Enemies to lovers-dark romance love story. pt-1
Mom…mom ! why are you doing this to me? एरिका गुस्से में चिल्लाते हुए अपनी मम्मी के पीछे घूम रही थी। लेकिन वो उसकी बात सुने बिना ही पैकिंग में लगी रहीं ।
मैं कहीं नहीं जाऊंगी सुना आपने। बेला आंटी के भाई आ रहें हैं तो वो अपना घर देकर यहाँ शिफ्ट हो जाएं हम क्यों उनके घर शिफ्ट हो ? I can’t do this mom please !
You have to understand बेटा! अब मम्मा से नहीं हो पा रहा है । मुझे emotional support की जरूरत है , मुझे मेरे दोस्तों की जरूरत है , मुझे तुम्हारी जरूरत है जान । मम्मी ने प्यार से उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में थाम लिया ।
Mom मैं आपको नहीं रोक रही बस मैं नोएडा नहीं जाना चाहती उनके घर । आप कहेंगी तो मैं अपनी किसी दोस्त के घर रह लूंगी जब तक उनके भाई की फैमिली यहाँ रहेगी।
क्यों तुम्हें वहाँ रहने में क्या problem है ? बेला तो तुम्हें अपनी बेटी मानती है , तुम भी तो उसे कितना प्यार करती हो ।
हाँ मॉम मैं उन्हें आपके जितना ही मानती हूँ but I don’t like her son .
अरे अभी तक तुम दोनों ने सिर्फ एक मुलाकात की है इतने सालों में वो भी बात तक नहीं की थी एक दूसरे से तो कैसे पसंद आ जाएगा वो तुम्हें ? जरा मिलोगी…
मिलना ही तो नहीं है mom. पता नहीं उसको देख कर मेरे खून का boiling point high हो जाता है।
वो इसलिए क्योंकि तुम्हें लगता है मैं तुमसे ज्यादा ऋषित से प्यार करती हूँ और उसे लगता है कि बेला उससे ज्यादा तुम्हें प्यार करती है ।
I don’t think so. पर मैं वहाँ नहीं जाना चाहती ।
तुम यूएस जाने के लिए बोल रही थी न ! चलो मैं तुमको पैसे देने को तैयार हूँ पर तुम्हें मेरे साथ कुछ वक्त के लिए बेला के घर पर रहना होगा ।
आप मेरे सामने शर्त नहीं रख सकती हैं।
शर्त नहीं विकल्प है । यूएस जाने के लिए तुम्हें नोएडा भी चलना पड़ेगा वरना आगे की पढ़ाई के लिए India की कोई Best University choose कर लेना ।
Disgusting ! एरिका पैर पटकते हुए कमरे से निकल गई।
मम्मी चुपचाप खड़ी उसका गुस्सा झेल गईं लेकिन उसे डांटा बिल्कुल भी नहीं । दोनों के लिए ये decision मुश्किल भरा है लेकिन कोई दूसरा option भी नहीं है। अगर बेला के भाई यूएस से वापस न भी आ रहें होते तो भी उन्होंने कुछ दिन के लिए घर छोड़ने का इरादा बना ही लिया था । इस घर को उन्होंने 23 साल दिए लेकिन इस घर ने सिर्फ एक ही अच्छी चीज दी उसे एरिका बस ।
कितना लंबा वक्त लगा दिया उन्होंने खुद को चुनने में ! सारी जिंदगी अमित की सुनती आई और जब सुनने की क्षमता खत्म हुई तो तलाक ले लिया। क्या सिर्फ इसलिए कि बाप के बाद अब बेटी की सुनने पड़ेगी उन्हें ? हरगिज नहीं । वो एरिका पर अपना फैसला नहीं थोपना चाहती थी लेकिन ये भी जानती है कि एरिका को जरा सा भी अपने से दूर किया तो अमित उसे परेशान कर सकता है । पैसे ऐंठने के लिए वो बिना ये सोचे कि एरिका उनकी ही बेटी है , उसे चोट तक पहुंचा सकता है ।
