Psycho lover : Hindi love story last part
हेलो दोस्तो कैसे है आप, मैं आशा करता हूं आप सब अच्छे होंगे। आपका हमारी अपनी वेबसाइट atozlove पर स्वागत है। दोस्तो आपने हमारी पिछली स्टोरी डायरी-a cute love story को बहुत ही प्यार दिया उसके लिए आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद। दोस्तो आज मैं एक अलग तरह की love story PSYCHO LOVER जो एक तरह की PSYCHO लव स्टोरी है जिसे पढ़ कर आपको मजा आने वाला हैं- love story
घर के आँगन में ओजू जैसे ही पहुंची तो सबसे पहले ही उसकी नजर देवू पर ही पड़ी, जो बैठ कर चाय पी रहा था । ओजू की जान में जान आयी वो आगे बड़ी की उसे सीने से लगा ले लेकिन पास पहुँच कर ठिठक गयी। उसने देखा कि टेबल पर दो नहीं तीन चाय के कप है ये देखते ही वो समझ गयी कि ये चाय देवू ने नहीं किसी और ने बनाई है ।
देवू यहाँ से उठो! उसने धीरे से बोला ।
दी पहले आप चाय तो ख़त्म करो ।
देवू… उठो ! उसकी आवाज में कोई बड़प्पन नहीं था न ही आँखों में गुस्सा ही था तो डर और आँसू । जिसे वो 13 साल का भोला सा लड़का कुछ देर में समझ पाया। किचन में बर्तनों की आवाज आते ही ओजू को लगा किसी ने वहाँ पिस्टल दागी हो , उसने देवू का हाथ पकड़कर उसे कसके अपनी तरफ खिंचा और रूम के अंदर ले भागी ।
दीदी हुआ क्या ? आप ऐसे क्यों डर रही हो अंदर कोई नहीं केवल लक्ष…। ओजू ने उसके मुँह पर हाथ रख दिया । देवू तु कुछ भी मत बोल बस जो मैं कह रही हूँ वो सुन । वो देवू के सामने अपने घुटनों के सहारे बैठ गयी और उसके दोनो हाथ अपने हाथों में पकड़कर चूमते हुए बोली ,” तेरी दीदी से बहुत बड़ी गलती हो गयी है जिसका सुधार करना बहुत जरूरी है , जोकि मैं करूंगी भी । इसमे तू मेरा साथ दे और मुझसे वादा कर कि अगर मुझे कुछ हो जाता है…
दीदी…..
शी…चुप कुछ भी बोल मत केवल सुन । अगर मैं न रही तो तू अपना ख्याल खुद रखेगा कभी किसी पर आँख बंद करके भरोसा नहीं करेगा, पुराने रिश्तों को कभी कम नहीं समझेगा और सबसे बड़ी बात. .. क्रिकेटर बनके मेरा और मम्मी-पापा का नाम रोशन करेगा । ओजू उठी और देवू का माथा चूम लिया।
मैं बाहर जा रही हूँ जबतक मैं आवाज़ न दूँ या …… अभी ओजू उससे बात ही कर रही थी कि कमरे के दरवाजे को लक्ष्य ने जोर से पिटा और ओजू से दरवाजा खोलने को बोला। ओजू ने जितनी हिम्मत बटोरी थी सब ढेर हो गयी और वो देवू को अपने सीने से चिपका कर कोने में खड़ी हो गयी। मैं दरवाजा नहीं खोलूंगी । वो अंदर से चीखी ।
ओजू , मैंने तुम्हारे लिए चाय बनाई है उसे तो पी लो आकर । मुझे तुम्हारे हाथों का अमृत भी नहीं पीना है समझे । ओजू ऐसा न बोलो मैं तुम्हें सब समझा दूँगा बस एकबार मुझे मौका तो दो ।
मुझे अब कुछ नहीं समझना है खूनी हो तुम बस ।
ओजू , वो आदित्य तुम्हें उल्टा-सीधा बोल रहा था मुझसे बर्दाश नहीं हुआ तो मैंने उसे चोट पहुंचाई मुझे क्या पता था वो मर जाएगा ।
आदित्य भैय्या नहीं रहें…! देवू ने ओजू के चेहरे की तरफ देखने की कोशिश की लेकिन ओजू उसे इस तरह डर से कसे थी कि वो हिल पी नहीं पाया ।
तुम कितने बड़े झूठे और दरिंदे हो अब भी तुम्हें लगता है मैं तुम पर भरोसा कर लूंगी ।
