Enemies to lovers-dark romance love story part 4

Enemies to lovers-dark romance love story part 4


Enemies to lovers-dark romance love story part 3 में आपने पढ़ा कि एरिका और ऋषित ने एक-दूसरे की चीज़ों का नुकसान करना शुरू कर दिया था। आपस में लड़ाई इतनी बढ़ गई थी कि एक ही टेबल पर बैठकर खाना भी नहीं खा सकते थे। लेकिन इन सब के बावजूद भी दोनों को एक-दूसरे की फ़िक्र होने लगी थी। इसीलिए एक रात जब एरिका घर नहीं पहुँची तो ऋषित अपने दोस्तों के साथ उसे ढूंढने निकल गया। उसका फ़ोन भी बंद हो चुका था, इसीलिए उसे ढूंढ पाना आसान नहीं रह गया था। उसके सारे साथी लड़ाई के लिए तैयार होकर निकले थे। अब आगे –

नोएडा से शुरू होकर ऋषित का सफ़र दिल्ली की एक पॉश कॉलोनी के बाहर बने गैराज पर खत्म हुआ।

पहले तो दो लोगों ने ऋषित को रोकने की कोशिश की, लेकिन जब वो नहीं रुका तो चार-पाँच लोग और आ गए और मारपीट पर उतर आए। ऋषित भी अपनी टीम के साथ तैयार होकर ही आया था। इधर सब आपस में उलझे, उधर वो एक-दो को पटक कर गैराज के अंदर घुस गया।

love

“एरिका… एरिका! तुम मुझे सुन रही हो?” ऋषित गाड़ियों के भीतर झाँक-झाँक कर उसे ढूंढ रहा था।

“एरी… आह!” ऋषित को अपनी गर्दन पर किसी भारी चीज़ के पड़ने का अहसास हुआ। वो तुरंत पलट के खड़ा हो गया और दूसरा डंडा पड़ते-पड़ते रह गया। “अमित अंकल आप?” उसने डंडा छीन लिया।

“एरिका कहाँ हैं?”

“बेटा, मैं नहीं जानता।” निहत्था होते ही अमित भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन पीछे से पंकज ने आकर उसे पकड़ लिया। “अंकल, एरिका कहाँ है, सीधे तरीके से बता दीजिए, वरना मैं भूल जाऊँगा आप उसके बाप हो।”

“ये मेरा गैराज है, इसके अलावा मैं किसी और बात को नहीं जानता। तुम यहाँ वक्त बर्बाद कर रहे हो, देखो कहीं पैसे उड़ा रही होगी।”

“ठीक है, मत बताओ, मैं खुद ढूंढ लूँगा। पंकज, इसे भागने मत देना, मैं बस अभी आया।” ऋषित और मयंक गाड़ियों में झाँक-झाँक कर देख रहे थे, उन्हें कहीं भी एरिका नहीं दिखी। तभी ऋषित को सुनंदा की बात याद आई कि अपने पापा के डाँटने पर एरिका किसी कोने में दुबक जाती है। ऋषित ने पिलर्स और साइड वॉल्स चेक करने शुरू किए। उसे इसमें ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी; गाड़ियों के पीछे खड़े पिलर्स के पास एरिका खड़ी थी।

“Oh God! तुम यहीं पास में ही खड़ी हो और मैं तुम्हें पूरे गैराज में…” ऋषित करीब गया तो शॉक्ड रह गया। एरिका के एक हाथ में पेपर और एक में पेन था। वो अटेंशन की मुद्रा में खड़ी सिर्फ एक ही बात कह रही थी: “मम्मी को कुछ मत करना… मैंने कर दिया… मम्मी को कुछ मत करना.. मैंने कर दिया..!”