बस अब और नहीं …! सारा सामान पैकर्स ने पिक अप में रखवा दिया था। सुनंदा का मन भारी होने लगा था खाली घर को देख कर । लेकिन अब और नहीं …! इस भावुक मन की कमजोरी का फायदा उठा कर ही अमित ने उसे उसकी ही कंपनी से दूर रखा था , उसे उसकी बेटी से दूर रखने की कोशिश की , उसे मानसिक रोगी बना दिया लेकिन अब और नहीं ।
एरिका… बेटा नीचे आओ ! हमें निकलना है । उनका मन भारी था लेकिन ममता फिर भी शब्दों से झलक रही थी।
वो जानती है कि उनकी बेटी के लिए ये फैसला कितना मुश्किल है । उसने पूरा बचपना इस घर में बिताया है , अपने पापा के साथ खेली कूदी है । चाहे बाप कितना भी सख्त क्यों न हो लेकिन रहता तो बाप ही है ।
एरिका….! वो गुस्से में सीढ़ियों से उतरती दिखाई पड़ी।
चलो अच्छा है अब हम चारों कुछ दिन साथ में बिताएंगे । पता है बेला आंटी कितनी अकेली हैं जब से अंकल की मौत हुई तब से तो हालात और भी खराब है समझ लो तुम । हम जायेंगे तो कुछ सहारा ही रहेगा उसे । न जाने कब से बुला रही है हमे … ! मम्मी ने बात हल्की करने के लहजे से कहा । लेकिन एरिका उनके बगल से निकल कर कार के पास जाकर रुकी ।
Mom दो साल हो गएं है अंकल की मौत को । इतने टाइम में तो आदमी अपनी मौत से उबर आएं ये तो फिर भी दूसरे की थी । कहते हुए एरिका ने तेजी से दरवाजा खोला और उसी स्पीड से कसके बंद भी कर लिया।
सुनंदा अंदर तक काँप गई ।
सारा सामान शिफ्ट हो चुका था। एरिका का सामान जिस कमरे में पहुँचाया गया था , वो भी उसी कमरे में जाकर लेट गई। ऊपर आते वक्त उसने किसी से बात तक नहीं की बस बेला ने उसे गले लगाया और वो सिसक पड़ी। उन्होंने प्यार से कुछ कहना चाहा लेकिन वो बिना सुने कि चली गई।

बगल वाले कमरे से हँसने की , बातें करने की और टीवी की आवाजें आ रहीं थीं। एरिका ने कानों पर तकिया रख लिया । अगर अपने घर में होती तो हंगामा करके सबको शांत कर देती। अपने घर में उसे बस पापा से डरना पड़ता था यहाँ तो सबसे ही डर के रहना पड़ेगा ।
ऋषित मम्मी और आंटी मम्मी के लिए कॉफी बनाने के किचन में गया था । पीछे से मम्मी आकर खड़ी हो गईं।
ऋषि… ये क्या तरीका है ? ऐसा कौन करता है ?
अरे मातेश्री! भड़क क्यों रही हो बताओ तो सही क्या किया मैंने?
एरिका को आएं तीन घंटे हो चुके है, तुमने एक बार भी उसका हाल पूछने की कोशिश क्यों नहीं की?
Is she a bride ? जो मैं उसके कमरे में जाकर उससे बात करूं? और आपने देखा नहीं किस तुनकमिजाजी में वो मेरे सामने से गई थी चाहती तो पहले बोल सकती थी न ?
वो अपना घर छोड़ कर आई है ऋषि emotional तो होगी ही न ! और मत भूलो वो घर उसने तुम्हारे मामा को दिया है रहने के लिए इसके लिए तुम्हें उसे Thank you बोलना चाहिए ।
जहाँ तक मुझे पता है वो घर आंटी मम्मी का है और मैंने इसके लिए उन्हें thanks भी बोला वो भी आपके सामने ही । इससे ज्यादा मैं और कुछ नहीं कर सकता और उस लड़की के साथ तो बिल्कुल भी नहीं ।
क्या ? Problem क्या आ रही है तुमको उससे ?
