A middle class boy and a rich girl love story part 3
A middle class boy and a rich girl love story कहानी के दूसरे भाग में आपने पढ़ा कि मिहिर अपनी फैमिली के आने तक साशा को अपने ही घर में रहने के लिए मना लेता है। मिहिर पूरी कोशिश करता है कि वो साशा की जरूरत का सामान उसे दे सके और साशा भी उसके साथ एडजस्ट करने की कोशिश में लगी हुई है। चार दिनों में ही दोनों में एक अच्छा bond बन जाता है।
मगर मिहिर के पापा के अचानक घर आ जाने से मिहिर की परेशानी बढ़ जाती है। साथ ही पता चलता है कि कल मम्मी और उसकी बहन भी शादी से वापस आ जाएंगे । जिसके बाद साशा घर से चले जाने का फैसला करती है लेकिन मिहिर फिर भी उसे रोक लेता है क्योंकि उसे लगता है कि कोई साशा को किडनैप कर सकता है या उसका रेप कर सकता है । वो साशा को कमरे में ही छुप कर रहने की सलाह देता है ये जानते हुए भी कि सुबह मम्मी आ जाएंगी । अब आगे पढ़े कहानी का तीसरा भाग –
- A middle class boy and a rich girl love story in Hindi part 1
- A middle class boy and a rich girl love story part 2
मिहिर जब सुबह घर से निकला था तब पूरे घर में शांति का माहौल था । पापा अपने कमरे में सो रहें थें और साशा मिहिर के कमरे में । उसने दोनों के लिए अलग-अलग नाश्ता तैयार करके उनके कमरों में रख दिया था ताकि दोनों का आमना-सामना न हो पाए। बस एक ही डर था उसे मम्मी के अचानक आ जाने का और उसके कमरे में चले जाने का। इसके लिए मिहिर ने कमरे के बाहर ताला डाल दिया था ।
जब इंटरव्यू देने के बाद शाम को मिहिर घर पहुँचा तो घर कबूतरखाना बन चुका है । बेडरूम से मम्मी के रोने की आवाज आ रही थी और महक को TV देखने के लिए फोर्स किया गया था।
ओए! ये आते ही क्या हुआ ?
मुझे कैसे पता होगा मुझे तो बाहर निकाल दिया न कमरे से।
रुक मैं अभी पता करके आता हूँ।
यार मम्मी आप बस आते ही शुरू हो जाते हो । थोड़ा rest करो गहरी साँस लो और फिर बात करो।
साँस लूं? तुम्हारा ये जवान बाप मुझे जीने दे तब न । इनसे पूछो क्या कुछ नहीं किया इनके लिए मैंने? इनके घर को संभाला , माँ- बाप देखें , बच्चे बड़े किए और हर तरह से इनकी सेवा की लेकिन इन्होंने क्या किया ….
अरे भाग्यवान ! मैंने जब कुछ किया नहीं है तो कैसे मान लूं। तुम खुद सोच लो दो जवान बच्चों का बाप होकर भला कैसे मैं कोई औरत लाने का सोच सकता हूँ?
पापा आप कोई औरत घर लेकर आएं ?
अब तुम भी अपनी मम्मी की जुबान बोलोगे हैं न ? अच्छा हाँ अब समझ आया कल मेरे आने पर तुमने दरवाजा क्यों बंद किया था । पूछो कमला देवी पूछो अपने सुपुत्र से कि ये सामान इस घर में कैसे आया ? पापा के इशारा करने पर मिहिर की नजर मम्मी के पैरों में पड़ी एक चीज पर गई । जिसे सामान्य भाषा में ब्रा कहा जा सकता है। मिहिर ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया ।

इसे लड़की लाना होगा तो आपके कमरे में क्यों लाएगा? उसका खुद का कमरा है ।
लेकिन AC तो नहीं है न उसमें ।
मिहिर .. मम्मी की आवाज में सख्ती थी ।
हाँ मम्मी । मिहिर की आवाज कांपने लगी।
बेटा ये तुम्हारी गर्लफ्रेंड का है ? मम्मी ने ब्रा को हाथ में उठाते हुए दिखाया ।
नहीं मम्मी ..वो.. रंजन.. हाँ..रंजन आया था दो दिन पहले अपनी गर्लफ्रेंड के साथ..
