J for Love – When traditional meets Modern in LOVE part 2
‘J for Love – When traditional meets Modern in LOVE’ कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा कि गुजराती मूल के सेठ जगमोहन शाह जो पुराने खयालों के थें , ज ( j ) अक्षर को बहुत महत्व देते थें। उनके बच्चे भी उन्हीं के अनुसार सिर्फ j से शुरू होने वाली चीजें खरीदते थें। उसकी बेटी जया भी उन्हीं की तरह थी । एक दिन जवोरा क्लॉथ स्टोर में उसकी मुलाकात क्षितिज से होती है। उसी के बाद से ही दोनों में कुछ कनेक्शन बन जाता है। क्षितिज उसे मॉडलिंग के लिए कहता है लेकिन वो न कर देती है। तब उसके भाई जिग्नेश की मदद से क्षितिज जयेश बनकर जया से मिलने का रास्ता बना लेता है।
अब आगे –
क्षितिज को बिल्कुल भी समझ नहीं आया कि सिर्फ एक मुलाकात के लिए जिग्नेश ने उसे अपना ट्यूशन टीचर क्यों बताया । लेकिन इसके पीछे का कारण उसे जया से मिलने के बाद पता चल गया , जब उसने फिर से मॉडलिंग के लिए साफ इनकार कर दिया ।
इसी के बाद क्षितिज ने सोच लिया था कि अभी कुछ दिन चुपचाप जिग्नेश का टीचर बनने में ही भलाई है। इसी बहाने जया से मुलाकात भी हो जाती है । जया कभी चाय लेकर कमरे में आती है तो कभी कोई पहेली पूछकर खुद को उससे ज्यादा समझदार दिखाती।
एक दिन काफी देर बैठने के बाद भी जिग्नेश नहीं आया तो क्षितिज खुद से ही गुस्से में कुछ बड़बड़ाने लगा।
एये मास्टर साब ! तभी जया ने कमरे के अंदर झांका।
हाँ जी बोलिए ! उसने मुंह बनाते हुए ही जवाब दिया।
अमरूद खाओगे ?
अमरूद ?
अरे अंगरेज, जिसको पाइनएप्पल बोलते हैं अंग्रेजी में। जया ने जाते हुए कहा।
वैसे Guava बोलते हैं उसको। याद रख लो कभी कभी काम आएगा। क्षितिज भी पीछे से निकल आया ।
कुछ भी बोलते हो पर रहेगा तो अमरूद ही ।
हाँ जैसे तुम बहुत सारा पैसा कमा लो लेकिन रहेगी तो जया ही।
ये कैसा उदाहरण है ?
उदाहरण की छोड़ो जिग्नेश कहाँ है ये बताओ ?
पप्पा ने उसे दुकान पे बुलाया है।
अब तक दोनों घर के पीछे बने बगीचे में पहुंच चुके थें। जया अपना घाघरा संभाल कर अमरूद के पेड़ पर चढ़ने लगी।
अरे ! हम नीचे से भी तोड़ कर खा सकते हैं। ऊपर जाओगी तो फिसल जाओगी ।
मैं तो रोज चढ़ती हूँ, आज तक तो नहीं फिसली।
लेकिन आज सुबह बारिश हुई है । नीचे उतर आओ । आज पेड़ पर चिकनाई ज्यादा होगी। वो पेड़ के नीचे खड़ा हो गया।
नीचे उतरती है मेरी जूत्ती ! जया क्षितिज को अपनी मजबूती दिखाने के लिए डाल पर खड़ी होकर अमरूद खाने लगी। दूसरे अमरूद को तोड़ते वक्त उसका बैलेंस बिगड़ गया और वो नीचे गिरी।
Oh shit! क्षितिज ने फुर्ती से उसे अपनी बांहों में कैच कर लिया ।
देखा ! कभी-कभी दूसरों की बातें मान लेनी चाहिए। आज मैं था तो पकड़ लिया लेकिन हर बार कोई तुम्हारी मदद के लिए नहीं होगा ।
