Sweet boy fall in love with mysterious girl part 3

Sweet boy fall in love with mysterious girl part 3

लाइट आने पर जब वो खाना लेकर कमरे में आया तो आरोही को रोता हुआ पाया।
रो क्यों रही हो ? उसने खाना साइड में रख दिया
Sorry मुझे लगा कि वही दोनों आदमी होंगे।

कौन पंकज और बार्को ! वो दोस्त है मेरे । नीतू के साथ गएं थें तुमसे मिलने क्योंकि मैं सो रहा था । नीतू भी किचन में कॉफी बनाने चली गई इसीलिए तुमने उन्हें misunderstood कर दिया। जिस तरह तुम मेरे साथ भी कई बार कर चुकी हो । शायद तुम्हें मर्दजात से ही कोई नफरत है । दीप ने इस तरह बात को खत्म किया कि आरोही कुछ बोले लेकिन उसने अपनी गर्दन और नीचे कर ली ।
Sorry. फिर से सिर्फ इतना ही बोला । उसे बोलते न देखकर दीप ने खुद बोलना शुरू कर दिया।

जानती हो ! मेरे घर का माहौल बहुत टॉक्सिक था। पापा बाहर एक चक्कर चलाते थें तो मम्मी भी किसी के साथ निकल जाती थीं। रोज शाम को मारपीट , गाली – गलौच। धीरे-धीरे मुझे लगने लगा कि सबके पेरेंट्स ऐसे ही होते है।स्कूलिंग खत्म करके मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया तब तक मेरे पेरेंट्स रोज मेरे पास फोन करके एक दूसरे को कोसा करतें थें।

फिर इन लोगों से मुलाकात हुई फिर इनके पेरेंट्स से भी मिला। जब उन्हें देखा तो लगा कि ये किस दुनिया में आ गया हूँ। वो अपने बच्चों से प्यार करतें थें , उनकी जिद पूरी करतें थें । ज्यादा देर हो जाएं तो फोन करके हाल पूछते थें और एक दूसरे को भी बहुत इज्जत देतें थें।

मुझे भी नीतिका , संतोष, पंकज इन सब के पेरेंट्स ने अपने बेटे की तरह रखा तो लगा कि नहीं सारे पेरेंट्स एक जैसे नहीं होतें। दुनिया बहुत अच्छी है आरोही बहुत अच्छी लेकिन इसमें बुरे लोग भी तो होंगे ही न वरना हमें अच्छाई का पता कैसे लगेगा। जिस दिन से मुझे ये बात पता चल गई उस दिन से मैंने अपने पेरेंट्स से बात करना बिल्कुल कम कर दिया। दीप की आंखों से आँसू निकल आएँ थें। आरोही ने चादर का एक कोना उसकी तरफ बढ़ा दिया ताकि वो अपने आँसू पोंछ सके।

…और तुम अपने पेरेंट्स के बारे में कुछ बताओ ।
हैं ही नहीं । मैं तो अपनी दीदी के साथ रहती थी। अब उनसे भी कोई संपर्क नहीं है।
क्यों ?

मेरे जीजा जी को नहीं पसंद कि वो मुझसे कोई संपर्क रखें । मुझसे चोरी से बात करतीं थीं इसीलिए ब्लॉक कर दिया उन्हें।
तुम्हारे जीजा को भला क्या दिक्कत हो रही है तुमसे? उसके सवाल पर आरोही बिल्कुल चुप हो गई, उसकी हेजल आँखें फैल कर बड़ी हो गईं थीं। उसे कंफर्ट कराने के लिए दीप उसके पास खड़ा हो गया।
देखो डर से सामना करोगी तो डर भी डर कर भाग जाएगा। उसके पास खड़े होने पर आरोही ने उसके चेहरे की तरफ ताका और वापस से सर नीचे कर लिया ।

आरोही… तुम बता सकती हो मुझे । मैं तुम्हें जज नहीं करूंगा, अगर तुम बता सको तो।  क्योंकि दर्द बांटने से ही कम होता है । आरोही ने सर झुकाए हुए ही बोलना शुरू किया।

17 साल की थी मैं, आसपास के बच्चों को कराटे सिखा कर अपनी फीस निकाल लिया करती थी। सोचती थी एक दिन या तो कराटे ट्रेनर बनूंगी या फैशन डिजाइनर… लेकिन कुछ भी नहीं बन पाई। ज़िंदगी में एक दिन रात आई और वो फिर कभी गई ही नहीं । चारों तरफ सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा बिखर गया नजरों के सामने । आरोही सुबकने लगी थीं।

बताती रहो, दर्द कहने से दिल हल्का होता है , हौसला मिलता है। मैं यहीं खड़ा हूँ न तुम्हारे पास ।

