठते ही दादी ने उनके सीने से सर सटा दिया और फिर रोना शुरू कर दिया।
डॉक्टर का मन था कि उन्हें इसी तरह सीने से लगाएं सांत्वना दे लेकिन अभी वो ड्यूटी पर था इसीलिए वो उठ कर खड़ा हो गया ।
तमन्ना जी बिल्कुल ठीक है बस पैर में मोच आई है । सर में हल्की सी ही चोट है बिल्कुल सुई के बराबर।
उसे कुछ नहीं होगा न।
दादी की आंखों में दया है , याचना है , ममता है और उम्मीद है। न चाहते हुए भी डॉक्टर शेखर घुटने के बल उनके आगे बैठ गएं और उनके हाथों पर हाथ रखते हुए नर्म लहजे में पूछा –
आप को भरोसा नहीं है न अपने पोते पर ?
ऐसा कुछ नहीं है मेरे लाल बस मेरी बावली की फिक्र मुझे बहुत ज्यादा है । उन्होंने डॉक्टर के सर पर हाथ फेर दिया।
उनकी फिक्र क्यों करनी जब आपको पता ही है कि वो हैं ही ऐसी। उनके साथ तो छोटा-मोटा हादसा लगा ही रहेगा जिंदगी भर तो क्या जिंदगी भर फिक्र करती रहेंगी उनकी।
बात तो सही कहीं तुमने बेटा। बस एक बार ठीक हो जाएं ये तो इसे लेकर चारों धाम के दर्शन करने जाऊंगी फिर कुछ न हो शायद ।
वो सब बाद में करना आप लेकिन पहले ये बताइए घर पर फोन किया किसी को ?
नहीं कर पाई अभी तक । तनु के फोन में पासवर्ड ही लगा हुआ है।
रुकिए मैं करता हूँ। उसने अपनी जेब से फोन निकाला।
हाँ रविंद्र कहाँ हो ?… मेरी बात सुनो जरा….! डॉक्टर दादी के सामने से हटकर एक कोने में जाकर बात करने लगें।
बात खत्म करने के बाद वो वापस दादी के पास आ गएं।
माता जी , रविंद्र को सब बता दिया है कैलिफोर्निया से इंडिया आने वाली अगली फ्लाइट से वो आ रहा है। देखो आधी रात तक या सुबह तक पहुंचे लेकिन तब तक के लिए वो अंकल जी को भेज रहा है । आप परेशान न होइए मैं तो हूँ ही यहाँ। डॉक्टर शेखर ने अपना सफेद कोट जो जगह-जगह से थोड़ा लाल हो चुका था, उसे उतार कर अपने हाथ पर रख लिया।
दादी अभी आप मेरे केबिन में आराम करिए चलकर मैं चाय भेजता हूँ आपके लिए। तब तक मैं इन्हें प्राइवेट वॉर्ड में शिफ्ट करने का इंतजाम देख लूं जाकर , रविंद्र ने कहा है करने को।
ठीक है बेटा बस इतना और बता दो कि कितना पैसा खर्च हुआ है इन सब में। मैं घर से मंगवा लेती हूँ अपने बेटे से।
“7 महीने से लूटे ही जा रहें थें बस…!” दादी की बात से डॉक्टर को तमन्ना की ये बात याद आ गई तो चेहरे पर मुस्कान आप ही आप खींच गई।
नहीं दादी रहने दीजिए वो सब मैंने देख लिया है।
देख क्या लिया है । मुझे देखने की फीस नहीं लेते थें तो क्या तनु का भी फ्री में इलाज करोगे ? न ये नहीं होगा। फिर जाँच , दवा और इन डॉक्टर का तो खर्चा बहुत होता ही है , वो तो पड़ता ही है न । अपना न सही इन्हीं चीजों का खर्चा बता दो।
आप परेशान न हो मैं रविंद्र से बात कर लूंगा। वो वहाँ से हट कर दूसरे वॉर्ड में चले गएं शायद किसी patient को देखने।
फोन करने के आधे घंटे बाद ही तमन्ना के पापा दौड़ते- भागते हॉस्पिटल पहुंच चुके थें। तब तक तमन्ना प्राइवेट वॉर्ड में शिफ्ट की जा चुकी थी।
