इश्क़ का अंजाम Part 15 love story in hindi
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अब आप पढ़ रहे है हमारी दूसरी कहानी इश्क़ का अंजाम….. अभी तक आपने इश्क़ का अंजाम part-14 में पढ़ा आपने पढ़ा कि मंजिल के periods pain से वह बहुत डर जाता है और डॉक्टर को बुला लेता है। अब आगे…
सार्थक मंजिल के पिता से बहुत बुरी तरफ बहस करना चाहता था लड़ाई करना चाहता था और शायद उनकी पिटाई भी करना चाहता था क्योकि वो इतने ज्यादा गुस्से में था ही। मगर जब उसने रास्ते में मंजिल के पिता को घेरा और उन्हें बातें सुनानी शुरु की तो न तो उन्होंने सर उठाया उसके सामने और न ही मुँह खोला चुपचाप सब ऐसे खड़े रहें जैसे वो इसी का इंतजार कर रहें थें।थक हार कर और दिल की भड़ास निकाल कर आखिर सार्थक वहाँ से लौट आया था।
मंजिल ने उससे बात करना तो दूर उसे देखना तक पसंद नहीं कर रही थी। जैसे ही वो मंजिल के करीब आता तो मंजिल वहाँ से हट कर दूसरी जगह चली जाती ।
उसकी इस रुखाई से सार्थक बहुत भड़क चुका था लेकिन कुछ भी उसे कहने या करने से पहले उसने कल्पना से बोल दिया था कि वो उसे समझा दे कि एक बार आराम से बैठ के उसकी बात सुन ले क्योंकि उसने जो भी किया सिर्फ उसके करीब रहने के लिए ही किया था । उसके बाद सार्थक शूटिंग के लिए निकल गया था । शूट मुंबई से बाहर था इसीलिए उसद वापस आने में लगभग तीन दिन का टाइम तो लगना ही था। तब तक उसने सोचा था कि कल्पना मंजिल को अच्छे से समझा लेगी।
आप प्यार से बातची न सही लेकिन उनका हालचाल तो पूछ ही सकतीं हैं। कल्पना मंजिल को समझाने के इरादे से उसके कमरे की सफाई कर रही थी। मंजिल अलमारी से अपने कपड़े बाहर निकाल कर रख रही थी।
क्यों और कोई नहीं है उनका हालचाल पूछने वाला ! हाँ होगा भी कहाँ से अकड़ू , घमंडी और गुस्से वाले लोगों के पास टिकता ही कौन है । मेमसाहब आप साहेब के बारे में हर बात उलटी ही क्यों कहतीं हैं । बेचारे तो कितना परेशान रहतें हैं आपके लिए ।
परेशानी की वजह भी तो खुद ही है , कोई और है क्या?
मैं नहीं जानती कुछ बस साहेब ने कहा था कि आपसे बात करके देखूँ बस, बाकी आज रात तक सर वापस आ जाएंगे तो दोनों लोग आप ही देखना। मैं आपको उनके गुस्से से बचाने की कोशिश कर रही थी इसीलिए कहूंगी कि कुछ अगर बात करें तो कर लेना।
कल्पना के इस जवाब पर मंजिल ने उसे ध्यान से देखा फिर दूसरी नजर अपने कपड़ों के ढेर पर डाली।
आज मैं क्या पहनूं? कुछ कपड़ गंदे है और कुछ फिटिंग के नहीं हैं मेरी। आपके पास होगा कुछ मेरे लिए पहनने लायक ?
मेरे पास….? यहाँ पर तो साड़िया ही है ।
मुझे साड़िया बहुत पसंद है , घर पर जब कोई नहीं होता था तो मैं मम्मी की साड़ी पहन कर रहती थी ।
तो फिर ले आऊं अपनी कोई साड़ी आपके लिए? लेकिन ज्यादा बढ़िया या महँगी वाली नहीं है आपको शायद अच्छी न लगे?
