Revenge -The Dark side of marriage. sad love story
दुनिया में हर किसी के पास दो मुखौटे होते है। एक वो अपने लिए रखता है और एक दूसरों के लिए। लेकिन उनके साथ कुछ समय बिताओ तो उनके दोनों चेहरे सामने आने लगते है। क्या सुहास का ये चेहरा इन 4 सालों में कभी उसे नहीं दिखा ? नहीं ! इसकी एक झलक तक निधि ने महसूस नहीं की कभी। जो चेहरा 4 सालों में न उतर सका वो शादी की पहली रात को ही कैसे बेनकाब हो गया ? नहीं..नहीं , हो सकता है कि ये कोई मनहूस सपना हो जो जल्द ही टूट जाएगा । सपना नहीं हकीकत ही है कौन सा सपना 5 महीने तक चलता है ।
वाॅशबेसिन में बर्तन धुलते हुए निधि अपना पिछला वक्त याद कर रही थी। उसकी आँखें अब तक इतना रो चुकी है कि उनमें पानी ही नहीं बचा । बस चुपचाप खड़ी पानी को प्लेट पर गिरते हुए देख रही है। सुहास 2 साल सीनियर था कॉलेज में निधि से। लेकिन फिर भी दोस्ती , प्यार और शादी सब हो गया। कौन मानेगा आज सुबह उसके हाथों को गर्म पानी में डूबो कर जाने वाला लड़का कभी उसके फूल से हाथों पर शायरियां लिखा करता था। इन्हीं हाथों को पाने के लिए उसके घरवालों से मिन्नतें की थी।
इन्हीं हाथों को पकड़ कर घंटो साथ में घुमा था और आज.. आज इन्हीं हाथों को चाय के लिए उबलते गर्म पानी में डूबो दिया । वजह? सिर्फ चाय सही टाइम पर नहीं मिल पाई थी उसे। निधि अपने हाथों को देखते हुए जाकर किचन के एक कोने में बैठ गई। दीवार के सहारे बैठकर निधि अपना सर धीरे धीरे उसी में लड़ा रही थी तभी उसका फोन बज उठा। वो तुरंत भागी कि कहीं सुहास का फोन हुआ और टाइम से न उठा सकी तो शायद फिर शाम को मारपीट करे ।
हाँ भैया ! उसने अपनी आवाज को संयत किया।
जी घबरा रहा है , तू ठीक तो है।
बिल्कुल भैया।
किसी चीज की जरूरत तो नहीं…
मुझे तो नहीं है लेकिन …
सुहास को है !
जी ।
इतना पैसा करता क्या है तुम्हारा पति ? IPS है कि कोई क्रिमिनल… खैर छोड़ो ! बताओ कितने पैसे की जरूरत है अबकी।
2 लाख …
शादी में हमने 20 लाख दिए थें। उसके बाद इन पांच महीनों में 3 लाख दे चुका हूँ, अबकी ये दो लाख फाइनल है। उससे बोल देना कि अगली बार चाहे जितनी भी जरूरत पड़े पैसे के लिए कहीं और से इंतजाम करे , तुमसे न कहे।
ठीक है भैय्या।
Ok रखता हूँ तुम्हारी भाभी आ रही हैं। ध्यान रखना अपना।
हाँ। फोन रखते ही उसके गले से इतनी भयानक चीत्कार निकली जिसे सुनकर पत्थर भी दहशत में आ जाएं पता नहीं सुहास को ऐसी चीखों से फर्क क्यों नहीं पड़ता बल्कि ऐसी चीख सुनते ही वो उसे और परेशान करता है ताकि वो और चीखे । उस समय उसके चेहरे पर इतना वीभत्स आनंद झलक आता है कि अघोरी भी देख कर उल्टी कर दे ।

इसीलिए निधि कोशिश करती है उसके सामने अपना दर्द न जाहिर करने की। चाहे उसके ऊपर गर्म सब्जी फेंके , दीवार से सिर टकरा दे , बेल्ट से पीटे, सिगरेट से जलाए या फिर .. उसके साथ जबरदस्ती अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए। सारे दर्द वो अंदर ही अंदर पीने की कोशिश करती है।
कभी-कभी जब चीजें बर्दाश्त के बाहर हो जाती हैं तो उसके अंदर मरने के खयाल आतें हैं । लेकिन वो मर भी नहीं सकती क्योंकि सुहास ने धमकी दी है अगर वो कुछ भी ऐसा करेगी तो उसके पूरे घरवालों को उसे आत्महत्या के लिए उकसाने , मारपीट करने , अपने पति को दहेज के झूठे केस में और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का केस लगवा कर सबको जेल की हवा खिला देगा। उसने रिसेप्शन में ही सुहास की पहुंच देख ली थी एक IPS के रुतबे के साथ-साथ अच्छी खासी पॉलिटिक्स पहुंच भी थी उसकी। इसके मुकाबले निधि के घरवालों के पास क्या है ?