पड़ोस की 7 साल की बच्ची को कराटे ट्यूशन देती थी। रोज की तरह उस दिन भी गई थी लेकिन घर पर कोई नहीं था ,नौकरानी थी सिर्फ । उसने मुझे देखा तो पानी लेने चली गई मेरे लिए । उसने मुझे बताया कि सब एक शादी में गएं हैं सुबह तक आयेंगे। पानी पीने के बाद मैं जाने लगी तो उस लड़की का बड़ा भाई किचन से निकला और मुझे थोड़ी देर बैठने को बोला। लेकिन मेड ने बोला कि वो ज्यादा देर नहीं रुक सकती इसीलिए मैं भी उसके साथ निकल चलू क्योंकि उसे घर में ताला डालना था ।

ताला मत डालो मैं तो हूँ ही यहाँ। सब गएं ही हैं शादी में तो मुझे जाने की क्या जरूरत। आप आराम से जाओ । फिर मुझपर चोरी मत लगाना अगर कुछ गायब हो जाएं तो। बड़बड़ाते हुए मेड चली गई थी। मैं भी जाने को उठी तो मुझे चक्कर आ गएं। मैं लड़खड़ाई तो उसने मुझे संभाल लिया और बोला कि वो मुझे पसंद करता है। मैंने उसे पुश करने की कोशिश की लेकिन मेरे हाथों में जरा भी ताकत नहीं बची थी। मैंने मेड से छुपा के पानी में नशीली दवा मिली दी थी । अब आज की रात के लिए तुम मेरी….. आरोही फफक के रो पड़ी ।

दीप की आँखें भी नम थीं । उसने आहिस्ते से आरोही के सिर पर हाथ फेरना शुरू कर दिया ।

सुबह जब आँख खुली तो बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, सिर्फ एक चादर थी । मैंने उठने की कोशिश की लेकिन बहुत दर्द हो रहा था मुझे। अपनी गर्दन घुमाई तो देखा वो मुझे ही देख रहा था। मुझे जगा देख कर वो मेरे करीब आ गया। मैंने उसे धक्का दिया और चादर लपेट कर भागी । लेकिन पीछे से आकर उसने फिर से पकड़ लिया ।

“एक बार जो बेहोशी में हुआ है वो होश में हो जाए तो पूरा मजा आ जाएं ।” उसने चादर खींचने की कोशिश की तो मैंने उसे धक्का देकर फर्श पर गिरा दिया और उसी चादर के छोर से कसकर उसका गला तब तक दबाती रहीं जब तक कि उसकी आँखें बाहर नहीं निकल आई….! आरोही की आवाज में गुस्सा और ताकत झलकने लगी थी।

उसके घर वाले मुझपर केस कर देते लेकिन जब सीसीटीवी देखा उन्हें खुद ही यकीन नहीं हो पाया दो-दो बहनों का भाई कैसे एक लड़की के साथ इतनी बुरी तरह… इतनी बुरी तरह से… हैवानियत कर सकता है । उन्हें भी समाज में इज्जत जाने का डर था , अपनी दोनों बेटियों के भविष्य का सोचना था । मेरे घर वालों को तो वैसे भी लूटी इज्जत छिपानी ही थी …. सिर्फ तीन लाख में हो गया था मेरी इज्जत का सेटलमेंट …सिर्फ तीन लाख कीमत थी मेरे भविष्य की !

दो लाख दीदी ने जमा किए और एक लाख उनके पति ने…. उस दिन के बाद से नर्क और मेरी जिंदगी में कुछ खास फर्क नहीं बचा था । जीजा मुझे बात बात पर ताने देते थे। कहते कि तेरी वजह से हमारी इज्जत चली गई , पैसा चला गया, लोग चार बातें सुनाके जाते है … तेरी ही नीयत में खोट है वरना क्यों जाती एक जवान लड़के के घर रोज रोज । हद तो तब होती थी जब शराब पीकर मुझे मारने दौड़ते थे लेकिन दीदी हर बार आकर मुझे बचा लेती थीं। मगर मार से तो कोई भी बचा सकता है, उनकी बुरी नीयत से कौन बचाने आता मुझे ?

