उसकी एड़ी Her Heel ! Sweet School love story.

                            उसकी एड़ी Her Heel ! Sweet School love story.

अमय बस में window seat की तरफ बैठा था । बाहर के नजारे उसे अपनी ओर खींच रहें थें। वो एक बार बाहर की बहती हवा को अपनी रूह में कैद कर लेता तो दूसरी बार को अपने बैग में हाथ डाल कर कुछ छूता और मुस्कुराता । उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसने अपनी Schooling कंप्लीट कर ली है और अब वो अपने सपने को जीने University जा रहा है ।

उसके लिए तो आज भी सब कुछ थमा सा ही लग रहा था । कहां पे..? अरे वही …. वहां..…! Class Three में। Class में, ground में, पीपल के पेड़ के नीचे और दादा की दुकान के पास। हाँ बस वही पे जहाँ- जहाँ गुलाबी एड़ी वाली वो लड़की पैर रखा करती थी। सब कुछ वहीं पे थमा हुआ है अमय का ।
सारे लड़के लड़कियों के चेहरे देखना पसंद करते है लेकिन अमय सिर्फ लड़कियों की एड़ी पर ही थम गया था । लेकिन जिस एड़ी को वो तलाश रहा था वो फिर कभी दिखी ही नहीं उसे ।

लड़कियों के आगे से सर झुका के निकलने की इस आदत ने स्कूल में उसकी पिटाई भी करवाई है , मजाक भी बनवाया है और कई लड़कियों के दिल भी तोड़े है।

भोली आंखों और मासूम चेहरे वाले अमय को उसके अप्पा ने बताया था कि लड़कियां देवी होती है । लेकिन कौन सी वाली देवी उसने आज तक ये पूछा ही नहीं था और न इसकी जरूरत लगी थी लेकिन जब class में पहली बेंच पर बैठी लड़की की एड़ी पर उसकी नजर पड़ी तो उसे इस चीज का ज्ञान हासिल करना आवश्यक हो गया की लड़कियां कौन सी वाली देवी होती हैं?

दूसरी बेंच पर आज पीछे बिठाए गए अमय को अपनी सीट एक नई आई लड़की को देना पड़ा था। पीछे बैठ कर वो उसे ही घूर रहा था गुस्से से। जब उसने देखा लड़की ने अपने जूते चुपके से निकाल दिए है और उनके ऊपर पैर रखे है तो उसने सोचा था कि Class teacher को अभी बता देगा । लेकिन जब उसकी नजर लड़की की एड़ियों पर पड़ी तो वो हैरान रह गया।

इतनी लाल ! जरूर इसमें अपनी अम्मा का रंग चुरा के लगाया है । मतलब चोर है लड़की ? लेकिन अप्पा ने तो बोला था कि लड़कियां देवी होती है और देवी तो चोर नहीं होती ! हाँ, सही में देवी की एड़ी भी ऐसी ही गुलाबी होती है । देखूं क्या मेरी भी एड़ी ऐसी गुलाबी है ? अमय ने झुक कर अपने जूते उतारने शुरू कर दिए और इतने में ही उसे उसकी टीचर ने देख लिया तो उसे डांट कर तुरंत आगे बुला लिया। अमय अपने दोनों हाथ ऊपर करके खड़ा तो था उसी बच्ची के सामने लेकिन आगे से भी उसकी कोशिश उसकी एड़ियां देखने की थी।

अगले दिन की क्लास से अमय ने पहली सीट त्याग दी और पीछे की सीट पर बैठने लगा बिल्कुल विदिशा के पीछे । अब उसके लिए math से भी मुश्किल सवाल था कि विदिशा कौन सी देवी है ? वो वाली देवी जो गुलाबी रंग के कमल पर बैठती है और उनके घड़े से सोने के सिक्के गिरते रहते है या फिर वो वाली देवी जो सफेद कमल पर बैठती है वीणा लेकर। बड़ी मुश्किल है यार क्योंकि दोनों देवियों के पैर इतने ही गुलाबी है बिल्कुल उसकी जीभ जैसे ।

विदिशा की एड़ी तो शायद उसकी जीभ से भी ज्यादा गुलाबी है । मतलब जरूर वो इन दोनों से भी कोई बड़ी देवी होगी ! अप्पा आयेंगे अबकी बार जब घर तब पूछूंगा उनसे ।

विदिशा एसेंबली में चेकिंग के बाद क्लास में बैठे बैठे ही चुपके से जूते उतार देती थी और उसके नन्हें नन्हे बेंच पर झूलते गुलाबी पैर अमय की मुश्किल को बढ़ाया करते थें। अब तो दोनों में दोस्ती भी हो गई थी लेकिन अमय फिर भी उसके साथ नहीं बैठता तो वो थोड़ा गुस्सा हो जाती थी। उसे ऐसा लगता था कि दूसरे स्कूल से आई है तभी इस स्कूल के बच्चे उससे ज्यादा दोस्ती नहीं रखना चाहते।