हॉस्पिटल के उस कमरे में अब तीन जन थे और तीनों ही परेशान । तमन्ना तो गहरी नींद में थी लेकिन उसके पापा और दादी उसे ऐसे ताक रहें थें जैसे वो कोमा में हो।
परेशान होने की कोई बात नहीं है अंकल जी वो ठीक हैं बस सो रहीं हैं। डॉक्टर शेखर आएं हैं उनके वॉर्ड में।
बेटा ये इसके पैर.. इसका सर दोनों काफी चोटिल हुए हैं? कहीं याददाश्त तो नहीं चली जाए…
कैसी बात कर रहें हैं आप भी । आपकी बेटी स्वास्थ्य है और ऊपरवाले की दुआ से जल्द ही घर जाने लायक भी हो जाएंगी।
इसका पैर…
हाँ वो … उसके बारे में तो मैं भी सोच रहा हूँ। हड्डियां काफी मजबूत हैं इनकी। तभी सीढ़ियों पर गिरने के बाद भी न सर में कोई काफी गहरी चोट है और न पीठ, कमर पर लेकिन बस एक पैर फ्रैक्चर हो चुका है उसकी हड्डी जोड़ से क्रैक हुई दिख रही है। जबकि दूसरे पैर में बस जरा सी मोच …?
शेखर बेटा इसी पैर में दो साल पहले भी इसे चोट लगी थी हॉस्टल में होली खेलते वक्त तब फ्रैक्चर ही था। इसीलिए तो दोबारा से उसी पैर पर चोट लगने से हुए बेतहाशा दर्द को बर्दाश नहीं कर पा रही मेरी बेटी। उसके पापा रुआंसे हो कर उसे ताकने लगे ।
अंकल कोई बात नहीं मैने कहा न सब कुछ ठीक है। भरोसा रखें डॉक्टर्स पर …। डॉक्टर शेखर ने उनके कंधे को दबाते हुए सांत्वना दी।
दादी इतना ज्यादा रोई थी कि रात तक उनका बीपी काफी बढ़ गया था। उन्हें सर दर्द और चक्कर आने की समस्या भी शुरू हो गई थी। उनकी हालत को देखते हुए डॉक्टर ने तमन्ना के पापा को सजेस्ट किया –
अंकल माताजी को आराम की सख्त जरूरत है । सुबह से बैठे- बैठे उन्हें दिक्कत हो रही है पहले से ही ऊपर से खाया – पिया भी कुछ नहीं है उन्होंने। आप उन्हें घर ले जाएं। बेटा माँ की फिक्र तो मुझे भी है लेकिन मेरी बेटी भी तो यहाँ अकेली ही रह जाएगी।
कोई जान पहचान का हो तो उसे यहाँ भेज दीजिए अगर न हो तो मैं ही रुक जाता हूँ उन तीनों के आने तक। फ्लाइट तो मिल ही चुकी होगी उन्हें मुश्किल से 3 घंटे में यहाँ होंगे वो । मोटा मोटा मान लीजिए तो 1 बजे तक।
नहीं तुम क्यों अपना वक्त बर्बाद करोगे हम लोगों…
अंकल अपने घर के लिए कुछ करना कबसे वक्त बर्बाद करने वाला होने लगा। आप मुझे रविंद्र के जैसा मानते है तो मेरा भी तो कोई फर्ज बनता है न आप लोगों के लिए।
काफी समझाने के बाद वो दोनों घर जाने के लिए तैयार हो गएं। उनके जाने के बाद वॉर्ड में सिर्फ तमन्ना और डॉक्टर शेखर ही बचे। घड़ी में दस बज रहा था ये टाइम शेखर के डिनर का होता है लेकिन तमन्ना की फिक्र में उसे कुछ याद ही नहीं था अपने बारे में। पता नहीं क्यों वो इतनी फिक्र कर रहा है इस लड़की की ? इसके दोस्त की बहन है इसलिए ? की कुछ और महसूस कर रहा है उसको लेकर ? नहीं…नहीं वो बस एक patient है और मैं उसका docter बस । अपनी सारी उलझन को विराम करने के लिए वो एक बुक उठा कर पढ़ने लगा।
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