कौन वो तुम्हारा हरामखोर दोस्त जो मुंबई में रहता है ?
हाँ वही। कुछ काम से शहर आया था वापसी में उसकी फ्लाइट कैंसिल हो गई .. तो मैंने इंसानियत के नाते सोचा की कहाँ होटलों में अपनी मंगेतर को लेकर घूमेगा इसीलिए…
इसीलिए तुमने मेरे घर को धर्मशाला बना दिया । मेरे देवता जैसे पति पर शक करा दिया ।
देवता ?अभी तो राक्षस बोल रही थी मुझे । मुझपर इल्ज़ाम लगा रही थी कि मैं औरत लाया।
मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा । मुझे तो सब पहले से ही पता था बस मैं देख रही थी कि मेरा बेटा सच बोलेगा कि नहीं। और देखो अपना मिहिर इस test में पास हो गया ।
देख लो भई औरतों से सौ झूठ बुलवा लो लेकिन बस एक sorry नहीं मुंह से निकलवा सकते हो ।
आप दोनों बात करो मैं आराम करने जाता हूँ। मिहिर अब भी सहमा हुआ है ।
रुको ये भी लेकर जाओ जब मुलाकात हो उससे तो वापस करते हुए बोल देना दोबारा इस घर में नजर न आएँ। मम्मी ने ब्रा मिहिर के हाथों में थमा दी । उसके हाथ कांपने लगे और वो लगभग आँखें बंद किए हुए अपने कमरे तक पहुँचा ।
देखो क्या ये चीज तुम्हारी है ? कमरे में पहुंचते ही मिहिर ने ब्रा साशा की तरफ उछाल दी।
Bro ! It’s not a “chiz” it’s called brasserie . In a short form we can call it bra .
कुछ भी हो लेकिन तुम्हें उनके बाथरूम में छोड़ के आने की क्या जरूरत थी?
भूल गए तुम्हारे बाथरूम का नल खराब था । सोचा था साथ ले आऊंगी लेकिन भूल गई। अब गलती हो गई जाने दो। ऐसे मुंह बना के न खड़े हो ।
मैं मुंह नहीं बना रहा हूँ बस बोल रहा हूँ कि आगे से ध्यान रखना ऐसी चीजों का ।
फिर से चीज ? तुम लोग जो undergarments पहनो तो बनियान और हम लोग पहने तो “चीज “? इस तरह की हरकत करने के बाद भी कहते हो कि Equality में believe करते हो ?
Sorry तुम गलत समझ रही हो । मैं बस इतना बोल रहा हूँ कि जो चीज पहले नहीं बोली उसको एकदम से नहीं बोल सकता और दूसरा की अगर किसी ने फिर से ये.. ब्रा या तुम्हारा कोई और कपड़ा देख लिया तो मेरी फोटो पर हार चढ़ा देंगे मेरे घरवाले।
Sorry !
It’s ok .
अभी के लिए नहीं कल रात की बात के लिए ।
अच्छा वो ! मैंने उसे जाने दिया मगर दोबारा से मेरी निस्वार्थ सेवा पर संदेह हो तो तुरंत घर से निकल जाना मैं एक बार भी नहीं रुकूंगा ।
अच्छा छोड़ो ये बताओ इन्टरव्यू का क्या हुआ ?
