My Neighbor’s Wife” A dramatic dark romance love story part 3
My Neighbor’s Wife” A dramatic dark romance love story के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि अविनाश मोहिनी को अपने फ्लैट पर ले आता है। उसके पति की सारी हकीकत जानते हुए भी वो मोहिनी को कमल के बारे में कुछ नहीं बताता है और उसके करीब जाने की कोशिश करने लगता है। एक दिन दोनों में झगड़ा होने पर अविनाश उसके सिंदूर को फेंक देता है लेकिन बाद में अफसोस होने पर उसे दूसरा सिंदूर लाकर देता है उस समय मोहिनी सो रही होती है तो चुपके से उसकी माँग भर देता है।
धीरे – धीरे अविनाश को लगने लगता है कि मोहिनी भी उससे प्यार करने लगी है। सोसाइटी के बढ़ते दबाव को देखकर अविनाश अपना घर लेने का फैसला करता है। मोहिनी के साथ वो दिल्ली के एक बड़े आलीशान घर में शिफ्ट हो गया । अब आगे –
इतना बड़ा घर ..! ऐसा घर तो पिक्चरों में होता है हीरोइनों के पास। घर के अंदर पैर रखते ही मोहिनी घर की खूबसूरती पर फिदा हो गई।
अब से तुम्हारे पास भी रहेगा ऐसा घर। अविनाश पैकर्स को गाड़ी से समान उतरते हुए देख रहा था।
ये अपने किराए पर लिया है ?
बोला तो हमारा है ।
मान ही नहीं सकती कि आपका है अगर आपके पास इतना पैसा होता तो पहले ही न खरीद लेते एक घर।
तब घर की जरूरत नहीं थी अब जरूरत है ।
सच में आपका है ?
नहीं तुम्हारा है भाई।
मैं क्या करूंगी इसका मैं तो अपने पति..
हाँ तुम और तुम्हारा पति दोनों रहना इसमें । अगर वो आ गया तो मैं उसे गिफ्ट कर दूंगा।
नहीं हम दोनों दुबई में ही रहेंगे।
और अगर वहाँ घर न हुआ तो ?
तो क्या उनके साथ तो मैं सड़क पे भी रह लूंगी। मोहिनी मुस्कुरा दी और अविनाश उसके एकतरफा इबादत वाले प्रेम पर ठगा सा रह गया। अविनाश ने नई और पुरानी दिल्ली के बीच एक रईसी इलाके में घर लिया जहाँ पॉल्यूशन और शोर दोनों काफी कम है। यहाँ आने के बाद दोनों के बीच संबंधों का जुड़ाव तो हुआ है लेकिन सब कुछ अभी भी पहले जैसा नहीं हो पाया है । लेकिन अविनाश अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता है सारा झगड़ा भुलाने और उसे खुश रखने के लिए।
एक बार जब मोहिनी ने मंदिर जाने को कहा तो अपनी जरूरी मीटिंग छोड़ कर वो उसे मंदिर ले जाने को तैयार हो गया।
आज अचानक मंदिर कैसे ? रास्ते में चलते हुए उसने पूछा।
अचानक नहीं वहाँ मंदिर पास होते थें तो अकेले चले जाती थी जब मन उदास होता था ।
मन क्यों उदास है, कमल की याद आ रही है ?
नहीं ,घर की याद आ रही है। सबसे मिलने का मन कर रहा है। आज अगर घर पर होती तो मुझे पांच सौ एक रुपए भी मिलते नेग के ।
किस नेग के ?
बाबा ने बोला था कि जब मैं 20 की हो जाऊंगी तबसे मुझे 501 रुपया मिलेगा इससे पहले सिर्फ 101 मिलता था। मोहिनी की आंखों में आँसू आ गए।
आज तुम्हारा बर्थडे है ?
