हेलो दोस्तो कैसे है आप, मैं आशा करता हूं आप सब अच्छे होंगे। आपका हमारी अपनी वेबसाइट atozlove पर स्वागत है। दोस्तो आपने हमारी पिछली स्टोरी डायरी-a cute love story और इश्क़ का अंजाम love story बहुत ही प्यार दिया उसके लिए आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद।
आज मै आप के लिए एक दूसरे तरह की लव स्टोरी लाया हू। जिसका टाइटल है आँखों देखी ग़फ़लत -A short love story about misunderstanding जो मिसअंडस्टैंडिंग पर बेस्ड है…..
एयरपोर्ट से निकलते ही जैसे ही नितिन एयरपोर्ट के बाहर आया वैसे ही उसके शरीर में पिछली यादों का एक करेंट सा दौड़ गया। सड़क के उस तरफ दीप्ति अपने प्यारे से कुत्ते के साथ टहल रही थी, मतलब कि शायद दीप्ति यहीं गोवा में ही आसपास के किसी इलाके में रहती होगी।
वैसे तो नितिन एक कॉन्फ्रेन्स अटेंड करने के लिए गोवा आया था लेकिन दीप्ति को देख वो सब कुछ भूल सा गया । दीप्ति आज भी वैसी ही थी छोटे बाल 5 फिट की उतनी ही हाइट वैसे ही अपने एक हाथ मे ब्रसलेट और एक हाथ में घड़ी बांध रखी थी उसने।
नितिन थोड़ी देर तो वैसे ही खड़ा रहा लेकिन फिर मन में आ रहें तरह-तरह के सवालों ने उसे वहाँ खड़े ना रहने दिया और वो सड़क पार करके उसकी तरफ बढ़ गया।
हे दीप्ती….! उसने पीछे से पुकारा।
वो पीछे पलटी ,” अरे नितिन ..!तुम? यहाँ कैसे ? दीप्ति के चेहरे पर हैरानी भरी खुशी तैर गयी।
वो जरा काम से आया था तो तुम्हें देखा इधर ….. तो सोचा जरा मिलता चलूँ ।
सच में क्या !मुझे लगा सिर्फ मुझसे मिलने आये हो..ही ही…। उसने हँसते हुए अपना हाथ नितिन की तरफ बढ़ा दिया । नितिन ने भी उससे हाथ मिला लिया।
कब तक हो यहाँ?
बस शाम तक ही ।
अच्छा मैंने सोचा कुछ दिनों तक रहोगे यहाँ तो मेलमुलाक़ात ही होती रहेगी।
नहीं जरूरी काम था तभी आया वरना आता भी नहीं।
अगर अभी वो काम ना हो तो चलो यहीं पार्क में थोड़ी देर बैठ लेते है।
नहीं ऐसा तो अभी कोई जरूरी भी नहीं हैं ।
तो चले।
हां थोड़ी देर कहीं बैठ के बातें कर लेते है पुरानी यादें भी ताज़ा हो जाएंगी।
ओह तुम्हें इससे मिलाना तो भूल ही गयी ये है मेरा काजू । हैलो बोलो बेटा अंकल को। उसने एक प्यारे से सफ़ेद रंग के पिल्ले को गोद में उठाकर नितिन की तरफ बढ़ा दिया। नितिन ने प्यारे से उसके सिर को सहला दिया।
गोवा की बात ही अलग है हैं ना । दोनों के बीच 10 मिनट से पसरी चुप्पी को तोड़ते नितिन बोला ।
हाँ और नहीं तो क्या लेकिन अपने बंगलुरु से बढ़िया नहीं।
अरे उसकी तो बात ही ना करो जबसे कॉलेज छूटा है तब से वहाँ रहा ही नहीं पाया हूँ इधर उधर घूमते हुए 5 साल निकल गये।
क्यों क्या करते हो जो इतना घूमते हो ? दीप्ति ने काजू को अपनी गोद में सुलाते हुए उससे पूछा ।
कुछ नहीं यार कम्पनी के सेल्स ब्रांच को संभालता हूँ ।
वो तब तो बढ़िया है ना।
हाँ । उसके बाद फिर दोनों चुप हो गये। दीप्ति अभी जैसे मिली थी उसके उलट स्वभाव हो गया था उसका। शायद उसे कुछ याद आने लगा था। कॉलेज टाइम भी वो दोनों इसी तरफ बेंच पर बैठते थें बस फर्क इतना ही कि बीच में इतना गैप नहीं होता था और दीप्ति की गोद में काजू नहीं बल्कि नितिन का सर होता था।
और तुम क्या कर रही हो । नितिन ने एक बार फिर शुरुआत की।
कौन…? मैं? वो एक दम से चौंक गयी । वो हाँ मेरा प्रमोशन हो गया है और अब मैं एचआर हूँ अपनी कम्पनी की। मेरी कम्पनी गोवा की टॉप कम्पनीज में आती हैं।
अच्छा । और …. रॉकी क्या कर रहा है ? नितिन की धड़कन बहुत तेज बढ़ चुकी थी इस सवाल पर उतनी देर से ये सवाल उसके दिमाग़ में घूम रहा था और शायद यही सवाल पूछने आया ही था वो। नितिन को देखना था की रॉकी में ऐसा क्या था जो उसने उसकी जगह रॉकी को चुन लिया था। ना तो उसकी सूरत ही इतनी खास थी और ना ही पढ़ाई में वो खास था हाँ इतना जरूर है की उसके पापा थोड़े ज्यादा पैसे वाले जरूर थे।
अभी तो बैंक में काम कर रहा है मैनेजर की पोस्ट पर ।
अच्छा। उसे जवाब से थोड़ा निराशा हुई ।
खूब पैसा आता होगा फिर तो ….!
