“My Neighbor’s Wife” A dramatic dark romance love story part- 1

                    “My Neighbor’s Wife” A dramatic dark romance love story part- 1

कहते है आदमी जिस घटना के होने की संभावना मात्र से डरता है वही घटना उसके साथ हो जाती है । ये कहावत अविनाश पर पूरी तरह फिट बैठती है । अविनाश को अकेले रहने से बहुत डर लगता था लेकिन आज वो अकेला रह रहा है । उसके बहन-बहनोई महीने में केवल एक दिन फोन पर बात करते हैं जब वो उन्हें पैसा भेजता है । उसका भाई भी पैसे मिल जाने के बाद शायद ही उसे कॉल करता हो महीने में ।

अपनी माँ और पत्नी के साथ वो भी अपनी लाइफ में व्यस्त है । सब अपने-अपने घरों में रहते हैं बस अविनाश ही दिल्ली की एक कॉलोनी में सबसे ऊपर के माले पररहता है । चाहे तो अविनाश भी घर ले सकता है लेकिन उसके लिए अपने भाई बहन को पैसा भेजना बंद करना पड़ेगा । लेकिन घर लेकर करना भी क्या क्योंकि उसमें  रहना तो अकेले ही पड़ेगा। यहाँ सोसाइटी में भले कोई उससे सीधे मुंह बात नहीं करता हो लेकिन अकेलापन तो नहीं महसूस होता है ।

उसे पता है कि उसके सारे रिश्ते पैसे से जुड़े हुए है लेकिन कम से कम रिश्ते तो है न उसके पास। कोई उसके साथ नहीं रहता न सही लेकिन घर में कोई फेस्टिवल होने पर उसे बुलाते तो है । वो इतने में ही खुश है । चार-पांच महीने में अपनी बड़ी बहन और उनके बच्चों से मिल लेता है और साल में एक बार छोटे भाई , माँ और अपनी भतीजियों से । बस इतने में ही वो खुश है।

अविनाश को मालूम है कि उसकी ये हालत कहीं न कहीं खुद की ही बनाई हुई है क्योंकि उसमें सबकुछ दिया है भगवान ने कद , बल , रूप , धन । लेकिन सहनशक्ति बिल्कुल भी नहीं है इसीलिए उसे गुस्सा बहुत जल्दी आ जाता है । इसी गुस्से में अपनी बहन से ऊंची आवाज में बात करने मात्र से उसने अपने बहनोई को इतना पीटा कि उन्हें हफ्ते भर अस्पताल में रहना पड़ा था । जिसका सारा खर्चा अविनाश को ही उठाना पड़ा और उसी के बाद से ही उसने हर महीने अपनी सैलरी का आधा उन्हें भेजना शुरू कर दिया । छोटे भाई के मामले में भी उससे इसी तरह की गलती हो गई थी।

उसका बॉस उसे एक्स्ट्रा काम करवाता , संडे को भी कुछ न कुछ काम दे ही देता था जिससे उसकी तबियत बिगड़ गई थी इसी से गुस्सा होकर अविनाश ने उसके ऑफिस में जाकर तोड़ फोड़ की और उसके बॉस की नाक भी तोड़ दी थी। इस घटना के बाद से उसके भाई की नौकरी चली गई । जिसके बाद बची हुई सैलरी उसके भाई के खाते में जाने लगी । 20 लाख का पैकेज उसके हाथों में केवल 2 लाख का होकर आने लगा था । अब तो उसके भाई की अच्छी खासी जॉब है लेकिन पैसे भेजने का सिलसिला आज भी जारी है ।

अपने इसी गुस्से के कारण शुरुआत में उसे बहुत सी जॉब बदलनी पड़ी थी और यही गुस्सा ही उसके 30 के हो जाने पर भी सिंगल रहने की वजह भी है । जिनसे घरवालों ने उसकी शादी की बात चलाई उनके साथ कोई न कोई बात ऐसी हो गई अविनाश के गुस्से से वो भी रूबरू हो गए और रिश्ते के लिए मना कर दिया । गर्लफ्रेंड कभी कोई बन ही नहीं पाई आज तक उसकी। एक बनी भी थी कॉलेज टाइम में तो दो महीने में ही ब्रेकअप कर लिया था।

