Rebel girl ! What every women should do in toxic Relationship .
अनाया सोचती है । ऐसा नहीं कि हर वक्त सोचती है लेकिन जब भी वो अकेले होती है तब वो जरूर सोचती है । उसके दिमाग़ में जो सवालों का गुच्छा भरा हुआ है उन्हें एक-एक कर सुलझाने की कोशिश करती है । जीवन से भरी लड़की को आदत हो गयी है औरतों के रोबोटीक पैटर्न के बारे में सोचने की ।
वो जो करती है , जो कहती है उसपर उनका कंट्रोल क्यों नहीं होता? कोई दूसरा क्यों उनकी सोच को अपने हिसाब से बदलता रहता है । औरतें क्यों दिन भर का काम करने के बाद सजती हैं शाम में , एक थके हुए पसीने से तर-ब-तर-तर शरीर को अपने ऊपर लादने के लिए ? क्या उनका सारा सौंदर्य सारी चमक सिर्फ किसी के बिछावन के लिए ही होती है ? उनकी सारी बुद्धि , सारी मेहनत बस बच्चों , सास-ससुर और पति को खुश रखने के लिए ही होती है ?
किसी और को वो क्यों कहे उसकी माँ भी तो यही करती थी , करती है और शायद करती रहेगी भी जब तक वो मर नहीं जाती तब तक तो जरूर । माँ मर क्यों नहीं जाती ? वो ऐसी जिंदगी क्यों जी नहीं हैं जिसमें सिर्फ उसक शरीर चलता है मन और आत्मा तो कब के मर गएँ या मार दिये गएँ। फिर भी उन्हें ऐसा कैसे लग सकता है कि वो दुनिया की सबसे खुशनसीब महिला है ? गलतफहमी की भी कोई हद होती है !
अनाया जब भी शिबू के साथ उसे साइकिल पर बिठाकर कहीं दूर किसी कोने में पार्क में या टीले पर जाती है तो इसीतरह के तमाम सवाल उसके सर को घेर लेते है । वो उन सवालों को हल करने की कोशिश करती है तो उसके ही किरदार पर ऊँगली खड़ी हो जाती है , कई बार उसे लगता है कि नहीं दुनिया सही है , दुनिया भर की औरतें सहीं हैं वो या उसके जैसी सोच रखने वाली सारी लड़कियां गलत है तो कभी-कभी ऐसा लगने लगता है की एक वो ही सही है दुनिया गलत है ।
लेकिन सच में सारी दुनिया कैसे गलत हो सकती है ! दुनिया भर की तमाम औरतें वही करतीं हैं जो उसकी माँ करती है । पति को खुश करना , घर का ध्यान रखना , नौकरों पर हुक्म चलाना और खुद पापा के सामने नौकर बनकर पेश आना……! अनाया का कभी दिल नहीं करता कि वो माने कि उसकी माँ ने बीएससी नर्सिंग की हुई है , वो तो कभी-कभी ये तक मानने को तैयार नहीं होती कि उसकी माँ पढ़ी-लिखी भी है , क्योंकि पढ़े-लिखे लोग तर्कशील होते है ।
पर उसकी माँ तो समाज के रटे- रटाए वाक्य ही बोलती है जैसे जब भी माँ-पापा की लड़ाई होती है और वो अपनी माँ की तरफ से बोलने लगे तो उससे कहा जाता है ,तुम हम दोनो के बीच में मत बोलो , पापा जब भी माँ के ऊपर हाथ उठाते है और अनाया भड़क जाती है तो उसकी माँ कहती है ‘मारा है तो क्या हुआ प्यार भी तो करते है मुझसे !” उसकी माँ को हमेशा लगता है कि एकमात्र संतान वो भी लड़की को पैदा करने के बाद उसके पापा ने दूसरी शादी नहीं की यही बहुत बड़ा अहसान है उनका यही मोहब्बत है उनकी ।
अनाया को अपनी माँ के इस अंधेपन पर बहुत गुस्सा आता है जी करता है कि उसे झकझोर कर पूछे कि ये जो जीता-जागता 16 साल का नमूना घर में घूमता रहता है वो दूसरी शादी न सही लेकिन अय्याशी की निशानी तो हो ही सकता है । चेहरा-मोहरा , हाव-भाव हर चीज पापा के जैसी कैसे मान लिया जाएँ उनके किसी दूर के रिश्तेदार का लड़का है जिसे उन्होंने गोद लिया है बस।
