J for Love – When traditional meets Modern in LOVE part 1

                         J for Love – When traditional meets Modern in LOVE part 1

गुजरात के मूल निवासी और ग्वालियर के वासी एक विचित्र परिवार की कहानी सुनिए । जिनके मुखिया है सेठ जगमोहन शाह उनकी धर्मपत्नी है जमुना शाह। सेठ जी के माता पिता – जागेश्वर, जगजननी थें और उनके दादा का नाम जग्गूलाल और उनकी दादी का नाम जसोदाबेन था। सेठ जी इस खानदान की तीसरी पीढ़ी है और चौथी पीढ़ी हैं – 26 वर्षीय जावित्री, 21 वर्षीय जया और 14 वर्षीय जिग्नेश शाह ।

इन पीढ़ी में सिर्फ “ज ” अक्षर से नाम रखने की परंपरा नहीं है बल्कि ये जिस दुकान से समान लेते है , जिससे भी रिश्ता रखते है , जिससे भी मिलते है उनमें से सभी के नाम लगभग ज से ही शुरू होते हैं । इनकी चीनी मिल का नाम जावित्री शुगर हाउस है , तो रुई का कारोबार जया-बाती ग्रह के नाम से चलता है अभी जगमोहन जी बेटे जिग्नेश के नाम से लेदर फार्म खोलना चाहते है , जिसके लिए पैसे बचाने का संघर्ष जारी है। ऐसा नहीं है कि पैसे की कोई कमी है इनके पास लेकिन थोड़ा कंजूस मिजाज के होने के कारण अपने कारोबार में घाटा दिखा कर tax बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं।

अपने मुंहफट , स्पष्टभासी, नाटकीय और पूर्वाग्रह की दृष्टि के कारण सेठ जी को ज्यादा लोग पसंद नहीं करते और यही आदत उनकी बच्चों में भी चली आई है ।
अब जैसे देखिए इनकी छोटी सुपुत्री कैसे जवोरा ब्रांड के एक स्टोर में हंगामा कर रही है क्योंकि चोली उनकी फिटिंग की नहीं हुई है।

मैंने कहा न चोली ढीली है ।
आप एक बार अच्छे से ट्राई तो करें मैम!
एक बार में समझ नहीं आती तमने? कहा तो ढीली है अब क्या सबके सामने उतार के दिखाऊं !

अरे अरे भड़कती क्यों हो बेटा । ये तो आज ही आएं हैं इन्हें क्या पता रेगुलर कस्टमर से कैसे बात करते है। पांडे जी ने क्षितिज को पीछे करके जया से बात करने का जिम्मा अपने पर ले लिया।
ये चोली ढीली है ,आपने पहले सफेद लहंगा दिखाया था उसकी चोली दिखाइए तो एक बार।
चोली तो टाइट भी हो जाएगी बेटा जी हमारे यहाँ एक से एक डिजाइनर बैठें हुए है बस 10 मिनिट में…

नहीं मुझे दूसरे वाले लहंगे की चोली भी ट्राई करनी है।
तो आप वो लहंगा लेंगी?
नहीं लेना तो यही है बस चोली बदलनी है उससे।
बेटा जी ऐसा थोड़े होता है। रंग दोनों लहंगों का सफेद ही है पर डिजाइन भी तो कोई चीज है ! वो अच्छा थोड़े लगेगा इस पर ।

लेकिन एक बार ट्राई तो…
एक बार में समझ नहीं आ रहा आपको ? दोनों लहंगों की डिजाइन बिल्कुल अलग है । इसका ब्लाउज लेकर आप पूरा सेट खराब कर देंगी और फिर इसे कोई लेगा भी नहीं। क्षितिज को ज्यादा देर चुप रहना नागवार गुजर रहा था।

