Sweet boy fall in love with mysterious girl part- 2
नीतिका ने जाने से पहले दीप को उसकी mysterios girl के होश में आने की खबर दे दी थी । ये बात सुनकर दीप खुश तो हुआ लेकिन इतनी हिम्मत नहीं जुटा सका कि उसे देखने जाएं। क्या ही पता वो तुरंत बिस्तर से उठकर कुछ मार ही दे उसे ? इस वक्त तो उसका बिस्तर से हिलना भी उसे बहुत नुकसान कर जाएगा । इन सब बातों को ध्यान में रखकर दीप वहाँ न जाने का निर्णय लेता है ।
mysterious girl के लिए पतली सी मूंग की खिचड़ी , सूप और अनार का जूस बनाकर नर्स को बाहर ही बुलाकर दे देता है । “कह देना कि आपने बनाया है, मेरा बनाया खाएंगी नहीं वो। “उसे एक बार देखने की इच्छा तो हो रही थीं लेकिन उनके परिणाम सोचकर वो चुपचाप चला आया।
सारे दिन की थकान के बाद दीप को बिस्तर पर लेटते ही नींद आ गई । लेकिन नींद आतें ही उसे बड़ा भयानक सपना आ गया जिसमें mysterious girl चाकू लेकर उसकी गर्दन काटने की कोशिश कर रही थीं। वो हड़बड़ा कर उठा और पानी पीने लगा तब उसे थोड़ी शांति महसूस हुई।
दोबारा बिस्तर पर लेटते ही mysterious girl की एक बात उसे याद आ गई ।… “तुमको भी मार दूंगी।..” भी ? मतलब क्या है इसका ? क्या उसने किसी को सच में मारा है ? अगर मारा न होता तो “भी” कहने की क्या जरूरत थी ? जरूर किसी न किसी को तो मारा है इस लड़की ने तभी तो सबसे छुप कर यहाँ अकेले रहती है। तब तो वो मुझे भी मार कर कहीं और भी जाकर छिप सकती है ? Oh God! Please help . दीप के चेहरे पर पसीना आ गया था ।
लेकिन किसी को मारने के पीछे कोई वजह भी तो होगी , ऐसे ही कोई किसी को थोड़े मार देगा ? क्या ही पता ! मुझे इतना नहीं सोचना चाहिए जितना एक इंसान के नाते मुझे करना था मैने किया अब उससे बच कर रहूंगा। उसके ठीक होने के बाद उसके फ्लैट में नहीं जाऊंगा, बाहर मिलेगी तो हाल पूछ लूंगा वरना कोई संबंध नहीं रखूंगा उससे। यही सब सोचते-सोचते उसे दोबारा नींद आ गई।
दोपहर के समय दीप केवल एकबार के लिए नीतिका के साथ mysterious girl के कमरे में गया । नीतिका तो उसके बेड के पास तक गई लेकिन वो वहीं दरवाजे पर रुक गया।
तुम भी अंदर आ जाओ । नीतिका ने उसे अंदर आने को बोला तो उसने हाथ के इशारे से बोल दिया कि वो वहीं ठीक है ।
कैसी हो आरोही ? अभी कैसा फील हो रहा है ? एक प्लेट में नीतिका संतरे छिल कर रखने लगी ।
ठीक हूँ। उसने लेटे हुए ही जवाब दिया ।
मैं खाना लेकर आईं हूँ, निकाल दूँ थोड़ा सा खा लो ?