धीरे- धीरे पूरी Class में ये बात फैल गई कि लड़कियां देवी होती हैं और जिसकी एड़ी जितनी गुलाबी वो उतनी बड़ी देवी।
लड़कियां अपनी एड़ी अमय को दिखातीं और पूछती की वो कौन सी वाली देवी हैं ? लेकिन अमय को उनकी एड़ी विदिशा जितनी गुलाबी नहीं लगतीं थीं इसीलिए सबको छोटी देवी और विदिशा को बड़ी देवी मानता था वो।

लड़के भी अपनी एड़ी उसे दिखाकर पूछने लगें थे कि वो कौन से देवता हैं । इस पर वो सिर्फ इतना ही कह पाता कि अप्पा ने इसके बारे में कुछ बताया ही नहीं । अगली बार जब वो आयेंगे तो वो उनसे इस बारे में जरूर पूछेगा। अब अमय से ज्यादा बाकी class को उसके अप्पा का इंतजार रहने लगा था।
“देवी से जो मांगों वो सब मिल जाता है , इसीलिए उन्हें कभी गुस्सा नहीं दिलाना चाहिए, हमेशा प्रसन्न रखना चाहिए उन्हें।” ऐसा सभी बच्चों को उनके घर से ही सिखाया गया था । इसीलिए सभी बच्चे ज्यादा से ज्यादा विदिशा के करीब रहने लगे।

विदिशा के अगल बगल बैठने वाली लड़कियों ने पहले तो उसका बहुत खयाल रखा , अपना टिफिन खिलाया , टॉफी दी उसे झूला भी झुलाया इसके दो दिन बाद ही उससे एक ने गुड़िया की तो दूसरी ने हिंदी, English और गणित लिखने की तीन अलग अलग कॉपी की डिमांड कर दी । विदिशा ने अपने पापा से कहकर उनके लिए ये सब मांगा दिया । तबसे क्लॉस में सबसे उसे बड़ी देवी मान लिया।

विदिशा के पास बैठने के लिए जब झगड़े बढ़ने लगे तो बच्चों में ये डिसाइड हुआ कि जो अच्छे से नहा के साफ सुथरा रहेगा वही विदिशा के पास बैठेगा। और जब उसकी प्रार्थना सुन ली जाएगी तो दूसरा उसकी जगह पर बैठेगा।

लेकिन ये नियम भी काम नहीं कर सका क्योंकि लगभग सभी को तीनों सब्जेक्ट्स की अलग अलग कॉपी चाहिए थी उनमें अब इतना धैर्य नहीं बचा था कि एक ही कॉपी में 15-15-15 के हिसाब से बंटे पेजों में और लिख सकें। जैसे बड़े स्कूलों के बच्चे अलग अलग कॉपी में लिखते है उन्हें भी अब वैसे ही कॉपी चाहिए। इसीलिए बच्चों में ये डिसाइड हुआ जो जितना पहले आकर बैठ सके वो बैठ जाएं।

लेकिन अमय में ऐसी कोई भी होड़ नहीं थी क्योंकि उसे विदिशा से कुछ भी नहीं चाहिए था । वो तो बस पीछे बैठकर उसकी एड़ियों को ही ताकते रहना चाहता था ।

विदिशा अपने पापा के काम की वजह से ज्यादा दिन एक स्कूल में रुक ही नहीं पाती थी इसीलिए उसके दोस्त भी ज्यादा नहीं बन पाते थें। लेकिन इस स्कूल में उससे सभी दोस्ती करना चाहते थें। इसीलिए जब कोई उससे कोई चीज मांगता तो वो अपने पापा से कहके मांगा देती। लेकिन जब किसी की डिमांड पूरी नहीं हो पाती तो वो क्लास के बाकी बच्चों पर गुस्सा करता कि उनकी डिमांड्स की वजह से बड़ी देवी उसकी डिमांड्स भूल गईं।

तुम्हें तो कुछ नहीं चाहिए ? बोलो तुम्हारे लिए भी ला दूंगी। बहुत सारा पैसा है मेरे घर में । एक दिन विदिशा ने ही उससे पूछ लिया था जब वो पीपल के पेड़ के पास बैठे थें।
नहीं ।
कुछ भी नहीं ? किताबें , बुड्ढी के बाल , चॉकलेट , ट्रक किचन सेट,सिपाही , कॉपी ,बंदर , बिल्ली , शेर….!

नहीं मुझे तो बस ये जानना था कि तुम्हारे पैर कैसे इतने गुलाबी है?
मेरे ! उसने अपनी एड़ी मोड़ कर देखा । “पता नहीं। ”
तुम्हारी अम्मा का रंग तो नहीं लगाती तुम  ?
तुम्हारी अम्मा रंग लगाती है तुमको ?