पापा बैंक से रिटायर हुए , उसके भैय्या सरकारी टीचर है और उसकी भाभी के पापा पूर्व विधायक रह चुके है। इन सबका पॉवर मिलाकर भी सुहास की बराबरी नहीं की जा सकती।
इसका अंदाजा उसे तभी हो गया था जब वो शादी के दो महीने बाद ही मायके चली गई थी सुहास की मारपीट से तंग आकर ।
ये क्या किया बेटी ? ऐसे आता है कोई! पति-पत्नी में तो खटपट होती ही रहती है भला औरत को जरा सी बात पर अपना घर छोड़ देना चाहिए ? बिन माँ-बाप का लड़का है, भाई-बंधु कोई है नहीं उसे खुश रखोगी तो समझो उसका सब कुछ तो तुम्हारा ही हो जाएगा। कुछ दिन एडजस्ट करने की कोशिश तो करो । देखो बेटा शादी के बाद एडजस्ट लड़की को ही करना पड़ता है समझी। निधि ने किन जलती हुई आंखों से अपनी माँ को देखा था ये वहाँ मौजूद सभी अच्छे से जान गए थें।
ठीक ही तो कहती है तुम्हारी माँ। अब लड़का तुम्हारी पसंद का है तो बातें भी तो तुम्हें ही संभालनी होंगी। सुहास कोई मामूली लड़का तो है नहीं कि तुम्हारी जरा सी शिकायत पर हम उसे फटकार दे । अपने पापा के मुंह से ऐसी बात सुनकर निधि सन्न रह गई ।
देखो बेटा शादी के बाद लड़की का सबकुछ उसका पति ही होता है। तुम उनसे झगड़ा करके चली तो आई हो ये सोचा कभी कि समाज क्या कहेगा? कितना मजाक बनेगा हमलोगों का ? सारी बातें ठंडे दिमाग से सोचो और अपने घर लौट जाओ ।
“अपने घर” निधि के दिमाग में ये बात कांटे की तरह चुभ गई । क्या जिस घर में पैदा होने से लेकर विदाई होने तक 21 साल रही , वो कोई सराय थी ? अगर ये सराय है तो सुहास का घर क्या है ? वो भी तो मेरा नहीं! तो मेरा घर कहाँ है ? क्या इतनी बड़ी दुनिया में औरत का एक छोटा सा भी घर नहीं हो सकता ?
मम्मी जी सही बोल रही है। सुहास जी को तो कोई भी लड़की तुरंत मिल जाएगी लेकिन अपनी सोचो । फिर इतने बड़े अधिकारी है कोई झूठा केस भी बना दिया तो और थू-थू होगी हम सबकी।
घर वालों के डर को देखकर और दबाव की वजह से वो दोबारा सुहास के पास जाने को तैयार हो गई। मगर सुहास काम का बहाना बना कर उसे लेने भी नहीं गया था। उसका भाई ही उसे ससुराल छोड़ने गया था।
देखिए आप तो इसे चार सालों से जानते हैं। अभी बच्ची ही है । अगर थोड़ी बहुत गलती हो जाया करे इससे तो नजरअंदाज कर दिया कीजिए। भैय्या नर्म लहजे में बोले।
कितनी गलती नजरअंदाज की जा सकती है ? अब आप बताओ मुझे अक्सर भूखा जाना पड़ता है ड्यूटी । क्या इस दिन के लिए मैंने शादी की थी?