सावन का पहला सोमवार… मोहिनी इतना कहते हुए धीरे से मुस्कुरा दी।
सारा दिन अविनाश ने उसके लिए गिफ्ट्स खरीदने , घुमाने और स्पेशल फील करवाने में निकाल दिया मगर वो अपने कीपैड फोन को हाथ में लिए कमल के फोन का इंतजार ही करती रही। अविनाश जानता है कि उसके किए कामों का कोई महत्व नहीं है मोहिनी की नजरों में लेकिन वो निस्वार्थ भाव से लगा रहा। शाम को घर लौटते वक्त मोहिनी ने बस एक फरमाइश की उससे वो भी तुलसी का पौधा खरीदने की । अविनाश के लिए इतनी डिमांड ही काफी है उसका दिन बनाने के लिए।
रात को सोते वक्त जब अविनाश ने जाकर उसके हाथ पर 501 रुपए रखे दो मोहिनी की आंखों से सारे दिन के रोक के रखे आँसू एक साथ बह निकले । वो अविनाश की कलाई पकड़ कर बहुत देर तक रोती रही।

कहीं न कहीं मोहिनी के दिल में भी ये शंका बनने लगी है कि उसका पति काम में इतना व्यस्त हो गया है कि उसे भूलने लगा है। अगर ऐसा न होता तो जाने के दो महीने बाद लेने आने को कहा था अब तो साल भर से ज्यादा हो गया है। इसीलिए मोहिनी अब ज्यादा पूजा पाठ करती है और भगवान से कहती है कि उसका स्मरण उसके पति के हृदय में सदैव बनाएं रखे। रोज सुबह जब अपनी मधुर आवाज में कोई भजन गाते हुए मोहिनी तुलसी पर जल चढ़ा रही होती है उसी समय ताजी हवा के बहाने अविनाश भी छत पर घुमा करता है।
अविनाश भी मान चुका है कि मोहिनी कभी उसे पति रूप में नहीं स्वीकार करेगी भले ही सारी जिंदगी इसी तरह एक ही छत के नीचे रहें दिनों। वो कमल को ही अपना सब कुछ मान चुकी है। अविनाश इसी बात से संतुष्ट है कि वो अकेला नहीं है कोई है जो उसके साथ रहता है। भले ही अब अपने परिवार वालों से कोई बातचीत नहीं हो रही है उसकी क्योंकि अब उसने पैसे देने बंद कर दिए है। मोहिनी के साथ ही उसे अपना घर पूरा लगता है।
अविनाश मोहिनी को मन से अपनी पत्नी मानता है बस , अब उसके लिए जरूरी नहीं कि उसे मोहिनी से शारीरिक संबंध स्थापित ही करने पड़े। शारीरिक संबंध एक दंपति के जिंदगी के लिए अहम हो सकते है लेकिन वही एक लक्ष्य रहे ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं। ” तुम अपने कमल को आकर्षित करती रहो मोहिनी , मैं तुम पर मोहित होता रहूंगा।”
दोनों के बीच अब शांति रहती है । अविनाश बिल्कुल सीरियस होकर अपने काम में लगा रहता है , अगर शाम या सुबह मोहिनी से बात होती है तो उसकी आवाज अभिभावक वाली लगती है। मोहिनी भी उसके सामने कमल का जिक्र करने से बचती है और वो सारे काम करने की कोशिश करती है जो उसे खुश रखे। अविनाश का हर वक्त गंभीर रूप उसे डराता है जो चाहती है कि अविनाश भले ही उससे बहस कर ले लेकिन खुल कर बात किया करें।
अविनाश को लगता है कुछ भी ऐसा वैसा मुंह से निकल जाने पर मोहिनी घर छोड़ देगी और मोहिनी को लगता है कि उसने ऐसा वैसा कुछ कह दिया है जिससे अविनाश अब उसके पास बैठ कर बात नहीं करतें। एक बहुत पतली सी दीवार बन गई है दोनों के बीच में लेकिन कमाल है फिर भी दोनों मिलकर भी उसे नहीं तोड़ पा रहें हैं।
सावन की बारिश में थोड़ी सी भी धूप बड़े बड़े काम कर जाती है। आज जैसे ही मोहिनी ने धूप के आसार देखे थे वैसे ही अपने और अविनाश के कपड़े धूल कर छत पर फैला दिए थें। लेकिन नींद को क्या कहा जाएं बेमौके ही आती है। कहानी की किताब पढ़ते-पढ़ते ही उसे नींद आ गई थी । लाइट जलाने का भी समय हो गया था और अविनाश के आने का भी। अविनाश ने ही आकर किताब साइड में रखी और घर की लाइट्स जलाई उसके बाद कपड़े बदलने चला गया।
तब तक तेज हवा चलने लगी और बिजली कड़कने लगी। बिजली की आवाज सुनते ही मोहिनी छत पर कपड़े उठाने भागी। पीछे से अविनाश भी उसकी मदद करने गया। पूरी छत पर रंग बिरंगे कपड़े कालीन की तरह बिछ गए थें। एक कपड़ा पकड़ते तो दूसरा उड़ जाता।
तुम खड़ी रहो मैं पकड़ के देता हूँ। एक शर्ट को गोल करके मोहिनी की तरफ फेंका।
आई.. ! लग गई सर में । मैं खुद कर लूंगी वरना आप दोबारा मार देंगे।
तो तुम भी मार देना। थोड़ी ही देर में दोनों बच्चों की तरह एक दूसरे पर कपड़े गोल गोल करके मारने लगे। काफी दिनों बाद दोनों के चेहरे पर निश्छल हँसी खिलखिला रही थी। इतने में तेज बारिश भी होने लगी तो दोनों ने पानी से खेलना शुरू कर दिया। एक दूसरे तो धक्का देकर पानी में गिरा देते फिर अपनी हथेलियों में पानी भरकर एक दूसरे के ऊपर फेंकते । जैसे जैसे बारिश की धारा धीमी होने लगी वैसे वैसे बिजली और तेजी से चमकने लगी।
एक बार तो बिजली इतनी तेज कड़की की लगा आसमान ही फट जाएगा । मोहिनी अपने सर पर एक हाथ रखके अविनाश से जा सटी और उसके सर पर अपना दूसरा हाथ रख दिया।
मेरे गांव में कहते है बिजली में नंगे सर नहीं रहते और न उससे आँखें मिलाते है। उसने अविनाश के सर को नीचे झुकाया। अविनाश ने ध्यान से देखा उसकी माँग में सिंदूर का एक कतरा भी न बचा था सब बारिश में धुल गया। अगली कड़क के साथ ही अविनाश ने मोहिनी को अपनी बाँहो में भींच लिया। दोनों की धड़कन काफी तेज हो गई। अविनाश ने आहिस्ते से उसके चेहरे को ऊपर उठाया । बूंदों के बोझ से भारी होकर पलकें बंद हो गईं थीं । उसने बड़ी आहिस्ते से मोहिनी के माथे की बिंदी हटा दी। अब मोहिनी 20 साल की शादीशुदा नहीं कुंवारी लग रही थी।
उसने अपने एक हाथ को मोहिनी की कमर पर और दूसरे हाथ को उसकी गर्दन पर प्लेस किया। फिर धीरे से उसके कान के पास जाकर नशीली आवाज में पूछा – तुम कौन हो ?