उसकी एड़ी Her Heel ! Sweet School love story.
उसकी एड़ी Her Heel ! Sweet School love story.

नहीं मेरी अम्मा मुझे क्यों लगाएंगी मैं लड़की नहीं हूँ।
अच्छा ।
बताओ न तुम्हें रंग लगाती है क्या तुम्हारी अम्मा ?
नहीं ! अभी मेरी मम्मी घर पर नहीं है तो कैसे लगाएंगी।

तो कहाँ गई ?
पापा कहते है बहुत दूर गईं हैं मेरे लिए शॉपिंग करने ।
कितनी दूर ?
बहुत बहुत बहुत दूर , चांद के पीछे ।

बाप रे बाप इतनी दूर ? वहाँ तो सामान बहुत महंगा मिलता होगा ?
और नहीं तो क्या हमारे घर में बहुत पैसा है । तभी बोलती हूँ जो चाहिए हो बता दो मम्मी तुम्हारे लिए भी लिए आएंगी। लेकिन किसी और से मत कहना वरना सब मगाएंगे तो मम्मी को वापस आने में और भी ढेर सारे दिन लग जाएंगे इसीलिए ज्यादा कुछ मैं भी नहीं मांगती उनसे।

नहीं मैं यहीं से मंगवा लूंगा अपने अप्पा से । इतनी दूर के समान का क्या भरोसा वापस भी न हुआ तो ?
लंच खत्म होने की घंटी बजते ही सारे बच्चे मधुमक्खियों की तरह अपनी अपनी कक्षाओं की ओर भागे । विदिशा ने भी तुरंत अपने जूते पहने और दोनों भागते हुए क्लॉस पहुंचे।

Excuse me!
अमय अपने बचपन की यात्रा कर ही रहा था कि किसी ने उसे वहां से बाहर खींच कर निकलने की कोशिश की ।
Hello भाईसाहब! Excuse me…!
जी…जी कहिए ! अमय अपनी ध्यान यात्रा को छोड़कर हकीकत की मंजिल पर आ गया था । उसके सीट के पास तीन लड़कियां खड़ी थीं।

क्या आप इस सीट पर शिफ्ट हो सकते है ? Please मुझे window वाली सीट दे दीजिए।
जी आइए ! अमय बाहर आ गया और उस लड़की को अंदर जाने दिया। उसकी दोनों सहेलियां भी जब पीछे की सीट पर आराम से बैठ गई तो अमय बगल वाली सीट पर बैठ गया।

उसने नोटिस किया कि पीछे वाली सीट पर बैठी लड़की बार बार झांक रही थी उसके चेहरे की तरफ। फिर उसने अगली सीट पर बैठी लड़की के कान में कुछ कहा।
क्या हम पहले मिले है कहीं ? उसके साथ वाली सीट पर बैठी लड़की ने पूछा।
मुझे तो ऐसा नहीं लगता आप लोग जरूर कुछ कन्फ्यूज हो गई है बस ।

उसके बाद लड़की ने कुछ नहीं पूछा उसने अपने बैग से बुक निकाल के पढ़ना शुरू कर दिया । अमय को भी लगा कि यूनिवर्सिटी पहुंचने में अभी बहुत टाइम है , तब तक उसे भी अपना नॉवेल थोड़ा और खत्म कर लेना चाहिए। यही सोच कर उसने बैग में हाथ डाल दिया लेकिन उसकी हाथ की उंगलियों की मुलाक़ात फिर से किसी के गुलाबी एड़ियों वाले पैर से हो गई और वो भी पे बातचीत में उलझ गया । अब किताब का होश हाथ को थोड़े रहा था ।

जब उसके अप्पा घर आएं थे छुट्टियों पर तो उसकी छोटी बहन और अम्मा के लिए पायल ले आएं थें। दोनों को अपने हाथों से पहनाया भी था । पायल पहनने के बाद उसकी बहन जब चली तो ऐसा लगा कि कही कोई उस्ताद बैठ कर संगीत बजा रहा हो और जब अम्मा ने कदम बढ़ाए तो लगा कि अम्मा संग में अलाप लगा रही हों। सुबह से शाम तक पूरा घर छन – छन ही करता रहा ।

रात को सोते वक्त उसके मासूम मन के बड़े गंभीर से सवाल ने विद्रोह किया तो वो अपने अप्पा से पूछ ही बैठा।
अप्पा लड़कियां कौन सी वाली देवी होती हैं?
कन्याओं में तो सभी देवियां बसती है बेटा बस हम जो रूप चाहें हमें मिल जाएगा उनके अंदर । कन्याएं माँ संतोषी , देवी सीता भी हो सकती है और चामुण्डा, काली भी।

