Doctor patient love story in Hindi part 2
रात के करीब 3 बजे के आसपास रविंद्र मम्मी और अपनी वाइफ के साथ हॉस्पिटल में दाखिल हो चुका था। तमन्ना के वॉर्ड तक वो अकेले ही भागते हुए आया था वो दोनों पीछे ही छूट गई थीं। वॉर्ड में पहुंचते ही वो ऐसे ठिठक गया जैसे कोई अजूबा देख लिया हो ।
तमन्ना अपने बेड पर आराम से सो रही है। उसके एक हाथ में ड्रिप चढ़ रही है। सर पर पट्टी है और पैर में प्लास्टर। ये सब तो सामान्य ही लगता है लेकिन अजूबा क्या है पता है? वो हैं डॉक्टर शेखर…! जिनकी कुर्सी बिल्कुल तमन्ना के बेड के पास है , किताब गिर कर फर्श पर जा चुकी है। अपने एक हाथ के सहारे अपने चेहरे को टिकाए वो किसी मासूम बच्चे की तरफ लग रहा है । वॉर्ड में बिल्कुल मद्धम रोशनी है मगर जो शेखर के चेहरे की थकान को दिखाने के लिए काफी है।
आज तक कभी भी वो बाॅबिता के सिवा किसी फीमेल के पास इस तरह नहीं रुका । उसका हमेशा से ही मानना था कि Docter patient का रिश्ता सिर्फ दवा तक ही होना चाहिए। ….और आज देख लो उसकी छोटी बहन के सिरहाने कुर्सी डाले कैसे बैठा है । चाहता तो किसी स्टॉफ को रोक सकता था, पापा ही रुक रहें थें लेकिन किसी और को रोकने की बजाय वो खुद डॉक्टर और तीमारदार दोनों बनकर बैठा है।
रविंद्र ने आहिस्ते से अपने पैर कमरे के बाहर खींच लिए और धीरे से उसका दरवाजा बंद कर दिया। इतने में मम्मी और उसकी पत्नी भी आ पहुंचे। उन्होंने तमन्ना की तबियत जानने के लिए अंदर जाना चाहा लेकिन रविंद्र ने हाथ के इशारे से बोलने से मना कर दिया और अपने साथ उन्हें वेटिंग एरिया में लेकर चला गया।
ऐसा नहीं है कि शेखर ज्यादा देर सोया हो लगभग ढाई बजे ड्रिप को देखते- देखते उसे नींद आ गई थी और 4 बजे के आसपास इतनी थकान के बाद भी उसकी नींद खुल गई। उसने सबसे पहले ड्रिप को स्टॉप किया , फिर बॉडी का टेंपरेचर लिया और उसके पैरों के जोड़ को धीरे- धीरे घूमा कर देखा। ये सब करते हुए शेखर आधी नींद में था ।
खुद को पूरी तरह जगाने के लिए शेखर अपनी आँखों को मलता हुआ वॉर्ड के बाहर हवा खाने निकल आया। कॉरिडोर में चलते-चलते वेटिंग एरिया में सो रहे रविंद्र के ऊपर पड़ी। वो तुरंत चैतन्य हो गया।
वहाँ पहुंच कर देखा तो आंटी जी और भाभी जी भी एक दूसरे का सहारा लिए कुर्सी पर ही सो रही है।
ओए रविंदर…! डॉक्टर शेखर ने उसके कंधे को दो से तीन बार झकझोरा ।
हू.. ऊ.. ! रविन्द्र ने अपनी आँखें खोली सामने शेखर को देखते ही गले लगाने के लिए खड़ा हुआ तो चक्कर आ गएं उसे। शेखर ने तुरंत उसे संभाला।
कितनी देर पहले प्लेन से उतरे हो?
एक घंटा हो गया लगभग ।
जेट लैग हो गया है तुम्हें।
हो सकता है।
इन दोनों को भी हुआ है ?
पता नहीं । लेकिन मुझे भी आराम करने का थोड़ा भी टाइम नहीं मिला और इन्हें भी नहीं।
मैं अपने ड्राइवर को बोलता हूँ वो तुम लोगों को घर छोड़ आएगा । वहां से तुम अंकल जी को भेज देना । तमन्ना जी की कोई ….
