Sweet boy fall in love with mysterious girl part 1

                                     Sweet boy fall in love with mysterious girl part 1

पिछले 5 घंटों को छोड़ दिया जाएं तो पिछले तीन दिनों से दीप काफी एक्साइटेड था अपनी नई पड़ोसी से मिलने के लिए। काफी खुश हुआ था वो उस लड़की को देखकर। चलो इस फ्लोर पर उसका कोई साथी तो हुआ वरना तो नई बनी इस बिल्डिंग में 6-7 फैमिलीज को छोड़ कर और कोई घर ही नहीं थें। बिल्डिंग के 7वें फ्लोर पर अभी तक अकेले डेरा जमाए दीप को वो लड़की सिर्फ नाइबर ही नहीं बल्कि दोस्त भी लगी। अपने बातूनी और एक्स्ट्रोवर्ट नेचर के चलते दीप बहुत जल्दी लोगों से घुलमिल जाता था उसपर से उसका काम भी ऐसा था कि उसे गैदरिंग की आदत लग चुकी थीं।

DJ बजाते हुए उसे तरफ- तरफ के लोगों से मिलने का मौका मिला था , जान पहचान भी काफी बड़े बड़े लोगों से थी। लेकिन इस बिल्डिंग में उसे अभी तक अपने लायक कोई दोस्त मिला नहीं था जिससे वो बहुत सारी बातें कर सके , चाय-कॉफी का सिलसिला चल सके । उस लड़की को देखकर दीप ने इरादा किया था कि वो एक अच्छे पड़ोसी का फर्ज निभाएगा और फिर दोनों दोस्त हो जाएंगे।

लेकिन दीप का ये इरादा अभी 5 घंटे ही उस लड़की ने तोड़ दिया। उसे आए हुए तीन दिन हो चुके थें और अभी तक दीप उसका इंट्रो भी नहीं ले पाया था क्योंकि वो अपने अपार्टमेंट के बाहर निकलती ही नहीं थी । बिना मिलेजुले किसी लड़की के फ्लैट पर दस्तक देना भी ठीक नहीं लगा था। कोई लड़का होता तो शायद इन तीन दिनों में दीप उसके बेड तक पर भी कब्जा जमा लेता ।

आज दोहपर को वो लड़की जाती हुई दिखी थी अपने फ्लैट की तरफ क्योंकि लिफ्ट काम नहीं कर रही थी। पीछे से वो भी आ रहा था । उसने आवाज दी लड़की को लेकिन शायद वो कानों में इयरबड्स लगाए थीं तो उसने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखा भर ही था कि….

तड़ाक….. एक तेज झन्नाटेदार थप्पड़ से दीप के कानों से सिटी निकल गई और वो लड़खड़ा कर सीढ़ियों से गिरते हुए बाल-बाल बचा। जब तक वो खुद को संभाल के कुछ कह पाता उसे तब तक वो भाग गई थी वहाँ से।

इन पांच घंटों से दीप अपना गाल ही लिए बैठा है जिसकी उसे बर्फ से सिकाई तक भी करनी पड़ गई।
बेवकूफ कमीनी थप्पड़ भी मारा और Sorry तक नहीं बोला …। सनकी है या पागल ? आह… क्या खाती है ? लड़कियों के हाथ मुलायम होते है पता नहीं किस बेवकूफ ने कहा है ये …!

जैसे-जैसे गाल का दर्द जाता रहा वैसे-वैसे उसके दिमाग में ये बात चुभने लगी कि अभी तक उस लड़की ने sorry क्यों नहीं बोला उसे ? वो अपना दरवाजा खोल कर कई बार सामने ताकता रहता कि शायद जब वो दरवाजा खोले और उसकी नजर दीप पर पड़े तो वह कहे –
“माफ करना मैं घबराई हुई थी इसीलिए ऐसा हो गया। ” लेकिन न ही दरवाजा खुला और न किसी ने उससे माफी मांगी।