मैं … ! स्वर बहुत धीमा था उसका ।
हाँ।
मोहि.. नी..
और मैं…
आप !
हाँ ।
क… अवि…नाश ! अविनाश को डर था कि कहीं कमल ही न निकल जाए। लेकिन अपना नाम सुनते ही वो पूरी तरह बेकाबू हो गया और उसे अपनी बाहों में जकड़कर उसके पूरे चेहरे को किस करने लगा। मोहिनी अपनी सुध बुध को चुकी थी विरोध का स्थान समर्पण ने ले लिया था। अविनाश ने उसकी नीली रंग की साड़ी को उसके कंधे से नीचे गिरा दिया। मोहिनी ठंडी हवा में सिसकी लेकर और कसके अविनाश से लिपट गई। अविनाश ने उसे अपनी गोद में उठा लिया। जब वो नीचे उतरा तो देखा कि सारे घर की लाइट जा चुकी थी । ये उसके लिए सोने पर सुहागा ही था।
अविनाश ने एक एक कर इतनी आहिस्ते से मोहिनी के कपड़े उतार दिए कि उसे महसूस तक न हुआ कि वो सिर्फ एक चादर से लिपटी हुई है। बाहर तेज हो रही बारिश और खिड़की से आ रही बौछारें मोहिनी को गहरी नींद में होने का अहसास करा रही थीं और चारों तरफ फैला अंधेरा एक लंबी रात का संकेत दे रहा था।
नहीं… ! उसने आहिस्ते से कहा।
क्यों…
अवि..
मोहिनी..
क..म..ल
नहीं आज सिर्फ अविनाश..। अविनाश उसके होठों को चूमने लगा ।

मोहिनी होश में आना चाहती थी लेकिन अविनाश उसे ऐसा नहीं करने दे रहा था । आज तो मौसम भी उसका साथी है वो क्यों डर कर पीछे हट जाएं।
अपने पूरे बदन पर अविनाश के हाथों को महसूस करते हुए कभी उसे अच्छा लगता और कभी उसे रोकते हुए कमल का नाम लेती।
Please.. उसने एक गहरी सिसकी लेकर कहा।
Ok! मेरा नाम पाँच बार पुकारो तो मैं तुम्हें छोड़ दूंगा। उसके कानों में जाकर अविनाश ने कहा।
इस वक्त दोनों बेलिबाज है सिर्फ एक सफेद चादर ने दोनों को आश्रय दिया हुआ है।
अवि..
हाँ पूरा नाम… उसके गर्दन पर दांतों से निशान बनाते हुए बोला।
आ… आह ! उसकी जांघों को अपनी मजबूत हथेलियों से मसलते हुए उसके पेट को चूमने लगा।
न. ही..
पहले नाम..