O..ho तमन्ना जी… तू तो अपनी पेशेंट को बहन जी बोलता है ।
Ok , बहन जी….
अबे बड़ा कमीना है तू एक मिनट में इमोशन चेंज ! जरा भी शर्म नहीं आती इतनी खूबसूरत लड़की को बहन जी बोलते हुए..?
यार तुम्ही ने अभी कहा कि बहन जी बोल…मैं बोलूंगा कि तू उसे मिसेज धर बोल तो तू बोल देगा…?
देखो मुझे टीस करने की कोशिश मत करो। मैं पहले से नर्वस हूँ क्योंकि मुझे नहीं पता था कि तुम्हारी एक सनकी , शक्की , काम बिगाड़ू बहन भी है , जो मुझे एक नंबर का छिछोरा समझती है। काश पहले बताता तो अब तक उससे रखी बंधवा लेता मैं ।
क्या बात कर रहा है?
वहीं जो सच है ।
कोई special feelings नहीं उसके लिए ?
बिल्कुल भी नहीं ।
मुझे लगा ऐसा।
गलत लगा।
तो फिर मैं घर जाऊं तो ध्यान रखेगा उसका मेरे और पापा के वापस आने तक ।
हाँ बिल्कुल ।
सुबह 8 बजे के करीब तमन्ना की नींद खुली तो उसने देखा कि उसकी दादी की जगह पर डॉक्टर शेखर अब उसका इलाज कर रहें हैं। उसका एक पैर लगभग 20 किलो का महसूस हो रहा है उसे और दूसरा 10 किलो का ।
मुझे क्या हुआ है? मेरी दादी का क्या किया आप लोगों ने?
आप कल सीढ़ियों से गिर गईं थीं तो आपको चोट आई हुई है। इंजेक्शन में दवा भरते हुए नर्स ने जवाब दिया। डॉक्टर शेखर बेड के पास खड़े फाइल ही पढ़ते रहें।
मेरे घर वाले कहाँ है?
सभी आते होंगे थोड़ी देर में ।
Oh my God… No ..No please! जैसे ही नर्स ने इंजेक्शन लगाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया वैसे ही हड़बड़ा के तमन्ना बिस्तर पर बैठ गई।
घबराइए नहीं दर्द नहीं होगा आपके विगो में ही….
नहीं नहीं कहीं भी नहीं लगाओगी समझी।
कल से ऐसे कई इंजेक्शन लग चुके है आपको तब कोई दिक्कत नहीं हुई तो अब कैसे होगी। डॉक्टर शेखर ने फाइल बंद करके उसकी बात का जवाब दिया।
हाँ लगे होंगे तो तब मैं बेहोश थी न !
तो अब आप चाहती है कि आपको इंजेक्शन लगाने के लिए भी एनेस्थीसिया दी जाएं? लेकिन उसके लिए भी तो इंजेक्शन देना होगा। सिस्टर आप इंजेक्शन लगाइए। नहीं … नहीं । तमन्ना ने बिस्तर से उतरकर भागने की कोशिश की लेकिन अपने पैर तक न हिला सकी। तो उसने तुरंत डॉक्टर शेखर का हाथ पकड़ लिया।
Docter please….! शेखर को एक बार साँस आई और गले में ही रुक गई।
हिलना मत वरना ज्यादा दर्द होगा। नर्स उसका दूसरा हाथ पकड़ कर इंजेक्शन लगाने लगी थी।
उसकी आंखों से आँसू बह रहें हैं और उसके नाखून डॉक्टर शेखर की कलाई में धंसे हुए है।
इंजेक्शन लगने के तुरंत बाद तमन्ना ने डॉक्टर का हाथ छोड़ दिया और दूसरी तरफ मुंह करके लेट गई , जैसे उसे अपनी की हुई हरकत पर शर्मिंदगी हो। डॉक्टर ने भी अपना हाथ उन दोनों से छुपाते हुए जेब में कर लिया।
सिस्टर आप जेनरल वॉर्ड के बेड-13 वाले पेशेंट के पास जाकर उनकी फाइल रेडी कीजिए मैं आता हूँ।
जी डॉक्टर। नर्स वहाँ से चली गई। उसके जाने के बाद डॉक्टर ने जेब से अपना हाथ निकाल कर देखा तो कलाई पर खून की तीन बूंदें निकल आई थीं और दो जगह स्क्रैच था । उन्होंने अपनी जेब से रुमाल निकाल कर हाथ में लपेट लिया। उसके बाद जाकर वॉर्ड का दरवाजा बंद कर दिया।
एक मिनट.. ये दरवाजा क्यों बंद किया तुमने…?