ऋषित ने उसे गौर से देखा तो पाया कि उसके गालों पर उंगलियों के निशान छपे हुए थे, उसके होंठ पर चोट लगी थी और उसकी नाक से भी खून आ रहा था। ऊपर से लेकर नीचे तक कपड़ों और बालों में मिट्टी लगी हुई थी, घुटनों से खून बह रहा था, उसके एक पैर में ही सैंडिल थी, वो भी टूटी हुई। हाथों पर भी खरोंचें बनी हुई थीं। मयंक भी उसे इस तरह देखकर डर गया।

love

“मम्मी को कुछ मत करना.. मैंने कर दिया।” ये देखकर ऋषित की आँखों में खून उतर आया। ऋषित एरिका को वैसे ही छोड़ पलट पड़ा।

“कमीने, तूने हाथ कैसे लगाया उसे…!” ऋषित ने उछलकर अमित के सीने पर लात मारी और वो नीचे गिर गया। “बहनचोद.. साले.. हरामखोर..” अमित को ज़मीन पर गिराकर वो उसपर ताबड़तोड़ मुक्के बरसाने लगा।

“छोड़ उसे, मार डालेगा क्या?” दिव्यांश और पंकज ने उसे अमित से अलग करने की कोशिश की, लेकिन उसने दोनों को ही धक्का दे दिया।

अमित के आदमी इतनी मार खाने के बाद भी उसकी मदद करने के लिए फिर से खड़े हुए और फिर से वहाँ मारपीट शुरू हो गई। ऋषित अमित की गर्दन दबाने लगा तो दो लोगों ने उसे खींच कर अलग किया। इस बार वो इन सबके लिए अकेले काफ़ी था। उसके सामने जो भी आया, या तो उसका सर दो ही झटके में खोल दिया या फिर उसके हाथों को तोड़ मुँह के बल ज़मीन पर पटक दिया। उसका ऐसा गुस्सा देखकर उसके साथी भी हैरान रह गए।

ऋषित ने फिर से अमित का कॉलर पकड़ लिया और अपने ब्रेसलेट को उंगलियों में चढ़ा कर उसके मुँह पर मुक्के मार-मार के दाँत तोड़ दिए। “भाई, बुड्ढा आदमी है, मर जाएगा।” ऋषित को किसी की आवाज़ नहीं सुनाई दे रही थी। अमित बेहोश हो चुका था, लेकिन ऋषित रुक नहीं रहा था, उसके कपड़े खून से सन चुके थे।

“ऋषि… ऋषि… एरिका को हॉस्पिटल ले चल यार, ये बेहोश हो चुकी है।” मयंक एरिका को बाँहों में उठाए ऋषित के सामने आया तो उसे कुछ-कुछ होश सा आया। “चल भाई, इसे जल्दी ले चल, शायद कुछ खिला दिया है इसको।”

ऋषित अमित को छोड़कर तुरंत उठ खड़ा हुआ। उसने मयंक के हाथों से एरिका को अपनी बाँहों में ले लिया। “जल्दी से आओ।” पंकज ने कार स्टार्ट कर दी। वो सब एरिका को लेकर हॉस्पिटल निकल गए। दिव्यांश यहीं रहकर पुलिस वालों की हेल्प करने लगा।


जैसा उन लोगों को डर था, वैसा कुछ नहीं हुआ। एरिका को कुछ भी खिलाने की वजह से नहीं, बल्कि अत्यधिक डर (excessive fear) की वजह से नाक से खून आ रहा था और मुँह के अंदर चोट लगी थी। ये खबर सुनकर तीनों ने राहत की साँस ली।

“साले, कपड़े बदल ले, मर्डरर लग रहा है तू,” पंकज ने कहा।

“अच्छा, तू ये बता, तूने खुद कहा कि तुझे ये लड़की ज़रा सा भी पसंद नहीं है, तो तू इसके लिए इतना पागल क्यों हो गया था?” मयंक ने उसे शक की नज़रों से देखा।

“पता नहीं यार, एकदम से क्या हो गया था। मुझे इतना गुस्सा कैसे आ गया, मैं खुद सोच रहा हूँ। शायद इसलिए क्योंकि मैंने आँटी मम्मी से वादा किया है कि जब तक वो यहाँ हैं, उनकी बेटी की सुरक्षा करूँगा।”

“वैसे ये बुड्ढा था कौन?”

