The guardian – A love story beyond societal norms Part 1
बड़ी मम्मी से कुछ बात हुई है तुम्हारी ? गर्ग जी नाश्ते की टेबल पर बैठें अखबार पढ़ रहें हैं और सरसरी निगाह से बार-बार अनिरुद्ध को भी देख रहें हैं।
नहीं तो। अनिरुद्ध बासी रोटी के साथ चाय पीने में व्यस्त था। टेबल पर फ्रूट्स भी रखें थें और जूस भी लेकिन उसका मन नहीं था सुबह-सुबह फल खाने का।
मीनाक्षी को एडमिशन मिला है तुम्हारे ही कॉलेज में।
कौन ? बड़ी मम्मी की जो बहन हैं उन्हीं की बेटी ?
हाँ ! जो एक बार आई थीं तुम्हारी मम्मी के गुजरने के बाद।
पापा अब बस इतना बताओ किस काम के लिए उन्होंने बोला है। पाँच साल पहले कौन आया था कौन नहीं मुझे इससे कोई मतलब नहीं है।
दअरसल.. वो चाहती हैं कि हम उनकी बेटी के Local Guardian बन जाएं। मैंने भी सोचा बिन बाप की बच्ची है कहाँ हॉस्टल्स में मारी-मारी फिरेगी। तो उसे हम अपने घर में रख ले बेटा ? अगर तुम्हें कोई दिक्कत न हो ! वैसे भी है तो तुम्हारी बहन ही उससे भला तुमको क्या दिक्कत हो सकती है !
पापा ! आपका घर है जिसको मन हो रखें लेकिन please मुझसे इस तरह अपनी किसी चीज के बारे में मत पूछा कीजिए। बेटा हूँ आपका , बाप नहीं। अनिरुद्ध ने बची हुई रोटी प्लेट में रख दी और उठ कर अपने कॉलेज के लिए निकलने लगा।
कल से जल्दी उठने की कोशिश करूंगा। तुम्हें रोज बासी खाना खा कर जाना पड़ता है।
नहीं पापा आप आराम से उठा कीजिए , मेरे लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है।
इस महीने बिजली के बिल , ग्रॉसरी के समान के अलावा ये इन दोनों के बीच तीसरा कन्वर्सेशन हुआ था। किसी खास काम को छोड़कर दोनों में बातचीत बहुत कम होती है। रहते तो एक ही घर में है लेकिन लगता हैं जैसे मीलों का फासला हो ।
गर्ग जी की पत्नी लता जी के गुजरने के बाद पिछले पाँच सालों से उन्हें एक बेटी की कमी बहुत खल रही थी। तभी से वो मीनाक्षी को अपने साथ रखना चाहते थें। तीन साल पहले उसके पापा गुजरे तब से उन्होंने मीनाक्षी की स्कूल फीस का आधा खर्चा भी उठाना शुरू कर दिया था। यहाँ आकर आगे की पढ़ाई करने का भी idea उन्हीं का है। ये बात अनिरुद्ध भी जानता है लेकिन उसने कहा कुछ नहीं।
मिनाक्षी नए शहर में आकर तो खुश थी लेकिन अपने छोटे भाई और मम्मी को अकेला छोड़ आने का मलाल भी था। मीनाक्षी तो स्कूलिंग के बाद ही एक call center में जॉब करके अपनी मम्मी की मदद करना चाहती थी लेकिन गर्ग जी और मम्मी दोनों ने उसे ऐसा नहीं करने दिया।
अब इस 2BHK में गर्ग जी ने अपना सामान छत के ऊपर बने छोटे से रूम में शिफ्ट कर लिया है और मीनाक्षी का सामान अपने बेडरुम में रखवा दिया है।
मीनाक्षी ने अपना सामान अच्छे से जमाने के बाद घर की दशा दिशा भी सुधारनी शुरू कर दी। पूरे घर की डस्टिंग, क्लीनिंग और स्वीपिंग करने के बावजूद भी मीनाक्षी ने अनिरुद्ध के कमरे में पैर तक नहीं रखा।
उसे अनिरुद्ध से बहुत डर लगता है । सिर्फ उसे ही नहीं पूरे परिवार में जितने भी उसके हमउम्र है उन्हें भी अनिरुद्ध से ही सबसे ज्यादा डर लगता है। बड़ी मम्मी की दोनों बेटियां जरूर उसके साथ हँसी मजाक कर लेती है लेकिन अपने बड़े भाई से उन्हें भी डर जरूर लगता है।
पहले अनिरुद्ध के बंद स्वभाव फिर मम्मी के गुजर जाने के बाद उसके गुस्से और चिड़चिड़ेपन की वजह से ही उसके बाकी कजिन्स उससे दूरी बनाने लगें थे।
अपने सारे काम खत्म करके मीनाक्षी शॉवर लेने के बाद किचन में चली गई और दो कप बढ़िया सी चाय बना के तैयार कर दी। ऐसा महीनों बाद हो रहा था कि शाम की चाय गर्ग जी अकेले नहीं पी रहें थें।
कैसी बनी अंकल ?