डॉक्टर शेखर ने कोई जवाब नहीं दिया।
करना क्या चाहते हो मेरे साथ…? तुम्हें लगता है तुम मेरी इस सिचुएशन का फायदा उठा सकते हो ! खबरदार जो कुछ भी करने की कोशिश की तो अभी चिल्ला-चिल्ला कर सारा हॉस्पिटल यहां खड़ा कर लूंगी, समझे । तमन्ना डॉक्टर शेखर को बेड की तरफ आता देखकर घबरा के बैठ चुकी थी।
देखो सस्पेंड करवा दूंगी तुम्हें। अभी तुम जानते नहीं कि मैं हूँ कौन…?
आप जानती है, आप कौन है ? डॉक्टर शेखर ने डेस्क पर रखे हुए सेब को काटकर प्लेट में रखना शुरू कर दिया था।
मैं जा रहा हूँ आप इन्हें खा लीजिएगा, वरना आपके भाईसाहब कहेंगे कि उनकी बहन का खयाल नहीं रखा उनसे वादा करने के बावजूद। अपना सफेद कोट अच्छे उतार कर रुमाल को छुपाने के लिए इस्तेमाल कर लिया डॉक्टर शेखर ने और वहां से जाने लगा।
सिस्टर को भेज दूंगा कोई जरूरत हो उनसे बेझिझक कह सकती हो। जाते जाते उन्होंने पलट के तमन्ना की तरफ देखा और वहाँ से चले गएं।
बड़ा आया डॉक्टर कहीं का…! तमन्ना मुंह बनाकर वापस लेट गई। उसे अपने घर वालों पर गुस्सा आ रही थीं। कैसे उसे किसी अजनबी के हवाले छोड़ सकते है ! अजनबी ? अच्छा ठीक है सब घर वाले उसे जानते है तो क्या , मैं तो नहीं जानती । आने दो सबको किसी से बात नहीं करूंगी। भैय्या… उनकी तो शकल नहीं देखूंगी । पता नहीं कैसे – कैसे घटिया दोस्त पाल रखे है जो कभी लड़की को भिगो देते है तो कभी उसका हाथ दबाते है। अभी धमकी न दी होती तो शायद सेब की जगह मुझे ही काट देता….! इतनी देर के इलाज के लिए न जाने कितना चार्ज किया होगा। जब कोई जरूरत नहीं थी तब तो दादी की जांच
उसने 12-15 हजार की लिखी थीं मेरी में तो बिल पक्का लाखों में थमाएगा।
मैम कोई दिक्कत तो नहीं हो रही आपको। एक नर्स आ चुकी थी वॉर्ड में ।
नहीं … तुम्हारा कितना चार्ज कर रहें हैं वैसे…?
जी मैम?