एक रात मैं सोई हुई थी मुझे लगा कोई मेरे कपड़े उतार रहा है , शरीर में दर्द होने लगा तो मेरी आँखें खुल गई देखा तो जीजा मेरे बगल में लेटें थें। मैं डरकर चीखने लगी तो उन्होंने मेरा मुंह दबा दिया और बोले कि… बोले कि … आरोही का गला एकदम भर आया था और आवाज भी साफ नहीं निकल रही थी । … अपनी मिठाई पर मैं सिर्फ लार टपकाऊं और खा के जाएं बाहर वाले… आज तो तेरा स्वाद मैं भी लेकर ही रहूंगा। मैं छटपटा रही थी ।

सोच सकते हो .. जब तुमसे दोगुनी उम्र और तीन गुना वजन का कोई इंसान तुम्हारे टांगों पर बैठ जाएं तो कितना दर्द होता होगा..? लेकिन उसे मेरा दर्द दिख ही कहाँ रहा था ।

“देख साली तो वैसे भी आधी घरवाली होती है , तू कहें तो तुझे पूरी घरवाली भी बना लूंगा… वैसे भी अब कौन ही तुझसे शादी करेगा ! ” अगर वो मेरी बहन का सुहाग न होता तो उसी रात उसे मार देती । लेकिन मैं मार न सकी बस उससे बच के भाग निकली …. और वहाँ से बचने के बाद मैं मर गई अंदर से… कुछ नहीं बचा मेरे अंदर … मेरे ख्वाब .. मेरे सपने … मेरे रिश्ते और मेरी बहन ..! सब कुछ मर गया मेरे अंदर … सुना तुमने .. मैं जिंदा नहीं हूँ! मरी हुई लाश हूँ जिसे तुम डॉक्टर को दिखाते हो… खाना खिलाते हो… नहीं हूँ मैं… मुझे मार दिया उन लोगों ने….

आरोही दहाड़े मार के रो रहीं थी जैसे वो सारी घटनाएं आज हो रही हो उसके साथ जैसे सच में उसके सामने लाश पड़ी हो उसकी …!  दीप के मुँह से एक शब्द तक न निकल पाया दिमाग में विचार बिल्कुल शून्य हो चुके थें और दिल में भावों का कोलाहल मच गया था । उसने रोते हुए आरोही को अपनी तरफ खींच कर दोनों बाहों में जकड़ लिया ।

कोई नहीं आया मदद  … जो भी.. सबको दिखी…मेरी खूब..रिती और जवा..नी… जहाँ भी गई वहाँ… आरोही के मुँह से शब्द बिल्कुल भी साफ नहीं निकल पा रहें थें लेकिन दीप उसके एक एक लफ्ज़ को समझ पा रहा था। उसके होठों से नहीं उसकी सिसकियों , आँसूओ और बार बार बंध जाती हिचकियों से ।

चाचा.. रिश्ते..दार… पड़ोसी… सबसे बचते बचते कहाँ की बची मैं..? इन 5 सालों में …में, एक ही बात..बात सीखी.. मेरा चेहरा..मेरी.. खूबसूरती ही मेरी सबसे बड़ी दुश्मन है। अगर मैं खूबसूरत न होती.. तो अच्छे से जी रही होती… हाँ… हाँ सही कहा … आरोही ने तुरंत दीप को खुद से दूर पुश किया, जब तक दीप कुछ समझता वो खुद ही को थप्पड़ मारने लगी । उसने फुर्ती से उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया ।

Leave me… आरोही चीखते हुए खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। थोड़ी देर तक हाथ पैर पटकने के बाद पसीने और आँसू से भीगी हुई वो थक कर वापस दीप के सीने से ही सट गई।

उस रात आरोही किसी अबोध बच्चे की तरह सुकून से सो गई दीप के सीने से लगे लगे ही। लेकिन दीप..? बेचारा आधी रात तक आंसुओं और सांसों को काबू में रखे हुए खड़ा रहा ताकि उसकी नींद न टूट जाएं। जब उसे आराम से लिटा दिया तो बाथरूम में घुसते ही फूट फूट कर रोने लगा ।

पता नहीं क्यों रो रहा था आरोही के दर्द पर या खुद के मर्द होने पर … क्यों न नफरत हो जाएँ उसे आदमियों से जब एक घड़ी के लिए सिर्फ सुनकर ही दीप का खून आदमियों पर खौल गया है तो उसने तो सबकुछ झेला है ! अपने मुँह पर हाथ रख के वो बेजार हो कर रोया बाकी कि बची रात उसकी रोने में ही निकल गई।

दीप ने ग्रुप में अपने सभी दोस्तों से मदद मांगी थीं। लेकिन आरोही का नेचर देखने के बाद वो पहले से ही डरे हुए थें फिर भी दोस्त की मदद के लिए वो फिर से एक बार गाली खाने की तैयारी करने लगे।

दीप और नीतिका ने काफी मना कर उसे अपने साथ चलने के लिए राजी किया था । वो पहुँच तो गई लेकिन जैसे ही देखा कि उसे किसी काउंसलर के पास लाएं हैं वैसे ही वो उल्टे पाँव लौट पड़ी।
कहाँ जा रही हो ? दीप उसके सामने आकर खड़ा हो गया।
क्यों कर रहें हो दीप ? मैं इतने ज्यादा पैसे नहीं चुका पाऊंगी तुम्हारे..!

