Run away with me! short romantic love story
वरुण अपना नया स्कूटर बदलना चाहता है। उसे अगर पता होता कि स्कूटर ऐसे चलेगा तो वो लेता ही नहीं । घर से निकलते वक्त ठीक रहता है ,पूरे रास्ते भी ठीक चलता है लेकिन पता नहीं सारंगी की गली में पहुंचते ही अपने आप ही धीमा हो जाता है , कभी-कभी तो रुक भी चुका है।
आज भी तो रुक गया था तभी उसे मौका मिल गया फिर से छेड़ने का । उसने ऊपर से फूलों की पत्तियां फेंकी थी वरुण पर ।
सुनो ! इसी स्कूटर पर भगा ले चलोगे मुझे ? उसने बालकनी से नीचे अपना आधा शरीर झुका दिया था।
तुम्हारे भैया को बुलाऊं अभी ? वरुण ने उसे धमकाने की कोशिश की।
अरे अरे इतनी बेसब्री कि भैया को बाहर ही बुला लोगे। अगर तुमसेे रहा नहीं जा रहा तो घर ही आकर उनसे मेरा हाथ माँग लो ।
कौन तुम्हारे मुँह लगे, तुम्हारा तो रोज का है । वरुण ने स्कूटर की स्पीड बढ़ाई और निकल गया।
वरुण और सारंगी स्कूल में साथ पढ़ते थें। हाईस्कूल के बाद सारंगी की मम्मी चल बसीं तो उसकी पढ़ाई ने भी राम-राम बोल दिया । दो भाई हैं और दो भाभियां हैं, पापा हैं। लेकिन कोई भी ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं । सारंगी की जिंदगी हाईस्कूल से ही बालकनी में टंग गई। वो वहाँ से वरुण को आते-जाते देखा करती थीं। इन सात सालों में सारंगी ने वरुण को रोज बढ़ते देखा है लेकिन वो इतना बढ़ नहीं पाया कि उसका सर बालकनी तक पहुंच सके।
वरुण इतना बढ़ गया तो बहुत ही अजीब और भयानक लग सकता है लेकिन सारंगी को इसकी परवाह नहीं है। वो चाहती है कि वरुण इतना बढ़ जाएं ताकि वो उसके चेहरे को पकड़ के रोज उसके माथे को चूम भी सके ।
वरुण की जिंदगी सारंगी की तरह ठहरी नहीं बल्कि बहुत स्पीड से भागी। स्कूल , स्कूल के बाद कॉलेज और कॉलेज में अच्छी-खासी पहचान । वो एक उभरता हुआ युवा लेखक बन चुका था । उसने अपने पैसे से ही अपना पहला स्कूटर खरीदा है। सारंगी का मकान वरुण के मकान से दो गली आगे पड़ता है लेकिन जिंदगी की दौड़ में वरुण ने सारंगी को पीछे छोड़ दिया था ।
सारंगी उसे अजीब लगती है और थोड़ी पागल भी। कई बार उसकी हरकतों पर गुस्सा भी आई है लेकिन उसने किसी से कोई शिकायत नहीं की । वरुण जानता है कि उसकी भाभियां पहले ही उसे सुकून से बैठने नहीं देती अगर ऐसी हरकतों का पता चल गया तो मार ही डालेंगे सब उसे । इसीलिए उसकी हरकतों को अवॉइड करता रहता है।
एक दिन की बात हो तो कोई कुछ कह भी दे सारंगी तो ऐसी हरकतें सालों से करती आ रहीं हैं। कभी उसपर फूल फेंकती है , कभी पानी की छींटे, कभी रंग कभी कुछ खाने वाला तो कभी कोई खत । कई बार तो उसने पूरी गली सूनी देखकर अपना दुपट्टा भी सीने से हटा दिया है और ऐसे अश्लील इशारे किए हैं कि वरुण पानी-पानी हो चुका है।