कुछ नहीं । उसने अपने मुंह पर चादर डाल ली । पता नहीं क्या जरूरत है इतने महंगे अस्पताल में इलाज करवाने की जहाँ के चौकीदार भी मुझसे महंगे कपड़े पहनते है।
दोपहर तक तमन्ना का वॉर्ड गुलजार हो चुका था। फूलों से , फलों से और लोगों से। उसके दोस्त , रिश्तेदार और घरवाले सब उसे घेर के बैठें थें। कोई न कोई आ-जा ही रहा था। उसे सोने तक का टाइम नहीं मिल रहा था जबकि उसे दोपहर बाद बहुत जोर से नींद आने लगी थी। उसके सामने ही बैठकर सब उसकी एक-एक कारस्तानियां निकाल कर सबको सुना रहे हैं और अफसोस कर रहें हैं कि आज चलने-फिरने की हालत में नहीं हैं वरना फिर से कोई काम बिगाड़ती।
अब उन्हें कौन की जो काम बिगड़ना था उसने सुबह ही बिगाड़ लिया बस किसी को पता नहीं चल पाया , खुद उसे भी नहीं।
तमन्ना ने अपने भैया-भाभी से कोई बात नहीं की सबके चले जाने के बाद भी। बस उनसे लगातार चले जाने को कहती रही। न उनकी कोई बात सुनी और न घर में किसी और की । रविंद्र थोड़ा दुखी हो गया लेकिन उसने जताया नहीं , वहाँ से निकल कर शेखर के पास गया और वहीं से अपनी वाइफ के साथ घर निकल गया। हॉस्पिटल में तमन्ना अपनी मम्मी-पापा के साथ ही रुकी ।
दिन में जरा सा भी आराम न करने की वजह से शाम ढलते ही तमन्ना को नींद आ गई थी। नींद कल के जितनी गहरी न थी। इसीलिए उसने तुरंत महसूस कर लिया कि कोई उसका पैर छू रहा है और ये छुअन उसके घर के किसी सदस्य की नहीं है।
क्या कर रहे हो ? हिम्मत कैसे हुई मुझे इस तरह छूने की? तमन्ना ने उठने की कोशिश की।
लेटी रहिए please. डॉक्टर शेखर उसके दूसरे पैर को आहिस्ते – आहिस्ते घुमाने की कोशिश कर रहें थें ताकि उसे दर्द न हो और वो जगे नहीं लेकिन वो उठ गई।
देखिए आप इस तरफ बिना मेरी परमिशन के हाथ नहीं लगा सकते है। तमन्ना उठ कर बैठ गई ।
आप सो रहीं थीं अगर मैं आपको जगाता तो आपको ज्यादा दर्द महसूस होता इसीलिए…
हाँ ठीक है लेकिन ये काम तो नर्स को देना चाहिए न ।
आप एक MBBS , MD डॉक्टर के चेकअप से बेहतर एक नर्स को वरीयता दे रहीं है। बढ़िया है मैं करता भी ऐसा ही जैसा आपने कहा… लेकिन आपके भाई का खौफ है मुझमें । डॉक्टर शेखर ने अपने दोनों अंगूठों की मदद से ज्वाइंट के बीच में प्रेस किया और एक कट की आवाज से तमन्ना कराह उठी और लेट गई।
अभी थोड़ी देर में दर्द चला जाएगा। आंटी जी को भेजता हूँ मैं आपके पास वो हल्के हाथों से मसाज कर देंगी तो आराम मिलेगा आपको।
आप जाओ यहाँ से प्लीज। उसकी आंखों से दो आंसू गिर गए।
मुझे आपको एक बात बतानी थी ।
क्या? इससे भी बुरा करना है क्या कुछ ?
आपके भाई को कल कॉल किया था तो मीटिंग में थें वो। इंडिया जल्दी वापस आने के चक्कर में लगातार मीटिंग कर रहें थें वो लोग । ऐसे में उन्हें आराम की सख्त जरूरत थी लेकिन मेरी कॉल पर वो तुरंत वहाँ से चल दिए थें ।
कैलिफोर्निया और इंडिया के टाइम जोन में बहुत डिफरेंस है और उन लोगों की बॉडी को आराम वैसे भी नहीं मिला था। इसीलिए उन्हें जेटलैग हो गया था । सुबह जब मैंने उसे चक्कर खाते देखा तो मैने ही उसे अपनी गाड़ी से घर तक भिजवाया था क्योंकि वो अपनी कार ड्राइव करने की हालत में नहीं था । बस यही बताना था आपको। डॉक्टर शेखर ने एक बार तमन्ना के चेहरे की तरफ देखा और सर झुका के वापस उसी खामोशी से निकल गएं जिस खामोशी से आएं थें।
डॉक्टर की बातें सुनकर तमन्ना को बहुत गिल्ट महसूस हुआ । बताओ उसने अपने ही भाई को उदास कर दिया। सब इस डॉक्टर की ही वजह से। न सुबह- सुबह मैं इसका चेहरा देखती और न मुझे भैया पर गुस्सा आती ।
रात भर जितनी बार भी उसकी आँखें खुली हर बार वो यही सोचती- सोचती सो गई कि कल भैया-भाभी को आते ही sorry बोलना है।
अगले दिन भी तमन्ना का वॉर्ड भर चुका था कल जितना तो नही लेकिन हाँ उसके सबसे करीबी उसी के साथ थें। शाम को सारे रिश्तेदारों के चले जाने के बाद दादी ने रविंद्र से पूछा – तुमने शेखर को पैसे तो दे दिए हैं न ?
