Sex education importance | A understanding love story

                            Sex education importance | A understanding love story 

डैडी..डैडी.… डाडा… ! एक लहर की तरह निया सोफे पर बैग फेंक कर अपने पापा को पूरे घर में इधर से उधर ढूंढने लगी। किचन में नहीं थें उसके पापा , निशांत तो उसकी चहक सुनकर ही कमरे से बाहर आ गया था मतलब उसके पापा वहाँ भी नहीं हैं ।

डैडी…. कहती हुई वो सीधा अपनी मम्मी पापा के बेडरूम की तरफ भागी । वैसे तो दोनों ही बच्चे उनके बेडरूम में नहीं जातें , ऐसा नहीं है कि उन्हें कोई मनाही है बल्कि निया निशांत भैय्या के साथ ही इतना बिजी रहती है और दोनों भाई-बहन अपने आपसी उत्पात से ही फुर्सत नही पातें थें । हाँ कभी-कभी भले ही निया कहानी सुनने के लिए अपनी मम्मा के पास जाती थी और वहीं सोती थी । अभी 4 साल पहले उसे निशांत के कमरे में शिफ्ट किया गया था जब वो 4 साल की थी ।

डा….डा ! उनके कमरे में वो अपने पिता को ढूंढने गयी थी लेकिन कुछ खिलौने देखें तो उसी में उलझ गयी ।

अरे ऐसी हथकड़ी तो अमिताभ बच्चन के पास भी है उस दिन जो टीवी पर मूवी आ रही थी उसमें पुलिस ने ऐसी ही हथकड़ी पहनाई थी उसे । उसने बेड के साइड में बंधी हथकड़ी को बड़े ध्यान से देखा फिर उसने अपने दोनों हाथ डाल दिए । अचानक से उसकी नजर बिस्तर के कोने पर पड़ी ।

लो डैडी ट्रीमर शायद बिस्तर पर ही भूल गएँ ,मम्मी देखेंगी तो गुस्सा करेंगी लाओ इसको छुपा दूँ । उसने हथकड़ी से दोनों हाथ निकाले और ट्रीमर को उठा लिया ,’ये कैसा ट्रीमर है इतना चिकना ,इसमें तो ब्लेड भी नहीं लगी कहीं। चारों तरफ से उसे घूर-घूर के देखने के बाद किसी के आने की आहट सुन निया फाटक से उसे तकिये के नीचे छिपाने लगी तब पाया की स्ट्रॉबेरी के कुछ पतले से पैकेट मिले उसे । उसने जल्दी से उन्हें अपने मुट्ठी में कर लिया।

कमरे में आयी किरण तो वैसे ही जम के रह गयी । इतने में पीछे से निशांत भी म्यूजिक सुनते हुए बड़ी धीमी चाल में आया लेकिन कमरे के अंदर आते ही उसकी स्पीड हजार हो गयी । हेडफोन को गर्दन पर कर वो एक सेकंड में निया के पास पहुंच गया और सबसे पहले तो वो मास्क हटाया जो वो अपने चेहरे को पहना रही थी । उसे अलग कर उसकी गोद से स्ट्रॉबेरी के पैकेट लेने की कोशिश की तो वो मुकर गयी ।

आपको क्यों दूँ? डैडी ये जरूर मेरे खाने के लिए लाएं होंगें। उन्हें पता हैं न कि स्ट्रॉबेरी मुझे कितनी पसंद हैं ।
इतनी देर में हिमेश भी वाशरूम से बाहर आ चुका था । आज पेट खराब होने की वजह से वो ऑफिस भी नहीं जा सका था । उसकी भी हालत सेम किरण जैसी ही थी या उससे खराब कहा नहीं जा सकता है। वो कुछ बोलने की कोशिश कर रहा था लेकिन शब्द ही नहीं निकल रहें थें मुँह से ,उसपर से किरण की आँखों में गुस्सा और नमी देखकर वो और भी ज्यादा डर रहा था।

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अगर तुमने ये मुझे नहीं दिए तो मैं जो बढ़िया ,रसीली लाल-लाल स्ट्रॉबेरीज लाया हूँ वो भी तुम्हें नहीं दूंगा ।
झूठ आप लाएं ही नहीं हैं।
लाया हूँ वो भी 2 किलो क्योंकि मुझे मालूम था हर बार की तरह इस बार भी तुम फर्स्ट आओगी तो तुम्हारे लिए पहले ही ले आया था ।
सच्ची ! लेकिन मुझे ये वाली भी खानी है।