लाला जी! अब तो आप मुझे उस लहंगे की चोली ही देंगे। जया ने क्षितिज को डेढ़ी आँखों से देखते हुए कहा।
आप बात तो समझिए वो होगी ही नहीं आपके। टाइट रहेगी।
मुझे वही चाहिए । जया गुस्से से भड़क गई।
दे दीजिए पांडे जी । अभी ट्रायल रूम से वापस आते ही यही ब्लाउज जो पहना है वहीं न लेकर जाए तो कहना ।

लाला जी आप मेरे इस लहंगे के साथ वो चोली अभी पैक करें। अब मैं वही लेकर जाऊंगी चाहे कसी हो की ढीली।
पर एक बार ट्रायल तो…
आप दूसरे स्टोर से जाकर ले सकती है । क्षितिज बोला।
मैं यही लूंगी और अगर नहीं दिया तो बिना कुछ लिए यही चोली पहनकर यहाँ से चली जाऊंगी।

जया की धमकी से परेशान पांडे जी ने लहंगों की चोली बदल दी और जया खुशी-खुशी 15 हजार उन्हें थमा कर शॉपिंग बैग क्षितिज के चेहरे के सामने से हिलाती हुई ले गई।
क्षितिज ने गुस्से में पांडे जी को देखा तो बेचारे अपनी सफाई देने पर उतर आएं।

सर ये लोग रेगुलर कस्टमर है पिछले 12-15 सालों से। पहले तो जबलपुर की शॉप पर आतें थें अभी दो साल से जब से यहाँ ब्रांच पड़ी है तबसे इतना भागदौड़ नहीं करतें।
हाँ समझ गया । क्षितिज अपना फोन उठाकर बाहर निकल आया।

क्षितिज और पांडे जी बिल्कुल सही थें वो चोली जया के लिए काफी ज्यादा टाइट थी। इतनी ज्यादा कि सुबह के गए कपड़े को रात में ही बदलने आना पड़ा । लेकिन किन हालातों में ? जरा ये भी तो देखिए –
क्षितिज सभी शॉप्स में रखे मॉल को डायरी में नोट करके स्टोर बंद करने की तैयारी में लगा हुआ था तभी उसे पीछे से एक परेशान आवाज सुनाई दी।

सुनिए । क्षितिज चौक गया।
जी कहिए।
लाला जी हैं?
हमारा स्टोर शाम 6 बजे बंद हो जाता है , अब ऐसे में रात के दस बजे लाला जी यहाँ किस लिए रुकेंगे।

थोड़ा मदद कर दीजिए please।
आपको देख के ही पता चल रहा है कि वो ब्लाउज आपको नहीं हुआ लेकिन कपड़े चेंज करने का समय 1-2 के बीच है । कल आना ।

दरअसल जया ऊपर से नीचे तक एकदम परी की तरह तैयार थी , उसके दोनों हाथ चूड़ियों से भरे हुए थें। कानों में लंबे झुमके, बालों में टीका और गजरा , गले में नेकलेस और होठों पर glossy lipstick , प्यारा सा झिलमिल करके चमकता सफेद लहंगा लेकिन बस एक कमी । क्या? सफेद लहंगे पर लाल ब्लाउज…। बगल में उसका छोटा भाई जिग्नेश जिसके हाथ में थी सफेद चोली की थैली।

देखिए मेरी दोस्त की सगाई हो रही है आज । वो हम लोगों का इंतजार कर रही है मैं ऑलमोस्ट तैयार हो चुकी हूँ बस…! ऐनमौके पर देखा तो चोली बहुत टाइट है सच में । आप मुझे पहले वाले ही चोली वापस कर दीजिए please।
अब इतनी रात में मैं वापस से शॉप खोलकर तुम्हारे लिए वो ब्लाउज देखूं , इतना पागल नहीं हूँ मैं । कल ही होगा जो होगा।