क्यों औरतें इतनी अंधी हो जाती है प्यार में पड़ने के बाद की उन्हें एक आदमी को छोड़कर पूरी दुनिया झूठी लगती है ? क्यों वो इंसान बुरा नहीं लगता जिसने आँखों पर पट्टी चढ़ाई बल्कि वो शख्स बुरा लगता है जिसने वो पट्टी हटाकर हकीकत दिखाने की कोशिश की ! वो भी तो बुरी बन गयी अपनी माँ के लिए बत्तमीज हो गयी , कमअकल घोषित कर दी गयी । क्योंकि उसने अपनी माँ की तरह बाकी औरतों की आँखों से पट्टी हटाने की कोशिश की थी।
अपनी कजिन सिस्टर के हस्बैंड को उसने चीट करते हुए पकड़ा था और वीडियो बनाकर उसे भेजने के बाद बहुत संग्राम हुआ था उसके घर में मगर रोने- गाने और दोबारा ऐसा न करने के लिए माफ़ी की भीख मांगने पर उसकी सिस्टर ने माफ़ कर दिया था ,” आदमी है बहक जातें हैं अब आगे से नहीं करेंगे!” अनाया पैर से लेकर सिर तक जल उठी थी । अनाया ने दोबारा भी उसके पति को एक लड़की के साथ बाथरूम से निकलते देखा था ।
इस बार जब उसने घर पर बताया तो सब उसे ही गलत कहने लगे , उसकी कजिन और उसके पति ने पापा से शिकायत कर दी थी कि वो उनकी खुशियों से जलती है और उनका घर तोड़ना चाहती है । उसकी माँ ने भी उसे ही फटकार लगायी थी ” ऐसे तो हमेशा अपने बारे में सोचने से फुर्सत नहीं मिलती तुम्हें , तुम अचानक से दूसरों के बारे में कैसे सोचने लगी ?”
वो नहीं बोल पायी उस वक्त कि वो दूसरे नहीं उसके अपने हैं , उसकी माँ दूसरी नहीं उसकी अपनी है , उस घर में मौजूद हर चीज उसकी अपनी है दूसरी नहीं सिवा उस लड़के के जिसे राखी बाँधने के लिए उसे इतने सालों से फोर्स किया जाता है , बार-बार कहा जाता है उससे “तमीज से भाई है तुम्हारा।”
उसकी बोली को हमेशा दबा दिया गया इसीलिए वो सोचने ज्यादा लगी । एमबीए कर रही लड़की मार्केटिंग के बारे में नहीं समाज के बारे में सोचा करती है उसमें रहने वाली औरतों उसमें आराम फरमाते पुरुषों के बारे में सोचती है लेकिन बात सिर्फ शिबू से कर पाती है क्योंकि वो उसकी बोली को सुनता है , बोल नहीं पाता तो क्या उसकी हर बात उसकी धीमी तेज आवाज़ सब समझता है । और उसी से तेज आवाज़ में बात कर सकने की इजाजत भी है उसे।
पिछले हफ्ते शॉपिंग मॉल में मयंक उसपर बेवजह भड़क रहा था जब बात उसके धैर्य से बाहर हुई तो उसने भी वहीं के वहीं उसके जिम्मेदार मर्द बनने के सारे भूत ठिकाने लगा दिए थे । लेकिन फायदा क्या मिला उसकी माँ घर आते ही उसे तमीज के पाठ पढ़ाने लगी। वही तमीज जो माँ की माँ ने उसे मायका छोड़ते वक्त जुबान की तह में बांध के रख दी थी और जिसे वो धीमे जहर की तरह रोज अपने आचरण में उतारती जाती थी ।
होने वाला पति है तुम्हारा ? हक़ है उसका तुमसे जिस तरह चाहे उस तरह बात करने का । अगर उसकी कोई बात बुरी भी लगी हो तो तुम्हें घर में अकेले में उससे कहना चाहिए था सबके सामने उसकी ऐसी बेज्जती नहीं करनी चाहिए थी , पता है कितना बुरा लगा तुम्हारे पापा को।
और मुझे कितना बुरा लगा ये किसी ने नहीं सोचा ।
औरतों को कुछ बुरा नहीं लगना चाहिए उनका दिल बहुत बड़ा होता है सबको माफ़ कर देता है और माफ़ी ही तो एक औरत होने की पहचान है बेटा ।
तो फिर मैं औरत हूँ ही नहीं माँ. ….
चुप , बतमीजी की भी हद होती है इसी तरह रवैय्या रहा न तुम्हारा तो शादी चला नहीं पाओगी तुम । बड़ी मुश्किल से तो तुम्हारे पापा इस लव मैरिज….
लव मैरिज …. माँ मुझे बस पसंद था वो क्योंकि कभी वो समझता था मुझे । लेकिन शादी मेरे कहने से नही आपके पति उसके बाप के रुतबे के लिए कर रहें है । अब तो समझ ही नहीं आ रहा शादी करूँ भी उससे की…..