ओजू दरवाजा खोलो । वो दरवाजे को जोर-जोर से पीटने लगा। अबकी बार देवू भी डर गया और ओजू से कसके चिपक गया । तुम दरवाजा पीटते-पीटते मर जाओ तब भी नहीं खोलूंगी । ओजू… ओजू. ..ओजू. … खोलो….प्लीज खोलो । लक्ष्य दरवाजे को हाथों से हिलाने लगा था ।
ऐ ओजू, प्लीज मेरी हर बात मानती हो ये भी मान लो देखो मैं बस इतना चाहता हूँ कि तुम मेरे साथ बैठ कर चाय पी लो और उस चाय की तारीफ कर दो आफ्टरआल, अब तुम्हें सारी जिंदगी मेरे ही हाथ का बना ही तो खाना है , लक्ष्य मुस्कुराया ,” फिर तुम दोबारा से दरवाज बंद कर लेना।”
ठीक है मैं दरवाजा खोलूंगी । ओजू ने कुछ सोच कर कहा । नहीं दीदी दरवाजा न खोलो , लक्ष्य भैय्या पागल हो गएँ हैं , जब मैं यहाँ आया था तो बहुत चोट लगी थी उन्हें बोले कि एक्सीडेंट हो गया है । मैं किचन में उनके लिए चाय बनाने गया तो मुझे बिठा कर खुद बनाने लगे। मुझे क्या पता था कि ये पागल हो गये है !
तो खोलो न । लक्ष्य ने बोला ।
लेकिन जो मैं पूछूँ सब सच-सच बताना पड़ेगा फिर मैं दरवाजा भी खोलूंगी और तुम्हारे पास बैठकर चाय भी पियूँगी। हाँ पूछो मैं सब बताऊंगा। लक्ष्य दरवाजे के पास ही बैठ गया। तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो इसीलिए मैं जानती हूँ कि तुम मुझसे जरा भी झूठ नहीं बोल पाओगे क्योंकि तुम्हें पता जो है कि मैं तुमपर खुद से ज्यादा भरोसा करती हूँ । ओजू ने ये शब्द अपने आँसू घोंट कर कहें थें।
ओजू की ये बात सुनकर लक्ष्य को ऐसा लगा कि वो हवा में है , वो जो करता है ओजू को सही लगता है वो जो बोलेगा ओजू मान लेगी और अब सच बोलने में भी डर कैसा ? उसके होंठ फैल गये ,” पूछो ओजू, झूठ थोड़े बोलूंगा तुमसे आज तक कभी भला बोल भी पाया हूँ ।”
पापा को कैसे मारा था तुमने ?
उन्हें न मारता तो तुम्हें खो देता । तुमने एकबार कहा था न कि तुम्हारे पापा कभी नहीं मानेगें तो सोचा जब पापा ही नहीं रहेंगे तो मनाना ही नहीं पड़ेगा किसी को । उन्हें उनके कमरे में एक फंदे पर लटकने के लिए बन्दूक से मनाया था। धमकी दी कि नहीं चढ़े तो तुम्हें और तुम्हारी माँ को भी मार दूँगा तो वो तैयार हो गये अपनी मर्जी से, बाकी मैने जबरदस्ती नहीं की थी ।
फिर क्या हुआ की हॉस्पिटल में उन्हें ठीक होता देख मैंने ग्लूकोस की पाइप से गला दबा दिया, डॉक्टर ने देख लिया तो पैसे दे दिये उसे बस। ओजू दरवाजा खोलकर उसका गला तब तक दबाना चाहती थी जब तक कि वो तड़प-तड़प के सौ जन्मों के लिए मर न जाएँ ।लेकिन उसने खुद पर काबू किया।
” शेसी को क्यों मारा?” जिसलिए सुबोध को मारा था , उसने तुम्हें भला बुरा कहा तभी सोच लिया था कि इसे जिंदा नहीं छोडूंगा लेकिन उसकी किस्मत देखो उसी रात उसकी मौत लिखी थी । मुझसे मिलने आयी थी तो मैंने बोला ओजू को सॉरी बोलो। उसने मना कर दिया बस फिर मुझे गुस्सा आ गयी ।
फिर जानती हो मरने से पहले उसने एक हजार बार तुमको सॉरी बोला था मैं और भी बुलवाता लेकिन फिर उसने बोलना ही बंद कर दिया तो मैं क्या करता। दो-तीन थप्पड़ मारे तब भी नहीं बोली तो चाकू मार कर देखा बेचारी फिर कुछ बोल ही नहीं पायी। लक्ष्य हँसने लगा । ओजू का दिल हो रहा था कि कुछ उठाकर खुद को ख़त्म कर ले इतनी गुस्सा आ गयी थी उसे खुद पर कि इतने घटिया इंसान से उसने प्यार किया ?