तमे कृष्णा री सौगंध छे जो मना किया तो । नहीं तो भल मानुष की तरह देखो अच्छी लग रही हूँ कहीं से। सफेद के ऊपर लाल कौन पहनता है ।
क्षितिज ने एक बार उसे सर से लेकर पाँव तक देखा । फिर माथे पर अंगूठे से खरोचते हुए अपनी जेब से चाभियों का गुच्छा निकाल लिया।

जैसे तैसे दूसरी चोली मिल गई तो एक और समस्या। फिटिंग कहाँ से हो ! जया ने फिर से आंखों में दया भर के उसकी तरफ देखा।
No मुझे ये सब नहीं आता। मैंने बिजनेस स्टडीज की है न कि फैशन डिजाइनिंग समझी ।
सुई धागे का डिग्री से क्या लेना देना । कर दीजिए न।
ऐसे कैसे कर दूं अगर खराब हो गया तो ?

मैं फिर भी पहन लूंगी ।
जया की जिद के आगे क्षितिज को हार माननी ही पड़ी। चोली ठीक करने के बाद वो शॉप के बाहर निकल कर जिग्नेश के पास खड़ा हो गया ताकि वो आराम से चोली पहन सके।
एये .. गोलू ! अपनी बहन को समझा कर रखा कर ।

पहली बात तो ये कि उन्हें समझाने की कोई जरूरत नहीं है वो एक ही थप्पड़ में मुझे भी समझा देंगी और आपको भी। दूसरी बात आप होते कौन है मुझे ये सलाह देने वाले। जिग्नेश ने अपने दोनों हाथ कमर पर रख लिए।
अरे बाप रे दोनों भाई बहन एक ही जैसे हो ।
ये लाला जरा दुपट्टा भी सही करवा लो । पीछे से दुपट्टे का एक छोर पकड़े जया बाहर निकली।

मैं ? ये तुम्हारा भाई है तो !
अरे बच्चा है अभी उससे अगर पिन चुभ गई तो !

मरता क्या न करता । क्षितिज जया के साथ उसके दुपट्टे को सेट करने लगा। जया ने दुपट्टे को कंधे से सटा कर पकड़ लिया और क्षितिज के आगे अपनी पीठ कर खड़ी हुई तो उसे दूसरी बार बहुत अजीब सी सिरहन अपने शरीर में महसूस हुई । पहली बार ब्लाउज को ढूंढते हुए उसके परेशान चेहरे को देखकर हुई थी। जया ने अपनी पर्स से पिन निकाल कर क्षितिज के हाथ पर रख दी। गजरे की खुशबू उसके अंदर बेचैनी पैदा कर रही है लेकिन काम ऐसा कर रहा है जिसमें पूरी सावधानी चाहिए थी।

वो बिल्कुल नहीं चाहता कि उसकी उंगलियों जया की गोरी, मुलायम पीठ को छुए लेकिन हाथ इतना कांप रहें हैं कि जिसका कोई जवाब नहीं । पीठ पर ब्लाउज में तो पिन लगा दी उसने लेकिन जब जया ने कमर पर भी दुपट्टे के एक कोने को फंसाने के लिए पिन दी तो AC में भी उसका शरीर पसीने से भीग गया। तब तक जया का फोन बज उठा ।

रहने दीजिए मैं उन लोगों से करा लूंगी। यहीं बाहर आ गईं हैं मेरी दोस्त लोग । जया क्षितिज की हालत पर ध्यान नहीं दे पाई या शायद उसे इन चीजों के बारे में अभी कुछ पता ही न हो ।

अच्छा बस एक और काम कर दो , मेरे भाई को यहीं ऑटो स्टैंड तक छोड़ दो please।
टेलर, स्टाइलिस्ट बनने के बाद अब क्षितिज की बारी ड्राइवर बनने की थी।
Ok !
Thank you . चंचल तितली की तरह उछलती हुई जया वहाँ से भागते हुए निकल गई।

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क्षितिज गया तो जिग्नेश को ऑटो स्टैंड तक ही छोड़ने लेकिन वहाँ का माहौल और रात ज्यादा देखकर वो सीधा उसके घर तक जाने के लिए तैयार हो गया।