अविनाश ने मान लिया था कि उसे सारी जिंदगी ऐसे ही अकेले गुजारनी है क्योंकि गुस्से के अलावा कोई भी emotion उसे feel ही नहीं होता है अब । मगर शायद भगवान का प्लॉन कुछ और ही था , तभी उसकी बिल्डिंग में बगल वाले फ्लैट में एक मोहतरमा की एंट्री हो गई । जिनकी अधिकतर उन्होंने आवाज ही सुनी है जो सुनने में कानों को बहुत मीठी लगती है । सिर्फ आवाज ही क्यों जब वो चलती है तो उसकी पायलों की छन छन से अविनाश का सारा ध्यान उसकी तरफ चला जाता है।रात को जब वो अपने कमरे में चल रही होती है तो अविनाश अपने कमरे की दीवार में कान लगाकर उसके चलने की आवाज सुनता है ।

हफ्ते भर से ज्यादा हो चुका है लेकिन अविनाश ने केवल उसकी आवाज ही सुनी है कभी सामने से देखा नहीं , देखने की कोई खास इच्छा भी नहीं है उसके अंदर पर फिर भी उम्मीद रहती है कि आते जाते दिख ही जाए कहीं शायद ।

इतवार को सुबह-सुबह जब अविनाश छत से नीचे उतर रहा था तो सीढ़ियों पर एक लड़की दिखी जो बाल्टी में कपड़े भरकर छत पे लिए जा रही थी । छोटे चेहरे वाली गोरी सी, बिल्कुल पतले से होंठ और छोटी-छोटी काली आँखें । शरीर भी हेल्थी है गोल गोल सा । अविनाश को देखते ही मुस्कुरा पड़ी ।
अविनाश का ध्यान उसके चेहरे पर नहीं उसके पैरों पर गया जिनमें पायल है । तो ये है वो …! उसने मन में ही सोचा । ये तो बच्ची है अभी 16-17 साल की शायद। हाइट अविनाश के सीने तक भी बहुत मुश्किल से ही होगी। वो साइड में खड़ा हो गया सीढ़ियों के ताकि वो आराम से निकल जाएं।

मैं कुछ मदद कर दूं। अविनाश उसकी आवाज सुनना चाहता था ।
जी नहीं .. नहीं आप क्यों करेंगे । हम तो रोज ही करते है ये सब । उसने उसी हंसमुख अंदाज में जवाब दिया ।                                                          आप बालकनी में कपड़े सूखा सकती है वैसे ..।

आदत नहीं है जी , घर पर भी छत पर ही कपड़े सुखाते थे न। उसके चेहरे की हँसी पसीना आने के बावजूद रत्ती भर भी कम नहीं हो रही थी। वो मुस्कुराते हुए अविनाश के बगल से निकली ।

A dramatic dark romance love story part- 1
A dramatic dark romance love story part- 1

अविनाश उसके बदन की खुशबू से खो सा गया । वो अभी नहा के निकली है और उसके बालों से पानी की बूंदे गिर रही है । पता नहीं खुशबू किस चीज की है , साबुन की ? शैम्पू की ? या वाकई उसके बदन की ही । अविनाश उसी तरह थोड़ी देर खड़ा रहा , फिर नीचे उतर आया सीढ़ियों से ।

उस दिन के बाद से कई बार अविनाश ने उसे देखा । कभी सीढ़ियों पर , कभी छत पर तो कभी बालकनी या नीचे पार्क में ।  जितनी बार भी उसने अविनाश को देखा पहले ही मुस्कुरा कर उसका अभिवादन किया । सिर्फ अविनाश ही नहीं बिल्डिंग का चाहे कोई भी मेंबर दिख जाए उसे पहले ही जाकर बात करती है सबसे ।

दो हफ्तों में ही अविनाश समझ गया था कि उसके दिल में जो खयाल आया था उसे दफना देना ही बेहतर है । पहले तो उम्र में ज्यादा छोटी और दूसरी बात जो पता चली कि वो शादीशुदा भी है । अविनाश ने अभी तक उसके पति को नहीं देखा है लेकिन उसकी बातों से तो लगता है कि बहुत ही अच्छा होगा उसका पति। तभी तो दिल खोल कर सजती संवरती है और फिर बाद में मांग में एक किलोमीटर लंबा सिंदूर लगा लेती है जिससे देखने वाला दूर से ही समझ जाता है कि वो किसी की पत्नी है ।

