A middle class boy and a rich girl love story part 4

A middle class boy and a rich girl love story part 4

A middle class boy and a rich girl love story कहानी के तीसरे भाग में आपने पढ़ा कि मिहिर साशा को सबसे छुपकर अपने कमरे में रहने देता है लेकिन साशा कोई न कोई ऐसी गलती करती रहती है जिससे मिहिर को बहुत डांट पड़ती है। मिहिर की जॉब लगने पर जब सब बाहर खाना खाने गए थें तब तो साशा ने अंडे ही फ्रिज में रख दिए जिससे मम्मी बहुत गुस्सा हो गईं। उसके अगले दिन जब कुछ लोग साशा को ढूंढते हुए घर में घुसे तब उन्हें पहली बार उसके बारे में पता चला।

साशा को मिहिर के साथ रहता देख कर मिहिर की माँ को लगा कि वो उसे भगा कर लाया है । जिसके बाद वो रोना पीटना शुरू कर देती हैं। मिहिर शर्मिंदा होकर घर से चला जाता है ।अब आगे पढ़े कहानी का अंतिम भाग –

आप रोना बंद करके मेरी बात सुनेंगी पहले । साशा की आवाज में ऑर्डर था । उसकी तेज आवाज से ज्यादा उसकी रखी पिस्टल देख कर मम्मी शांति से बैठ गईं।

आपको पूरे गर्व से कहना चाहिए कि मिहिर आपका बेटा है । साशा चेयर खींच कर बैठ गई और एक लंबी साँस लेकर मिहिर से मिलने से लेकर आज तक की छोटी-छोटी बात उन्हें बता दी । कार से लेकर अंडे तक की भी। अपने घर से भागने की वजह बताते हुए वो खड़ी हो गई।
Now choice is yours . आप उसे बेटा माने या नहीं लेकिन इतना जरूर कहूंगी कि अगर मेरा कभी बेटा हुआ तो उसे मिहिर जैसा जरूर बनाऊंगी। साशा कमरे में चली गई।

महक ने पापा के चेहरे को देखा, पापा ने मम्मी के और मम्मी ने कमरे की तरफ । साशा अपनी पर्स और एक छोटे से बैग को लिए बाहर निकल आई। रोने-धोने के बाद चेहरा साफ करके मिहिर घर आ गया था साशा को लेने।

जाओ टैक्सी खड़ी है गेट पर जहाँ कहोगी उतार देगा।

ठीक है अंकल-आंटी जा रही हूँ। आप लोगों के करीब तो रहने का मौका नहीं मिला लेकिन फिर भी बहुत करीबी महसूस हो रही है। मेरी वजह से आप लोगों ने बहुत suffer किया उसके Sorry. वैसे तो मिहिर ने जितना मेरा ध्यान रखा उसके बदले पैसे pay करना बहुत खराब बात होगी। लेकिन मैने उसका नुकसान बहुत ज्यादा किया है इसीलिए किसी safe place पर पहुंचते ही मैं उस नुकसान की भरपाई के लिए कुछ पैसे भेजूंगी please रख लेना ।

जरूरत नहीं पैसे भेजने की । मिहिर छत की तरफ सर उठाए है। उसने हाथों को कसके पीछे पकड़ रखा है और जूतों से लगातार टैप किए जा रहा है।

Ok . साशा भी कुछ और नहीं बोल पाई। जाने के लिए घूमी तो पीछे से महक ने उसका पर्स पकड़ लिया ।
आपकी पर्स बहुत अच्छी है इसे ले लूं?
ले लो मगर मेरा सामान मुझे किसी चीज में रख के दे दो।
महक पर्स लेकर अपने कमरे में चली गई।
बेटा तुम्हारी कुर्ती बहुत अच्छी है।
कुर्ती नहीं है आंटी बॉडीकॉन ड्रेस है ।
हाँ वही , मुझे दे दो ।

मम्मी आप ऐसे कपड़े नहीं पहनती।
क्या मतलब ? ऐसे तो मैं इनके सैंडिल भी नहीं पहन सकता लेकिन पसंद तो हैं। बेटा एक काम करो ये सैंडिल मुझे दे दो ।
अंकल heels आप कैसे पहन पाओगे ?
अरे यार आप लोग अगर सब उससे ले लोगे तो वो जाएगी कैसे ? मिहिर चिड़चिड़ेपन से बोला ।