तड़ाक. …. एक थप्पड़ के साथ अनाया की जुबान खामोश हो गयी। लेकिन उसका दिमाग़ …..
क्यों करती हैं औरतें ऐसा , क्यों साथ नहीं देती अपनी ही परछाई का ? क्या इसीलिए समाज औरत को औरत का दुश्मन बुलाता है ? खैर छोड़ो भी जो औरत अपने लिए आवाज नहीं उठा सकती वो भला क्या दूसरी औरत के लिए आवाज उठाएगी ? जैसे उसे खामोश रहना सिखाया गया है वो भी तो वही गुण आगे किसी को तो सिखाएगी ही !
अनाया की यही सोच उसे सुकून से रहने नहीं देती है यही सोच उसकी हर परेशानी का सबब भी है । अगर वो इतना सोचती नहीं तो तर्क नहीं करती , तर्क नहीं करती तो उसके साथ चाहे जो भी हो सब चुपचाप मान लेती और दूसरों को खुश रखती और खुद भी खुश रहती ।
लोगों के हिसाब से तो वो स्वार्थी है , सिर्फ अपना सोचती है, प्यार नहीं समझती कि किस चिड़िया का नाम है , बैठे बिठाएं मन के लड़के से शादी होने जा रही है तभी तो इतनी बड़ी-बड़ी बातें आने लगी है । जब किसी रिश्ते के लिए हाथ फैलाना पड़ता तब तो मालूम होता उसे कि उसकी ये बातें सिर्फ सुनने में अच्छी है , खुद पर आते ही सारी बातें हवा बन के उड़ जाती हैं और इंसान मजबूर हो जाता है उसके आगे जिससे वो प्यार करता है ,
उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता है , उसे पाने के लिए सब कुछ गँवा बैठता है । लेकिन इस लड़की को क्या दस साल का प्यार बिना मशक्कत के पति हो जायेगा कुछ दिन में ।
अनाया चाहती है की वो समाज के नही सिर्फ शिबू के बारे में सोचे । लेकिन ऐसा करना हर बार मुमकिन नहीं होता । लेकिन करना तो पड़ेगा ही अब क्योंकि शिबू के सिवा कोई बचा ही नहीं हैं उसके पास। घर तो नहीं कहेंगे लेकिन हाँ ये कमरा उसका अपना था उसे भी अब छोड़ दिया उसने ।
क्या करती भला अनाया भी घरवालों की शर्त थी या दो जिंदा रहो या शादी करो तो उसने जिंदा रहना चुन लिया । और नहीं तो क्या अपने पापा जैसे इंसान से शादी करना एक हिसाब से रोज ही घुट-घुट कर मरना होता वो भी अनजाने में । पहले अच्छा था मयंक लेकिन बढ़ती उम्र और शादी के फैसले के बाद वो भी उसके पापा जैसे होने लगा । तब अनाया को लगा की दुनिया के सारे मर्द किसी न किसी जगह पहुंच कर एक ही जैसे हो जाते है।
लेकिन वो सारी औरतों जैसी नहीं बन सकती थी अपनी माँ जैसी तो बिल्कुल नहीं , उनकी तरह का प्रेम, उनकी तरह का समर्पण , उनकी तरह की अन्धता …. नहीं वो अपनी माँ जैसी नहीं बन सकती शायद इसी की सजा मिली उसे और उसकी माँ ने साफ-साफ लहज़े में कह दिया या तो शादी कर वरना अपने कुत्ते को लेकर इस घर से निकल जा इससे पहले की तेरे पापा अपने साथ कुछ बुरा कर बैठें!
ये कहते हुए क्या माँ की आँखों में थोड़े भी आंसू थें? शिबू को गोद में बिठाएं बस से बाहर झाँक रही अनाया अभी भी ये जानना चाह रही थी । होंगे ! या नहीं भी हो सकते है क्योंकि माँ का मुँह तो दिवार की तरफ था हाँ गर्दन उसने जरूर ध्यान से देखी थी जिसमें से पापा के फिट किये हुए शब्द निकल रहें थें । Rebel girl (विद्रोही लड़की) ! जिससे उसके पापा बात करना पसंद नहीं करतें थें पता नहीं क्यों बात बे बात उनकी ही बातें उसी Rebel girl की जिंदगी में आती रहीं ।
लेकिन अब नहीं ….. अब वो विद्रोही होने के साथ-साथ आजाद भी है । एक लम्बी सांस लेते हुए उसने खिड़की पर अपना सर टिका दिया और बाहर की ताजी हवा पीने लगी । एक लम्बे वक्त के बाद शिबू भी उसकी गोद में गुमटी मारे चैन से सो रहा था ।
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