आप इतना क्यों कर रहीं हैं मेरे लिए ? मैं कर लूंगी धीरे धीरे ।
हाँ मगर पहले ठीक तो हो जाओ तब करना।
नीतिका फ्रूट्स काटने के बाद खाना निकालने लगी। आज भी खाना दीप ने ही बनाया था । दरवाजे के पास खड़े खड़े ही वो आंख बचाकर आरोही को देख लेता था ,जितनी बार आरोही ने उसे अपनी तरफ देखते हुए देख लिया उतनी ही बार कभी घड़ी, कभी जूते तो कभी छत देखने लगता था।
उस दिन के बाद से दीप mysterious girl से मिलने नहीं गया । नीतिका भी 2 ही दिन आई और नर्स को भी 5 ही दिन में आरोही ने अपने फ्लैट में रहने से मना कर दिया। उसके इस फैसले से दीप को उसकी फिक्र तो हुई लेकिन बात करने जाने की हिम्मत नहीं हो पाई। दूध वाले ने भी दूध रखना बंद कर दिया था अब।
3 दिन ऐसे ही बीत गएं न फ्लैट से कोई शोर सुनाई दिया और न mysterious girl ही बाहर आते दिखी। तब दीप ने हिम्मत करके एक नोट दरवाजे के नीचे से सरका दिया। Do you need any help ? तीसरे दिन के नोट का जवाब उसे चौथे दिन सुबह मिला ।
No. जवाब बहुत छोटा था लेकिन दीप बहुत ज्यादा खुश हो गया कि चलो कोई जवाब तो दिया कम से कम ।
उसने फिर से एक note लिखकर अंदर सरका दिया “तबियत कैसी है अब ? किसी चीज की जरूरत हो तो लिखना।” इसका भी जवाब उसे शाम तक मिल गया – “ठीक हूँ अब , Ok.” पहले की तरह ही संक्षिप्त जवाब लेकिन फिर भी राहत देने वाला। दीप इसी बात से खुश था कि अब वो ठीक है तभी तो दरवाजे तक उठकर आ पाती है ।
उसके बाद दो दिन ऐसे ही गुजर गएं बिना नोट्स के आदानप्रदान के। तीसरे दिन पहली बार ऐसा हुआ कि mysterious girl के दरवाजे से कोई note सरक के इधर आया। ये देखकर दीप की खुशी का तो कोई ठिकाना ही न रहा । ‘चलो उसने अपनी तरफ से भी कोई पहल की बातचीत की ।’ Note पर जो लिखा हुआ था उसे पढ़कर दीप को कुछ खास अच्छा नहीं लगा।
– “मेरे ट्रीटमेंट में कितना खर्चा हुआ है तुम्हारा? बता दो मैं वापस कर दूंगी ।” वो वहीं खड़ा थोड़ी देर उसे उलटता पलटता रहा , सोचता रहा कि क्या जवाब दे। फिर पेन निकाल कर -” बाद में देखते हैं” लिखकर वापस से अंदर सरका दिया और वापस अपने कमरे में आ गया।
दीप को उम्मीद थी कि वो उसके notes के जवाब में कुछ लिखे इसीलिए वो उसके दरवाजे के आसपास 3- 4 बार गया लेकिन उसे कुछ भी नहीं मिला । दिन ऐसे ही गुजरने लगे । दीप किसी पार्टी में जाने से पहले एक बार उसका दरवाजा चेक करके जाता और वापसी में भी एक बार थोड़ी देर के लिए उसके दरवाजे के पास खड़ा रहता।
दीप की लाइफ अब पहले जैसे नॉर्मल होने लगी थी। दोस्तों के साथ मस्ती , कॉफी , DJ और जिस दिन ये सब न करता तो कमरे में ही बैठ कर music mix किया करता है। हाँ इन दिनों उसे एक नई आदत भी लग चुकी है डायरी लिखने की जो उसे कंपनी की तरह लगती है।
लेकिन शायद mysterious girl आरोही की जिंदगी अभी तक नॉर्मल नहीं हो पाई है। पिछले दो दिन से तो उसके कमरे से कभी बर्तन , कभी पानी तो कभी कुछ और गिरने की आवाज आती रहती है । दीप को थोड़ी फिक्र हुई तो उसने जाकर दरवाजा भी खटखटाया एक दो बार लेकिन “सब ठीक है।” का जवाब सुनकर वापस आ गया । ज्यादा कुछ पूछने की कोशिश करो तो कोई जवाब भी नहीं देती है वो ।
शाम के वक्त जब वो अपनी बालकनी में बैठा कॉफी पी रहा था तभी उसे बेल बजने की आवाज आई।
साले, एक दिन भी सुकून से बैठने नहीं देंगे । दीप अपने दोस्तों को कोसता हुआ दरवाजा खोलने चला गया।
तुम लोग मुझे आवारा ही बनाकर….. तुम ? मेरा मतलब आप ! कोई काम था ? आइए अंदर आइए , मैंने सोचा मेरे दोस्त होंगे। सामने आरोही को देखकर दीप थोड़ा नर्वस हो गया। आरोही कुछ नहीं बोली चुपचाप अंदर चली आई।
आइए बैठिए , कुछ लेंगी आप ? चाय , कॉफी या ठंडा । भूख…. लगी है । आरोही ने दरवाजे के पास से सर झुकाए हुए धीमे से जवाब दिया।
क्या ..! अरे हाँ क्यों नहीं । बताइए क्या खाएंगी आप ? दीप ने आरोही को ध्यान से देखा। लंबा सफेद शर्ट और बेलबॉटम जींस पहने हुई थी । लेकिन जींस का एक साइड घुटने तक से फटा हुआ था । शायद उसने घुटने की चोट को रगड़ से बचाने के लिए अपने घुटने के पास से जींस काटी थी। शरीर पीला लग रहा था और चेहरा सूखा हुआ । दोनों हाथ पीछे करके वो किसी मुजरिम की तरह खड़ी थी।
कुछ भी … !