अवि.. अविनाश… अविनाश… अवि… तीसरी बार मोहिनी नाम ले पाती इससे पहले ही अविनाश उसे बेतहाशा किस करने लगा।
जितनी बार मोहिनी उसे रोकने की कोशिश करती उतनी बार अविनाश उसे नाम पूरा करने को कहता और जब वो नाम लेने की कोशिश करती तो…
Aahhh.. aa.. ss..s ummh जैसी आवाजें ही सुनाई देती। आज अविनाश को वो दिन याद आ रहा है जब कमल मोहिनी से मिलने आया था। उस दिन और आज के दिन में कितना अंतर है ? काश मोहिनी की ये आवाजें रिकॉर्ड करके वो उसके पति के पास भेज सकता । उसे भी तो पता चले औरत का शरीर कोई प्रसाद नहीं है जिसका भोग लगे और तुरंत खा लो बल्कि वो तो एक रहस्य है जिसे समय लेकर धीरे धीरे उंगलियों से सुलझाया जाता है ।
मोहिनी को अविनाश का नाम पांच बार लेने में तीन घंटे का समय लग गया। अविनाश ने5 बार नाम पूरा होते ही उसने मोहिनी को अपनी बाजुओं से आजाद कर दिया ।
Thank you… अपनी हांफती हुई आवाज में अविनाश ने मोहिनी के कानों में कहा और उसका माथा चूमकर उसके बगल में लेट गया।
अभी अविनाश को हल्की सी नींद आई ही थी कि किसी के रोने की आवाज से आँख खुल गई। देखा मोहिनी बिस्तर पर नहीं है और आवाज बाथरूम से आ रही थी। उसने उठकर कपड़े पहने फिर बाथरूम के पास गया।
मोहिनी… उसने दरवाजे को हाथ से पीटा।
अब क्या चाहिए… बर्बाद तो कर दिया मुझे… मोहिनी दहाड़ मारकर रोने लगी। ऐसा लगा कि किसी की मौत हो गई हो उस घर में ।
दरवाजा खोलो मुझे बाद करनी है तुमसे ।
चले जाओ…! मोहिनी अंदर शॉवर के नीचे बैठी अपने बालों को नोचते हुए रो रही थीं।
मति मारी गईं थीं मेरी जो यहाँ चली आई….हाय.. किस मुंह से सामना करूंगी अपने पति का …क्या बोलूंगी… हे भगवान उनके आने से पहले उठा ले मुझे .. .हाय आय ! ऊपर वाले मुझ कलंकिनी को कभी क्षमा न करना प्रभु.. आह हे माई रे..अम्मा रे…ले देख अपनी अभागी बेटी…मोहिनी अपनी छाती पीटने लगी।
मोहिनी मैं कहता हूँ दरवाजा खोलो अभी । अविनाश दरवाजा तेजी से पीटने लगी।
कामी बुद्धी धीरज न धर पाई .. इतनी कमजोर हो गईं मैं। मेरे परमेश्वर तुम्हारे हाथ लगाने लायक न बची मैं। तुम उधर कमाते ही रह गए और इधर मैं तुम्हारा सब दूसरों पर लुटा बैठी… दादा रे..! उसने अपना सर नीचे पटक दिया।
अगर तुमने दरवाजा नहीं खोला तो मैं दरवाजा तोड़ दूंगा, सुना तुमने..! अविनाश ने कुछ देर इंतजार किया फिर तेजी से दो – तीन धक्के मार कर दरवाजा तोड़ दिया। मोहिनी बिना कपड़ो के शॉवर के नीचे पड़ी बिलख रही है। अविनाश ने पहले शॉवर बंद किया फिर चादर से उसे ढकने की कोशिश की। लेकिन मोहिनी उसे धक्का देकर फुंफकार उठी –
अब क्या चाहिए तुम्हें… मेरी जो जमा-पूंजी थी सब लूट ली तुमने अब और क्या लेने आएं हो ? इतना देर तो खेल लिए मेरी इज्जत से अभी भी मन नहीं भरा तुम्हारा क्या जो और जी जलाने आएं हो…
पहली बात तो ये कि मैं कोई रेपिस्ट नहीं हूँ लेकिन तुम्हारा ये रोना मुझे गिल्टी बना रहा है । जबकि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है । हमने जो अब किया वो हमें काफी पहले करना…
मोहिनी ने पूरी ताकत के साथ अविनाश को थप्पड़ जड़ दिया – चले जाओ यहाँ से अभी !
अब तो बिल्कुल भी नहीं जाऊंगा , तुम बिना एक एक बात बताएं ।
नहीं सुननी मुझे एक भी बात अब…
सुनना पड़ेगा । अविनाश ने जबरदस्ती उसे चादर से लपेटा और बेड पर लाकर पटक दिया।
तुम्हें लगता है कि हमने गलत किया ये जानते हुए भी कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ तुम मुझसे प्यार करती हो उसके बावजूद…
मैं सिर्फ अपने पति से प्यार..
और कितना झूठ बोलोगी? भगवान के लिए अभी तो सच बोल दो .. जिसकी रोज पूजा करती हो उससे तो डरो। अविनाश लगभग चिल्ला रहा था।
हाँ ठीक है करती हूँ प्यार तो ? सबसे बड़ी गलती ही यही है कि प्यार कर बैठी आपसे और दूसरा पाप आज कर डाला है जो रोक न सकी आपको..! उसने रोते हुए अपना मुँह दोनों हाथों से छिपाया । लेकिन तुम भी याद रखना मैं अपने पति से सबसे ज्यादा प्यार करती हूँ। वो अविनाश पर चिल्लाई।
पति ? वो भगोड़ा , लालची धोखे..