किस बात के पैसे ?
तनु के इलाज का जितना खर्चा उठाया उन्होंने वहीं पैसे और कौन !
वो पैसे पापा ने नहीं दिए थें क्या ?
कहां ? जब यहां होते तब देते न। यहाँ तो बेचारा वो शेखर ही था वहीं सब कर रहा था। पैसा , जांच , दवा , डॉक्टर सबकुछ ….! मैने कहा पैसे बता दो बेटा तो मुस्कुराते हुए बोला रविंद्र से बात कर लूंगा ।
तो मेरे इलाज के अभी तक के पैसे आप लोगों ने नहीं दिए हैं ? तमन्ना हैरान हो गई।
दादी अरबी फारसी बोल रहीं हैं जो तुझे समझ नहीं आई। रविंद्र ने तमन्ना से कहा । लेकिन तमन्ना ने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया और कोई बात होती तो अभी उस पर चढ़ बैठती और झगड़ा शुरू हो जाना था दोनों का ।
मुझे तो डर है कि कहीं पैसे लेने से मना न कर दे । मम्मी ने कहा।
लेगा क्यों नहीं । मैं मौका देख कर आजकल में बात कर लूंगा । पैसे तो उसका बाप भी लेगा।
आह…हा ! दादी की फीस दे पाएं तुम उन्हें आजतक की तमन्ना की फीस ही दे पाओगे। भाभी ने ताना मारा।
फीस की बात अलग होती है और पूरे इलाज का खर्चा अलग बात। दो ढाई लाख लग गया होगा अब तक उसका । फीस के पैसे किसी और तरीके से दे देंगे ये पैसे तो चेक में थमाऊंगा उसे मैं।
दादी के इलाज की फीस भी नहीं लेते क्या वो ..!
हाँ बड़ा इमोशनल है वो इसीलिए घाटा करा बैठता है अपना । इसको दोस्त बोल के ही गलती कर दी। अहसान पे अहसान करता चल जा रहा है वो भी एक सक्सेसफुल बिजनेस फैमिली पर ।
रविंद्र की बाद सुनकर तमन्ना ने और कसके चादर में अपना मुंह छुपा लिया।
रात को पूरा परिवार खाने के लिए बाहर चला गया था। तमन्ना ने किसी को भी अपने पास न रुकने दिया ये बोलकर कि उसे नींद आ रही है उसे अकेला छोड़ दे सब लोग। सबके जाने के बाद वो डॉक्टर शेखर का इंतजार करने लगी।
डॉक्टर शेखर सिर्फ उनका हालचाल लेने आएं बाकी काम नर्स करके जा चुकी थी।
अभी तो दर्द नहीं हो रहा आपको ? कोशिश करूंगा कि जल्दी रिकवर हो कर आपको छुट्टी मिल जाएं क्योंकि आपको यहां काफी प्रॉब्लम हो रही होगी।
Ok!
सब लोग कहां गएं?
बाहर गएं हैं घूमने ।
ठीक है आप आराम करिए कोई दिक्कत हो तो बताइएगा तब तक के लिए मैं नर्स को भेज देता हूँ।
नहीं कोई दिक्कत नहीं है। मुझे बस आपसे एक बात पूछनी थी।
आप जरूर अपने पैर को लेकर परेशान हो रहीं होंगी। लेकिन दिक्कत मत लीजिए दूसरा पैर भी जल्द ही ठीक होगा। मुश्किल से 6 महीने का टाइम लगेगा।
नहीं , मैं बस ये पूछ रही थी कि आप अपनी फीस कभी क्यों नहीं लेते हम लोगों से ?