पता नहीं मम्मी यार बस उसे देख कर मेरा खून खौलने जैसा लगता है । कितनी नकचढ़ी , बिगड़ी और जलनखोर है । ऐसी आँखों से देखती है कि जो उसे जानता तक न हो वो भी चिढ़ जाए उसपर ।
बेटा मेहमान है वो तुम्हारी और तुमसे छोटी भी है इसीलिए तुम्हें अपने ego को साइड में रखना ही होगा ।
आजकल के जमाने में एक दो साल की उम्र कम ज्यादा होने से कोई छोटा बड़ा नहीं हो जाता । सबको बराबर ही समझ होती है ।
ऋषित ने एक कप कॉफी अपने लिए और एक सुनंदा के लिए लेकर किचन से बाहर चला गया ।
बेला गहरी साँस लेकर अपने कॉफी के कप को देखती रही।
सुबह नाश्ते की टेबल पर एरिका फिर से मुँह बनाकर उठ गई। उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा जब ऋषि ने अपनी चेयर उसकी मम्मी के बगल में लगा दी और उनकी ही plate से खाने लगा । मम्मी ने भी प्यार से अपने हाथों से पराठा तोड़कर उसे खिलाया ।
मेरा हो गया मैं जाती हूँ।
पर बेटा तुमने अभी खाया ही कहाँ? बेला आंटी ने उसे टोका।
नहीं आंटी अब और खाने का मन नहीं है।
एरी..बेटा आओ मैं खिलाती हूँ न ! मम्मी ने बहुत प्यार से बोला लेकिन वो गुस्से से उन्हें देखती हुई चली गई, उनकी बात का जवाब तक नहीं दिया ।
ये आजकल के बच्चे भी न ! जरा सा स्ट्रेस फील करते हैं खाना कम कर देते हैं। बेला ने सुनंदा को हल्का महसूस करवाने की कोशिश की।
तीन दिन एरिका सबसे अनमनी और कटी-कटी रही लेकिन फिर वो भी इस घर में एडजस्ट होने लगी। एरिका की तरफ से फिक्र कम हुई तो सुनंदा ने कंपनी जाना शुरू कर दिया। ये कंपनी उसके पापा की थी उनके जाने के बाद सुनंदा को मिली लेकिन अमित ने उसे घर तक ही सीमित रख कर कंपनी हड़पने की कोशिश की। कंपनी की स्थिति खराब होने लगी तो सुनंदा ने बागडोर अपने हाथ में ले ली और कंपनी सम्भल गई लेकिन उनका रिश्ता जरूर टूट गया।
अब कंपनी घाटे में तो नहीं है लेकिन फायदे में है ऐसा भी नहीं कहा जा सकता । सुनंदा कम्पनी को एरिका के हैंडओवर करना चाहती थी इसीलिए उसे BBA भी करवाया लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए एरिका ने मना कर दिया । वो अपना एमबीए अमेरिका की किसी यूनिवर्सिटी से कंप्लीट करना चाहती है , यहाँ से नहीं ।
ऋषित की मम्मी बेला भी दिल्ली के एक कॉलेज में प्रिंसिपल है । सुनंदा की तरह वो भी चाहती हैं कि उनका बेटा भी बिजनेस में हाथ आजमाएं। लेकिन एरिका की तरफ वो भी अपनी मम्मी की बात नहीं सुनता । उसका मन बाइक राइडिंग में लगता है। कई सारी ट्रॉफीज और चैंपियनशिप्स जीती है ऋषि ने लेकिन बेला को ये पसंद नहीं है। उसनेदोस्तों के साथ मिलकर एक बैंड भी बनाया है उसमें गिटार प्ले करता है ।
हफ्ते भर में सबकुछ सामान्य लगने लगा था । एरिका और ऋषित एक दूसरे से बात नहीं करते थें लेकिन पहले जितना इग्नोर भी नहीं करते थें। दोनों माताएं इसी में खुश थीं उन्हें लगता था कि धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती भी हो जाएगी । लेकिन उन्हें गलत लगता था ।