क्या वो देवी सरस्वती और लक्ष्मी नहीं होती हैं अप्पा? उसने अपनी गर्दन उनकी बांह से हटा कर सीने पर रखते हुए पूछा ।
क्यों नहीं होती पगले । सारी देवियां उसमें होती है । चल अब सो जा वरना तेरी अम्मा तुझे नहीं मुझे डांटेगी की बच्चों को अभी तक जगा रखा है ।
चलो , उतरो… उतरो ! मंजिल आ गई तम लोग की सा। कंडक्टर की आवाज से फिर अमय की दुनिया में खलल पड़ गया था । लेकिन अब वो वक्त भी आ गया था जब उसे एक नई दुनिया में जाना था ।

उस बस में 5- 7 बच्चे यूनिवर्सिटी के ही थें। उनके उतरने के साथ ही अमय भी नीचे उतर कर यूनिवर्सिटी की विशालता को अपनी छोटी – छोटी आंखों में भरने की कोशिश करने लगा। तभी उसके बगल से वो तीन लड़कियां भी गुजरी जिनमें से एक ने अमय के कंधे को टक्कर मार दी । जानबूझ कर या अनजाने में ये नहीं पता लेकिन अमय को गुस्सा बहुत आई। कोई लड़का होता तो जाकर डांट भी देता किसी लड़की के सामने वो अपना सर भी ऊंचा नहीं करना पसंद करता तो आवाज कैसे ऊंची करे।

कॉलेज जाने वाले सभी लड़के-लड़कियों की तरफ उसने भी अपने पहले दिन को खास बनाने के कुछ ideas सोच रखे थे । लेकिन शायद उसका ये दिन कुछ खराब ही था । पहले तो ग्राउंड में कुछ सीनियर्स ने उसको रोक कर उसे परेशान किया और उसके बाद क्लॉस में एंट्री लेते ही वो तीनों लड़कियां फिर से उससे टकरा गई।

Oh ho ! Mr बस वाले , पीछा कर रहें हो हम लोगों का? एक लड़की ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा, तो उसने तुरंत अपना कंधा झुका लिया और उसका हाथ फिसल गया।
मैं यहां पढ़ने आया हूँ। वो क्लॉस के अंदर आ गया।

लेकिन ये क्लॉस हमारी है । दूसरी लड़की ने कहा।
पर आज से ये मेरी भी है । वो पीछे सबसे किनारे जाकर बैठ गया।
इस तरह लड़कियों को इग्नोर करके आया जाता है ? दोनों लड़कियां पीछे भी चली गई।

दिशा , नीतू ! यार क्यों परेशान कर रही हो इसे , अपना क्लासमेट ही है। पीछे से तीसरी लड़की भी आ गई।
देखने लायक भी तो कुछ होना चाहिए तब न कोई देखे । अमय ने बिना उनकी तरफ देखे ही कह दिया।
What the fu…
अरे छोड़ो दिशा चलो यहां से ।

तू निकल दिशा यहां से हम दोनों जरा इससे मिलके आते हैं।
तीन लड़कियां उनमें से दो के नाम दिशा है ! बताओ नाम तक तो स्पेशल नहीं है बात आप लोग इग्नोर करने की कर रहीं हैं। अमय हँसने लगा तो नीतू ने उसका कॉलर पकड़ लिया।

छोड़ो रितु सर आ गए हैं। पीछे वाली लड़की ने दोनों को खींचा।
क्लॉस के बाहर मिलना तब बताते है तुम्हें ।
क्लॉस के पहले दिन की कीच- कीच से अमय के मन में पहले ही दिन यूनिवर्सिटी की छवि बदल गई।
जहां पढ़ने के लिए उसने इतनी मेहनत की थी वहां अब क्लॉस जाने का भी मन नहीं करता है उसे।

अप्पा सही कहते थें पास के किसी कॉलेज से Mass Cum. का फॉर्म डाल दो लेकिन उसे तो किसी बड़ी यूनिवर्सिटी से अपना कोर्स कंप्लीट करना था ।
पहले हफ्ते वो सिर्फ तीन ही दिन गया क्लॉस वो भी हर बार बस की टाइमिंग बदल के क्योंकि वो नहीं चाहता कि उन लड़कियों से उसकी मुलाकात किसी ऐसी जगह हो जहां वो भर भर के उसे बातें सुना सकें।

ऐसा नहीं है कि वो लड़कियों से डरता है लेकिन उसने अपने घर पर देखा है कभी अम्मा पर ऊंची आवाज हो जाने पर अप्पा घंटों उनके पैर अपनी गोद में रख के दबाते रहते है । ऐसे में वो किसी लड़की की बेइज्जती करता है तो उसे लगता है कि अपने अप्पा की परवरिश की बेइज्जती कर रहा है।
बड़ी देर से रितु और दिशा उसे कुछ बनाते देख रही थीं। जैसे ही अमय वॉशरूम गया । रितु तुरंत जाकर उसकी बुकलेट उठा लाई।