पता नहीं अपने कमरे के बाहर क्यों नहीं निकलती ये ? खाती क्या होगी ? काम भी तो करना पड़ता होगा कुछ कि कोई पैसे भेज देता होगा ? … नाम क्या होगा इसका? ईगो वाली बंदी है माना कि काफी ज्यादा खूबसूरत है लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं कि ऐसा एटीट्यूड दिखाए! कहीं कोई सीक्रेट एजेंट तो नहीं है ? कोई तो वजह होगी जो यहाँ अकेले रहने आई है वरना इतनी खूबसूरत और कम उम्र की लड़की को घर वाले अकेले नहीं छोड़ सकते ! कौन जाने इसकी भी फैमिली मेरी फैमिली की तरह टॉक्सिक हो तो इसने खुद ही फैमिली छोड़ दी ?…… एक्ट्रेस तो बनने नहीं आईं है यहाँ?

न जाने ऐसे कितने सवाल थें जो इतने दिनों से अकेले ही खुद से पूछ रहा है और खुद ही उनके जवाब बना भी लेता है । लगभग हफ्ते भर बाद दीप को फिर से वो लड़की बिल्डिंग के नीचे दिखाई दी। उसके हाथ में एक बड़ा सा झोला था जिसे उठाने में उसे थोड़ी परेशानी हो रही थीं लेकिन फिर भी वो लिए चली आ रही है ।

दीप तुरंत खिड़की बंद करके सीढ़ियों पर निकल आया ताकि उसकी कुछ मदद भी कर दें और शिकायत भी कर ले।
आज तो तुम मिलो बेटा माफी भी मंगवाऊंगा और कॉफी भी बनवाऊंगा । रेलिंग की टेक लेकर वो खड़ा हो गया।

Sweet boy fall in love with mysterious girl part 1
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वो आई और सर झुका कर ही झोले को जबरदस्ती खींचती हुई ऊपर ले जाने लगी। ऊपर देख तक नहीं रही थीं तो दीप चार जीने खुद ही नीचे उतर आया।
लाइए मैं मदद… दीप ने झोला लेने के लिए हाथ बढ़ाया भर था कि वो लड़की काँप कर दीवार से सट गई और झोला नीचे गिर गया। सीढ़ियों से लेकर नीचे वाले फ्लोर तक आलू और प्याज और टमाटर रनिंग करते हुए चारों तरफ फैल चुके थें और वो लड़की पहली बार की तरह भाग कर जा चुकी थी।

आलू के सिवा दीप को कोई और सब्जी दिख ही नहीं रहीं थीं हरी तो बिल्कुल भी नहीं । दो चार और जो सब्जियां थीं उन्हें फ्रिज में रख के आराम से हफ्ते भर तक चलाया जा सकता था । आलू भी कोई मामूली मात्रा में नहीं थें 5- 7 किलो तो थें ही और प्याज भी 3 किलो तक होगा ही।
सिर्फ आलू खाती है ये लड़की ? 6 महीने तक सब्जी लेने का कोई इरादा नहीं लगता इसका । कुछ खाती पीती ही नहीं होगी वरना इतनी सूखी साखी क्यों होती ? दीप सारी सब्जियों को वापस से झोले में भरता हुआ यही सब सोच रहा था।

पागल तो नहीं हैं ये ? कौन जाने पागलखाने से भाग के ही आई हो तभी तो इतनी अजीब हरकतें हैं। कभी दरवाजा ही नहीं खोलती किसी भी काम के लिए । न जाने कब दूध के पैकेट अंदर खींच लेती है और पता नहीं किस टाइम कूड़े को बाहर निकाल देती है। आने जाने का तो शायद वॉचमैन को भी न पता होगा।

दीप सब कुछ सही से करके झोले को लेकर उसके फ्लैट तक गया। दो चार बार बेल बजाने पर भी दरवाजा नहीं खुला , तो उसने झोले को वहीं गेट पर रख दिया । एक पर्ची पर “आपकी सब्जी दरवाजे पर रखी है।” का नोट लिख कर दरवाजे के नीचे से सरका दिया और वापस अपने फ्लैट में आ गया। अगले दिन सुबह जब दीप ने दरवाजा खोल कर देखा तो सब्जियों वाला खोला अंदर खींचा जा चुका था लेकिन जवाब में एक Thank you note तक उसके लिए नहीं छोड़ा गया था।