“एरिका का बाप।”

“क्या?” दोनों के मुँह हैरानी से खुले रह गए।

“मुझे मॉम के पास जाना है।” होश में आते ही एरिका चिल्ला पड़ी। “शांत हो जाओ एरिका,” ऋषित ने उसे समझाया।

“Mom.. Mom…” एरिका बैठकर अपने हाथ से ड्रिप खींचने लगी तो ऋषित ने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए। “इधर देखो.. एरी.. हम हॉस्पिटल में हैं अभी। तुम यहाँ बिल्कुल सेफ हो, तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता क्योंकि यहाँ मैं खड़ा हूँ। एरी! तुम सुन रही हो न?”

उसकी बातों को सुनकर एरिका ने चारों तरफ नज़र घुमाई, तब उसे समझ आया कि वो हॉस्पिटल में है, उसके पापा अब कहीं नहीं हैं। “एरिका! तुम ठीक हो न?”

“मैं…? हाँ.. हूँ।” एरिका ने खुद को संभालते हुए अपने हाथ ऋषित के हाथों के नीचे से खींच लिए। “मुझे घर जाना है।”

“हम सुबह चलते हैं न।”

“नहीं, मुझे अभी जाना है, please please…”

“Don’t be panic, हम अभी चलेंगे बस। मैं डॉक्टर से मिल कर आता हूँ।” ऋषित जाने के लिए खड़ा हुआ, मगर एरिका ने उसका हाथ पकड़ के फिर से झुका लिया। “नहीं, मुझे अकेला छोड़कर मत जाओ। डॉक्टर को यहीं बुला दो।”

“अकेले कहाँ, मेरे दोस्त बाहर बैठे हैं, कोई दिक्कत की बात ही नहीं है।”

“नहीं, जाओ न।” एरिका ने कसके उसकी बाँह जकड़ ली।

“Ok, मैं कुछ करता हूँ।” “दिव्यांश…!” उसने आवाज़ दी। “हाँ भाई।” एक साथ तीनों दोस्त कमरे में आ गए।


रात के 12 बजे वो अपनी मम्मी आँटी को फ़ोन करके परेशान नहीं करना चाहता था। इसीलिए उसने अपनी मम्मी को कॉल करके यहाँ पर हुई सारी बात बता दी। उन्होंने कहा कि वो लोग तुरंत निकल रही हैं, इस पर ऋषित ने बता दिया कि यहाँ उसने सब सम्भाल लिया है, वो लोग सुबह आराम से आएँ।

“घर के सारे दरवाज़े, खिड़कियाँ बंद हैं न?” एरिका ने तीसरी बार फिर से एक ही सवाल दोहराया।

“हाँ, बंद हैं, तुम आराम से सो जाओ। अमित को पुलिस पकड़ के ले गई है, अब तुम्हें कोई कुछ नहीं करेगा।” ऋषित उसके बेड के पास कुर्सी डाले बैठा है। उसके तीनों दोस्त भी एरिका के बार-बार घबरा जाने से एरिका के कमरे के बाहर अपना ठिकाना बना के बैठे हैं। ऋषित किसी को कमरों में सोने नहीं जाने दे रहा, क्योंकि एरिका घबराती है तो वो उनको आवाज़ लगाकर दिखाता है कि ये लोग दरवाज़े पर हैं तो कोई अंदर नहीं आ सकते।

“नहीं, डैड ज़रूर आते हैं। एक बार मारने के बाद जब तक वो मुझे दोबारा नहीं मारते, तब तक वो गुस्से में ही रहते हैं।”

“तुम्हें बहुत मारता था वो?” उसने एरिका के हाथ पर अपना हाथ रखा।

“जब छोटी थी तब मारते थे, जब बड़ी हो गई तब मारने से डरते थे क्योंकि मैं मॉम को बता देती थी।”

“तुम्हें ऐसे क्यों मारता है वो? तुम उसकी ही बेटी हो न!”