नही इतना भी नहीं बस खर्च भर का बाकी महंगाई तो तुम देख ही रहे हो ।खुद के खर्चे , घर के खर्चे ,बच्चे के खा…….
बच्चें भी हैं । उसका चेहरा उदासी से भर गया ।
हाँ, बहुत प्यारा सा बिल्कुल रॉकी के जैसा ही राज ।
कितने साल का है ?
चार का है ।
नितिन के मन ने उससे सवाल किया की क्या ये दोनो मेरे दीप्ति को छोड़ने का ही इंतजार कर रहे थें। तो मतलब मेरे दोस्त जो कहते थें वो एकदम सच था ? ये दीप्ति मुझपर काफी पहले से ही चीट कर रही थी । मै बेवजह ही इतने सालों से परेशान था की एकबार तो इसकी बात सुन लेनी चाहिए थी ।
क्या सोचने लगे ?
कुछ नहीं बस सोच रहा हूँ की रॉकी की जिंदगी तो बिल्कुल ही मस्त चल रही है ।
और नही तो क्या बीवी मन की, घर मन का , नौकरी मन की और बच्चे भी उतने ही जितने चाहता था अब तो दूसरी बार भी घर मे खुशी आने…..
क्या…? अच्छा मैं जाता हूँ । उसने दीप्ति के पेट की तरफ ध्यान से देखते हुए कहा लेकिन काजू के लेटने की वजह से उसे कुछ भी समझ नही आया। लेकिन पता नहीं क्यों उसका खून खौलने लगा था उसका जी कर रहा था की वो दीप्ति को चीख चीख कर बेवफा कहे धोखेबाज बोले। लेकिन अब वो ऐसा कुछ नही कर सकता क्योंकि इस बात पर तो वो उसे पाँच साल पहले ही छोड़ चुका था।
अरे दोस्तों के बारे में तो पूछ लिया अपने बारे में तो कुछ बताया ही नहीं।
अपने बारे में क्या बताऊँ?उसने खड़े होते हुए कहा।
अरे अपनी जिंदगी के बारे में कुछ ? शादी ,गर्लफ्रेंड , दोस्त फैमिली, बच्चे…..
बच्चे नहीं हैं और ना ही शादी हुई है हाँ सगाई हो चुकी है।
क्या सच में! उसने मुस्कुराते हुए पूछा और बेंच से खड़ी हो गयी।
हाँ, हम दोनो तीन साल से डेट कर रहें थें एक दूसरे को अब जाकर शादी का डिसीजन लिया है ।
ये तो बहुत खुशी की बात है इसमें मुझे शरीक होने को नहीं कहोगे।
कहूंगा क्यों नहीं तुमको भी बुलाऊंगा और रॉकी को भी। तो मैं अब जाऊँ ।
हाँ चलो , मैं भी साथ ….. एक मिनट … दीप्ति के फोन पर कॉल आ रही थी । क्या तुम एक मिनट के लिए मेरे बच्चे को होल्ड कर सकते हो कॉल आ रही है ।
ओके । उसने काजू को अपनी गोद मे ले लिया ।
प्लीज आहिस्ते से कहीं जग ना जाये ।
दीप्ति ने अपनी जेब से फोन निकाला । उसपर रॉकी का नाम चमक रहा था जो नितिन को साफ दिखाई दिया।
हाँ रॉकी…? क्या …! अरे ये तो खुशी की बात हैं, अच्छा……. हॉस्पिटल …. अच्छा रुको मैं आ रही हूँ ।
वैसे तो नितिन को उनकी बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी फिर भी उसने एक जिम्मेदार दोस्त की हैसियत से पूछ ही लिया । सबकुछ ठीक हैं ना ?