उसके बिहेवियर की तरह उसका नाम भी थोड़ा अजीब है – भवमोहिनी ! लेकिन सच कहा जाए तो ऐसा नाम और व्यवहार दोनों उसपर सूट भी करते है । अपनी मुस्कान और बातों से वो सबको मोहित कर लेती है ।

एक दिन जब शाम के समय अविनाश अपनी बालकनी में बैठकर अपना काम कर रहा था तो मोहिनी के बालकनी में एक आदमी आकर खड़ा हो गया । पीछे से वो भी आ गई दो कप चाय लेकर । अविनाश का ध्यान बरबस ही उन दोनों की तरफ चला गया।
चाय पीजिएगा आप भी ले आएं? अविनाश को अपनी तरफ देखता पाकर मुस्कुराते हुए उसने पूछा ।
जी नहीं शुक्रिया । अविनाश ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया और अपने काम में लग गया ।

पति हैं हमारे । अभी आएं है , सुबह को बड़ी दूर जा रहें है। उसके चेहरे पर गर्व है जिसे जो अविनाश को दिखाना चाहती है ।
अविनाश ने उसके पति की तरह देखते हुए हाथ लहरा दिया । उसने भी दोनों हाथ जोड़े । अविनाश ने एक ही नजर में आदमी का फिजिक कैप्चर कर लिया । दुबला , सांवला लंबे कद का , बड़े बाल और आँखें चौड़ी और पीली…! अविनाश के बराबर वो कहीं भी नहीं टिकता। जैसा उसने सोचा था वैसा तो बिल्कुल भी नहीं है और इस पर ये औरत ऐसे इतरा रही है जैसे कहीं का राजकुमार मिल गया हो ।

आपको मालूम है कल हवाई जहाज से जाएंगे बाहर कमाने । मुझे फोटो भेजेंगे तो मैं आपको दिखाऊंगी।
जी जरूर दिखाएगा ।
पता है हवाई जहाज में सिर्फ बड़े लोग ही बैठ सकते है , जिनके पास ज्यादा पैसा हो। हम तो हमेशा साइकिल , रिक्शा से आए-गए हैं। लेकिन मेरे ये अब हवाई जहाज से ही घूमेंगे ।

अरे चुप कर देख नहीं रही वो काम कर रहें हैं।
अरे नहीं .. नहीं उन्हें बोलने दीजिए मुझे कोई दिक्कत नहीं है ।
नहीं भाईसाहब बहुत बोलती है ये, लोग परेशान हो जाते है इससे ।
मैं नहीं परेशान होऊंगा ।

अरे… खी खी करके उसका पति हँसने लगा।
दोनों एक ही जैसे है हंसमुख! अविनाश ने मन में सोचा । चलिए मेरा काम हो गया। आप लोग रोमांटिक शाम को इंजॉय कीजिए।

किसी दंपति के नितांत निजी क्षणों को सुनना या देखना दोनों ही नैतिक रूप से गलत है । ये बात अविनाश अच्छे तरीके से जानता है लेकिन फिर भी वो कमरे में लेटे हुए उधर हो रही आवाज को सुनने की कोशिश कर रहा है। कोई भी स्पष्ट आवाज उसे नहीं सुनाई दी। बहुत धीमी सी आवाज जो गूंज रही थी वो बेड की थी केवल। हो सकता है कहीं और लेटे हो ? यही सोचकर अविनाश बिस्तर से उठकर फ्लैट के बाहर आ गया ।

इधर उधर सावधानी से देखते हुए वो भावमोहिनी के फ्लैट के दरवाजे के पास खड़ा हो गया । लेकिन यहाँ भी कोई आवाज नहीं सुनाई दी। उसके चेहरे पर एक संतोषजनक मुस्कान आ गई।
वो किसी भी मामले में मेरे मुकाबले में है ही नहीं । अविनाश वापस आकर सुकून से सो गया ।