क्या ? किसने कहा ? मैं लेता तो हूँ। न लूं तो मेरा घर कैसे चलेगा । मेरी भी माँ हैं, पापा है, छोटी बहन है । सबकी जरूरतों के लिए फीस तो लेनी ही पड़ेगी न ।
झूठ मत बोलिए घर में सभी ने मुझसे कहा कि..
घरवालों ने बताया है आपको ?
जी । क्यों करतें हैं आप ऐसा ? मेरे इलाज के पैसे क्यों दिए आपने ? आपको लगता है कि हम लोगों के पास पैसे नहीं हैं ?
नहीं ऐसा कुछ नहीं लगता मुझे।
तो फिर ..?
बस बात इतनी है कि आपके भाई के बहुत अहसान है मुझपर । मेरे पापा एक दुकान पर काम करते थें बड़ी मुश्किल से तो कोचिंग के पैसे दिए थें उन्होंने बाकी चीजों के लिए कहां से पैसे लाते ? माँ मेरी हाउसवाइफ है ।कोचिंग के दौरान कई बार उसने मेरी मदद की है कभी रूम रेंट में कभी खाने में। एक बार मेरी माँ बीमार हुई थीं तो आधा खर्चा उसने उठाया था ।
अब बताओ इन सब बातों को नजरअंदाज किया जा सकता है ? कैसे पैसे ले लूं मैं उससे। अगर वो मेरी माँ को अपनी माँ मानकर इलाज करा सकता है तो क्या मैं उसकी दादी को अपनी दादी समझ के इलाज नहीं कर सकता ?
और उनकी बहन को … ?
आपने शायद मुझे गलत ही समझ के रखा है अभी तक। उस दिन भी जो हुआ हादसा था और तीन दिन पहले वाला भी । मुझे बिल्कुल भी अहसास नहीं था कि आप वही रिपोर्ट पकड़ने जा रहीं है जो मैने पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया था। एक और बात बताऊं मुझसे रविंद्र ने कभी जिक्र नहीं किया कि उसकी एक बहन भी है वरना मैं खुद आकर आपसे राखी बंधवा जाता। लेकिन पता नहीं क्यों न आपको दिल से बहन मान पा रहा हूँ और न मुंह से बोल ही पा रहा हूँ।
शायद इसकी वजह मेरे अंदर का गिल्ट है। मैं बहुत शर्मिंदा हूँ मुझसे जो अनजाने में गलतियां हो गईं उनके लिए। मुझे उम्मीद है कि यहां से जाने के बाद आप अपना ट्रिटमेंट दूसरी जगह से करवाएंगी और सच कहूं मैं भी यही चाहता हूं क्योंकि आपसे आँखें मिलाने में मुझे बड़ी असुविधा होती है।
क्या गुफ्तगू हो रही है Doctor patient के बीच में भाई। रविंद्र आ चुका था वॉर्ड में।
कहाँ चले जाते हो सब लोग एक साथ । कोई एक तो रुकना चाहिए न यहां पर।
तो तुम हो तो ।
लेकिन मैं डॉक्टर हूँ और मुझे वही रहने दो तुम ।
अच्छा डॉक्टर साहब ! आप के जैसा डॉक्टर भगवान हर किसी मरीज को दे जो सारी रात जागकर अपने patient की देखभाल करें और थक जाने पर उसके सिरहाने कुर्सी पर ही सो जाएं।
क्या बकवास करने लगते हो तुम भी कभी कभी।
बकवास ? जानकारी के लिए बता दूं उस दिन सबसे पहले मैं यहीं भागता हुआ आया था तब तुम किसी पर हाथ टिका के सोते हुए बहुत प्यारे लग रहे थें।
हाँ उस दिन मैं रुका था क्योंकि अंकल बोल कर गए थें मुझे रुकने के लिए।
अच्छा कल क्यों देर रात गए थें यहां से फिर ?