आप दिखाइये तो चल के जो अच्छी लगेगी ले लूंगी।
मंजिल और कल्पना नीचे के एक कमरे में गयीं जहाँ इन दिनों कल्पना का अस्थायी ठिकाना था । वहाँ कल्पना ने अपनी समझ के अनुसार बेहतर से बेहतर साड़िया दिखाई । उन सभी दस साड़ियों में से मंजिल ने पाँच अपने लिए पसंद की जिन्हें वो पहन के ट्राई करेगी जो सबसे अच्छी लगेगी वो पहन लेगी बाकी वापस कर देगी। लेकिन कल्पना ने उससे कहा कि ये पाँच साड़िया वो पांचो दिन ही पहनने के बाद उसे वापस करें तो मंजिल मान गयी थी।
कल्पना तो ये सोच कर खुश थी कि जब सार्थक पहली बार मंजिल को साड़ी में देखेगा तो कितना खुश होगा उसके तीन दिन की थकान ऐसे ही उतर जाएगी। उसने मंजिल को तीन ऐसी साड़िया दी थी जोकि सार्थक ने खुद कल्पना को गिफ्ट करी थीं।
शाम को जब फस्ट्रेट हुआ सार्थक घर पहुँचा तो कल्पना से कॉफी लाने के लिए बोल दिया और अपने कमरे में चला गया ऐसा लग रहा था कि उसे मंजिल के बारे में कुछ याद ही नहीं है । चाहे शूटिंग पर कोई दिक्कत हुई हो चाहे को स्टार्स के साथ कोई बहस , इसीलिए सार्थक और ज्यादा अपसेट लग रहा था।
हाँ शक्ति ! यार पता करो कि एक्ट्रेस नितिका के साथ मेरे अफेयर की न्यूज सबसे पहले किसने छापी थी और जल्द से जल्द इसे बंद भी करवाओ यार।ओके सर !
अच्छा एक और बात सुनो ! ‘मेरे दिल के दरमियाँ ‘ की सक्सेस पार्टी का इंतजाम करो । अभी सौ करोड़ में कुछ कम है कुछ रिपोर्टर्स से मिलो, सोशल मीडिआ पर थोड़ा पॉजिटिव रिव्यू बढ़वाओ । अगले तीन हफ्ते में फिल्म का बिजनेस 300 करोड़ तो हो ही जाना चाहिए। खैर दो दिन में सक्सेस पार्टी का भी कुछ देख लेना। इतना कहकर सार्थक ने फोन कट कर दिया। तब पीछे खड़ी कल्पना ने कॉफी आगे बढ़ा दी।
साहेब कॉफी ।
थैंक्स !
कोई बात हो गयी क्या जो आप इतने परेशान है ।
नहीं। सार्थक ध्यानमग्न हो कर कॉफी पीने लगा । कल्पना थोड़ी देर तो शांत खड़ी रही कि शायद मंजिल के बारे में अब पूछा जाएँ तब पूछा जाएँ ।
लेकिन सब सार्थक ने उससे कुछ नहीं पूछा तो उसने खुद ही कहा – अच्छा तो मैं जाती हूँ देखूं मेमसाहब को तो कुछ नहीं चाहिए।
अरे हाँ । मंजिल कैसी है , टेंशन में मैं तो भूल ही गया था । सार्थक ने कॉफी नीचे रख दी।
ठीक ही है । आपने कहा था न मुझसे बात करने के लिए तो मैने बात की लेकिन कोई सटीक जवाब ही नहीं देती वो ।
अच्छा …… आप दो कप चाय बना देंगी प्लीज। जी जरूर लेकिन कॉफी भी तो बनाई जा सकती है।
इसे चाय पसंद है फिर प्यार भरी बातों की सच्ची साथी तो चाय ही है । इतना कहकर वो उठकर मंजिल के कमरे की तरफ चला गया। पीछे से कल्पना मुस्कुरा रहीं थी।
कहने को तो कल्पना मंजिल को कोई भी साड़ी पहना देती वो पहन लेती उन पांचो में से लेकिन उसने जानबुझ कर पीले रंग की साडी पहनाई थी मंजिल को, क्योंकि वो रंग सार्थक को काफी अच्छा लगता था ।
सार्थक जैसे ही कमरे में पहुँचा वैसे ही उसे लगा की उसके मन की कोई बरसों पुरानी इच्छा पूरी हो गयी हो। बिस्तर पर मंजिल सीने पर किताब लिए लेटी थी और उसकी आँखे बंद थीं। बालों की चोटी बनी थी इससे एक दो ही लटें उसके चेहरे पर बिखरी थी लेकिन उसकी खूबसूरतीे को और ज्यादा निखार रही थीं ।
सार्थक ने उसे सर से लेकर पाँव तक देखा तो उसे अपने बदन में एक आग सी महसूस हुई । पारदर्शी पीली साड़ी के पीछे उसकी पतली , चिकनी कमर बिल्कुल साफ दिख रही थी। कल्पना ने सार्थक की फिल्मों की हीरोइनों की तरह ही मंजिल की साड़ी ड्राप की थी। जिससे उसकी कमर और भी पतली दिख रही थी।