तो मत जाए जाने को कौन बोल रहा है। मम्मी ने तुनक कर बोला ।
क्या ? मिहिर हैरान हुआ ।
ज्यादा क्या-क्या मत कर बैग रह गया है वो तू पसंद कर ले ।
इन सब के इस तरह के व्यवहार को देख कर साशा की आँखें भर आईं तो मम्मी ने तुरंत उसे सीने से लगा लिया।

मिहिर तो ऑफिस चला गया लेकिन महक और पापा ने छुट्टी मार ली। सुबह से शाम तक तीनों घर का नक्शा बदलने में जुटे रहें। सब कुछ साशा के हिसाब से सेट कर रहें थें । शाम तक साशा का सामान AC वाले कमरे में शिफ्ट हो चुका था । साशा उन्हें रोकती रही लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी। पापा मिहिर के कमरे में और मम्मी ने महक के कमरे में अपना सामान जमा दिया।

घर को एस्थेटिक्स लुक देने के लिए नए पर्दे लाएं गएं किचन में पुराने बर्तन रख के नए सेट निकाले गएं। घर में स्पेस बनाने के लिए आधा सामान पड़ोसी के घर रखवा दिया गया । साशा आज पहली बार खुद को बहुत special महसूस कर रही हैं। उसे ज्यादा काम नहीं आतें और धूल से उसे खांसी आती है फिर भी वो सबके पीछे लगी हुई है ।

फिर बारी आई उस शाम की जिसे साशा ने रोज दरवाजे से छुप कर ही देखा था उसे कभी जी नहीं पाई थीं। एक टेबल पर पांचों बैठ कर चाय पीते हुए साशा से दुनिया भर की चीजें पूछ रहें थें। वैसे तो उसके लिए कॉफी ही बनने का रही थीं लेकिन उसे सबके साथ कॉफी ही पीनी थी।

रात में खाने में क्या बनाऊं तुम्हारे लिए बेटा ?
दाल चावल । साशा तपाक से बोली।
अरे तुम तो देशी हो गई । मिहिर बोला ।
अच्छा मैं विदेशी थी क्या पहले ? साशा के इस जवाब से सभी हँसने लगे।

मिहिर की मम्मी साशा का खयाल बिल्कुल अपनी बेटी महक की तरह ही रख रहीं हैं , पापा भी उसे बहुत प्यार से रखते है । घर के सभी लोग अपने middle class वाले रवैए से एक कदम ऊपर उठकर और साशा अपनी high class से एक कदम नीचे आकर चीजें बैलेंस कर रहें हैं।

साशा का Card block करवा दिया गया है इसीलिए उसके पास एक भी पैसा नहीं है। लेकिन वो जिस घर में हैं वहाँ पैसे की जरूरत ही नहीं है। पापा और मिहिर उसकी हर जरूरत के बारे में पूछा करतें हैं, मम्मी उसके खाने- पीने और कपड़ों की व्यवस्था देखतीं हैं और महक का काम है साशा के मन को बहला के रखना ।

महक साशा से makeup और पेंटिंग करना सीख रही है , साशा मम्मी से खाना बनाना सीखती है और मम्मी दोनों लड़कियों से मॉर्डन कपड़े पहनना सीख रहीं हैं।

शुरुआत के दो दिन साशा AC room में अकेले सोई थी। तीसरी रात चुपके से महक के कमरे में घुसकर मम्मी की कमर में हाथ डाल के सो गई थी। एक छोटे से बेड पर तीनों के साथ सोने पर मम्मी को समझ आ गया था कि साशा को personal space की नहीं बस थोड़े से प्यार की जरूरत है।उसी के बाद से वो तीनों AC room में सोने लगी।

15 दिनों में मिहिर सबसे ज्यादा साशा के करीब रहा है ।अचानक से साशा का टाइम पूरे परिवार में बंट गया और मिहिर के हिस्से में समय कुछ कम बचा । इसीलिए वो थोड़ा अकेलापन महसूस करता है लेकिन तभी तक जब तक पापा के खर्राटों की आवाज पूरे कमरे में शोर न मचा दे।