ये कौन सी लड़की है ? पहले ही पेज पर बड़ी सुंदर सी तस्वीर बनी थी ।
बेवकूफ , इनके हाथ में बांसुरी नहीं दिख रही तुझे ! Godess राधा हैं।
ला मुझे भी दिखा ।
जरा मैं भी देखूं।

एक एक करके क्लॉस के सभी स्टूडेंट्स अमय की आर्ट बुक के करनी झुंड बना कर इकट्ठा हो गए थें।
लौंडा तो आर्टिस्ट निकला यार ।
शायद फैमिली प्रेशर में मास कॉम ले लिया है ।
इसने सबसे ज्यादा आर्ट पैरों पर की है । छोटे पैर , बड़े पैर , कमल पर पैर , पायल वाले पैर……

लगता है इसे कभी किसी लड़की को चेहरा देखना नसीब नहीं हुआ है । रितु के इस मजाक से पूरे क्लॉस में हँसी गूंज उठी।
अब तक अमय वॉशरूम से आ चुका था । सबसे पहले उसने अपनी आर्ट बुक देखी जो उनकी सीट से नदारद थी और फिर सबको एक जगह देख कर वो समझ गया कि क्या हो रहा होगा ।

जब वो अपनी बुक लेने गया तो देखा अब तक कई लोगों ने उसकी बनाई आर्ट को हाथों से छुआ था जिससे उसका सफेद पेज हल्का गंदा नजर आ रहा था और उस पर रीतू और सुदिशा दो लड़कियों की सिग्नेचर भी थी । अमय ने उनसे अपनी आर्ट बुक छीन ली तो देखा लगभग सभी पेजेस की यही स्थिति थी ।
उम्मीद है हमारे इस खास काम के बाद आप हमें भूलने या इग्नोर करने की हिम्मत नहीं दिखा पाएंगे।

अमय एक एक पेज पलटता जा रहा था और उसकी आंखों से एक एक आंसू निकलता जा रहा था । अमय का रिएक्शन ऐसा होगा किसी ने भी सोचा नहीं था।

What’s the matter bro ? It’s just an art… एक लड़के ने उसके कंधे पर हाथ रख कर सांत्वना देने की कोशिश की तो अमय ने गुस्से में उसका हाथ मरोड़ कर उसे धक्का दे दिया। फिर वो उन तीनों लड़कियां की तरफ पलटा और अपनी आर्ट बुक को टुकड़े- टुकड़े फाड़कर उनके चेहरे पर उड़ा दिया। उसके इस एक्शन से पूरी क्लॉस हैरान रह गई और वो तीनों भी।                                                                                                                      देखो इन दोनों की तरफ से मैं माफी मांगती हूं ये दोनों….

आप लोग निहायती बत्तमीज़, बेवकूफ , अहंकारी और बेहूदी हैं । ये पूरी क्लॉस इमोशनलेस है और यहाँ के एथिकल वैल्यूज बिल्कुल बेसलेस । पता होता यूनिवर्सिटीज में इस तरह की बेहूदगी होती है तो कभी यहाँ आता ही नहीं । अमय अपनी आंखों से आँसू पोंछता हुआ बैग उठाकर क्लॉस से निकल गया और बाकी के सब एक दूसरे का मुंह ताकते रहें।

सब अंदर ही अंदर गिल्ट महसूस कर रहें थें । कैंटीन में बैठकर 15- 16 लोगों के ग्रुप की यही चर्चा थी कि उसे किस तरह मनाया जाएं।
उसका एड्रेस किसी को पता है ? एक लड़के ने कहा।
शायद वो अमय है ! दिशा बोली।
ये तो सब को पता है जो हमें न पता हो वो बताओ ।

नहीं मुझे लगता है कि ये वो वाला अमय है जिसके साथ मैं स्कूल में पढ़ी हूँ।
स्कूल में ?
हाँ ये पक्का वही है मैंने जब उसे पहले दिन देखा था तभी से मुझे ऐसा लगता था कि मैं उसे जरूर जानती हूं।
तो तुम्हारे ये बताने से वो मान जाएगा ?

नहीं लेकिन कुछ और बताने से तो मानना ही पड़ेगा उसको।
क्या ?
वो छोड़ो बस किसी तरह उसे एक दिन क्लॉस ले आओ ।
जिस गुस्से में गया है वो उससे तो लगता है दोबारा नहीं आएगा। सुहानी बोली।

आयेगा , कल ही आयेगा चाहे शर्त ही लगा हो । मुकुंद ने पूरे कॉन्फिडेंस से कहा।
क्योंकि….  ये देखो ! उसने अपनी जेब से छोटी-छोटी पायल निकाल के सबको दिखाया।
ये क्या है ? किसकी हैं?