“हाँ। पहले बहुत प्यार करते थे मुझसे, लेकिन जब से नाना ने मेरे नाम अपनी आधी प्रॉपर्टी कर दी थी, तब से उन्हें नफ़रत हो गई। मॉम बीमार नाना के साथ हॉस्पिटल में थी, तब पहली बार डैड ने मुझे बहुत मारा था। उसके बाद जब भी मम्मी घर के बाहर होतीं, तो वो छोटी-छोटी बात पर मुझे मारने लगते।”

“मतलब उसने सिर्फ आँटी मम्मी की दौलत के लिए ही उनसे शादी की थी।”

“हाँ, उन्हें बस पैसा चाहिए था, न बीवी न बच्चे, लेकिन ये बात मॉम को बहुत देर में समझ आई। पहले प्यार से उन्हें बातों में फँसा लेते थे, लेकिन मॉम जब सब कुछ जान गईं, तब से दोनों में लड़ाई शुरू हो गई। जानते हो, इस डर से कि कहीं प्रॉपर्टी के और हिस्से न हो जाएँ, उन्होंने मॉम को गर्भपात (Miscarriage) की दवा खिला दी, तब मेरी मम्मी 5 महीने की प्रेग्नेंट थीं। मॉम को ये बात चार साल पहले पता चली, इसी आधार पर उन्होंने कोर्ट में तलाक़ की अर्ज़ी लगाई थी।”

“Oh My God! इंसान है ये कि हैवान? जब तुम जानती थी कि वो ऐसा है तो क्यों गई मिलने?”

“वो काफ़ी दिनों से कॉल कर रहे थे, बोल रहे थे एक आखिरी बार मिल लो, वरना वो मॉम से मिलने उनके ऑफिस चले जाएँगे। मैं नहीं चाहती थी कि मॉम उनको देखें और उन्हें फिर से सबकुछ याद आ जाए। यहाँ तुम दोनों ने उन्हें बहुत अच्छे से सम्भाला हुआ है, मैं बस चाहती थी कि वो ऐसे ही ख़ुश रहें।” एरिका की आँखों से आँसू बहने लगे।

“सी… सी.. रो मत यार! हम दोनों हमेशा तुम दोनों के साइड रहेंगे।” उसने एरिका के एक हाथ को सहलाते हुए अपने दूसरे हाथ से उसके आँसू पोंछे।


ऋषित समझ चुका था कि जब तक उसे अमित याद रहेगा, वो सोएगी नहीं। इसीलिए उसने बात बदल दी।

“अच्छा, एक बात बताओगी?”

“क्या?”

“उस दिन जो किस (Kiss) किया था वो आकस्मिक (accidental) था या सुनियोजित (pre-planned)?”

“Shut up! तुमने कॉल कर दी थी यार आँटी को, तो मैं क्या करती।” उस किस को याद करते ही एरिका के चेहरे पर छोटी सी मुस्कुराहट आ गई और उसने ऋषित के हाथ से अपना हाथ खींच लिया।

“उस दिन मुझे लगा कि तुम ज़रूर एक्सपर्ट हो इस काम में।”

“गैलेन ने सिखाया था मुझे।”

“मतलब कमीना पियानो छोड़कर सब सिखा रहा था तुम्हें। अच्छा बताओ, और क्या-क्या सिखाया?”

“और कुछ तुमने सिखाने ही कहाँ दिया? उस रात को वो सब सिखाने वाला था।”

“Umm! तभी उस रात के लिए तुम कोसती रहती हो मुझे।”

“Thank You…”

“अरे! अचानक से शुक्रिया! किस बात के लिए?”

“तुमने उस दिन भी मुझे बचाया था और आज भी।”

“चलो, तुमको एहसास तो हुआ कि गैलेन सही नहीं था तुम्हारे लिए। वैसे एक बात बताऊँ?”

“हूँ!”

“उस रात तुमने जो लाल नाइटगाउन (red nighty) पहनी थी न.. भगवान की कसम, किसी लाल सेब जैसी दिख रही थीं तुम। मुझे तो ये सोचने में वक्त लगा कि ये अपनी एरिका ही है या स्वर्ग से कोई अप्सरा उतर कर आई है।”

love

“झूठी तारीफ़ करना तो कोई तुमसे सीखे।” एरिका थोड़ा सा शरमा गई।

“काश उस रात तुम खुद को मेरी आँखों से देख पाती, तो तुम्हें यकीन आ जाता। ख़ैर… चलो अब तुम सो जाओ। हम लोग बाहर ही बैठे हैं।”