वरुण के सारे दोस्त उसकी इस परेशानी को जानते है इस बात को लेकर मजाक बनाते है उसका और कुछ उसे समझाते हैं।
भाई ! लड़की का एक ही सपना है घर से भागना ,तो भगा दे न ! भगा के तू ले आ बाकी उसे सम्भाल हम लेंगे।
यार तुम लोग ऐसी घटिया बातें सोच भी कैसे लेते हो ! तुम लोगों को समझ भी आ रहा है घर से भागने के लिए जो लड़कियां तैयार रहती हैं वो कैसी होती हैं? Any way तुम लोग वैसी ही बेढंगी लड़की डिजर्व भी करते हो।
सारंगी बोल भाई कितना प्यारा नाम है।
होगा लेकिन मैं तो उसे बेढंगी ही बोलूंगा।
उसकी परेशानी को देखते हुए उसे कुछ अच्छे suggestions भी मिले । जिसमें से एक idea उसे पसंद भी आया ।
शाम के समय वरुण जब वापस आया तो उसके स्कूटर पर एक लड़की भी थी जिसमें अपने दोनों हाथों से वरुण को पकड़ा हुआ था और उससे बिल्कुल चिपक के बैठी हुई थी। वरुण ने अपना स्कूटर सारंगी के घर के पास बिल्कुल धीमा कर लिया।
ये कौन है ? सारंगी ने सर पर दुपट्टा ले रखा था और सजी हुई खड़ी थी।
मेरी गर्लफ्रेंड! कैसी लगी ? वरुण ने लड़की का हाथ अपने हाथ में लेकर चूम लिया। सारंगी ने उस दृश्य को अपनी आँखों में भर लिया। वो न कुछ बोली न हिली- डुली, बस उसकी निगाहें वरुण के हाथ पर थमी रह गईं।
अरे कहाँ रह गई ? वो लोग तुझे देखने को बुलाते हैं। भाभी आईं और उसे लगभग घसीटते हुए जल्द बाजी में अंदर ले गईं।
Wow! कितनी सुंदर है यार ! लोग इसके लिए दंगे कर दे और तू इसे अनदेखा करता है।
इतनी भी खूबसूरत नहीं हैं आज किसी ने इसे सजा दिया है तो थोड़ी ढंग की लग रही है बेढंगी कहीं की।
सजाया है ? क्यों सजाया है उसे ?
छोड़ो अपुन को क्या । वरुण ने स्कूटर आगे बढ़ा दिया।
एक दिन , दो दिन , तीन दिन … वरुण को पता नहीं था कि उसका idea इतनी जल्दी काम कर जाएगा । तीन दिन हो गएं सारंगी बालकनी में दिखी ही नहीं। आदतन उसका स्कूटर सारंगी के घर के सामने धीमा हुआ एक बार तो थोड़ी देर के लिए रुका भी लेकिन सारंगी दिखी नहीं। हफ्ते भर में उसने नोटिस किया कि बालकनी में लगे फूल- पौधे मुरझा रहें हैं। लगता है अब वो बालकनी में नहीं आती । ये सोचकर उसे अंदर से एक बेचैनी महसूस होने लगी अब वो वक्त-बेवक्त भी निकल के देखने लगा शायद अबकी बार आई हो ।
वरुण को एक अपराधबोध ने जकड़ लिया था , सीना बिल्कुल भारी और आँखों में उदासी भर गई थी। उसने अपनी समस्या फिर से दोस्तों के सामने रखी ।
यार तुझे क्या मतलब वो बेढंगी लड़की बालकनी में आकर अपने पौधों को पानी दे चाहे न दे ।
सारंगी…सारंगी नाम है उसका ।
लेकिन तू तो उसे बेढंगी ही बोलता है ।
ऐसे तो तू अपनी बहन को मोटी, चुड़ैल ,कद्दू बोलता है , मैं भी उसे ऐसे ही बोलूं तो चलेगा ? वरुण गुस्से में उठ कर चला गया।
अरे इसे क्या हो गया ?