Ok ! मैं लाता हूँ कुछ। दीप किचन में जाने को हुआ लेकिन कुछ सोच के रुक गया।
एक काम कीजिए आप खुद ही फ्रिज में देख लीजिए चलके आपको जो खाना हो । मैं आपसे दूर खड़ा रहूंगा।
किचन से कुछ ब्रेड और जैम निकाल कर आरोही ने डाइनिंग टेबल पर रखे । ब्रेड को दोनों हाथों में पकड़ के खाने से पहले उसने कोई छोटी सी चीज टेबल पर रखी। दीप गर्दन थोड़ी ऊपर उठाकर उस चीज को देखने की कोशिश करने लगा। वहाँ एक छोटी सी, प्यारी सी खूबसूरत सी दिखने वाली knife थी ।
Ohh God ! वो अपने हाथ से माथे को खुजाने लगा। दीप को चाकू की तरफ देखता देख कर आरोही को थोड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई , उसने चाकू फिर से अपने हाथ के नीचे छुपाने की कोशिश की। 5-7 ब्रेड जो पैकेट में थें उन्हें खा लेने के बाद आरोही एकदम शांत बैठ गई थी। उसकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी कि वो दोबारा कुछ खाने को मांगे। उसने चेहरे के भावों पर ध्यान जाते ही दीप खुद को नॉर्मल करते हुए बोला ।
आप और भी जाकर ले सकती हैं।
आपको कम पड़ जाएगा ।
कोई बात नहीं मैं दोबारा ले आऊंगा अभी वैसे भी दोस्तो के साथ बाहर निकल जाऊंगा तो यहाँ कुछ खाऊंगा भी नहीं। उसकी बात सुनकर आरोही पहले तो कुछ सोचती हुई बैठी रही फिर जल्दी-जल्दी लंगड़ाते हुए किचन में घुस गई।
दही, बटर, जैम और सुबह की रोटी एक थाली में निकाल कर डाइनिंग टेबल पर रख गई और फिर किचन में घुस गई। दीप ने उसे कुछ बोला नहीं बस अंदर झांक के देखने की कोशिश करने लगा। थोड़ी ही देर में वो एक बास्केट में जूस , फ्रूट्स , बन , दूध , आइसक्रीम और रात का बचा हुआ केक … सब कुछ एक ही में भर कर ले आई।
दीप समझ गया कि उसकी फ्रिज में कच्ची हरी सब्जी के अलावा कुछ भी नहीं बचा है । सब कुछ टेबल पर रख के वो जल्दी जल्दी प्लेट में रखा हुआ खाना खत्म करने लगी ।
Can I ask you something? दीप ने बातचीत शुरू करने की कोशिश की।
हाँ।
तुम्हारा घाव अभी भी सही नहीं हुआ है तो तुम शॉर्ट्स क्यों नहीं पहनती ? ये पैंट, जींस वगैरह तो तुम्हारे घाव को और बढ़ाते होंगे।
मेरे पास शॉर्ट्स है नहीं ।
हैं नहीं ..! मुंबई की लड़की के पास शॉर्ट्स नहीं है ? दीप ये सोचकर हैरान रह गया लेकिन हैरानगी जाहिर नहीं होने दी।
तो तुम्हें खरीद लेना चाहिए , ऑनलाइन तो कितने ज्यादा ऑप्शंस रहतें है । तुम मार्केट नहीं जा सकतीं हो इसीलिए ये ऑप्शन बढ़िया है तुम्हारे लिए।
अभी पैसे नहीं हैं मेरे पास । उसने कुछ भारी आवाज में कहा। फिर मैं शॉपिंग एप भी नहीं चलाती कोई भी ।
क्या..! ये दूसरी हैरानी की बात थी और इसे भी दीप को हजम करना पड़ा।
एक और बात पूछे अगर बुरा न मानो तो ?