तो सारे रिश्ते पैसे के लिए ही निभाए जातें हैं?
और किसलिए भला…

दोस्ती के लिए , साथ के लिए, सहारे , सुरक्षित महसूस करने के अहसास के लिए भी तो आदमी कुछ रिश्ते बचाकर रखता है बाकी पैसे के पीछे तो दुनिया लगी ही पड़ी है। पैसा आएगा जाएगा लेकिन रिश्ता तो टिकाऊ होना चाहिए चाहे जैसा भी हो। दीप ने मुस्कुराते हुए नीतिका की तरफ इशारा किया तो वो आकर आरोही को केबिन में लेकर चली गई।

अब दरवाजे के नीचे से नोट सरकाने वाला सिस्टम खत्म हो गया था। आरोही को कोई जरूरत पड़ती तो वो दीप के फ्लैट पर पहुंच जाती दीप को कॉफी पीनी होती तो वो आरोही के यहाँ चला जाता। दोनों ने एक डील कर ली थी कि जब भी उसकी नौकरी लगेगी वो हर महीने आधा पैसा दीप को देगी जब तक उसके सारे पैसे उतर नहीं जाते है। आरोही की इस शर्त को बेमन से ही सही दीप ने स्वीकार लिया था।

दीप कई जॉब पता करके आया था लेकिन आरोही की हर उस जॉब के लिए न हो जाती थी जो घर के बाहर करने जाना पड़े । दीप तो उसे सोसाइटी के बच्चों को कराटे सिखाने को भी कहता था लेकिन वो हर बार मना कर देती थी । इसका मतलब साफ था दवाई, थेरेपी , काउंसलिंग सब कुछ बहुत धीरे धीरे असर कर रहा था । आरोही को खुद भी अपनी तरफ से भी मेहनत करनी चाहिए।

आरोही के डर को दूर करने किए दीप ने उसका सामना डर से ही कराया । एक बार जाकर नीतिका के birthday के बारे में झूठ बोल दिया और वो चली भी गई थी दीप के फ्लैट पर पार्टी के लिए। हालांकि सामने 4-5 लड़कों को देखकर सहम गई थी । मगर उसके दोस्तों ने उसकी mysterious girl को बात करने के लिए अप्रोच ही नहीं किया , बस दूर से ही वेव करके उसके जवाब का इंतजार किए बिना ही दूसरी फीमेल फ्रेंड्स के साथ मस्ती करने में बिजी हो गए।

नीतिका थोड़ा इमोशनल होकर केक खाने में जुटी थी दीप ने जब इसकी वजह पूछी तो उसने धीमी आवाज में कहा – मेरा आज तक किसी ने भी साल में दूसरी बार बर्थडे नहीं मनाया है । उसकी इस बात पर दीप बहुत तेज हँस पड़ा।

दो महीनों में 4 से ज्यादा पार्टी की जा चुकी थीं दीप के अपार्टमेंट में । सोसाइटी के बच्चे भी आरोही को देखते ही कराटे सिखाने की रिक्वेस्ट करतें थें। धीरे-धीरे आरोही चीजों का सामना करना सीख गई है । अब वो दीप के साथ उसके दोस्तों से भी मिलने चली जाती है , ज्यादा खुल कर तो नहीं लेकिन हाँ बातचीत करती है थोड़ी बहुत उन लोगों से । एक बार तो सब उसे दीप की DJ night में भी ले गएं थें मगर वो एक ही सीट से चिपकी रहीं थीं बस।

दीप हमेशा आरोही से कहता है कि दुनिया दो तरह की है एक जो हमें दिखाई जाती है और दूसरी जो वास्तव में होती है। तुम्हें इस दुनिया के दोनों पहलुओं से रूबरू होना चाहिए । इतना सब समझाने के बाद भी वो अकेले नहीं जा पातीं है बाहर । दीप , नीतिका , मिनी साथ हो तो कहीं भी चली जाती है । भरोसा…! पता नहीं क्यों नहीं कर पा रही अभी भी वो लोगों पर । अपने घर पर या उनके घर पर लोगों से मिलमिला लेने को जिंदगी नहीं कहते , जिंदगी चार दिवारी के बाहर साँस लेती है ।

दीप ने मिनी , नीतिका,कुहू सभी को अपने फ्लैट पर बुला कर आरोही के जिंदगी का सच रख दिया उनके सामने। ये कहते हुए कि मैं जनता हूँ तुम लोगों के साथ भी कभी न कभी कुछ हुआ होगा या ऐसा करने की कोशिश की गई होगी। मैं बस इतना चाहता हूँ कि उसे समझा दो कि वो अकेली नहीं है जिसने ये झेला है ।