हुआ कुछ नहीं बेटा अब इसे पता चल रही है उस चीज की कीमत जिसे अभी तक इसने मुफ्त का समझा था।
10 दिन ! यकीन करना मुश्किल है कि उसने दस दिन बिना सारंगी का चेहरा देखे निकाल दिए हैं। स्कूल से लेकर अब तक कभी इतना लंबा गैप नहीं आया था दोनों के बीच। वो अगर नानी घर भी गया तो हफ्ते भर के अंदर ही घर आने की जिद पकड़ लेता था। क्यों जिद पकड़ लेता था वो ? वरुण को बालकनी में सूखते पौधों को देखकर रोना आने लगता है, क्यों आने लगता है ? उसका मन नहीं होता कॉलेज जाने का , क्यों नहीं होता ?
कॉलेज से आने के बाद वरुण ने टेबल पर एक इनविटेशन कार्ड रखा देखा । फैंसी कार्ड के जमाने में सिंपल और सस्ते कार्ड ने उसके अंदर जिज्ञासा जगा दी। उसने कार्ड को उठा कर जैसे ही खोला उसका हाथ कांप गया और आँखों पर यकीन नहीं हुआ । सारंगी की शादी किसी विमल से हो रही है । वरुण जैसे ही आया था वैसे ही घर से निकला ।
बड़ी देर तक सारंगी के घर के नीचे घूमता रहा किसी भी बहाने से बस एक झलक ही मिल जाएं। लेकिन आज भी उसे निराश होकर लौटना पड़ा।
सारी रात उसे नींद नहीं आई । सारंगी की शादी का सुनकर वो क्यों इतना बेचैन हो रहा है? क्यों न बेचैन हो जैसी भी थी बचपन की दोस्त थी उसकी ? सिर्फ दोस्त ! प्यार नहीं है उससे ? नहीं । अच्छा अगर प्यार नहीं था तो सारी गलियाँ छोड़कर उसी की गली से क्यों जाता रहा है आजतक ? क्यों उसी की गली में स्कूटर धीमा करता है ? क्यों आजतक किसी और लड़की को अपने करीब नहीं आने दिया ? क्यों उसकी छेड़खानी पर मन ही मन खुश होता आया है ?
प्यार नहीं है तो क्या है ये सब ? मुझे नहीं पता …मुझे नहीं पता ..मुझे नहीं पता । वरुण ने उठ कर पानी पिया । शायद अब उसके दिल और दिमाग के बीच जंग रुक जाए , लेकिन ये लड़ाई सारी रात चली ।

सुबह कॉलेज जाते वक्त सारंगी की गली में शेरू दिखा। शायद वो भी सारंगी को काफी दिन से न देखने पर परेशान था। सारंगी जब भी गली में निकलती थी शेरू उसके पीछे रहता था । मोहल्ले भर की डांट डपट खाने के बाद सारंगी के हाथ से मिले दो निवाले भी शेरू के लिए छप्पन भोग थे।
ये शेरू रुक..रुक ! वरुण ने अपना स्कूटर साइड में रोका और कुत्ते को आवाज दी। जल्दी से अपनी नोटबुक निकाली और एक कागज में कुछ लिखकर शेरू के मुंह में पकड़ा दिया।
देख भाई तेरे दोस्त की जिंदगी अब तेरे हाथ में हैं। इस खत को तू सारंगी …अपनी मालकिन तक पहुंचा दे । तू उसके घर के अंदर भी किसी कोने में डाल आयेगा तो काम हो जाएगा । इसको अच्छे से ले जाकर सारंगी तक पहुंचाने की कोशिश कर । Go sheru Go . वरुण ने शेरू को सबकुछ समझा कर सीढ़ियों के पास छोड़ दिया और खुद स्कूटर के पास आकर खड़ा हो गया। थोड़ी ही देर में उसे शेरू के चिल्लाने की आवाज आई समझ गया कि शेरू भाभी के हत्थे चढ़ चुका है । इससे पहले शेरू जैसी हालत उसकी हो उसने स्कूटर स्टार्ट किया और भाग निकला।
खत इंग्लिश में लिखा था वरुण ने जो दोनों भाभियों को समझ नहीं आता । शुक्र है भैय्या लोग घर पर नहीं है।
” Paudhe ho ya Insaan, pyaas lagne par agar paani na mile to dono hi sukh jate hai. Aik baar to gamlon me paani de do . Itni bhi narazgi thik nhi unse . ” खत के नीचे वरुण ने अपना नंबर लिखा था ।
क्या है ?