पूछो ।
वैसे तुम काम क्या करती हो ? I mean लगभग दो हफ्ते से तो तुम काम पे नहीं जा पाई हो अपने तो…
एक बुटीक के लिए कपड़े डिजाइन करती थी। हफ्ते भर में जाकर सभी डिजाइन दे देती थीं बदले में वो कुछ रुपए दे देते थें मुझे । अबकी न ज्यादा डिजाइंस ही बना सकी और न उन्हें देने ही जा सकी इसीलिए उन्होंने किसी और को रख लिया । आरोही ने पानी पीते हुए अपनी आवाज के दर्द को छुपाने की कोशिश की ।
कुछ रुपए में ? तुम्हें पता है डिजाइंस लाखों में खरीदे बेचे जाते है ।
पता है ।
पता है फिर भी तुम इतना सस्ता सौदा क्यों कर रही हो अपने टैलेंट का ?
क्योंकि वहीं एक जगह थी जहाँ मुझे रोज रोज बाहर निकलने की कोई जरूरत नहीं थी। मैं घर पर बैठे बैठे ही अपने जीने भर के पैसे कमा सकती थी।
Like seriously ? तुम अपने कंफर्ट जोन के लिए अपने सपनों को मार रही हो , कितनी चिपकू हो तुम। दीप की आवाज गुस्से में हल्की तेज हो गई लेकिन अगले ही पल उसने अपनी टोन धीमे करने की भी कोशिश की।
आरोही ने कुछ नहीं बोला बस एक बार उसकी तरफ देखा और फिर अपने हाथ धोने लगी प्लेट में। प्लेट को किचन में लेकर अच्छे से साफ करके रख दिया और वापस आकर बास्केट को ताकती हुई खड़ी हो गई।
क्या मैं ये सब ले जा सकती हूँ? जैसे ही मुझे दूसरा काम मिलेगा मैं सुपरमार्केट से ये सारी चीजें लाकर दे जाऊंगी। दरअसल मेरे पास अभी खाने को कुछ भी नहीं बचा है। मैंने पहले से ही दो दिन से कुछ नहीं खाया था अभी अगर कुछ दिन और भूखा रहना पड़ गया तो मुझे लगता है मैं मर जाऊंगी ।
क्या…! दीप के चेहरे पर घिन , गुस्से , दया ,ममता.. से मिलेजुले कुछ भाव एक ही लय में तैर गएं। उन भावों को काबू करते हुए वो बोला – हाँ ले जाओ लेकिन वापस करने की कोई जरूरत नहीं है । और कुछ भी चाहिए हो तो बताना । अपनी पैंट की जेबों में हाथ किए हुए वो mysterious girl को दरवाजे तक छोड़ने आया ।
आरोही की बातें अभी तक उसके दिमाग में नाच रहीं थीं जबकि वो बिल्कुल भी उस बारे में सोचना ही नहीं चाह रहा था । जब दिमाग किसी भी तरह काबू में न आया तो वो बैठ कर गिटार बजाने लगा लेकिन यह भी एक अस्थाई समाधान था । गिटार से भी उसे कुछ राहत न पहुंची तो उसने अपने दोस्तों को कॉल करके कुछ “पीने” का अरेजमेंट कराने का बोल कर फ्लैट से निकल गया ।
ड्रिंक्स करने के बाद सारी रात वो पंकज के घर में ही पड़ा रहा । सुबह जब उसकी आँख खुली तो काफी relax महसूस हो रहा था उससे ।
तू इतना टेंस क्यों रह रहा है आजकल ? घर वाले तुझे फोन करके फिर से परेशान करने लगें क्या ? बार्को ने उसके लिए कॉफी बनाते हुए पूछा।
नहीं यार ऐसा कुछ नहीं है ।
तो किस चीज की टेंशन है तुझे भाई ? काम तो तेरा एक नंबर चल रहा है ।
दिक्कत कोई नहीं है तू बस कॉफी पिला।
कहीं आरोही ने तो फिर से कुछ….