पता नहीं उसके बैग में पड़ी थीं मैंने मजे लेने के लिए निकाल लिया था शायद किसी छोटी बच्ची की होंगी ।
वो इतनी छोटी चीज लेने कॉलेज आयेगा ?
छोटी जरूर है लेकिन खास भी लगती हैं ।

परेशान और दुखी अमय ने जब अपने बैग में हाथ डाला तो उसकी सबसे कीमती चीज भी गायब थी। पूरा बैग पलटने के बाद भी वो प्यारी सी पायल गायब हो गईं थीं उसके बैग से । वो टेबल पर ही सर रख के सिसकने लगा।

अमय ने नोटिस किया था जब से उसकी बहन पायल पहनने लगी है तब से उसके पैर और खूबसूरत लगने लगे थें। पूजा घर की सभी देवियों के पैरों में पायल देखने के बाद अमय इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि पायल खूबसूरत गुलाबी पैरों की सुंदरता को और भी बढ़ा देती है। बस फिर क्या था अमय अपनी सेविंग्स और जेब खर्च के पैसों को इक्कठा करने लगा ।

अपने गुल्लक से और अपने दोस्तों से पैसे उधार लेने पर भी उसके पास सिर्फ चार सौ रुपए ही हुए। लेकिन पायल तो इतने में मिलेगी कहां ? अमय की एक आखिरी उम्मीद उसकी अम्मा ही बची थीं।
आगे – पीछे डोलते हुए अपनी अम्मा को उसने अपनी बातों में ले ही लिया ।
अच्छा बता क्या गिफ्ट देना है तुझे अपनी दोस्त को जो इतना पैसा चाहिए ?

पायल ।
पायल ??
हाँ अम्मा प्लीज ! वो सबको सबके मन की चीज दे देती है तो मैं भी तो उसे …..
जानता भी है पायल तीन सौ की नहीं मिलती ।

मालूम है अप्पा से पूछा लिया था इसीलिए मैंने भी चार सौ जमा किए है ।
अच्छा तो शाम को मेरे साथ बाजार चलना वही दिलवा दूंगी।
सच्ची अम्मा…। अमय लिपट गया उनसे खुशी के मारे।
मुच्ची….। उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसकी अम्मा बोली थी।

आज अमय अपनी ही बाहों में लिपट कर रो रहा था । ऐसा कोई नहीं था जो उसे समझा सके जाने दे न पायल ही तो थीं।
सिर्फ पायल? नहीं, किसी की गुलाबी एड़ी का गहना थीं वो , अमय की कई रातों को जागकर लगाई गई गणित का हिसाब थीं वो , कई दिनों की टॉफी और चॉकलेट्स की हड़ताल को सिर्फ पायल कहना ठीक नहीं होगा । उसे प्रथम प्रेम का पहला उपहार कहना ज्यादा सही रहेगा।

कभी भी हिंसा को न पसंद करने वाला लड़का आज अपनी क्लॉस में मारपीट के इरादे से गया था । लड़का हो या लड़की जिसने भी उसे परेशान करने के लिए ये किया है , उसे वो जरूर पिटेगा आज ।

क्लॉस में एंट्री लेते ही उसकी नजर प्रोफेसर पर पड़ गई। इसीलिए अपने गुस्से को काबू करते हुए हुए वो सीट की ओर बढ़ा लेकिन दूसरी सीट पर पहुंचते ही उसे छन की आवाज आई तो वो पलटा। दोनों पायल दिशा के हाथ में थी और वो उसे इशारा करके अपनी तरफ बुला रही थी। वो उसकी सीट पर पहुंचा तो रितु और दिशा ने अपने बीच की जगह खाली कर दी ।
पहले यहाँ बैठो तो आकर की। दिशा उठकर सीट से बाहर निकल आई तो अमय को उनकी सीट पर बैठना ही पड़ा ।

मुझे मेरी पायल चाहिए अभी । अमय ने बैग से नोट्स निकाल कर सीट पर रखते हुए दोनों की तरफ देखा।
क्या मतलब तुम पायल पहनते हो ? रितु खी खी कर धीमे से हँसी।
क्लॉस खत्म हो जाने दो क्योंकि ये मेरी आखिरी क्लॉस होगी इस यूनिवर्सिटी की भी और शायद जिंदगी की भी।
क्यों इसके बाद कहाँ चले जाओगे? दिशा ने उसके कंधे से अपना कंधा लड़ाते हुए पूछा।

जेल में । इतना कहकर अमय पेन निकाल कर नोट्स लिखने लगा।
वो पूरे मन से नोट्स लिख ही रहा था कि उसकी नजर अगली सीट के नीचे पड़ी। उसकी आँखें वहीं थम के रह गईं। वही गुलाबी एड़ी……! देवी सरस्वती , देवी लक्ष्मी… नहीं , नहीं ! राधा रानी ….! अमय इन दस सालों में सिर्फ देवियों के नाम ही बदल पाया था लेकिन गुलाबी एड़ी अभी भी उसके जेहन में वैसी ही बसी थी ।