जया ने पहले तो उसके चेहरे को घूरते हुए देखा फिर उसकी बांहों से नीचे कूदते हुए उसे “काली जुबान” भी बोल दिया।
अजीब लड़की है यार ! क्षितिज अपनी कमर पर दोनों हाथ रखे , उसे जाता हुआ देखता रहा।
इसके बाद दोनों में कुछ दिनों तक बोलचाल बंद रहा। जिग्नेश की मध्यस्थता के बाद दोनों में फिर से दोस्ती हो सकी।
समय बीतने के साथ ही दोनों में नजदीकियां भी बढ़ने लगी। अभी तक जो feelings सिर्फ क्षितिज की तरफ से थीं, अब जया की तरफ से भी वैसे ही सिग्नल्स मिलने लगे हैं। जबसे जया की मम्मी ने जया को भी जयेश सर से पढ़ने को बोल दिया है तब से तो और भी ज्यादा हँसी मजाक चलने लगा है दोनों का ।
कॉपियों में एक दूसरे के अटपटे स्केच बनाना और एक दूसरे को मजाक में कुछ लिख देना। ये उन दोनों के मजाक करने का नया तरीका बन गया था। कभी-कभी तो जिग्नेश उन दोनों को ऐसे देखता जैसे वो दोनों अभी बच्चे हैं ।क्षितिज के बिहेवयर को देखकर एक दिन जिग्नेश ने उससे साफ-साफ पूछ लिया।
आप जो काम करने आएं थें वो तो करते नहीं दिखाई दे रहें। दो महीने से ज्यादा हो गएं आप अभी तक उन्हें काम करने के लिए राजी नहीं कर पाएं हैं।
कोशिश तो कर रहा हूँ।
गलत चीज पर कोशिश कर रहें हैं। हमारे घर में हिंदी वर्णमाला के सिर्फ एक अक्षर को इंपॉर्टेंस दी जाती है और वो है ” ज ( j ) ” । लेकिन आपका नाम तो ज ( j ) से शुरू नहीं होता इसीलिए सारी संभावनाएं यहीं पे खत्म हो जाती है।
ये क्या अजीब बात है यार ।
पप्पा की नजरों में जिसका भी नाम j से नहीं शुरू होता है वो हमारे घर के लिए ठीक नहीं है। इसीलिए तो जावित्री जीजी की शादी उनके boyfriend अक्षत से न करा कर जैनेंद्र जीजू से करा दी और जया जीजी की पढ़ाई भी 11वीं के बाद छुड़ा दी ताकि उनका भी कोई बॉयफ्रेंड न बन जाए।
यार कैसे पापा हैं तुम्हारे ?
अब जो हैं यहीं हैं । हम तो पापा नहीं बदल सकते, लेकिन आप जरूर अपना इरादा बदल सकते हो। बाकी जया जीजी को तो अब कोई और समझाएगा।
कौन ?
जावित्री जीजी!
जिग्नेश ने एक दिन पप्पा का फोन मिल जाने पर अपनी बड़ी बहन जावित्री को कॉल करके जया के बारे में सब कुछ बता दिया । उसके बाद जावित्री ने जया से बात करके उसे समझाने की कोशिश की।
इतना अच्छा मौका मिलने के बाद भी क्यों मना कर रही है तू ?
जीजी पप्पा का गुस्सा जानती हो न आप !
उनके गुस्से के डर से हम अपनी जिंदगी जीना नहीं छोड़ सकते समझी।
मैं उनको दुःखी नहीं कर सकती ।
हाँ लेकिन खुद दुखी रह सकती है ? देख जयु जिंदगी जब एक अच्छा मौका लेकर दरवाजे पर दस्तक दे तो दरवाजे को बंद नहीं किया जाता । मैं कॉलेज पास आउट थी तो छोटी सी जॉब मिल गई मुझे। लेकिन तेरे पास तो इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है आजाद महसूस करने का।
पप्पा को पता चला तो ?
