A Mature Husband Love Story in hindi
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इतनी देर लगा दी घर आने में, एटलीस्ट फोन तो उठा लेती मेरा। कुणाल ने दरवाजा खोलकर संजना को अंदर लेते हुए कहा।
किस लिए उठा लेती फोन ? तुम्हारे शक्की और जासूसी भरे सवाल सुनने के लिए ? कहाँ हो , किसके साथ हो , कब तक आओगी , और कितनी देर लग जाएगी । यही सब सुनने के लिए मैं उठाती फोन तुम्हारा । संजना ने सोफे पर अपना बैग लगभग फेंकते हुए कहा।
तुम आराम से बैठो मैं पानी लेकर आता हूँ । अभी मूड ठीक नहीं है तुम्हारा।
कैसे होगा ठीक जब तुम रहने दोगे तब न ! संजना कुणाल के ऊपर चीख पड़ी । जब मैंने फोन नहीं उठाया था तो समझ जाते की मैं बिजी हूँ हिमांशी को फोन करने की क्या जरूरत थी। यही देखना चाहते थे न कि मैं उसके साथ ही हूँ या कहीं और तो नहीं निकल गयी।
नहीं मुझे फ़िक्र हो रही थी तुम्हारी इतनी रात में अकेली बाहर। कितनी ही बार कहा है कि जब भी ऑफिस से देर से निकला करो तो फोन कर दिया करो , लोकेशन ऑन कर दिया करो लेकिन तुम ध्यान ही नहीं देती।
कुणाल तुम ऐकलौते ऐसे पति नहीं हो जिसकी बीवी रात में देर तक ऑफिस में ओवरटाइम करती है । हिमांशी को देख लो उसका पति तो उसे जरा भी डिस्टर्ब नहीं करता और बबिता को तो उसके पति से इतनी आजादी मिली हुई है कि ऑफिस में भी उसने चक्कर चला लिया है और उसके पति को पता भी नहीं। सबके पति अपनी पत्नियों को उनका स्पेस दे रहें हैं एक तुमको ही…..
मैं तुम्हारा स्पेस नहीं छीन रहा लेकिन मैं बाकियों की तरह लापरवाह भी नहीं हूँ बस । अब बहस ख़त्म करो और कपड़े चेंज करो, खाना खाते है ।
नहीं अब मैं इस घर में खाना नहीं खाऊंगी।
मतलब ?
मैं जा रही हूँ मुझे तुम्हारे साथ और नहीं रहना , दम घुटने लगा है अब तो मेरा । बस बहुत हुआ तुम्हें लगने लगा है कि मैं तुम्हारे बिना अपना ख्याल नहीं रख सकती अब तुम्हारे बिना ही रह कर दिखाऊँगी । मुझे तलाक चाहिए तुमसे अभी के अभी ।
चलो पहले खाना खा लो फिर जाना जहाँ भी जाना हो ।
मुझे तलाक चाहिए कुणाल तुम्हारा खाना नहीं ।
मेरी माँ, कहाँ से दूँ तुमको तलाक अभी के अभी ! हिंदू हूँ यार मुस्लिम थोड़े ।
ओके मैं तुम्हें सुबह पेपर भेज दूंगी तुम उनपर साइन कर देना। ये मत सोचना कि अभी भी हर बार की तरह का ही है। जैसे 6 महीने से तलाक लेने को कह रही थी लेकिन लिया नहीं इसे तुमने मेरी डिपेंडेंसी समझ लिया है अबकी फाइनल है। अब हम साथ नहीं रहेंगे और तुम्हें तलाक के पेपर्स पर साइन करना पड़ेगा।
अरे कर दूँगा भाई अब चलो खाना….।
कुणाल की बात पूरी होती उससे पहले ही संजना गुस्से में बेडरूम की तरफ चल दी।
ओके । मैंने तुम्हारा सूटकेस पैक करके रखा हुआ है उसमें तुम्हारे जरूरत की सारी चीजें हैं । संजना के पीछे-पीछे वो भी बेडरूम तक गया। रेगुलर कपड़े एक साइड में रखे है, तुम्हारे ऑफिस आउटफिट्स को अलग करके रखा है , मेकअप और दूसरी ऐसेसरीस भी एक बैग में करके साइड में रखी है और भी तुम्हारी जरूरत का छोटा-मोटा सामान मैंने रख दिया है ।
मुझे घर से निकालने की पूरी तैयारी थी ।
नहीं इसे कई दिन से तैयार रखा था कि अचानक गुस्से में कभी जाने लगो तो कुछ रह न जाये जिससे फिर तुम्हें दिक्कत हो।