उन सभी ने जाकर कुछ न कुछ किस्से अपनी उम्र के भी निकाले। सबकी बातों से साफ था 10 में से 8 लड़कियां किसी न किसी तरह के यौन अपराध का शिकार जरूर होती है। लेकिन वो जीना नहीं छोड़ देती, भरोसा करना बंद नहीं करती … जीती है और भरपूर जीती है । आंधी आने के डर से भला पेड़ बढ़ना छोड़ देता है !
अच्छे बुरे सब कहीं होते है दुनिया में दीप, बार्को, संतोष जैसे लड़के भी हैं और उसके जीजा , पड़ोसी और चाचा जैसे भी …। एक उदाहरण को सबके ऊपर नहीं अप्लाई किया जा सकता है ।

उन सभी के जाने के बाद आरोही बहुत देर तक शीशे के सामने खड़ी होकर रोती रहीं , जैसे जितना भी रोना है वो आज ही रो डालेगी ।
अगले दिन से वो वापस अपनी कराटे प्रैक्टिस पर लौट आई थीं। उसे सेल्फ डिफेंस की कीमत पता थी । न जाने कितनी लड़कियों की इज्जत और जिंदगी बचाई जा सकती है इससे । कुछ ही दिनों में दीप के दोस्तों में Mysterious girl के नाम से जानी जाने वाली लड़की को अब वो लोग मास्टर आरोही कहके बुलाने लगें है ।

इन पांच सालों में उसके सपनों पर जम चुकी निराशा की परत साफ होने लगी हैं । वो सोसाइटी के लोगों से मिलती है उनसे बात करती है और खुल के हंसती भी है। जब भी वो ऐसे हँस पड़ती है तो दीप उसे बस देखता रह जाता है।
पूरी बिल्डिंग में अभी ज्यादा लोग नहीं रहते थें लेकिन जितने भी घर थें सबके बच्चे उसके पास कराटे सीखने आने लगे है।

दीप ग्रोसरी लेकर लौटा है अभी अभी , कुछ सामान अपने लिए था और कुछ आरोही के लिए। जब आरोही का सामान रखने गया तो दरवाजे के बाहर एक नोट सरका हुआ दिखा। वो सिलसिला जो लगभग 4 महीनों से बंद था वो फिर से एक बार उसके सामने आ गया था। दीप ने झुक कर नोट उठाया –
“Thanks for everything ” और एक इमोजी भी बनी थी हँसने वाली। नोट के पीछे एक लिफाफा था उसे खोला तो उसमें 12 हजार रुपए रखे थें।

एक पार्टी के लिए 70 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक का चार्ज करने वाले दीप के लिए ये 12 हजार कोई मायने नहीं रखने चाहिए थें क्योंकि इतना तो उसका एक बार का खाने का बिल आ जाता है । मगर इन रुपयों को वो हाथ में लेकर इतना खुश था जितना वो अपने रुपए को लेकर भी नहीं हुआ, उसकी आँखें नम हो गई ।

बहुत जल्दी इमोशनल हो जाते हो तुम । पीछे से आरोही बोली।
अरे तुम कहाँ से आ गई ? ट्यूशन नहीं देनी बच्चों को क्या आज ? उसने अपनी आँखें साफ करने की एक्टिंग करते हुए पूछा।
आज जल्दी बुला कर जल्दी छोड़ दिया सबको ।
क्यों ?
ताकि मैं तुम्हारे लिए एक अच्छी सी कॉफी बना सकूं।

अब आरोही जीना सीख गई है । शायद उसे प्यार करना भी आ गया हो  .. . दीप ऐसा खयाल आते ही मुस्कुराने लगता था । चाहे जगह कोई भी कहीं भी हो ! उसके सारे दोस्तों ने ये चीज नोटिस कर ली थी । नीतिका ने तो एक बार सामने से ही पूछ लिया उससे । पहले तो मना करता रहा फिर उसके कान में कुछ बोला और अपने साथ ले गया।

अंगूठी ले तो रहें हो लेकिन सोचा है प्रपोज कैसे करोगे? एक रेड डायमंड की छोटी सी मगर प्यारी सी अंगूठी को पसंद करते हुए नीतिका बोली।
किसी हिल स्टेशन पर जाने का सोच रहा हूँ।
जहाँ भी जा रहे हो पहले ही बता देना ताकि हम लोग वहाँ तुम दोनों के पहुंचने से पहले ही सारी तैयारी कर दे।
हाँ बाबा बता दूँगा। उसे पीछे से दीप ने टाइटली hug कर लिया।