तब की तब देखी जाएगी अभी तो ये काम जरूरी है न।
जावित्री के काफी समझाने के बाद आखिरकार जया जवोरा के लिए मॉडलिंग करने को तैयार हो गई।
जिग्नेश Spelling competition का बहाना बनाकर अभिभावक के रूप में जया को साथ लेकर क्षितिज के बताए पते पर निकला जहाँ से रस्ते में क्षितिज अपनी कार लेकर उन दोनों का इंतजार कर रहा था।
एक बड़े से स्टूडियो में जया का स्वागत किया गया।थोड़ी ही देर में कुछ मेकअप आर्टिस्ट आकर जया को अपने साथ ले गएं।
शूट के समय जया की खूबसूरती देखने लायक थी । वो हर पोज को इतने परफैक्टली कर रही थी जैसे उसका ये रोज का काम हो । लाल बनारसी साड़ी से लेकर एथनिक कुर्ती तक जया सबमें अप्सरा जैसी लग रही थी।

That’s called real Indian beauty ! क्षितिज जब मंत्रमुग्ध हो जया के शूट्स को देख रहा था तो पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया। क्षितिज ने पहले तो उस इंसान के पैर छुए और फिर उनके गले लग गया।
Nice choice man ! ये कोई और नहीं बल्कि क्षितिज के पिता जी ही थे।
Shoot खत्म करते ही जया जिग्नेश से चिपक के खड़ी हो गई। उसे इतने सारे लोगों को देख कर डर लग रहा है।
वहाँ से आने के बाद जया दम साधे ही एक दो दिन घर में रही । फिर जब लगा कि पप्पा को कुछ नहीं पता चलेगा तो फिर से अपने अंदाज में आ गई । कॉपी किताब लेकर फिर से क्षितिज के पास बैठना शुरू कर दिया। एक दिन जिग्नेश से पहले ही वो उसके कमरे में पढ़ने बैठ गई। तब क्षितिज ने उसकी कॉपी पर अपना असली नाम लिख दिया।
ये क्या मजाक है । जया को ये मजाक लगा।
सच कह रहा हूँ। मेरा नाम जयेश नहीं है । मैं तुम्हें धोखे में नहीं रखना चाहता था ।
अगर पहले नहीं बताया तो अब क्यों ?
क्योंकि मैं नहीं चाहता तुम किसी झूठे जयेश को सच मानो। तुम्हारे सामने सच्चा क्षितिज खड़ा है तो उसी पर भरोसा करो।
कभी नहीं , कभी नहीं और कभी नहीं । जया ने कॉपी के टुकड़े कर के क्षितिज के मुंह पर फेंक दिए।
तुम जिस काम के लिए आए थें वो काम तो हो गया न! अब से दोबारा मत आना इस घर में । जया रोते हुए कमरे से भाग गई।
क्षितिज पत्थर की तरह जमा उसका जाना देखता रहा।
उस दिन के बाद भी क्षितिज जया के घर गया । वो बस जिग्नेश के कमरे में चुपचाप एक घंटे के लिए बैठा रहता। न वो जिग्नेश को पढ़ाता और उसकी हालत समझ कर जिग्नेश भी उससे नहीं पड़ता।
जावित्री के समझाने और धीरे-धीरे वक्त गुजरने के साथ क्षितिज के लिए अपने दिल में प्यार का अहसास होने पर जया ने उसे माफ कर दिया। दोनों के बीच फिर से कॉपी पर लड़ाई झगड़े शुरू हो गए। जिग्नेश का कमरा फिर से हँसी से गूंजने लगा।
अभी कुछ दिन ही बीते थे कि एक दोपहर को जया के पप्पा चिल्लाते हुए घर आ गएं । उस समय तीनों साथ ही थें। मम्मी दौड़ आईं और उन्हें शांत कराने की कोशिश करने लगी।
क्या हुआ ?आज दोपहर में ही घर आ गएं।
तुम्हारी बेटी कहाँ है ? बुलाओ उसको । एक ने कॉलेज जाकर नाम रोशन किया और एक ने घर बैठे ही कमाल कर दिया।
हुआ क्या बताओ तो सही !