चाय तो अच्छी बनी है बेटा लेकिन ..
लेकिन..?
लेकिन अब तुम मुझे अंकल न बोला करो। पापा कहा करो बेटा अच्छा लगता है ।
जी अंकल…Sorry पापा ! मीनाक्षी थोड़ी इमोशनल हो गई थी और गर्ग जी भी।
एक महीने पहले Sunday के दिन अनिरुद्ध को आलू के पराठे नाश्ते के समय नसीब हुए थें उसके बाद आज देखने को मिले । मीनाक्षी गर्म- गर्म पराठे सर्व करती जा रही थी। अनिरुद्ध ने एक ही बार उसे देखा उसकी तरफ फिर दोबारा अपनी गर्दन नहीं उठाई।
एक और दूं? मीनाक्षी ने पराठे के लिए पूछा।
नहीं ।
मीनाक्षी ने दोबारा देने के लिए जबरदस्ती भी नहीं की। पाँच साल पहले जब घर की सभी औरतें उसे खाना खिलाने के लिए राजी नहीं कर पाईं थीं तो मीनाक्षी ने उसके तीन दिन के अनशन को तुड़वाने के लिए जबरदस्ती मुँह खोल कर रोटी खिलाने लगी थीं। लेकिन आज ऐसा नहीं किया जा सकता क्योंकि तब वो बच्ची थी।
बेटा , अगर तुम्हें कोई दिक्कत न हो तो मीना को भी साथ लिए जाओ। मैं कहाँ ऑटो रिक्शा से लेकर जाऊंगा बेचारी को ।
10 मिनट में रेडी होकर बाहर मिलो । अनिरुद्ध नाश्ते की टेबल से उठ गया ।
अनिरुद्ध ने उसे बाइक से उतारते हुए बड़े भाई की तरह कुछ नसीहतें दी।
Class rooms ढूंढ लोगी न ?
हाँ।
पैसे हैं?
हाँ । अंकल ने.. मेरा मतलब पापा ने दिए हैं।
Ok! आज पहला दिन है लेकिन पूरा कॉन्फिडेंस बनाए रखना। किसी पर भी तुरंत भरोसा न करना और.. ये लो पकड़ो मेरा नंबर कोई दिक्कत लगे तो तुरंत कॉल करना।मैं यहीं कॉलेज में हूँ। उसने पर्ची पर नंबर लिख कर मीना को पकड़ा दिया।
Thank you भैया !
तुमने कभी अनीता , निकिता और बिन्नी को मुझे भैया कहते सुना है ।
शायद से तो नहीं ।
तो फिर ! अनिरुद्ध थोड़ा मुस्कुराया और बाइक स्टार्ट करके चला गया।
अपनी classes खत्म करने के बाद जब कॉलेज से बाहर निकली तो देखा अनिरुद्ध बाइक पर बैठा उसका इंतजार कर रहा था।

दिन कैसा रहा ?
अच्छा ही था।
चलो जल्दी बैठो । पापा फोन कर करके मुझे परेशान किए हुए हैं।
उस दिन के बाद से अनिरुद्ध ही मीना को छोड़ने और pick करने का काम करता था। लेकिन पहले दिन की तरह कोई बात नहीं होती है दोनों में । अनिरुद्ध भले ही कभी पैसे के लिए पूछ ले इसके अलावा उसने कुछ भी नहीं पूछा ।
मीना भी उससे कुछ भी कहने से डरती है। उसे जो चाहिए होता है गर्ग जी से बोल देती है और गर्ग जी अनिरुद्ध से कह देते है। Books चाहिए , notes चाहिए, pen चाहिए या कोई दवा सब कुछ गर्ग जी से होते हुए अनिरुद्ध तक पहुंचता है।
20- 22 दिनों के बाद अपने पापा के हाथ का खाना खाकर उसे थोड़ा अजीब लगा लेकिन उसने पूछा कुछ भी नहीं।
मीना आज कॉलेज नहीं जाएगी । किचन से आवाज आई।
Ok!