कुत्ता मुंह में दबा के लाया है तो कूड़ा ही होगा न ! कुत्ते तक को तो रोक नहीं पाती मुझपर पहरेदारी करेंगी । सारंगी इठलाती हुई निकल गई।
वरुण शाम को लौटा तो पौधे तो हरे लग रहें थें लेकिन बालकनी का दरवाजा फिर भी बंद था ।
मम्मी…पापा मुझे सारंगी पसंद है । रात को खाने के टाइम जब सारंगी की शादी में देने के लिए गिफ्ट पर विचार किया जा रहा था तब वरुण ने भी अपनी बात रख दी।
ये क्या मजाक है ? उन लड़कियों के बारे में कभी भी ऐसा मजाक नहीं करना चाहिए जिनकी शादी होने वाली हो इससे उनका घर टूटने का खतरा रहता है। पापा ने उसे हिदायत दी।
मैं सच कह रहा हूँ पापा ।
अगर ये सच है तो भी हम कुछ नहीं कर सकते बेटा। जो होना था वो हो रहा है ।
आप लोगों को वो कैसी लगती है ?
देखो उसके घर वाले जैसे भी हो लड़की तो बिल्कुल ठीक है , सुंदर है , कामकाजी है । मैंने तो उसे छुटपन से देखा है तुम्हारे अलावा कभी किसी और लड़के से बात करती नहीं दिखी किसी को। लेकिन पता नहीं फिर भी उसकी दोनों भावजें उस पर शक क्यों करती रहती हैं? मम्मी ने कहा।
वो इतनी सुंदर है जलती हैं उससे तभी कोई न कोई इल्ज़ाम लगा कर मारने का बहाना ढूंढती रहती हैं। जिससे शादी हो रही है वो भी छोटी बहू का भाई लगता है अब देखो वो क्या करता है बेचारी के साथ । पापा ने अफसोस व्यक्त किया।
मैं सारंगी से शादी करना चाहता हूँ।
दिमाग खराब है तुम्हारा ! पूरा घर गंवार और लड़ाका है । हमसे तो खास जलन रखते है वो लोग ।
लेकिन सारंगी तो पढ़ी है और वो तो पसंद भी है आप लोगों को।
लेकिन बेटा उसकी शादी होने वाली है परसों। अब कुछ नहीं हो सकता । भूल जाओ उसे कोई पढ़ी लिखी लड़की देखो अपने मुकाबले की ।
पापा अगर मेरी शादी उससे नहीं हुई तो मैं जहर खा लूंगा। वरुण ने किसी चीज का पैकेट निकाल कर अपने पेरेंट्स को दिखाया और तुरंत कमरे की तरफ चला गया।
ये क्या जहर था ? मम्मी ने पापा से पूछा ।
हाँ शायद । दोनों वरुण के पीछे भागे लेकिन वरुण ने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। अब पैकेट में क्या था वरुण को भी नहीं पता । उसके दोस्तों ने उसे ये देते हुए कहा था कि थोड़ा डायलॉग बाजी कर देना काम हो जाएगा । वरुण ने सेम वैसा ही किया।
बेटा दरवाजा खोलो । हमें पता है वो लोग किसी कीमत पर नहीं मानेंगे लेकिन फिर भी कल सुबह तुम्हारी तसल्ली के लिए हम बात जरूर करेंगे । मम्मी बहुत जोर से दरवाजा पीट रहीं थीं।
वरुण देखो ऐसा वैसा कुछ मत करना । हमारी तरफ से पूरी हाँ है तुम उस लड़की को राजी कर लो तो हम कोर्ट मैरिज भी कर देंगे ।
सच में ! वरुण दरवाजा खोल कर इतनी खुशी से अपने पापा के गले लगा कि उनको भी हैरानी हुई कि ये अंदर मरने गया था या जश्न मनाने ।
शादी वाले दिन वरुण बढ़िया से तैयार होकर अपनी मम्मी और दोस्त के साथ सारंगी के घर पहुंचा। दोनों महिलाओं ने किसी तरह वरुण को पर्दे वाला बनाकर सारंगी के कमरे में भेजा । उसकी दोस्त दरवाजे पर निगरानी करने लगी और मम्मी बाकी औरतों को ढोल बजाते रहने का जोश भरने लगी।
तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?