जया ! कहाँ हैं ? नीचे आ ।
पापा की डांट सुनते ही जया का शरीर कांपने लगा वो डरते हुए नीचे आई।
ये क्या तमाशा है ? पप्पा ने जया की बांह पकड़ के अपनी तरफ खींचा और फोन में उसकी फोटोज दिखाई। सारी फोटो जवोरा के शूट्स की थीं।
पप्पा ..बताने ही वाली थीं.. आपको ! जया ने रोते हुए जवाब दिया।
तू माने बताओगी ?
पप्पा दर्द हो रहा है । जया रोते हुए अपनी बांह छुड़ाने लगी।
हाथ छोड़िए उसका । क्षितिज ने आगे बढ़कर उनका हाथ झटक दिया और जया को अपने पीछे खींच लिया।
अब तुम कौन हो मास्टर ? मेरे और मेरे बेटी के बीच में आने वाले !
मैं एक बाप-बेटी के बीच नहीं एक पुरानी सोच और नए जमाने के बीच आया हूँ। अब आपको जो बात करनी है मुझसे कीजिए क्योंकि जया पर दबाव डालकर मैंने उसे इस काम के लिए तैयार किया था । जिग्नेश अपनी बहन को अंदर ले जा । क्षितिज उनके सामने सीना तानकर खड़ा हो गया।
तो मुखिया तुम हो जयेश बाबू ।
जयेश नहीं ! मेरा नाम क्षितिज है ।
लो बताओ एक और सच्चाई आ गई सामने । कुछ और छुपाया हो तो वो भी बोल ही दो।
छुपाया तो नहीं है फिर भी आपको साफ-साफ बता दे रहा हूँ कि मैं आपकी बेटी को प्यार करता हूँ ।
गई भैंस पानी में । जमुना , अभी चौकीदारों से कह के आ इस मानुष को धक्के मार कर इस घर से…
जरूरत नहीं है। मुझे पैर दिए हैं भगवान ने । दूसरों का सहारा वो लें जो पैर से नहीं सोच से अपाहिज हो । क्षितिज उनके बगल से हवा की तरह निकल गया।
क्षितिज की ये बात जब उनके डैड को पता चली तो उन्होंने sorry बोलने और रिश्ते की बात करने के लिए सेठ से मिलने का प्लॉन बनाया। क्षितिज जानता था कि सेठ नहीं मानने वाला लेकिन फिर भी वो अपने डैड को नहीं रोक पाया।
शाम के समय घर के आगे चार बड़ी-बड़ी गाड़िया रुकते ही सेठ जगमोहन समझ गएं थें कि कोई बहुत बड़ा आदमी उसके घर पधारा है। बीच की कार से क्षितिज और उसके डैड निकले और बाकी की गाड़ियों से उनके गार्ड्स ।
जलपान की विधि पूरी होने के बाद क्षितिज के डैड ने अपनी बात रख दी।
देखिए हमारे लड़के ने उस दिन जो भी बदतमीजी की है उसके लिए मैं माफी मांग रहा हूँ। अब आप ही सोचिए हमउम्र बच्चे है थोड़ा बहुत तो अट्रैक्शन होगा ही।
मैं आपकी बात की इज्जत करता हूँ भाई साहब और खुद को बहुत सम्मानित भी महसूस करता हूँ कि आप इस गरीब के घर पधारे । लेकिन आप जिस उम्मीद से आएं हैं वो नहीं हो पाएगा।
क्यों नहीं हो पाएगा ? हमारा लड़का अच्छा-खासा दिखता है , मार्केट में हमारे नाम का सिक्का चलता है और आपकी बेटी भी लाखों में एक है । उसे हम हमेशा खुश रखेंगे ।
बड़ी कृपा आपकी लेकिन मैं अपनी परंपरा नहीं तोड़ सकता ।
देखिए सही परंपराओं की तो मैं भी इज्जत करता हूँ लेकिन ऐसी किसी परंपरा को तो तोड़ देना चाहिए जो गलत हो। सती प्रथा भी तो परंपरा थी लेकिन आज के समय में उसे सही नहीं माना जा सकता !