यार आ जातें हैं जरूरी केसेज कुछ और किसलिए। इतनी सी बात का पता नहीं क्या सोच रहे हो तुम ।
ये तुम्हारे हाथ में क्या हुआ है ? बैंडेज लगा के क्यों रखा है? रविंद्र की नजर अचानक से डॉक्टर शेखर के हाथ पर पड़ गई। तमन्ना की नजर भी तुरंत उसके हाथ पर गई।
उसने अपना हाथ जेब में डाल लिया ।
कुछ नहीं हुआ । मैं जा रहा हूँ कोई दिक्कत हो तो बताना मुझे। बात को बढ़ता देखकर डॉक्टर शेखर उन दोनों को छोड़कर चले आएं।
क्या बात हो रही थी तुम दोनों की । स्टूल खींचकर रविंद्र तमन्ना के पास बैठ गया।
कुछ नहीं। तमन्ना अपने हाथ के नाखून देख रही थी।
सुना है कुछ अनबन चल रही है तुम दोनों में ? उसने पानी गिरा दिया था तुम पर तबसे …
नहीं तो भैय्या ।
तो अच्छी बात है । बहुत साफ दिल का है बेचारा कभी किसी लड़की की तरफ गलत नजर ने नहीं देखा। हम लोग इसको साधु बोलते थें। कोचिंग में जैसा सीधा कॉलेज में भी वैसा ही सीधा। बहुत लड़कियां आई-गई पर मजाल इसने उन्हें लिफ्ट दी हो। पर शायद बॉबिता की बात कुछ और ही थी।
ये कौन है ?
मुझे भी ज्यादा नहीं मालूम बस दोस्तों से पता चला था कि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल की बंगाली बेटी ने उसे पसंद कर लिया है । देखने में बिल्कुल अप्सरा थी किसी को कभी भाव तक नहीं दिया पर अपने शेखर की बात ही अलग है। शादी के लिए इसने भी हाँ कह दिया था लेकिन पता नहीं ऐन मौके पर शादी से मना कर दिया इसने। सुनते है कि अब भी टच में हैं दोनों देखो क्या हो आगे ।
तो ये उन्हीं से शादी करेंगे ?
कहा तो नहीं जा सकता लेकिन शायद हाँ। पर पूरी ईमानदारी से तुझे बताऊं इसको जब शुरू शुरू में मैने देखा था तभी इसे पसंद कर लिया था तुम्हारे लिए । बहुत फंसाने की कोशिश की मैंने इसे पता नहीं बीच में वो लड़की कहाँ से आ गई।
अच्छा जी तो ये बात है । एक बार भी नहीं सोचा कि मेरी भी न हो सकती है ।
हो ही नहीं सकती । इसकी मासूमियत, ईमानदारी , सादगी इसका बच्चापन लौंडो को भी अपनी तरफ खींच लेता था तुम तो फिर भी लड़की हो। पूरा का पूरा मोहिनी है कमीना । एक तो चेहरा खूबसूरत उस पर से भूरी-भूरी आँखें। भाई जादू के जैसे खींच लेता है अपनी तरफ।
भैय्या… तमन्ना को जैसे उबकाई आने लगी हो।
हाँ।
भाभी को पता है ?
क्या ?
की आप gay हो ।
अबे पागल है क्या ? रविंद्र ने उसके गालों पर हल्की सी चपत लगा दी । ये मजाक किसी और लड़के के साथ लगाकर कर लेना उसके साथ नहीं देवता आदमी है बेचारा , सच मान लेगा ।
अगली सुबह जब शेखर राउंड पर तमन्ना को देखने आया तो रविंद्र ने जानबूझ कर बॉबिता का जिक्र छेड़ दिया।
…. और आपकी बॉबिता मैडम कैसी है । पहली बात तो ये कि बॉबिता नहीं उनका नाम बबीता है जरूरी नहीं सारे बंगाली नामों में कोई बंगाली एलिमेंट हो ही । दूसरी बात उनके विषय में मुझे बात करना पसंद नहीं ।
क्यों ?