अपने पति के जाने के बाद एक दो दिन वो थोड़ा खामोश रही , उसके बाद फिर से अपने पुराने रंग में लौट आई। उसने अविनाश से कहा था कि वो जहाज के साथ अपने पति की फोटो दिखाएगी लेकिन उसके पास कीपैड का फोन था तो कहां से आती उसमें फोटो ? इसीलिए अविनाश को सीढ़ियों पर देखते ही एक दिन बोल पड़ी – मेरे वो स्क्रीन वाला फोन अपने साथ ले गएं है जब वो आयेंगे तब आपको बहुत सारी फोटो दिखाऊंगी। आप भी सोच रहे होंगे कि कब कहा था लेकिन अभी तक फोटो नहीं दिखाई । इतना कहते कहते वो खिलखिला के हँस पड़ी ।

अरे कोई बात नहीं , बाद में कभी दिखा दीजिएगा। अविनाश अंदर ही अंदर हँस लिया । उसे लगता है कि मैं उसके पति और प्लेन की फोटो देखने के लिए बेचैन हूँ।
आपको पता है दुबई गए हैं वो । वहाँ इतना पैसा होता है कि लोग अपने घर के दरवाजे भी सोने से बनवाते है ।
किसने कहा आपसे ये ?

उन्होंने ही बताया मुझे वरना मैं कभी थोड़ी गई वहाँ। आप गए हो कभी दुबई ?
नहीं !
देखा तभी आपको कुछ नहीं पता वहाँ का । मेरे वो जब मुझे लेने आएंगे तो हम आपको भी वहाँ घूमने के लिए बुला लेंगे।
हाँ । अविनाश मुस्कुराने लगा।

बिल्डिंग के इस लास्ट फ्लोर पर और भी घर है लेकिन सब फैमिली वाले है । भवमोहिनी और अविनाश ही सिंगल रहते है। अगर मोहिनी को कोई सामान मांगना होता है और अविनाश भी उधर जा रहा हो तो उससे मांगा लेती है बदले में शाम की एक कप चाय बनाकर बालकनी से उसे पकड़ा देती है । इसीलिए दोनों में बाकी लोगों से ज्यादा बॉन्डिंग बन गई है। मोहिनी की तो सबसे बन जाती है लेकिन अविनाश का हालचाल पूछने वाली केवल वहीं एक है ।

अभी कुछ दिनों पहले ही सोसाइटी में उसने मारपीट की थी। बात पुलिस बुलाने पर आ गई थी लेकिन कुछ समझदार लोगों ने बीचबचाव करके अविनाश को पुलिस बुलाने से रोक लिया था। क्योंकि सब अविनाश के पैसे और पॉवर दोनों से वाकिफ थे और गुस्सा तो खैर सबने देखा ही है । मिस्टर बनर्जी ने अपने ऊपर दबाव बढ़ता देख माफी मांग ली थी अविनाश से । बात कोई भी नहीं थी बस मिस्टर बनर्जी के बेटे ने अविनाश की कार पर चाभी से खरोंच दिया था इस पर अविनाश ने मिस्टर बनर्जी को बच्चों पर नजर रखने के लिए बोल दिया था।

बस इसी बात पर तू-तू, मैं-मैं हुई और अविनाश ने हाथ छोड़ दिया मिस्टर बनर्जी पर। बिल्डिंग के ग्राउंड पर ही दोनों में मारपीट होने लगी। भवमोहिनी ने जब बालकनी से ये देखा तो दौड़ते हुए नीचे भागी थी ।

इतना गुस्सा काहे करते हैं आप ? उसके पीछे-पीछे वो भी फ्लैट में आ गई ।
तुम जाओ अभी यहाँ से मेरा मूड ठीक नहीं है । वो पसीने से लथपथ सोफे पर बैठ गया। उसके एक हाथ में चोट लग गई थी तो खून बह रहा था ।
हम आते है अभी । कहकर मोहिनी वहाँ से चली गई । थोड़ी देर बाद एक बर्तन में ठंडा पानी और कॉटन का कपड़ा लेकर वापस आ गई और अविनाश के सामने टेबल पर रख दिया ।

हाथ दीजिए मैं ….
तुम्हें एक बार में कुछ समझ नहीं आता ।
खून बह रहा है हाथ से ।
तो मुझे बह रहा है कि तुम्हें …?