हफ्ते भर की ही job में उसे अपनी HR के साथ जब तीन दिन के लिए घर से बाहर रहना पड़ा तो मिहिर ने कैसा महसूस किया पता नहीं लेकिन साशा जरूर खोई हुई दिखी। यहाँ तक की मम्मी को जब मिहिर की कॉल आती तो किसी न किसी बहाने साशा उनके पास ही घुमा करती। शायद उसे सुनना था कि मिहिर उसकी फिक्र कर रहा है या नहीं।

मम्मी ने पापा को भी ये बात बताई तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा था ” जैसा तुम सोच रही हो वैसा कुछ भी नहीं हो पाएगा , हमारे चाहने पर भी नहीं। अमीरों की बेटी है हम कहाँ सम्भाल पाएंगे उस हीरे को ।”
क्यों अभी तक नहीं संभाला है क्या ?

कुछ दिनों की बात और होती है मिहिर की मम्मी लेकिन यहाँ जिंदगी भर की बात है। हम लाख कोशिश कर ले लेकिन उसे वो सुख कभी नहीं दे पाएंगे जो उसे उसके घर में मिलता था । और फिर हफ्ते भर की ही बात रह गई है इसके बाद वो खुद अपने घर लौट जाएगी ।
हाँ बात तो सही कहते हो ।

मिहिर के ट्रिप से लौट आने के बाद महक उसे चने के झाड़ पर चढ़ाने लगी । मिहिर पहले उसे डांट के चुप करा देता था कि “साशा सिर्फ दोस्त की तरह है उसकी” लेकिन फिर उसे महक का छेड़ना अच्छा लगने लगा है। अभी तक मिहिर ही टाइम बचा कर सबकी नजरों से बचते हुए साशा से थोड़ी बात कर लेता था लेकिन तीन दिन की इस मैजिकल दूरी के बाद अब साशा मिहिर से पहले बात करना शुरू करती है। लेकिन सबसे छुप कर नहीं।

अंकल मैं और मिहिर थोड़ी देर छत पर टहल ले जाकर ?
ऐसे वो डाइनिंग टेबल पर ही सबके सामने पूछ लिया करती है।
कमाल है उसकी हिम्मत को मिहिर एक बार जरा पूछ कर देखे ऐसे पापा को उसकी पीठ पर अपने जूतों के निशान बना देने हैं। मिहिर मन में ही सोचता रह गया।

हाँ हाँ बेटा क्यों नहीं सोने से पहले आदमी को कुछ देर टहल लेना चाहिए ।
पता है चाँदनी रात में गजल सुनते हुए छत पर टहलने का मजा जी अलग होता है ।
गजल ? What is Gazal ?

Umm अब ये कैसे समझाऊं? ऐसा समझ लो ऐसा म्यूजिक जो तुमको सिर्फ सुनाई न दे बल्कि जिसका एक एक शब्द तुमको रूह तक महसूस हो । जिसे सुनकर अपनी जिंदगी के सारे कर्मकांड याद आने लगे तुमको । शायद तुम बॉलीवुड म्यूजिक नहीं सुनती ज्यादा ?

हाँ सुनती तो नहीं हूँ लेकिन अगर तुमको पसंद है तो सुनना शुरू कर दूँगी। साशा ने ये बात बिना उसकी तरफ देखे कही और उसी तरह टहलती रही। लेकिन मिहिर थम के रह गया इस बात पर । अब इस बात का मतलब उसे क्या लेना चाहिए ? यही सोचते हुए रेलिंग के सहारे खड़ा हो गया। साशा भी उसके बिल्कुल बगल में आकर खड़ी हो गई।

सुनोगी ? मिहिर ने अपने इयरफोन की एक लीड उसे ऑफर करते हुए पूछा ।
लगा दो ! साशा ने अपने कान पर से बाल साइड करते हुए कहा।
बड़ी देर तक दोनों गजल सुनते हुए चांद को देखते रहें।

A middle class boy and a rich girl love story
A middle class boy and a rich girl love story

 