उम्मीद तो है हो जाएगा । फाइनल तो उधर से कॉल आने के बाद ही पता चलेगा
कहते है माँ की नजरों से कुछ नहीं छिप सकता । लेकिन मिहिर इस कहावत को झूठा साबित करने पर लगा है। मम्मी के आने के बाद से बहुत ही शातिर तरीके से खाना अपने कमरे तक पहुंचाता था । कभी-कभी पेट दर्द और सिरदर्द का बहाना बना कर खाना कमरे में ही लेकर चला जाता है । वो खाना साशा को खिलाकर खुद बाहर से समोसा, बर्गर या कचौड़ी खा के काम चलाता है। क्योंकि अभी वो पैसे बचाने पर फोकस कर रहा है। रात में तो अक्सर ऐसा ही हो चुका है कि अपनी थाली उसे देकर मिहिर भूखे ही सो गया है।
पिछले दस दिनों में मिहिर ने कई झूठ बोले थें सबसे ज्यादा तो कार को लेकर । जब भी पापा ने कार के बारे में पूछा उसने बताया कि “कार तो शर्मा अंकल ले गए हैं। उनकी बेटी को अचानक से हॉस्पिटल ले जाना पड़ा था।”
माँ पापा से तो झूठ बोले अपनी बहन को तो धमका भी दिया। महक के बार-बार उसके कमरे में आने की कोशिश पर मिहिर ने उसके बिस्तर पर जूते पहनकर सोने की धमकी दी थी।
महक के लिए इतनी बात बर्दाश्त थी लेकिन कल जब लाइट चली गई उसके बाद वो मिहिर को बोलने आई थी कि छत पर बिस्तर लगाओ चलके । लेकिन पहले तो उसने दरवाजा नहीं खोला जल्दी से फिर छत पर जाने से भी इनकार कर दिया। इससे महक की नजरे टेढ़ी हो गईं मिहिर पर ।
हाँ छत पर मैं बिस्तर लगाऊं ताकि तू फैल के सो सके ।
नहीं दोनों लोग आधे- आधे पर सोएंगे न भैया ।
जा जा मुझे मेरे कमरे में ही सोने दे। तू भी अपने कमरे में सो । लाइट आ जाएगी थोड़ी देर में ।
I don’t wanna stay hare please मुझे बाहर ले चलो । बहुत गर्मी है यहाँ।
बाहर ? रात में ? तुम लेटो मैं पंखा करता हूँ न । मिहिर हाथ वाला पंखा डुलाता है लेकिन साशा तो अब भी गर्मी से पागल है।
तुम लोग कैसे जीते हो यार ऐसी जिंदगी ?
India में 70% लोग ऐसी ही जिंदगी जीते है कुछ की जिंदगी तो इससे भी बुरी है ।
खैर मुझे दो मैं कर लूंगी मेरी वजह से तुम गर्मी में मत बैठो। तुम छत पर लेट जाओ जाकर ।
नहीं गर्मी लगेगी तो दोनों को लगेगी ।
ठीक है फिर मैं भी पंखा नहीं करूंगी। साशा ने पंखा साइड रख दिया।
मिहिर थोड़ा मुस्कुराया मगर बोला कुछ नहीं। इस अंधेरे में उसकी मुस्कान दिखी तो नहीं होगी साशा को लेकिन महसूस तो उसने भी की होगी।
मिहिर वापस से नीचे अपने गद्दे पर आ गया । साशा भी बेड पर लेट गई। थोड़ी ही देर में लाइट भी आ गई थी।
मम्मी ने अभी तक गौर नहीं किया था कि मिहिर किसी को इतनी जल्दी कमरे में नहीं जाने देता है। अपना कमरा खुद साफ करने लगा है । जितनी बार कमरे में मम्मी गईं है उन्हें हर चीज व्यवस्थित ही मिली है। मगर महक ने मम्मी के कान भरने शुरू कर दिए ।