ओह थैंक्स मेरी दिक्कतों का इतना खयाल रखने के लिए । कहकर संजना सूटकेस लेकर बेडरूम के बाहर निकल आयी।
वैसे इतनी रात में किसके घर जाओगी , सुबह जाती आराम से।
बेफिक्र रहो सड़क पर नहीं सोऊंगी ।
ओके जहाँ भी जा रही हो अपना खयाल खुद रखना। कपड़े इधर-उधर मत फेंकना , टॉवल बाथरूम में ही नहीं छोड़ देना , खाना खाते वक्त प्लेट के बाहर कुछ भी न गिराना ….. कहता हुआ कुणाल उसके पीछे-पीछे चल रहा था । संजना कार के पास पहुँच कर अपनी पर्स और अपनी जेब देखने लगी उसने चाभी तो रखी थी कहीं ।
……और अपनी कार की चाभी हमेशा अपनी पर्स में रखना अपने फोन के साथ ही। कुणाल ने पीछे से आकर उसे उसकी कार की चाभी और फोन देते हुए कहा ।
हो गया तुम्हारा अब मैं जाऊं! संजना कार में बैठ चुकी थी ।
ओके आराम से जाना रात के 12 बजने वाले है तो चाहे मुझे कॉल कर देना अगर कोई दिक्कत लगे तो ।
संजना के जाने के बाद कुणाल अकेले बैठ कर खाना खाने लगा। वैसे तो आज संजना की पसंद का खाना बनाया था उसने लेकिन अब संजना ना सही उसकी लोकेशन ही सही। वो फोन में संजना की लोकेशन लगा के खाना खा रहा था ।
सुबह 10 बजे जब उसकी नींद खुली तो वो हैरान रह गयी। इतने बजे तो वो ऑफिस में होती है। अब वो कितना भी जल्दी कर ले आज ऑफिस टाइम से नहीं पहुंच सकती ।
उठ गयी ।
अरे यार हिमांशी जगा तो देती कितनी देर हो गयी मुझे। अरे तुम्हें भी तो देर हो गयी है मेरी वजह से यार सॉरी. ..!
जगाया तो था दो बार तुम उठी ही नहीं।
अच्छा बस पाँच मिनट। कहकर संजना ने तुरंत चादर फेंकी और तैयार होने के लिए भागी ।
घर पर तो सुबह की चाय 8 बजे ही बिस्तर पर मिल जाती थी कुणाल ब्रेकफास्ट बनाकर उसे जगाता था और फिर खुद तैयार होने लगता था यूनिवर्सिटी जाने के लिए तब तक वो दोनों का टिफिन तैयार कर देती थी। फिर दोंनों दस के पहले ही घर से निकल लेते थें ।
देवांश चले गये क्या? नाश्ता करते हुए संजना ने हिमांशी से उसके पति के बारे में पूछा।
नहीं अभी सो रहें हैं ।
अभी तक ? नहीं मेरा मतलब किचन में हेल्प कराने के वक्त नहीं उठ सकते तो तुम्हारे ऑफिस जाने के टाइम तक तो…..
मेरे ऑफिस जाने का टाइम पता भी है उनको ? कब जाती हूँ, कब आती हूँ, क्या करती हूँ कुछ भी तो पता नहीं रखते। अपने आप से ही मतलब है उन्हें एक दिन जो मुझसे इतना ही पूछ लेते है कि कब तक आओगी उतना ही मेरे लिए काफी हो जाता है सारे दिन खुद को ये दिलासा देने में कि उन्हें मेरी फ़िक्र है । हिमांशी इतना कहकर अपना बैग लेने चली गयी संजना की तरफ देखा भी नहीं अगर देखती तो उसे नजर आता संजना का आधा खुला मुँह और हाथ में पकड़ा हुआ टोस्ट।
ऑफिस से निकलते हुए संजना को कोई एक्साइटमेंट नहीं महसूस हो रहा था और न ही मोटिवेशन ही। शाम उसको बिल्कुल खाली लग रही थी । धीरे-धीरे कदमों से जब बाहर आयी तो सामने बबिता नजर आयी अपनी उबर का इंतजार करते हुए।
आज कार नहीं लाई क्या? एक अच्छी सहकर्मी का फर्ज निभाना संजना को ज्यादा मुश्किल लगा।
लाई तो थी पर मेरे पति परमेश्वर को मेरी कार चाहिए थी ।
तुम्हारी क्यों उनके पास तो खुद की…
हाँ है तो लेकिन उनकी गर्लफ्रेंड को मेरी कार ज्यादा पसंद है इसीलिए उसे डेट पर ले जाने के लिए मेरी कार ही ले जातें हैं और अपनी घर में ही छोड़ देते है ।
गर्लफ्रेंड……?