क्यों निधि टाइम पर क्यों नहीं उठ जाती ? उसकी तरफ घूरकर वापस से सुहास से बोले – आगे से नहीं करेगी। हमने सब समझा दिया है। अभी उसे आता नहीं है न कुछ ऊपर से अपने नौकरानी भी हटा दी है।
नौकरानी कैसे रहने देता? काम पर मुझे इसकी ही टेंशन रहती थी कि कहीं नौकरानी इनके साथ कुछ कर न दे। IPS हूँ सैकड़ों दुश्मन किसी न किसी तरफ मुझे फंसाने की कोशिश करते ही रहते है । निधि ने उस दिन भी सब चुपचाप होकर सुना था , उसके किसी बात का प्रतिवाद नहीं किया। फिर भी भैया के जाते ही सुहास ने गुस्से में दो थप्पड़ लगा दिए थें उसे ।
तुम्हारी इतनी हिम्मत मेरी बातें घर पर बताओगी। उसका गला पकड़ कर सुहास ने उसे फर्श पर पटक दिया था। इसके बाद से सुहास के जुल्म और बढ़ गए।

उसके टॉर्चर से बचने के लिए निधि अब सारी बातें बड़ी खामोशी से मान लेती है। सिवाय एक बात की – उसके साथ सोते हुए निधि को बहुत डर लगता है । सुहास जब भी उसके करीब जाने की कोशिश करता है तो तरह-तरह के बहाने बनाकर, विनती करके , रोकर उसे रोकने की नाकाम कोशिश करती है । क्योंकि सुहास अपनी बर्बरता की सारी हदें पार करता हुआ उसके शरीर को नोचना, जख्मी करना , सिगरेट से जलाता है। इसके बदले वो मार खाने को तैयार हो जाती है।
शादी की पहली रात हजारों सपनों के साथ इस घर में आई थी तब पहली और आखिरी बार उसने सुहास से शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा व्यक्त की थी लेकिन उसके बाद से ये शब्द सुनते ही उसे पैनिक अटैक आ जाते है।
सुनो न !
हाँ।
सो रहे हो ?
तो इतनी रात में और क्या करूं?
बहुत सी चीजें है करने को जिनके लिए रात की ही जरूरत होती है और आज तो हमारी सुहागरात भी है।
तो ?
तो क्या? इतने भी बेवकूफ नहीं हो तुम।
तमीज से पति हूँ । अब से आप कहा करो मुझे।
लेकिन मैं तो पहले भी तुम्हें तुम ही..
पहले बॉयफ्रेंड था अब पति हूँ। लोगों में काफी इज्जत है मेरी।
लोगों के बीच आप ही कहूंगी लेकिन अकेले में…
नहीं , घर में भी आप ही कहने की आदत डालो।
Ok। अच्छा तो अब ये बताओ कि हम honeymoon पर कब चलेंगे ?
या तो तुम चुप हो हो जाओ या मैं ही उठकर किसी और कमरे में चला जाऊं? सुहास ने गुस्से में कहा तो नई नवेली दुल्हन निधि सहम गई। इन चार सालों में उसने कभी सुहास की ऊंची आवाज तक नहीं सुनी थी और आज वो उसपर चिल्ला रहा है। शादी की पहली रात की तरह दो रातें और बीत गई लेकिन सुहास ने उसे छुआ तक नहीं था। एक दिन जब वो किचन में सुबह सुबह काम कर रही थी तो पीछे से आकार उसने उसकी गर्दन चूम ली।
क्या कर रही हो मेरी जान। सुहास का इस तरफ छूना निधि को अच्छा लगा।
आपके लिए नाश्ता बना रही हूँ। उसने प्यार से जवाब दिया।
बहुत बढ़िया इसीलिए परसो ही नौकरानी हटा दी थी ताकि तुम्हारे हाथ का स्वाद ले सकूं।
अच्छा जी बातें बना रहें हैं। चलिए टेबल पर बैठिए जाकर।
जाऊंगा इतनी भी क्या जल्दी है। इतना कहकर सुहास निधि के कपड़े खोलने लगा।