पागल इसे बड़े लोग खातें हैं क्योंकि उनके दांत बड़े होते हैं और इसमे कोई स्वाद भी नहीं होता माउथ फ्रेशनर के जैसा है और माउथ फ्रेशनर वही यूज करता है जिसके मुहं में कीटाणु रहतें है। डैड ब्रश नहीं करतें तो मतलब तुम भी नहीं करती हो ?
छी: गंदे डाडा , मैं गंदी थोड़े हूँ । उसने बेड पर उन पैकेट्स को फेंकते हुए कहा । निशांत ने उसे अपनी पीठ पर लाद लिया और उसे कोई गीत सुनाता हुआ कमरे के बाहर लेकर चला गया।

उन दोनों के जाने के बाद कमरे में शांति तो थी लेकिन हिमेश जानतें है कि ये तूफान आने के पहले की शांति है । किरण की आँखों में सिर्फ शर्मिंदगी ही नहीं गुस्सा और आँसू भी भरे थें। ऐसा नहीं है कि हिमेश शर्मिंदा नहीं था पर वो डरा हुआ ज्यादा था बच्चों से नहीं किरण के गुस्से और उसके आँसू से ।
बेड के दो अलग-अलग किनारों पर बैठें थें दोनों पति-पत्नी, अपराधबोध से ग्रसित उनके चेहरे पीले और रुके थें । किरण किचन में काम कर रही थी लेकिन अब उसकी हिम्मत नही की वो कमरे से बाहर भी जा सके ।

sorry! हिमेश ने बोलने की पहल की।
sorry? ये जो बच्चों ने देखा है वो sorry बोलने से भूल जाएंगे। किरण लगभग चीख पड़ी ।
निया तो अभी छोटी है उसे क्या पता. …
और निशांत जो 16 साल का है वो भी तुम्हें छोटा लगता है ?
उसे मैं समझाने की कोशिश करूँगा ।

तुम बात भी कर पाओगे उससे कि समझाओगे ही !
यार तुम तो ऐसे भड़क रही हो जैसे सारी गलती मेरी ही है ।
हाँ तो बोल दो मेरी है । रात में देर से सोओ, सुबह जल्दी उठ के निया को रेडी करो , निशांत को ब्रेकफास्ट दो फिर तुम्हारे कपड़े इस्त्री करो फिर तुम्हारा टिफ़िन तैयार करो। उसके बाद भी तुम चाहते हो कि ये सब भी मैं ही ठीक करूँ? सिर्फ इस्तेमाल करने का काम आता है तुम्हें संभाल के ,छुपा के रखने का नहीं ?

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रख तो देता हूँ यार जब भी इनका यूज करता हूँ आज गलती से रह गएँ वैसे ही। मुझे क्या मालूम था कि बच्चे कमरे में आ जाएंगे।
मिस्टर हिमेश मिडिल क्लास फैमिली हैं हम कोई राजा-महाराजा नहीं जो बच्चों को कमरे में आने से पहले अपॉइनमेंट लेनी पड़े।
यार हो गयी गलती मान तो ली ।

ये गलती नहीं तुम्हारी लापरवाही है तुम इन सब को छुपा सकते थें , प्रोटेक्शन तकिये के नीचे रखना जरूरी था…
तो क्या चाहती हो तिजोरी में रखता बंद करके ताकि जब तक उसे निकलने जाऊं तब तक मेरी….
बस करो मैं तुमसे बहस नहीं करना चाहती । किरण ने अपना माथा कसके पकड़ लिया ।
अब से आगे से ऐसा कुछ भी नहीं होगा हमारे बीच बस । किरण ने अपना फैसला सुना दिया ।

यार तुम तो ऐसे कह रही हो कि मजा सिर्फ मुझको ही आता है तुम्हें तो कुछ अच्छा लगता ही नहीं ।
अच्छा लगता था लेकिन अबसे नहीं लगेगा । आज से तुम अलग कमरे में सोओगे और मैं यहाँ ।
यार ऐसी सजा भी मत दो तुम्हें मालूम है तुम्हें बाहों में भरे बिना मुझे नींद नहीं आती ।
आदत बदल लो ।

दोनों की बहस इसी तरह चलती रही दोपहर में मेड खाना खाने के लिए बुलाने आयी लेकिन दोनों ही अपनी जगह से न उठ सकें ,बर्फ के जैसे जमे बैठें रहें । मेड ने बच्चों को खाना खिला दिया।
मैं बच्चों से बात करके उन्हें समझाऊंगा ।
क्या समझाओगे ?
मैं… मैं बात कर लूँगा निशांत से ।