खबरदार जो उन्हें एक भी शब्द कहा तो…
कहूंगा ! क्योंकि अब तक की चुप्पी का ही नतीजा है जो तुम्हारी ऊंची आवाज सुननी पड़ रही है मुझे । कमल न सिर्फ तुम्हारे पैसे लेकर भागा है बल्कि उसने तुम्हें धोखा भी दिया है समझी तुम…
मैं सुनूंगी ही नहीं एक और लफ्ज़ भी उनके खिलाफ । उसने दोनों कान अपने हाथों से बंद कर लिए।
सुनना तो पड़ेगा । अविनाश बेड पर से मोहिनी को खींच कर अपनी बांहों में कर लेता है और उसके दोनों हाथ हटा कर पीछे एक हाथ से पकड़ लेता है।
नहीं..नहीं हाथ जोड़ती हूँ आपके.. मैं कुछ न कहूंगी आपसे बस उन्हें गलत गलत न बोलो , वो बेचारे तो…
वो बेचारा नहीं नकारा है । कभी पूछा उससे वो तुम पर हर हफ्ते फोन करके अपने रिश्तेदार के यहां जाने के लिए क्यों फोर्स करता था ! जानना चाहा कभी उन 8 लाख रुपयों का क्या किया उसने ? नहीं न । चलो मैं ही बताता हूँ। तुम्हारा पति परमेश्वर डेढ़ लाख में सौदा करके गया था तुम्हारा। जिसे वो अपना रिश्तेदार बोलता है वो लड़कियों का दलाल है । कमल चाहता था कि तुम भी उसके यहाँ जाकर धंधा करो…
नहीं झूठ है सब झू..
और सुनो 75 हजार देकर आया हूँ उसके रिश्तेदार को ताकि वो तुम्हें बार बार परेशान न करे। 75 हजार लेकर गया था तुम्हारा पति उससे बाकी के पैसे तुम्हें धंधे पर बिठाने के बाद मिलते उसको समझी। क्या सोचा तुमने की इतने महंगे अपार्टमेंट में वो तुम्हे घर क्यों दिल रहा है ? सिर्फ इसलिए ताकि पैसों के बोझ से तुम इतना परेशान हो जाओ कि तुम्हारे साथ जो हो रहा है उसका विरोध भी न कर सको। यही वजह है कि उसने तुम्हें घर जाने को भी मना किया था और तुम बेवकूफों की तरफ हर साजिश में फंसती चली गई।
उसका कोई भी दिल्ली तक भी नहीं आया है दुबई में कमाने की बात तो दूर की है। तुम्हें लगता है कि तुम्हारा वीजा बना नहीं लेकिन सच्चाई ये है कि उसने अप्लाई ही नहीं किया है आज की डेट तक भी। अविनाश ने वापस उसे बिस्तर पर धक्का दे दिया। मोहिनी की आंखों में एक बूंद आँसू नहीं थें वो सम्भल कर वापस बैठी और अपने बदन से चादर नीचे कर दी।
देखिए अगर आप सिर्फ मेरे शरीर के लिए उनके खिलाफ भड़का रहें हैं तो आपका जो दिल में आएं कर लें मैं नहीं रोकूंगी न कुछ कहूंगी ही लेकिन please उनके बारे में झूठ बात मत बोलिए न । भगवान भी आकर अगर ये बोले तो मैं नहीं मानूंगी। अविनाश हैरानी से अपने बाल नोचने लगा । कैसी पागल लड़की है !
चादर उठाकर उसे फिर से लपेटने के बाद अविनाश बोला – अगर कमल खुद आकर यही बात कहें तो मानोगी?
वो ऐसा करेंगे ही नहीं ।
तुम पहले कपड़े पहन लो । अविनाश ने देखा सुबह होने लगी थी , चारों तरफ सूरज की रोशनी ने अपने पंख फैलाने शुरू कर दिए थें।
नहीं पहनना।
Please ! पहन लो मैं जा रहा हूँ पहन लेना । अविनाश अपने कपड़े सही करता हुआ कमरे से बाहर निकल आया।
अविनाश शाम चार बजे के करीब लौटा उसके साथ एक औरत भी है जो बुर्के में है। दरवाजा उसी तरह बंद था जिस तरह वो सुबह बंद करके गया था । मतलब मोहिनी अभी भी उसी तरह पड़ी होगी।
अविनाश उस औरत को कमरे में ले गया जहाँ मोहिनी उसी तरह तो नहीं लेकिन अपनी नीली साड़ी पहने दीवार के सहारे सर टिकाए बैठी थी।
भाईसाहब ये कहां ले आएं है आप मुझे खुदा के वास्ते मेरे इस बच्चे के वास्ते मुझे वापस छोड़ दे। उस बेचारी को भी छोड़ दे । अल्लाहताला आपको नेमत बख्शेगा । औरत का हाथ पेट पर और इशारा मोहिनी की तरफ था।

फिक्र मत करें बहन वो भी आपकी तरह ही काफी मासूम है। आप दोनों को ही कुछ नहीं होगा।
तो मुझे छोड़ दे भाई जी…
आपका पति आ जाएं ।
देखें अगर उन्होंने आपसे भी कर्ज ले रखा है तो वो मैं अदा कर दूंगी लेकिन आप अभी के लिए मुझे जाने दे। अब आप इन्हें क्यों ले आएं हैं ? कौन है ये । मोहिनी उठकर उसे हिकारत भरी नजरों से देखती है।
बस थोड़ी देर में पता चल जाएगा । तुम यही कॉरिडोर से देखना इनके पति इन्हें जब लेने आएं तो ।
अविनाश को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा । उसका पति उसे लेने आ चुका था।
ग़ुलप्सा.. ! अपने शौहर को देखते ही वो उसके गले मिलने दौड़ी।
तुम तो कमल हो न ! अविनाश सोफे से उठ गया।
कौन कमल ?