क्षितिज को उम्मीद थी कि शायद जया अगले दिन आएं लेकिन वो नहीं आई । लगभग हफ्ते भर बाद जिग्नेश जरूर उसी के स्टोर में men’s collection में टहलता हुआ दिखाई दिया ।
और उस्ताद क्या हाल है ? क्या चाहिए? मैं कुछ मदद कर दूं ? पीछे से जाकर क्षितिज ने जिग्नेश के कंधे पर हाथ रखा।
मुझे तो…

ये कौन है जिग्नेश ? एक आदमी हाथ में सूट लेकर सामने खड़ा हो गया।
ये पूछने वाले आप कौन होते है ? क्षितिज ने लापरवाही दिखाई।
वैसे तो मैं इनका जीजा हूँ पर आप मुझे जैनेंद्र बोल सकते हो ।

Oh sorry, my bad ! मैं तो बस ऐसे ही जिग्नेश को परेशान करने के लिए थोड़ा…! क्षितिज के चेहरे के सारे भाव एक झटके में बदल गए थें और वो वहाँ से तुरंत हटना चाहता था ।
By the way मैं क्षितिज हूँ जिग्नेश का दोस्त । उसने जैनेंद्र से हाथ मिलाने के बाद बहाना बनाकर वहाँ से निकलना बेहतर समझा।

रिसेप्शन पर जाने का बोल कर वो स्टोर के बाहर ग्रीनरी में आकर खड़ा हो गया। She is Just a customer nothing else… ! खुद को ये समझा ही रहा था कि जिग्नेश पीछे से आ गया।
एक जरूरी बात बतानी थी , सुनोगे ?
मेरा mood नहीं है अपने जीजाजी जो बताओ जाकर ।

आपके काम की है ।
तो जल्दी कहो और जाओ ।
ऐसे नहीं अगर आप उसके बदले मुझे फ्री में एक सूट दे तो बताऊंगा।

मत बताओ और जाओ यहाँ से।
सोच लीजिए बाद में पछताएंगे।
अच्छा ठीक है खबर अच्छी लगी तो दूंगा अगर नहीं लगी तो…

ये जावित्री जीजी के husband है अभी जया दीदी के लिए रिश्ता नहीं मिला है बढ़िया वाला कोई।
तुम्हारी दो बहनें है ? क्षितिज के चेहरे पर वापस रौनक लौट आई।
हाँ।

कौन सा सूट पसंद था तुमको ? आओ चलो दिखाओ तो मुझे। लेकिन हाँ जैसा तुम सोच रहे हो वैसा बिल्कुल भी नहीं है ।
हाँ पता है जिस तरह उस दिन दिन आप उन्हें देख रहे थें मुझे सब दिखाई दे रहा था । बच्चा हूँ बेवकूफ नहीं ।

एक मामूली सी खबर के बदले 12 हजार का जवोरा का सूट हजम कर जाना जिग्नेश को ठीक नहीं लगा इसीलिए जाते-जाते उसने क्षितिज को एक सलाह भी पकड़ा दी कि लगभग हफ्ते भर तक वो स्टोर से हिले भी नहीं क्योंकि परिवार में शादी के चलते पूरा खानदान यही कपड़े लेने आएगा तो शायद जया दी भी जल्द ही पधारे।

जिग्नेश की बात का ध्यान रखते हुए क्षितिज स्टोर के मॉनिटरिंग रूम में ज्यादा रहता था। मॉनिटरिंग रूम में स्टोर के अंदर जितने भी सेक्शन बने हुए है साड़ी से लेकर कुर्ती तक और सूट से लेकर शेरवानी तक सबकी फुटेज वहाँ मौजूद रहती थी। कौन किस सेक्शन में आया गया है सब पर नजर रखी जाती थी।
मॉनिटरिंग रूम से ही क्षितिज ने तीन औरतों के झुंड के बीच जया को स्टोर में आतें हुए देखा । औरतें साड़ी के सेक्शन की तरफ जा रहीं है और जया भी उनके साथ गई। क्षितिज भी रूम से निकल कर उधर ही चला गया।