उस लड़की का नाम दीप को नहीं पता चल पाया था लेकिन उसके बारे में सोचने से वो खुद को रोक नहीं पा रहा था । वो ऐसे बर्ताव क्यों करती है ? यही जानने के लिए उसने अपनी मित्रमंडली की कुछ सहेलियों और सखाओं से mysterious girl की चर्चा की । सबके अपने-अपने अनुमान थें, कयास थें लेकिन सच उनमें से कोई भी नहीं था। Hollywood movies के शौकीन एक भाईसाहब ने तो यहाँ तक प्रिडिक्ट कर दिया कि इतनी खूबसूरत और दुबली सी mysterious girl लड़की हो ही नहीं सकती पक्का वो एलियन होगी या मर्मिड।

जितने सवाल लेकर वो अपने दोस्तों के पास पहुंचा था समाधान के लिए उससे दोगुने सवाल उसे घर वापसी तक मिल चुके थें। उसकी ब्यूटी रेयर है इसमें कोई शक नहीं है , हेजल रंग की बादामी आँखें , कोयले की तरह काले बाल और ट्राएंगल शेप का चेहरा …. तो क्या वो वाकई मर्मिड हो सकती है ? नहीं हो ही नहीं सकता। नीतिका का कहना ठीक है ये पक्का कोई psychopath है जो जेल से फरार होकर भागी है । बच के रहना होगा मुझे इस mysterious girl से।

अपने दोस्तों से डिस्कशन करने के बाद से दीप ने सिर्फ अपने काम से ही काम रखा। अब न उसे उस लड़की से बातचीत की खुजली बची थी और न ही कॉफी – चाय की तलब ही।

SRK ने कहा है न कि” इतनी शिद्दत से तुम्हें पाने की कोशिश की है कि हर जर्रे ने तुझे मुझसे मिलाने की साजिश की है।” यही कुछ हुआ दीप के साथ भी । आज ही लिफ्ट बनकर सही हुई थी और आज ही उसकी किस्मत खराब होनी थी जो लिफ्ट में उस लड़की से मुलाकात हो गई।
लिफ्ट के अंदर दीप के जाते ही वो लड़की साइड में खड़ी हो गई। दीप उससे बात नहीं करना चाहता था लेकिन उसकी खूबसूरती दीप की आंखों को अपनी तरफ खींच ले रही थी।

अचानक से एक झटका लगा और दीप उस लड़की की तरफ खिसक गया।
खबरदार जो मुझे कुछ करने की कोशिश की तो ..! लड़की ने अपनी पर्स नीचे पटक दी थी और उसमें से एक चाकू को निकाल कर अपने दोनों हाथों में मजबूती से पकड़े थी।

देखो तुम मुझे गलत…
मैंने कहा दूर… दूर रहो समझे ।

Ok…Ok ! दीप पर्स से निकले औजारों को देखकर हैरान रह गया था। एक चाकू तो लड़की के हाथ में थी और बाकी के इंस्ट्रूमेंट नीचे पड़ी हुई पर्स से खुदबखुद निकल आएं थें। पेपर स्प्रे , कटलेट , हेयरपिन, butter knife , ब्लेड …. लड़कियों की पर्स में ये सब भी होता है ? आज ये सब देखकर उसकी हैरानी और डर सातवें आसमान पर था।
लिफ्ट में दूसरा झटका लगा और लिफ्ट फिर से चल दी।

लिफ्ट के खुलते ही लड़की सब कुछ छोड़ के भागी लेकिन उसका पैर लिफ्ट के गेट में ही फंस गया और वो धड़ाम से फ्लोर पर गिर पड़ी । उसका एंकल जूते के साथ ही बहुत बुरी तरीके से मुड़ गया था । इससे पहले कि लिफ्ट चल दे दीप ने तुरंत उसका पैर लिफ्ट से निकालने की कोशिश की। उसके जूते पर हाथ रखते ही उस लड़की ने पूरी ताकत के साथ अपना पैर खींच लिया । एक चीख के साथ उसका पैर तो बाहर आ गया लेकिन जूता लिफ्ट में ही फंसा रह गया। वो लगड़ाते हुए अपने दरवाजे की तरफ भागी।