“तुम जा रहे हो?” ऋषित जैसे ही उठा, वैसे ही एरिका भी हड़बड़ा कर उठ बैठी।

“तुम चाहती हो कि मैं न जाऊँ?” ऋषित ने उसे फिर से लिटा कर चादर ओढ़ा दिया।

“ठीक है, मैं वहाँ सोफ़े पर जा रहा हूँ।” ऋषित ने जाते हुए लाइट बंद कर दी।

“नहीं, प्लीज नहीं.. नहीं!” एरिका फिर से डर कर बैठ गई। उसने तुरंत लाइट ऑन कर दी। दिव्यांश, पंकज और मयंक तीनों ने दरवाज़े से अंदर झाँक कर इशारे से “क्या हुआ” पूछा। ऋषित ने सर हिला कर बता दिया, “कुछ नहीं।”

“Look, I am here! एरिका… कोई नहीं आया है कमरे में।” वो ऋषित के सीने से लग कर लंबी… लंबी साँसें लेने लगी।

“मैं लाइट नहीं बंद कर रहा और सोऊँगा भी नहीं, please तुम सो जाओ।” ऋषित उसके बिस्तर पर ही बैठ कर उसे सुलाने की कोशिश करने लगा।


सुबह ऋषित की नींद बाहर से आ रहीं आवाज़ों से टूटी। उसकी आँख खुली तो चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था। उसने गौर किया कि एरिका के बाल उसके पूरे चेहरे पर बिखरे हुए हैं। उसने अपने चेहरे से बाल हटा कर साइड में किया। तब उसे नज़र आया कि एरिका पूरा बिस्तर छोड़कर उससे चिपक के सो रही है।

वो बेचारा खुद बेड के इतना ज़्यादा किनारे लेटा हुआ था कि एक करवट लेते ही फर्श पर आ गिरे। एरिका ने दोनों हाथों से उसे जकड़ के रखा हुआ है। उसकी खुद की हिम्मत भी उठने के लिए जवाब दे चुकी है। पीठ और गर्दन पर तो चोट की वजह से दर्द भी काफ़ी तेज़ हो रहा है और सारी रात एरिका सपने में बड़बड़ाती रही है, इसी वजह से सो भी नहीं सका है ठीक से। लेकिन बाहर जो सीन चल रहा है, उसे सुनकर उठना उसकी मजबूरी हो गई है।

सीढ़ियों की साइड में मयंक बगल में झाड़ू रख के सो रहा था। एरिका के कमरे के पास दिव्यांश बेसबॉल बैट के साथ लुढ़का पड़ा था और खिड़की के पास चेयर पर पंकज सो रहा था।

“ये सब क्या है, बेला? ये एरिका के कमरे को घेर कर क्यों बैठे हैं?” सुनंदा घबरा गई।

“आंटी जी…? आ गए आप लोग!” दिव्यांश उठ कर बैठ गया।

“बेटा, ऋषि कहाँ है?” बेला ने पूछा।

“अंदर सो रहा है,” मयंक ने उबासी लेते हुए जवाब दिया।

“धत् तेरे की, साला कुछ और नहीं बोल सकता था।” उसकी आवाज़ सुनते ही ऋषित हड़बड़ा के बिस्तर से नीचे उतर गया।

“वो एरिका के कमरे में क्यों सो रहा है? कोई बात हुई है क्या?” सुनंदा घबरा के कमरे के अंदर जाने के लिए बढ़ी, लेकिन बेला ने उसे रोक लिया।

“मैं सब बताती हूँ, तुम आराम से बैठो तो चलकर।” “एरिका ठीक है न? कब से यही बात पूछती आ रही हूँ!”