हम आस्था को तर्क से नहीं तौल सकते हैं श्रीमान जी।
चलिए ठीक है आपकी दिक्कत सिर्फ नाम से है न ?
हाँ।
तो ठीक है आज से मेरा बेटा क्षितिज के नाम से नहीं जयेश के नाम से ही जाना जाएगा। मैं उसका नाम सारे कागजों पर बदल दूंगा ।
अब तक क्षितिज खामोश बैठा था लेकिन अब उसे चुप नहीं रहा गया।
मैं अपना नाम नहीं बदलूंगा ।
शादी करनी हैं न !
शादी हो या न हो डैड। मैं अपना नाम नहीं बदलूंगा। क्षितिज सोफे से उठकर खड़ा हो गया।
अरे नाम में क्या रखा है बेटा ? कुछ भी हो जाएगा रहोगे तो मेरे बेटे ही। और प्यार के लिए तो लोग खुद भी बदल जाते हैं तुम अपना नाम नहीं बदल सकते ?
नहीं ? क्योंकि अगर जया मेरा प्यार है तो मैं भी क्षिप्रा और तिजेंद्र का प्यार हूँ समझे आप ।
क्षितिज बेटा अब हमें और मम्मी को तो पता नहीं था कि हमारे नाम के टुकड़े हमारे बेटे के लिए कभी दुखड़े भी बन सकते हैं।
डैड मैं जा रहा हूँ। आप चल रहें हैं क्या ?
लेकिन बात तो कर ..
हो चुकी जितनी बात होनी थी। क्षितिज ने ड्राइवर से कार स्टार्ट करने का इशारा किया और चला गया।
एक बार अच्छे से सोच लीजिएगा जगमोहन जी । उसके डैड भी बरामदे से निकल कर गाड़ी में बैठ गए। ऊपर की खिड़की से जया उन लोगों को जाते हुए देखती रही।

क्षितिज को जया की यादों ने पागल बना के रख दिया है। अब उसके दिल में जया से एक बार मिलने और सामने से सवाल करने का मन था कि “जया! मुझसे प्यार करती हो या नहीं ?” अगर जवाब ” yes ” हुआ तो फिर ऐसी तैसी उस जगमोहन लाल सेठ की , उसकी छाती पर चढ़कर जया से शादी करूंगा।”
यही इरादा बना कर क्षितिज एक रात जया के घर पहुंच गया। जया अक्सर अपने ऊपर वाले कमरे में ही बंद रहती है ये बात जिग्नेश ने उसे बता दी थी। इसीलिए क्षितिज पहले अमरूद के पेड़ पर चढ़ा और फिर पहली मंजिल पर छलांग लगाकर पाइप से ऊपर चढ़ने लगा ।
जया ! उसके कमरे की बालकनी से लटकते हुए उसने जया को आवाज दी और जया ने अपना नाम सुन भी लिया। वो भागते हुए बालकनी में आई।
तुम्हारा दिमाग खराब है । गिर जाओगे यहां से ।
हाँ दिमाग न खराब होता तो पागलों की तरह यहाँ न लटका होता ।
क्षितिज जाओ यहाँ से । पप्पा घर पर ही है।
तुम मुझसे प्यार करती हो या नहीं ?
अभी तुम जाओ Please.
अपना जवाब सुने बिना नहीं जाऊंगा ।
क्षितिज देखो…
हाँ या न, जया ?
मैं कह..
हाँ और न ?
हाँ करती हूँ बस । जया ने घबराहट में तेजी से कहा।
हाए ! अब उस बुड्ढे को तो मैं बताऊंगा ।
क्या हुआ जया? पप्पा ने आवाज दी।
Oh shit ! जल्दबाजी में क्षितिज ने दीवार के सहारे छिपने की कोशिश की लेकिन पैर फिसला और ..धड़ाम !