सार्थक के चेहरे पर पसीना सा आ रहा था उसने अपनी शर्ट की तीन बटन खोल ली। जब सार्थक से बर्दाश नहीं हुआ तो वो मंजिल के पास पहुंच गया और उसके सीने पर रखी किताब भी हटा कर साइड कर दी। सार्थक को मंजिल की सारी खूबसूरती पर किताब कोई दाग़ लग रही थी।
सार्थक के छूने से मंजिल तुरंत उठकर बैठ गयी । पता नहीं कैसे उसकी आँख लग गयी थी अभी बजा ही कितना था सिर्फ आठ ही।
क्या हुआ ? मंजिल साइड में उठ कर बैठ गयी। लेटी रहो । सार्थक बेड के साइड पर बैठते हुए बोला। मंजिल तुरंत दूसरी साइड से उतर गयी।
उफ्फ! एक तो तुम पीली साड़ी में आग लग रही हो उसपर से गुस्सा तुम्हें जहर ही बनाएं दे रहा है मेरे लिए, जिसे मैं अपने होठों से लगाने के लिए मरा जा रहा हूँ । सार्थक दोनों हाथ फैला कर बेड पर लेट गया और उस तरफ खड़ी मंजिल को देखने लगा। फिर एकदम से अपने पैर इधर करते हुए वो झटके से मंजिल की तरफ उठ खड़ा हुआ । मंजिल दो कदम पीछे हटी तो उसे खींच कर अपनी बाँहो में जकड लिया।
डांस ???? उसने कसमसाती हुई मंजिल से नशीली आवाज में पूछा। यस. …. मंजिल ने धीमी आवाज में कहा।
रियली ! सार्थक की आवाज में हैरानी थी इस बार ।
हाँ, लेकिन यहाँ नहीं बालकनी में । वहाँ ठंडी हवा चल रही है ।
sure!
लेकिन वहां ताला लगा है कल्पना दी थोड़ी देर के लिए खोलती है वरना वो बंद ही रहती है । मैं कहती हूँ कि मुझे बंद-बंद अच्छा नहीं लगता लेकिन तुम्हारे डर से ……..
मैं अभी आया । सार्थक मंजिल को वैसे ही छोड़कर कमरे के बाहर चला गया । इससे पहले मंजिल कुछ सोचती, खुद को संभालती सार्थक पाँच मिनट में वापस भी आ गया । उसने तुरंत बालकनी का ताला खोला और एक लम्बी गहरी सांस ली। आइए मेरी प्रिंसेस ! उसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कुराहट थी । मंजिल ने न चाहते हुए भी अपने कदम उसकी ओर बढ़ा दिए ।
सार्थक आगे बढ़कर आया और उसके हाथों को थाम लिया। अपने साथ उसे बालकनी में ले जाने के बाद फोन में म्यूजिक लगा दिया। सार्थक ने एक हाथ से उसका हाथ थामा और दूसरा हाथ उसकी कमर पर रख दिया। मंजिल ने भी अपना एक हाथ उसके कंधे पर रख दिया।
दोनों के थिरकते पैरों से एक अलग ही संगीत हवा में घुल रहा था। सार्थक की गर्दन मंजिल की ओर झुकती जा रही थी मगर मंजिल पूरी तरह सावधान थी। सार्थक की आँखो में नशा सा चढ़ने लगा था और अभी तक जो हाथ सिर्फ मंजिल की कमर पर था वो फिसल कर कभी पीठ की तरफ तो कभी नीचे की तरफ जा रहा था ।
सार्थक !
हूँ. ….
मुझे ऐसे अच्छा नहीं लगता रहना ।
कहीं और ले चलूँ? उसकी आवाज में नशा वैसे ही झलक रहा था।
नहीं मेरा मतलब ! कि मैं अपने परिवार वालों की मर्जी के बिना सांस लेना भी पसंद नहीं हैं। वो तीनों मेरी जिंदगी हैं । बाकी आम लड़कियों की तरह मेरे भी सपने है कि मेरी शादी मेरे घर में हो , सारे रिश्तेदार उसमें शामिल हो ,दुआएँ दे मुझे, सब रोयें मेरी विदाई पर ….!
तो…. सार्थक मंजिल के बालों की खुश्बू में खोने लगा था |
मुझे यहाँ से जाने दो ताकि मैं भी आम लड़कियों की तरह अपने सपने पूरे कर सकूँ ।
डोंट वरी तुम्हारा ये सपना भी पूरा कर दूँगा । हमारी शादी के एक दिन पहले तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ कर , वहीं से दुल्हन बनाकर लाऊँगा । बाकी सेलेब्रिटीज की तरह विदेश में जाकर शादी नहीं करूँगा ।
नहीं मैं कहना चाहती थी….