नीतिका की बात पूरी होती इससे पहले ही दीप ने उसे टोक दिया ।
शट अप यार नीतू कहीं भी कुछ भी एड कर दोगी क्या ?
आरोही कौन ? इसकी नई गर्लफ्रेंड ? पंकज ने अखबार झुका कर अपने कान उठा लिए ।
नहीं वो mysterious girl .
वहीं मर्मिड न जो हर समय अपने फ्लैट में ही बंद रहती है। मिनी ने कन्फर्म करना चाहा कि आरोही , mysterious girl और मर्मिड तीनों एक ही हैं।
शांत रहो बाद में बताती हूँ न । नीतिका ने सबको चुप रहने का इशारा किया लेकिन तब तक बात बिगड़ चुकी थी।
एक काम करों तुम लोग यहाँ बैठ कर उसका नामकरण करो मैं जा रहा हूँ। गुस्से में दीप वहाँ से निकल गया । पीछे से सब उसे रोकते रहें लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। आरोही की बातों से ही दूर भागने गया था लेकिन उसके दोस्तों ने भी उसी की चर्चा छेड़ दी।
रास्ते भर दीप को दो ही चीजें नजर आईं एक सुपरमार्केट और दूसरा शॉपिंग मॉल । ऐसा नहीं है कि ये सब रात ही रात में बनकर खड़े हो गएं हैं। ये सब वहां सालों से है पर दीप का ध्यान आज ही जा रहा है । “मुझे कुछ नहीं चाहिए और किसी को चाहिए होगा तो वो खुद आकर ले आएगा। मुझे किसी के लिए फ्लेक्सिबल होने की कोई जरूरत नहीं है ।” कहते कहते कॉलोनी तक पहुंचने से जस्ट पहले आखिरकार वो एक शॉपिंग मॉल में चला ही गया।
आरोही के दरवाजे पर सारा सामान रखते हुए उसने एक नोट दरवाजे के अंदर सरका कर बेल बजा दी और अपने कमरे में चला गया।
उसके दोस्तों ने आज जो भी कुछ कहा उस बात से उसके अंदर कुछ अजीब से खयाल आने लगे थें आरोही और खुद को लेकर । “वो अजीब सी है psychopath जैसी मुझे उसकी जरा भी फिक्र नहीं है न ही मैं उसे लेकर टेंस हूँ ” उसने खुद से कहा। यही बात रात सोने तक खुद से दोहराता रहा । “मैंने जो भी किया एक पड़ोसी के नाते किया बस। ऐसी लड़की तो मेरी दोस्त भी बनने लायक नहीं है गर्लफ्रेंड तो….जरा सा तो भरोसा नहीं कर सकती मुझपर , इतनी बड़ी तो शक्की है।” यही सब सोचते सोचते दीप को नींद आ गई।
रात की बातें सुबह सपनों की तरह धुंधली पड़ चुकी थीं और वो उठते ही सीधे आरोही के दरवाजे पर खड़ा था। जैसा कि उसने सोचा था एक नोट सरका हुआ था बाहर की तरफ। “Thanks for everything. ” नोट को देखकर वो हल्के से मुस्कुराया फिर पेन निकाल कर उसपर “Welcome ” लिख के वापस अंदर सरका दिया।
दिन में वो जितने काम करता उसमें एक बार आरोही की याद जरूर आती जब उसकी याद आती तो मन करता की कोई नोट लिखकर दरवाजे से सरका दे ” कॉफी पीने चलेगी।” पर जवाब में उसे” No” ही लिखा मिलेगा यही सोचकर उसने कुछ भी नहीं लिखा। बल्कि अपने को ज्यादा बिजी रखने के लिए वो अपने अपने काम पर ज्यादा फोकस करने लगा ।
शाम से लेकर सुबह चार बजे तक अलग-अलग जगहों पर परफॉर्म करता और सुबह होते ही अपने कमरे में सो जाता । तीन दिन से उसका यही रूटीन था । उसके दोस्तों ने जब उससे मिलने की जिद की तो वर्कलोड का बहाना बनाकर मिलने से मना कर दिया।
उसकी गुस्सा सिर्फ नीतिका से थी वो भी बेवजह की वो ये बात जानता है लेकिन फिर भी वो गुस्सा दिखा रहा है वो भी सारे दोस्तों पर । कौन जाने खुद पर भी यही गुस्सा निकाल रहा हो !