बचपन की सारी यादें या तो मिट गई या धुंधली हो गईं लेकिन ये गुलाबी एड़ी उसके दिमाग में बिल्कुल ताजी ही बसी रही। इतने सालों हजारों पैरों पर उसकी नजरें टिकी है लेकिन उनमें भी इस तरह का गुलाबीपन कहीं भी नहीं था । अमय की आँखें इस एक ही गुलाबी रंग को जानती थीं जो उस मासूम लड़की के पैरों से निकला करता था।

क्लॉस खत्म हो चुकी थी और स्टूडेंट्स जा चुके थें लेकिन अमय अपनी आँखें एक ही जगह गड़ाए बैठा था ऐसा लग रहा था कि वो उन गुलाबी एड़ियों से बात कर रहा हो लेकिन वो तो जा चुकी थी।

उसकी एड़ी Her Heel ! Sweet School love story
उसकी एड़ी Her Heel ! Sweet School love story

जैसे उसने सोचा था, जैसे अपनी आर्ट में उतारा था नन्हें से वो गुलाबी पैर बड़े होने के बाद बिल्कुल वैसे ही हो गएं थें।
वो भी ठीक तो हो ? किसी ने उसे काफी देर से एकटक देखने की वजह से उसे हिला दिया।

ह… हाँ… Thank you भाई ! वो अपना बैग लेकर क्लॉस से बाहर भगा।
किधर गई ? इधर की उधर… । अमय बेचैन सा हो गया। तभी उसकी नजर हॉल की तरफ जा रहें एक ग्रुप पर पड़ी।
उसने झुक कर वो गुलाबी पैर ढूंढने की कोशिश की। वो वही है ,आवाज लगा! उसके दिल ने उससे कहा।
विदिशा….. ! उसने आवाज लगाई और अपने मुंह पर हाथ रख के खड़ा हो गया।

विदिशा ने पलट के देखा लेकिन रितु और सुदिशा ने उसे अमय के पास जाने से रोक दिया और खुद वहीं रुक के खड़ी हो गईं। विदिशा अपने बाकी दोस्तों के साथ आगे बढ़ गईं।
मैंने कहा था तुमसे कि पायल मुझे दे दो मैं उसे दे दूंगी लेकिन तुम्हें मुझपे भरोसा ही नहीं था, अब देखो पायल तो मेरे ही पास है दूं उसे या नहीं ? सुदीशा और रितु ने जाकर अमय को रोक लिया।

तुम ही रख लो बस मुझे उससे एक बार बात कर लेने दो।
उससे बाद करने की बड़ी जल्दी है जिसके साथ सिर्फ 6- 7 महीने ही पढ़े थें और मेरे साथ तो पूरे तीन साल बताएं थें उसका क्या ?
यार तुम्हारा हिसाब बाद में देखूंगा पहले उससे मिल लेने दो।
अच्छा ये बताओ इतना ही ज्यादा Obssesed थे उससे तो उसे देख के पहचाना कैसे नहीं ?

कैसे पहचानेंगे ये रितु , हमेशा उसके पैरों पर ही ध्यान दिया था कभी चेहरे का ख्याल ही नहीं आया इन्हें क्यों है न यही बात !
तुम लोग जितना सोच रही हो उतना कुछ है भी नहीं बस दोस्त थी मेरी वो।
दोस्त से मिलने के लिए इतनी तड़प?
बस पूछना था कि अचानक क्यों चली गईं थीं?

उसके पापा का ट्रांसफर हो गया था। बस अब और कुछ तो नहीं पूछना ।
अच्छा ..Ok! हाँ हो गया bye! अमय समझ गया था कि वो दोनों उसे विदिशा से बात नहीं करने देंगी इसीलिए वो वापस जाने लगा।
अच्छा ये तो बताते जाओ कि ये आखिरी ही क्लॉस थी न? कल से कैंपस में दिख तो नहीं जाओगे । इतना कहकर दोनों हँसने लगी लेकिन अमय ने उनपर कोई ध्यान नहीं दिया।

अमय ग्राउंड पर बैठकर अपने नोट्स पर ही विदिशा के गुलाबी पैर बनाने लगा । वैसे तो वो रोज शाम तक हॉस्टल चला जाता था लेकिन आज नहीं गया इस उम्मीद से की शायद विदिशा उसे दिख जाएं तो एक बार उसे जी भर के देख ले, उसके पैरों को हाथों से छू ले ।
क्या कर रहे हो यहां अकेले बैठकर ? कोई सट कर अमय से बैठ गया था और अमय की सांस जैसे अटक गई थीं।