माँ को कैसे…?
जब तुमने मुझे फोन पर बताया था कि जबसे उन्हें मेरे बारे में पता चला है तब से उनकी तबियत ठीक नहीं तभी समझ गया था कि वो नहीं मानेंगी। इसीलिए जहर रख लिया था अपने पास कि अगर मना किया तो वो उनकी जिंदगी की आखिरी न होगी और हुआ भी वही।
जब उन्होंने ऐतराज किया तो मुझे हँसी आयी उनकी किस्मत पर लेकिन मैने रोने का नाटक किया और झुक कर पैर छूते समय उनके पैर में जहर की सुई चुभो दी उसके बाद क्या हुआ वो तो तुम जानती ही हो। अब तुम मुझसे आदित्य का पूछोगी तो मैं जल्दी-जल्दी सब बता देता हूँ वरना चाय ज़्यादा ठंडी हो गयी तो मजा नहीं आएगा है न !
तो फिर तुम शायद उस अंगूठी के बारे में पहले जानना चाहोगी जो तुम्हें आदित्य ने दी थी की वो अंगूठी मुझे कैसे मिली? एकबार तुम्हीं ने मुझे वो अंगूठी दिखाई थी और उसके बारे में बताया था, उसी के बाद एक दिन तुम नहा रही थी और मैं कमरे में बैठा था मौका देखकर वो अंगूठी मैंने चुरा ली थी । लक्ष्य की बातें सुनकर ओजू चीख-चीख कर रोना चाहती थी लेकिन वो अपने गले में ही सारी आवाजें दबाएं दरवाजे के पास लोट रही थी ।
आदित्य को शुरु से ही मुझपे शक था जब आंटी जी की मौत हुई तो शक ज्यादा ही बढ़ गया । इसीलिए वो सारी चीजें इकट्ठी करके देखने समझने लगा । उस दिन जब सुबोध की उससे बहस हुई थी तो मैंने मौका अच्छा देखा कि इसे भी मार दूंगा और आदित्य को भी फंसा डूंगा । लेकिन पता नहीं उसका क्या दिमाग़ चला कि उसने वो डॉक्टर ढूंढ निकाला और तुम्हें फोन कर सब बता दिया ।
पहले पता होता तो उस शाले डॉक्टर को भी मार देता। जब आदित्य ने मेरे पास फोन कर के मुझे धमकी दी कि मैं तुम्हारी जिंदगी से नहीं गया तो तुम्हें सब बता दिया उसी वक्त मैं समझ गया कि मुझे क्या करना है । मैंने तुम्हारे फोन को अपने फोन से कनेक्ट कर लिया जिससे जो भी कॉल आये मुझे भी सब सुनाई दे ।
तब मुझे पता चला कि आदित्य कहाँ है , इसके बाद मैने तुम्हें उलझाने के लिए कॉल किया ताकि तुम आदित्य को ही गलत समझो फिर मैं गैराज पहुँचा मुझे क्या पता था कि तुम भी वहां आ जाओगी। लक्ष्य की आवाज़ में कोई पछतावा नहीं था वो अपनी करनी को ऐसे बता रहा था जैसे कोई मेडल पाने वाला काम किया हो ।
ओजू मैंने कुछ भी किसी के साथ भी गलत नहीं किया है बस जिसने जैसा मेरे साथ करना चाहा मैंने वही उसके साथ किया । सब समझते थे कि मुझे प्यार नही है तुमसे कोई तैयार नहीं था मेरे प्यार के लिए तो मैंने उन सबको बता दिया कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ अब तो तुम भी जान चुकी होगी कि मैं तुम्हारे लिए क्या-क्या कर सकता हूँ । सच बताओ आदित्य ने भी तुमको इस कदर नही चाहा होगा न ?उसे खुद पर गर्व हो रहा था।
आहिस्ते से दरवाजा खुला और ओजू बाहर निकल आयी उसके दोनों हाथ पीछे की तरफ थे । उसने बाहर से ही कमरे का दरवाजा बंद कर दिया ।
आखिर तुम भी मान गयी न कि मैं कितना ज्यादा प्यार करता हूँ तुमसे, तुम्हें भी मुझसे दुबारा मोहब्बत हो गयी है , तुम्हें दोबारा मेरी बांहों का सहारा लेने का मन हो रहा है न ।