नीतिका दीप से बात न हो पाने की वजह से परेशान था उसपर से बाकी दोस्तों ने जिद पकड़ के रखी थी कि उन्हें mysterious girl से एक बार मिलना ही है । फिर सबका प्लॉन ये बना की दीप के फ्लैट पर जाकर पहले उसे मनाएंगे फिर आरोही को बुलाकर सब छोटी सी पार्टी करेंगे ।
2 बार बेल बजाने पर जब दीप ने दरवाजा नहीं खोला तो सभी समझ गएं कि वो सो रहा होगा। तब नीतिका ने जाकर आरोही के दरवाजे की बेल बजाई उधर से भी कोई रिस्पॉन्स नहीं आया। उसने उसके फ्लैट की दूसरी चाभी से जो दीप ने आरोही की बीमारी के समय दी थी, उसी से दरवाजा खोलकर अंदर चले गएं।
आरोही ..! नीतिका ने आवाज लगाई।
यार सुबह से दोपहर हो गई भूखे ही घूम रहें हैं। पंकज ने कहा।
मैं किचन में से कुछ लाती हूँ खाने को तुम लोग बैठो तब तक । नीतिका अंदर चली गई।
पंकज और बार्को घूम घूम कर कुछ mysterious तलाश करने में जुटे थें तब तक आरोही कमरे से निकल कर हॉल में आ गई और उन्हें देखते ही चीख पड़ी। उसके बाल भीगे हुए थें शायद वो शॉवर ले रही थी। वो भी उसे देखकर पहले तो डरे लेकिन फिर उससे फ्रेंडली होने की कोशिश की।
तुम तो वाकई में बहुत खूबसूरत हो । बार्को ने अपना हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ाया।
दूर हटो … मेरे घर से चले जाओ दोनों लोग ।
रिलैक्स हम आपसे ही मिलने आएं हैं । पंकज उसके करीब जाने लगा।
मार दूंगी तुम लोगों को मैं । यहाँ से चले जाओ वरना…
दोनों उसकी खूबसूरती देखकर मंत्रमुग्ध थे लेकिन उन्हें सम्भल कर भी रहना था ।
थोड़ा कुछ खा ले फिर तो जा ही रहें हैं DJ के फ्लैट पर । दरअसल वो अभी सो रहा है तो हम तीनों यहाँ आपके फ्लैट…
कौन DJ? क्या करने आएं हो तुम तीनों यहाँ? उसने अपने हाथ में फ्लॉक्स उठा लिया ।
देखिए अगर आप मजाक कर रहीं हैं तो बहुत बुरा मजाक है ये । इसे वापस रख दीजिए ।
हम सिर्फ आपको देखने , आपसे बात करने और… आरोही ने पूरी ताकत से फ्लॉक्स उन दोनों की तरफ फेंका । वो दोनों तुरंत नीचे झुक गए । कांच के टूटने की आवाज नीतिका तक पहुंची तो वो हॉल में पहुंची । लेकिन तब तक आरोही फ्लैट से भाग चुकी थी।
दीप को लगा कि कोई उसका दरवाजा तोड़े डाल रहा है। वो उठकर भागता हुआ दरवाजे तक पहुंचा और दरवाजा खोलते ही…. आरोही रोते हुए उसके सीने से लिपट गई।
मुझे बचा लो please !