फ्लोर पर नजर पड़ते ही दीप अंदर तक कांप गया क्योंकि वहाँ खून बिखरा पड़ा था वो भी ज्यादा। शायद उसके घुटने फूट गएं है। दीप ने जल्दी से उसकी पर्स समेटी और उसका जूता निकाल कर बाहर आ गया। इतने सारे सीन को याद करके उसकी बॉडी में एकदम से रोमांच भर आया था और उसके शरीर के रोयें खड़े हो गए थें।

7-8 बजे के करीब दीप ने उसके दरवाजे की घंटी बजाई ताकि उसका हालचाल जान सके और उसका सामान भी वापस कर दे। लेकिन न उधर से कोई जवाब आया और न दरवाजा खुला। वो वापस आ गया अपने फ्लैट में ।

रात को उसकी कई बार नींद टूटी और हर बार उस mysterious girl के घुटने की याद आती उसे। पता नहीं डॉक्टर बुलाया होगा या नहीं ? खून कितना बह गया होगा ? कोई दवा भी होगी उसके पास या ऐसे ही पड़ी होगी दर्द में ? … ऐसी क्यों है वो ? इतना डर किस बात का है कि मदद तक नहीं लेती किसी से भी ?… दीप के सवालों में इजाफा ही होता रहा लेकिन उसके किसी सवाल का जवाब तक नहीं मिला उसे । “कल चाहे कुछ हो जाए उसका दरवाजा खुलवा के रहूंगा ।” ऐसा दृढ़ निश्चय करके दीप एक बार फिर सो चुका था।

वो सुबह से ही कई बार उस लड़की के फ्लैट का दरवाजा खटखटा चुका था। बाहर से आवाज लगा चुका था कई बार की वो बस मदद करना चाहता है । पर फिर भी जो खामोशी थी दरवाजे के उस तरफ वो बरकरार रही। इस तरह दरवाजा न खुलता देख उसने अपना दिमाग लगाया। बिल्डिंग के वॉचमैन अंकल दीप से कई बार अपने बेटे के लिए कह चुके थें कि  “उसे भी अपने साथ ले जाया करो , सुना है बहुत पैसा मिलता है इस काम में !” चलो बेटे के करियर का लालच देकर देखते है आज शायद इस दरवाजे की दूसरी चाभी दे ही दें।

जो भी हो मगर दीप तो दीप ही था घंटे भर खड़े-खड़े DJ प्रोफेशन के फायदे , पैसे और Bollywood celebrity से जान पहचान की बातें बताते-बताते उसने आखिरकार दूसरी चाभी की बात छेड़ ही दी। वैसे तो बिल्डिंग के सभी फ्लैट्स की दूसरी चाभी owner के पास रहती है लेकिन अभी नई बिल्डिंग बनी होने और मालिक के विदेश में रहने के कारण चाभी वॉचमैन के पास ही थी। इसीलिए उनका काम करने के फेवर में दीप ने चाभी की डिमांड की। वजह बताने के बाद की लड़की की तबियत खराब है वो इस हालत में नहीं हैं कि दरवाजे तक आ सके । उसे चाभी मिलने में और आसानी हो गई।

दरवाजा खोलकर जैसे ही उसने फ्लैट में कदम रखा उसके होश उड़ गए। दरवाजे से लेकर सोफे तक खून के धब्बे पड़े हुए थें और सोफे पर वो लड़की। उसने अपने घुटने में अपनी पैंट लपेटी हुई थी, वो भी लाल हो चुकी है। वो सोफे पर बिल्कुल सीधी लेटी हुई है। चोट वाला पैर बहुत ज्यादा सूज गया है और दूसरे पैर में भी खरोचें बनी हुईं है। कमर के नीचे उसने सिर्फ….!

दीप ने तुरंत अपनी आँखें झुका ली और अपनी T shirt उतार कर उसकी कमर पर डाल दी।
कौन…दी..दी..? उसकी आवाज में बहुत कराह थी और आँखें भी नहीं खुल पा रहीं थीं उसकी।
नहीं मैं दी..