कुछ सामान लिख के रखा है टेबल पर मेडिकल स्टोर वाले को पर्ची दे देना वो निकाल देगा और हो सके तो कुछ चटपटा लिए आना मीना के लिए ।
क्यों ?
तुम्हें क्यों बता भी दूं तो क्या फायदा समझोगे तो तुम है नहीं । तुम्हें लड़कियों और उनकी बातों से भागने का इतना शौक ही है ।
ठीक है सारा सामान लिए आऊंगा।
पैसा ले लेना मेरी पर्स से ।
मेरे पास हैं । अनिरुद्ध ने पर्ची उठाकर जेब में रख ली ।
रात में खाने की टेबल पर अकेला बैठा हुआ वो अपने पापा को मीना के लिए कभी सूप , कभी चाय तो कभी गर्म पानी ले जाते हुए देख रहा है। उन्हें शायद ये याद ही नहीं था कि उनका खुद का बेटा खाने का इंतजार कर रहा है।
अनिरुद्ध उठकर किचन में चला गया ।
बस बेटा थोड़ी देर। दाल में तड़का लगाने ही जा रहा हूँ।
पापा !
हूँ!
I can’t share you in this way . आपकी औलाद मैं हूँ वो नहीं ।
ऐसा नहीं बोलते बेटा अगर आज तुम्हारी भी कोई बहन होती तो उसके लिए भी मैं यही कर रहा होता।
अगर होती तो मैं भी करता लेकिन नहीं है न । पापा नहीं है मेरी कोई सगी बहन ।
जानते हो बेटा किसी जवान लड़के की माँ का गुजरना इतना दर्दनाक नहीं होता जितना एक मासूम लड़की के बाप का गुजर जाना । उस बच्ची का बाप नहीं है और इस समय उसके पास माँ भी नहीं है । तुम्हें तो चाहिए कि इस तरह मुझसे बहस करने के बजाय तुम उसकी देखभाल करो ।
अपने पापा के तर्क के आगे अनिरुद्ध कुछ नहीं बोला और किचन से निकल कर अपने बेडरुम में चला गया।
क्या बना रहें हैं? रात में भूखे ही सो जाने पर उसे लगा था कि पापा सुबह गुस्सा करेंगे इसीलिए बहुत ही धीरे से उसने किचन के दरवाजे से ही ये सवाल पूछ लिया।
चाय बनाने जा रहा हूँ। उनकी आवाज सामान्य थी।
एक काम कीजिए चाय मैं बना देता हूँ आप अपनी बेटी के लिए नूडल्स बना दीजिए। कल मैं लेकर आया था।
बना लोगे ? गर्ग जी ने शंका से पूछा क्योंकि अपनी माँ के गुजर जाने के बाद अनिरुद्ध ने किचन से जैसे संन्यास ही ले लिया था।
Dear पापा! शेर बूढ़ा भी हो जाए तो शिकार करना नहीं भूलता ।
अगर ऐसा है तो आ जाओ ।
इन तीन चार महीनों में ही मीनाक्षी के अच्छे-खासे दोस्त बन गएं थे कॉलेज में । इसलिए अनिरुद्ध ने शाम के वक्त उसे घर ले जाना बंद कर दिया था । कभी सेमिनार तो कभी दोस्तों के साथ कैंटीन में उसे वक्त लग जाता था इसीलिए अनिरुद्ध अब उसका इंतजार नहीं करता था।
लेकिन सुबह जब वो मीनाक्षी को कॉलेज छोड़ता था तो उसकी दोस्त बहुत ध्यान से देखती थीं।
उसके friend group में तो सभी को लगता था कि अनिरुद्ध उसका boyfriend है । उसने साफ-साफ बोल के रखा है कि अनिरुद्ध सिर्फ उसके बड़े भाई की तरह हैं। लेकिन फिर कभी-कभी मजाक वगैरह में वो लोग ये बात भूल जाती हैं।