लेकिन मैं तो साफ करूंगी..।
ठीक है लो कर लो । अविनाश ने पानी के बर्तन को टेबल से एक झटके में गिरा दिया। फर्श पर छन की आवाज करता हुआ कटोरा घूमने लगा सारा पानी सोफे से लेकर दरवाजे तक फैल गया।
हाय राम ये क्या किया ..? वो उठ कर पोछा लेने दौड़ी।

वो अविनाश के सामने ही घुटनों के बल बैठकर पोछा लगाने लगी । वैसे तो उसने सूट पर दुपट्टा डाला था लेकिन वो कमर से बंधा होने के कारण सीने पर नहीं था। गोल कटिंग के गले से उसके सीने की गोलाई बाहर झलक रही थी। अविनाश की नजर जैसे ही उसके गोरे-गोरे सीने पर पड़ी , उसने तुरंत अपनी गर्दन दूसरी तरफ घुमा ली ।
तुम छोड़ो मैं कर लूंगा। उसकी आवाज से गुस्सा गायब हो गया था ।

कैसे करेंगे इस टूटे हाथ से ? अपनी शारीरिक अवस्था से बेखबर वो अपना काम करती रही । अविनाश का दिल हो रहा था कि वो उसके भरे हुए बदन को देखता रहे , सिर्फ देखे ही नहीं करीब जाकर उन्हें छू कर महसूस भी करे। लेकिन उसने अपने अरमान जब्त किए। वो भी इस लिए क्योंकि सीने से एक हाथ ऊपर सर भी पड़ता है और उसमें जो माँग बनती है उसमें लाल लाल सिंदूर उसे ऐसा करने की इजाजत नहीं देता।

अबकी जब वो उसके घाव की मलहम पट्टी करने बैठी तो वो कुछ नहीं बोला।
झगड़ा क्यों कर रहें थें आप ?
उनके लड़के ने कार में स्क्रैच कर दिया था , मैंने वही शिकायत की तो मुझसे ऊंची आवाज में बात करने लगे और जो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है।
उन्होंने तो बहुत गलत किया फिर । उनको खुद समझना चाहिए कि कार में स्कार करना गलत है ।

क्या करना गलत है ? अविनाश ने भौहें सिकोड़ी।
वहीं जो आपने बताया !
स्क्रैच …
हाँ यही ।

खरोंच, उसने मेरी गाड़ी पर निशान बना दिया था। अपनी बात को उसने समझाते हुए कहा ।                                                                                  क्या सच में ये बात थी। वो खिलखिला के हँस पड़ी ।

तब तो आप पागल हो इतनी छोटी सी बात को आया-गया किया जाता है  । इससे संबंध अच्छे रहते है पास पड़ोसियों से । वो भी तब जब सामने वाला अपने सिवा किसी की मानता ही न हो ।एक बार हमारे खेत से कद्दू चोरी हो गएं थें हमे पता था किसने चुराए लेकिन हमने उनसे कहा कुछ नहीं। जानते है क्या किया हमने ? हमने जाकर उसकी भिंडी तोड़ ली । अब पता उन्हें भी है कि हमने किया लेकिन बोले कौन। अपनी इस अभूतपूर्व उपलब्धि को सुनाते हुए उसके चेहरे पर असीम आनंद था।

उसकी बात पर अविनाश भी सर झुका के मुस्कुराने लगा।

भवमोहिनी के शुरुआती दो महीने जैसे हंसते खेलते गुजरे थे , उसके बाद के दो महीने बिल्कुल उदासीन बना के गए उसको । हँसती तो अब भी है लेकिन उसमें परेशानी झलक आती है , लोगों से बात करते वक्त बहुत ज्यादा खुलती नहीं है अब । वजह बस इतनी है कि उसके पति को अभी तक वहाँ काम नहीं मिल पाया है और यहाँ उसके पास भी पैसे नहीं बचे है ज्यादा ।