 Sweet boy fall in love with mysterious girl part 3
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दीप के आने से पहले ही आरोही ने उसके फ्लैट पर कब्जा कर लिया है आज। सोफे पर उसकी कुछ डिजाइंस पड़ी है , टेबल पर स्केच बुक और एक लिफाफा। दरवाजे के पास रखी डेस्क पर उसका स्टॉल पड़ा हुआ है और वो मस्त किचन में कॉफी बना रही है।

दीप जब अपने फ्लैट पर आया तो उसके सामान को एक जगह व्यवस्थित करके टेबल पर रखने लगा इस दौरान उसकी नजर एक सफेद लिफाफे पर पड़ गई। उसे खोलकर दीप इत्मीनान से बैठ कर पढ़ने लगा , तब तक आरोही कॉफी लेकर आ गई।

ये क्या है ? लॉस एंजिल्स से ऑफर लेटर …
हाँ,कुछ डिजाइंस भेजे थें मैंने अमेरिका के एक इंस्टीट्यूट में । उनको पसंद आ गएं है तो अब वहाँ 6 महीने की इंटर्नशिप और फिर प्लेसमेंट….
तो तुम अमेरिका में जाकर जॉब करोगी..?

हाँ सोचा है जॉब भी कर लूं और वहीं सेटल भी हो जाऊंगी।
इंडिया छोड़ दोगी..? दीप के अंदर एकदम से खलबली मच चुकी थी।
इंडिया में मेरा है ही कौन जो इसे पकड़ के रखूं मैं !
कोई भी नहीं…! दीप की आवाज डूब गई।

बहन है जो होने न होने के बराबर ही…
Settle means..? शादी भी वहीं करोगी ?
शादी .. पता नहीं करूंगी भी या नहीं लेकिन अगर कभी की तो ऐसे इंसान से करूंगी जिसे मेरे past life के बारे में कुछ भी न पता हो ।
दीप एक मिनट भी सोफे पर आरोही के बराबर न बैठ पाया। अपनी जेब से फोन निकाल कर वो खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया।

क्या हुआ? तुम खुश नहीं हो मेरे फैसले से!
No , I’m very happy for you . थोड़ा एक कॉल आई है अटेंड करके आता हूँ।
कॉफी तो पी…

अरे हाँ कॉफी! दरवाजे से जाते-जाते दीप पलट कर आया और कॉफी का कप लेकर बाहर चला गया। आरोही को थोड़ा अजीब लगा क्योंकि दीप कभी ऐसा नहीं करता कभी कोई कॉल भी आ जाती थी तो उसके सामने ही बात कर लेता था और आज…..

दीप अपना फोन स्विच ऑफ करके बिल्डिंग के टेरेस पर बहुत देर तक बैठा रहा । कॉफी उसने एक गमले में डाल दी थी । ऐसा नहीं है कि वो आरोही की सक्सेस से दुखी है ।पर यार सच में बुरा लगता है जब आप किसी के लिए सबकुछ करते हो और पता चलता है कि उसके लिए आपकी कोई वैल्यू ही नहीं है ।
अपने जेब से वो अंगूठी निकाल कर बार बार देख रहा था। उसके मन में एक ही बात आ रही थी कि अंगूठी नीचे फेंक दे या खुद नीचे कूद जाए लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया।

अब दीप आरोही से बचने की कोशिश किया करता है । एक दोस्त भर की हैसियत से तो उससे मिलते वक्त खूब खुशी जताता है लेकिन अकेले में आते ही पागल आशिक की तरह रोता है । कभी-कभी दिल में आता है कि जाए और झकझोर कर उससे पूछे – तुम्हें मेरी बातों, हरकतों से नहीं लगता कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ। तो कभी खुद को ही समझता है कि ये सब अट्रैक्शन था प्यार नहीं।8 महीने की इस जान- पहचान को दोस्ती तक ही रखना चाहिए ।

दीप ने वो अंगूठी भी नीतिका को गिफ्ट कर दी है। उसने बहुत पूछा क्यों ? लेकिन जवाब में उसने इतना ही कहा – अरे मैंने तो मजाक किया था ,झूठ बोला था तुमसे। मैं कहाँ उसके जैसी mysterious girl से प्यार करूंगा। उसके बाद बड़ा सा मुँह खोलकर आसमान की तरफ देखते हुए हंसता ताकि कोई उसकी आँखें न देख ले ।

नीतिका ने आरोही को कॉल करके जानने की कोशिश भी कि की उन दोनों का कोई झगड़ा तो नहीं हुआ है ? लेकिन आरोही ने बस इतना बताया कि उसके अमेरिका जाने की बात से दीप थोड़ा अजीब बर्ताव कर रहा है , उसे भी नहीं मालूम इसके पीछे की वजह ।
नीतिका समझ गई थी कि कहाँ पर गड़बड़ है लेकिन क्या गड़बड़ है ये सुनना बाकी था दीप के मुंह से ।