जया चीख पड़ी ।
वॉर्ड के बाहर सिर्फ क्षितिज के घरवाले ही नहीं जया का भी समस्त परिवार मौजूद था।
देखिए मैं नहीं कहूंगा कि आप मेरे बेटे ही हालत पर तरस खा कर हाँ करें लेकिन एक बार अपनी बेटी के उस चेहरे को भी देखिए जो रो-रो कर सूख चुका है। आप किसी ‘ j ‘ से उसकी शादी करना चाहते है अच्छी बात है । लेकिन आपको बता दूं जितना प्यार हमारा K इससे करेगा न उतना दुनिया में कोई नहीं कर सकता।
पप्पा नाम के एक अक्षर से सभी एक से ही नहीं हो जाते। मेरे सारे दोस्तों के नाम J से शुरू होते है लेकिन वो सभी मेरी तरफ पढ़ाई में होशियार नहीं हैं। जिग्नेश ने कहा।
बेटा परंपरा तो निभानी ही पड़ती है न ।
पप्पा क्यों आप अपनी दूसरी बेटी की खुशियां भी बर्बाद कर रहें हैं? आज हम दोनों कोर्ट के चक्कर काट रहें हैं कल जया भी …
कोर्ट किसलिए ?
हम तलाक ले रहें हैं ।
अरे तलाक! ये क्या अनर्थ कर रही हो ? हमारे खानदान में तो आजतक किसी ने ऐसा सोचा भी नहीं।
जरूरी नहीं पप्पा जो आज तक नहीं हुआ वो आगे भी न हो।
बेटा एक बार टाइम तो दो रिश्ते को !
तीन साल… पप्पा तीन साल मार झेली है मैने उस इंसान की। अब और बर्दाश नहीं होता पप्पा । जावित्री फूट कर रो पड़ी । जया ने तुरंत उसे अपनी बाहों में संभाला।
जीजी आज तक आपने बताया क्यों नहीं ? जया भी रो रही थी। सेठ वहां ज्यादा देर खड़े नहीं रह पाएं।
होश आने पर आँख खुली तो सामने मम्मी डैड को खड़ा देख कर क्षितिज मुस्कुराया। हल्का सा गर्दन घुमाई तो जया भी खड़ी दिखी ।
काली जुबान, तुम्हारे कहने से गिरा था । क्षितिज ने हंसते हुए कहा।
जूलियट बनकर आशिकी करने आओगे तो होगा क्या।
मतलब ये भी मेरी गलती है।
और नहीं तो क्या मेरी गलती है !
मेरी गलती है। सेठ जी वॉर्ड के अंदर आएं तो कमरे में शांति छा गई।
गलती तो मेरी ही है फिर भी मैं चाहूंगा कि ये गलती मुझे जिदंगी भर याद रहें। इसीलिए मेरी शर्त है कि शादी के मेरे नाती या नातिन में से किसी का नाम j से जरूर शुरू हो ।
अरे क्या बात कर रहें हैं सच में । क्षितिज के डैड ने जया के पप्पा को गले लगा लिया। क्षितिज ने कनखियों से मुस्कुराते हुए जया को देखा तो वो अपना मुंह दुपट्टे में छिपाए वहाँ से भाग गई।
आप एक क्या जितने भी हो सबका नाम j से ही रखियेगा।
अरे नहीं समधी जी अब कोई हमारे दामाद जैसा हिम्मती भी तो होना चाहिए। जो होने वाली बीवी के लिए बिल्डिंग से गिरने में संकोच न करे । है कि नहीं बात सही ।
बिल्कुल 100% । पूरे वार्ड में हँसी के ठहाके गूंजने लगे। ऐसा लग रहा था कि सब मरीज को देखने नहीं लाफिंग थेरेपी लेने आएं हैं।
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