कैसे ? उसकी तैयारी कैसी चल रही है इंट्रेंस की ,पैसे की जरूरत , तबियत तक तो उसकी मुझसे पूछते हो तुम sex education पर जाओगे लेक्चर देने उसे ?
तुम साथ में चलना तो सब हो जायेगा ।
हाँ ताकि मुझे आगे खड़ा करके कह सको कि बेटा मम्मी को तुमसे कुछ बात करनी है ।

दोनों की बहस थोड़ी देर में खामोशी में बदल गयी और वो चुप होकर कमरे की दीवारों को ताकने लगें । दोनों बस यही सोच रहें थें कि निशांत उनके बारे में क्या सोच रहा होगा , कितना खराब फील हो रहा होगा उसे ये जानकर की उसके मम्मी-डैडी भी उलटे-सीधे काम करतें है । बच्चा होता तो बहलाया भी जा सकता था लेकिन वो किशोर था जो अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए कब का गूगल और नेटफ्लिक्स का सहारा ले लिया होगा । कौन बात करेगा उससे ? कैसे बुलाया जायेगा कैसे समझाया जायेगा? कहीं गुस्सा करने लगा तो ? कहीं बहुत सारे सवाल जवाब करने लगा तो ?

Fifty shades of grey …! किरण वो किताब कभी निशांत के हाथ तो नहीं लगी ? एकदम से माथे पर पसीना आ गया था हिमेश के ।
शायद नहीं , क्योंकि मेरी दोस्त बहुत दिन से Fifty shades of grey , Fifty shades of grey कर रही थी तो उसको दे दी थी।
चलो अच्छा हुआ लेकिन एक बात सोच रहा था मैं !
क्या ?

fifty shades of grey
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निशांत को वो बुक दे देते है पढ़ने के लिए वो खुद ही समझ जायेगा सब , बात करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी ।
तुम्हारा दिमाग़ खराब है ? अभी सिर्फ 16 साल का है वो सिर्फ 16 ! बात करतें है । खुद तो 40 के हो न तो बताओ जरा पढ़ते हुए तुम क्या-क्या महसूस कर रहें थें ? बड़े आएं किताब दे देते है।

इसके बाद फिर दोनो खामोश हो गएँ । खिड़की के बाहर शाम ढलती दिख रही थी , आसमान दूर तक काला होने लगा था लेकिन दोनों में से किसी ने उठकर लाइट नहीं जलाई । पैरों में इतनी ताकत नहीं थी की उठकर लाइट जलाई जा सके या बाहर बच्चों से आँखें मिलाई जा सकें ।

क्या मैं अंदर आ सकता हूँ! दरवाजे पर निशांत की आवाज गूंजी ।
हाँ… हाँ. .. आ , आ जाओ । जुबान लड़खड़ा गयी थी हिमेश की।
कमरे में आकर सबसे पहले उसने लाइट जलाई ।

आप दोनों को कोरोना हुआ है क्या जो इतनी दूर बैठें हैं पास में बैठिए । निशांत की आवाज में ऑर्डर था । हिमेश चुपचाप उठें और हाथ भर का गैप रख किरण के पास बैठ गएँ । किरण वहाँ से भाग जाना चाहती थी लेकिन नहीं कर सकती थी ऐसा उसके पैरो में इतनी ताकत नहीं थी।
आसिफ को जानते है आप लोग ? वो उन दोनो के बीच में बैठ गया।
हाँ , तुम्हारा दोस्त न जो घर भी आया है एक-दो बार !
हाँ वही ।

तो उसको क्या हुआ ? हिमेश ही शामिल थें निशांत की बातचीत में किरण खाली सुन रही थी ।
एक बार रेगुलर चेकिंग के दौरान उसके बैग से मॉनिटर को एक मैगजीन मिली प्लेबॉय समथिंग , एक पट्टा भी था और वही वो ट्रीमर जैसा गुलाबी रंग का ये सब कुछ निकला था । जिन्हें कुछ मालूम नहीं था वो जानने की कोशिश कर रहें थें और जिन्हें मालूम था वो उसका मजाक उड़ा रहें थें। आसिफ बहुत गिल्टी फील कर रहा था । बात क्लास टीचर तक पहुंची फिर प्रिंसिपल मैम तक ।

तो उन्होंने क्या किया उसके साथ स्कूल से निकाल दिया क्या ? अबकी किरण बोली ।
नहीं , उन्होंने 10th , 11th , 12th के सारे सेक्शन्स के स्टूडेंट की मीटिंग प्रेयर हॉल में बुलाया । फिर वो चैप्टर खोला जो कोई भी टीचर सही से नहीं पढ़ाता था – रिप्रोडक्शन !