क्या कर रहें है आप। ये भी कोई समय है भला? उसने थोड़ा रूखे सुर में कहा । लेकिन सुहास ने अनसुना कर दिया। उसे अपने से सटा कर गैस बंद कर दी।
छोड़िए न ! इस तरह भला … सुहास ने उसके बाल खींचकर उसे स्लैब पर धक्का दे दिया।
मुझे लग जाएगी सुहास… वो गुस्से में बोली। सुहास ने पीछे से आकर उसका सर स्लैब पर दबा दिया और अपने दूसरे हाथ से अपनी पैंट खोल दी।
सुहास…! वो कसके चीखी। लेकिन उसका विरोध किसी काम का न था। सुहास के ऊपर जो दानव सवार था वो निधि को रौंदने के बाद ही उतरा। इसके बाद तो सुहास की अमानवीयता बढ़ती ही गई। एक बार तो इंटरनल इंजरी की वजह से उसे रात में ही हॉस्पिटल ले जाना पड़ा। यूट्रस में काफी ज्यादा चोट लगी थी उसे। पूरा घर रात को भागा- भागा अस्पताल पहुंचा।

अकेले में उसके भाई को देखते ही सुहास सिगरेट सुलगाता हुआ उसके पास पहुंचा और बोला है-” क्या यार बड़ी कमजोर लड़की दी है आपलोगो ने ।” उसके चेहरे पर धुआं फेंकता हुआ बाहर निकल गया। सुहास की जगह कोई आम आदमी होता तो भैया उसे उसी दम पटक कर चीथड़े कर देते उसके। मुझे माफ कर दो निधु… आगे से कभी ऐसा नहीं होगा। दोबारा कभी ऐसा करूं तो तुम मेरे मुंह पर थूक के अपने घर चली जाना। मैं कुछ न बोलूंगा । बस एक मौका और दे दो। अगले दिन जब निधि को उसके घरवाले लेकर जा रहें थें तो वो उसके आगे गिड़गिड़ाने लगा था।
उसका ऐसा चेहरा देखकर निधि को भी लगा था कि वो बदल गया है लेकिन हफ्ते भर बाद घर आते ही सुहास उस पर टूट पड़ा।
क्या कर रहे हो? अभी मैं ठीक नहीं हुई हूँ। डॉक्टर ने बोला है कि यूट्रस ठीक होने में अभी और हफ्ते भर चाहिए इससे पहले कुछ होता है तो पस बन सकता है यूट्रस में यहाँ तक कि मैं माँ बनने की क्षमता भी खो सकती हूँ।
तो .. । सुहास ने बेदर्दी से उसके दोनों पैर खींचकर खोल दिए।
आह.. निधि चीख कर रोने लगी।
मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ बस आज के लिए छोड़ दो।
नहीं।
सुहास भीख मांग रही हूँ अपनी जिंदगी की तुमसे। आज छोड़ दो ।
नहीं ।
साफ क्यों नहीं कहते मुझे मारना चाहते हो। एक बार कह दो मैं खुद ही जान दे दूंगी लेकिन ये सितम मत करो । भगवान के लिए please.
इतनी जल्दी कैसे मार दूं भला..! सुहास हँसा। मेरा बदला तो पूरा हो जाने दो मेरी जान।
कैसा बदला ? क्या सचमुच मुझे मारने की..
टाइम आने पर सब पता लगेगा। सिगरेट का कस लेकर उसने निधि की जांघ पर रगड़ के बुझा दिया। निधि अपने अंदर ही चिल्ला के रह गई।
देखो… आज छोड़ दो फिर जो कहोगे वो सब करूंगी।
सब करोगी ? शैतानी हँसी से उसने पूछा।
हाँ।
चलो फोन लगाओ अपने भाई को ।
इतने टाइम? अभी तो रात के एक बज..
लगाती हो या…
लगाती हूँ लगाती हूँ। लेकिन कहना क्या है ?
कुछ नहीं उसके फोन उठाते ही काट देना और उसकी कॉल आए तो उठाना मत।
लेकिन क्यों ?
जितना बोला उतना करो वरना..!
मैं करती हूँ please कुछ मत करना।
फोन के दोबारा बजते ही निधि अपनी चेतना में लौटी। सुहास का फोन आया था।
जी बोलिए..!