एक तो घर आए मेहमान को दरवाजे से ही विदा कर देना भारतीय परंपरा स्पेशियली middle class family में बिल्कुल भी सही नहीं माना जाता फिर एक बेटी से मिलने आए पिता को रोकने का हक किसी के पास नहीं होता । इसीलिए पापा न सिर्फ साशा के डैड को सम्मान के साथ अंदर लाएं बल्कि उनके साथ दिख रहे गार्ड्स को भी चाय नाश्ते के लिए पूछा।

No Thanks आप साशा को बुलाइए।
डैड आप ! साशा अभी-अभी महक के साथ कमरे से निकली तो उसकी नजर अपने डैड के ऊपर गई। वो लगभग भागते हुए अपने डैड के गले से लग गई।
I miss you dad . उसका गला भर आया ।

डैड ने भी आपको बहुत miss किया बेटा! अब चलो घर चलते है।
नहीं । साशा तुरंत उनसे दूर हो गई ।
डैड मैं उससे शादी नहीं करूंगी । उन लोगों ने ही आपको भेजा है ताकि आप मुझे यहाँ से ले जाओ ।
बेटा समझो ! वो बड़े है मेरे मैं उनकी बात नहीं काट सकता ।
लेकिन आप मेरी जिंदगी बर्बाद कर सकते हो ? है न डैड !

अगर तुम्हारी जिंदगी बर्बाद ही करनी होती बेटा तो 10 दिन पहले ही तुम्हें आकर न ले जाता मैं । यहाँ देखा कि तुम safe हो , खुश हो तो वहाँ मैं भाईसाहब से झूठ बोलता था कि तुम मिल ही नहीं रही हो ।
आपको पता था मैं यहाँ हूँ?

बेटा बाप को पता सब रहता है लेकिन वो बोलता जरूरत पड़ने पर ही है ।
तो आप मेरी उस शादी उस धोखेबाज से तो नहीं कराएंगे न ?
ऐसा न करना पड़े तभी तो उनको बोला है कि तुमने अपने ब्वॉयफ्रेंड से शादी कर ली ।
डैड मैं अकेले भागी थी किसी लड़के के साथ…

मालूम है लेकिन कोई न कोई बहाना तो देना ही था । पता है तुम्हारा मंगेतर पागल हुआ जा रहा था तुमसे शादी करने के लिए और उसे देख कर भाईसाहब मुझे पागल करे दे रहें थें । इसीलिए झूठ बोल दिया कि तुम अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ भागी हो। उन्होंने कहा है कि साशा ने अगर शादी नहीं की होगी तो वो फिर भी अपने बेटे से शादी करा देंगे ।
..और अगर मैंने शादी कर ली होगी तो ?

तो क्या शायद फिर कल अकेले ही जाएं । देखो बेटा अगर तुम कहो तो मैं उन्हें डायरेक्ट भी मना कर दूंगा लेकिन इससे हमारे संबंधों के साथ USA वाले प्रोजेक्ट्स भी खत्म हो जाएंगे। अब आप बताओ क्या करोगे ?
साशा सोच में पड़ गई।

मिहिर को साशा से कोई खास उम्मीद नहीं थी फिर भी वो नहीं चाहता था कि साशा की शादी किसी बिजनेस डील के दबाव में हो । वो ऑफिस जाने के लिए तैयार था और उसे लेट भी हो रहा था लेकिन वो साशा का जवाब सुनना चाहता है पता नहीं क्यों उसका दिल बहुत जोरों से धड़क रहा है। महक अपनी स्कूल ड्रेस पहने मम्मी के साथ किचन के दरवाजे पर खड़ी है । उन दोनों को भी साशा के जवाब का इंतजार है।

एक ही साथ सोने के दौरान कई बार ऐसा हुआ था कि रात में बाथरूम से आने के बाद महक डर कर दौड़ते हुए बिस्तर में घुसती थी और साशा को “भाभी” बोलते हुए उससे चिपक जाती थी । साशा ने कभी उसे भाभी बोलने से मना नहीं किया बल्कि भाभी सुनकर मुस्कुराई जरूर। सुबह दोनों ऐसे उठते थें जैसे जो भी कहा या सुना गया नींद में ही हुआ किसी को कुछ याद नहीं ।
तो क्या उन्हें सच में नहीं याद रहता था । महक सोच रही है।
पापा भी उन लोगों से थोड़ा दूरी बनाकर खड़े है ताकि उन्हें बातचीत में कोई दिक्कत न महसूस हो ।