इधर अनिरुद्ध भी मीना के ग्रुप के लड़कों पर शक खाता है। इसीलिए उसने मीनाक्षी को पहले ही सावधान करते हुए कह दिया –
चाहे जितने भी लड़कों से दोस्ती करो लेकिन कभी भी किसी को Boyfriend मत बनाना । पढ़ने की उम्र में ही बहक जाओगी तो जीवन बर्बाद कर लोगी।
इसी वजह से मिनाक्षी अनिरुद्ध के सामने अपने दोस्तों से भी बातें करने में कतराती है । उसके male friends एक दो बार उसे अपने घर पर इनवाइट भी किया लेकिन अनिरुद्ध के डर से वो कभी नहीं गई।
एक दिन एग्जाम्स से पहले सारे दोस्तों ने एक कैफे में छोटी सी पार्टी की । देर हो जाने की वजह से कोई भी रिक्शा या taxi नहीं मिली तो उसके एक दोस्त ने उसे घर छोड़ने के लिए अपनी बाइक पर बिठा लिया।
मीना को कोई idea नहीं था कि रात 10 बजे तक घर आने वाले अनिरुद्ध भैय्या आज शाम 6 बजे से ही घर पर होंगे।
मीनाक्षी ने अच्छे दोस्त की तरह साहिल को कॉफी पीकर जाने के लिए कहा और दरवाजा खटखटाया। उसकी बदकिस्मती से दरवाजा पापा ने नहीं बल्कि अनिरुद्ध ने खोला।
ये कौन है ? अनिरुद्ध ने अपनी स्लीव चढ़ाते हुए पूछा।
ये पूछने वाले आप कौन है ? साहिल ने भी पूरे attitude में पूछा।
भैय्या! ऑटो नहीं मिल रहा था… इसीलिए साहिल मुझे छोड़ने आया है।
Wow! Sorry मुझे नहीं पता था कि आप भाई हैं इनके। शक्ल बहुत डिफरेंट है न आप दोनों की।
तुम मुझे कॉल कर सकती थीं। साहिल की बात का जवाब न देते हुए अनिरुद्ध मीनाक्षी को देखता रहा।
हाँ वो कर तो सकती थीं लेकिन मैंने कहा चलो एक कप कॉफी ही पिला दो चलकर अपने हाथों की ।
कॉफी खत्म हो गई है मेरे घर में। अनिरुद्ध ने गुस्से में जवाब दिया। मीनाक्षी अब तक अंदर जा चुकी थी।
तो कोई बात नहीं चाय से भी काम चल जाएगा।
आज दूध भी नहीं है। अगली बार आना तो बता कर आना । सारे इंतजाम करके रखूंगा।
अनिरुद्ध ने साहिल को दरवाजे से ही विदा कर दिया।
कौन था ये ? अंदर जाते ही वो मीना से मुखातिब हुआ।
भैया वो दोस्त था मेरा।
कितनी बार मना करूं मुझे भैया मत बोला करो। और हाँ जब तक मैं हूँ किसी और से मदद लेने की कोई जरूरत नहीं है।
मीनाक्षी को लगा था कि बात खत्म हो गई है लेकिन रात में खाने के टाइम गर्ग जी ने फिर से वही बात छेड़ दी।
बेटा आज तुम्हारा boyfriend आया था घर !
पापा साहिल सिर्फ मेरा दोस्त है ।
दोस्त है ? इतने handsome लड़के को दोस्त बोलते तुम्हें शर्म आनी चाहिए। ऐसे लड़के दोस्ती करने के लिए नहीं प्यार करने के लिए परफेक्ट होते है । हैं न अनिरुद्ध?