कौन.. उसने चौंक कर पूरी आँखें खोल दी और दीप को शर्टलेस देखते ही चीख पड़ी । तुम अंदर कैसे आएं ? यहाँ क्यों आएं हो …? भाग जाओ वरना मैं पुलिस को बुलाऊंगी …!

शांत , शांत हो जाओ तुम । तुम्हें जो करना है बाद में करना अभी मुझे डॉक्टर को बुलाने दो।
नहीं किसी को भी बुलाने की जरूरत नहीं है…! उसने उठने की कोशिश की लेकिन उठ ही नहीं पाई।
चले जाओ यहां से वरना मैं तुम्हें भी मार दूंगी …! उसने अपने आसपास कोई मारने वाली चीज ढूंढी।
अपनी बकवास बंद करो और मुझे बताओ कोई दवा रखी है घर में ?

तुम जाते हो या नहीं ।
नहीं । दीप उठकर ग्लास में पानी लेने चला गया ।

कहाँ जा रहें हो । बचाओ… बचाओ … हेल्प … उसके किचन के अंदर जाते ही वो जोर जोर से चिल्लाने लगी अगर उठ पाने की हालत में होती तो शायद भाग जाती यहाँ से ।लेकिन उस फ्लोर पर था ही कौन उन दोनों के सिवा जो आ जाएं।
कोई भी नहीं आएगा मैं ही आ गया यहीं तुम्हारा नसीब है। लो पानी पी लो मैं डॉक्टर को लेकर आता हूँ।

क्या मिलाया है पानी में ? उसने फुफकारते हुए पूछा।
मिलाया? मैं क्यों मिलाऊंगा कुछ । पानी तुम्हारा , ग्लास तुम्हारा तो इसमें कहां से कुछ मिल जाएगा।

लेकिन लाए तो तुम हो न । उसने दीप के हाथ से ग्लास ले लिया और अपनी पूरी ताकत से उसके चेहरे पर फेंक के मार दिया। दीप अपने चेहरे को संभालते हुए घुटने पर बैठ गया । चेहरे से टप-टप करके खून फर्श पर गिरने लगा था। उसकी आँखें तो बच गई लेकिन दाहिने गाल पर ग्लास के टूटने से कांच घुस गएं थें। दीप के दिल में आया कि अभी उठे और उस लड़की का गला दबा के मार दे लेकिन उसके चेहरे में इतनी तेज दर्द हो रहा था कि एक शब्द तक बोला – बोला न गया । वो वहाँ से तेजी से निकल कर अपने फ्लैट की तरफ भागा।

चेहरे से एक एक कांच निकालते हुए वो उस लड़की के लिए गालियाँ बकता जा रहा है ।

भैंनचो* जाहिल है साली पूरी । इससे अच्छा मैं किसी राह चलते पागल कुत्ते की मदद कर देता … Bloody bitch… Oh fuck…. कितना खून निकल रहा है यार। तुझे ही शौक था मदद करने का ले मर अब उस पागल के चक्कर में । देखना ये मरेगी तो इसकी लाश कीड़े खाएंगे, इसकी मौत के दस दिन बाद इसके घरवालों को पता चलेगा …! दीप बद्दुआ और गालियां लगातार देता ही जा रहा था। एक कांच के टुकड़े के साथ एक गाली निकल रही थी।

गाल को अच्छी तरह से साफ करने के बाद उसने अपनी कार की चाभी उठाई और डॉक्टर के पास जाने के लिए निकल गया। आज उसे रात में एक रेस्टोरेंट ओपनिंग पर DJ play करना था जिसका आधा अमाउंट वो ले भी चुका था। शाम को दोस्तों के साथ मूवी देखने का प्लॉन भी था लेकिन सब धरा का धरा रह गया।

उसने अपने ग्रुप को DJ Night के लिए बोल दिया और उसका ग्रुप तैयार भी हो गया उसके बिना जाने के लिए। लेकिन रेस्टोरेंट ऑनर ने साफ कह दिया है कि उसके बिना पेमेंट भी आधा मिलेगा। क्योंकि अधिकतर लोग DJ music एंजॉय करने के बजाय सिर्फ दीप के साथ सेल्फी और ऑटोग्राफ लेने आतें थें।
सब मामलों को रफा-दफा करके एक लंबी सांस लेकर वो सोने के लिए लेट गया। बिस्तर पर लेटते ही आज दिन में जो भी हुआ वो सब ट्रेलर की तरह उसके दिमाग में चलने लगा। ट्रेलर बार बार एक ही जगह रुक जा रहा था जहाँ उसने उस mysterious girl को कोसना शुरू कर दिया था।