दीप से सारी बातें जानने के बाद पहले तो उसे आरोही पर गुस्सा आया लेकिन फिर तरस भी । चाहे कोई उसके साथ कितना भी करे लेकिन सच तो यही है कि उसकी पिछली यादें तो मिटा नहीं सकता । नीतिका चाहती थी कि दीप एक बार उसे अपने दिल की बात बता दे लेकिन दीप का मानना था कि जाते – जाते उसके अंदर क्यों कोई उलझन या गिल्ट भरा जाएं। क्यों उसे लगे कि इंडिया में उसका कुछ अपना भी छूट रहा है ।

आरोही एयरपोर्ट पर खड़ी दीप का इंतजार कर रही थी। कल दोनों ने साथ में मिलकर सारी पैकिंग की थी तभी उसने दीप से कहा था कि एयरपोर्ट तक साथ चलना है लेकिन आज किसी मीटिंग के लिए वो दोपहर को ही निकल गया। कह रहा था फ्लाइट के टाइम से पहले आ जाऊंगा लेकिन आया ही नहीं। उसकी जगह नीतिका जरूरी उसे bye बोलने और कुछ सामान देने।

दीप नहीं आया ?
उसे कुछ काम है जरूरी , उसने कुछ रुपए भेजे है तुम रख लो।
नहीं चाहिए पहले ही बहुत दे चुके…
हाँ दिए होंगे लेकिन ये भी रख लो जॉब पक्की होने के बाद उसे रिटर्न कर देना ।

एक बार थोड़ी देर के लिए आ जाते…
क्यों आ जाता वो ?
क्या मतलब ! दोस्त है हम दोनों ..
सिर्फ दोस्त …!

मैं कुछ समझी नहीं ।
काश तुम कुछ समझ सकती । एक और चीज है जो दीप ने तुम्हारे लिए खरीदी थी लेकिन उसने मुझे दे दी । शायद इसे देख के तुम कुछ समझ सको। नीतिका ने अंगूठी का box आरोही के हाथ पर रख दिया ।

ये क्या…! नहीं , ऐसा कैसे..? उन्होंने कभी मुझे .. मेरा मतलब … How?
प्यार करता है तुम्हें। क्यों करता है ?कैसे करता है ? मुझे नहीं पता लेकिन शायद जब से तुम्हें देखा है तभी से करता है । तभी तो रात-रात भर जगा करता था जब तुम्हारी तबियत खराब थी। डॉक्टर को बुलाना , तुम्हारे लिए खाना बनाना ये सब उसका प्यार नहीं तो क्या था ।

आरोही अपने मुंह पर हाथ रख के बैठ गई । उसकी आंखों में बड़े बड़े आँसू तैरने लगे हैं ।
ऐसे मत रिएक्ट करो कि तुम्हें उसकी feelings का कुछ पता ही नहीं हो !
आरोही ने कोई जवाब नहीं दिया बस बैठी सिसकती रही।

तुम्हें सच में कुछ नहीं पता ?
सोचा ही नहीं…. कभी। मेरा गुस्सा , Unstable career , no family background… और..और ऊपर से.. rape victim.. कैसे प्यार कर सकते है मुझे ! आरोही दोनों हाथों में मुँह छुपाकर रोने लगी ।

देखो सब इधर ही देख रहे है रोना बंद करो। तुम्हारी फ्लाइट का टाइम हो रहा है जाओ अंदर । वहाँ पहुंचना तो दीप से बात कर लेना, मैं जाती हूँ। नीतिका तेजी से वेटिंग एरिया के बाहर निकल आई क्योंकि उसकी आंखों से भी आँसू बहने लगे थें।

रात में 11 बजे वापस आने के बाद दीप सोफे पर औंधे मुंह गिर पड़ा। किचन से आती बर्तनों की आवाज सुनकर उसने बस इतना कहा – खाना मत बनाओ नीतू भूख नहीं है मुझे । इतना कहकर फिर से मुँह तकिए में छुपा लिया।
अपने पास किसी के आने की आहट पर उसने फिर से सवाल किया – वो अच्छे से चली तो गई थीं न ? मेरा रास्ता देख रही होगी बेचारी ।

नहीं । जवाब सुनकर दीप चौंक कर सीधा लेट गया ।
यार लगता है बहुत पी ली है आज , मुझे तुममें भी अपनी mysterious girl दिख रही है ।
मैं आरोही ही हूँ।

अच्छा तो अमेरिका नीतिका गई होगी फिर। दीप इतना कहकर हँसने लगा ।
जो अंगूठी ले कर आएं हो वो थोड़ा ढीली है मेरी उंगलियों में ।
आरोही…! दीप अब सीरियस हुआ।
हूँ..!