अविनाश ने एक दो बार परेशानी की वजह जाननी चाही लेकिन वो मुस्कुरा कर टाल गई । हफ्ते भर पहले अविनाश से बात की थी जब रिचार्ज करवाने आई थी तबसे उससे कोई मुलाकात नहीं हुई।
कितने का रिचार्ज करना है ? अविनाश सुबह सुबह ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था।

99 का होता है ।
अच्छा , बैठो मैं करता हूँ। अविनाश जूते पहनने लगा।
हर महीने वो कर देते थें अबकी भूल गए है बेचारे।
कोई बात नहीं मैं कर रहा हूँ न ।

हाँ.. ! मोहिनी उसे तैयार होते हुए बहुत गौर से देख रही थी। ये देखकर अविनाश ने कोट नहीं पहना बल्कि टाई भी ढीली करके शर्ट की ऊपर वाली दो बटन खोल दी और बिल्कुल सट कर उसके पास खड़ा हो गया । मोहिनी ने खुद ही अपने कदम पीछे खींच लिए।

A dramatic dark romance love story part- 1
A dramatic dark romance love story part- 1

बात नहीं हो पा रही क्या अभी उनसे ?
नहीं । उन्होंने कहा था कि काम मिलने के बाद कॉल करेंगे लेकिन की ही नहीं । बड़ी फिक्र हो रही थी तभी सोचा…
हो गया , देख लो ।
धन्यवाद आपका ये लीजिए । उसने हाथ में गुलटी हुई सौ की नोट उसके तरफ बढ़ा दी।

ये क्या है ? मुझे नहीं चाहिए तुम ही रखो।
रिचार्ज फ्री में थोड़े होता है ।
ठीक है जब तुम्हारे पति आयेंगे मैं उनसे ले लूंगा। उन्हें पता चलेगा कि उनकी बीवी पर उधारी हो रही है तो कमाने की बड़ी जल्दी रहेगी।
अविनाश की इस बात पर वो मुस्कुरा दी ।

दरवाजे पर पहुंच कर वो धीरे से बोली ।                                                                                                                                                        एक बात कहे आपसे ?
बिल्कुल बोलो।
जब वो मुझे लेने आएंगे तो मैं आपको पैसे दूंगी तब आप मुझे ऐसा ही सूट ला देंगे मेरे उनके लिए ?

अविनाश पता नहीं उतनी देर में क्या सोच गया था उसे खुद पे ही खीझ आई । अपनी खीझ को दबाते हुए बोला – हाँ ला दूँगा लेकिन वो इसका करेंगे क्या ?
आप की तरह ही पहनकर काम पर जाएंगे । जैसे आप अच्छे लग रहे है वो भी आपकी तरह अच्छे लगेंगे । कुर्ते में मुझे वो ज्यादा अच्छे नहीं दिखते लेकिन उनके पास वही है ।
ले आऊंगा। अविनाश मुस्कुराते हुए बोला ।

पांच महीने का किराया बाकी होने पर बिल्डिंग के चेयरमैन ने भवमोहिनी को फ्लैट खाली करने का नोटिस थमा दिया। लोगों से तो वो कह सकती है कि उसके पति जब आयेंगे तो एक ही साथ सारा पैसा जमा करके उसे अपने साथ ले जाएंगे लेकिन ऑथोरिटीज को कैसे ये बात समझाए। उसके पति आयेंगे कब इसके जवाब में इतना ही कहती जब बहुत पैसा जमा हो जाएगा तब ।

अविनाश को जैसे ही पता चला कि मोहिनी को शाम तक घर खाली करने के लिए बोला गया है , वैसे ही वो मोहिनी के फ्लैट में चला गया , जहाँ वो सारा सामान पैक कर रही थी।
कहाँ जाओगी ?
पता नहीं । बस इतना मालूम है घर नहीं जा सकती । आप पहली बार उसकी आँखों में आँसू हैं।

क्यों?
घर में सबको पता है कि मैं अपने उनके साथ दुबई में हूँ। ऐसे में मुझे इस हालत में घर जाना पड़ा तो लोग सोचेंगे कि मुझे छोड़ दिया है इन्होंने । मेरे बाद भी दो बहनें है उनका भी तो सोच आता है न।
तो अब क्या करोगी ?