“क्या यार..  मेरी नहीं लेकिन किसी की तो बहन है वो उसे इस तरह गाली नहीं देनी चाहिए थी। ” हँसी मजाक को छोड़कर दीप ने कभी किसी लड़की को गाली नहीं दी आजतक । बचपन से ही उसने पापा को मॉम को गालियां देते देखा है लेकिन कभी उनसे सीखा नहीं। उनसे गालियां खाने के बाद मॉम हमेशा देर तक रोया करतीं थीं , बार-बार चेहरे को ऐसे धोती थीं कि जैसे सारी गालियां उनके चेहरे पर ही चिपक गईं हो।

यही सब देखने के बाद ही उसने कभी भी लड़कियों को गाली न देने का सोचा था ।पता नहीं आज कैसे वो अपनी सीमा लांघ बैठा वो । “माना वो गलत थी लेकिन उसे गाली देने का अधिकार किसी को भी नहीं है, किसी को भी नहीं।”

दीप ने इंजेक्शन भी लगवाया था और दवा भी ली थी लेकिन उसके चेहरे पर दर्द अब भी हो रहा है । जरा उसकी सोचो जो कल से बिना पानी पिए हुए पड़ी है! उसकी हालत का सोचते ही दीप उठ कर बैठ गया। “अगर सच में उसे कुछ हो गया और किसी को न पता चल पाया तो उसकी बॉडी क्या सच…” दीप अपनी ही बद्दुआ से डर गया। उसके पूरे शरीर से पसीना निकलने  लगा और उसे बेचैनी सी महसूस होने लगी ।

उसने अपनी दवाई की तरफ देखा और कुछ सोच कर अपनी जेब में डाल लिया । थोड़ी बहुत हिम्मत जुटाई – “जो होगा देखा जाएगा। ” के नारे से अपने हौसले बुलंद करता हुआ वो दोबारा उसके कमरे में दाखिल हो गया।

वो अभी भी उसी तरफ बेसुध पड़ी थी । एक दो बार आवाज देने के बाद जब उसके कोई हरकत नहीं करी तो दीप अपनी दो उंगलियां उसकी नाक के आगे ले गया । साँस तो चल रही है। थोड़ी और हिम्मत करके उसकी नब्ज पर हाथ रखा तो पाया कि उसे बुखार भी आ चुका है काफी तेज। अब वो क्या करें ?

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कमर पर अभी भी दीप की टीशर्ट ही लिपटी हुई है । थोड़ा बहुत सोच विचार करने के बाद दीप ने ठान ही लिया कि पहले इसे बिस्तर पर जाकर लिटायेगा भले ही ये आँखें खोल कर बीच में ही उसका गला दबा दे। वो अंदर से जाकर एक चादर ले आया और उसके शरीर के निचले हिस्से को ढक दिया। उसके घुटने मुड़ पाना एक मुश्किल काम था । इतनी आहिस्ते से उठाने की जरूरत थी कि जैसे कोई रुई के फिहे को उठा रहा हो।

काफी सावधानी से उसे सोफे से बिस्तर तक लेकर आया वो। उसे आराम से लिटाने के बाद सबसे पहले तो उसने चादर मोड़ कर उसके घुटने पर बंधी पैंट खोली।
Oh God…! उसके घाव को देखते ही दीप ने अपनी आँखें बंद कर लीं।

पूरा घर छान मारने के बाद भी उसे फर्स्ट एड बॉक्स कहीं नहीं मिला । तो बाथरूम से सैनिटाइजर लाकर वो उसके घाव को धीरे-धीरे स्प्रे करने लगा । वो थोड़ा सा कुनमुनई, कराही लेकिन उसकी आवाज में या शरीर में इतनी ताकत नहीं बची थी कि एक शब्द भी निकल पाए गले से। एक बार उसने बस इतना बोला…. दी… द!
जवाब में वो बोला – मैं दीप …!