अरे तुम इस पर भी आर्ट्स कितनी अच्छी बना लेते हो। अमय के हाथों से विदिशा ने उसके नोट्स ले लिए और वो किसी पुतले की तरह बैठा ही रहा।
कल के लिए गुस्सा हो क्या ?
नहीं ! उसने सांसों को काबू में करते हुए जवाब दिया।

अगर गुस्सा नहीं हो तो मेरी तरफ क्यों नहीं देख रहें ? सामने ही देखे जा रहें हो। उसने अमय का मुंह अपनी तरफ घुमा लिया लेकिन अमय ने उसके चेहरे के बजाय तुरंत उसके पैरों की तरफ देखा। अपने फ्लैट हिल वाले स्लीपर्स पीछे उतार कर नंगे पैर बैठी थी वो।
तुम आज भी क्लॉस में ऐसे ही बैठती हो जूते या सैंडल उतार कर ?

हमेशा नहीं , School छूटने के बाद वो आदत भी छूट गई थी । लेकिन कल दिशा ने बोला कि ऐसे ही क्लॉस करनी है मैंने भी कहा ठीक है ।
ये मास्टरजी की लड़की भी न…! अमय शर्माते हुए मुस्कुराने लगा।
उसने कुछ और भी कहा था।
क्या ?                                                                                                                                                                                                  अपना हाथ नीचे रखो।

अमय के अपनी हथेली खोलकर पूरा हाथ फैलाते ही विदिशा ने अपना एक पैर उसकी हथेली पर रख दिया। अमय ने अपनी रूह तक में वो स्पर्श महसूस किया । उसका दिल हुआ वो तुरंत उसके पैर को उठा के अपने होठों से चूम ले ।
ये पकड़ो अपनी अमानत , और बताओ आ पाएगी मुझे ? उसने दोनों पायलें अमय के चेहरे के आगे कर दी ।
अरे… ये कैसे हो पाएगा ! तुम शर्मिंदा कर रही हो ।

तो अभी तक देवदास की तरह रखा क्यों था मुझे दे देना था न । पीछे से सुदीशा आ गई तो विदिशा ने अपने पैर समेट लिए।
अबे यार ! कितना Pro level वाला Ultra Classic Romance चल रहा था इसमें सब बिगाड़ दिया, पागल औरत कहीं की। पेड़ के पीछे से विदिशा के group members ने एक एक कर अपनी मुंडी उठाई।

तुम लोग यहां क्या कर रहे हो ? विदिशा ने सबको तीखी आंखों से देखा ।
भाई से मिलने आएं थें ।
मुझसे ? क्यों ?अमय को थोड़ा हैरानी हुई।

अभी बताते है । रितु ने जाकर उसके हाथ में एक चॉकलेट पकड़ा दी । मुकुंद ने उसके हाथ में पीले गुलाबों का गुलदस्ता दे दिया । अतुल ने दो cold Coffee ला कर पकड़ा दी उसे।
ये सब क्यों कर रहें हो तुम लोग ।
माफी के लिए ! कल के लिए हम सब की तरफ से Sorry. उम्मीद है इतना करने के बाद हम तेरी माफी तो डिजर्व ही करतें है। चलो एन्जॉय करो कल मिलते है।

माफ तो कर दूंगा मगर एक शर्त पर।
कैसी शर्त ? सबने एक दूसरे की तरफ ताकते हुए पूछा।
अमय ने विदिशा की तरफ देखा और दोनों हल्के से मुस्कुराएं।
तुम लोगों को भी यहीं हमारे साथ मस्ती करनी पड़ेगी।

जितना है तुम दोनों के लिए ही कम है हमें मत इन्वॉल्व करो। दिशा ने साफ मन कर दिया।
दो काफी, एक चॉकलेट और 7 लोग , आराम से जो जाएगा। विदिशा ने कहा।
Oh कितने बड़े दिल वाले हो तुम लोग । सुहानी बोली।

भगवान तुम दोनों की जोड़ी हमेशा सलामत रखे , दूधो नहाओ पूतों फलों और सौ बच्चों की माँ बन… मुकुंद का वाक्य पूरा होता इससे पहले ही विदिशा ने अपने चप्पल से सटीक निशाना लगाया उसके चेहरे पर ।
देखा अमय देवियों के सिर्फ पैर ही गुलाबी नहीं होते उनके हाथ भी काफी फास्ट होते हैं। दिशा के इतना कहते ही कैंपस का एक पूरा कोना ही निश्छल सी खिलखिलाहटों से भर गया, ऐसी मुस्कुराहटें जिनकी वजह एक मासूम सी लड़की और भोले से लड़के के बचपन की पवित्र सी प्रेम कहानी है।

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3 thoughts on “उसकी एड़ी Her Heel ! Sweet School love story.”

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