शी….. सार्थक ने अपनी ऊँगली मंजिल के होठों पर रख दी । इतनी खूबसूरत रात सिर्फ बातों में ही बर्बाद कर दोगी??
मतलब….?
मतलब कि ये । सार्थक ने मंजिल को दीवार से सटा दिया ।
सार्थक….. !!
प्लीज शांत रहो , वरना अबकी कुछ बोली तो सच बोलता हूँ सारी रात बोलने ही नहीं दूँगा । सार्थक के होंठ बिल्कुल अपने होठो के पास देख मंजिल चुप हो गयी।
सार्थक का पूरा बदन मंजिल के पूरे बदन से सट गया था , दोनों की साँसे आपस में टकराने लगीं थीं। सार्थक ने मंजिल के कंधे से अपने हाथों को सरकाते हुए उसकी दोनों हथेलियों को अपनी हथेलियों में समेट लिया और उन्हें ऊपर करते हुए दीवार पर पिन कर दिया और अपने एक हाथ को वापस उसकी कमर पर ले आया फिर उसके गालों को चूमना शुरु कर दिया , आहिस्ते-आहिस्ते वो गर्दन तक पहुँचा और उसकी साड़ी का पल्लू गिराने की कोशिश काने लगा।
मैं ऐसा नहीं चाहती सार्थक। शादी से पहले ऐसा कुछ भी नहीं। अपनी तेज होती साँसो को संभालते हुए मंजिल बोली।
शादी भी तो मुझसे ही होगी मेरी जान फिर पर्दा क्यों । सार्थक रुकना नहीं चाह रहा था।
बात कुछ और भी है ।
क्या जल्दी बोलो। सार्थक न अपने दिल को समझा पा रहा था और न साँसों को काबू ही कर पा रहें थें। उसके हाथ सुकोमल स्त्री शरीर के भूगोल का विस्तृत अध्ययन करना चाह रहें थे।
मेरी तबियत ठीक नहीं है अभी भी ।
क्या हुआ ? बुखार आया तुम्हें या सरदर्द …. सार्थक चैतन्य हो गया एक झटके से ही।
नहीं वो बात नहीं ….. कल्पना दीदी को मालूम है । मंजिल सर झुकाये थी और सार्थक उसे देख रहा था।
लेकिन अब तक तो ठीक हो जाना ….
मेरे साथ ऐसा नहीं होता। तभी पापा से एक बार डॉक्टर ने कहा भी था ,महिला डॉक्टर को दिखाने के लिए।
सार्थक को तुरंत ही याद आ गया कि उसे भी डॉक्टर ने मंजिल के बढ़िया इलाज करवाने के लिए बोला था , वो भूल कैसे सकता है भला ? उसे अंदर से ही गिल्ट महसूस होने लगा । वो तुरंत मंजिल से दूर हट गया।
आओ चलो तुम लेटो चलकर मैं खाना लगवाता हूँ , फिर तुम्हें बुला लूँगा ।
सार्थक मंजिल को लेकर आया और उसे अच्छे से लिटा कर चादर ओढ़ा दी।
कितना टाइम लगेगा खाने में?
I am sorry! मैंने जरा भी दिमाग़ नहीं लगाया एक तो तुमने मेरे पसंद के रंग की साड़ी पहनी थी तो कुछ और ही ….. खैर मैं अभी आधे घंटे में बुलवाता हूँ तुम्हें। कहकर सार्थक कमरे से निकल गया।
सार्थक कल्पना ने बात करने चला गया खाने से ज्यादा उसे ये जानने में इंटरेस्ट था की उन्होंने आखिर मंजिल को क्या समझा दिया जो उसे शादी तक करने के लिए राजी कर लिया।
आधे घंटे बाद जब कल्पना मंजिल को बुलाने पहुँची तो घबरा गयी । मंजिल कमरे में नहीं थी इधर-उधर देखने के बाद जब कल्पना बालकनी में गयी तो चीख पड़ी।
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मुझे आशा है कि आप सब को इश्क़ का अंजाम एक जुनूनी आशिक की लव स्टोरी पसंद आ रही होंगी। अगर आपके पास भी कोई ऐसी लव स्टोरी हो तो आप अपने इस परिवार के साथ शेयर कर सकते है आपकी प्राइवेसी का पूरा सम्मान किया जायेगा। आप अपनी कहानी हमें मेल कर सकते है…
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