तो और कहाँ जाऊं बालकनी पर तो तुम दिखती नहीं ।
अब दिख कर क्या करूंगी, तुम्हारा पीछा ही छूट रहा है मुझसे यही काफी है तुम्हारे लिए।
नहीं मेरे लिए सिर्फ तुम काफी को इससे कम कुछ भी नहीं । वरुण ने पर्दे फेंक कर सारंगी को अपनी तरफ खींच लिया।
पागल हो ? सारंगी ने उसे धक्का दिया । जो बात करनी है पर्दे लगाते हुए करो ।
मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ और वो तो पर्दे लगाते हुए नहीं हो सकती न ।
अगर मुझसे शादी करोगे तो तुम्हारी गर्लफ्रेंड..?
वो सिर्फ मेरी दोस्त है, वही तो दरवाजे पर पहरा भी दे रही है। मैंने सिर्फ मजाक किया था थोड़ा सा तुमसे ।
तुम्हें ऐसा मजाक नहीं करना चाहिए था मुझसे । मैं एक बार फिर तुम्हारे लिए मार खाने को तैयार थी लेकिन तुमको किसी और के साथ देखते ही सारी हिम्मत टूट गई और मुंह से हाँ निकल गया । सारंगी की आँखों में दर्द , बेबसी और गुस्सा झलक रहा था।
माफ कर दो यार ! मुझे नहीं पता था कि तुम्हें न देखने पर मेरा हाल पागल कुत्ते के जैसे हो जाएगा और मुझे ये भी नहीं पता था कि… कि तुम मेरी वजह से ही अब तक सारे रिश्ते मना करके मार खाती चली आई हो । Sorry… वरुण अपने कान पकड़ के घुटनों पर बैठ के माफी मांगने लगा ।
तुम आज के दिन भी मुझे पिटवाने आए हो न ? उठो चुपचाप पर्दे लगाते रहो ।
मैं यहाँ पर्दे लगाने नहीं तुम्हें ले जाने आया हूँ। पापा के वकील से बात कर ली है तुम कहोगी तो यहाँ पर बुलाकर वरना फिर कोर्ट चलकर शादी करेंगे ।
नहीं मैं ऐसे शादी नहीं करना चाहती ।
देखो गाजे- बाजे के लिए तो टाइम चाहिए और टाइम हमारे पास….
नहीं मेरा वो मतलब नहीं है , मैं तुम्हारे साथ भागना चाहती हूँ।
तुम पागल हो क्या ? तुम्हें ये भागने का भूत क्यों सवार है? इज्जत से शादी करेंगे इज्जत से घर में रहेंगे ।
तो तुम मुझे भगा नहीं सकते ?
नहीं मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं करूंगा। इज्जतदार घर है हमारा , फिर तुम्हारी इज्जत वो भी इतने लोगों के सामने कम हो जायेगी…नहीं मैं ऐसा नहीं करूंगा ।
वरुण जल्दी करो लेडीज आ रहीं हैं। बाहर से दरवाजे पर नॉक हुआ ।
चलो यहाँ से । वरुण ने सारंगी का हाथ थामा तो उसने झटक दिया ।
नहीं …! मेरे कोई भी सपने पूरे नहीं होने दिए गएं हैं वरुण लेकिन ये सपना मैं जरूर पूरा करूंगी। तुम्हारे घर वाले इज्जतदार है जानती हूँ इसीलिए तुम जाओ । रही मेरी इज्जत की बात तो जब मेरे घर वाले ही इसकी परवाह नहीं करते तो बाहर वाले क्या खाक करेंगे।
यार ऐसा अजीब सपना कौन देखता है ?