पता नहीं वो होश में है या नहीं लेकिन बीच बीच में उसके होठों से सिसकी निकल जाती है।

दीप अपना एड बॉक्स ले आया था। घाव साफ करने के बाद उसपर कोई सूखी दवाई डाली । अपने हाथ के बराबर गोलाई की रुई में डॉक्टर से लेकर आया हुआ लिक्विड छिड़क कर उसे घुटने पर रख दिया और पट्टी से कसने लगा तो दर्द के मारे वो अपने हाथ पटकने लगी । दीप उसे अनदेखा करके अपना काम करता रहा। घुटने का ट्रिटमेंट करने के बाद DJ दीप से docter दीप होकर उसके एंकल की जांच करने लगा। अपनी उंगलियों पर थोड़े अमाउंट का जैल लेकर वो मालिश करने लगा।

दोनों पैरों पर काफी मेहनत करने के बाद वो अपने हाथ साफ करने चला गया । हाथ धुलने के बाद उसने अपनी जेब से दवाई निकाली और एक बर्तन में उसे पीस दिया। एक छोटे ग्लास में वो दवा खोलने के बाद वो पानी लेकर फिर से कमरे में आ गया । उसे काफी डर लग रहा था उस लड़की से इसीलिए वो पूरी तरह सावधान था कि अगर अबकी बार उसने ग्लास फेंक के मार तो कैसे बचना है ।

देखो अगर मेरी आवाज तुम्हें सुनाई दे रही है और तुम थोड़ा भी होश में हो तो मैं ये दवा तुम्हारे मुंह में डालूंगा थोड़ी सी हिम्मत करके तुम पी लेना। ये सिर्फ दवाई है और कुछ भी नहीं प्लीज थोड़ा सा भरोसा रखो मुझ पर। इतने ज्यादा दर्द में पड़े रहने से अच्छा एक अजनबी पर भरोसा कर लेना होता है । दीप ने उसके मुँह को खोलकर दवा डाल दी और तुरंत उसके सर को थोड़ा ऊपर उठाकर अपने दो तकिया रख दी सर के नीचे।

उसके सूखे और फटे होठों से ग्लास लगातें हुए उसे पानी भी पिलाने की कोशिश की। लेकिन दो घूंट से ज्यादा पानी गया नहीं गले में और मुंह से बाहर निकल आया । सर के नीचे से तकिया हटा कर उसे फिर से पहले की तरह लिटा दिया । एक और चादर लाकर mysterious girl को कवर करने के बाद दीप को लगा कि अब सारा काम हो गया है अब उसे अपने फ्लैट पर जाना चाहिए ।

सुनो मैं अब जा रहा हूँ, अपना नंबर तुम्हारे फोन में सेव करे देता हूँ । कोई भी जरूरत पड़ने पर तुम मुझे याद कर सकती हो। दीप ने उसका फोन उठाया तो उसपर लॉक पड़ा हुआ था ।

तुम्हारे फोन पर तुम्हारी बहन की 16 मिसकॉल्स लगी हुईं हैं। उसने फोन उसके बगल में रखते हुए कहा।
मैं अपना नंबर कागज पर लिख जा रहा हूँ Ok । एक कागज पर नंबर लिखने के बाद उसने फोन के नीचे पर्ची दबा दी ।
जा रहा हूँ Good night neighbour .

दीप रात भर सही से नहीं सो पाया और बिल्कुल सुबह होते ही नीतिका को फोन लगा दिया । नीतिका के आने के बाद दोनों फिर से उस लड़की के कमरे में गएं। पहले तो वो डर रही थीं जाने से लेकिन दीप ने अपनी दोस्ती की कसम देकर उसे मना लिया था वहाँ जाने के लिए।
Oh my God ! यहाँ तो खून पड़ा है । फ्लैट के अंदर जाते ही वो डर कर दीप के पीछे हो गई।