एक दिन कॉफी को लेकर दोनों में पहली बार बातचीत हुई , बातचीत क्या एक हिसाब की बहस ही थी वो । दोनों ही कॉफी पीना चाहते थे लेकिन एक दूसरे के हाथ की बनी नहीं । इसीलिए ऋषि जिद पर अड़ा था कि पहले वो कॉफी बनाएगा क्योंकि वो किचन में पहले आया था एरिका भी कह रही थी कि कॉफी वो पहले बनाएगी क्योंकि मशीन को हाथ उसने पहले लगाया था। इसी बहस में एरिका ने गुस्से में कॉफी की मशीन उठाकर पटक दी।
लो बना लो कॉफी, बन जाएं तो मुझे भी दे देना एक कप। कहते हुए किचन से निकल गई। ऋषि गुस्से का घूंट पीकर खड़ा रह गया । ऐसा नहीं है कि दूसरी कॉफी मशीन आ नहीं सकती लेकिन ये मशीन उसे उसके best friend ने गिफ्ट की थी।
इस झगड़े के बारे में सुनंदा और बेला को मेड और बाकी नौकरों से पता चला था । सुनंदा ने same coffee machine मंगवा कर रखवा दी । लेकिन एरिका को कुछ कह नहीं पाई क्योंकि बेला की शर्त ही यही थी कि अगर कॉफी मशीन मंगवानी है तो एरिका को कुछ नहीं कह सकती ।
दोनों ने सोचा था कि ये झगड़ा आया गया हो जाएगा लेकिन ऋषित के दिल में बदले की भावना घर कर गई थी। बदला लेने का मौका उसे जल्द ही मिल गया। वो अपने दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट गया था वहीं पर उसे एरिका बैठी दिखाई दी लेकिन अकेले नहीं अमित अंकल के साथ। ऋषित अच्छे से जानता था कि आंटी मम्मी ने एरिका को उनसे बात करने तक को भी मना किया है और ये सीधा मिलने चली आईं। उसने अपना फोन निकाल कर दोनों की फोटोज क्लिक कर ली । अमित अंकल के जाने के बाद उसने वो फोटोज एरिका को दिखाई तो वो सन्न रह गई।
देखो please mom से मत कहना ।
क्यों न कहूं?
Please!
पहले मुझसे माफी मांगो।

मुझे नहीं पता मैने गलती क्या की हैं लेकिन फिर भी I am very very sorry . Please delete it. एरिका ने जल्दी से अपनी बात खत्म की और इस उम्मीद से निकल गई कि ऋषि फोटो डिलीट कर देगा।
इतनी जल्दी और इतने attitude में कौन sorry बोलता है। जैसा उसने सोचा था परेशान करने का वैसे तो कर ही नहीं पाया ।
कौन है भाई तेरी ex है क्या ?
Shut up! ऐसी लड़कियों से तो मैं बात तक नहीं करता।
तू बात नहीं करता ? जैसे वो उठ कर गई है उससे तो लगता है कि वो तुझसे बात नहीं करती । दोस्तों ने आपस में ही उसके मजे लिए ।
जैसा उसने सोचा था वैसा कुछ भी नहीं हुआ उल्टे उसकी बेइज्जती ही हुई । इतनी आसानी से माफ नहीं करूंगा इसे ।
Photo और video देखने के बाद सुनंदा आग की तरह भड़क गई। एरिका के आते ही एक गोले की तरह फट पड़ी।
क्यों ? तुम्हें क्यों लगता है कि मैने ये रिश्ता बचाने की कोशिश नहीं की । मैं अलग हुई हूँ लेकिन अपने लिए नहीं तुम्हारी खुशी, करियर , जिंदगी के लिए । मैंने सबकुछ सहते हुए भी ये रिश्ता बचाने की कोशिश की थी तो सिर्फ तुम्हारे लिए । तुम्हें क्यों समझ नहीं आता कि तुम्हारा बाप तुमसे प्यार नहीं करता जलन होती है उसे ये सोचकर कि मेरे बाद तुम उस कंपनी की मालकिन होगी। जानती हो उस रात झगड़ा क्यों हुआ था क्योंकि तुम्हारा बाप पैसे के लालच में तुम्हारी शादी तय कर के आया था अपने दोस्त के साथ ।
तुम बोल पाती अपने डैड से की मुझे शादी नहीं करनी कैसे बोलती उनके सामने तो मुंह तक नहीं खुलता था तुम्हारा ।आज देखो उसी इंसान से हँस हँस के बातें हो रहीं हैं, साथ खाना खाया जा रहा है ।ये तक नहीं सोचा गया कि जो आदमी एक बार खाने में जहर मिला सकता है वो दूसरी बार क्यों नहीं कर सकता।