क्या हुआ क्या बताओगी ? दीप पहले तो हिचकिचाया फिर उसने भी उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
वो लोग रेप करने आएं है मेरा … उन्हें मार कर भगा दो वरना मैं उन्हें भी मार दूंगी … मैं मार … सबको मार… दूंगी। आरोही की आवाज टूटने लगी और वो दीप की बाहों में ही बेहोश हो गई।
कौन लोग ? उसके चेहरे को ऊपर की तरफ करके देखा।
सच में अजीब है यार ये। नीतिका आ गई है बार्को और पंकज के साथ ।
तुम लोग यहाँ ?
तुमसे मिलने आएं थें तुमने दरवाजा नहीं खोला तो इनके फ्लैट में गएं और ये सब हो गया।
क्या जरूरत थी तुम्हें वहाँ जाने की जब जानती हो कि उसे लड़कों से डर लगता है ।
लड़कों से… लेकिन तुमने तो बताया था कि इसे भीड़ से डर लगता है ।
हाँ क्योंकि पहले मुझे भी नहीं पता था न। तुम दोनों ने इसके साथ कुछ किया है क्या ?
नहीं , बस हमने बात करने की कोशिश की और इन्होंने हम पर फ्लॉक्स फेंक दिया।
सच में बहुत mysterious है ये ।
Please तुम लोग अभी यहाँ से जाओ । बेहोशी में भी आरोही का शरीर कांप रहा था दीप की मजबूत पकड़ के बावजूद। उसकी आंखों में आँसू आ गएं थें जिन्हें वो अपने दोस्तों से छिपाना चाहता था ।
दीप आरोही को जाकर अपने बिस्तर पर लिटा देता है । अभी तक जितने भी सवाल उसके मन में उठें थें उनके जवाब आज अचानक ही सामने भी आ गएं और जवाब भी ऐसा की उसने सोचा तक भी नहीं था। उसे लिटाने के बाद दीप सीधा बाथरूम में चला गया । वहाँ बैठकर वो तब तक रोता रहा जब तक उसका दिल हल्का नहीं हो गया।
शाम तक भी आरोही उठी नहीं थी ।दीप उसके उठने का इंतजार करते हुए स्नैक्स बनाने लगा था , उसके बाद उसने रात के खाने की तैयारी भी शुरू कर दी थी । लेकिन लाइट चली जाने की वजह से उसे अपना काम रोकना पड़ा । अपने फोन की फ्लैश लाइट जला कर वो आरोही को देखने गया।
गर्मी लगने की वजह से उसने चादर को अलग फेंक दिया था । दीप उसके पैरों के पास बैठ गया था। उसने वही फ्रॉक पहन रखी थी जो दीप लाया था । फ्रॉक से उसके घुटने साफ दिख रहें थें क्योंकि वो हल्की ऊपर चढ़ गई थी।
दीप ने आहिस्ते से उसके घुटनों को छूकर देखा। घाव काफी कम बचा था , सूजन तो बिल्कुल भी नहीं थी। इतनी देर में उसका ध्यान सिमटी हुई फ्रॉक पर भी चला गया। उसने फ्रॉक को अपनी दो उंगलियों से पकड़ कर नीचे खींचने की कोशिश ही की थी बस कि एक हवा के झोंके की तरह उठकर आरोही ने तड़ाक.. से एक थप्पड़ रसीद दिया दीप के गालों पर। उसका सर पूरा घूम गया और वो अपने चेहरे को हाथों से पकड़े थोड़ी देर उसी तरह बैठा रह गया।
आरोही भी सिमट के बेड के कोने में जाकर चीखने लगी –
दीप ! कहाँ हो तुम ? दीप ।
यहीं पर … दीप वहां से उठ गया । फोन बिस्तर पर ही पड़ा रहा और वो अंधेरे में ही बाहर निकल गया।
THANKS FOR READING
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