किसी इंसान का बुरा वक्त किसी के कान भरने की वजह से नहीं खुद के कांडों की वजह से आता है । मिहिर का भी बुरा वक्त आया वो भी डाक से ।
पापा के हाथ में 18 हजार के चालान का नोटिस था । मिहिर ने फिर भी झूठ बोलने की कोशिश करी कि शायद शर्मा अंकल से हुआ हो । लेकिन पापा ने तुरंत उन्हें कॉल की तो पता चला वो तो vacation मानने कश्मीर गएं हैं।
अब तो बस पापा की बेल्ट और मिहिर के शरीर का मिलन होकर ही रहने वाला है । डांट पड़ते ही उसने कहा कि दोस्तों के साथ मस्ती में उसने कुछ ध्यान नहीं दिया ।
पापा ने कार को लाने के लिए कहा तो मिहिर मुकर गया। लेकिन पापा का गुस्सा और ऊंची आवाज मिहिर के नाजुक दिल को डरा गई।
कार की हालत देखने के बाद तो पापा का गुस्सा सातवें आसमान पर था । दो तेज थप्पड़ मिहिर के गालों पर से सायं होकर निकल गएं। तीसरे पर मम्मी ने हाथ पकड़ लिया।
जाने दीजिए न बच्चा है अभी । आगे से ऐसी गलती नहीं होगी।
मिहिर को मार पड़ने से साशा बहुत दुखी हो गई थी । वो तो जा रही थी मिहिर के पैरेंट्स को सब सच बोलने और यहाँ से चले जाने के लिए लेकिन मिहिर ने ही अपनी कसम दे कर रोक लिया।
पापा दो दिन मिहिर से नाराज रहें फिर जवान लड़के पर हाथ उठाने के अफसोस में उसके मन का खाना भी बनवा दिया।
एक कमरे में बंद-बंद साशा खुद को डिप्रेश महसूस करने लगी है। मिहिर ने इसका एक बढ़िया सेल्यूशन निकाला। जब सबको वो बाहर बुला ले जाता किसी बहाने से तो साशा घर में घूम सकती थी और जब सब घर में इकट्ठे हो तो कमरे की खिड़की से कूद कर थोड़ा बाहर टहल लेती । लेकिन ज्यादा दूर जाने से मिहिर ने मना किया है । मिहिर ने जो सेकंड हैंड फोन दिया है उससे कभी-कभी कुछ खाना भी ऑर्डर कर लेती है।
शाम को जब पूरा परिवार इकट्ठा होता है और बैठकर पड़ोसियों की चुगली करता है या टीवी देखता है तो साशा उन्हें झांक कर देखा करती है। उसका भी दिल करता है कि वो भी इन लोगों के पास जाकर बैठ जाए। उसकी फैमिली कभी क्यों नहीं इतनी खुश रह पाई ? उसे और उसके भाई को ये प्यार क्यों नहीं मिला जो इन लोगों के पास है ? मम्मी पापा की मीठी नोंकझोंक हो या मिहिर- महक की लड़ाई , हर चीज में प्यार था। कमरे के भीतर का मिहिर और कमरे के बाहर का मिहिर दो अलग इंसान दिखते थे उसे। सच में बहुत खुशनसीब है मिहिर जो उसके पास ऐसी फैमिली है ।
काश मैं भी तुम्हारे परिवार का हिस्सा होती ! एक रात साशा ने बोला ।
क्या कहा ?
कुछ नहीं , सो जाओ ।
काश! काश कि मैं तुम्हें अपने परिवार का हिस्सा बना पाता।
क्या कहा ?