क्यों नहीं गई तुम ? इतना अच्छा मौका …
मौके तो मुंबई में भी मिल ही जाएंगे मेरा टैलेंट है ही ऐसा फिर तुम्हारी जान पहचान भी तो काम आएगी ही ।
नहीं आएगी। मैं तुम्हारा दोस्त बनकर अब कोई मदद नहीं कर पाऊंगा।
क्यों ?

क्योंकि मैं तुमसा बहुत सारा प्यार करता हूँ।
पहले क्यों नहीं बताया ये ?
क्योंकि तुम्हें शादी के लिए ऐसा इंसान चाहिए जो तुम्हारा past न जानता हो। दीप उठकर उसके सामने बैठ गया।

हाँ वो इसलिए चाहिए था ताकि किसी भी लड़ाई झगड़े में वो मुझे मेरी पिछली लाइफ को लेकर न कुछ कह दे।

कभी नहीं , मैं तुम्हारी past life का इस्तेमाल तुम्हारे future को बहुत ज्यादा ब्राइट बनाने के लिए, खूब सारा प्यार करने के लिए करूंगा । हमेशा इस बात के लिए करूंगा कि पीछे जो कुछ हुआ है उसके जैसा आगे कभी भी न हो पाएं।
Thank you . आरोही बहुत ज्यादा emotional हो चुकी थी।

अब बोलो तुम भी मुझसे प्यार करती हो ?
पहले खाना खाते है चलके । आरोही वहां से जाने के लिए पलटी तो दीप ने उसका हाथ पकड़ के अपने करीब खींच लिया।
जवाब नहीं दिया ? पसंद नहीं हूँ तुम्हें ?

मुझे तुम उस दिन से ही पसंद हो.. जिस दिन से… तुमने मेरे जिस्म से पहले मेरे दर्द को देखा था । जब चादर से लपेट के मुझे अंदर लिटाने ले गए थें। अभी तक जितने भी लड़कों को देखा सब मेरे कपड़े उतारना चाहते थें, तुम वो पहले इंसान थे जिसने मुझे कपड़े पहनाए। आरोही की गर्दन झुकी हुई है। इसलिए दीप उसकी आँखों में देखने के लिए उसे और करीब सटा लेता है।

तो तुमने अभी तक क्यों नहीं कहा ?
मुझे लगा कि अगर तुमको खराब लग गया तो तुम मुझसे दोस्ती भी न….

उसकी बात पूरी होने से पहले ही दीप ने उसे सोफे पर गिरा लिया और खुद उसके चेहरे पर झुक गया । अचानक हुई इस हरकत के लिए आरोही बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए उसकी हार्टबीट बहुत तेज हो गई थी। एक बार को उसे पिछले हादसे भी याद हो आएं थें लेकिन अपने डर को काबू करते हुए उसने खुद से ही कहा कि अपने past की वजह से अपना present बिल्कुल भी खराब नहीं होने देगी।

मैंने अंदाज में वो अंगूठी ली थी शायद तभी साइज नहीं हुआ। क्योंकि आज तक तो मैंने तुम्हारा हाथ भी नहीं पकड़ा तो उंगलियों की नाप कहां से लेता लेकिन उम्मीद है कि कल जब लेने जाऊंगा तो उसका साइज परफेक्ट होगा। दीप की उंगलियां आरोही की उंगलियों से उलझ गई थीं और सांसे उसकी सांसों से ।

आरोही अंदर ही अंदर न चाहते हुए भी बहुत डर रही है और आँखें बंद किए हुए लेटी है। थोड़ी देर तक वैसे ही लेटे रहने पर भी जब उसे अपने होठों पर कोई छुअन नहीं महसूस हुई तो उसने आँखें खोली । देखा तो दीप उसकी गर्दन के पास सर रख के सो चुका है। एक गहरी सी सांस लेते हुए उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई ।

आधी रात के बाद दीप की आँख खुली तब तक उसका नशा उतर चुका था । अपने पास आरोही को देखते ही उसकी खुशी सातवें आसमान पर पहुंच गई मतलब वो सपने में नहीं हकीकत में उसके साथ  है । वो सिकुड़ी हुई दीप के नीचे दब गई थी ऐसा लग रहा था कि मोटी रस्सी के नीचे घास का तिनका चिपक गया हो । दीप उसके बगल में लेट गया और अपने जेब से फोन निकाला । उसपर नीतिका की कई सारी कॉल्स लगी हुई थीं।

Thank you yaar , you are The Best. मैसेज टाइप करके फोन को एक साइड में गिर जाने दिया और आरोही का सर अपने सीने से लगाकर फिर से एक चैन सुकून से भरी नींद में सो गया ।

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PART 1

  1.  Sweet boy fall in love with mysterious girl part- 1 

 

इश्क़ का अंजाम all parts 

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