वही मोहिनी का पति कमल ! जो दुबई जाते ही अपने मालिक की बेटी से शादी के लिए करीमुद्दीन बन गया।
देखो तुमने मेरी बीवी को इस हालत में दुबई से यहां लाकर वैसे भी मुझे तकलीफ पहुंचाई है , अब मेरी पिछली जिंदगी को कुरेद कर मुझे और दुख न पहुंचाओ।
कौन मोहिनी ? ग़ुलप्सा ने पूछा ।
बताया तो था वो लड़की जिससे मेरी शादी होने वाली थी और वो रिश्तेदार के संग भाग गई थी ।
इतनी देर से मोहिनी जब्त करके खड़ी हुई थी लेकिन आखिरी बात सुनते ही धड़म से सीढ़ियों पर बैठ गई। कमल उसे देख के हैरान रह गया।
देख लीजिए मोहतरमा ये इनकी पहली बीवी है जिनके पैसे खाकर ये दुबई भागे थें जाते जाते अपनी बीवी को अपने एक रिश्तेदार को भी बेच दिया था। अब आप अपना देख लीजिए आपके पिताजी के पास अभी तो पैसा है तब तक ये पति बना रहेगा आपका। जिस दिन पैसे खत्म हुए हो सकता है आपको भी धंधे पर बिठा दे।
ये जबान सम्भाल अपनी । ग़ुलप्सा की तरफ देखते हुए – नहीं बेगम ऐसा कुछ नहीं है।
बीवी है वो तुम्हारी ?
नहीं गुल…
सच बोलने से डरते हो , मर्द बनो यार अब तो बाप भी बनने वाले हो ।
तुम बीच में मत बोलो । मुझे कोई डर नहीं कि वो मेरी बीवी है । मुस्लिमों में चार शादियां…
तड़ाक… से एक थप्पड़ पड़ा कमल के गाल पर ।
अगर चार शादियां करने वाला ही चाहिए होता तो तुमसे करती ही क्यों …। वो रोती हुई निकल गई वहाँ से। अविनाश भी उसे संभालने पीछे आया।
मोहिनी सीढ़ियों से नीचे आकर उसके सामने खड़ी हो गई। उसने भी भरपूर तमाचा लगा दिया कमल के गालों पर।
निकल जाओ मेरे घर से । मुझे जिंदगी में दोबारा शकल मत दिखाना अपनी। अपने एक हाथ से सिंदूर पोछने के बाद एक झटके से ही उसने मंगलसूत्र तोड़ कर कमल के ऊपर फेंक दिया। अविनाश गुलप्सा को दुबई जाने वाले प्लेन में बिठाने के बाद सीधा घर पहुंचा। मोहिनी फर्श पर पड़ी इतना रो चुकी थी कि उसके गले से बस सिसकियां ही निकल रही थीं आँसू एक बूंद भी नहीं।
मोहिनी… उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे उठाने की कोशिश की अविनाश ने। मोहिनी ने कंधे सिकोड़ कर मुंह दूसरी तरफ कर लिया।
देखो मुझे पता है कि जो हुआ बहुत बुरा हुआ तुम्हारे साथ। लेकिन मैं वादा करता हूँ आगे कुछ भी बुरा नहीं होने दूंगा तुम्हें मैं ।
मुझे अकेला छोड़ दो। बेसुधी आवाज में उसने कहा।
नहीं । मैं अगर तुम्हें छोड़ ही पाता तो छोड़ देता अब तक। हकीकत तो ये है कि तुम्हें पाते पाते मैने बाकी सब छोड़ दिया है । अब तुम्हें नहीं छोड़ पाऊंगा।
तुम बाकी कुछ भी कहोगी वो सब मैं करूंगा। तुम्हें सोने के दरवाजे वाला घर चाहिए था मैं घर के हर कमरे में सोने से बना दरवाजा लगवा दूंगा। तुम्हें हवाई जहाज पसंद है तो मैं खुद को बेचकर भी तुम्हारे लिए प्लेन खरीदूंगा। तुम्हें पूरी दुनिया घुमाऊंगा । बहुत प्यार करूंगा तुमसे अगर तुम एक बार भी मना कर दोगी तो हाथ भी नहीं लगाऊंगा तुम्हें। मोहिनी please एक बार मेरी तरफ देख के जवाब दो। अविनाश का गला भर आया था वो उसके बालों को सहलाता जा रहा था।
मुझे घर जाना है अभी ।
अभी इसी वक्त ?