जया एक से एक रंग बिरंगे साड़ियों को पकड़ कर उनको अपनी नाक से सटा कर खुशबू लेने में व्यस्त थी तभी उसने साइड में खड़े क्षितिज को देखा जो फ्रंट व्यू की तरफ लगी साड़ियों में कुछ कर रहा है।

उसे अपनी तरफ देखता पाकर क्षितिज ने सबकी नजरों से बचते हुए उसे ” Hi ” जया ने भी इशारे में ही उसका रिप्लाई दिया।
गुड़िया जा तब तक अपने लिए कुछ देख ले जाकर हमें सबके लिए साड़ी लेने में ही बहुत टाइम लग जाएगा।
हाँ अम्मा जाऊं छू । जया साड़ियों को साइड करते हुए लहंगे के सेक्शन की तरफ चल दी।

पूरे सेक्शन में एक से बढ़िया एक लहंगे सजे हुए है। हेल्प करने के लिए एक सेल्सगर्ल भी मौजूद है और इस सेक्शन के काउंटर पर पांडे जी लोगों के सामने एक एक करके लहंगे निकाल कर दिखा रहें हैं।
जया एक एक लहंगे को देखते हुए आगे बढ़ रही थी लेकिन उसे क्षितिज ने आकर टोक दिया।
वैसे साड़ी की खुशबू लेने के अलग से चार्ज पड़ते है हमारे यहां।

तब तो साड़ी को देखने और छूने के भी अलग से पैसे पड़ते होंगे।
पड़ते तो है लेकिन आप हमारी रेगुलर कस्टमर है तो इसकी छूट है।
रेगुलर कस्टमर है तो आप एक काम क्यों नहीं करते हमको फ्री में ही दे दीजिए सारी चीजें।
दे तो देता मैम लेकिन बस बाप से जूते खाने का डर न होता तो !

अच्छा जी…! जया हँस पड़ी, क्षितिज भी नॉर्मल way में उससे बात करने लगा।
वैसे बताया नहीं था कि वो ब्लाउज फिटिंग का था या नहीं।

जल्दी में थी इसीलिए ध्यान नहीं दे पाई। लेकिन बहुत सारा thank you क्योंकि उस रात आपने सच में मेरे लिए बहुत कुछ किया था ।
हाँ भाई रेगुलर कस्टमर जो ठहरी आप हमारी । वैसे अबकी बार किस कलर का लहंगा लेना चाहेंगी आप ?
सफेद ले कर जा चुकी हूँ, लाल दुल्हन पर ही अच्छा लगता है । नीला , पिला , सलेटी , ऑलिव,  ….लगभग सारे कलर तो हैं ।

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Pink or Black..?

हाँ black भी है ।
और pink..?
नहीं वो ट्राई नहीं किया अब तक ।

तो चलिए पांडे जी से कहकर आपको Pink में आने वाले सभी लहंगों को दिखा देते है।
हाँ चलो।
वैसे एक बात पूछनी थी आपसे । उस रात को जब आपको Indian clothes में देखा था तभी से सोच रहा था कहने के लिए लेकिन तब से आप दिखी ही नहीं ।

कौन सी बात ?
हमारा ब्रांड एक fresh female face को ढूंढ रहा है हमारे upcoming Indian wears के लिए । मुझे लगता है कि आप हमारे ब्रांड को काफी अच्छे से रिप्रेजेंट कर पाएंगी। इसीलिए क्या आप हमारे लिए मॉडलिंग करना पसंद करेंगी ?
मॉडलिंग? मतलब ?