लक्ष्य मुझे अब तुमसे सिर्फ एक चीज है वो है नफरत और मुझे तुमसे जो एक चीज चाहिए और वो है बदला । इतना कहकर उसने एक मोटे से डंडे से लक्ष्य के सर पर वार कर दिया ।एकदम से हुए इस हमले से लक्ष्य का सर चकरा गया और उसके सर से खून बहने लगा इससे पहले वो संभल के उठता ओजू ने दोबारा उसके सर पर डंडा मार दिया ।
इससे पहले तीसरा डंडा मार पाती लक्ष्य ने उसके पैर खींच कर उसे जमीन पर गिरा लिया और उसकी गर्दन को अपने दोनों हाथों से दबोच कर दबाने लगा। ओजू ने दोनो हाथों से खुद का गला छुड़ाने की कोशिश की लेकिन उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि खून से सराबोर कमजोर मगर पागल हो चुके लक्ष्य की ताकत का सामना कर सके ।
लक्ष्य की नजरें उसके चेहरे पर ही थी उसकी आँखे जब ओजू की आँखों से मिली तो कुछ अजीब सी चीज दिखी, वो था डर । डर? जिसकी आँखों में अपने लिए मोहब्बत देखना चाहता था उसमें डर ! ओजू कब उससे इतनी दूर चली गयी ? कब उसे मुझसे डर लगने लगा और किस बात का? अपनी जान का ? जिसके लिए मैं अपनी जान भी देने को तैयार हूँ उसे लगता है कि मैं उसकी जान लूँगा! जिसे पाने के लिए जिंदा था उसे खोने से तो अच्छा मर जाना ही है । लक्ष्य के हाथ ढीले पड़ने लगे ।
ओजू ने उसे खुद को छुड़ाया और डंडे से लगातार चार-पाँच वार किये उसके सर पर । सारी दुनिया को चकमा देने वाला आज एक लड़की के कदमों में सच बोलने के बाद चकनाचूर पड़ा था उसपर से उसे कोई शिकायत भी नहीं थी इस बात पर । माहौल एकदम शांत हो गया था जैसे कोई आंधी थमी हो अभी ।
ओजू ने एक गहरी सांस ली और टेबल की तरफ बढ़ गयी । वहाँ से दो चाय के कप उठाए और लक्ष्य के पास लेकर बैठ गयी। एक कप उसके पास रखा और दूसरा खुद पीने लगी । लक्ष्य ने शायद चाय में नमक नहीं डाला था लेकिन फिर भी ओजू की चाय काफी नमकीन थी शायद इसलिए क्योंकि उसके आँसू चाय में गिर रहे थें ।” तुमने चाय वाकई में बहुत अच्छी बनाई है।” भरे गले से उसने चाय की तारीफ की।
उज्जवला आदित्य पंडित , ये नाम हो चुका था ओजू का । वो अब खुद को आदित्य की विधवा मानती थी । समाजसेवी होने के साथ ही कुछ विरह गीतों की रचना भी करने लगी थी जो की राधाकृष्ण के प्रेम पर आधारित थे ।
“जब कृष्ण राधा को छोड़ द्वारका चले जाते है तो राधारानी को लगता है कि वो उन्हें भूल गएँ हैं लेकिन जब उन्हें यह ज्ञात होता है कि कृष्ण आज भी उनसे ही प्रेम करते हैं तो राधा किस प्रकार अपनी भूल पर पछताती हैं और किस तरह कृष्ण से क्षमा मांगती हैं।” इसे आधार बनाकर ही उज्जवला रचनाएँ लिखती थी ।
उसकी रचनाओं को पढ़कर ऐसा लगता था कि ये उसकी निजी जीवन का अनुभव है लेकिन भला किसी के जीवन का कौन जाने ? देवू को आदित्य के माँ-बाप ने गोद ले लिया है और उसे एक बड़ी अकादमी में दाखिल करवा दिया है । ओजू देवू को उनके हाथ में सौंप कर काफी निश्चिंत हो गयी थी।
The end of Psycho lover parts.
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