हाँ ,रॉकी दोबारा बाप बनने वाला हैं आयशा को लेकर हॉस्पिटल जा रहा है क्योंकि उसे लेबर पेन हो रहा है इसीलिए उसने मुझे बुलाया है ।
क्या………. आयशा उसकी बीवी…?
क्या कोई आदमी किसी दूसरे की बीवी के बच्चे का बाप बनते समय इतनी खुशी से किसी को बताएगा ।
तो तुम क्या हो उसकी….???? अचानक से ही नितिन के मुँह से निकल गया ।
तुम न , तुम अब भी बहुत अजीब बेवकूफ और दूसरों के बहकावे में आने वाले हो अब भी तुम वही पुरानी बात को लिए बैठे हो । इतने सालों में गधे को भी अकल आ जाती लेकिन तुमको नहीं आयी।
तो क्या उस वक्त तुम दोनों का कुछ भी नहीं था?
जस्ट शट अप, मुझे जाना है मेरा बेबी मुझे वापस दो। ये कहकर दीप्ति ने अपने दोनों हाथ बढ़ाकर काजू को लेना चाहा तो नितिन दो कदम पीछे हट गया।
मैं उस वक्त पहले से ही बहुत परेशान था उसपर से पूरे कॉलेज में तुम दोंनो के लिंकअप की खबरे थीं । मैं जानता था कि तुम दोनो सिर्फ दोस्त हो लेकिन जब ……लेकिन जब मैं मामा के घर जा रहा था और सिर्फ इसीलिए वहाँ जाना टाला था कि तुम्हारे बर्थडे पर तुमको सरप्राइज दूँगा उस दिन तुम्हें मैंने रॉकी के साथ देखा था उसकी ….उसकी गोद में ।
हाँ थी मैं उसकी गोद में अपनी मर्जी से थी खुशी से थी और कुछ, लाओ अब मेरा बच्चा……..
नहीं । पहले पूरी बात बताओ ।
क्या बताऊँ ये सब पाँच साल पहले पूछते अब इसका क्या फायदा।
तुम तब भी सिर्फ मुझसे ही प्यार करती थी ना ?
हाँ बेवकूफ तब भी करती थी अब भी करती हूँ ये रहा तेरा पहनाया हुआ ब्रेसलेट आज तक नहीं उतरा है । लेकिन तुझे ये सब तो दिखाई नहीं देता । दीप्ति के हाथ को देखते हुए नितिन की आँखों में आँसू आ गये।
मुझे तुमसे अभी बात करनी है अकेले में।
मुझे रॉकी ने बुलाया है और मै आज भी अपनी बचपन की दोस्ती को अपने प्यार से पहले रखूँगी ।
अच्छा मुझे माफ़ तो कर सकती हो।
मैंने कभी तुम्हें गलत ही नही समझा भले ही तुम वहाँ सबके सामने अपना बैग पटक के चले आये थे तब भी नहीं क्योकि मैं जानती हूँ तुम्हारा दिल निहायत ही बच्चों वाला है आसानी से दूसरों के बहकावे में आ जाता है । उसपर से जो तुमने देखा था वो सिचुएशन ही ऐसी थी इंस्टेंट गुस्से वाली ।
नहीं तुमने मुझे माफ़ नहीं किया न ।
माफ़ कर दिया है यार अब मेरा काजू मुझे दो रॉकी हॉस्पिटल पहुंच चुका होगा ।
नही दूँगा, तुमने अगर मुझे दिल से माफ़ किया होता तो मुझे समझती की उस समय मुझसे क्या गलती हुई थी ।
गलती ये हुई थी तुम्हारी की तुम्हें लगता हैं कि एक लड़की सिर्फ अपने बॉयफ्रेंड या पति की बांहों में झूल सकती है दोस्त की बांहों में तो बिल्कुल ही नहीं। तुम्हें पता हैं की आयशा मुस्लिम है और अपना रॉकी प्यार करता था उससे। जब उन दोनों के मिलने के सभी रास्ते बंद हो गये तो मैने ही उन दोनो के परिवार वाला को समझाया था उनकी गालियां खा खा के । जब वो लोग शादी के लिए मान गएँ तो रॉकी एकदम पगला गया और सीधा भागते-भागते आया और मुझे अपनी गोद में उठाकर झूमने लगा। और उसी समय तुम भी वहां आ गये। फिर तुमने मेरी एक ना सुनी मेरा नम्बर ब्लैकलिस्ट कर दिया रॉकी समझाने गया तो उससे झगड़ा किया । उस लम्हें में तो बहुत गुस्सा आयी थी मुझे लेकिन मै जानती थी तुम्हारे पास ज्यादा दिमाग़ तो है नही तो जो सबसे आसान लगा तुम्हें तुमने वही किया।
I am sorry ना यार ! नितिन वहीं रोने लगा ।
अरे ये क्या बच्चों जैसी हरकतें हैं पता नहीं तुम्हारी होने वाली बीवी तुम्हें कैसे सम्भालेगी । दीप्ति उसके एक कंधे पर हाथ रखती हुई उसको चुप कराने के लिए डांटती है।
होने वाली कोई है ही नहीं । वो वैसे ही सुबक रहा था।
क्या मतलब कि नहीं हैं?