देखो अभी तक उन्हें बताया नहीं है अब बताना पड़ेगा। उन्होंने एक बार कहा था कि कोई दिक्कत हो तो उनके एक रिश्तेदार है उनके पास चले जाना है , चाहे पैसे चाहिए हो या कोई भी दूसरी दिक्कत। अभी नंबर लेकर उन्हीं के घर चली जाऊंगी।

अगर उसे बताओगी तो उसे फिक्र हो जाएगी तुम्हारी , पता नहीं काम में मन लगे या न लगे । दुबई में काम को लेकर नियम बहुत सख्त होते है। जरा सी बात पर काम से निकाल कर कोड़े मारने की सजा दे देते है।
सख्ती है ये तो उन्होंने भी बताया था , कोड़े भी मारते है?उसने अविनाश की आंखों में देखते हुए पूछा ।
तो अविनाश ने गर्दन झुका के हाँ में जवाब दिया । अब झूठ तो मासूम लोगों से सीना तान के नहीं बोला जा सकता।

तो अब क्या करूं ? मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा ।
तुम चाहो तो मेरे फ्लैट में शिफ्ट हो सकती हो , बस कुछ दिन के लिए जब तक कमल दुबई से वापस नहीं आ जाता तब तक।
लेकिन फिर आपको भी तो परेशानी होगी ?
परेशानी कैसी फ्लैट तो वैसे भी खाली ही पड़ा हुआ है मैं तो अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकलता ।

नहीं फिर भी ये नहीं हो सकता मुफ्त में रहना मुझे अच्छा नहीं लगेगा ।
मुफ्त में कौन कहता है ! तुम्हें भी पता है कि मेरे यहाँ कोई भी मेड हफ्ते भर से ज्यादा नहीं टिक पाती। सबकुछ मुझे अकेले करना पड़ता है इसीलिए मुझे रोज देर हो जाती है ऑफिस से निकलने के लिए । और वापसी में इतना थक जाता हूँ कि खाना बनाने की हिम्मत नहीं बचती । अगर तुम रहेगी तो मेरी मदद हो जाया करेगी ।

सारी बातें समझाने के बाद अविनाश भवमोहिनी को अपने फ्लैट पर ले आया । शिफ्टिंग के वक्त उसने अपने पड़ोसियों के मुँह भी देखे और उन्हें अपनी लापरवाही दिखाता हुआ बोला –
ऐसे क्यों देख रहें हैं? एक लड़की को रोड पर सोता हुआ देखने की बड़ी तमन्ना थी क्या आप लोगों की ? जवाब किसी ने नहीं दिया बस ही..ही करते हुए दरवाजे बंद कर लिए। लोगों की आंखों और बातों से अनजान मोहिनी अविनाश के फ्लैट के एक कमरे में अपना सामान जमाने में व्यस्त थी ।

सालभर बाद ऐसा हो रहा है कि डाइनिंग टेबल घर के खाने से सजी हुई है। आखिरी बार दीदी के घर पर इतना सजा कर खाना परोसा गया था । अकेले रहो तो न इतना खाने का मन करता है न सजाने का । सामने मोहिनी खड़ी एक एक खाना प्लेट में निकाल रही है ।
सारे दिन की थकी होने के बाद भी नहा कर वो बिल्कुल ताजी महसूस हो रही है ।  अविनाश एक बार खाने को देखता है और एक बार उसे।

एक ही प्लेट निकाली , अपना खाना नहीं निकालेगी ?
पहले आप खा लीजिए मैं बाद में खाऊंगी।
क्यों साथ में खाना पसंद नहीं है ?
नहीं ऐसा कुछ नहीं बस आदत नहीं है ।

तो डाल लो क्योंकि मुझे साथ खाना और खिलाना दोनों पसंद है।
अविनाश के कहने पर मोहिनी भी एक प्लेट निकाल कर उसके सामने बैठ गई।

A dramatic dark romance love story part- 1
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मैं कैसे कहूं … लेकिन बहुत अहसानमंद हूँ आपकी । आपने अगर सहारा न दिया होता तो पता नहीं कहाँ भटक रही होती मैं । बहुत बहुत शुक्रिया आपका ! Thank you.