हाँ क्यों आजकल के आदमियों में से तुमको बहुतों ऐसे मिल जाएंगे जो बीवी को धोखा दे रहें हैं जो रंगे हाथ पकड़ लो तो माफी मांगते है अगर थोड़े बेशर्म टाइप के हुए तो कह देते है तुम भी कोई ढूढ़ लो मिल जाये तो अलग हो जाएंगे दोंनों लोग ।
क्या….?
ऐसे क्यों हैरान हो रही हो , हिमांशी का पति भी तो ऐसा ही है कहीं तुम्हारे प्रोफेसर साहब भी तो ……..
नहीं कहती हुई संजना अपनी कार की तरफ भागी । उसे ये भी न याद रहा कि उसे हिमांशी को भी लेकर जाना है । वैसे याद की बात रही तो वाकई उसे ज्यादा याद ही तो नहीं रहता इसीलिए तो कुणाल इतना परेशान रहता है इसके लिए ।
कुणाल पूरे लॉन में पानी लगाकर खुद साइड में बैठ कर किताब पढ़ रहा था ठीक उसी वक्त संजना किसी बला की तरह भागती आती दिखाई दी इससे पहले कि वो उसे लॉन में चलने से मना करता वो एक छिपकली की तरह उससे आकर चिपक गयी सिर्फ चिपकी ही नहीं बल्कि सिसक-सिसक के रोने भी लगी । कुणाल ने एक हाथ से उसकी कमर को सहारा दिया और दूसरे हाथ से उसकी पीठ सहलाने लगा , ये भूलते हुए कि संजना वही सैंडल पहन कर उसकी गोद में चढ़ी हुई है जो अभी लॉन की गीली मिट्टी से सने है ।
I am Sorry कुणाल !
कोई बात नहीं , अभी तुम उतरो और जाकर नहा हो । बाथरूम में मैंने गुनगुना करके पानी रख दिया है और टॉवल भी ।
तुम्हें मालूम था कि मैं……
पिछले 7 सालों से हूँ तुम्हारे साथ , अब तो मुझे नस- नस तक पता चल गयी है तुम्हारी।
थैंक यू , मेरा इतना खयाल रखने के लिए ।
मैं तुम्हारा ख़याल नहीं रख रहा हम दोनो ही एक दूसरे का साथ निभा रहें हैं। और दूसरी बात तो ये भी है कि तुम्हारे पिता से प्रॉमिस किया था कि तुम्हारा खयाल वैसे ही रखूँगा जैसे वो रखते है क्योंकि उन्हें बहुत फ़िक्र थी कि तुम जैसी अव्यवस्थित , भुलक्कड़ और जिद्दी लड़की पर कही मैं बिगड़ न पडूं ।
अब कभी नहीं जाउंगी तुम्हें छोड़कर सच्ची। हाँ लेकिन फिलहाल के लिए तो तुम मुझे छोड़कर बाथरूम जाओ और फ्रेश होकर आओ । ….. नहीं एक मिनट …! कुणाल ने जब महसूस किया कि उसके कपड़ों पर लॉन की मिट्टी संजना के सैंडिल से लग चुकी हो तो बोला ,’ I think हम दोनों को ही शॉवर की जरूरत है चलो क्यों न साथ में ही नहा लेते है चलके। ‘
कुणाल उसे अपनी गोद में ही उठाये घर के अंदर चल दिया । हाँ, नहाने के बाद हम दोनो साथ में खाना बनाएंगे। संजना ने कहा।
और उस खाने को तुम बड़े प्यार से खाओगी। तुम क्यों नहीं खाओगे ?
क्योंकि मैं तो अपने लिए कुछ और तैयार करने जा रहा हूँ आज रात के खाने में वही खाऊँगा।
क्या ? संजना ने ललचाई नजरों से देखा जरूर कुणाल ने अपने लिए बेकरी से कुछ ऑर्डर किया होगा ।
तुम्हें, मेरी जान । खट की आवाज के साथ घर का दरवाजा बंद हो गया । अब बंद दरवाजे के उस तरफ पति-पत्नी क्या कर रहें हैं या पति अपनी पत्नी के साथ क्या कर रहा है ये जानना हम भले घर के लोगों को शोभा नहीं देता तो चलिए कहानी ख़त्म करतें हैं और मिलतें हैं किसी अगली और अलग सी कहानी के साथ।
अगर आपके पास भी कोई ऐसी लव स्टोरी हो तो आप अपने इस परिवार के साथ शेयर कर सकते है आपकी प्राइवेसी का पूरा सम्मान किया जायेगा। आप अपनी कहानी हमें मेल कर सकते है…
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