मेरे कुछ दोस्त आयेंगे रात को डिनर रेडी रखना।
जी मगर.. निधि की बात सुने बिना ही फोन काटा जा चुका था। निधि भारी कदमों से चलते हुए वापस वॉशबेसिन तक पहुंच चुकी है।
रात के 12 बज चुके थे लेकिन सुहास अभी तक नहीं लौटा था। वैसे तो सुहास की आदत देर से ही आने की है लेकिन आज दोस्तों के साथ उसके जल्दी आने की उम्मीद निधि को थी। निधि का इतनी देर तक जागना भी आम बात ही है । 2 बजे तक जगते रहना अब उसकी आदत बन चुकी है। सुहास को पसंद नहीं की वो उससे पहले सो जाए। सच कहा जाए तो सुहास को उसका सोना ही नहीं पसंद कभी रात को 2 बजे उठाकर पानी मंगवाता है तो कभी 3 बजे मैगी बनाने के लिए जगा देता है।
1 बजे सुहास अपने 3 दोस्तों को लेकर आया। निधि ने अच्छे से मेकअप करके चेहरे के सारे निशान छुपा लिए थें लेकिन फिर भी उसके दोस्तों के सामने जाने से डर रही थी कि कहीं इस बात पर भड़क कर सुहास उसकी पिटाई न कर दे। इसीलिए किचन में ही सुहास का इंतजार कर रही थी।
मेरे दोस्तों से मिलने में तुझे कोई दिक्कत हो रही है।
नहीं तो , मैं तो बस आ ही रही थीं।
चल फटाफट जा उन्हें जिस भी चीज की जरूरत हो वो सारी चीजें दे । किसी भी चीज के लिए न नहीं होनी चाहिए समझी। अब मैं जा रहा हूँ सोने तू ध्यान रख सबका बारी-बारी से चाहे एक साथ ।
एक मिनट अगर आप चले जाएंगे तो मैं कैसे ?
तुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है बस खाना खिला कर साइड में खड़ी हो जाना। जिसका मन होगा सोफे पे वो सोफे पर सोएगा तेरे साथ और जिसका बेड पर हो तो बगल वाले कमरे में ले जाना…
ये कैसी बातें कर रहें हो आप? दुनिया भर के गुस्से का घूंट एक ठंडी सांस में पीकर निधि सुहास के पैरों में गिर पड़ी।
और क्या करूं ? मैं तुझे हाथ लगाता हूँ तो तुझे अच्छा नहीं लगता ऐसे बिदकती है जैसे मछली शायद इनके साथ ही तुझे सुकून मिले।
अच्छा लगता है मुझे आपका छूना। भूले से भी कभी नहीं रोकूंगी आपको। निधि उसके पैरों पर सिर रख के आँसू बहाती जा रही थी।
लेकिन तेरे हिसाब से तो मैं जानवर हूँ दरिंदगी करता हूँ तेरे साथ।
नींद में कुछ भी बोला हो तो माफ कर दो । पति तो औरत का भगवान होता है और भगवान भला छोटी सी गलती नहीं माफ कर सकते ?
आगे से मुझे रोकने से पहले सौ बार सोचना। चल पैर छोड़ उनको चलता करके किचन में ही आता हूँ। देख रहा हूँ किचन में काफी नया सामान आ गया है जिनका इस्तेमाल नहीं किया मैंने अभी तक । आज देखेंगे कैसे काम करते हैं सब । सुहास निधि को पैरों से देखकर बाहर निकल गया। निधि अपने दोनों हाथों को पैरों के बीच फंसा कर रोने लगी।
Sunday के दिन भी सुहास घर पर नहीं रुकता था मगर आज उसे घर पर ही देखकर निधि डर से पीली पड़ गई। उसे देखते ही सुहास बोला – जल्दी तैयार हो जाओ , एक जगह थोड़ी जमीन ली है दिखाता हूँ चलकर। निधि ने कोई सवाल नहीं किया चुपचाप तैयार होने चली गई।
कार से उतर कर सुहास चर्चयार्ड के अंदर चला गया । निधि को ऐसी जगह अजीब लगी लेकिन वो भी पीछे-पीछे
अंदर गई । छोटे से इस स्थान में तीन जगह स्मारक बने हुए थे और बाकी चारों तरफ हरियाली थी। सुहास ने एक स्मारक अपने रुमाल से साफ किया वहां पर फूल पहले से ही रखे थें। फिर सर झुका के थोड़ी देर वैसे ही खड़ा रहा। निधि भी उसी की तरह जाकर खड़ी हो गई।
सुहासिनी … नाम पढ़ते ही उसने चौक के सुहास के चेहरे की तरफ देखा लेकिन तुरंत ही नॉर्मल हो गई। उसने अपने पेरेंट्स के बारे में तो बताया था लेकिन
सुहासिनी..
कैसे लगी जमीन..? सुहास ने आँखें साफ की।
जमीन? लेकिन ये तो…
हाँ मालूम है। अब बस यहाँ जगह पसंद कर लो मरने के बाद तुम्हें तुम्हारी पसंद की जगह पर..