मैं ! मैंने भी नॉर्मल सपने देखें थे लेकिन वो पूरे नहीं हुए , जिस वजह से पूरे नहीं हुए मैने उसे ही सपना बना लिया। मैंने जो भी सपना देखा उसके साथ ये कॉम्प्लीमेंट्री सप्लीमेंट की तरह जुड़ा हुआ था। मैंने कहा आगे पढूंगी – नहीं भाग जाएगी , डांस सीखूंगी – नहीं भाग जाएगी , मामा के घर पर रहूंगी – नहीं भाग जाएगी , कोई नौकरी कर लूं – नहीं भाग जाएगी, भतीजों को स्कूल छोड़ दूँ – नहीं भाग जाएगी , बाजार से सब्जी लेने जाऊं?- नहीं भाग जाएगी । तो बस मैं उन्हें दिखाना चाहती हूँ कि वो लोग कितना सही है ।
तुम ये गलत कर रही हो अपने साथ ?
मैं बस भागना चाहती हूँ इसमें गलत क्या हैं? ये बहुत पहले कर सकती थी लेकिन तुम्हारे लिए रुकी हुई थी यहां।
देखो इसमें उनका कुछ नहीं जाएगा लेकिन तुम्हारा बहुत कुछ जाएगा ।
क्या जाएगा , जब कुछ है ही नहीं ।
क्यों मैं नहीं हूँ तुम्हारा ?
हाँ तुम हो मेरे ।
तो ऐसा कुछ भी मत करो मेरे लिए ।
मैं तुम्हारे साथ ही तो भागना चाहती हूँ।
लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता ।
कोई बात नहीं मैं अकेले भागने की भी हिम्मत रखती हूँ।
ठीक है तुमको choose करना पड़ेगा तुम्हारा सपना या फिर मैं ।
मेरा सपना । सारंगी ने आगे बढ़कर दरवाजा खोल दिया।
वरुण भी बिना कुछ कहे कमरे से निकल गया ।
रात के समय जब सभी महिलाएं द्वारचार की रस्म में व्यस्त हो गईं तो सारंगी अपने कमरे से निकल कर घर के पीछे चली गई। उसे लगा था कि पीछे का दरवाजा खुला होगा लेकिन उसे तो बाहर से बंद करके ताला डाला गया था। सारंगी ने जोर-जोर से धक्का देकर दरवाजा खोलने की कोशिश की लेकिन नहीं खुला । पिछले रस्ते की खिड़की को भी लॉक रखा गया था । उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि इतनी बड़ी समस्या उसके आगे खड़ी होगी। सारंगी परेशान सी इधर-उधर खिड़की तोड़ने के लिए कुछ ढूंढ रही थी कि उसे बाहर से ताला तोड़ने की आवाज आई ।
कहीं भैय्या लोग तो नहीं आ गएं इधर । सारंगी डर के मारे सांस रोक के खड़ी हो गई।

तेजी के साथ दरवाजा खुला तो देखा वरुण हाथ में ईंट लिए खड़ा था । सारंगी को देखते ही उसने ईंट फेंक दी।
Run away with me! वरुण ने अपना हाथ आगे बढ़ाया।
लेकिन तुम्हारी इज्जत का क्या होगा ?
लुटवाना तो तुमसे ही चाहता था अब एक के साथ तुम मेरी दोनों तरह की इज्जत लूट लो, क्या ही फर्क पड़ेगा।
और तुम्हारे मम्मी पापा ?
हाँ वो मारेंगे तो बहुत लेकिन तुम हो न मलहम लगाने के लिए । हो न ? वरुण ने उम्मीदों से उसे देखा ।
हमेशा । सारंगी ने झट से उसका हाथ थाम लिया।
चाँदनी झिलमिलाती रात में दोनों उन गलियों से होकर भागे जिनमें कभी बचपन में खेला करते थें।
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