बस ऐसे ही।
अपने दोस्त को नहीं बताएगा ।
तुमसे कभी कुछ भी छिपा नहीं है मेरा । वक्त मिलेगा तो हम बात करेंगे कभी इस पर भी। शेखर ज्यादा देर वहाँ नहीं रुका जल्दी-जल्दी से नई आईं रिपोर्ट्स देखी और एक पर्चा लिख कर नर्स को पकड़ा दिया फिर वहाँ से निकल आया। सर की पट्टी हटानी थी आज लेकिन वो भी नहीं किया डॉक्टर शेखर ने बल्कि नर्स को बोल दिया बस।
रविंद्र को लगा कि उसकी बातों से शेखर कुछ हर्ट हुआ है। इसीलिए उसे मानने के लिए वो उससे मिलने गया दोपहर में तो पता चला कि वो ऑपरेशन में बिजी है । शाम को गया तो देखा कि वो मरीज देख रहा है अपने ।
रात को तो आओगे ही बच्चू तब बताऊंगा तुम्हें।
हमेशा की तरह शेखर रूटीन चेक अप के लिए तमन्ना को देखने आया था। उसके थोड़ी ही देर बाद रविंद्र भी कमरे में आ गया । लेकिन शेखर को देखते ही वो दरवाजे के पीछे छिप गया और अपने फोन का कैमरा ऑन कर लिया।
आज भाभी ने तमन्ना को तैयार किया हुआ था । सर की पट्टी हटने के बाद माथे पर काले रंग की छोटी सी बिंदी , हल्का सा मेकअप और बालों को साइड में करके एक चोटी बना दी गई थी। उस पर से रविंद्र से उसके बालों में सफेद चंपा के फूल फंसा दिए थें तो वो गोल मुंह वाली परी लग रही थीं। बड़े से शर्ट के बजाय ढीली-ढाली स्लीवलेस सफेद रंग की कुर्ती पहनकर वो गहरी नींद में सो रही थी। उसकी पतली गोरी बांह उसके गर्दन के पास दबी हुई थी।
शेखर उसके पास खड़ा उसे देख रहा है। उसके हाथ में एक किताब है जो थोड़ी देर पहले तमन्ना पढ़ रही थी । शायद सोते हुए उसने गिरा दी होगी अपने ऊपर और शेखर ने उसे उठा लिया होगा साइड में रख देने के लिए। तमन्ना को देखते हुए शेखर के चेहरे पर एक मुस्कान है। अपलक..एकटक वो बस उसे देखे ही जा रहा था। लगभग तीन मिनट होने को आएं और किसी के आ जाने का डर सताने लगा तो रविंद्र वॉर्ड में पहुंच गया।
मैं तो उल्टी कर देता यार….
हु…। शेखर ध्यान नहीं दे पाया रविंद्र पर।
पता नहीं तुम इसकी गंदी सी शकल को कैसे उतनी देर से देखे जा रहें हो ।
शेखर हड़बड़ा गया । “मैं बस किताब पढ़ रहा था। ” उसने किताब बंद करके साइड में रख दी। उसके माथे पर पसीना आ गया।
हाँ चेहरे होते तो एक हिसाब की किताब ही हैं । जिसे तुम पता नहीं कितनी देर से पढ़ रहे हो ।
ऐसा कुछ नहीं है यार । मैं बस चेकअप के लिए आया था किताब गिरी पड़ी थी बिस्तर पर तो उठा कर पढ़ने लगा।
डॉक्टर साहब । आप क्यों सोचते हैं कि सारी दुनिया आपके जितनी भोली है। अगर आप दिमाग लगाते तो एक फोटो खींचकर ले जा सकते थें पर आप इतना नहीं सोच पाएं पर मैने आपका पूरा वीडियो बना लिया है । जानता था कि आप मानेंगे नहीं इसीलिए आप ही को दिखाने के लिए। रविंद्र ने वो वीडियो डॉक्टर शेखर के आगे किया तो वो घबरा गएं।
इन्हें मत बताना प्लीज। पहले से ही बहुत गलत समझती है और भी गलत समझ बैठेंगी मुझे । दोस्ती के नाते कुछ मत बताना। मैं ध्यान रखूंगा आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा। वो तुरंत वहां से निकल गया। पीछे से रविंद्र “शेखर बात तो सुन मेरी ।” ही कहता रह गया।
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