मतलब कि जो फोटो और टीवी में दिखाया..
अच्छा वो जो Tv में तरह तरह के गहने कपड़े पहने लड़कियों का एड आता है वैसे ही ?
हाँ करेक्ट ।
नहीं करना ।

अरे लेकिन क्यों ? हमारी कंपनी अच्छा खासा पैसा देगी आपको , पहचान बनेगी आपकी …।
न तो न , हमारे पापा जिस चीज के लिए एक बार मना कर देते है हम वो काम दोबारा करने की सोचते भी नहीं। जया काउंटर पर जाके खड़ी हो गई।
लाला जी मैं फिर आ गई आपको परेशान करने सबको छोड़कर आप तुरंत मेरी सेवा में लग जाएये।
हाँ बस अभी लो बेटा। जरा स्टूल खींच कर आराम तो कर लो।

क्षितिज थोड़ी देर जया से बात करने के लिए वहीं खड़ा रहा लेकिन जब जया लहंगे देखने में व्यस्त हो गई तो वहाँ से निकल गया ।

उस दिन के बाद से क्षितिज ने काफी दिनों तक जया से मिलने की उम्मीद नहीं छोड़ी। महीने भर में उसने जया से मिलकर एक ही मुलाकात में उसे मॉडलिंग के लिए तुरंत मना लेने के कई सारे प्लांस बनाकर तैयार किए । लेकिन फायदा क्या जब जया से मुलाकात ही न हो पा रही हो। रजिस्टर पर जो नंबर भी लिखा है वो भी उसके पापा का है। घर के बाहर से भी कई बार गुजर कर देख चुका है , दरवाजे पर बने दो मोरों के अलावा उसे कोई दूसरा परिंदा पर मारते हुए भी नहीं दिखा ।

अब मुलाकात का एकमात्र जरिया जिग्नेश है और जिग्नेश से रिक्वेस्ट करने का मतलब है फिर से कोई महंगा सूट या फिर जूते ।

कुछ दिनों की रेकी के बाद आखिरकार उसने जिग्नेश को एक दिन पकड़ ही लिया और साफ-साफ जया से मिलने की वजह भी बता दी। लेकिन हैरानी की बात ये रही कि सारी बात सुनने के बाद जिग्नेश ने किसी चीज की डिमांड नहीं की बस एक शर्त रखी । शर्त थोड़ी अजीब थी लेकिन उससे क्या ! क्षितिज का काम तो हो रहा था न। अब जया के घर में उसे खुद को जयेश कहके ही तो इंट्रोड्यूस करवाना था बस।

अगले दिन क्षितिज के साथ जिग्नेश के मम्मी पप्पा भी हैरान हुए जब जिग्नेश ने अपने इंग्लिश ट्यूटर जयेश से घरवालों को मिलवाया।
क्षितिज सिर्फ जया से बात करने आया था जिग्नेश का ये प्लान उसकी समझ के बाहर था लेकिन अपना दिमाग लगाने की उसे सख्त मनाही है इस समय तो। मम्मी पप्पा इसलिए हैरान की इतने टीचर रखने पर भी वो कभी पढ़ने के लिए राजी नहीं हुआ तो फिर अपने मन से कैसे उसने पढ़ने का सोच लिया।

खैर जो भी हो 7 हजार महीने के जयेश जी के लिए तय हो गएं और 9th के एग्जाम में अगर अच्छे नंबर मिले तो बोनस के तीन हजार बढ़ा देने की बात भी जगमोहन जी ने तय कर दी।

अगले दिन से जयेश सर उर्फ क्षितिज को ट्यूशन पढ़ाने के लिए जिग्नेश के घर आना था । अब अगले दिन से उनके साथ क्या होने वाला है ? जया से मुलाकात हो पाती है या नहीं ? उनके असल नाम की पोल खुलते ही क्या हो सकता है उनके साथ ? इन सब के लिए कहानी के दूसरे व अंतिम भाग का इंतजार करें।

                                                                                                                        

                                          Thanks for reading………..

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