मेरा खाना हो गया ! अनिरुद्ध डाइनिंग टेबल से उठ गया।
जरूर तुम इसके डर से उसे अपना boyfriend नहीं बना रही हो न ! देखो बेटा हमारा अनिरुद्ध थोड़ा पुराने खयालों का है उसकी सुनकर तुम अपनी लाइफ क्यों बेकार कर रही हो ? इससे तो एक लड़की न पटी अब वैसा ही तुम्हारे साथ भी करना चाहता है।
नहीं पापा अभी ऐसी कोई बात नहीं है। अगर होगी तो आपको जरूर बताऊंगी ।
हाँ मुझे ही बताना तुम्हारे भाई को मैं संभाल लूंगा।
उस दिन के बाद से हफ्ते भर छुट्टी रही मीनाक्षी की। हफ्ते भर का ये टाइम उसके पेपर्स के लिए था। इस हफ्ते भर में ही मीनाक्षी की तैयारी चेक करने के लिए 3 टेस्ट भी ले लिए थे अनिरुद्ध ने उसके ।
मीनाक्षी के एग्जाम्स स्टार्ट होने के बाद से पापा को घर का काम कुछ ज्यादा पड़ जाता था इसीलिए अनिरुद्ध भी किचन में उनकी हेल्प कर देता था ।
सारे exam अच्छे से गुजरने की खुशी में मीनाक्षी night club में दोस्तों के साथ पार्टी करने जाना चाहती है लेकिन अनिरुद्ध की वजह से और शॉपिंग के लिए पैसे न होने से वो अपने दोस्तों को फोन पर बार-बार मना कर रही है।
गर्ग जी ने ये बात नोटिस कर ली इसीलिए उसे बुलाकर चुपके से 5 हजार रुपए थमा दिए और बोल दिया कि अनिरुद्ध को वो समझा देंगे। मीनाक्षी खुशी से झूमती हुई उनके गले लग गई।
अनिरुद्ध से पूछने या बताने की उसकी हिम्मत नहीं थी इसीलिए उसे एक msg करके वो घर से निकल गई थी।
पापा उसका इंतजार करते हुए सोफे पर ही सो गएं थें।
रात करीब एक बजे दरवाजे की घंटी बजी। पहली ही बार में अनिरुद्ध ने दरवाजा खोल दिया ताकि पापा की नींद न टूट।
सामने अनिरुद्ध को देखते ही सबसे पहले मीना ने हैंडबैग से अपने घुटने कवर किए क्योंकि उसकी Black dress घुटनों से ऊपर तक ही थी। फिर डरते हुए घर के अंदर आ गई।
आप सोए नहीं।
तुम्हारा वेट कर रहा था। कहीं बाहर जाओ तो 12 बजे से पहले घर आ जाया करो।
Sorry आगे से ध्यान रखूंगी।
ये ड्रेस किसने दिलाई ?
पापा ने पैसे दिए थें। आगे से नहीं लूंगी ऐसी कोई ड्रेस।
क्यों?अच्छी तो लग रही है । अगर और चाहिए हो तो बताना मैं दिला दूंगा।
आपको गुस्सा तो… मतलब मेरी ड्रेस थोड़ी छोटी है !

देखो तुम क्या पहनोगी , क्या करोगी , कहाँ जाओगी , ये सब तुम्हारी choice है । मुझे सिर्फ तुम्हारे boyfriend बनाने से ऐतराज है बस। अब जाओ सो जाओ, बहुत रात हो गई है।
कहते है कि किसी भी त्यौहार पर घर के बच्चे ज्यादा उत्साहित होते है । लेकिन गर्ग जी की खुशी किसी भी बच्चे से दोगुनी थी। रक्षाबंधन के लिए मीनाक्षी से ज्यादा उनमें उत्साह था। मीनाक्षी के कॉलेज से आते ही रक्षाबंधन में क्या बनेगा से लेकर क्या पहना जाएगा? ये सब डिस्कशन शुरू हो जातें।
अपने पापा के इस अति उत्साह को देखते हुए अनिरुद्ध ने राखी से एक दिन पहले अपना बैग पैक किया और बड़ी मम्मी के घर चला गया।
गर्ग जी सारा दिन हाइपर होकर इधर-उधर घूमते रहें। मीनाक्षी ने उनकी दवाइयां खिला कर उन्हें शांत करने का प्रयास किया।
अगले दिन जब सुनीत को राखी बंधवाते हुए गर्ग जी ने देखा तो बोल पड़े ।
एक तेरा बड़ा भाई है जो राखी के दिन भाग गया और एक तेरा छोटा भाई जो इतनी दूर से राखी बंधवाने आया है। आने दो उस नालायक को बहुत मर्जी कर ली उसने। अब या तो वो इस घर में रहेगा या मैं ।
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