हाँ। उसने सर उठाकर अविनाश को देखा ।
लेकिन अंधेरा हो चुका है बहुत।
हाँ तभी तो जाना है थोड़ी सी रोशनी के लिए। अच्छा महसूस हुआ तो लौट आऊंगी एक दो दिन में ।
अविनाश ने मोहिनी को जाने तो दिया था लेकिन उसके मन में उथल पुथल शुरू हो चुकी है कि अगर वो वापस नहीं लौटी तो ? वो कहाँ ढूंढेगा उसे ? पता नहीं जो एड्रेस भी दे गई है झूठा ही न निकल जाएं। कैसे जी पाऊंगा अगर नहीं मिली तो ..! अविनाश ने इसी उलझन में तीन दिन काट दिए। उसका मन न घर में रुकने का कर रहा था और न ऑफिस में ही उसका मन लग रहा था। लेकिन काम तो करना ही था।
आज शाम जब वो ऑफिस से लौटा तो दरवाजे के पास मोहिनी के सैंडिल देखकर भागा-भागा उसके कमरे में गया। वो अलसाई सी मुँह पर सफेद साड़ी डाले पड़ी हुई है। अविनाश के चेहरे पर बड़ी सी smile आ गई, दिल में कई सारे भाव भर आएं। बस एक ही खयाल आया कि उसे अपनी बाहों में भरकर उसके माथे को चूम ले । उसने आहिस्ते से मोहिनी के चेहरे से साड़ी उठाने की कोशिश की।
आ गएं आप ? मोहिनी उसकी करीबी का अनुभव करते ही उठकर बैठ गई।
आप बैठो मैं चाय बनाकर लाती हूँ।
नहीं तुम लेटी रहो थकी होगी मैं बस तुम्हें देखने आया था। अविनाश कमरे से निकल गया।
रात में भी मोहिनी कमरे से नहीं निकली तो अविनाश ही उसके कमरे में चला गया ।
खाना नहीं खाओगी ? उसके बिस्तर पर बैठते हुए अविनाश थोड़ा नर्वस था। मोहिनी के पूरे होश में रहते ये पहली नजदीकी थी उसकी।
भूख नहीं है । आपने खाया ? मोहिनी उसी तरह लेटी रही।
ऑफिस से ही खा कर आ रहा हूँ पिछले तीन दिन से।
अच्छा तो सो जाएं जाकर ।
हाँ तुमसे थोड़ी देर बात करने के बाद ..
अच्छा।
तो ? क्या सोचा तुमने ?
कुछ सोचने की हालत में नहीं हूँ मैं ।
क्यों ? उस दिन मेरी गलती थी अपने मन को तुम क्यों खराब कर रही हो ?
गलती ? मैं तो आपको गलत नहीं कह सकती।
अगर मैं गलत नहीं हूँ तो शादी के लिए हाँ क्यों नहीं कर देती ? मैं सच में कहता हूँ तुम्हारी हर जरूरत का खयाल रखूंगा, तुम्हें किसी भी चीज की कमी नहीं रहे…..
मेरी एक शर्त है ।
मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है। अविनाश थोड़ा उत्तेजित आवाज में बोला।
मेरी बहनों का एडमिशन किसी अच्छे स्कूल में करवाना पड़ेगा ताकि वो इतनी काबिल हो सके कि सच या झूठ समझ पाएं।
वो तो मैं तब भी करूंगा जब तुम मुझसे शादी से इनकार भी कर दोगी ।
शुक्रिया ।
तो क्या अब तुम्हारी हाँ है ?
न कहने की कोई वजह भी नहीं है मेरे पास।
अविनाश खुशी के मारे अपने आँसूओ पर काबू पाने की कोशिश करने लगा । अपना एक हाथ बढ़ा कर उसने मोहिनी का हाथ पकड़ उसे उठा लिया और बाहों में भर लिया।
तुम्हें नहीं पता तुम्हारी स्वीकृति ने मुझे क्या दिया है। अविनाश ने उसके माथे को चूमा और होठों को भी चूमने की कोशिश की लेकिन मोहिनी ने अपने होठों पर हाथ रख लिया ।
क्या हुआ ?