अहसान की कोई बात नहीं है , मुझे एक हाउसहेल्प की जरूरत थी तो तुमने मेरी मदद कर दी बस।

थोड़ी देर दोनों खामोशी से खाना खाते रहें कुछ सोचते हुए अविनाश ने पूछा।
वैसे तुम्हारी शादी को कितने साल हो गएं हैं?
साल नहीं 8 महीने ही हुए है।
इस हिसाब से तुम कितने साल की हुई ?

19 में चल रही हूँ मैं ।
तो फिर इतनी जल्दी शादी ?
जल्दी कहाँ गांव में तो शादी ऐसे ही होती है। फिर रिश्ता अच्छा आया तो बाबा ने मान लिया ।
अच्छा तो ये अरेंज मैरिज है !

हाँ । जैसे ही पता चला कि इनके घरवाले भी विदेश में रहते है और ये भी विदेश ही कमाने जायेंगे चाचा, बाबा और भैय्या ने बात पक्की कर दी।

मतलब कमल ने बोला था कि वो शादी के तुरंत बाद तुम्हें भी अपने साथ ले जाएगा ?
हाँ कहा तो यही था ।
दहेज भी लिया होगा तब तो ?

न एक पैसा भी दहेज नहीं लिया ज्यादा लोगों को भी नहीं लाएं शादी में। 10 हजार में ही शादी हो गई थी हमारी। वो तो विदेश जाना था तो बाबा से उधर रुपया लिया था 8 लाख । बोले थे कि कमाने के बाद वापस कर देंगे।
मुझे लगता था कि सिर्फ तुम ही भोली हो। अविनाश ने धीरे से कहा ।
क्या कहा आपने?

कुछ नहीं बस पूछ रहा था कि फिर तुम्हें साथ क्यों नहीं ले गया ? घर से तो बोल के आया है कि तुम्हें साथ ले जा रहा है।

कैसे ले जाते यहाँ आने पर उन्हें पता चला कि मेरा वीजा नहीं बन पाया है । तो बोले तब तक वीजा बनेगा इधर और वो उधर कमा लेंगे तब तक । फिर एक घर लेंगे तब मुझे लेकर जाएंगे यहाँ से । मैं तो कह रही थी कि वापस घर चली जाऊं लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसे उनकी बेइज्जती हो जाएगी । उन्होंने यहाँ आकर रख दिया मुझे। मैंने कहा भी था कि यहाँ बहुत महंगा है तो बोले कि तुम तो मेरी रानी हो , सस्ती जगह पे कहाँ रहोगी! इतना कहते कहते उसके चेहरे पर एक शर्मीली मुस्कान आ गई।

अच्छा सवाल थोड़ा पर्सनल है ये बताओगी तुम दोनों कितने दिन साथ रहें ?
जैसे सभी औरतें अपने आदमी के साथ हमेशा रहना चाहती है , वैसे ही मैं भी रहना चाहती हूँ। लेकिन फिलहाल तो अभी तक दो ही दिन साथ रहें हम दोनों ।
अच्छा एक और बात पूछूं ? तुम्हारे फोन में कितने नंबर सेव है ?

मेरे स्क्रीन वाले फोन में तो बहुत सारे नंबर थे लेकिन वो उन्होंने ले लिया इसमें तो खाली उनका ही नंबर सेव है, बाकी कभी कभी रांग नंबर आ जाते हैं बस।
बड़ी कमीनी चीज लगता है ये तो ! अविनाश ने अपना खाना खत्म कर लिया था और बिना किसी बात को आगे बढ़ाए वो वहाँ से उठ गया था ।

रात को सोते वक्त बेचैनी सी होने लगी उसे । उसके मन में बार बार मोहिनी के पास जाने का खयाल आ रहा था । जितनी बार भी आँखें बंद करता उसकी नजरों के सामने मोहिनी की खूबसूरत गुदगुदी बॉडी घूम जाती और सारे खयाल उसके गोल , सफेद, रूई जैसे सीने पर ही अटक जाते । थोड़ी देर नींद लाने की बेकार सी कोशिश के बाद अविनाश उठ कर उसके कमरे की तरफ चल दिया ।

Wait for part -2
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