देखो तुमको सारी सिचुएशन समझाई तो अब उसके बाद भी डरोगी तो कैसे काम चलेगा यार।
हाँ लेकिन डर तो लगेगा ही थोड़ा बहुत ।
अभी वो बेहोश है तुम बिना डरे उसके कपड़े बदल आओ बस । तब तक मैं ये फर्श साफ कर दूं।
नहीं अकेले नहीं जाऊंगी तुम भी चलो ।

तुम भी उसकी तरह पागल हो क्या ? अगर मुझे देखना ही पड़ेगा उसे तो मैं तुमको क्यों बुलाता ? अब जाओ जल्दी से पहले उसका शरीर गुनगुने पानी से साफ कर देना और फिर कपड़े पहना देना । तब तक डॉक्टर भी आ जाएंगे।
मैं इतना सब कुछ नहीं कर पाऊंगी उसके लिए समझे।
दोस्त नहीं हो मेरी ! उसने puppy face बनाते हुए कहा।

अच्छा ठीक है लेकिन मेरी एक आवाज पे तुम तुरंत हाजिर हो जाना ।
Ok! उनके थम्स अप करते हुए हामी दी।

भाई यार उसका शरीर तो पूरा पीला हो गया है । सोफे पर आराम करते हुए दीप के ऊपर आकर गिरी नीतिका थोड़ी घबराई हुई सी थी।
वही तो तुझे मैं समझा रहा था समझ ही नहीं आ रहा कि क्या किया जाएं। इसके घरवालों को तो शायद पता भी नहीं है कुछ।
इसको हॉस्पिटलाइज्ड करवाना पड़ेगा ।

वो तो भूल जाओ यही अपनी जान दे देगी मगर भीड़ में नहीं जाएगी।
दरवाजे की बेल बजने से दोनों समझ गएं कि डॉक्टर साहब आ चुके है ।

दीप के बार बार रिक्वेस्ट करने पर डॉक्टर ने हॉस्पिटलाइज्ड तो नहीं किया लेकिन बहुत सारी दवाएं लिख दी और साथ ही उसे सलाइन पर भी डाल दिया। डॉक्टर ने एक नर्स को भेजने का वादा किया लेकिन बदले में मोटा बिल भी थमा दिया दीप को ।

शाम 5 बजे के करीब वो लड़की पूरी तरह से होश में आ चुकी थी । अपने बेडरूम में नजर दौड़ाई तो एक तरफ नर्स बैठी थी और दूसरी तरफ नीतिका । सलाइन अभी भी उसके हाथ में लगी थी इसीलिए जैसे ही उसने उठ के बैठने की कोशिश की तो नर्स ने तुरंत टोक दिया।

बैठने का नहीं । तेरे को बहुत blood loss हुआ है समझी क्या । अभी उठके बैठेगा तो चक्कर आएगा कि नहीं आएगा करके ।
तुम उठो नहीं तुम्हें जो चाहिए हो मुझे बता दो ।

कुछ नहीं चाहिए । वो दम साधे वापस लेट गई। थोड़ी देर पूरे कमरे में शांति रही। इन 8- 9 घंटों में नीतिका को उस Mysterious girl से थोड़ा अपनापन महसूस होने लगा था । इसीलिए उसने बड़े प्यार से उसका नाम जानने की कोशिश की । उसके बेड के थोड़ा सा करीब आकर खड़ी हो जाने के बाद उसने बड़े आराम से पूछा ।

क्या तुम अपना नाम बता सकती हो ?
लड़की ने उसकी तरफ देखा फिर आँखें बंद करते हुए बोली – आरोही …।
वाह ! तुम्हारी आंखों की तरह तुम्हारा नाम भी खूबसूरत है। आरोही कुछ नहीं बोली ।
अच्छा मेरा नाम जानती हो क्या है? मेरा नाम है….

नीतिका ..! उसने बिना आँखें खोले जवाब दिया।
तुम्हारे कान तो बड़े तेज है बेहोशी में भी काम करते है। अच्छा चलो आराम करो तुम मैं जा रही हूँ कुछ भी चाहिए हो तो नर्स से बोल देना ।
आरोही ने नीतिका के जाने के बाद आँखें खोल दी। उसकी आंखों के कोरो से आँसू बह आएं थें ।

Thanks for reading

wait for second part .

इश्क़ का अंजाम all parts 

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