शादी के बाद ।
तुम्हें पता भी है कि शादी की सारी तैयारियां कर रखी है मैंने। अगर तुम भी तैयार हो तो कल सुबह मंदिर………
सुबह नहीं शाम ।
क्यों?
घर से सबको बुलाऊंगी ।
हाँ सही बात है आशीर्वाद देने के लिए बड़े भी तो चाहिए पता नहीं मेरे घर वाले आयेंगे भी कि नहीं ।
आयेंगे क्यों नहीं एक बार बुला के देखना ।
हाँ सही है । कल की बातें कल देखेंगे लेकिन आज क्या करूं ? अविनाश की आंखों में शरारत उतर आई।
सोचना भी मत शादी से पहले ऐसा कुछ । एक बार हो गया है तो इसका मतलब ये नहीं कि दोबारा भी हो जाएगा।
नाराज हो रही हो ?
नहीं बस रोक नहीं हूँ आपको , उस दिन तो रोक न सकी थी।
अच्छा वो बातें छोड़ो कल की सोचो और आराम से सो जाओ। फिर तो कल से हम दोनों एक ही कमरे में सोने वाले है। अविनाश मोहिनी का माथा चूमकर बिस्तर से उतर गया।
Good night my future wife .. उसने कमरे से बाहर जाते हुए इसे ट्रांसलेट भी कर दिया – शुभ रात्रि मेरी भावी श्रीमती जी।
अविनाश को उम्मीद नहीं थी कि घर से कोई भी आयेगा लेकिन उसकी बहन माँ को साथ लेकर मंदिर में आ चुकी थी । उसके ऑफिस के कुछ दोस्त भी आएं हुए है और मोहिनी के घर वाले भी पूरी खुशी से इस शादी में शामिल हो रहें है।
मोहिनी को उसकी बहनों ने तैयार किया है । ऊपर से नीचे तक सुहाग के लाल रंग से लिपटी हुई है वो ऐसा लग ही नहीं रहा कि उसकी दूसरी शादी हो रही है। अविनाश blue shirt और black pant ही पहने हुए अग्नि के सामने बैठा है।
Thanks आने के लिए, काश अमित जी भी आते । शादी की रस्मों के बीच अपने पीछे बैठी बहन से वो बोला।
कोई इंसान शादी करता है तो कम से कम हफ्ते भर से इंतजाम तो करता ही है । लेकिन तुमने तो कल रात अचानक फोन किया। अब भोज तो होने से रहा इसीलिए तुम्हारी भांजी और जीजू दोनों खाना बंटवा रहें हैं लोगों में।
वो लोग आएं हैं सच में?
हाँ। अब बातें बंद करो जल्दी से शादी करो अभी बहुत सारे काम भी है मुझे और मम्मी को। घर पर मेहमान भी आने लगे होंगे।
मेहमान ? मेरे घर पर ?
हाँ तो ! शादी है कोई चोरी नहीं जो अकेले में करनी पड़े।
छोटा भी आया है ?
नहीं लेकिन तुम उसकी छोड़ो न ।
अविनाश के चेहरे पर अभी तक जितने भी खुशी थी धुंधली हो गई । उसके भाई की फैमिली नहीं आई है।
क्या हुआ ? मोहिनी ने उसके कान में पूछा।
मेरा छोटा वाला भाई नाराज है मुझसे अभी भी।
तो कोई बात नहीं शादी के बाद बुला लेंगे उन्हें।
मानेगा नहीं, जिद्दी है ।
मैं सबको माना लूंगी।
हाँ तुम तो कर ही लोगी , भवमोहिनी जो ठहरी । अविनाश के चेहरे पर फिर से मुस्कान आ गई , उसकी मुस्कराहट देख कर मोहिनी भी हँस पड़ी।
हाँ सही है ऐसे ही संभालना हमारे बिगड़े घोड़े को बहुत ही जल्दी गुस्सा होकर दुलत्ती मारता है । अविनाश की बहन ने उसे चिढ़ाया।
जीजी आप फिक्र न करें ऐसे बहुत से घोड़ों को हमने लगाम कसके घुटने पर बिठाया है ये तो फिर भी कुछ नहीं है मेरे आगे ।
उसकी इस बात से पूरे मंदिर में हँसी की लहर दौड़ गई। लेकिन अविनाश ने उसकी बात पर कोई प्रतिवाद न किया बस उसे आँख भर के देखा जैसे कह रहा हो – अभी इस घोड़े की ताकत तुमने देखी ही कहाँ है वो तो आज पता चलेगी न जब एक ही नाम 10 बार लेना पड़ेगा…6 घंटे … हाय बेचारी ! झेल भी पाओगी इस घोड़े को ? खुद ही देख लेना कौन घुटने पर आता है घोड़ा या मालिक । अविनाश को इस तरफ अपनी तरह देखता पाकर मोहिनी ने शरमा कर गर्दन नीचे कर ली ये देख कर अविनाश के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान आ गई।
The End . Thanks for reading .
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