मरने के बाद? हैरानी और डर से उसकी आँखें चौड़ी हो गई।
हाँ क्यों ? तुम अमर हो क्या जो कभी मरोगी नहीं।
मरेंगे तो सभी एक न एक दिन लेकिन पहले से ही ये सब करने की क्या जरूरत है !
हर चीज के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए लेकिन तुम हो कि हर चीज के लिए मना करती हो। तुम्हारे मना करने से मैं रुक सकता हूँ मौत नहीं । सुहास मुस्कुराने लगा।
जिंदा ही कब छोड़ा है जो मरने से मना करूंगी। वो धीरे से बुदबुदाई।
कुछ कहा तुमने? सुहास जाते हुए पलटा ।
नहीं तो। पीछे से निधि भी चल दी।
सुहास का विनम्र स्वभाव और हंसमुख चेहरा ही कॉलेज से लेकर आजतक उसकी पहचान रहा है। बच्चों से उसे इतना ज्यादा प्यार है कि अपनी कमाई का आधे से ज्यादा हिस्सा एक अनाथाश्रम को देता है । किसी ने आज तक उसे गुस्सा करते नहीं देखा।
आज एक चैरिटी प्रोग्राम में आया था तो कुछ पुराने दोस्त और नए लोग मिलकर सुहास को घेरे बैठे थें । उन सबकी घिसीपिटी बातों को बड़ी देर झेलने के बाद सुहास बहाने से वहां से निकल आया। ग्राउंड से निकलते हुए उसे अपनी क्लासमेट दिख गई तो उधर ही चला गया।
Hey! चारु, पहचाना ?
अरे सुहास तुम यहाँ कैसे ?
मेरी छोड़ो अपनी बताओ । सुना है धीरज की जॉब लग गई है अमेरिका में। अब तो तुम्हारे मजे ही मजे होंगे।
हाँ सुना तो मैने भी है। मुस्कुराते हुए वो बोली।
सुना है ? सुहास हैरान हुआ।
हमारा तलाक हो चुका है ।
तलाक ले लिया तुम दोनों ने ? दोनों लोग इतना प्यार करते थें तो तलाक क्यों?
प्यार की कोई गारंटी होती है क्या सुहास कि पांच साल चलेगा , दस साल चलेगा ? जब तक रहा तब तक रहा उसके बाद समझदार लोग अलग हो जाते हैं और बुजदिल आदमी मारपीट पर उतारू हो जाते है। तुमने तो औरतों को एकदम करीब से जाना है , उनको समझा है। तुम्हें तो पता ही होगा कि उनके साथ की गई मारपीट सिर्फ उनके बदन पर ही नहीं उनके मन पर भी गहरे निशान छोड़ जाती है।

कितनी अजीब बात होती है न मर्दों में कभी औरत के शरीर को कमजोर , कोमल , नाजुक बोल के हँसी उड़ाएंगे या तारीफ करेंगे और कभी उसी शरीर को बेल्ट से , जूते से , डंडे से भी पीटते हुए भी अपने दोगलेपन का अहसास नहीं होता।
Oh God ! अच्छा किया जो ऐसे रिश्ते से निकल आई। इसी बहाने मम्मी पापा के पास अब कुछ दिन और रह…
मैं उनके पास नहीं रहती।
क्यों ?
क्योंकि वो नहीं चाहते थें कि मैं तलाक लूं। वो लोग फोर्स कर रहे थें मुझे वापस जाने के लिए इसीलिए मैने उन लोगों को भी छोड़ दिया। जानते हो सुहास एक घरेलू हिंसा सह रही महिला के सिर्फ पति ही नहीं बल्कि उसके खुद के पेरेंट्स को भी सजा मिलनी चाहिए। यही वो माँ बाप होते है जो समाज , परिवार , इज्जत के नाम पर लड़की को वापस उस नर्क में धकेल देते है । अगर घर वाले साथ दे लड़की का तो उसके जल जाने या जहर खाने की खबर कभी नहीं आएगी।
दहेज के लिए मारी गई औरत की मौत में ससुराल के साथ-साथ मायके वाले भी शामिल होते है। इसीलिए मैं मानती हूँ कि सजा दोनों पक्षों को हो।
क्यों सही है न ?
सुहास..! तुमको क्या हुआ ? सुहास …
हा… हाँ हाँ सही कहा। अच्छा मैं चलता हूँ थोड़ा जल्दी में हूँ। सुहास वहाँ से जल्दी से जल्दी निकल भागा।
Wait for part – 2
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