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उन्होंने प्लांट्स से शुरु करते हुए ह्यूमन सेक्स ऑर्गन्स के बारे में बताया । ये पहली बार था जब हम लोगों को मैथ या इंग्लिश के महत्व के बजाय sex education के महत्व के बारे में बताया जा रहा था । प्यूबर्टी , पीरियड , मास्टरबेशन , मेजर बॉडी चेंजेस इन रिप्रोडेक्टिव ऑर्गन्स, सेक्स करने की सही उम्र , प्रोटेक्शन , प्रिकॉशन, पोर्न अवॉयडेंस , उसके देखने से माइंड और बॉडी पर पड़ने वाले बैड इफेक्ट्स , इवनदो उन्होंने हमें थोड़ी बहुत जानकारी sex toys पर भी दी ।

इसके बाद उन्होंने कहा की किसी गलत रास्ते पर जाने से अच्छा है किसी से सही रास्ते का पता कर लो । तुम लोग जो गूगल से आधा-अधूरा ज्ञान लेकर अप्लाई करने की कोशिश करते हो वो बिल्कुल भी सही नहीं है । इस उम्र में दिमाग़ में कई सवाल आतें हैं उन्हें Google या youtube पर खोजने के बजाय अपने पेरेंट्स से , टीचर्स से या किसी काउंसलर से पूछो ।

sex education को एक टैबू बना दिया गया है जो बिल्कुल ही गलत बात है । Rape , छेड़छाड़ , महिलाओं पर बढ़ता अत्याचार , मनोविकार , Porn addiction, युवाओं में अपने अंगों को लेकर हीन भावना जैसे कई और समस्याएं sex education को अवॉयड करने की वजह से ज्यादा बढ़ रहीं हैं। तुम लोग ये जिम्मेदारी उठाओ की किसी भी जिज्ञासा को शांत के लिए तुम लोग फोन का इस्तेमाल नहीं करोगे ।

पेरेंट्स अगर बात करने को न राजी हो तो आप लोग मुझसे अपने डाउट्स क्लियर करवा लेना । न खुद ऐसा करना है और न किसी को करने देना है , उसे sex education की इम्पोर्टेंस बतानी है। आप लोगों को बड़े होकर एक अच्छा नागरिक बनना है न कि रेपिस्ट , बीमार या अपराधी समझे ।

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अगले दिन आसिफ के पेरेंट्स सहित उन्होंने बाकी स्टूडेंट्स के पेरेंट्स को बुलाया था पर आप दोनों ही मामा के घर गएँ थें । उस दिन अगर आप लोग वो मीटिंग जॉइन कर पाते तो इस तरह एक दूसरे से गुस्सा होकर न बैठे होतें बल्कि मुझे sex education पर कोई लेक्चर दे रहें होतें ।

आप लोग जो करतें हैं उसके लिए किसी और को जाकर एक्सप्लेनेशन देने की कोई जरूरत नहीं है अगर आप दोनों खुश है उसमें तो फिर क्या गलत है इसमे । गलत तब होता जब एक ऐसा चाहता और एक नहीं । इसीलिए रिलैक्स होइए और मेरी और निया की फ़िक्र छोड़िए उसको मैं समझा लूँगा । बच्चों की वजह से मैरिड कपल को अपने सटिस्फैक्शन से कम्प्रोमाइज करने की कोई जरूरत नहीं है ।

हिमेश और किरण दोनों की आँखों में आँसू थें पता नहीं कब उनका नन्हा सा निसू इतना बड़ा हो गया कि उनको समझने और समझाने लायक हो गया । कितनी आसानी से उसने उनकी सारे दिन की टेंशन को हवा कर दिया था । दोनों ही उसके चेहरे की तरफ बड़े गौर से देख रहें थें ।

मुझे देखना बंद कीजिये और एक दूसरे के गले लगकर sorry बोलिये उसके बाद….एक प्यारी सी छोटी सी किस्सी दीजिये एक दूसरे को । तब तक मैं कुछ स्नैक्स वगैरह तैयार करता हूँ जाकर । सुबह से भूखे हो आप दोनों । निशांत उठने ही वाला था कि उसे उन दोनों ने कसके गले लगा लिया वो भी उन दोनों से लिपट गया ।

मैं चाय बना रहा हूँ फटाफट आ जाइएगा ज्यादा देर लगी तो मैं खुद आ जाऊंगा वो भी बिना नॉक किए । कमरे से बाहर जाते वक्त जब निशांत ने ये कहा तो दोनों के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कुराहट तैर गयी ।
sex education is as important as other educations .

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