मैने जलन के मारे झूठ बोला था कि तुमको ये ना लगे की कोई तुम्हारे बाद मुझे संभाल नहीं पायी लेकिन सही यही है कि तुम्हारे सिवा कोई मिली ही नहीं ढंग की।
तुम बहुत बड़े झूठे हो । इतना कहकर दीप्ति ने काजू को खींच कर उससे अलग करने की कोशिश की। इतनी देर में पहली बार दीप्ति की आँखों में आँसू आएं थें।
I still love you दीप… ।
भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारा प्यार । मैं जा रही हूँ हॉस्पिटल , और हाँ मैंने जो अभी तक बोला वो सब झूठ था। काजू को भी तुम अपने पास ही रखो। कहकर दीप्ती पलटी तो पीछे से नितिन ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ घुमा लिया
तुम्हारे हाथ में ब्रेसलेट है मेरा पहनाया हुआ और देखो तुमने अभी झूठा गुस्सा भी किया मतलब तुम चाहती हो की मैं तुम्हें मनाऊँ ।
नहीं मै चाहती हूँ तुम अपने काम पर जाओ और मुझे मेरे काम पर जाने दो ।
ओके । इतना कहकर उसने दीप्ति को खींच कर अपने सीने से इतनी तेजी से कसा की बेचारा काजू बीच में ही चटनी बन गया । उन दोनों की तेज़ धड़कनों ने काजू की भी हार्ट बीट बढ़ा दी थी लेकिन उन दोनों के सीनों के बीच जिस मुलायम सी गर्माहट का अहसास उसे हुआ था वो आज तक हीटर में भी नहीं हुआ उसे।
दीप्ति का फोन एक बार फिर बजा नितिन ने न चाहते हुए भी उसे ढील दे दी।
अच्छा , बधाई हो यार। मैं फंस गयीं हूँ एक जगह जल्दी निकलने की कोशिश करती हूँ ।
आयशा ने लड़की को जन्म दिया है।
मैं एक मीटिंग करने आया था वो भी ख़त्म हो चुकी होगी। तो हाथ नहीं छोड़ने का इरादा है ना तुम्हारा।
इस जन्म में तो नहीं।
मुझे मेरा बच्चा दे दो मै जा रही हूँ।
पहले एक सवाल का जवाब दे दो।
अब भी कुछ पूछना बाकी था ! चलो पूछो ।
क्या ये काजू हमारा बच्चा हो सकता है ?
क्या ?
क्या मैं इसका पापा बन सकता हूँ ?
दीप्ति ने कोई जवाब नहीं दिया वो वैसे ही खड़ी रही।
ओके पापा ना सही लेकिन क्या मैं तुम्हारा बच्चा बन सकता हूँ ? प्लीज एडॉप्ट कर लो ना मुझे । उसने निहायत ही मासूम सा चेहरा बनाते हुए कहा।
मैं तुम्हें कभी परेशान नहीं करूँगा , ख्याल रखूँगा तुम्हारा और काजू का भी , तुम्हारा हर कहना मानूंगा , रॉकी को भी sorry बोलूंगा … वो सब कुछ करूंगा जो तुम कहोगी प्लीज एडॉप्ट मी। कहते कहते वो अपने घुटनों पर बैठ गया।
पब्लिक प्लेस है ये सब देख रहें है उठो।
नहीं
अभी तुमने ही कहा की तुम सब बातें मानोगे।
तो मतलब तुमने मुझे एडॉप्ट कर लिया?
अब जल्दी करो काजू को भी भूख लगी होगी और तुम्हें भी। घर चलकर कुछ अच्छा सा बनाती हूँ तुम दोंनों के लिए आ जाओ। उसने नितिन का एक हाथ थामकर उसे उठाते हुए कहा।
मुझे आशा है कि आप सब को इश्क़ का अंजाम एक जुनूनी आशिक की लव स्टोरी पसंद आ रही होंगी। इश्क़ का महीना है तो अगर आपके पास भी कोई ऐसी love story हो तो आप अपने इस परिवार के साथ शेयर कर सकते है आपकी प्राइवेसी का पूरा सम्मान किया जायेगा। आप अपनी कहानी हमें मेल कर सकते है…