कुछ नहीं , सो जाओ ।
इस घर में साशा के 14 दिन बीत गए थें लेकिन उसे इस बात का अहसास ही नहीं हुआ था । अहसास तो तब हुआ जब मिहिर की जॉब लग गई । घर में सब खुश थें , सबको और ज्यादा खुश करने के लिए मिहिर सबको बाहर खिलाने ले गया । उसने साशा को पैसे देते हुए कहा था कि सबके जाते ही वो भी जो मन करे ऑर्डर करके मंगा सकती है।
रात में सब देर से आएं और आतें ही बिस्तरों पर गिर कर सो गएं।
सबकी नींद सुबह मम्मी के कोहराम से टूटी ।
मैं देखता हूँ। मिहिर आधी नींद में ही उठ कर भागा। उसकी आँखें तो तब फट कर चौड़ी हो गईं जब फ्रिज में उसे तीन अंडे रखे दिखे।
अनर्थ हो गया इस घर में । धर्म नष्ट हो गया मेरा तो।
यार मम्मी सिर्फ अंडे ही तो है। महक ने उबासी ली।
जरूर ये काम तेरा ही होगा ।
मम्मी..मम्मी.. उसने नहीं मैंने रखे है।
क्या तुम अंडे खाते हो ? राम राम राम ! हाय मेरा तो दिल बैठ गया।
मम्मी sorry गलती से फ्रीज में छूट गएं। खाता नहीं हूँ लेकिन कभी-कभी दोस्तों के कहने पर …
दोस्त ? हाँ सबसे पहले तो तुम अपने दोस्तों से हर रिश्ता खत्म कर दो । ऐसा ऐसा अनर्थ करवाते है तुमसे । बताओ 20- 22 बरस माँ ने पालापोसा और लौड़े इसको दस दिन में बर्बाद कर गएं।
बेटा जब जानते हो घर में ये सब अलाउड नहीं है तो क्यों लाए ? पापा का लहजा नर्म ही था।
और पुचकार कर पूछो । तुम्हारी ही लापरवाही से गया है लड़का मेरे हाथ से। कभी गलती की तो मारा नहीं तब तो ऐसा करेगा ही । उस दिन गाड़ी के लिए पीट देते कसके तो हिम्मत पड़ती ये करने की ?
मैं तो कह रहा था तुमने ही …
हाँ भैया सब मेरी ही गलती है तुम लोग कहाँ गलती करते हो । मम्मी ने अंडे डस्टबिन में डाले और तमतमाते हुए फ्रिज साफ करने लगीं।
मम्मी अंडे ही थें यार उसके लिए क्यों इतना सुना रही हो भईया को ।
हाँ आज अंडे थें कल मुर्गी होगी और परसों बकरी ।
बस भी कर दो । आज तुम्हारे बेटे का ऑफिस में पहला दिन होगा उसे मत खराब करो। मिहिर जाओ तुम तैयार हो जाके । आज से तुम महक को स्कूल छोड़ोगे । मैं और मम्मी टिफिन बना रहे है दोनों का ।
मिहिर कमरे में पहुंचा तो देखा साशा तकिए में मुंह छुपाए हँस रही है ।

मेरी वाट लगवा के तुम्हें इतना मजा क्यों आता है ?
Sorry sweetheart! मैं आज समझी ,ये सब तुम्हारे घर में अलाउड नहीं है तभी उस दिन तुम राक्षसों की तरह नॉनवेज पर टूटे हुए थे रेस्टोरेंट में ।
Shut up yaar !
मैंने कुछ हेल्दी नहीं खाया था इधर कुछ दिन से इसीलिए अंडे मंगाए थे। जितने बच गए उन्हें फ्रिज में रख दिया सोचा सुबह नाश्ता कर लूंगी। लेकिन सुबह तो पूछो मत । साशा फिर खिलखिला के हँसने लगी।
कोई और समय होता तो उसे तुरंत आवाज धीमी करने को बोल देता लेकिन इस वक्त तो जैसे वो होश में नहीं था। उसका मुस्कुराता हुआ गुलाबी चेहरा बाहर बादलों से निकल रहें गुलाबी सूरज को भी टक्कर दे रहा था।
मिहिर का पहला दिन ऑफिस में बहुत अच्छा गुजरा था। उसे लग रहा था कि उसकी लाइफ set हो चुकी है।लेकिन वो भूल गया था कि साशा के रहते तो ऐसा पॉसिबल ही नहीं है।
अगली सुबह मिहिर की जिंदगी किसी nightmare की तरह निकली । अभी जिस टेबल पर बैठे चारों खाना खा रहें थें थोड़ी देर में उसी टेबल पर दो आदमी बंदूक लिए खड़े हैं।
साशा बेबी कहाँ हैं ?