“हम बैठ के बात करते हैं। यहाँ सारे बच्चे रात भर जगे हैं, उनको आराम की ज़रूरत है। लड़कों, चलो ऋषि के कमरे में सो जाओ जाकर।”

“इन लोगों ने मारपीट की है क्या? सबके चेहरे, हाथ-पैर सूजे हुए लग रहे हैं।”

“तुम मेरे साथ चलो।” बेला सुनंदा का हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले गई।


अब तक ऋषित ने खुद को सम्भाल लिया था। बिस्तर पर अब भी एरिका एक ही किनारे लेटी थी। उसकी नींद का ख्याल करते हुए ऋषि ने बहुत धीरे से उसे उठाकर बेड के बीच में लिटा दिया। उसके बाद खिड़की के पर्दे खोले ताकि ताज़ी हवा और धूप कमरे में आ सके। एक अंगड़ाई लेकर उसे कुछ फ्रेश फील हुआ और वो वापस आकर बेड पर बैठ गया।

जब एरिका को देखा तो उसे बहुत दर्द सा महसूस हुआ सीने में। एरिका की चोटें नीली पड़ गई थीं। उसकी एक आँख, गर्दन, गाल, कंधे, हाथ, जहाँ तक भी ऋषि की नज़र गई, वहीं उसे नील उभरे दिखाई दिए। पता नहीं और कहाँ-कहाँ चोट लगी होगी इसे?

सुनंदा रो रही थीं, जब ऋषि कमरे में पहुँचा। ऋषि ने तुरंत सुनंदा के बगल में बैठकर उन्हें संभालने की कोशिश की।

“आँटी मम्मी, आप रोती क्यों हो मेरे होते हुए? मैंने आपसे कहा है न कि मेरे होते उसे कोई कुछ नहीं कर सकता।” उसने सुनंदा को गले लगा लिया।

“तुम इस तरह करोगी तो फिर एरी को कौन सम्भालेगा? वो तो तुमसे भी ज़्यादा डरी हुई है।”

“हाँ मम्मी, बिल्कुल सही कह रही हैं। मैं और मेरे सारे दोस्त उसके पास थे, फिर भी वो रात भर डरी है।”

“सुनंदा, उस कमीने को हम सबक सिखाएँगे। तुम अकेली नहीं हो, समझी।”

“और नहीं तो क्या! सबूत, गवाह और पैसा, सबकुछ हमारे पास है, ये देखिए।” ऋषित ने अपनी जेब से कुछ पेपर्स निकाल कर सुनंदा को दिखाए। पेपर पर मिट्टी और खून लगा हुआ था।

“ये किसी प्रॉपर्टी के पेपर हैं जो एरिका के नाम है। इन्हीं पर साइन करवाने के लिए उसे टॉर्चर किया था। मेरा तो मन हुआ था कि इन्हें फाड़कर उसके मुँह में ही ठूँस दूँ, लेकिन फिर ये काम मैंने आपके लिए बचा कर रख लिया।”

“Thank you बेटा! मैं ज़रा सा एरी को देख के आऊँ?”

“हाँ ज़रूर। वो सारी रात आपका नाम लेकर ही तो चिल्लाती रही है।”

सुनंदा के जाने के बाद बेला ने उठ कर प्यार से ऋषित का माथा चूम लिया। “I am proud of you son.”

“No, that’s not fair, Aunty. हम लोग भी तो इसके साथ आवारा कुत्ते की तरह घूमे हैं दिल्ली की सड़कों पर।”

“और नहीं तो क्या! थोड़ा प्यार तो हम भी हक़दार (deserve) हैं।” बेला के कमरे में मयंक, दिव्यांश और पंकज भी आ गए थे

“तुम लोग भी आ जाओ मेरे बच्चों। मुझे तुम सब पर नाज़ है।” मम्मी ने सबके लिए अपनी बाँहें खोल दीं।

Wait for part-5

Previous part

Thanks for reading 🙏 🙏 keep visit at your family atozlove

  1. “My Neighbor’s Wife” A dramatic dark romance love story part- 1
  2.   My Neighbor’s Wife” A dramatic dark romance love story part- 2
  3. Doctor patient romantic love story part 1
  4. Doctor patient love story in Hindi part 2
  5. Doctor patient love story in Hindi part 3
  6. The Wedding Night । love story of Arranged Couple
  7. When gangster meets Mafia… An Unexpected Dark Romance love story 1
  8. Love triangle – Funny Romantic love story In Hindi
  9. love story-Miss photogenic a short romantic love story
  10. “Last wish” sad heartbreaking love story part 1

Leave a comment