ऋषि ने सोचा तक नहीं था कि बात इतनी बड़ी है उसने तो हल्की फुल्की डाँट का ही सोचकर ऐसा किया था । एरिका खड़ी रो रही थी , आंटी मम्मी लगातार चिल्लाएं और गुस्सा किए जा रहीं थीं, उसकी खुद की माँ उसे खा जाने वाली आंखों से देख रही थी।
घंटे भर बाद सबकुछ शांत हुआ दोनों माँ- बेटी अपने-अपने कमरों में चली गईं। लेकिन ऋषि से एक कदम भी न उठाया गया।
जानते हो ऋषि सुनंदा ने अपनी जिंदगी में बस एक ही चीज कमाई और बचाई है वो है उसकी बेटी एरिका । जब कोई किसी से उसकी सबसे प्यारी और एकलौती चीज छीनने की कोशिश करता है तो जानते हो दिल पर क्या गुजरती है ।
एरिका के सिवा कोई नहीं जानता कि वो अमित भाई से मिलने क्यों गई थीं लेकिन उसकी माँ को तो यही लग रहा कि एरिका सुलह की कोशिश में लगी हुई है । ऐसे में तुमने उसके डर को और बढ़ाया दे दिया है कि एरिका कहीं अपने डैड की बातों में आ कर सुनंदा को छोड़ न दे । क्यों किया बेटा तुमने ऐसा ? बस जरा से मजाक के लिए ? Ego satisfaction के लिए ?
I’m sorry mom … ऋषि के शब्द कांप रहें थें।
मुझसे नहीं उन दोनों से माफी मांगों जाकर ।
काफी देर चुप खड़े रहने के बाद ऋषि बोलने की हिम्मत जुटा पाया।
आंटी मम्मी! Sorry… मैंने आपको पूरी बात नहीं बताई। दरअसल एरिका सिर्फ थोड़ी देर के लिए ही अंकल से मिली थी।उसने तो बात भी नहीं की अंकल से वहीं बार-बार उसका हाथ पकड़ के रोए जा रहें थें वो तो अपने हाथ भी खींच ले रही थी ।
वो मिलने ही क्यों गई थी उस इंसान से जिसका सामना ही नहीं कर सकती वो। जानते हो अगर उसके डैड उसे एक बार तेज आवाज में डांट देते थें को खड़ी खड़ी कांपने लगती है , कुछ सोच नहीं पाती , एक कोने में दुबक के बैठ जाती है । अब तुम्ही बताओ उसे धमका कर अपने साथ ले जाने में अमित को कितना टाइम लगता और अपने साथ ले जाने के बाद वो क्या करता ये तो तुम सोच भी नहीं सकते ।
आंटी मम्मी मेरी तरफ देखिए। ऋषि उनके दोनों हाथ थामकर अपने घुटनों पर बैठ गया ।
I promise you एरिका को कोई कुछ नहीं कर सकता, जब तक वो मेरे घर में है उसकी सेफ्टी की जिम्मेदारी मेरी है। अमित अंकल हो या कोई मैं किसी को भी उसे harm नहीं पहुंचाने दूंगा। अगर वो सुबह घर के बाहर निकलती है तो शाम को उसे सही सलामत घर लाने की जिम्मेदारी आपके इस बेटे की रही, अब please एक बार हँस दो मेरे लिए।
Thank you बेटा..! सुनंदा उसके कंधे पर सर रख के रो पड़ी।
अपनी आंटी मम्मी को हँसा देने से ऋषि में over confidence आ गया । एरिका के कमरे में भी वो यही सोचकर गया था कि थोड़ी देर में उसे भी मना लेगा लेकिन वहाँ तो उसे बात करने का मौका भी नहीं मिला।
जैसे ही वो कमरे में दाखिल हुआ एरिका ने उसे बाहर निकलने को बोल दिया।
देखो एरिका… इससे ज्यादा उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल पाया । एरिका ने अपना फोन खींच कर उसके मुंह पर मारा और निशाना बिल्कुल सटीक बैठा। ऋषि की आँख बाल बाल बची लेकिन नाक से खून एकधार में बहने लगा।
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