भाईसाहब मैं बोल रहा हूँ आपसे आप गलत घर में आ गएं हैं । पापा उन लोगों को समझा रहें थें।
नहीं सर , इसी लड़के के साथ मैडम भागी थीं ।
अजीब आदमी हो यार । एक तो हमारे घर में जबरदस्ती घुस आएं और अब हमारे बच्चों पर इल्ज़ाम भी लगा रहे हो ?
ये लड़के सीधे बोल कहाँ छुपाया है मैडम को ?
देखो मैं कुछ नहीं जानता कि आप किस बारे में बात कर रहें हैं ?
नहीं जानते ? अभी जान जाओगे । चलो इसकी बहन को उठाओ ।
खबरदार जो महक को हाथ भी लगाया तो । मिहिर गरजते हुए खड़ा हो गया ।
अच्छा क्या कर लेगा ?
ठोक दूंगी..! अगर बच्ची को हाथ लगाया तो अभी ,यहीं , इसी जगह ठोक दूंगी तुम दोनों को । साशा हाथ में पिस्टल लिए उन दोनों के ठीक पीछे खड़ी है । उसे देख कर मम्मी पापा के पैरों से जमीन निकल गई । मिहिर तो काटो तो खून नहीं की सिचुएशन में आ गया ।
साशा बेबी आप! बेबी साहब बहुत परेशान हैं आपके लिए ।
तुम दोनों जैसे आएं हो वैसे ही इस घर से निकलो। इससे पहले मेरा पारा high हो जाएं और मैं तुमको शूट कर दूं।
हम आपको लेने आएं हैं ।
बच्ची नहीं हूँ समझे ? तुम लोगों का बहुत हो गया है अब यहां से चले जाओ । और हाँ मैं कहाँ हूँ अगर ये बात मेरे डैड तक गई तो याद रखना तुम और तुम दोनों की फैमिली कहाँ गई किसी को कानों कान खबर नहीं होगी ।
लेकिन मैम…
Get out from here. साशा ने पिस्टल आदमी के माथे से सटा दी । दोनों डर के वहाँ से निकल गए।
उन्हें निकालने के बाद साशा ने पलट के देखा तो उसे सभी सहमे हुए और हैरान नजर आएं , मिहिर को छोड़ कर। साशा ने पिस्टल नीचे कर के टेबल पर रख दी। पिस्टल का डर खत्म होते ही मिहिर की माँ बिफर पड़ी।
ए जी ! मेरे बेटा ला दो कहीं से ये लड़का अपना मिहिर नहीं हो सकता । कुछ दिन पहले इसी घर में अपने बेटे को ठीक ठाक छोड़ गई थीं पता नहीं उसे ये दीवारें खा गईं कि ये फर्श निगल गई। ये झूठा तो मेरा बेटा नहीं हो सकता है । मिहिर के पापा … मम्मी टेबल पर अपना सर पटकने लगी तो पापा ने उन्हें संभाला।
शान्त हो जाओ , हम बात तो सुन लेते हैं बच्चे की ।
नहीं ये मेरा बच्चा नहीं हो सकता , लड़की भगाना नहीं सिखाया मैंने उसे। इस लड़की को निकाल दो कोई मेरे घर से । मम्मी रोए ही जा रहीं हैं।
अपने माँ – बाप की नजरों में गिरने के बाद उसे लग रहा था कि कहीं से धरती फट जाएं और वो उसी में समा जाए। सफाई के नाम पर एक लफ्ज़ भी उसके होठों से न निकला न ही सर ही उठाया गया पापा के सामने ।
साशा .. सामान पैक करो । मैं तुमको जहाँ कहोगी छोड़ दूंगा। तुम मेरे घर में अब एक मिनट भी नहीं रह सकती। मिहिर आँसू थामे लड़खड़ाते हुए कदमों से घर से निकल गया।
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