मिहिर इधर आओ । उसने मिहिर को बुलाया ।
डैड मुझे पता है आपने यहाँ मौजूद पेड़ पत्तों तक के बारे में सब पता करने के बाद ही मुझे यहाँ रहने दिया होगा , इसीलिए आपको मिहिर के बारे में भी सब पता होगा ।

हाँ इन साहबजादे के बारे में भी पता किया है । जो नहीं पता चला वो डेटा इनकी कंपनी से निकलवा लिया था । मिहिर ने पास आते ही सबसे पहले साशा के डैड से हाथ मिलाया और फिर झुक कर उनके पैर छुए।
हाँ तो डैड आप समझ गए होंगे कि मेरा क्या डिसीजन है। डैड मैं मिहिर से शादी करना चाहती हूँ ।
क्या ? मिहिर सकते में आ गया ।

तुमसे प्यार हो गया है मिहिर इसीलिए शादी करना चाहती हूँ लेकिन तुमको कोई ऐतराज तो नहीं …?
बेटा इसको क्यों ऐतराज होगा ये तो खुद ही तुमसे प्यार करता है । मम्मी ने बहुत उत्साह से कहा।
मम्मी आप चुप करो । मिहिर ने उन्हें डांटने के बाद साशा को देखा ।

तुम जल्दबाजी में तो फैसला नहीं कर रही न ?
तुम बताओ प्यार करते हो या नहीं ?
प्यार तो तुम्हारी ड्राइविंग देख के आज से 28 दिन पहले उसी दिन हो गया था ।

आपको वो पसंद था तब भी ऐतराज नहीं था मुझे अब ये पसंद है तब भी कोई problem नहीं है। जानता हूँ लड़का काबिल है बहुत कुछ हासिल कर लेगा । फिर मैं इसके लिए पहले ही तैयार हो कर आया था । साशा के डैड सोफे पर बैठ गएं।
आप भी आ जाइए । उन्होंने मिहिर के पापा को भी संग बैठने का इशारा किया ।
तुम जाओ कुछ मीठा ले आओ जाके । पापा ने मम्मी से फुसफुसाते हुए कहा और आकर स्टूल पर बैठ गएं। उनके साथ बैठने की हिम्मत नहीं जुटा सके।

उन लोगों के साथ आएं वकील ने ब्रीफकेस में कुछ पेपर्स निकाले और उन दोनों की तरफ बढ़ा दिया ।

साइन करते वक्त साशा के हाथ तो फर्राटे से चले लेकिन मिहिर के हाथ कांप रहें थे। यही होता है जब वो हो जाए जिसकी आपको उम्मीद भी न हो ।
महक मंदिर से दो फूल माला उठा लाई और मम्मी ने अपनी सोने की अंगूठी मिहिर के हाथों में दे कर साशा को पहनाने का इशारा किया ।

उन पेपर्स पर दोनों के पेरेंट्स ने भी साइन कर दिए ।

मिहिर as a employee साशा को बिजनेस में सपोर्ट करता है तो as a partner life में। उसका एक हफ्ता मुंबई में साशा की फैमिली के साथ गुजरता है तो साशा का भी एक हफ्ता मिहिर के साथ मिहिर की फैमिली में गुजरता है ।
दोनों अपनी-अपनी व्यस्त जिंदगी में से कुछ लम्हे चुरा कर एक दूसरे के साथ गुजरते है। जहाँ मिहिर middle class नहीं होता और साशा हाइ सोसाइटी से बिलॉन्ग नहीं करती । दोनों सिर्फ पति पत्नी रह जाते हैं।

समाज के बनाए मापदंड दोनों के बनाए रिश्ते को न कमजोर कर पाएं और न अस्वीकार ही । कुछ दिन मीडिया ने इस बात को उछाला , मिहिर को पैसे के चक्कर में पड़ने वाला बताया । लेकिन इससे न मिहिर को फर्क पड़ा और न साशा को ।

क्योंकि कुछ तो लोग कहेंगे… लोगों का काम है कहना !

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